hotaks444
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[size=large]बाजी जानती थी मैं कभी झूठ नही बोल सकता...पर उनके आँखो में सख़्त गुस्सा और सवाल था मैने बाजी को रोका कि फिलहाल हमे यहाँ से निकलना होगा लूसी ने सब संभाल लिया है
हम जैसे तैसे अपने कमरे से बाहर आए....गंध पाते ही उन शैतानो ने लूसी को धकेल दिया और बड़ी ही रफ़्तार से घुर्राते हुए मेरे करीब आके अपने अपने नुकीले दांतो से फूँकार मारने लगे....बाजी भी अपने रूप में आके मुझे बचाने की कोशिश करने लगी
"आपका भाई गुस्ताख़ी कर रहा है हमे राजा का हुकम है कि आपको हम कैसे भी यहाँ से जाने ना दे".......
.बाजी इससे पहले कुछ कह पाती मेने गुस्से में आके उन दोनो को अपने पंजो से जकड लिया था...बाजी ने उस पिशाच का गला काट धढ़ से अलग करके फ़ैक् डाला...भेड़िए में तब्दील होते ही आसिफ़ ने उस शैतान को दीवार में जैसे धसा दिया....."वक़्त नही है चलो जल्दी"..........लूसी ने बाजी को कंबल ओढ़ा दिया थी हम तीनो छुपते छुपाते बरामदे के करीब आए...नीचे के द्वार से बाहर निकलना मुनासिब नही था....मैने उन दोनो औरतो को अपनी बाहों में उठाया..और सीधे छलाँग लगा दी...हम जल्द ही नीचे कूद चुके थे....जल्द ही हम तेज़ रफ़्तार से जितना हो सका उतना तेज़ किले से दूर जाने लगे....अबतक तो तहख़ाने में पश्त लेटे राजा को महसूस हो चुका था...उसने अपनी आँखे खोल डाली और ज़ोर से दहाड़ उठा...उसकी दहाड़ ने हम तीनो को रुकने पे मज़बूर कर दिया....बाजी क़िले के रास्ते की ओर देख रही थी वो आवाज़ उनके कानो में गूँज़ रही थी"चली आओ मेरे पास कहाँ जा रही हो मुझसे दूर एसस्शााआअ".........वो आवाज़ बाजी के जैसा कान फाड़ रही थी...हम उस खौफनाक रात में सिर्फ़ घोड़े पे सवार दौड़ रहे थे...घोड़ा बहुत तेज़ रफ़्तार से दौड़ रहा था...बीच बीच में लूसी को लगता जैसे कोई हमारा पीछा तो नही कर रहा...ना जाने कब हमने उस ठंडी नदी के उपर के पुल से जैसे तैसे खुद को पार किया....और कब पहाड़ी के दूसरी ओर आ गये....क़िला बहुत दूर छूट चुका था धीरे धीरे सुबह होने लगी रात ढलने लगी....
लूसी ने बताया कि जैसे जैसे दिन होगा राजा स्किवोच वापिस अपने ताबूत में चला जाएगा क्यूंकी उसकी सारी शक्तिया सूरज के सामने फीकी पड़ जाती है और वो फिर अगली रात का इंतेज़ार करेगा....मैने काफ़ी दूर आके घोड़े को रोका तो सामने दूर रोशनीया जल रही थी....
ये इंसानी बस्ती का रास्ता था..बाजी बेसूध मेरी बाहों में गिर गयी...मैने घोड़ा रोका और बाजी को फर्श पे लिटा के उनके चेहरे को थपथपाने लगा "राजा ने इनको पूरी तरीके से अपने क़ब्ज़े में कर लिया है उनके बुलावे पे ही यह उनकी तरफ खींची चली जाएँगी"............
"इसका कोई तोड़ है".........
लूसी के पास इसका कोई जवाब नही था...और ठीक उसी पल मुझे महसूस हुआ कि कोई ज़ोर से चिल्ला उठा "ठहरो वही रुक जाओ"......उस शक्स के हाथ में एक गन थी और उसने कंबल ओढ़ रखा था वो अपने घोड़े पे से उतरा और हम तीनो की ओर लगभग सावधानी से पास आया
लालटेन उसके एक हाथ में थी जब वो उसे बाजी के करीब लाया तो लूसी और बाजी मेरे पीछे थी....ये इंसानी गंध थी और बेहद जानी पहचानी....मेरे सामने कोई और नही टोपी पहना शॅक्स चार्ल्स खड़ा था...
"वही ठहर जाओ और एक कदम भी आगे नही बढ़ाना"........चार्ल्स ने चौकते हुए जब मेरी ओर लालटेन फिराई तो उसे यक़ीनन मालूमात हो गया था कि मेरे साथ खड़ी वो दोनो क्या है? वो फ़ौरन घबराते हुए सम्भल गया और हम तीनो की ओर गन पॉइंट किया....
"चार्ल्स सर आप मुझे ग़लत समझ रहे है".......
.चार्ल्स मेरी बात को फ़ौरन काटते हुए चिल्लाया "चुप रहो तुम शैतान की ज़ात मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि जिसे मैने आसरा दिया वो खुद इन पिशाचो से मिला हुआ है तभी तो तुम दो दिन से गायब थे आसिफ़ तो यही है तुम्हारा राज़".........चार्ल्स ने गुस्से से जवाब दिया
"देखिए मैं आपको सब सच बता देना चाहता हूँ पर फिलहाल सुबह हो रही है मेरी बाजी जैसे ही सूरज के सामने आएँगी वो जलने लगेंगी"........चार्ल्स मान नही रहा था....और मुझे उगते सूरज का अंदेशा हो रहा था अंधेरा सॉफ होने लगा और चारो ओर रोशनी फैलने लगी सुबह के पाँच बज चुके थे लेकिन इस गहरे कोहरे में भी सुबह की रोशनी आराम से उज्ज्वल हो जाती थी
लूसी को लगा शायद बचाव ही एक ज़रिया है और उसने अपने रूप में आके चार्ल्स पे फूँकार मारना चाही ...
"रुक जा बदजात शैतान".......चार्ल्स ने दूसरे हाथो में एक गोल्डन रंग का क्रॉस उसके चेहरे के करीब ला दिया...और लूसी दाँतों पे दाँत रखके बहुत ही तिलमिलाते हुए उससे दूर होने लगी...
.मैं लूसी के सामने आके खड़ा हो गया "वही रुक जाइए प्लस्सस चार्ल्स सर आप बात समझने की कोशिश कीजिए हम लोग कॅसल से भागके आ रहे है और ये दोनो मेरे अज़ीज़ है मेरी अपनी है ये मेरी बाजी है शीबा और ये लूसी जिसने हमे फरार करने में मदद की".......[/size]
हम जैसे तैसे अपने कमरे से बाहर आए....गंध पाते ही उन शैतानो ने लूसी को धकेल दिया और बड़ी ही रफ़्तार से घुर्राते हुए मेरे करीब आके अपने अपने नुकीले दांतो से फूँकार मारने लगे....बाजी भी अपने रूप में आके मुझे बचाने की कोशिश करने लगी
"आपका भाई गुस्ताख़ी कर रहा है हमे राजा का हुकम है कि आपको हम कैसे भी यहाँ से जाने ना दे".......
.बाजी इससे पहले कुछ कह पाती मेने गुस्से में आके उन दोनो को अपने पंजो से जकड लिया था...बाजी ने उस पिशाच का गला काट धढ़ से अलग करके फ़ैक् डाला...भेड़िए में तब्दील होते ही आसिफ़ ने उस शैतान को दीवार में जैसे धसा दिया....."वक़्त नही है चलो जल्दी"..........लूसी ने बाजी को कंबल ओढ़ा दिया थी हम तीनो छुपते छुपाते बरामदे के करीब आए...नीचे के द्वार से बाहर निकलना मुनासिब नही था....मैने उन दोनो औरतो को अपनी बाहों में उठाया..और सीधे छलाँग लगा दी...हम जल्द ही नीचे कूद चुके थे....जल्द ही हम तेज़ रफ़्तार से जितना हो सका उतना तेज़ किले से दूर जाने लगे....अबतक तो तहख़ाने में पश्त लेटे राजा को महसूस हो चुका था...उसने अपनी आँखे खोल डाली और ज़ोर से दहाड़ उठा...उसकी दहाड़ ने हम तीनो को रुकने पे मज़बूर कर दिया....बाजी क़िले के रास्ते की ओर देख रही थी वो आवाज़ उनके कानो में गूँज़ रही थी"चली आओ मेरे पास कहाँ जा रही हो मुझसे दूर एसस्शााआअ".........वो आवाज़ बाजी के जैसा कान फाड़ रही थी...हम उस खौफनाक रात में सिर्फ़ घोड़े पे सवार दौड़ रहे थे...घोड़ा बहुत तेज़ रफ़्तार से दौड़ रहा था...बीच बीच में लूसी को लगता जैसे कोई हमारा पीछा तो नही कर रहा...ना जाने कब हमने उस ठंडी नदी के उपर के पुल से जैसे तैसे खुद को पार किया....और कब पहाड़ी के दूसरी ओर आ गये....क़िला बहुत दूर छूट चुका था धीरे धीरे सुबह होने लगी रात ढलने लगी....
लूसी ने बताया कि जैसे जैसे दिन होगा राजा स्किवोच वापिस अपने ताबूत में चला जाएगा क्यूंकी उसकी सारी शक्तिया सूरज के सामने फीकी पड़ जाती है और वो फिर अगली रात का इंतेज़ार करेगा....मैने काफ़ी दूर आके घोड़े को रोका तो सामने दूर रोशनीया जल रही थी....
ये इंसानी बस्ती का रास्ता था..बाजी बेसूध मेरी बाहों में गिर गयी...मैने घोड़ा रोका और बाजी को फर्श पे लिटा के उनके चेहरे को थपथपाने लगा "राजा ने इनको पूरी तरीके से अपने क़ब्ज़े में कर लिया है उनके बुलावे पे ही यह उनकी तरफ खींची चली जाएँगी"............
"इसका कोई तोड़ है".........
लूसी के पास इसका कोई जवाब नही था...और ठीक उसी पल मुझे महसूस हुआ कि कोई ज़ोर से चिल्ला उठा "ठहरो वही रुक जाओ"......उस शक्स के हाथ में एक गन थी और उसने कंबल ओढ़ रखा था वो अपने घोड़े पे से उतरा और हम तीनो की ओर लगभग सावधानी से पास आया
लालटेन उसके एक हाथ में थी जब वो उसे बाजी के करीब लाया तो लूसी और बाजी मेरे पीछे थी....ये इंसानी गंध थी और बेहद जानी पहचानी....मेरे सामने कोई और नही टोपी पहना शॅक्स चार्ल्स खड़ा था...
"वही ठहर जाओ और एक कदम भी आगे नही बढ़ाना"........चार्ल्स ने चौकते हुए जब मेरी ओर लालटेन फिराई तो उसे यक़ीनन मालूमात हो गया था कि मेरे साथ खड़ी वो दोनो क्या है? वो फ़ौरन घबराते हुए सम्भल गया और हम तीनो की ओर गन पॉइंट किया....
"चार्ल्स सर आप मुझे ग़लत समझ रहे है".......
.चार्ल्स मेरी बात को फ़ौरन काटते हुए चिल्लाया "चुप रहो तुम शैतान की ज़ात मुझे पहले ही समझ जाना चाहिए था कि जिसे मैने आसरा दिया वो खुद इन पिशाचो से मिला हुआ है तभी तो तुम दो दिन से गायब थे आसिफ़ तो यही है तुम्हारा राज़".........चार्ल्स ने गुस्से से जवाब दिया
"देखिए मैं आपको सब सच बता देना चाहता हूँ पर फिलहाल सुबह हो रही है मेरी बाजी जैसे ही सूरज के सामने आएँगी वो जलने लगेंगी"........चार्ल्स मान नही रहा था....और मुझे उगते सूरज का अंदेशा हो रहा था अंधेरा सॉफ होने लगा और चारो ओर रोशनी फैलने लगी सुबह के पाँच बज चुके थे लेकिन इस गहरे कोहरे में भी सुबह की रोशनी आराम से उज्ज्वल हो जाती थी
लूसी को लगा शायद बचाव ही एक ज़रिया है और उसने अपने रूप में आके चार्ल्स पे फूँकार मारना चाही ...
"रुक जा बदजात शैतान".......चार्ल्स ने दूसरे हाथो में एक गोल्डन रंग का क्रॉस उसके चेहरे के करीब ला दिया...और लूसी दाँतों पे दाँत रखके बहुत ही तिलमिलाते हुए उससे दूर होने लगी...
.मैं लूसी के सामने आके खड़ा हो गया "वही रुक जाइए प्लस्सस चार्ल्स सर आप बात समझने की कोशिश कीजिए हम लोग कॅसल से भागके आ रहे है और ये दोनो मेरे अज़ीज़ है मेरी अपनी है ये मेरी बाजी है शीबा और ये लूसी जिसने हमे फरार करने में मदद की".......[/size]