विजय घर की छत पर खड़ा हुआ अपने गांव का नजारा देखता हुआ,सिगरेट पी रहा था,रात के 11 बज चुके थे घर में एक सन्नाटा छा चुका था,अजय के जाने के बाद से ही ये माहौल था,उसे अब पता था की अजय कही नही गया है लेकिन फिर भी वो ,सोनल और निधि अपने को थोड़ा दुखी ही दिखाते थे,..
वो बड़े दिनों से ही परेशान चल रहा था आज वो बड़े दिनों के बाद शांति से सिगरेट के कस लगा रहा था,उसे किसी के आने की आवाज सुनाई दे,पायलों से ये तो समझ आ चुका था की कोई लड़की ही होगी,
“कहा कहा ढूंढ रही हु तुझे और तू यंहा पर है,ला इधर दे “सोनल को देखकर विजय ने अपना सिगरेट फिर से निकाल लिया जो की वो थोड़ा छुपा लिया था था,सोनल ने उसके हाथो से सिगरेट छीनकर कस लगाने लगी ,और दीवाल के पास खड़ी होकर देखने गांव की तरफ देखने लगी,विजय ने उसे पीछे से जकड़ लिया ,और अपना सर उसके कन्धे पर रख दिया ,
“आज बहुत दिनों के बाद चैन आया “विजय उसे जोरो से अपने शरीर से चिपकाते हुए बोला ,
“हम्म मुझे भी ,तुम्हारे लिए तो जैसे मैं गायब ही हो गई थी ,इतने दूर रहते थे तुम मुझसे “
सोनल ने भी अपने भाई के बालो में हाथ फेरा,
“क्या करू यार पहले चुनाव फिर भाई की ये खबर ,...कुछ समझ ही नही आता था की क्या करू,अब सुकून है बस भाई इसे जल्दी से खत्म करे फिर हम पहले की तरह जिंदगी जी पाएंगे,बना किसी की फिक्र के एक दूसरे की बांहो में …”विजय बड़े ही प्यार से सोनल के गालो में हल्की सी पप्पी लेता है,
“हम्म लेकिन क्या तुम भूल गए की मेरी भी शादी हो रही है ,फिर मैं यंहा थोड़ी ना रहूंगी “सोनल की आवाज थोड़ी गंभीर थी,जिसे सुनकर अचानक ही विजय को याद आया की जिस बहन के साथ उसने बचपन बिताया था ,जिसके साथ जवानी के रंग देखे थे वो जाने वाली है,ये सोच कर ही विजय की आंखे भर आई ,वो अपने होठो को सोनल के कंधे पर रख कर सोच में डूब गया था,उसके आंखों से एक बून्द टपककर सोनल के कंधों में गिरा जिसका गिला अहसास सोनल को उसके मनोदशा के बारे में सचेत कर रहा था,वो पलटी और विजय की आंखों में देखने की कोशिस करने लगी वही विजय उससे आंखे बचा रहा था,
“इधर देख “सोनल ने विजय के चहरे को उठाया और उसकी आंखों में देखा ,
“ओह मेरा शैतान सा बहादुर भाई आज रो रहा है,”सोनल के चहरे में हल्की मुस्कुराहट थी जो अपने भाई के प्यार को देखकर आयी थी,
“मैं कहा रो रहा हु ,वो बस आंखों में थोड़ा कचरा चला गया “विजय का स्वर भरा हुआ था लेकिन उसने बहुत कोशिस की कि वो ठिक से बोल पाए ,
“अच्छा”सोनल की मुस्कान थोड़ी और बढ़ गई और वो उसके सीने से लागकर उसके आंखों से बहते हुए पानी को अपने होठो में समा लिया ,वो विजय के गालो को प्यार से सहलाने लगी ,विजय का हाथ भी अब उसकी कमर को थाम चुका था,वो और नजदीक आयी ,अब उसका चहरा विजय के चहरे के पास ही था,वो हल्की सी फूक विजय के आंखों में मारी ,जिससे विजय के चहरे में भी एक मुस्कान आ गई ,
“शैतान कही की “विजय ने हल्के से कहा,
“अब ये शैतानियां अपने पति को दिखाना वही सम्हालेगा तुझे “विजय थोड़ी हँसने की कोसिस करने लगा लेकिन उसका गला अब भी भरा हुआ था,
“भाई रो ले ,मैं जानती हु तुझे रोना आ रहा है”
“मुझे क्यो रोना आएगा “विजय लगभग रोते हुए बोला ,जिससे सोनल थोड़ी हँस पड़ी वो जानती थी की विजय उसे कितना प्यार करता है और उसके जाने की बात सुनकर वो कितना भावुक हो गया है,
“अच्छा तो जब मैं शादी कर के चली जाऊंगी तो मुझे याद करेगा ना “सोनल ने उसके गालो को सहलाते हुए कहा,
“चुप कर अब “विजय का बांध टूट पड़ा वो सोनल को कस कर जकड़े हुए रोने लगा,सोनल के चहरे में एक मुस्कुराहट थी लेकिन उसकी आंखे गीली थी ,वो विजय के बालो को सहलाये जा रही थी ,और विजय इस लंबे चौड़े खतरनाक आदमी को देखकर कोई कैसे कह सकता था की वो अपनी बहन की बांहो में किसी बच्चों की तरह रो रहा होगा,
“मेरा प्यारा भाई चुप हो जा “
सोनल उसे बच्चों जैसे ही पुचकारने लगी ..
“अच्छा पहले रुलाती है फिर चुप करा रही है,कामिनी तू तो पति के साथ जाकर खुस हो जाएगी और कभी सोचा है की तेरा भाई तेरे बिना कितना अकेला हो जाएगा “वो सोनल को और भी कस लिया ,सोनल को इससे थोड़ा दर्द होने लगा लेकिन इस प्यार के सामने उस दर्द की क्या औकात थी,उसने भी अपने बांहो की पकड़ को और मजबूत किया और जंहा उसके होठ पहुचे वही को चूमने लगी ,विजय थोड़ा हटा और सोनल के चहरे को पकड़कर उसे चूमने लगा,उसके गीले होठो के कारण सोनल का पूरा चहरा लार से गीला हो रहा था लेकिन उसने विजय को नही रोका ,उसके चहरे में मुस्कान थी जो अपने भाई की इस बेताबी की वजह से थी…….
जब वो अलग हुए तो विजय थोड़ा गंभीर हो गया,
“क्या हुआ फिर के मुह लटका लिया तूने “
सोनल ने बड़े ही प्यार से विजय के बालो में हाथ फेरा,
“अब तू नितिन की अमानत है,तुझे खुलकर प्यार नही कर सकता “
सोनल विजय की बात का मतलब समझ गई थी ,वो हल्के से हँसी ,
“अच्छा खुलकर या खोलकर ? साले सब समझ रही हु तू क्या बोल रहा है,और किसने कहा की मैं किसी की अमानत हो गई हु,मैं नितिन से प्यार करती हु और उससे मेरी शादी होने वाली है इसका मतलाब क्या है,की मैं तुझसे दूर हो जाऊंगी,”
विजय सोनल के चहरे को देख रहा था जो की इस अंधेरे में भी खिला हुआ मालूम हो रहा था,
“लेकिन ..”
“क्या लेकिन “सोनल ने उसका हाथ पकड़ कर अपने कमर में ठिका दिया,और धीरे से बोली
“जब तक मैं हु तब तक मेरे भाइयो का मुझपर पूरा हक है,.अगर मैं इस दुनिया में ना रही तो बात और है”
विजय ने उसके होठो में उंगली रख दी
“पागल हो गई है क्या ये क्या बोल रही है,”
“अगर जैसा निधि के साथ हुआ अगर मेरे साथ हो जाता तो ,...और अगर भैया की जगह कोई और होता तो “सोनल की आंखों में एक अनजाना सा डर दिख रहा था,
“अब वो नही बच पायेगा ,भैया को पता है की वो कौन है इसका मतलाब ये है की उसपर 24 घंटे नजर रखी जा रही होगी,अब हमे चिंता की कोई आवश्यकता नही है”
“फिर भी “
सोनल ने हल्के मूड में कहा ,
“मैं उसकी माँ चोद देता “विजय गुस्से में बोला
वही सोनल जोरो से हँसी ,
“तुझे चोदने के अलावा आता ही क्या है साले “
सोनल की हँसी और उसके बात करने के बिंदास अन्दाज ने विजय के चहरे को खिला दिया था,वो अपनी सोनल को ऐसे ही देखना चाहता था ,उसने सोनल के कमर को जोरो से भिचा ,सोनल के मुख से एक आह निकल गई,
वो आकर सीधे विजय के सीने से जा लगी ,विजय उसकी आंखों में देखने लगा और उसके हाथ उसके पीठ पर चलने लगे,सोनल ने अपना सर विजय के कंधे में रख दिया ,
विजय एक गहरी सांस लेकर आसमान की ओर देखता है,इस प्यार भरे मौसम में उसकी जान उसके बांहो में थी इससे ज्यादा उसे क्या चाहिए था ,वो भावनाओ से भर गया था और उसने सोनल के चहरे को उठाकर उसके होठो में अपने होठो को टिका कर उसके होठो के रस को चूसने लगा,जिस्म का मिलान में जब हवस गायब हो जाय तो वो प्यार बन जाता है कुछ ऐसा ही इनके साथ हो रहा था,
दोनो के ही आंखों में प्यार के मोती थे और होठो में एक दूजे के होठ,वो एक दूजे के बालो में अपनी उंगलिया घुमा रहे थे और उनकी सांसे एक दूजे की सांसो से टकरा रही थी ,दोनो के नथुने से आती गर्म हवा दोनो के चहरे में पड़ती हुई मुलायम अहसास दे रही थी ,जब दोनो ही अलग हुए तो दोनो के चहरे में मुस्कान और आंखों में आंसू थे,
वो फिर से होठो के मिलान में व्यस्त हो चुके थे,विजय का हाथ अब सोनल के भरे हुए नितम्भो तक को सहला रहा था ,जिससे विजय के लिंग में असर होने लगा,जब वो अकड़ कर सोनल के योनि के द्वार पर टकराने लगा तो अचानक ही विजय ने सोनल को झटके से अलग किया ,सोनल अब भी मुस्कुरा रही थी,
“अब क्या हुआ तुझे “
“अब नही हो पायेगा यार ,पता नही साला ये क्यो ऐसे तन जाता है बार बार “विजय को अपने ही लिंग पर आज गुस्सा आ रहा था,लेकिन उसकी इस बात से सोनल जोरो से हँसने लगी,
“तुझे कितने दिन हो गए सेक्स किये हुए “
उसकी बात से विजय थोडा चौका,लगता था की जमाना बीत चुका है,
“याद नही यार,बहुत दिन हो गए “
“अरे पगले ,जो आदमी एक भी दिन लड़की के बिना नही रहता था वो इतने दिनों से खाली है तो उसका लिंग तो अकडेगा ही ना ,और तेरी सभी छमिया लोग कहा मर गई आजकल “
“सभी को छोड़ दिया पता नही मन ही नही होता कुछ करने का”
सोनल अपने भाई के चहरे पर प्यार से हाथ घुमाने लगी ,
“तू जब ऐसा बोलता है तो मुझे तेरी चिंता हो जाती है,बोल नही करू क्या शादी…तेरे साथ रहूंगी जिंदगी भर “
सोनल की बात से विजय को उसके ऊपर बहुत प्यार आता है और वो उसके चहरे को पकड़ कर एक जोर की पप्पी उसके गालो में दे देता है,
“पगली कही की ,अब वो बात नही रह गई तेरे भाई में शायद मैं अब बड़ा हो गया हु “
“बड़ा या बुड्डा “सोनल फिर से खिलखिलाई
“क्या पता मेरी जान ,चल आज मेरे साथ सो ,अगर मन किया और कुछ हो गया तो बताना की बड़ा हुआ हु या बुड्डा “विजय ने शरारती अंदाज में कहा
“अरे मेरी जान तू कभी बुड्डा हो सकता है क्या,बस अब तू वो बच्चा नही रहा जिसे सिर्फ सेक्स चाहिए था ,नही तो अभी तक मुझे बचाता क्या ,बड़ा समझदार हो गया है मेरा भाई,लेकिन मुझे वो नासमझ वाला ही पसंद है “दोनो ही हँस पड़े और विजय के कमरे में चले गए
रात की रंगीनियां थी और हल्की सी सर्दी,बिस्तर में विजय लेटा हुआ बस सोनल को निहार रहा था,आंखों में अपने बहन का वो मचलता रूप था जिसे देखकर शायद मर्दो की जांघो के बीच कुछ कुछ होने लगे, लेकिन विजय के लिए उसकी बहन बस हवस मिटाने का कोई जरिया नही थी,वो उसकी परी थी,वो उसे प्यार भरी निगाहों से निहार रहा था ,उसकी आंखों में सोनल की उज्वल छटा थी,उसका वो रोशन चहरा ,चांद सा चमकदार लेकिन बिना किसी दाग के,वो मुस्कुराती हुई विजय के पास आई ,अभी अभी वो नहा कर निकली थी,सिर्फ अपने भाई के लिए ,.......सिर्फ अपने प्यारे भाई के लिए उसने वो महंगी सुगंध अपने शरीर में लगाई थी,सिर्फ अपने भाई के लिए उसने वो झीना सा कपड़ा पहना था जिसमे उसके जिस्म का हर भराव नजर आता,सिर्फ अपने भाई के लिए वो अपने शादी से पहले उसके साथ सोने को राजी थी जबकि वो जानती थी की कुछ भी हो सकता है,वो जानती थी की अगर विजय आगे बढेगा तो वो रोक नही पाएगी,वो क्या चाहती थी….?शायद कुछ भी नही ,...विजय क्या चाहता था..???
शायद कुछ भी नही …
बस दोनो को ही एक दूजे का साथ चाहिए था,एक दूजे का अहसास जो जिस्म से होकर मन की गहराइयों में चली जाती थी,एक एक छुवन जो ऊपरी त्वचा के गहरे पहुचता था…….
उसकी मुस्कुराहट ही तो थी जो विजय के दिल का सुकून थी ,उस मर्द कहलाने वाले विजय के आंखों में ना जाने कब आंसू की बूंदे छलकने लगी थी,सोनल के लिए ना जाने आज उसे ऐसा क्या प्यार आ रहा था,वो बार बार उसके जुदा होने के अहसास से भर जाता था,..
सोनल भी जानती थी की उसका भाई उसे कितना प्यार करता है,वो उसके लिए कुछ भी कर सकता था,कुछ ही दिनों में किसी और की हो जाने का अहसास जंहा सोनल के दिल में एक झुरझुरी सी पैदा करता था वही अपने भाई से जुदाई की बात सोच कर भी वो सहम उठती थी,लेकिन वो अपने को सम्हाल लेती ,क्योकि उसे विजय को सम्हालना था,वो मचलती हुई विजय के पास आयी और बिस्तर में पसरते हुए विजय की गोद में जा गिरी…
विजय के सामने अब उसका चहरा था,रात में भी सोनल अपने होठो में लाली लगाना नही भूली थी ,वो भी उसके भाई के लिए ही तो था,विजय उसके बालो में हाथ डालकर उसे अपनी ओर खिंचा लेकिन सोनल के उपर उठाने से विजय का नीचे होना ज्यादा सहूलियत भरा था,सोनल थोड़ी आकाश में उठी तो विजय भी थोड़ा नीचे झुका,दोनो के ही होठ मिले,रुकने का ठहराने का कोई भी इरादा किसी का भी नही था,होठो को होठो में ही मिलाए हुए दोनो ही बिस्तर में लेट चुके थे,विजय सोनल के बाजू में आकर लेटा था,होठ मिले हुए ही थे और सांसे भी मिलने लगी थी,आंखों में आंसू की थोड़ी थोड़ी धारा समय समय पर बह जाती थी…
“सोनल आई लव यू “
विजय ने उसके होठो को छोड़ते हुए कहा,
“ये कोई बोलने की बात है क्या भाई “सोनल हल्के से मुस्कुरा दी ,दोनो फिर से प्यार के सागर में गोते खाने लगे थे,विजय का शरीर अब सोनल और अपने कपड़ो की दूरी बर्दस्त नही कर पा रहा था ,धीरे धीरे ही सही लेकिन एक एक कपड़े जिस्म से उतरते जा रहे थे,कुछ ही देर में दोनो के बदन के बीच कोई भी दीवार नही बची थी,विजय के लिंग ने सोनल की योनि को छूना शुरू कर दिया था,अपने भाई की बेताबी को सोनल बखूबी समझती थी,लेकिन कुछ करना भी तो पाप होता,वो दोनो कुछ भी नही करना चाहते थे,वो बस होने देना चाहते थे,किसी ने इतनी जहमत नही की कि लिंग को उसकी मंजिल तक पहुचाये,सोनल की योनि में उगे हुए हल्के हल्के बाल जब जब विजय के लिंग से टकरा कर रगड़ खाते दोनो का मुह खुल जाता था,योनि ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया था,वही विजय का मुह सोनल के भरे है स्तनों का मसाज अपने होठो से कर रहा था,निप्पलों में जैसे कोई रस भरा हुआ वो विजय उसे चूसें जा रहा है,सोनल के हाथ विजय के सर को सहला रहे थे ,वो कभी विजय के ऊपर आती तो कभी नीचे इसी गहमा गहमी में दोनो के शरीर की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,जंहा विजय अपने कमर को हिलाने लगा था वही सोनल भी अपने कमर को उचकाए जा रही थी लेकिन लिंग था की अंदर जाने का नाम ही नही लेता,वो बस सोनल के योनि के से रगड़ खाये जा रहा था,विजय का कमर थोड़ा ऊपर हुआ ,सीधे तने लिंग ने योनि की गहराइयों के ऊपर की दीवार पर थोड़ी जगह बनाई,इस बार योनि इतनी गीली थी की लिंग को भिगोने लगी विजय किसी माहिर खिलाड़ी की तरह बेलेंस बनाये हुए कमर को नीचे करता गया,सोनल ने भी अपने शरीर को सीधा ही रखा था ताकि लिंग की दिशा भटक ना जाए,थोड़ा अंदर जाने पर ही सोनल ने विजय को मजबूती से पकड़ लिया उसके दोनो हाथ विजय के नितम्भो पर टिककर उसे जोर दे रहे थे,और विजय बड़े ही एकाग्रता से अपने लिंग को बिना छुवे ही सोनल की योनि में प्रवेस करा रहा था,गीलेपन के कारण विजय का लिंग जल्दी ही सोनल की गहराइयों में समा गया ,
“आह भाई “सोनल के मुझ से मादकता भरी सिसकी निकली ,
“ओह ओह आह आह भाई ओह”उसके हाथ अब विजय के सर में तो कभी उसकी कमर में घूम रहे थे विजय ने अपने होठो को सोनल के होठो में डाल दिया और उसकी कमर एक निश्चित लय में सोनल के जांघो के बीच चलने लगी,दोनो ही अपने होश में नही रहे थे,सिसकिया और आनन्द के अतिरेक से निकलने वाली किलकारियों से कमरा गूंजने लगा था ………
कमरे के बाहर खड़ी दो काने इन आवाजो को सुन रही थी और अपने प्यार की याद में गुम थी उसकी आंखों में आंसू था,वो निधि थी,..सोनल और विजय की आवाजो ने उसके मन में एक बेचैनी सी जगा दी थी ,वो भी अपने भइया से वैसा ही प्यार करना चाहती थी जैसा सोनल कर रही थी लेकिन ,,,,,,,,,,,
लेकिन वक्त ने दोनो को बहुत दूर कर दिया था...