hotaks444
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‘ओह शट अप भाई… ये बात कहाँ से आई.. और वैसे भी अभी मेरी शादी में टाइम है…. फिलहाल मैने इसके लिए पूछा के शायद वहाँ से ज़्यादा इन्फ़ॉर्मेशन निकाल सकूँ मैं..:
“नहीं डियर, एरिसटॉटल को तो इंटररपोल के नाम से वीसा जल्दी मिलेगा, पर तेरे तो रेग्युलर टाइम लगेगा ना, आंड बिसाइड्स एरिसटॉटल एक इंटेलिजेंट बंदा है.. वो अकेला हॅंडल कर लेगा ये सब, आंड तेरी मोम को पता चला तो फिर तेरे साथ कुछ ग़लत ना हो.. मैं रिस्क नहीं लूँगा अब कुछ.. शायद डॉली से भी मुझे सब बातें कर लेनी चाहिए थी, पर किस्मत ही खराब है शायद अपनी… बट फाइनल नाउ , तू नहीं जा रही कहीं. यहीं पे रह तू..”
“पर मुझे एक बात बता, तुझे कैसे पता चला इतना कुछ उस वाच के बारे में.. आइ मीन, हमने तो कभी नहीं सोचा के इतनी एक्सपेन्सिव वाच हो भी सकती है, मेरे हिसाब से राडो आंड रोलेक्स आर दा एक्सपेन्सिव वॉचस, पर ये कौन कंपनी है” मैने आश्चर्य दिखा के पूछा
“ आइ डॉन’ट नो भाई… अभी एक या दो महीने पहले की बात है, मैं एक पार्टी में गयी थी, याद नहीं फॅमिली फंक्षन था या कुछ और, पर वहाँ किसी के हाथ में देखी थी… मैने उस वाच की डीटेल्स पूछ के उसके बारे में नेट पे ज़्यादा पढ़ लिया..” ललिता ने सवालिया नज़रों से ये कहा..
“ललिता, याद कर, किसके हाथ में देखी थी ये ... थोड़ा ज़ोर डाल, शायद इससे कुछ क्लू मिले, इससे बहुत हेल्प होगी हमे..” अब मैं ललिता के उपर नाचने लगा था..
“वेट भाई… याद तो करने दो, आंड याद आएगा तो आपको ही बताऊँगी, फिलहाल मुझे कुछ ख़याल नहीं आ रहा…. ये भी याद नहीं आ रहा कि वो फॅमिली फंक्षन था या कुछ और.. और वैसे भी सेम वाच दो अलग अलग आदमियों की हो सकती है ना.. इसलिए चिल, एरिसटॉटल को जाने दो ज़ुरी, वहाँ से वी विल गेट ऑल दा इन्फ़ॉर्मेशन..” ललिता ने इतना ही कहा कि नीचे से कुछ जानी पहचानी आवाज़ें आने लगी…
"बहेन जी.. नमस्ते, क्या हाल है आपका..." नीचे आई अंशु ने मोम से कहा.. अंशु के साथ पूजा भी थी... इन दोनो के लिए मेरे दिमाग़ में जो भी नफ़रत थी, पूजा को देख के एक सेकेंड के लिए सब गायब हो जाती थी.. पूजा लग ही ऐसी रही थी, वाइट चूड़ीदार में एक दम परी की तरह. उसके बाल बँधे हुए थे इस बार बट लूज छोड़ रखे थे, कान में झुमके लटकते हुए, उसकी गर्दन, उसका फिगर.. हाए भगवान... इसे दुश्मन क्यूँ बनाया तूने, ये सब सोचते हुए ललिता और मैं सीडीयाँ ही उतर रहे थे कि मैने एक स्टेप मिस कर दिया जिसकी वजह से स्लिप होते होते रह गया....
"उः ओह भाई... ध्यान से, क्या कर रहे हो.." ललिता ने मुझे संभालते हुए कहा..
"सॉरी.. वो यार.." मैं इतना ही कहा कि फिर ललिता ने आँखें दिखा के कहा
"दिमाग़ ठीक है आपका, वो ऐसा निकली है, फिर भी आप उसके लिए पागल हो... ध्यान से चलो अब, नहीं तो मैं आपको छोड़ दूँगी, फिर करते रहना ये सब अकेले, समझे" ललिता ने गुस्सा दिखाते कहा
'अरे बेटे ध्यान से.. मोच तो नहीं आई तुम्हे..." मोम ने हमे देखते हुए कहा
"नहीं मोम... आइ अम फाइन... आंड तुम गुस्सा कम करो समझी, मैं कंट्रोल करता हूँ.." मैने ललिता से कहा और हम नीचे लिविंग रूम में आ गये जहाँ मोम के साथ शन्नो, अंशु और पूजा बैठे थे...
"और दीदी... आप कैसे हो, " अंशु ने शन्नो से पूछा...
"ह्म्म्म ... ठीक हूँ..." शन्नो ने बस यही जवाब दिया
"ललिता बेटी, इधर आओ.. तुम ठीक हो ना, " अंशु ने ललिता को देखते हुए कहा..
"आइ अम फाइन मासी... आप बहुत दिनो बाद आए, जिस वक़्त मोम को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी आपकी, आप उसी वक़्त चले गये, दिस ईज़ नोट फेर मासी..." ललिता ने गुस्से में अंशु को जवाब दिया
"बेटे, आइ नो, इसलिए तो यहाँ आई हूँ.. मैं दीदी को अपने साथ अपने घर ले जाना चाहती हूँ... इनफॅक्ट तुम भी हमारे साथ चलो तो बहुत अच्छा लगेगा हमे.. बहेन जी, आप की पर्मिशन हो तो मैं दीदी को अपने साथ ले जाउ कुछ दिन..." अंशु ने ललिता के साथ मोम से भी कहा
"जी इसमे इजाज़त कैसी... बेशक आप इन्हे ले जाइए, शायद शन्नो को माहॉल बदलने से कुछ फ़ायदा मिले... और ललिता बेटे, तुम भी जाओ मोम के साथ, उनको ज़रूरत पड़ेगी..." मोम ने ललिता से कहा...
ललिता अब भी कन्फ्यूषन में थी कि वो जाए कि नहीं, मैने तुरंत बाथरूम जाने के बहाने दूर जाके ललिता को एसएमएस किया
"प्लीज़ डोंट गो... आइ नो व्हाट विल हॅपन देअर.."
ललिता ने जवाब दिया
" आइ नो.. विल नोट गो देअर.. आंड मोम, शी हैज वेरी मच बिकम आ पार्ट ऑफ इट नाउ.. "
कुछ सेकेंड्स में फिर मैं वहीं जाके बैठ गया, जहाँ मोम और अंशु बातें कर रहे थे, ललिता और अंशु ललिता के कमरे में जा चुके थे, और शन्नो भी अपने कमरे में निकल गयी थी...
“नहीं डियर, एरिसटॉटल को तो इंटररपोल के नाम से वीसा जल्दी मिलेगा, पर तेरे तो रेग्युलर टाइम लगेगा ना, आंड बिसाइड्स एरिसटॉटल एक इंटेलिजेंट बंदा है.. वो अकेला हॅंडल कर लेगा ये सब, आंड तेरी मोम को पता चला तो फिर तेरे साथ कुछ ग़लत ना हो.. मैं रिस्क नहीं लूँगा अब कुछ.. शायद डॉली से भी मुझे सब बातें कर लेनी चाहिए थी, पर किस्मत ही खराब है शायद अपनी… बट फाइनल नाउ , तू नहीं जा रही कहीं. यहीं पे रह तू..”
“पर मुझे एक बात बता, तुझे कैसे पता चला इतना कुछ उस वाच के बारे में.. आइ मीन, हमने तो कभी नहीं सोचा के इतनी एक्सपेन्सिव वाच हो भी सकती है, मेरे हिसाब से राडो आंड रोलेक्स आर दा एक्सपेन्सिव वॉचस, पर ये कौन कंपनी है” मैने आश्चर्य दिखा के पूछा
“ आइ डॉन’ट नो भाई… अभी एक या दो महीने पहले की बात है, मैं एक पार्टी में गयी थी, याद नहीं फॅमिली फंक्षन था या कुछ और, पर वहाँ किसी के हाथ में देखी थी… मैने उस वाच की डीटेल्स पूछ के उसके बारे में नेट पे ज़्यादा पढ़ लिया..” ललिता ने सवालिया नज़रों से ये कहा..
“ललिता, याद कर, किसके हाथ में देखी थी ये ... थोड़ा ज़ोर डाल, शायद इससे कुछ क्लू मिले, इससे बहुत हेल्प होगी हमे..” अब मैं ललिता के उपर नाचने लगा था..
“वेट भाई… याद तो करने दो, आंड याद आएगा तो आपको ही बताऊँगी, फिलहाल मुझे कुछ ख़याल नहीं आ रहा…. ये भी याद नहीं आ रहा कि वो फॅमिली फंक्षन था या कुछ और.. और वैसे भी सेम वाच दो अलग अलग आदमियों की हो सकती है ना.. इसलिए चिल, एरिसटॉटल को जाने दो ज़ुरी, वहाँ से वी विल गेट ऑल दा इन्फ़ॉर्मेशन..” ललिता ने इतना ही कहा कि नीचे से कुछ जानी पहचानी आवाज़ें आने लगी…
"बहेन जी.. नमस्ते, क्या हाल है आपका..." नीचे आई अंशु ने मोम से कहा.. अंशु के साथ पूजा भी थी... इन दोनो के लिए मेरे दिमाग़ में जो भी नफ़रत थी, पूजा को देख के एक सेकेंड के लिए सब गायब हो जाती थी.. पूजा लग ही ऐसी रही थी, वाइट चूड़ीदार में एक दम परी की तरह. उसके बाल बँधे हुए थे इस बार बट लूज छोड़ रखे थे, कान में झुमके लटकते हुए, उसकी गर्दन, उसका फिगर.. हाए भगवान... इसे दुश्मन क्यूँ बनाया तूने, ये सब सोचते हुए ललिता और मैं सीडीयाँ ही उतर रहे थे कि मैने एक स्टेप मिस कर दिया जिसकी वजह से स्लिप होते होते रह गया....
"उः ओह भाई... ध्यान से, क्या कर रहे हो.." ललिता ने मुझे संभालते हुए कहा..
"सॉरी.. वो यार.." मैं इतना ही कहा कि फिर ललिता ने आँखें दिखा के कहा
"दिमाग़ ठीक है आपका, वो ऐसा निकली है, फिर भी आप उसके लिए पागल हो... ध्यान से चलो अब, नहीं तो मैं आपको छोड़ दूँगी, फिर करते रहना ये सब अकेले, समझे" ललिता ने गुस्सा दिखाते कहा
'अरे बेटे ध्यान से.. मोच तो नहीं आई तुम्हे..." मोम ने हमे देखते हुए कहा
"नहीं मोम... आइ अम फाइन... आंड तुम गुस्सा कम करो समझी, मैं कंट्रोल करता हूँ.." मैने ललिता से कहा और हम नीचे लिविंग रूम में आ गये जहाँ मोम के साथ शन्नो, अंशु और पूजा बैठे थे...
"और दीदी... आप कैसे हो, " अंशु ने शन्नो से पूछा...
"ह्म्म्म ... ठीक हूँ..." शन्नो ने बस यही जवाब दिया
"ललिता बेटी, इधर आओ.. तुम ठीक हो ना, " अंशु ने ललिता को देखते हुए कहा..
"आइ अम फाइन मासी... आप बहुत दिनो बाद आए, जिस वक़्त मोम को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी आपकी, आप उसी वक़्त चले गये, दिस ईज़ नोट फेर मासी..." ललिता ने गुस्से में अंशु को जवाब दिया
"बेटे, आइ नो, इसलिए तो यहाँ आई हूँ.. मैं दीदी को अपने साथ अपने घर ले जाना चाहती हूँ... इनफॅक्ट तुम भी हमारे साथ चलो तो बहुत अच्छा लगेगा हमे.. बहेन जी, आप की पर्मिशन हो तो मैं दीदी को अपने साथ ले जाउ कुछ दिन..." अंशु ने ललिता के साथ मोम से भी कहा
"जी इसमे इजाज़त कैसी... बेशक आप इन्हे ले जाइए, शायद शन्नो को माहॉल बदलने से कुछ फ़ायदा मिले... और ललिता बेटे, तुम भी जाओ मोम के साथ, उनको ज़रूरत पड़ेगी..." मोम ने ललिता से कहा...
ललिता अब भी कन्फ्यूषन में थी कि वो जाए कि नहीं, मैने तुरंत बाथरूम जाने के बहाने दूर जाके ललिता को एसएमएस किया
"प्लीज़ डोंट गो... आइ नो व्हाट विल हॅपन देअर.."
ललिता ने जवाब दिया
" आइ नो.. विल नोट गो देअर.. आंड मोम, शी हैज वेरी मच बिकम आ पार्ट ऑफ इट नाउ.. "
कुछ सेकेंड्स में फिर मैं वहीं जाके बैठ गया, जहाँ मोम और अंशु बातें कर रहे थे, ललिता और अंशु ललिता के कमरे में जा चुके थे, और शन्नो भी अपने कमरे में निकल गयी थी...