non veg story नाना ने बनाया दिवाना - Page 2 - SexBaba
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non veg story नाना ने बनाया दिवाना

सुबह के 5 बजे होंगे की मामी के आवाज से हम दोनों की नींद खुली।
मैंने दरवाजा खोला तो वो बोल पड़ी....
मामी:=झटपट तैयार हो जाओ मंदिर जाना है।
मैं:=मंदिर??नहीं मामी मैं नहीं आ रही मंदिर मुझे सोना है।
मामी :=अरे आज पोर्णिमा है ये पोर्णिमा 10 साल में एक बार आती है और अपने गाव के मंदिर में आज बहोत बड़ी पूजा होती है और आज के दिन जो भी मुराद मांगोगे वो पूरी होती है।

नेहा भी उठ चुकी थी। 
नेहा:=हा माधवी माँ सच कह रही है। चल चलते है
मामी:=चलो जल्दी तैयार हो जाओ बाबूजी तुम्हारा इन्तजार कर रहे है। मुझे तो मंदिर मना है इसलिए मैं नहीं आ पाऊँगी।
हम लोग तैयार हुए और नानाजी और नीरज के साथ मंदिर पहुचे। बहोत भीड़ थी और लंबी लाइन हम लाइन में लग गए।सामने नीरज उसके पीछे मै नेहा और नानाजी लाइन में भी बहोत लोग आगे पीछे धकेल रहे थे। इधर नेहा की हालात ख़राब थी। क्यू की पिछेसे नानाजी का लंड उसकी गांड पे लग रहा था।
नानाजी तो थे दीवाने नेहा की गांड के वो भी भीड़ का फायदा लेके मजे से अपना लंड उसकी गांड पे रगड़ रहे थे। सुरु सुरु में नेहा को घबराहट हुई पर बादमे वो नानाजी से चिपके खड़ी हो गयी और नानाजी के तगड़े लंड का मजा अपनी गांड को दिलाने लगी। नानाजी की मुराद तो जैसे मंदिर जाने से पहले ही पूरी हो चुकी थी।
उन्हें भी सुरु सुरु में थोडा झिझक हो रही थी पर जब उन्हें नेहा की और रेसपोंस मिलाने लगा तो वो भी बिनधास्त हो के अपना लंड नेहा की गांड से रगड़ने लगे थे।मुझे तो इस बात का अंदाजा नेहा का चेहरा देख के ही चल चूका था। मैं उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी सो मैं नीरज के साथ बाते करने लगी।
 
लाइन बहोत बड़ी थी अभी और आधा घंटा लगने वाला था। और लाइन भी बड़ी अजीब थी एक साथ चार चार रो थी। इसके वजह से नेहा और नानाजी में क्या चल रहा है ये कोई देख नहीं सकता था। जैसे ही कोई पीछे से धकेलता नानाजी जोर से अपना लंड नेहा की गांड पे रगड़ देते। और जैसे कोई आगे से धकेलता तो मैं नेहा को जोर से पीछे धकेल देती जिससे नेहा अपनी गांड नानाजी के लंड पे दबा देती। इधर नेहा की तरफ से आता रिस्पांस देख नानाजी ने अपना लंड खड़ा करके नेहा की गांड के दरारों में घुसा दिया था।

जैसे लाइन आगे बढती नानाजी अपना लंड पीछे लेके हल्का सा धक्का दे देते। नेहा इधर अपने गांड में फसे लंड का भरपूर आनंद उठा रही थी। कभी कभी लंड सरक के निचे जाता तो सीधा उसके चूत के पास चला जाता जैसे उसकी चूत पे दस्तक दे रहा हो। उसकी चूत पानी पानी हो चुकी थी। नानाजी ने अब अपना हाथ भी नेहा के गांड पे फिरना और हलके हलके दबाना सुरु कर दिया था जिसकी नेहा को जरा भी उम्मीद नहीं थी। एक बार तो नानाजी ने अपना हाथ फिसला कर सीधा चूत से टच कराने की कोशिश की पर नेहा एकदम से चोकी तो उन्होंने हाथ पीछे हटा लिया। 

नानाजी मस्त हो चुके थे नेहा की नरम नरम मांसल गांड से लंड रगड़ के नेहा भी पहली बार रियल लंड का टच महसूस करके निहाल हो चुकी थी। दोनों भी भूल चुके थे की वो कहा है। सच कहते है लोग वासना अंधी होती है उसे ना रिश्ता समज आता है और नाही मंदिर....

हम सब लोग दर्शन करके घर पहोंचे। मैं लगभग खीचते हुए नेहा को ऊपर ले गयी और उससे सारी बाते डिटेल में पूछी। उसने वर्ड तो वर्ड सब बताया।
मै := क्या बात है तूने तो बड़े मजे किये यार अपने दादाजी के लंड से अपनी गांड घिसाई करावा ली।
नेहा:= तो तू आ जाती मेरी जगह तू भी कर लेती मजा।
मैं:= मुझे नहीं करनी मजा...अब आगे क्या? कब ले रही है उनका लंड चूत में?
नेहा :=हाय रे क्या बताऊ दिल तो करता है अभी ले लू।
मैं:=तू न बावरी हो गयी है बेशरम....
हम दोनों हँसने लगी। और फिर ऐसे ही छेड़छाड़ हँसी बाते होती रही।
 
नानाजी हमारी हरकते बड़ी गौर से देख रहे थे। उनके चहरे पे एक अलग तरह की ख़ुशी झलकने लगी थी। वो खाना खाके खेत में चले गए। हम भी खाना खाके थोड़ी मस्ती की और थोडा सुस्ता लिया । फिर शाम को फिर खेतो की ओर निकल पड़े। सोचा आज भी कुछ देखने को मिल जाय पर नानाजी कुछ काम करवा रहे थे। हमें देख के वो हमारी तरफ आये। हमे तो बड़ी मायूसी हुई। नानाजी आप यही है??मेरे मुह से यकायक निकल गया।

नानाजी:=क्यू कही और होना चाहिए था क्या मुझे ?उस खेत में?
मेरे और नेहा के होश उड़ गए हमने एक दूसरे की और देखा हम दोनों की आखो में इक ही सवाल था कही नानाजी ने कल हमें देख तो नहीं लिया?
नानाजी:=ऐसे क्या एक दूसरे की और देख रहे हो। चलो आओ इधर ।
हम नानाजी के पीछे पीछे चलने लगे।

मैं:= यार लगता है नानाजी ने हमें कल देख लिया।
नेहा:=मुझे भी ऐसा लगता है। देख न कल से ही तो वो हमसे कैसे बर्ताव कर रहे तुझे और मुझे छूने की कोशिश और सुबह भी तो....
मैं:= हा यार सही कह रही है तू।पहले कभी उन्होंने ऐसा नहीं किया। शायद पेड़ के निचे बैठ के जो बाते हम कर रहे थे वो भी सुन ली।
नेहा:= अगर ऐसा है तो ठीक है न यार मैं तो रेडी हु उनसे चुदने को बिस सालकी हो गयी हु यार बहोत तड़पती है (उसने चूत की और इशारा किया) बोल तू भी चाहती है ना?
मैं:==नहीं बाबा मैं नहीं......मैं इस मामले में थोड़ी शर्मा रही थी पर मन ही मन मैं भी यही चाहती थी क्यू की आग लगी पड़ी थी चूत में उसे बुझानी तो पड़ेगी।
हम कुवे के पास आ गए नानाजी एक टोकरी में आम और तरबूज लेके आ गए। दोनों हाथो में आम पकड़ कर मेरी चुचियो की ओर देखते हुए बोले....
नानाजी:= कितने बड़े बड़े है अंदर से कितने मीठे होंगे?
मैं तो शर्मा के लाल लाल हो गयी।नेहा को समझ आ गयी बात । हम एक दूसरे की तरफ देखा फिर नेहा ने कहा।
नेहा:= तो देख लीजिये ना खाके आपको रोका किसने है? वो मेरे कंधो पे दोनों हाथ रखके और अपना चेहरा हाथो पे रख के कुछ अलग ही अंदाज से बोली।
नानाजी:=खाऊंगा बेटी पर थोडा पकाना पड़ेगा। 
मैं शर्मा के निचे देख के मुस्कुराती रही और उनकी बाते सुनने लगी।
नेहा:= तरबूज तो खा ही सकते हो ना दादाजी।
 
नानाजी:= ह्म्म्म हा सुबह बस छुआ था तरबूज को बड़ा मजा आ रहा था। अब तो खाके देखना ही पड़ेगा। ये तो यकीनन पक गए है। बड़ा मजा आएगा इनको खाने में।
अब शरमाने की बारी नेहा की थी। वो झटके से खड़ी हुई और नाखून एक दूसरे पे घिसते हुए निचे देखने लगी।ये डबल मीनिंग बाते सुनके बड़ा मजा आ रहा था।
मैं:= नानाजी इस साल गन्ना क्यू नहीं लगाया हमें भी तो मजा आता गन्ना खाके?
नानाजी:= लगा दूंगा बेटी फिर मजे करना गन्ना चूस के।
बापरे इसके बाद न मैं और नेहा कुछ बोल पायी। हमने वो आम और तरबूज लिए और घर की और निकल पड़े।
नेहा:=यार दादाजी तो बड़े चालू निकले क्या बाते कर रहे थे लगता है वो हम दोनों की जवानी देख के पागल हो चुके है खासकर तेरे आम पे तो ऐसे नजर टिकाये थे वो हाय रे...
मैं:=हा न यार मेरी हार्ट बीट तो एकदम फुल स्पीड में दौड़ रही है अबतक
नेहा:=हा क्या?अभी से ये हाल है अगर वो सचमुच तेरे आम चूसने लगेंगे तो क्या होगा तेरा?
मैं:=क्या होगा?मैं भी उनका गन्ना चूस लुंगी...
ऐसा बोल के हम दोनों ने एकदूसरे को ताली दी और हंस पड़े।

रात को खाने के बाद एक चॅनेल पे मेरी fvrt मूवी आ रही थी ddlj मैं उसे देखने लगी और सबको पता था मैं उसे पूरा देखे बगैर सोने नहीं वाली। थोड़ी देर में सब जाने लगे नेहा भी जाने लगी तो मैंने उसे रोका तो वो कहने लगी यार तू देख मैं रितेश को फ़ोन करती हु मुझसे रहा नहीं जा रहा।
मैं अकेले ही टीवी देखने लगी। मैं सोफे पे लेटी थी। नानाजी ने देखा की हॉल में कोई नहीं है तो वो तेल की बोतल लेके आ गए और मुझसे थोड़ी चम्पी करने को कहा ।
मैं सोफे पे बैठ गयी वो निचे बैठ गए। मैंने अपने पैर थोड़े फैला दिए जिससे उनका सर मेरी गोद में आ गया था। मैं टीवी देखते देखते मालिश करने लगी। नानाजी अपना सर पीछे करने लगे लेकिन मैं बहोत पीछे होने की वजह से कुछ हो नहीं रहा था। मैं थोडा आगे खिसकी जिसकी वजह से उनका सर अब मेरी चूत से कुछ ही इंच की दुरी पे था मैं उनका इरादा समझ रही थी और मुझे भी अब इस छेड़छाड़ का मजा आने लगा था।
 
मै मालिश करते वक़्त अपनी चूत से टच करवा देती जिसकी वजह से उनका लंड अब खड़ा होना सुरु हो गया था। जिसको वो छुपा नहीं रहे थे उल्टा बिच बिच में उसे पकड़ कर सहला देते। मेरी चूत में और शरीर में झनझनाहट होने लगी थी। नानाजी बोले बेटा थोडा सर भी दबा दे। मैंने उनका सर पीछे लिया और चूत पे दबा दिया उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ क्या फीलिंग थी पहली बार किसी मर्द का शरीर मेरे चूत के इतने करीब था। 

मैं थोडा दबाव बना के उनका सर दबा रही थी।और साथ साथ अपनी चूत भी थोडा आगे ले जाके उनके सर से टच करा रही थी।मेरी मुलायम चूत का स्पर्श से नानाजी बहोत उत्तेजित हो चुके थे मैं ऊपर से देख रही थी उनका लंड अब पूरा कड़क हो चूका था। बिच बिच में वो उसे पकड़ के मसल रहे थे। मन तो किया की मैं ही पकड लू पर खुद को काबू में किया।
फिर मैंने नानाजी के सर पे अपना चीन रखा और पूछा नानाजी बस हो गया या और दबाउ? नानाजी बोले। "मजा तो बहोत आ रहा है पर ठीक है" मैं समझ गयी की उनको मजा किस चीज का आ रहा है। 

उन्होंने अपना हाथ मेरा गाल पकड़ने के लिए पीछे की तरफ लाया लेकिन मैं तब तक अपना चीन उठा चुकी थी जिससे उनके हाथ सीधा मेरी चुचियो पे आ लगा और उनके हाथ में मेरी एक चूची आ गयी उफ्फ्फ्फ्फ़ पहली बार मेरी चुचियो को किसी मर्द का हाथ लगा था मेरे मुह से आउच निकल गया। नानाजी समज गए की उनका हाथ मेरी चुचियो को लगा है....उन्होंने पूछा क्या हुआ? मैंने कहा कुछ नहीं। उन्होंने ने भी आगे कुछ नहीं कहा।
नानाजी:=तुम्हे सोना नहीं है क्या।
मैं :=बस ये मूवी खत्म होने को है फिर सोती हूँ।
 
नानाजी := चल ठीक है मैं तेरे सर में मालिश कर देता हु। 
मैंने ठीक है कहा और निचे बैठ गयी । नानाजी सोफे पे बैठ गए और जैसे मैं आगे खिसक के बैठी थी वैसेही वो बैठ गए। उनका लंड सीधा मेरी गर्दन से होता हुआ मेरे गाल के पिछले हिस्से को छु रहा था । उम्म्म्म्म्म क्या मजेदार टच था वो । नानाजी तेल लगाते वक़्त मेरा सर आगे पीछे कर रहे थे और मैं ज्यादा से ज्यादा अपनी गर्दन उनके लंड से रगड़ रही थी।

मेरी हालात उस लंड के टच की वजह से बिगड़ती जा रही थी। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी बस पूछिये मत। नानाजी ने अब मेरा सर अपने लंड पे दबा दिया और मेरा सर दबाने लगे मैं बहकती जा रही थी। मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो पा रहा था। मैंने नानाजी से कहा बस हो गया और मैं खड़ी हो गयी।

नानाजी ने पूछा क्या हुआ अच्छा नहीं लग रहा?ऐसे बोलके उन्होंने अपना हाथ लंड पे रखा।मैं भी उनके लंड को खुले आप देखते हुए बोली "वो बहोत सख्त है ना....5 Sec का पॉज फिर बोली आपके हाथ तो थोडा सर भारी लग रहा है।ओके मैं जाती हु सोने। ऎसा बोल के मैं ऊपर जाने के लिए मूडी और चलने लगी और नानाजी मेरी मटकती गांड को देख के अपना लंड मसलने लगे।
 
मैं दौड़ते हुए रूम में गयी. मैंने देखा नेहा सो रही थी. मैंने उसे जगाया और साड़ी बात काटछांट के बता दी. जो मैंने किया वो नहीं बताया जानबुझ कर।

नेहा:~ वाओ क्या बात है यार दादाजी तो एकदम फुल फॉर्म में है। काश तेरी जगह मै होती तो अबतक दादाजी का लंड अपनी चूत में ले चुकी होती।
मैं:= पागल है तू...इधर मेरी हालत खराब है और तू है की...
नेहा:= (आँख मारके) तेरी या तेरी चूत की?
मैं:= चुप कर...कुछ भी बोलती है।
नेहा:= सच बोल रही हु मेरी जान...दिखा तो जरा पक्का पूरी पॅंटी गीली होगी तेरी।
मैं:=तू ना पगला गयी है। तुझे ना दीवाना बना दिया है नानाजी के लंड ने।
नेहा:= क्यू तुझे नहीं बनाया क्या?
मैं :=नहीं नहीं नहीं....इतना ही है तो जा नानाजी होंगे हॉल में जाके बोल दे की दादाजी आईये और चोदिये मुझे ...मेरी चूत आपके लंड के लिए बेताब है।
मैंने थोड़ी एक्टिंग करते कहा।
नेहा :=हा यार ये सही है....चल मैं आती हु चुदवा के....
ऐसा बोल के नेहा उठी और जाने की एक्टिंग की। मैंने उसे पकड़ा और वापस बिठा दिया और बोला:= तू सच में काम से गयी।
नेहा:= (सर पे हाथ उल्टा रखते एक्टिंग करते हुए) 'काम' ने मुझे काम का नहीं छोड़ा।
हमेशा की तरह एक दूसरे को ताली दी और हँसने लगे और सोने लगे।
आज सच में बहोत मजा आया।मैं थोड़ी देर और रुक जाती तो पक्का कुछ न कुछ हो जाता। मैं उन सब बातो के बारे में सोचते हुए सो गयी।
नेहा के मन में कुछ और ही चल रहा था। वो कुछ प्लान कर रही थी। उसे अपने आप पर काबू नहीं रखा जा रहा था। उसे बस अब अपनी चूत फड़वानी थी।
नानाजी भी कुछ अलग नहीं थे। वो भी नेहा और माधवी की जवानी को याद करके मुठ मारे जा रहे थे।
 
सुबह हमेशा की तरह सब चल रहा था। मैं नानाजी से नजरे नहीं मिला पा रही थी। लेकिन नेहा मौका देख के नानाजी के करीब चली जाती। नानाजी भी मौका नहीं छोड़ रहे थे कभी नेहा की चुचियो को छू लेते कभी उसकी गांड को। सब को कुछ समझ नहीं आ रहा था पर मुझे सब समझ आ रहा था। मैंने नेहा से कहा भी तो वो बोली कुछ नहीं होता यार। नानाजी खेत में चले गए। 

हमारी रोज के गेम्स और मस्ती होती रही दिन भर फिर श्याम को खेत में जाने के लिए हम दोनों निकले। नेहा ने आज white कलर का चूड़ीदार और कुरता पहना था। पता नहीं उसके मन में क्या चल रहा था पर वो बहोत एक्साइटेड नजर आ रही थी।
हम चारो और घूमते घूमते खेत पहुचे। नानाजी हमें देख के बड़े खुश हुए। खेत में आज कोई मजदूर नहीं था। नानाजी कुवे के पास बैठकर कुछ रस्सी का बना रहे थे। शायद वो बैल गाय को बांधने वाली रस्सी ।

जैसे हम वहा पहुचे नानाजी ने हमें वो पेड़ पे ही पके हुए आम दिए। हम वहा छाव में बैठ के आम खाने लगे। तभी नेहा के कपड़ो पे आम की गुठली गिर गयी जिससे उसका white ड्रेस ख़राब हो गया। वो दाग ज्यादा गहरा न हो इसलिए वो पट से उठी और जानवरो को पानी पिलाने के लिए जो सीमेंट का बड़ा सा टैंक रहता है वहा जाके धोने लगी। और मुझे आवाज देने लगी। मुझे लगा क्या हुआ और क्या नहीं इसलिए भागती गयी। तो वो बोली चल नहाते है।मैंने मना किया लेकिन वो नहीं मानी।
खेतो को पानी देने के लियें मोटर पंप सुरु था। उसने छोटा नॉब सुरु किया जो टैंक भरने के लिए रहेता है। और ओढनी निकाल के अंदर कूद गयी। मैं भी अंदर जाके पानी में भीगने का मजा लेने लगी। लेकिन जब मैंने नेहा को देखा तो मेरे होश उड़ गए। उसने ब्रा या स्लीप कुछ नहीं पहना था अंदर भीगने की वजह से वो कॉटन ड्रेस उसके शरीर से चिपक गया। उसके बूब्स पुरे नजर आ रहे थे उसके काले काले निप्प्ल्स जो ठन्डे पानी एरेक्ट हो चुके थे वो साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे। और उसने अंदर पॅंटी भी नहीं पहनी थी उसकी गांड तो कमाल की लगरही थी। उफ्फ्फ तो ये सारा प्लान करके आई थी वो।
नानाजी को जब ये दिखा तो उनके होश उड़ गए। वो टैंक से 5 फ़ीट दुरी पर होंगे वो सब साफ़ साफ़ देख सकते थे। उन्होंने काम छोड़ दिया और हमें देखने लगे। नेहा इतरा इतरा के उन्हें सब दिखा रही थी। कभी अपने चुचिया तो कभी अपनी गांड । मेरे कपडो में से कुछ नहीं दिख रहा था । मुझे नेहा पे बड़ा ग़ुस्सा आया।
 
नेहा अब वो नल के निचे खड़ी हो के उसका पानी अपनी चुचियो ले रही थी। और वो नानाजी को इस तरह देखे जा रही थी की बस पूछिये मत। नानाजी भी पीछे नहीं थे वो भी खुले आम अपना लंड सहला रहे थे। ये देख के नेहा और भी मादक अदाएं दिखाने लगी। उसने अपना कुरता ऊपर उठाया और अपनी गांड नानाजी की तरफ करके झुक गयी और मेरे साथ पानी में मस्ती कर रही है ऐसा दिखाने लगी। जिसकी वजह से उसकी गांड बिलकुल नंगी जैसे दिखाई दे रही थी। और उसके चूत भी साफ़ साफ़ नजर आ रही थी।

वो बिलकुल राम तेरी गंगा मैली वाली मंदाकिनी नजर आ रही थी। हम ने थोड़ी देर मस्ती की फिर हम लोग बाहर आ गए। नेहा तो बाहर आने के बाद पूरी तरह से नंगी ही दिख रही थी।नानाजी उसे बस देखे जा रहे थे। आज अगर वो अकेली होती तो यकीनन नानाजी उसे चोद देते। खैर हम घर आये मैंने उसे बहोत डाटा उसने कहा यार वो मैंने टाइम पे तय किया। लेकिन वो मुझे बोली की आज रात को हम दोनों देर तक टीवी देखेंगे। मैंने सोचा चलो देखते है क्या होता है।

रात को खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने लगे। नेहा ने जानबुज कर डिस्कव्वरी लगा दिया जिससे सब उठ के जाने लगे। हम दोनों फिर टीवी देखते हुए इधर उधर की बाते करने लगे। और नानाजी का इंतजार करने लगे। लेकिन वो नहीं आये। रात के 11.45 बज चुके थे। नेहा को रितेश के फ़ोन आ रहे थे लेकिन उसने कह दिया की आज बात नहीं हो सकती। मैंने नेहा से कहा चल यार चलते है।

नेहा बोली रुक न यार। थोड़ी देर और। फिर मैंने कहा लगता है नानाजी हम दोनों है इस वजह से नहीं आ रहे । नेहा बोली ठीक है तू जा मैं 10 मिनट में आती हु। अगर नहीं आयी तो तू आ जाना।मैंने कहा ठीक है। मुझे बड़ी नींद आ रही थी। मै जाकर लेट गयी। पानी में नहाने की वजह से सुस्ती सी चढ़ रही थी। मै लेटते ही सो गयी।
 
जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा 1 बज रहे थे । मैंने नेहा को फ़ोन लगाया पर उसने उठाया नहीं। मैंने सोचा की शायद हॉल में ही सो गयी। इसलिए उसे उठाने के लिए निचे गयी तो मैंने देखा हॉल में नेहा सोफे पे बैठ के टीवी देख रही थी। और नानाजी अपने कमरे की और तेजी से जा रहे थे। मैं उसके पास गयी और उसको कहा चल ना क्या कर रही है अकेली? उसपे नेहा ने कहा। "" 10 मिनट देरी से आती तो क्या बिगड़ जाता तेरा?""
मैं:= क्या हुआ? और वो नानाजी ही थे ना? चल जल्दी से बता क्या हुआ?
नेहा:= हा चल ऊपर रूम में चलते है....सब बताती हु। और तू वापस क्यू नहीं आयीं? मुझे लगा की तू छुपके सब देख रही है।
मैं:=अरे मुझे नींद लग गयी थी।
हम अपनी रूम में आ गए। फिर नेहा मुझे सब बताना सुरु किया।
नेहा====== तू जैसे ही गयी वैसे दादाजी आ गए।
वो:=अरे नेहा माधवी कहा गयी? और अकेले ही टीवी देख रही है?क्या हुआ?
मैं:=वो कुछ नहीं ये प्रोग्राम अच्छा लग रहा है इसलिए देख रही हु। आप सोये नहीं अब तक?
वो:= नहीं खेतो में काम जादा था आज सो पूरा बदन अकड़ रहा है।
नेहा:= आप कहे तो दबा देती हु। बचपन में कितना दबाने को बोलते थे।
वो:= हा ठीक कह रही है तू।
वो निचे फर्श पर डाली हुई मैंट पर ही उल्टा लेट गए। मैं उनके कमर के दोनों तरफ घुटने पे बैठ के पीठ हाथो से दबाने लगी। उन्होंने मुझे बैठने को कहा। मैं उनकी गांड पे अपनी गांड टिका के बैठ गयी । मेरी नरम मास्सल गांड का स्पर्श उन्हें अच्छा लग रहा था। मुझे भी अच्छा लग रहा था मैं मस्त अपनी गांड और चूत रगड़ रही थी। मेरी तो चूत में पानी आना भी सुरु हो गया था।
 
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