hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
अब हमें खिड़की खोल देना चाहिए क्योंकि देखो हम तीनों की हालत कैसी पसीने से तरबतर हो चुके हैं।
( इतना कहते हुए निर्मला गांड मटकाते हुए खिड़की की तरफ जाने लगी,,, निर्मला की लचकती हुई गोल गोल गाने को देखकर शुभम के साथ साथ कोमल की भी हालत खराब हुई जा रही थी। एक औरत होने के बावजूद एक स्त्री के नितंबों के प्रति उसका आकर्षण खुद ऊसे हैरान कर देने वाला लग रहा था। इेसमे कोमल का भी कोई दोस नहीं था। निर्मला की खूबसूरत बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि देखने वाला बस देखते ही रह जाता था। गोल गोल खरबूजे की तरह कभी इधर को तो कभी उधर को लुढकती हुई मदमस्त गांड दोनों की तन बदन में उत्तेजना की लहर भर दे रही थी।,,, कोमल और शुभम दोनों संपूर्णता ं नंगे होकर के निर्मला की तरफ देख रहे थे। शुभम अपनी मां की मदद कैसे छलकती जवानी देख कर अपने आप पर सब्र नहीं कर पाया और उसकी तरफ बढ़ने लगा कोमल शुभम की लटकते हुए लंड को देखकर उत्तेजना से भरी जा रही थी। जैसे ही निर्मला ने खिड़की खोली वैसे ही तुरंत शुभम उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया।
आहहहहहहहह क्या कर रहा है थोड़ा सा सब्र कर,,,
( खिड़की खोलते ही बाहर से ठंडी हवा का झोंका कमरे में प्रवेश किया,, और तीनों के बदन में शीतल हवा की ठंडक ने झुरझुरी फैला दी। अपनी मां को बाहों में भर कर अपने तने हुए लंड को उसके नितंबों पर रगडना़ शुरू कर दिया।
कोमल गया देखकर उत्तेजना से भरी जा रही थी कि उसकी आंखों के सामने एक बेटा अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ रहा था।,,, लेकिन निर्मला बेहद खुश नजर आ रही थी और उसकी खुशी का कारण यह था कि उसका बेटा कोमल जैसी खूबसूरत नंगी लड़की बगल में होने के बावजूद भी उसे अपनी बाहों में भर कर प्यार कर रहा था इसकी वजह से निर्मला को अपने बदन पर गर्व होने लगा क्योंकि यह उसके खूबसूरत बदन का ही कमाल था की,, एक जवान लड़का जवान लड़की को छोड़कर उसे प्यार कर रहा था।,,,, शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका तना हुआ लंड ऊसकी मां की गांड के बीचो-बीच गश्त लगा रहा था। जो कि निर्मला की भी उत्तेजना को बढ़ावा दे रहा था शुभम अपने दोनों हाथों में अपनी मां के दोनों खरबुझों को पकड़कर दबाता हुआ बोला,,,।
ओहहहहहहहह,,,, मम्मी क्या करूं तुम्हारी मटकती हुई गांड देखकर मुझसे रहा नहीं गया।,,,,,( निर्मला अपने बेटे के ईस छेड़खानी से खिलखिला कर हंस रही थी।)
आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है तेरा वो मुझे धंस रहा है।
धंसा रहा हूं तभी तो धंस रहा है, थोडी टांगे खोल दो तो उसे अंदर भी डाल दुं,,,,,
डाल देना मेरे राजा इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो पूरी रात बाकी है क्यों कोमल,,, सच कह रही हुं ना।,,,,
( निर्मला अपनी आंखों में मदहोशी लिए हुए कोमल से बोली)
हां बूआ अभी तो सारी रात बाकी है।,,,,,,
( निर्मला कोमल का जवाब सुन कर मुस्कुरा दी लेकिन सुभम ं एकदम पागल हुए जा रहा था। उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था उसका खुंटा बार-बार निर्मला की गुलाबी बुर पर दस्तक दे रहा था। जो की निर्मला को भी काम वीभोर कर दे रहा था।,,, निर्मला की भी हालत पल पल खराब हुए जा रही थी उसकी भी इच्छा हो रही थी कि अपने बेटे के लंड को जल्द से जल्द अपनी बुर में डलवा कर चुदवाले,,, लेकिन इतने दिनों बाद भी दिखाना ठीक नहीं था क्योंकि उसे बहुत ज्यादा मस्ती करना था अभी तो वह कोमल से अपनीं बुर चटवाने के इरादे मेथी इसलिए वहअपने बेटे को अपने से दूर करते हुएैं बोली,,,
चलो बेटा बिस्तर पर वहीं यह सब खेल खेलते हैं।
( इतना कहकर वह बिस्तर की तरफ जाने लगी शुभम ठगा सा रह गया वह खिड़की से बाहर झांका तो बाहर चांदनी रात अपना जलवा बिखेर रही थी। चारों तरफ चांदनी उजाला फैला हुआ था ज्यादा कुछ साफ तो नहीं लेकिन फिर भी सब कुछ नजर आ रहा था।,,,,
शुभम खिड़की पर अपनी नजर आया तो देखा निर्मला बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगे फैलाए हुई थी,,,, और कोमल को खाते हुए अपनी गुलाबी बुर ़की पत्तियों को अपनी उंगलियों के बीच रख कर मसल रही थी ।,,,, निर्मला को बिस्तर पर लेट कर इस तरह की हरकत करते हुए देखना कोमल भी पूरी तरह से कामा तुर हो गई वह एक टक निर्मला को ही देखे जा रही थी,,,,, निर्मला प्यासी नजरों से कोमल की तरफ देखते हैं और अपनी बुर पर हथेलीै को रगड़ते हुए बोली,,,।
इधर आओ कोमल रानी तुम्हे जवानी का मजा चखाती हूं,,,,,,
( इतना सुनकर कॉमन निर्मला के करीब जाने लगी यह सब शुभम खिड़की के करीब खड़ा हो कर देख रहा था यह भी देख रहा था कि उसकी मां कितनी ज्यादा चुदवासी हो गई थी। वह मन में सोचने लगा कि अगर हर घर में ऐसी औरत हो तो सच मे हर एक बेटा मादरचोद बन जाए।,,,, वह अपनी मां की तरफ देख रहा था निर्मला अपनी बुर को सहलाते हुए कोमल को अपने करीब बुला रही थी। कोमल धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए निर्मला की तरफ बढ़, रही थी, जैसे ही कोमल निर्मला के दोनों टांगों के बीच पहुंची निर्मला बोली,,,,।
बस मेरी रानी अब तुम बिस्तर के किनारे बैठ जाओ,,
( कोमल समझ नहीं पा रही थी कि निर्मला क्या करवाना चाह रही थी लेकिन फिर भी,,, इस समय कहां कामाग्नि की ज्वाला मे तप रही थी और निर्मला की खूबसूरती के आकर्षण में बंधी हुई थी,,, निर्मला कह रही थी वैसा करते हुए वह बिस्तर के किनारे बैठ गई,,,,
अब निर्मला की गुलाबी फांखों और कोमल के गुलाबी होठों के बीच की दूरी तकरीबन 1 फीट जितनी ही रह गई थी,,, इस दूरी को कम करते हुए निर्मला अपने नितंबों को नीचे की तरफ कोमल के मुंह की तरफ बढ़ा दी,,,, कोमल को अब कुछ कुछ समझ में आने लगा था।
निर्मला छिनार पंडित आते हुए अपनी बुर को कोमल की फोटो के बिल्कुल करीब कर दी इतना करीब कि वह बिस्तर पर अपने दोनो टांगों को नीचे फर्श पर टिका कर लेटी हुई थी,,,, कोमल को निर्मला के बुर की गर्मी अपने होठों पर महसूस हो रही थी,,,, बुर से उठ रही मादक खुशबू उसके नथुनों से होती हुई उसके बदन में पहुंच रही थी जिससे वह और भी ज्यादा कामातुर हुए जा रही थी।,,, कोमल बिना कुछ बोले अपने आप ही अपने होठों को बुर पर रख कर उसका स्वाद लेना चाह रही थी। ऐसा वो खुद करती इससे पहले ही निर्मला बोल पड़ी,,,
ससहहहहहहहह,,,,, कोमल रानी मेरी बुर में आग लगी हुई है। ईसे अपने होठो से चूम कर अपनी जीभ से चाट कर शांत कर दो।,,,, जल्दी करो कोमल,,,,
( कोमल की भी उत्सुकता निर्मला की बुर चाटने के लिए बढ़ती जा रही थी, वह प्यासी नजरों से निर्मला की रेसीली बुर की तरफ देख रही थी जिसमे मदनरस छलक लग रहा था।,,,, कोमल भी अपनी लालच को रोक नहीं पाई और अपने प्यासे लाल लाल होठों को निर्मला की दहकती हुई गुलाबी बुर पर रखदी,, जैसे ही कोमल ने अपने होठों को निर्मला की बुर के ऊपर रखी निर्मला पूरी तरह से कसमसा गई,,, उसका बदन झनझना उठा। मदहोशी के आलम मे उसकी आंखें खुद-ब-खुद बंद हो गई।
ससससहहहहहहहहह,,, कोमल आहहहहहहहहह,,,,
कोमल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसकी दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी। वो धीरे धीरे अपने जीभ से निर्मला की गुलाबी पत्तियों को चाटना शुरू कर दी,,, कोमल को थोड़ी ही देर में इस कार्य को करने में आनंद आने लगा धीरे-धीरे दोनों के मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी,,, शुभम यह सब देख कर एकदम मस्त हुए जा रहा था। उससे बिल्कुल भी शब्र नहीं हो रहा था,,,,। कोमल को अपनी मां की बुर चाटते हुए देखकर शुभम का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, वह सीधे बिस्तर पर चढ़ गया और घुटनों के बल बैठ कर अपने तगड़े मोटे लंबे लंड को अपनी मां के चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया। अनुभवी निर्मला समझ गए कि उसका बेटा क्या करवाना चाहता है यह सब कोमल तिरछी आंखों से देख रही थी। कोमल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि शुभम और उसकी मां क्या करने वाले हैं तभी शुभम नीचे की तरफ अपना हाथ ले जाकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया।
ससससहहहहह,,,,, सुभम,,,, आहहहहहहहहह,,,,,,
( और निर्मला गरम सिसकारी लेते हुए, बिना पकड़े ही शुभम के लंड को अपने मुंह में गटक गई,,,, अपने चेहरे को गोल गोल घुमाकर वह शुभम के मोटे लंड को चाटने का आनंद लेने लगी,,, यदि पता कोमल के बदन में कामोत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी,,, वग निर्मला की बुर चाटते चाटते अपनी बीच वाली उंगली को उसकी गुलाबी बुर फांकों के बीच के छेद में घुसा दी,,
ससससहहहहहहहह,,,,, कोमल,,,, एकदम छिनार हो गई रे तु तो,,, ( अपने बेटे के लंड को मुंह में से निकालते हुए बोली और इतना बोलने के साथ फिर से गप्प से पूरा मुंह में भर ली,,, निर्मला की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कोमल बोली,,,)
तुम्हारा छिनार पना देख कर ही यह सब सीख रही हूं,,
मेरी कोमल रानी कह तो ऐसे रही हो कि जैसे कभी भी किसी के लंड अपनी बुर मे ले कर चुदवाती ही नहीं,,,,
हां अभी तो बिल्कुल भी नहीं करवाती लेकिन जब से तुमको अपनी बेटे से चुदवाते हुए देखी हुं तब से ना जाने क्यों मुझे भी लंड लेने की इच्छा करने लगी है।,,,,,
तो आज अपनी इच्छा भी पूरी कर लेना,,,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने अपना एक हाथ नीचे की तरफ बढ़ा कर कोमल के सिर पर रख दिया और उस पर दबाव देकर अपनी बुर को और जोर-जोर से चाटने के लिए इशारा व्यक्त करने लगी,,, कोमल भी पागलों की तरह निर्मला की बुर चाटने लगी,,, तीनों अपनी अपनी मस्ती में मदहोश हुए जा रहे थे।,,, थोड़ी ही देर में निर्मला की संस्कारी की आवाज बढ़ने लगी जिस तरह से कोमल अपने बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रही थी उसे देखते हुए,,, निर्मला को इतनी दूर के अंदर मोटे तगड़ी लंड की आवश्यकता पड़ने लगी,,, निर्मला अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर उसे हिलाते हुए सिसकारी लेकर बोली,,,।
सससहहहहहह आगहहहहहहहहह,,,,, अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है बेटा,,, अब जल्दी से तू मेरी बुर में अपना लंड डालकर मुझे चोदना शुरू कर दे,,,।
मेरी बुर तेरे लंड के लिए तड़प रही है।,,,,
क्यों क्या हुआ बुआ ऊंगली से मजा नहीं आ रहा है क्या?,,,,
( इतना कहते हुए निर्मला गांड मटकाते हुए खिड़की की तरफ जाने लगी,,, निर्मला की लचकती हुई गोल गोल गाने को देखकर शुभम के साथ साथ कोमल की भी हालत खराब हुई जा रही थी। एक औरत होने के बावजूद एक स्त्री के नितंबों के प्रति उसका आकर्षण खुद ऊसे हैरान कर देने वाला लग रहा था। इेसमे कोमल का भी कोई दोस नहीं था। निर्मला की खूबसूरत बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि देखने वाला बस देखते ही रह जाता था। गोल गोल खरबूजे की तरह कभी इधर को तो कभी उधर को लुढकती हुई मदमस्त गांड दोनों की तन बदन में उत्तेजना की लहर भर दे रही थी।,,, कोमल और शुभम दोनों संपूर्णता ं नंगे होकर के निर्मला की तरफ देख रहे थे। शुभम अपनी मां की मदद कैसे छलकती जवानी देख कर अपने आप पर सब्र नहीं कर पाया और उसकी तरफ बढ़ने लगा कोमल शुभम की लटकते हुए लंड को देखकर उत्तेजना से भरी जा रही थी। जैसे ही निर्मला ने खिड़की खोली वैसे ही तुरंत शुभम उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया।
आहहहहहहहह क्या कर रहा है थोड़ा सा सब्र कर,,,
( खिड़की खोलते ही बाहर से ठंडी हवा का झोंका कमरे में प्रवेश किया,, और तीनों के बदन में शीतल हवा की ठंडक ने झुरझुरी फैला दी। अपनी मां को बाहों में भर कर अपने तने हुए लंड को उसके नितंबों पर रगडना़ शुरू कर दिया।
कोमल गया देखकर उत्तेजना से भरी जा रही थी कि उसकी आंखों के सामने एक बेटा अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ रहा था।,,, लेकिन निर्मला बेहद खुश नजर आ रही थी और उसकी खुशी का कारण यह था कि उसका बेटा कोमल जैसी खूबसूरत नंगी लड़की बगल में होने के बावजूद भी उसे अपनी बाहों में भर कर प्यार कर रहा था इसकी वजह से निर्मला को अपने बदन पर गर्व होने लगा क्योंकि यह उसके खूबसूरत बदन का ही कमाल था की,, एक जवान लड़का जवान लड़की को छोड़कर उसे प्यार कर रहा था।,,,, शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका तना हुआ लंड ऊसकी मां की गांड के बीचो-बीच गश्त लगा रहा था। जो कि निर्मला की भी उत्तेजना को बढ़ावा दे रहा था शुभम अपने दोनों हाथों में अपनी मां के दोनों खरबुझों को पकड़कर दबाता हुआ बोला,,,।
ओहहहहहहहह,,,, मम्मी क्या करूं तुम्हारी मटकती हुई गांड देखकर मुझसे रहा नहीं गया।,,,,,( निर्मला अपने बेटे के ईस छेड़खानी से खिलखिला कर हंस रही थी।)
आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है तेरा वो मुझे धंस रहा है।
धंसा रहा हूं तभी तो धंस रहा है, थोडी टांगे खोल दो तो उसे अंदर भी डाल दुं,,,,,
डाल देना मेरे राजा इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो पूरी रात बाकी है क्यों कोमल,,, सच कह रही हुं ना।,,,,
( निर्मला अपनी आंखों में मदहोशी लिए हुए कोमल से बोली)
हां बूआ अभी तो सारी रात बाकी है।,,,,,,
( निर्मला कोमल का जवाब सुन कर मुस्कुरा दी लेकिन सुभम ं एकदम पागल हुए जा रहा था। उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था उसका खुंटा बार-बार निर्मला की गुलाबी बुर पर दस्तक दे रहा था। जो की निर्मला को भी काम वीभोर कर दे रहा था।,,, निर्मला की भी हालत पल पल खराब हुए जा रही थी उसकी भी इच्छा हो रही थी कि अपने बेटे के लंड को जल्द से जल्द अपनी बुर में डलवा कर चुदवाले,,, लेकिन इतने दिनों बाद भी दिखाना ठीक नहीं था क्योंकि उसे बहुत ज्यादा मस्ती करना था अभी तो वह कोमल से अपनीं बुर चटवाने के इरादे मेथी इसलिए वहअपने बेटे को अपने से दूर करते हुएैं बोली,,,
चलो बेटा बिस्तर पर वहीं यह सब खेल खेलते हैं।
( इतना कहकर वह बिस्तर की तरफ जाने लगी शुभम ठगा सा रह गया वह खिड़की से बाहर झांका तो बाहर चांदनी रात अपना जलवा बिखेर रही थी। चारों तरफ चांदनी उजाला फैला हुआ था ज्यादा कुछ साफ तो नहीं लेकिन फिर भी सब कुछ नजर आ रहा था।,,,,
शुभम खिड़की पर अपनी नजर आया तो देखा निर्मला बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगे फैलाए हुई थी,,,, और कोमल को खाते हुए अपनी गुलाबी बुर ़की पत्तियों को अपनी उंगलियों के बीच रख कर मसल रही थी ।,,,, निर्मला को बिस्तर पर लेट कर इस तरह की हरकत करते हुए देखना कोमल भी पूरी तरह से कामा तुर हो गई वह एक टक निर्मला को ही देखे जा रही थी,,,,, निर्मला प्यासी नजरों से कोमल की तरफ देखते हैं और अपनी बुर पर हथेलीै को रगड़ते हुए बोली,,,।
इधर आओ कोमल रानी तुम्हे जवानी का मजा चखाती हूं,,,,,,
( इतना सुनकर कॉमन निर्मला के करीब जाने लगी यह सब शुभम खिड़की के करीब खड़ा हो कर देख रहा था यह भी देख रहा था कि उसकी मां कितनी ज्यादा चुदवासी हो गई थी। वह मन में सोचने लगा कि अगर हर घर में ऐसी औरत हो तो सच मे हर एक बेटा मादरचोद बन जाए।,,,, वह अपनी मां की तरफ देख रहा था निर्मला अपनी बुर को सहलाते हुए कोमल को अपने करीब बुला रही थी। कोमल धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए निर्मला की तरफ बढ़, रही थी, जैसे ही कोमल निर्मला के दोनों टांगों के बीच पहुंची निर्मला बोली,,,,।
बस मेरी रानी अब तुम बिस्तर के किनारे बैठ जाओ,,
( कोमल समझ नहीं पा रही थी कि निर्मला क्या करवाना चाह रही थी लेकिन फिर भी,,, इस समय कहां कामाग्नि की ज्वाला मे तप रही थी और निर्मला की खूबसूरती के आकर्षण में बंधी हुई थी,,, निर्मला कह रही थी वैसा करते हुए वह बिस्तर के किनारे बैठ गई,,,,
अब निर्मला की गुलाबी फांखों और कोमल के गुलाबी होठों के बीच की दूरी तकरीबन 1 फीट जितनी ही रह गई थी,,, इस दूरी को कम करते हुए निर्मला अपने नितंबों को नीचे की तरफ कोमल के मुंह की तरफ बढ़ा दी,,,, कोमल को अब कुछ कुछ समझ में आने लगा था।
निर्मला छिनार पंडित आते हुए अपनी बुर को कोमल की फोटो के बिल्कुल करीब कर दी इतना करीब कि वह बिस्तर पर अपने दोनो टांगों को नीचे फर्श पर टिका कर लेटी हुई थी,,,, कोमल को निर्मला के बुर की गर्मी अपने होठों पर महसूस हो रही थी,,,, बुर से उठ रही मादक खुशबू उसके नथुनों से होती हुई उसके बदन में पहुंच रही थी जिससे वह और भी ज्यादा कामातुर हुए जा रही थी।,,, कोमल बिना कुछ बोले अपने आप ही अपने होठों को बुर पर रख कर उसका स्वाद लेना चाह रही थी। ऐसा वो खुद करती इससे पहले ही निर्मला बोल पड़ी,,,
ससहहहहहहहह,,,,, कोमल रानी मेरी बुर में आग लगी हुई है। ईसे अपने होठो से चूम कर अपनी जीभ से चाट कर शांत कर दो।,,,, जल्दी करो कोमल,,,,
( कोमल की भी उत्सुकता निर्मला की बुर चाटने के लिए बढ़ती जा रही थी, वह प्यासी नजरों से निर्मला की रेसीली बुर की तरफ देख रही थी जिसमे मदनरस छलक लग रहा था।,,,, कोमल भी अपनी लालच को रोक नहीं पाई और अपने प्यासे लाल लाल होठों को निर्मला की दहकती हुई गुलाबी बुर पर रखदी,, जैसे ही कोमल ने अपने होठों को निर्मला की बुर के ऊपर रखी निर्मला पूरी तरह से कसमसा गई,,, उसका बदन झनझना उठा। मदहोशी के आलम मे उसकी आंखें खुद-ब-खुद बंद हो गई।
ससससहहहहहहहहह,,, कोमल आहहहहहहहहह,,,,
कोमल पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसकी दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी। वो धीरे धीरे अपने जीभ से निर्मला की गुलाबी पत्तियों को चाटना शुरू कर दी,,, कोमल को थोड़ी ही देर में इस कार्य को करने में आनंद आने लगा धीरे-धीरे दोनों के मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी,,, शुभम यह सब देख कर एकदम मस्त हुए जा रहा था। उससे बिल्कुल भी शब्र नहीं हो रहा था,,,,। कोमल को अपनी मां की बुर चाटते हुए देखकर शुभम का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, वह सीधे बिस्तर पर चढ़ गया और घुटनों के बल बैठ कर अपने तगड़े मोटे लंबे लंड को अपनी मां के चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया। अनुभवी निर्मला समझ गए कि उसका बेटा क्या करवाना चाहता है यह सब कोमल तिरछी आंखों से देख रही थी। कोमल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि शुभम और उसकी मां क्या करने वाले हैं तभी शुभम नीचे की तरफ अपना हाथ ले जाकर अपनी मां की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया।
ससससहहहहह,,,,, सुभम,,,, आहहहहहहहहह,,,,,,
( और निर्मला गरम सिसकारी लेते हुए, बिना पकड़े ही शुभम के लंड को अपने मुंह में गटक गई,,,, अपने चेहरे को गोल गोल घुमाकर वह शुभम के मोटे लंड को चाटने का आनंद लेने लगी,,, यदि पता कोमल के बदन में कामोत्तेजना की चिंगारियां फूटने लगी,,, वग निर्मला की बुर चाटते चाटते अपनी बीच वाली उंगली को उसकी गुलाबी बुर फांकों के बीच के छेद में घुसा दी,,
ससससहहहहहहहह,,,,, कोमल,,,, एकदम छिनार हो गई रे तु तो,,, ( अपने बेटे के लंड को मुंह में से निकालते हुए बोली और इतना बोलने के साथ फिर से गप्प से पूरा मुंह में भर ली,,, निर्मला की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कोमल बोली,,,)
तुम्हारा छिनार पना देख कर ही यह सब सीख रही हूं,,
मेरी कोमल रानी कह तो ऐसे रही हो कि जैसे कभी भी किसी के लंड अपनी बुर मे ले कर चुदवाती ही नहीं,,,,
हां अभी तो बिल्कुल भी नहीं करवाती लेकिन जब से तुमको अपनी बेटे से चुदवाते हुए देखी हुं तब से ना जाने क्यों मुझे भी लंड लेने की इच्छा करने लगी है।,,,,,
तो आज अपनी इच्छा भी पूरी कर लेना,,,,,
( इतना कहने के साथ ही निर्मला ने अपना एक हाथ नीचे की तरफ बढ़ा कर कोमल के सिर पर रख दिया और उस पर दबाव देकर अपनी बुर को और जोर-जोर से चाटने के लिए इशारा व्यक्त करने लगी,,, कोमल भी पागलों की तरह निर्मला की बुर चाटने लगी,,, तीनों अपनी अपनी मस्ती में मदहोश हुए जा रहे थे।,,, थोड़ी ही देर में निर्मला की संस्कारी की आवाज बढ़ने लगी जिस तरह से कोमल अपने बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर कर रही थी उसे देखते हुए,,, निर्मला को इतनी दूर के अंदर मोटे तगड़ी लंड की आवश्यकता पड़ने लगी,,, निर्मला अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर उसे हिलाते हुए सिसकारी लेकर बोली,,,।
सससहहहहहह आगहहहहहहहहह,,,,, अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है बेटा,,, अब जल्दी से तू मेरी बुर में अपना लंड डालकर मुझे चोदना शुरू कर दे,,,।
मेरी बुर तेरे लंड के लिए तड़प रही है।,,,,
क्यों क्या हुआ बुआ ऊंगली से मजा नहीं आ रहा है क्या?,,,,