non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस - Page 4 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

non veg story झूठी शादी और सच्ची हवस

[size=large]उस रात भी मैंने बिस्तर में घुसते ही ट्राउजर उतार दिया। अभी जेहन सेक्स की तरफ घूम ही रहा था कि घर में कुछ आहटें महसूस हुईं और फिर कुछ लम्हों में बाजी रूम में दाखिल हो गईं। मैं उनसे बात के लिये उठने का सोच ही रही थी कि वो लाइट ओन के बगैर रूम के पिछले दरवाजे की तरफ बढ़ीं, जहाँ अली भाई उनका इंतजार कर रहे थे। 
[/size]



मैं दीवार की तरफ चेहरा करके सोती बन गई। अली भाई खामोशी से रूम में घुस गये। उन दोनों ने सरगोशी में कोई बात की और फिर बाजी नाइट ड्रेस पहनकर मेरे बिस्तर में घुस गईं। मैं ऐसा कुछ एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी। लिहाफ़ में घुसते ही बाजी को फौरन अंदाज़ा हो गया कि मैं नंगी लेटी हुई हूँ। बाजी ने मेरे चूतड़ पर हाथ फेरकर चेक किया कि मैंने पैंटी भी पहन रखी है या नहीं? वो कुछ सेकेंड लेटी रहीं और मुझे सोता समझकर सर पे किस किया और बिस्तर से निकल गईं। 



लिहाफ़ के अंदर मुझे इस हालत में महसूस करके बाजी के लिये ये अंदाज़ा लगाना यकीनन मुश्किल नहीं होगा कि मेरे दिल-ओ-दिमाग में उन दिनों क्या चल रहा था? बाजी के जाने के बाद मैंने बहुत गैर महसूस तरीके से लिहाफ़ के अंदर ही हाथ पैर घुमाकर अपना ट्राउजर तलाश करने की कोशिश की, लेकिन नहीं जानती थी कि वो बेड से नीचे गिर चुका है। 



बाजी को यकीन था के मैं सो चुकी हूँ और अब मेरा जागना मुश्किल है। रूम में कुछ फुसफुसाहटों के बाद आवाज़ का वाल्यूम जब बढ़ने लगा तो अली भाई रूम का बैक दरवाजा खोलकर बाहर निकल गये और बाजी भी फौरन उनके पीछे बाहर चली गईं। यकीनन उनके बीच किसी बात को लेकर बहस चल रही थी। मैंने चाहा कि फौरन उठकर अपना ट्राउजर तलाश करके पहन लूँ लेकिन ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहती थी क्योंकी बाजी किसी भी वक़्त दोबारा रूम में घुस सकती थीं। 



मेरी आँखें अंधेरे के साथ अभ्यस्त हो गई थीं और अब लाइट आफ होने के बावजूद मुझे रूम में सब साफ-साफ दिख रहा था। कुछ देर बाद बाजी रूम में वापिस आईं और अली भाई भी उनके साथ आ गये। मेरा जेहन ये कह रहा था कि शायद बाजी जो चाहती थीं अली भाई रूम में मेरी मौजूदगी की वजह से उसपर राज़ी नहीं हो रहे थे। बाजी ने डबल हीटर ओन कर दिया जिसकी वजह से कमरा गरमी से तप रहा था और लिहाफ़ में मेरा जिश्म पशीने में शराबोर होने जा रहा था। 







मैं बेड पर अपनी साइड चेंज कर चुकी थी, अब मेरा चेहरा बाजी के बेड की तरफ था लेकिन मैंने अपना मुँह लिहाफ़ में इस तरीके से ढक रखा था कि लिहाफ़ का साया मेरे चेहरे पर होने की वजह से किसी को अंदाज़ा नहीं हो पा रहा था कि मेरी आँखें खुली हैं या बन्द। अली भाई जिस अंदाज से बाजी के बेड के कोने पर खामोशी से सर झुकाए बैठे थे, उससे ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं था कि वो उस वक़्त रूम में मेरी मौजूदगी की वजह से कसमकश में थे, बाजी का जो करने को मूड था वो उससे उन्हें रोकना भी चाहते नहीं थे और रोक पा भी नहीं रहे थे। 



कुछ देर बाद बाजी की अलमारी खुलने और बन्द होने की आवाज़ आई और अगले ही लम्हे वो बिल्कुल नंगी मेरी नज़र के परदे में दाखिल हुईं। वो सीधा अपने बेड पे चढ़ गईं और अली भाई को कंधे से पकड़कर बेड पे खींचने की कोशिश की। अली भाई अपने मोजे उतार ही रहे थे कि बाजी बेड से उतर आईं, उन्होंने मोजे उतरने के बाद उनकी पैंट की जिप खोलना शुरू कर दी और झट से पैंट उतारकर सोफा पर फेंक दी। अंडरवेर अभी नहीं उतारा था लेकिन मुझे बाजी का चेहरा अली भाई के लंड पर झुका हुआ नज़र आया। वो यकीनन लंड चूसकर उसे खड़ा करना चाह रही होंगी ताकी उनका ध्यान रूम में मेरी मौजूदगी के एहसास से हटे। 





मैं खामोशी से बेगैरतों की तरह ढीठ बनकर ये सब देखती रही। लंड चूसते-चूसते ही बाजी ने अली भाई का अंडरवेर उतार दिया और वो भी फौरन शर्ट उतारकर लिहाफ़ में घुस गये। वो इतने शर्मीले तो हरगिज़ नहीं होंगे, लेकिन शायद उनके जेहन के किसी कोने में ये बात थी कि कहीं निदा ये सब देख ना ले। मैं घुन्नी बनी आँखें फाड़-फाड़कर उस मंज़र से लुत्फ ले रही थी। 



बॉडी शो से बचने के लिये उन्होंने बाजी को लिहाफ़ के अंदर खींच लिया और बाजी भी घुसते ही फौरन अली भाई के ऊपर चढ़ गईं। दोनों लिहाफ़ के अंदर थे और मैं सिर्फ़ लिहाफ़ का हिलना ही देख पा रही थी। उनके चेहरे तब नज़र आए जब लिहाफ़ थोड़ा नीचे हुआ। मैंने देखा कि बाजी के होंठ अली भाई के मुँह में थे। मैं अंदाज़ा नहीं लगा पा रही थी कि उस वक़्त अली भाई का लंड बाजी की चूत में था या नहीं? किसिंग का नशा पूरा करने के बाद बाजी सवारी करने की पोज़ीशन में जब अली भाई की टांगें पर बैठीं तब उनके जिश्म को मिलने वाले हल्के से झटके से मुझे अंदाज़ा हुआ कि लंड उनकी चूत में जा चुका है। 



बाजी ने अली भाई के सीने पर हाथ टिकाकर जैसे ही लंड के ऊपर मूव करना शुरू किया, अली भाई ने कुछ सोचकर फौरन उन्हें अपने साथ लिटाकर फिर से लिहाफ़ के अंदर कर दिया। वो दोनों चुदाई भी कर रहे थे लेकिन उनके बीच एक खामोश कसमकश भी चल रही थी जिसे मैं एंजाय किये बगैर रह नहीं सकती थी। बाजी की बेचैनी देखकर मुझे एहसास हो रहा था कि एक मर्तवा अगर लंड का मज़ा पड़ जाये तो फिर वो जान नहीं छोड़ता। मैं ख़ुदा का शुकर अदा कर रही थी कि मुझे अभी तक ऐसा चस्का नहीं पड़ा, क्योंकी मेरे पास तो बाजी जैसे मौके भी नहीं थे। 




[size=large]बाजी जो चाहे कर सकती हैं घर के अंदर भी और शायद बाहर भी। सेक्स करते वक़्त खुद जिस्मों में अच्छी खासी गर्मी भर जाती है। फिर पता नहीं बाजी को क्या सूझी थी कि उन्होंने डबल हीटर ओन कर दिए थे। एक तो मेरा जिश्म पशीने में शराबोर था और दूसरा मैं सेक्स के एहसास के बावजूद मूव नहीं कर पा रही थी क्योंकी इधर मैंने ज़रा सी भी जुम्बिश की तो दूसरी तरफ फौरन बाजी के बेड पर संकट खड़ा हो जायेगा और मैं बाजी के मूड को खराब नहीं करना चाहती थी। [/size]
 
उस रोज मुझे ऐसा लगा कि पॉर्न फिल्मों और असली लाइफ सेक्स में बहुत डिफ़रेंस होता है। पॉर्न में तो सब कुछ इतना खुला-खुला दिखाते हैं और यहाँ दो हंसों का जोड़ा लिहाफ़ के अंदर ही एक दूसरे के साथ चिपका हुआ है। जिस लाइव सेक्स शो की मैं कल्पना करके बैठी थी वो तो मुझे खाक में मिलता नज़र आ रहा था और सोच रही थी कि अरे बाबा जब मैं सो रही हूँ तो फिर आप लोगों को मुझसे इतना शरमाने की क्या ज़रूरत है? और दूसरे, वोही मेरी फूटी किश्मत कि मुझे फुसफुसाकर कही हुई बातें समझ में नहीं आती थीं। मैं जानती थी कि एक कामयाब बीवी और बहू के लिये कानों का तेज होना बहुत ज़रूरी है, वरना लोग चुगलियाँ खाते रहेंगे और आपको पता भी नहीं चलेगा। 

मैं खयाली दुनियाँ से तब निकली जब बाजी जल्दी से बेड से उतरीं और अलमारी से कुछ निकालकर फौरन फिर से लिहाफ़ में घुस गईं। अलमारी में ऐसा क्या है, जो बाजी बार-बार जा रही हैं? ये सवाल मेरे जेहन में उठ रहा था, लेकिन अचानक ध्यान बाजी की तरफ गया क्योंकी वो लिहाफ़ के अंदर अली भाई का लंड चूस रही थीं। डोगी पोज़ीशन में उनका आधा जिश्म लिहाफ़ से बाहर निकला हुआ था और गान्ड की पोज़ीशन मेरी तरफ थी। बाजी लंड चूसे जा रही थीं, जबकि अली भाई का हाथ बाजी की गान्ड की तरफ आ चुका था और वो पीछे से उनकी चूतड़ों की दराजर और चूत में उंगलियाँ फेर रहे थे। 

बाजी जिस अंदाज में लंड चूसते-चूसते कुछ देर बाद गान्ड को झटका दे रही थीं तो मैं समझ पा रही थी कि उंगली उनकी गान्ड के अंदर जा रही है, क्योंकी जब मेरी दोस्त मेरी गान्ड में इस तरह उंगली देती थीं तो मुझे भी झटके लगते थे। जैसे-जैसे अली भाई अपनी उंगलियाँ बाजी के छेदों में अंदर करते जा रहे थे बाजी की लंड चूसने की स्पीड भी बढ़ती जा रही थी। 

मैंने अंदाज़ा लगा लिया था कि लिहाफ़ के दूसरे साइड से यकीनन बाजी ने चेहरा बाहर निकाला होगा, क्योंकी इस तरह तो दम घुट जाता है। कुछ मिनटों बाद अली भाई झटके से उठे और फौरन लंड बाजी के मुँह से निकाल लिया। इसके साथ ही बाजी एक सेकेंड जाया किये बगैर टांगें खोलकर बेड पे लेट गईं और अली भाई उनके ऊपर चढ़ गये। उन्होंने लंड बाजी की चूत में डाला और जोर-जोर से उन्हें चोदने लगे। 

पहली दफा मैंने बाजी के मुँह से निकले हुए शब्द साफ-साफ सुने जब उन्होंने कहा-“जोर-जोर से करो, पूरा अंदर करो। जल रहा है जिश्म मेरा…” 

अली भाई ने बाजी की एक टाँग अपने बाजू से उठाई और कवी पोज़ीशन में ऊपर रहकर बाजी की चुचियाँ चूसने लगे। बाजी की आवाज़ तेज होती जा रही थी और मुझे अब लंड चूत में अंदर बाहर होने की आवाज़ें भी सुनाई दे रही थीं। अली भाई अपना एक हाथ बाजी की कमर के नीचे ले गये और बाजी ने अपने दोनों चुचियों को हाथों में पकड़कर उन्हें अली भाई के मुँह में देना शुरू कर दिया। बाजी की एक टाँग हवा में लहरा रही थी और उनका जिश्म चुदाई के दौरान बहुत तेज़ी से झटके खा रहा था। 

अली भाई की कोई आवाज़ सुनाई नहीं दी, लेकिन बाजी अब पॉर्न फिल्मों की तरह आवाज़ें निकाल रही थीं। लिहाफ़ बेड से नीचे गिर चुका था और वो दोनों रूम में मेरी मौजूदगी से बेनिया ज हो चुके थे। मुझे अली भाई का लंड देखने का शौक हो रहा था, लेकिन वो ऐसी पोज़ीशन में थे के मुझे दिख ही नहीं पा रहा था। 

पॉर्न में तो बहुत सारे लंड मैंने देखे थे और बाद में जब भी मैं सेक्सुअल हीट महसूस करती थी तो उन लंडों को कल्पना में ही चूस-चूसकर खुश होती रहती थी, लेकिन आज लाइव शो में लंड दिख ही नहीं रहा था। दूसरी तरफ बाजी ने भी अब अपनी टांगें अली भाई की कमर के गिर्द लपेट ली थीं और अली भाई के झटकों के साथ वो भी नीचे से अपनी चूत को ऊपर करके झटके मार रही थीं। मैं सामने के मंज़र में इस कदर खो चुकी थी कि मुझे एहसास ही नहीं हो सका की किस लम्हे मेरी उंगली मेरी चूत में गई और कब मेरी जांघें चूत के पानी से गीली हो गईं।
 
[size=small][size=large]मैं उंगली कभी चूत में ज्यादा अंदर नहीं करती थी। लेकिन उस रात मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि बयान नहीं कर सकती। मैं उस वक़्त किसी पॉर्न-स्टार के लंड को अपनी चूत में कल्पना कर रही थी, मेरे चूतड़ हल्के-हल्के हिल रहे थे और मैं उंगली को लंड की तरह अंदर बाहर कर रही थी। मेरा फ्लो उस वक़्त टूटा जब अली भाई ने बाजी के होंठ पे काटते हुए जोर-जोर से चोदना शुरू किया। 

तो बाजी ने उन्हें रोकते हुए कहा-“अभी फिनिश नहीं करना। अभी तो मैं गरम हुई हूँ। ठंडा होने की कोई ज़रूरत नहीं…” 

अली भाई बाजी की नाक होंठों में लेकर उन्हें छेड़ रहे थे, लंड बाजी के चूत में ही था लेकिन कोई मूव नहीं कर रहा था। 

बाजी अपना हाथ चूत की तरफ ले गईं और लंड बाहर निकालकर बोलीं-“बहुत गीला हो रहा है…” 

अली भाई जब बाजी के ऊपर से उठकर घुटनों के बल आए तो बाजी भी अपनी टांगें निकालकर अली भाई के सामने बैठ गईं। ये वो मोका था जब मैंने पहली बार अली भाई का लंड देखा। वो कितना गीला था ये तो समझ नहीं पाई लेकिन ठीक-ठाक बड़ा लंड था, जिसे बाजी अपने हाथ में पकड़कर सहला रही थीं, फिर उन्होंने नशे में होकर लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। 

मैं समझ सकती थी कि बाजी को कितना मज़ा आ रहा होगा, क्योंकी मैंने भी जब से पॉर्न में लड़कियों को लंड चूसकर खुश होते देखा था, मेरा बहुत मन करता था कि मैं भी लंड चूसूं। मैं तो अपने तौर पर जेहन में नित नये तरीके सीखती थी लंड चूसने के और उस वक़्त तो बहुत ज्यादा दिल ललचाता था जब लंड डिस्चार्ज हो रहा होता और लड़की साथ-साथ चूस रही होती थी। 

मैं हमेशा सोचती थी कि काश वो लड़की मैं होती। जो मज़ा लेने का मेरा शौक परवान चढ़ रहा था, उस वक़्त वोही मज़ा बाजी ले रही थीं और जिस तरह वो पूरा लंड मुँह में घुसाकर बाहर निकालतीं और फिर अंदर करतीं, मेरी चूत से पानी के फौवारे निकलते महसूस होते। मैं अपना लिहाफ़, टांगें और बेड शीट ठीक-ठाक गीली कर चुकी थी। लंड बाजी चूस रही थीं और पानी मेरे मुँह में आए जा रहा था। अच्छा हुआ कि बाजी ने मेरी मुश्किल आसान करने का सोचा और बेड पर पहले उल्टा लेटीं, लेकिन अली भाई ने उनको साइड पोज़ीशन में लिटा दिया और उनके पीछे लेटकर लंड उनके अंदर डाल दिया। 

बाजी ने इस मर्तवा दो-तीन झटके मारे और आवाज़ें निकालीं लेकिन कुछ लम्हों बाद वो भी गान्ड को मूव करने लगीं और अली भाई भी उन्हें पीछे से चोदने लगे। 

मैं यकीन से नहीं कह सकती कि उस वक़्त लंड बाजी की चूत में था या गान्ड में। मेरा अंदाज़ा है कि गान्ड में ही डाला होगा, क्योंकी बाजी की गान्ड भी बहुत सेक्सी है मेरी तरह और ये हो ही नहीं सकता कि मैं या बाजी किसी लड़के के सामने नंगी हों और वो हमारे साथ अनल सेक्स का ना सोचे। इसीलिये कम से कम मुझे तो हमेशा से अनल सेक्स का बहुत ज्यादा शौक रहा है। गर्मी से मेरी हालत खराब हो रही थी, लेकिन नंगी होने की वजह से अपने ऊपर से लिहाफ़ भी नहीं हटा सकती थी। बाजी सेक्स के चरम पर थीं और उन्हें अपनी आवाज़ पर कंट्रोल नहीं रहा। 

शुरू में तो फुसफुसाहटों का राज था लेकिन अब बाजी उस हद तक आवाज़ें जरूर निकाल रही थीं कि रूम के अंदर अगर बंदा हो तो वो सुन सके। उनको वाय्स कंट्रोल की ठीक-ठाक प्रेक्टिस थी इसलिए उन्होंने वाल्यूम की वो लिमिट कभी क्रॉस नहीं की कि आवाज़ कमरे से बाहर जा सके। अली भाई ने बाजी को पीछे से कसकर पकड़ रखा था और उनके होंठ बाजी की पीछे गर्दन पर थे। 

अचानक अली भाई ने बाजी को उल्टा किया और जोर से झटके लगाने लगे। 
[/size][/size]
 
[size=small][size=large][size=large]बाजी की आवाज़ आई-“डीप और डीप… उफफ्र्फ… निकलना मत… थोड़ा रुक जाओ…” 
लेकिन शायद सिचुयेशन डिस्चार्ज की तरफ जा रही थी इसलिए बाजी अली भाई के नीचे से निकलीं और उनको सीधा लिटाकर लंड के ऊपर घोड़ी (पीठ अली भाई की तरफ और चेहरा भाई के पैर की तरफ) पोज़ीशन में बैठ गईं और उनकी गान्ड बहुत तेज़ी से आगे और पीछे की तरफ मूव कर रही थी। 

मैं किसी हद तक लंड बाजी की चूत के अंदर जाता हुआ देख रही थी। जैसे-जैसे बाजी की मूवमेंट तेज हुई अली भाई रुक गये और बाजी कुछ लम्हों बाद लंड के ऊपर बैठे-बैठे बिल्कुल मुड़ गईं, उनका चेहरा अली भाई के घुटनों को छू रहा था। बाजी की टांगें जैसे तड़प रही थीं। 
अली भाई यकीनन कुछ देर पहले ही डिस्चार्ज हो चुके थे और बाजी उस वक़्त ओर्गज्म के क्लाइमेक्स का मज़ा ले रही थीं। तेज-तेज सांसें चलने की आवाज़ आ रही थी। 

कुछ देर बाद जब बाजी के होश बहाल हुए तो वो लंड पर से उठीं और वाइप्स का पैकेट अली भाई को देते हुए उनके पहलू में सीधा लेट गईं। मैं अपनी जगह चकित लेटी हुई थी और मेरे चेहरे और बालों में पशीना इतना ज्यादा था जैसे मैं अभी-अभी शावर से निकलकर आई हूँ। मैं मोके की तलाश में थी कि किसी तरह लिहाफ़ को ज़रा उठाकर ताजा हवा अंदर आने दूँ। 

मैं अभी इसी उलझन में थी कि पता नहीं बाजी को अचानक क्या सूझी कि वो बगैर कपड़ों के ही बेड से छलाँग लगाकर मेरी तरफ बढ़ीं और सर पर से लिहाफ़ हटाकर मेरे चेहरे को देखने लगीं। मेरा इरादा था कि आँखें फौरन बन्द कर लूँगी लेकिन ऐसा ना कर पाई और अगले ही लम्हे मैं और बाजी एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। बाजी की चेहरे पर शर्मिंदगी साफ नज़र आ रही थी लेकिन बगैर कुछ बोले उन्होंने मेरे माथे पे हाथ रखा और फिर अपना एक हाथ लिहाफ़ के अंदर करके मेरी चूत को चेक किया। 

उनको ये समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि मेरा बिस्तर पशीने और चूत के पानी से गीला हो चुका है। उन्होंने मुझे माथे पर किस किया और फौरन दोनों हीटर आफ कर दिए। मेरी ऐसी हालत देखकर बाजी खुद अपने कपड़े पहनना भूल गईं। वो फौरन अली भाई की तरफ बढ़ीं और उनसे कहा-“अली कपड़े पहनो और कुछ देर रूम से बाहर रूको, शायद निदा की तबीयत खराब है। मैं उसे चेक करती हूँ…” 

अली भाई ने कहा-“ख़ैरियत तो है, क्या हुआ? क्या वो जाग रही है?” 

बाजी ने कहा-“पता नहीं। बस तुम 5 मिनट के लिये बाहर जाओ सिर्फ़…” 

अली भाई ने एक सेकेंड जाया किये बगैर कपड़े पहने और तुरंत लपक कर बैक दरवाजे से बाहर चले गये। बाजी ने फौरन अलमारी से कपड़ा निकाला और मेरे ऊपर से लिहाफ़ हटाकर पूरे जिश्म को कपड़े से साफ किया। मुझे दूसरा नाइट ड्रेस दिया और बेड शीट उतारकर उसपर साफ बेड शीट बिछा दी। मैं खामोशी से खड़ी ये सब देखती रही। 

बाजी ने नया कंबल उतारा और मेरे ऊपर डालते हुये प्यार से बोलीं-“गुड़िया तुम ठीक हो ना?” 

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया। 

तो बाजी बोलीं-“दूसरी तरफ मुँह करके सुकून से सो जाओ…” 

मैं खामोशी से बाजी की हर हिदायत पर अमल करती रही। लिहाफ़, बेड शीट चेंज होने पर मैंने सुख का साँस लिया था। मुझे लिटाकर बाजी ने फौरन बैक दरवाजा खोलकर अली भाई को अंदर बुलाया और फिर से सरगोशियाँ शुरू हो गईं। 

बाजी मेरी सोच, जज़्बात और जिश्म में होने वाली तब्दीलियों और कैफियत का राज जान चुकी थीं। उन्हें ये भी पता चल चुका था कि उनके बेड पर जो कुछ होता रहा, वो सब मैंने अपनी आँखों से देख लिया है। जिश्म पुरसुकून होने के बाद मुझे नींद के आगोष में जाने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। 
[/size][/size][/size]
 
[size=small][size=large][size=large][size=small][size=large]बाजी मेरी सोच, जज़्बात और जिश्म में होने वाली तब्दीलियों और कैफियत का राज जान चुकी थीं। उन्हें ये भी पता चल चुका था कि उनके बेड पर जो कुछ होता रहा, वो सब मैंने अपनी आँखों से देख लिया है। जिश्म पुरसुकून होने के बाद मुझे नींद के आगोष में जाने में ज्यादा टाइम नहीं लगा। 

सुबह 7:00 बजे बाजी ने जगाकर पूछा-“गुड़िया, कॉलेज नहीं जाना क्या?” 

मैं एक झटके से उठी और फौरन वाशरूम की तरफ भागी। तैयार होकर वापिस आई तो बाजी दूध, ब्रेड टोस्ट और बटर मेरे बेड पर रखकर दोबारा सो चुकी थीं। मैंने जल्दी-जल्दी नाश्ता किया और कॉलेज जाने के लिये घर की दहलीज से बाहर कदम रख दिया। 

ये वो दिन था जो अगर मेरी जिंदगी में ना आता तो आज मैं एक बिल्कुल अकेली लड़की होती। मेरी कमियां अपना असर दिखाने वाली थीं। रात बाजी के रूम में जो कुछ हुआ उसकी जिम्मेदार मैं खुद थी। मैंने ही बाजी और अली भाई की हौसला अफजाई की कि वो रूम में मेरी मौजूदगी से परेशान ना हों। मैंने अगाज में सोने की एक्टिंग करके उन दोनों के साथ धोखा किया था। मैं अगर वो सब ना देखती तो मेरी शादीशुदा जिंदगी इस तरह बर्बाद ना होती। और सड़कों पर मेरे साथ जो कुछ हो रहा था अगर मैं वक़्त पर ही कोई आक्सन ले लेती तो आज का ये काला दिन मेरी किश्मत में ना होता। 
,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं अपने अंजाम से बेखबर कॉलेज की तरफ कदम बढ़ा रही थी। दोस्तों ने बहुत वामद वेलकम किया लेकिन उस रोज मेरा जेहन काफी उलझा हुआ था। मेरा अचेतन मन खतरे को भाँप चुका था। लेकिन वो मेसेज मेरे जेहन को डिलीवर नहीं हो पा रहा था। कॉलेज खतम होते ही मेरे कदम बोझिल होना शुरू हो गये। सभी दोस्त अपने घरों को चली गईं और मैंने उस रास्ते पर कदम बढ़ाना शुरू कर दिय जिसने आज मुझे अंदर और बाहर से तोड़कर रख देना था। 

मुझे याद पड़ने लगा कि अली भाई ने किसी मास्क और पीरू नामी शख्स का जिकर किया था। पीरू कौन था? मैं नहीं जानती थी, वो मास्क कौन सी थी? मैं इससे भी बेखबर थी। मैं आस-पास नज़रें घुमाते हुये घर के रास्ते पर चलने लगी तो मुझे कोई अनयुजअल एक्टिविटी महसूस नहीं हुई। मैं इस बात से बेखबर थी कि मोटरसाइकिल पर एक लड़का बहुत खामोशी से मेरे पीछे-पीछे आ रहा है। भीड़ से निकलकर जैसे ही मैंने मेनरोड की तरफ टर्न लिया, उस लड़के ने फौरन आगे आकर मोटरसाइकल मेरे करीब रोकी। मेरा रंग एक लम्हे में ही पीला पड़ गया और मैं खौफ भरी निगाहों से उसे देखने लगी। 

वो मेरी आँखों में देखते हुए बोला-“ओ खटमलनी, फिकर नहीं करो। सकून से घर जाओ, सब जगह फील्डिंग लगी हुई है…” ये कहकर वो लड़का आगे बढ़ गया। 

और मैं सोचती रह गई कि लड़के की इस बात का क्या मतलब था? कौन खटमलनी? कैसी फील्डिंग? क्या वो मुझे छेड़कर गया है या कुछ बताकर गया है? वो लड़का काफी खुश शकल था बल्की ठीक-ठाक सुंदर था, गुंडा बिल्कुल नहीं लग रहा था। लेकिन मैं उसकी बात का मतलब नहीं समझ सकी। कहीं वो पीरू तो नहीं था? फिर सोचा कि उसका नाम पीरू नहीं हो सकता, क्योंकी पीरू तो बहुत रफ सा नाम है और ये लड़का किसी अच्छे घराने का लगता था। 

खैर… मैंने अपने होश और सांसें बहाल करते हुए उस मनहूस रास्ते पर घर की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया, जहाँ मुझे पिछले कुछ महीनों से सबसे ज्यादा ट्रबल हो रही थी। मेरे इर्द-गिर्द एक्टिविटीस बढ़ने लगीं। कई नज़रें मुझे घूर रही थीं।

मैं उन चेहरों को तलाश करने लगी जो मुझे टारगेट करते थे। लेकिन इस दौरान वो लड़के मेरे बाजू में पहुँच चुके थे। मेरे बिल्कुल करीब मोटरसाइकल रुकी और पीछे बैठे लड़के ने मेरी शलवार पे हाथ डाल दिया। मैं अभी खुद को बचाने का सोच ही रही थी कि एक सुज़ुकी दबा कुछ फासले पर टायर्स को चीरता हुआ मेरे सामने रुका। सामने सीट पर बैठे लड़के ने जोर से चीख मारी और दबे के पीछे बैठे दो लड़के तेज़ी से हमारी तरफ बढ़े। मोटरसाइकल पर सवार लड़के जो काम मेरे साथ करना चाहते थे वो कर चुके थे। 

मेरी शलवार उतर चुकी थी और मैं जैसे ही सड़क पर गिरी, अगले ही लम्हे एक कोहराम मच गया। मुझ पर लज्जा तरी हो चुकी थी और जो मंज़र मैंने देखे वो मैं कभी नहीं भुला सकूँगी।

[/size]
[/size][/size]
[/size][/size]




[size=small][size=large][size=large]समाप्त[/size][/size][/size]
 
Back
Top