hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,।)
मैं तो अभी-अभी ऐसी बातें करने लगी और वह भी तुझसे ही लेकिन अपनी शीतल मैडम है ना,,,,( शीतल मैडम का जिक्र आते ही शुभम अपनी मां की बातों को और गौर से सुनने लगा,।) वह तो हमेशा इसी तरह की बातें करती रहती है।
( शीतल मैडम के बारे में अपनी मां की बातें सुनकर शुभम के मन में वह क्या बातें करती थी यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी इसलिए वह बोला।)
कैसी बातें करती थी मम्मी,,,,
अरे यही चुदाई,,,, लंड,,,, बुर,,,,, यही सब बातें उसके मन में हमेशा घूमती रहती हैं,और अक्सर वह मुझसे ऐसी बातें करती थी।( निर्मला शुभम के खड़े लंड को मुट्ठीयाते हुए बोली,,,,। अपनी मां की बातें सुनकर शुभम के मन में यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी,,
कि शीतल उसकी मां से कैसी बातें करती थी और किस बारे में बातें करती थी इसलिए वह अपनी मां से बोला,,।
बताओ ना मम्मी शीतल मेंम आपसे कौन सी बातें करती थी और किस बारे में,,,,
( निर्मला का मुड पूरी तरह से बन चुका था लंड की गर्माहट उसकी हथेलियों से होते हुए उसकी जांघों के बीच की पतली दरार तक पहुंच गई थी ।जहां पर उत्तेजना के मारे उसकी बुर का नमकीन पानी धीरे धीरे धीरे करके नीचे टपकने लगा था।,,, निर्मला अब दूसरे प्लान में ही जुड़ी हुई थी, वह अब फिर से अपनी बेटे से चुदना चाहती थी इसलिए अपने बेटे की बात को टालते हुए बोली,,,।)
अरे बेटा जाने देना वह क्या बातें करती थी उससे क्या लेना-देना हम अपने खेल को आगे बढ़ाते चलते हैं,,,,।
( अपनी मां की टालने वाली बात सुनकर शुभम झट. से बोला।)
नहीं मम्मी प्लीज बताओ ना वह कैसी बातें करती हैं क्योंकि मुझे यकीन नहीं हो रहा है किसी शीतल मेंम भी इस तरह की बातें कर सकती हैं।
शुभम तुझे मुझ पर भी भरोसा था कि मैं इस तरह की बातें नहीं कर सकती हूं,,, लेकिन फिर भी कर रही हूं ना,,,, वैसे उसी तरह से शीतल मेम भी इस तरह की बातें करती हैं। जिस तरह से तुम लड़कों कामन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है उसी तरह से औरतों का भी मन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है।
लेकिन मम्मी यह तो बताओ कि वह बातें क्या करती थी,,,
( निर्मला समझ गई कि उसका बेटा शीतल की बातें सुनकर ही मानेगा इसलिए वह बोली,,,,।)
बस ऐसे ही मुझसे मजाक किया करती थी की आज तो भाई साहब तुझे सोने नहीं दिए होंगे,,, रात भर तेरी चुदाई किए होंगे तेरी बुर से लंड निकाले ही नहीं होंगे,,,,,,( अपनी मां के मुंह से शीतल मैम की बातें सुनकर शुभम आश्चर्यचकित हो गया)
तू है ही इतनी खूबसूरत कि तुझे देखते ही किसी का भी मन तुझे चोदने के लिए करने लगता है,,,, और तो और वह यह भी कहती थी कि लंबे लंड से औरतों को ज्यादा मजा आता है।,,,,
सच मम्मी,,,,, (शुभम आश्चर्य के साथ बोला)
हां बेटा मैं बिल्कुल सच कह रही हो और तो और वह तेरे बारे में भी गंदा ही सोचती है,,,,,
( इस बार अपनी मां की बात सुनकर शुभम एकदम से दंग रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां जो बोल रही है वह सच कह रही है इसलिए अपनी मां की बात कंफर्म करने के लिए वह बोला,,,।)
क्या बात कर रही हो मम्मी ऐसा नहीं हो सकता भला वह मेरे बारे में क्या बातें करेंगी,,,, तुम मुझे सिर्फ बहका रही हो,,,।
देख सकता हूं कोई और समय होता तो शायद मैं तुझसे यह बोलती भी नहीं लेकिन तेरे और मेरे बीच में ऐसी कोई भी बात नहीं सीखनी चाहिए इसलिए मैं तुझे सब बता रही हूं। मैं सच कह रही हूं वह तेरे हट्टे-कट्टे शरीर पर एकदम फिदा हो गई है।
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम का दिमाग सन्न रह गया और वह बोला।)
क्या कह रही थी मम्मी वह मेरे बारे में,,,।
( शुभम बेहद उत्सुक नजर आ रहा था अपनी मां के मुंह से शीतल के मन की बातें जानने के लिए निर्मला इस समय बेहद कामातुर हो चुकी थी इसलिए इस तरह की बातें करने में उसे बिल्कुल भी असहज नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली।)
शुभम तू शायद यकीन नहीं करेगा,,,( निर्मला के हाथ में अभी भी शुभम का खड़ा लंड था इसलिए वह ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी) तेरे मजबूत शरीर को देखकर वह मन ही मन तेरे लंड के बारे में कल्पना करती है,,, और वह भले ही मजाक में यह बात कही हो लेकिन वह तुझसे चुदना चाहती है,,,,।( यह सुनकर तो शुभम की हालत खराब होने लगी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि शीतल उसके बारे में इस तरह के ख्यालात रखती है मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और यह बात का जिक्र होते ही उसे क्लास वाली बात याद आने लगी जिस अदा से वह उससे बातें करते हुए ब्लाउज के अंदर छिपे अपने बड़े-बड़े चुचियों को दिखा रही थी,,, और तो और चम्मच उठाने के बहाने जिस तरह से उसने अपने भारी भरकम नितंबों को जानबूझकर उसके लंड से सटाया था,,, इससे साफ तौर पर तय था कि पीतल सचमुच उसी से चुदवाना चाहती है। शुभम एक पल के लिए शीतल के ख्यालों में खो गया यह देख कर निर्मला बोली,,,।
क्या हो गया कहां खो गया,,,,, कही शीतल की तो याद आने नहीं लगी,,
नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है,,,,
हां देखना कहीं मेरी सौतन मत रख लेना,,,,( इतना कहकर वह हंसने लगी,,, शुभम आश्चर्य से अपनी मां की कही बात और उसे देखकर हैरान हो गया,,, क्योंकि सोतन वाली बात से उसके बदन में भी सुरसुरी सी मच गई,,, निर्मला की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसने कहा कि अपनी मुट्ठी में अपने बेटे के लंड को भींच ली इसकी वजह से शुभम के मुंह से आह निकल गई,,,,, निर्मला से बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था,,,, एक बार फिर से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह बिना कुछ बोले अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, जैसे ही नंबर का सितारा उसके मुंह में घुसा तुरंत शुभम के मुंह से सिसकारी की आवाज आ गई,,,
ससससहहहहह मम्मी,,,,,,
( आज तो निर्मला अपने बेटे के लंड को बिल्कुल भी छोड़ नहीं रही थी कभी मुंह में तो कभी अपी बुर,,,, में,,,, जैसे लग रहा था कि आज वह अपने बेटे के लंड से सारा रस निचोड़ डालेगी,,,, देखते ही देखते धीरे-धीरे वह अपने बेटे कें मोटे लंबे लंड कोे गप्प से मुंह में निगल गई,,,,, एक अद्भुत एहसास शुभम के पूरे बदन में दौड़ने लगा उसके मुंह से लंबी सिसकारी निकल गई मस्ती के आलम में उसकी आंखें मूंदने लगी,,, और देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे के लंबे लंड को क्रीम रोल की तरह पुरा मुंह मे भरकर चूसना शुरू कर दि,,, शुभम का एक हाथ अपने आप निर्मला के सिर पर चला गया और वह अपने हाथों से बालों में लगा हुआ बक्कल खोल दिया जिसकी वजह से निर्मला की रोशनी बालों का गुच्छा खुल गया,,, और निर्मला के रेशमी मुलायम बाल हवा में लहराने लगे,,,, निर्मला बड़े मजे लेकर अपने बेटे के लंड को चूस रही थी,,, जिंदगी में पहली बार उसे लंड चुसाई करने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। अपने बेटे के लंड को पूरा गले तक उतारकर वह बड़े ही कामुक तरीके से लंड को चूसने का मजा ले रही थी,,, कि तभी उसे अपने पति का वह तरीका याद आ गया जब वह बेमन से कभी उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और वह उसके पूरे बदन को अपने ऊपर चढ़ा कर,, उसकी भारी भरकम गांड को अपने मुंह पर रखकर उसकीे बुर को चाटना शुरू कर दिया था,,, इस अवस्था में निर्मला को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी वही दमा दम मस्त हो चुकी थी लेकिन यह ज्यादा देर तक नहीं कर पाया क्योंकि निर्मला को लंड चूसने में दिक्कत होती थी उसे लंट चुसाई मैं बिल्कुल भी मजा नहीं आता था और ना ही उसका मन करता था,,,, उस दिन वाली बात जो कि उस बात को भी बरसों बीत गए थे आज कमरे में अपने बेटे के साथ एक ही बिस्तर पर उसके लंड को चूसते हुए उस दिन की बात याद आते हैं उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी और वही तरीका आजमाने का मन उसका करने लगा,,,, वह अपने बेटे के लंड को चूसते हुए धीरे से अपने पूरे बदन का वजन अपने बेटे पर रख दी शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है और देखते ही देखते निर्मला पूरी तरह से अपने बेटे के ऊपर चढ़ गई हालांकि अभी भी उसके मुंह में उसके बेटे का लंड पूरी तरह से घुसा हुआ था। निर्मला एकदम सही स्थिति में आ गई थी उसकी भारी भरकम गांड ठीक शुभम के मुंह के ऊपर थी जिसे वह तिरछी नजर से बराबर देख रही थी शुभम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि यह उसके लिए बिलकुल भी नया तरीका था लेकिन अपनी आंखों के ठीक सामने अपनी मां की भारी-भरकम गांड और उसकी गुलाबी बुर को देखकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई,,,, निर्मला उसे अपने मुंह से कुछ बताना नहीं चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या करता है वह सिर्फ उसे इशारा करके निर्देश देना चाहती थी जिसके लिए वह अपनी भारी भरकम गांड को हल्के से नीचे झुका कर,, अपनी रसीली बुर को अपने बेटे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,, बुर की गर्माहट और रगड़ाहट चेहरे और होठो पर पड़ते ही शुभम की हालत खराब होने लगी,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है लेकिन जो भी कर रही थी उससे निर्मला की उत्तेजना तो बढ़ ही रही थी साथ ही शुभम भी बेहद कामोत्तेजित हो चुका था। अपनी मां की रसीली बुर को अपने होंठों के इतने करीब पाकर शुभम बुर चाटने की लालच को दबा नहीं पाया और वह अपनी जीभ से बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, निर्मला के बदन में तो सनसनी की लहर दौड़ गई जो वह चाहती थी वही उसका बेटा कर रहा था,,, उत्तेजना के आवेश में आकर निर्मला और जोर-जोर से अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी,,, शुभम को भी इस पोजीशन में अपनी मां की बुर चाटने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर के पीछे से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ लिया और जोर लगा कर खुद ही उसकी गांड को ऊपर नीचे करते हुए बुर चाटने का मजा लेने लगा,,,, यह पल शुभम और निर्मला के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजित कर देने वाला था,,, अपने पति के साथ यही क्रिया करने में निर्मला को खास उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था लेकिन उसके बदन में सुरसुराहट जरूर हुई थी,,, लेकिन आज की बात कुछ और थी वहीं क्रिया को आज अपनी बेटे के साथ करने में निर्मला कामोत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई थी,, अनजाने में जिस पोजीशन में दोनों एक दूसरे के अंगों को एक साथ मुंह में ले कर मजा ले रहे थे,,, ऊन दोनों को उस पोजीशन को संभोग की क्रिया में कौनसी उपनाम से नवाजा गया है इस बारे में थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं था वैसे भी उस पोजीशन को किस नाम से जाना जाता है यह जानना उन दोनों के लिए बिल्कुल भी जरूरी नहीं था,, और ना ही किसी भी प्रकार की उत्सुकता ही थी बस दोनों को मजा लेना था और दोनों अपने आप मजा ले रहे थेनिर्मला की बुर से लगातार रिसाव हो रहा था जो कि शुभम के चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया था। शुभम खूब मजे ले लेकर अपनी मां की बुर को चाट रहा था जितना हो सकता था वह उतनी गहराई तक अपनी जीभ को अंदर तक घुसेड़ कर अंदर से मदन रस को जीभ से निकाल निकाल कर चाट रहा था। दोनो की सांसे तीव्र गति से चल रही थी कमरे में बिल्कुल सन्नाटा फैला हुआ था बस दोनों की गहरी चल रही सांसो की ही आवाज गूंज रही थी। कुछ देर तक दोनों इसी तरह से एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते रहे,, शुभम तो बेहद उत्तेजित होकर के अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्ती को दांतों के बीच मे भर कर दबा दे रहा था जिससे निर्मला की सिसकारी निकल जा रही थी,,,, निर्मला को इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी कि वह एक बार फिर से झढ़ गई और भलभलालाकर ढेर सारा पानी अपने बेटे के चेहरे पर ही ऊगल दी,,, शुभम भी काफी देर से उत्तेजना को दबाए हुए था। उसे लगने लगा कि उसके लंड से भी पानी निकल जाएगा दूसरी तरफ निर्मला को जोरो से पेशाब लग गई,,, उसका बाथरूम में जाना बेहद जरूरी था इसलिए वह अपनी बेटे के लंड को अपने मुंह में से जल्दी से बाहर निकाल दि,,, यह शुभम के लिए भी अच्छा ही था क्योंकि वह भी झड़ने के ही कगार पर था। निर्मला तुरंत अपने बेटे के ऊपर को उठ कर बिस्तर के नीचे खड़ी हो गई,,
मैं तो अभी-अभी ऐसी बातें करने लगी और वह भी तुझसे ही लेकिन अपनी शीतल मैडम है ना,,,,( शीतल मैडम का जिक्र आते ही शुभम अपनी मां की बातों को और गौर से सुनने लगा,।) वह तो हमेशा इसी तरह की बातें करती रहती है।
( शीतल मैडम के बारे में अपनी मां की बातें सुनकर शुभम के मन में वह क्या बातें करती थी यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी इसलिए वह बोला।)
कैसी बातें करती थी मम्मी,,,,
अरे यही चुदाई,,,, लंड,,,, बुर,,,,, यही सब बातें उसके मन में हमेशा घूमती रहती हैं,और अक्सर वह मुझसे ऐसी बातें करती थी।( निर्मला शुभम के खड़े लंड को मुट्ठीयाते हुए बोली,,,,। अपनी मां की बातें सुनकर शुभम के मन में यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी,,
कि शीतल उसकी मां से कैसी बातें करती थी और किस बारे में बातें करती थी इसलिए वह अपनी मां से बोला,,।
बताओ ना मम्मी शीतल मेंम आपसे कौन सी बातें करती थी और किस बारे में,,,,
( निर्मला का मुड पूरी तरह से बन चुका था लंड की गर्माहट उसकी हथेलियों से होते हुए उसकी जांघों के बीच की पतली दरार तक पहुंच गई थी ।जहां पर उत्तेजना के मारे उसकी बुर का नमकीन पानी धीरे धीरे धीरे करके नीचे टपकने लगा था।,,, निर्मला अब दूसरे प्लान में ही जुड़ी हुई थी, वह अब फिर से अपनी बेटे से चुदना चाहती थी इसलिए अपने बेटे की बात को टालते हुए बोली,,,।)
अरे बेटा जाने देना वह क्या बातें करती थी उससे क्या लेना-देना हम अपने खेल को आगे बढ़ाते चलते हैं,,,,।
( अपनी मां की टालने वाली बात सुनकर शुभम झट. से बोला।)
नहीं मम्मी प्लीज बताओ ना वह कैसी बातें करती हैं क्योंकि मुझे यकीन नहीं हो रहा है किसी शीतल मेंम भी इस तरह की बातें कर सकती हैं।
शुभम तुझे मुझ पर भी भरोसा था कि मैं इस तरह की बातें नहीं कर सकती हूं,,, लेकिन फिर भी कर रही हूं ना,,,, वैसे उसी तरह से शीतल मेम भी इस तरह की बातें करती हैं। जिस तरह से तुम लड़कों कामन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है उसी तरह से औरतों का भी मन गंदी बातें करके संतुष्ट होता है।
लेकिन मम्मी यह तो बताओ कि वह बातें क्या करती थी,,,
( निर्मला समझ गई कि उसका बेटा शीतल की बातें सुनकर ही मानेगा इसलिए वह बोली,,,,।)
बस ऐसे ही मुझसे मजाक किया करती थी की आज तो भाई साहब तुझे सोने नहीं दिए होंगे,,, रात भर तेरी चुदाई किए होंगे तेरी बुर से लंड निकाले ही नहीं होंगे,,,,,,( अपनी मां के मुंह से शीतल मैम की बातें सुनकर शुभम आश्चर्यचकित हो गया)
तू है ही इतनी खूबसूरत कि तुझे देखते ही किसी का भी मन तुझे चोदने के लिए करने लगता है,,,, और तो और वह यह भी कहती थी कि लंबे लंड से औरतों को ज्यादा मजा आता है।,,,,
सच मम्मी,,,,, (शुभम आश्चर्य के साथ बोला)
हां बेटा मैं बिल्कुल सच कह रही हो और तो और वह तेरे बारे में भी गंदा ही सोचती है,,,,,
( इस बार अपनी मां की बात सुनकर शुभम एकदम से दंग रह गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मां जो बोल रही है वह सच कह रही है इसलिए अपनी मां की बात कंफर्म करने के लिए वह बोला,,,।)
क्या बात कर रही हो मम्मी ऐसा नहीं हो सकता भला वह मेरे बारे में क्या बातें करेंगी,,,, तुम मुझे सिर्फ बहका रही हो,,,।
देख सकता हूं कोई और समय होता तो शायद मैं तुझसे यह बोलती भी नहीं लेकिन तेरे और मेरे बीच में ऐसी कोई भी बात नहीं सीखनी चाहिए इसलिए मैं तुझे सब बता रही हूं। मैं सच कह रही हूं वह तेरे हट्टे-कट्टे शरीर पर एकदम फिदा हो गई है।
( अपनी मां की बात सुनकर शुभम का दिमाग सन्न रह गया और वह बोला।)
क्या कह रही थी मम्मी वह मेरे बारे में,,,।
( शुभम बेहद उत्सुक नजर आ रहा था अपनी मां के मुंह से शीतल के मन की बातें जानने के लिए निर्मला इस समय बेहद कामातुर हो चुकी थी इसलिए इस तरह की बातें करने में उसे बिल्कुल भी असहज नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली।)
शुभम तू शायद यकीन नहीं करेगा,,,( निर्मला के हाथ में अभी भी शुभम का खड़ा लंड था इसलिए वह ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी) तेरे मजबूत शरीर को देखकर वह मन ही मन तेरे लंड के बारे में कल्पना करती है,,, और वह भले ही मजाक में यह बात कही हो लेकिन वह तुझसे चुदना चाहती है,,,,।( यह सुनकर तो शुभम की हालत खराब होने लगी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि शीतल उसके बारे में इस तरह के ख्यालात रखती है मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और यह बात का जिक्र होते ही उसे क्लास वाली बात याद आने लगी जिस अदा से वह उससे बातें करते हुए ब्लाउज के अंदर छिपे अपने बड़े-बड़े चुचियों को दिखा रही थी,,, और तो और चम्मच उठाने के बहाने जिस तरह से उसने अपने भारी भरकम नितंबों को जानबूझकर उसके लंड से सटाया था,,, इससे साफ तौर पर तय था कि पीतल सचमुच उसी से चुदवाना चाहती है। शुभम एक पल के लिए शीतल के ख्यालों में खो गया यह देख कर निर्मला बोली,,,।
क्या हो गया कहां खो गया,,,,, कही शीतल की तो याद आने नहीं लगी,,
नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है,,,,
हां देखना कहीं मेरी सौतन मत रख लेना,,,,( इतना कहकर वह हंसने लगी,,, शुभम आश्चर्य से अपनी मां की कही बात और उसे देखकर हैरान हो गया,,, क्योंकि सोतन वाली बात से उसके बदन में भी सुरसुरी सी मच गई,,, निर्मला की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसने कहा कि अपनी मुट्ठी में अपने बेटे के लंड को भींच ली इसकी वजह से शुभम के मुंह से आह निकल गई,,,,, निर्मला से बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा था,,,, एक बार फिर से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह बिना कुछ बोले अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, जैसे ही नंबर का सितारा उसके मुंह में घुसा तुरंत शुभम के मुंह से सिसकारी की आवाज आ गई,,,
ससससहहहहह मम्मी,,,,,,
( आज तो निर्मला अपने बेटे के लंड को बिल्कुल भी छोड़ नहीं रही थी कभी मुंह में तो कभी अपी बुर,,,, में,,,, जैसे लग रहा था कि आज वह अपने बेटे के लंड से सारा रस निचोड़ डालेगी,,,, देखते ही देखते धीरे-धीरे वह अपने बेटे कें मोटे लंबे लंड कोे गप्प से मुंह में निगल गई,,,,, एक अद्भुत एहसास शुभम के पूरे बदन में दौड़ने लगा उसके मुंह से लंबी सिसकारी निकल गई मस्ती के आलम में उसकी आंखें मूंदने लगी,,, और देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे के लंबे लंड को क्रीम रोल की तरह पुरा मुंह मे भरकर चूसना शुरू कर दि,,, शुभम का एक हाथ अपने आप निर्मला के सिर पर चला गया और वह अपने हाथों से बालों में लगा हुआ बक्कल खोल दिया जिसकी वजह से निर्मला की रोशनी बालों का गुच्छा खुल गया,,, और निर्मला के रेशमी मुलायम बाल हवा में लहराने लगे,,,, निर्मला बड़े मजे लेकर अपने बेटे के लंड को चूस रही थी,,, जिंदगी में पहली बार उसे लंड चुसाई करने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। अपने बेटे के लंड को पूरा गले तक उतारकर वह बड़े ही कामुक तरीके से लंड को चूसने का मजा ले रही थी,,, कि तभी उसे अपने पति का वह तरीका याद आ गया जब वह बेमन से कभी उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और वह उसके पूरे बदन को अपने ऊपर चढ़ा कर,, उसकी भारी भरकम गांड को अपने मुंह पर रखकर उसकीे बुर को चाटना शुरू कर दिया था,,, इस अवस्था में निर्मला को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी वही दमा दम मस्त हो चुकी थी लेकिन यह ज्यादा देर तक नहीं कर पाया क्योंकि निर्मला को लंड चूसने में दिक्कत होती थी उसे लंट चुसाई मैं बिल्कुल भी मजा नहीं आता था और ना ही उसका मन करता था,,,, उस दिन वाली बात जो कि उस बात को भी बरसों बीत गए थे आज कमरे में अपने बेटे के साथ एक ही बिस्तर पर उसके लंड को चूसते हुए उस दिन की बात याद आते हैं उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी और वही तरीका आजमाने का मन उसका करने लगा,,,, वह अपने बेटे के लंड को चूसते हुए धीरे से अपने पूरे बदन का वजन अपने बेटे पर रख दी शुभम को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है और देखते ही देखते निर्मला पूरी तरह से अपने बेटे के ऊपर चढ़ गई हालांकि अभी भी उसके मुंह में उसके बेटे का लंड पूरी तरह से घुसा हुआ था। निर्मला एकदम सही स्थिति में आ गई थी उसकी भारी भरकम गांड ठीक शुभम के मुंह के ऊपर थी जिसे वह तिरछी नजर से बराबर देख रही थी शुभम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्योंकि यह उसके लिए बिलकुल भी नया तरीका था लेकिन अपनी आंखों के ठीक सामने अपनी मां की भारी-भरकम गांड और उसकी गुलाबी बुर को देखकर उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई,,,, निर्मला उसे अपने मुंह से कुछ बताना नहीं चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या करता है वह सिर्फ उसे इशारा करके निर्देश देना चाहती थी जिसके लिए वह अपनी भारी भरकम गांड को हल्के से नीचे झुका कर,, अपनी रसीली बुर को अपने बेटे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,, बुर की गर्माहट और रगड़ाहट चेहरे और होठो पर पड़ते ही शुभम की हालत खराब होने लगी,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां क्या कर रही है लेकिन जो भी कर रही थी उससे निर्मला की उत्तेजना तो बढ़ ही रही थी साथ ही शुभम भी बेहद कामोत्तेजित हो चुका था। अपनी मां की रसीली बुर को अपने होंठों के इतने करीब पाकर शुभम बुर चाटने की लालच को दबा नहीं पाया और वह अपनी जीभ से बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, निर्मला के बदन में तो सनसनी की लहर दौड़ गई जो वह चाहती थी वही उसका बेटा कर रहा था,,, उत्तेजना के आवेश में आकर निर्मला और जोर-जोर से अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूस ना शुरू कर दी,,, शुभम को भी इस पोजीशन में अपनी मां की बुर चाटने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर के पीछे से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ लिया और जोर लगा कर खुद ही उसकी गांड को ऊपर नीचे करते हुए बुर चाटने का मजा लेने लगा,,,, यह पल शुभम और निर्मला के लिए बेहद अद्भुत और उत्तेजित कर देने वाला था,,, अपने पति के साथ यही क्रिया करने में निर्मला को खास उत्तेजना का अनुभव नहीं हुआ था लेकिन उसके बदन में सुरसुराहट जरूर हुई थी,,, लेकिन आज की बात कुछ और थी वहीं क्रिया को आज अपनी बेटे के साथ करने में निर्मला कामोत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गई थी,, अनजाने में जिस पोजीशन में दोनों एक दूसरे के अंगों को एक साथ मुंह में ले कर मजा ले रहे थे,,, ऊन दोनों को उस पोजीशन को संभोग की क्रिया में कौनसी उपनाम से नवाजा गया है इस बारे में थोड़ा सा भी ज्ञान नहीं था वैसे भी उस पोजीशन को किस नाम से जाना जाता है यह जानना उन दोनों के लिए बिल्कुल भी जरूरी नहीं था,, और ना ही किसी भी प्रकार की उत्सुकता ही थी बस दोनों को मजा लेना था और दोनों अपने आप मजा ले रहे थेनिर्मला की बुर से लगातार रिसाव हो रहा था जो कि शुभम के चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया था। शुभम खूब मजे ले लेकर अपनी मां की बुर को चाट रहा था जितना हो सकता था वह उतनी गहराई तक अपनी जीभ को अंदर तक घुसेड़ कर अंदर से मदन रस को जीभ से निकाल निकाल कर चाट रहा था। दोनो की सांसे तीव्र गति से चल रही थी कमरे में बिल्कुल सन्नाटा फैला हुआ था बस दोनों की गहरी चल रही सांसो की ही आवाज गूंज रही थी। कुछ देर तक दोनों इसी तरह से एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते रहे,, शुभम तो बेहद उत्तेजित होकर के अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्ती को दांतों के बीच मे भर कर दबा दे रहा था जिससे निर्मला की सिसकारी निकल जा रही थी,,,, निर्मला को इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी कि वह एक बार फिर से झढ़ गई और भलभलालाकर ढेर सारा पानी अपने बेटे के चेहरे पर ही ऊगल दी,,, शुभम भी काफी देर से उत्तेजना को दबाए हुए था। उसे लगने लगा कि उसके लंड से भी पानी निकल जाएगा दूसरी तरफ निर्मला को जोरो से पेशाब लग गई,,, उसका बाथरूम में जाना बेहद जरूरी था इसलिए वह अपनी बेटे के लंड को अपने मुंह में से जल्दी से बाहर निकाल दि,,, यह शुभम के लिए भी अच्छा ही था क्योंकि वह भी झड़ने के ही कगार पर था। निर्मला तुरंत अपने बेटे के ऊपर को उठ कर बिस्तर के नीचे खड़ी हो गई,,