hotaks444
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नहीं निर्मला मैं नहीं जा पाऊंगा मुझे ऑफिस में बहुत काम है और कुछ दिनों तक तो मुझे बिल्कुल भी आराम नहीं मिल पाएगा तुम और शुभम चली जाओ। और तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो ले लेना,,,,। ( इतना कहकर अशोक मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और उसे जाते हुए देखकर निर्मला भी मन-ही-मन खुश होते हुए बोली कि मैं भी तो यही चाहती थी कि तुम हमारे साथ ना जाओ,,, अब आएगा गांव में शादी का असली मजा जब सिर्फ मैं और शुभम होंगे,, इस बात को सोचकर ही निर्मला के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव साफ नजर आने लगे,,,,,,,
निर्मला ने जब शीतल को यह बात बताई कि वह कुछ दिनों के लिए गांव जा रही है उसके छोटे भाई की शादी है तो यह खबर सुनकर शीतल पूरी तरह से परेशान हो गई,,,, उसकी परेशानी का सबसे बड़ा कारण था शुभम वह नहीं चाहती थी कि शुभम उसकी आंखों से दूर जाए। क्योंकि अब हालिया हो चुका था कि निर्मला का भी मन शुभम के बिना कहीं नहीं लगता था जब तक वह सुबह का दीदार ना कर ले तब तक उसके मन को चैन नहीं मिलता था। यह खबर बताते समय शुभम भी पास में ही खड़ा था जो कि कल की ओर से शीतल की तरफ देख ले रहा था और शीतल भी शुभम को नजर भर कर देख ले रही थी। निर्मला यह खबर शीतल को बता कर अपनी क्लास की तरफ जाने को हुई थी कि तभी शीतल मौका देख कर शुभम को रिसेस में मिलने के लिए बोली ।
शुभम खुद शीतल से मिलने के लिए मचल रहा था क्योंकि पिछले दिन जिस तरह का जलवा दिखाकर उसने उसके बदन में कामाग्नि की चिंगारी भड़काई थी ऐसे में भला कौन होगा जो दुबारा ऐसी मस्त और कामातुर औरत से मिलने की ख्वाहिश ना रखता हो।
निर्मला ने जब यह खबर अपने क्लास के विद्यार्थियों को सुनाई तो क्लास में उपस्थित लड़कों की हालत खराब हो गई वह लोग निर्मला को हमेशा गर्म आंखों से ही देखते थे। अपनी कामाग्नि के घोड़े को कल्पना की दुनिया में ले जा कर अपने ही हाथ से लंड हिला कर संतुष्ट होने का संपूर्ण साधन उनके लिए निर्मला ही थी। अधिकतर लड़के सुबह स्कूल में आने से पहले बाथरूम में निर्मला के नाम की मुठ मारकर अपनी कामाग्नि को शांत करते थे और फिर जाकर स्कूल आते थे। यही क्रिया वह रात में भी किया करते थे। लेकिन जब उन्हें इस बात का पता चला कि कुछ दिनों तक उनकी नजरें निर्मला के मदमस्त बदन का दीदार नहीं कर पाएंगी तो उनका मन उदास हो गया,,, और जो लड़के इस राज से वाकिफ थे और , बाथरूम के बीच बने छेद में से निर्मला की गांड के दर्शन करते आ रहे थे, वह लोग आज एक बार फिर से अपनी टीचर को जाते-जाते रिसेस में बाथरूम में बने उसी छेंद से अपनी सबसे प्यारी टीचर की भरावदार मदमस्त गांड को देखते हुए अपना अपना लंड हिला कर अपना पानी निकालने का मन बना लिए। सबको रीशेष होने का इंतजार था,, शीतल को बड़ी बेसब्री से इंतजार तारीख में सोने का उपयोग विशेष में वह शुभम से मिलने के लिए तड़प रहे थे और जाते-जाते वह अपने दिल का हाल उससे बयां करना चाहती थी,, शुभम बेरी से सोने का इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे उम्मीद थी की रीशेष में क्लास के अंदर आज फिर से शीतल के मदमस्त बदन का रसपान नजरों से करने को मिल जाएगा और अगर अच्छा मौका मिला तो उसके खूबसूरत मांसल बदन को हाथों से छूने और दबाने का भी मौका मिल जाएगा,,, और ऐसा ही मौका क्लास के विद्यार्थी भी कर रहे थे क्योंकि रीशेष में ही बाथरूम में बने छेद में से निर्मला की मदमस्त नंगी बड़ी-बड़ी गांड को देखने का उन्हें सौभाग्य मिल जाता था और जब निर्मला कुछ दिनों के लिए अपने गांव जा रहे थे तो ऐसे में उन लोगों की आंखें प्यासी ही रह जाने वाली थी और इसलिए वह लोग निर्मला को जाते-जाते आज एक बार फिर से उसी छेद में से उसकी बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करते हुए अपना पानी निकालने का मन बना लिए थे।,,, उन सभी की इच्छा पूर्ति करने कि जैसे स्कूल में टंगी वह घंटी ही जिम्मा उठा ली थी,,,, इसलिए वह अपने नियत समय पर बज उठी और घंटी के बज़ते ही,, शुभम शीतल और क्लास के विद्यार्थियों की सांसें भी तीव्र गति से चलने लगी।
निर्मला ने जब शीतल को यह बात बताई कि वह कुछ दिनों के लिए गांव जा रही है उसके छोटे भाई की शादी है तो यह खबर सुनकर शीतल पूरी तरह से परेशान हो गई,,,, उसकी परेशानी का सबसे बड़ा कारण था शुभम वह नहीं चाहती थी कि शुभम उसकी आंखों से दूर जाए। क्योंकि अब हालिया हो चुका था कि निर्मला का भी मन शुभम के बिना कहीं नहीं लगता था जब तक वह सुबह का दीदार ना कर ले तब तक उसके मन को चैन नहीं मिलता था। यह खबर बताते समय शुभम भी पास में ही खड़ा था जो कि कल की ओर से शीतल की तरफ देख ले रहा था और शीतल भी शुभम को नजर भर कर देख ले रही थी। निर्मला यह खबर शीतल को बता कर अपनी क्लास की तरफ जाने को हुई थी कि तभी शीतल मौका देख कर शुभम को रिसेस में मिलने के लिए बोली ।
शुभम खुद शीतल से मिलने के लिए मचल रहा था क्योंकि पिछले दिन जिस तरह का जलवा दिखाकर उसने उसके बदन में कामाग्नि की चिंगारी भड़काई थी ऐसे में भला कौन होगा जो दुबारा ऐसी मस्त और कामातुर औरत से मिलने की ख्वाहिश ना रखता हो।
निर्मला ने जब यह खबर अपने क्लास के विद्यार्थियों को सुनाई तो क्लास में उपस्थित लड़कों की हालत खराब हो गई वह लोग निर्मला को हमेशा गर्म आंखों से ही देखते थे। अपनी कामाग्नि के घोड़े को कल्पना की दुनिया में ले जा कर अपने ही हाथ से लंड हिला कर संतुष्ट होने का संपूर्ण साधन उनके लिए निर्मला ही थी। अधिकतर लड़के सुबह स्कूल में आने से पहले बाथरूम में निर्मला के नाम की मुठ मारकर अपनी कामाग्नि को शांत करते थे और फिर जाकर स्कूल आते थे। यही क्रिया वह रात में भी किया करते थे। लेकिन जब उन्हें इस बात का पता चला कि कुछ दिनों तक उनकी नजरें निर्मला के मदमस्त बदन का दीदार नहीं कर पाएंगी तो उनका मन उदास हो गया,,, और जो लड़के इस राज से वाकिफ थे और , बाथरूम के बीच बने छेद में से निर्मला की गांड के दर्शन करते आ रहे थे, वह लोग आज एक बार फिर से अपनी टीचर को जाते-जाते रिसेस में बाथरूम में बने उसी छेंद से अपनी सबसे प्यारी टीचर की भरावदार मदमस्त गांड को देखते हुए अपना अपना लंड हिला कर अपना पानी निकालने का मन बना लिए। सबको रीशेष होने का इंतजार था,, शीतल को बड़ी बेसब्री से इंतजार तारीख में सोने का उपयोग विशेष में वह शुभम से मिलने के लिए तड़प रहे थे और जाते-जाते वह अपने दिल का हाल उससे बयां करना चाहती थी,, शुभम बेरी से सोने का इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे उम्मीद थी की रीशेष में क्लास के अंदर आज फिर से शीतल के मदमस्त बदन का रसपान नजरों से करने को मिल जाएगा और अगर अच्छा मौका मिला तो उसके खूबसूरत मांसल बदन को हाथों से छूने और दबाने का भी मौका मिल जाएगा,,, और ऐसा ही मौका क्लास के विद्यार्थी भी कर रहे थे क्योंकि रीशेष में ही बाथरूम में बने छेद में से निर्मला की मदमस्त नंगी बड़ी-बड़ी गांड को देखने का उन्हें सौभाग्य मिल जाता था और जब निर्मला कुछ दिनों के लिए अपने गांव जा रहे थे तो ऐसे में उन लोगों की आंखें प्यासी ही रह जाने वाली थी और इसलिए वह लोग निर्मला को जाते-जाते आज एक बार फिर से उसी छेद में से उसकी बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करते हुए अपना पानी निकालने का मन बना लिए थे।,,, उन सभी की इच्छा पूर्ति करने कि जैसे स्कूल में टंगी वह घंटी ही जिम्मा उठा ली थी,,,, इसलिए वह अपने नियत समय पर बज उठी और घंटी के बज़ते ही,, शुभम शीतल और क्लास के विद्यार्थियों की सांसें भी तीव्र गति से चलने लगी।