Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें - Page 28 - SexBaba
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Sex Kahani मेरी सेक्सी बहनें

"सुन चूतिए... सुन, तेरी इनी हरकतों की वजह से आज हमारे नाम पे एक फूटी कोड़ी नहीं है... फॅक्टरी में जाके क्या गान्ड ही मरवाता है साले गान्डु... अनपढ़ भैनचोद..." कहके संजय वापस ललिता के पास आया



"ललिता.. पुरानी बातें भूल जा.. अब हम साथ हैं" कहके जैसे ही संजय पलटा ललिता ने उसे कहा



"नही संजय.. हम साथ नहीं है... इतने छोटे प्लान में मैं तुम्हारा साथ क्यूँ दूं.. इससे बड़ा प्लान मेरे दिमाग़ में है अभी.." ललिता ने अपनी सीट पे बैठ के कहा



"और वो क्या है ललिता.." संजय वापस अपनी चेर पे गया जहाँ पूजा उसके लिए सिगरेट लेके खड़ी थी



"वो मैं तुम्हे बाद में बताऊँगी.. पहले मैं जानना चाहती हूँ, तुमने इस काम के लिए इतने लोगों को क्यूँ इन्वॉल्व किया... आइ मीन, तुमने ये सब किया क्यूँ"



"ललिता.. शायद तुम भूल गयी हो, कि वीरानी ने मुझे तो चोट पहुँचाई थी, पर उसने डॅड को भी जैल पहुँचाया था... वो ड्रग्स का बॅग, उन्हो ने ही कार में रखवाया था, और उन्हे गिरफ्तार करवाया था.. ये तो भला हो दिलीप मासा का, उन्होने डॅड को बैल दिलवाई.. मुझे आज भी याद है वो दिन जब डॅड जैल से रिहा हुए थे और अंशु के घर पे बैठे थे.. मैं भी था वहाँ, डॅड की आँखों से, उनके हाथों से. हर जगह से खून बह रहा था.. यहाँ तक कि वो चल भी नहीं पा रहे थे.. और उनका गुनाह क्या था.. के उन्होने एक दो कौड़ी की असिस्टेंट का रेप किया था... उस दिन उन्होने साबित कर दिया कि डॅड उनके सौतेले भाई हैं.. मैं नहीं भूल सकता ललिता, तू भले ही भूल जाए, लेकिन मैं नहीं भूल सकता वो दिन जब मोम के पास एक ढंग की साड़ी नहीं थी और राज की माँ ने भी उनकी मदद नहीं की थी... आज तक हर जगह, हर वक़्त उन्होने हमे ज़लील ही किया है.. आज तक उन्होने मेरा हाल तक नहीं पूछा.... और तुझे आज भी उनकी फ़िक्र है ज़्यादा...." संजय ने सीट पे वापस बैठते हुए कहा



"नहीं, फ़िक्र तुम्हारी है तभी तो पूछ रही हूँ... तुम्हारी बात तो मुझे समझ आई पर ये बाकी के लोग... क्या विश्वास है इनका के ये लोग हमे धोखा नहीं देंगे संजय.. आज की डेट पे हमे किसी का इतना भरोसा नहीं करना चाहिए" ललिता ने बाकी सब को देखते हुए कहा



"हाहहाहा.. किसपे भरोसा नहीं है तुझे... इस पूजा पे" उसने पूजा को खड़ा करते हुए कहा


"सुन ध्यान से, पूजा और इसके माँ बाप आज भी हमारे गुलाम रहेंगे, और आगे जाके भी... क्यूँ कि जिस दिन पूजा अपने घर पे बैठ के आराम से दारू पी रही थी, अंशु और उसका पति उनके मा बाप से झगड़ा कर रहे थे.. अंशु के सास ससुर के पास इतनी प्रॉपर्टी थी कि कोई सोच भी नहीं सकता... पर उनके पास एक चीज़ नहीं थी... दिमाग़.. उन बूढ़ों ने सारी प्रॉपर्टी किसी ट्रस्ट के नाम पे की थी.. इस बात को लेके, रोज़ अंशु और उसके सास ससुर का झगड़ा होता था... लेकिन एक दिन, मेरी प्यारी डॉल.. मेरी डार्लिंग पूजा ने अपना दिमाग़ चलाया.. उसने यूनिवर्सिटी के फॉर्म के बहाने अपने प्यारे दादा दादी से साइन करवा ली और उनकी प्रॉपर्टी के नकली डॉक्युमेंट्स बना दिए.. उन पेपर्स के हिसाब से अब सारी प्रॉपर्टी पूजा की थी.. बात तो ये खुशी की थी, पर फिर भी अंशु खुश नहीं थी... उसने गुस्से में आके अपने सास ससुर को मार डाला... जिस रात को उसने और उसके पति ने उन बूढ़ो का खून किया, उनकी बॅड लक.. और मेरी गुड लक, मैं वहाँ पहुँच गया था.. पहुँचा तो मैं कुछ पैसे लेने था, पर मेरी किस्मत देखो... मैने अंशु को उसके सास ससुर को ठिकाने लगाने में मदद की.. तब से लेके आज तक, पूजा और अंशु मेरे तलवे ही चाटेंगे.. है ना मेरी रंडियों" कहके संजय ने पूजा को अपने बाजू में से धक्का दिया...



"ओह.. तो अभी अंशु और उसके बाप को हम कभी भी यूज़ कर सकते हैं, पर पूजा को नहीं,, क्यूँ कि इस किस्से में तो पूजा ने कुछ नहीं किया.. ललिता अब खुलके अपने सवाल पूछने लगी



"अहहहहहा.... व्हाट आ जोक हाँ... ये ऐसा करेगी तो इसके माँ बाप की लाश भी नहीं मिलेगी इसको..और इसके बाप को तो मैं यूज़ कर चुका हूँ समझी..." ज़य ने अंशु के पति को देखते हुए कहा



"ललिता... तुम्हारी बहेन का खून मैने ही किया है... उसे मैने ही मारा है.." दिलीप ने गर्व के साथ खड़े होके कहा



ललिता की आँखों में खून उतर आया... पर उसने खुद पे काबू रखा और पूछा



"क्यूँ.. "



"क्यूँ कि वो राज के हाथों की कट्पुतली बन चुकी थी.,, और पायल ने मिलके डॉली का एमएमस बनाया था जिसकी वजह से वो लोग डॉली को इस्तेमाल करके हम तक पहुँच सकते थे... ये बात हमे पायल ने खुद बताई... अगर वो नहीं मरती, तो आज हम सब यहाँ नहीं बैठे होते..." दिलीप ने बहुत ही सीधे तरीके से ये बात कही.. ना एमोशन्स, ना दुख.. कुछ भी नहीं



"पर संजय.... माया बुआ और पायल क्या कर रहे हैं इधर" ललिता ने आखरी सवाल पूछा



"माया बुआ बेचारी.... उनके पति का कर्ज़ा चढ़ चुका है... कितना है बुआ, ज़रा बताएँगे प्लीज़.." संजय ने माया बुआ को देखते हुए कहा



"20 करोड़.. और ललिता, उनके बिज़्नेस में हो रहे लॉस की वजह से ये कर्ज़ा आज 40 करोड़ हो चुका है..." माया बुआ ने दुख भरी आवाज़ में कहा
 
"तो फिर आपको तो इसमे 5 करोड़ मिलेंगे.. बाकी के पैसे कहाँ से लाएँगी आप..." ललिता ने माया बुआ से कहा



"वो नहीं सोचा है... फिलहाल ये 5 करोड़, घर गाड़ी सोना ज़ेवर बेच के कुल 25 करोड़ इकट्ठे हो जाएँगे... टोटल 30 करोड़.. बाकी के 10 करोड़ के लिए हम ज़्यादा मौहलत ले लेते लेनदारों से" बुआ ने अपनी आँखें पोछते हुए कहा



"और पायल तुम...." ललिता ने पायल को देखते हुए कहा



पायल जवाब देती इससे पहले संजय ने कहा



"हहहहा.. उसने अब तक कुछ नहीं किया... उसने बस राज को अपने प्यार में फ़साए रखा... जब हमे लगा पूजा अब ये काम कर लेगी, हमने उसे वहाँ से हटा दिया... पायल को तो अभी....... यूज़ करना बाकी है ललिता" संजय अपनी सीट से पायल के पास आया था और उसके चेहरे पर उंगली फेरते हुए बोला



"तो तुमने माया बुआ और पायल से कुछ नहीं करवाया अब तक.. हम उन्हे अभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं" ललिता ने संजय से पूछा



"नहीं.. और हां ... पायल को हम जब चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं, बट माया बुआ हमारा एक काम कर चुकी हैं.. माया बुआ, बताएँगे प्लीज़..." संजय ने माया को देखते हुए कहा



"ललिता... तुम्हारी बहेन को मारने के लिए दिलीप को हथियार मैने ही दिया था.. वो स्विस नाइफ थी.. हमने उसका इस्तेमाल किया क्यूँ कि अगर किसी भी तरह पोलीस को पता चलता कि ये हथियार यूज़ हुआ है, तो भी आसानी से उन्हे सबूत नहीं मिलता, क्यूँ कि ऐसी नाइफ इंडिया में मुश्किल से एक जगह अवेलबल है" कहके माया बैठने लगी सीट पे और धीरे धीरे उसकी आँखें नम हो रही थी



"और और बोलिए... माया बुआ जी..." संजय ने माया को इशारा करते हुए बोला



"और ललिता बेटे.... तुम्हारी बहेन की डेड बॉडी भी मैने और दिलीप ने मिलके ट्रॅक्स पे फेंक दी, ताकि ट्रेन उसके उपर से गुज़रेगी तो किसी को बॉडी पूरी नहीं मिलेगी..." कहके माया अब सिसक रही थी आँसुओं से



"रोना बंद करो समझिइीईईईईईईई" संजय माया पे चिल्लाया



"हां तो ललिता.. अब तुम बताओ तुम्हारा क्या प्लान है.." संजय ने ललिता से कहा



"संजय, अभी प्रॉपर्टी पूजा के नाम हुई है 50 %, विच ईज़ रफ्ली 133 करोड़... क्यूँ ना हम राज को मार दें.. इससे हमे ये फ़ायदा होगा, कि राज के जाते ही पूरी प्रॉपर्टी पूजा के नाम होगी. मीन्स हमारी होगी..



"और ज़य का क्या करेंगे हम.." संजय ने ललिता से सीरीयस होके पूछा



"ज़य कोई मायने नहीं रखता, उसके नाम पे 10 करोड़ है , वो घर से दूर रहता है.. उसे कब मारेंगे, कब गायब करेंगे किसी को कानो कान खबर भी नहीं होगी.." ललिता ने संजय के हाथ से सिगर्रेट लेते हुए बोला



"हहहहा.. यआः, आइ लाइक इट ललिता.. राज को कैसे मारेंगे, वो बताओ अब" संजय ने ललिता से सिगर्रेट छीनते हुए कहा



"वो भी प्लान है मेरे पास... शादी के बाद राज अपने मा बाप को ऑस्ट्रेलिया भेजने वाला है ज़य के साथ... मतलब पूजा और राज अकेले होंगे.. नया शादी का जोड़ा घूमने जाएगा बाहर.. पूजा को बोल दो कि हनीमून पे पहाड़ी इलाक़े में जाए और उसकी गाड़ी में.. उसकी गाड़ी की ब्रेक्स फैल कर दो और खेल ख़तम.. लौंडा गुम हो जाएगा" ललिता ने संजय के आस पास घूमते हुए बोला



"हहहहहा.. हाआँ अहहा.. यॅ नाइस... सुन आए रंडी पूजा.... शादी के बाद कहाँ जाएगी घूमने, अब तक सोचा हम" संजय ने पूजा को देखते हुए कहा



"अब तक नहीं संजय.. लोनवाला या महाबालेश्वर सही रहेगा..." पूजा संजय के पास आती हुई बोली



"महाबालेश्वर जा समझी... और एक दिन में उसका खेल निपटा... बेटे की मौत का सुनके उसके माँ बाप यूही मर जाएँगे.." समझे तुम सब, या नहीं..
संजय ने सब को चिल्लाते हुए कहा

सब ने हामी भरी और संजय वापस अपनी चेर पे जा बैठा...



"ललिता डार्लिंग.. प्लीज़ कम हियर..."
 
ललिता उसके पास जाने लगी.. जैसे ही ललिता उसके पास पहुँची, संजय उसके बदन पे हाथ घुमाने लगा.. देखते देखते ललिता ने उसे रोक दिया



"संजय.. एक बार प्रॉपर्टी हाथ लगने दो... फिर आइ आम ऑल युवर्ज़... अभी डिस्टर्ब नहीं होना चाहती मैं प्लीज़.." ललिता ने संजय को देखते हुए कहा



"ओके.. तू नहीं, तो ये रंडी ही सही..." कहके संजय ने पूजा को पकड़ा और उसके होंठ चूसना चालू कर दिया



इतने में ललिता ने जाके वो डीवीडी बंद कर दी, क्यूँ कि उसके आगे उन लोगों की चुदाई थी जिससे डॅड को ज़्यादा धक्का पहुँचता..



"इतना बड़ा धोखा.. हाउ डरे यू.." कहके डॅड संजय के पास जा रहे थे, तभी एरिसटॉटल ने उन्हे रोका



"मिस्टर वीरानी.. प्लीज़ कंट्रोल, आइ विल टेक केर ऑफ देम.."



"इनस्पेक्टर... मेक श्योर थे रिमेन इन जैल फॉर एंटाइयर लाइफ" डॅड अपनी आँखें पोछते हुए बोले



"संजय... जोश के साथ होश खोना अच्छी बात नहीं... ललिता ने तो केवल अपना काम किया... उसे भेजा गया था तुम्हारे बीच ताकि वो तुम्हारी प्लॅनिंग जान सके... तुम जोश में आके उसे सब बताने लगे और मेरा काम आसान हो गया....."




"आंड यू मिस्टर आंड मिसेज़ जोशी... आइ हॅव नो वर्ड्स फॉर यू...." कहके जैसे ही मैं आगे बढ़ा तभी अंशु बोली



", इनस्पेक्टर सर.. ये सब संजय ने झूठ कहा.. हमने हमारे माँ बाप को नहीं मारा.."



"जी ठीक है, आपको गवाह बना देता हूँ मैं.." कहके मैने अपना रुख़ उनके ड्राइवर तिवारी और उनके गार्डनर यादव की तरफ किया और उन्हे इशारा किया



"जी इनस्पेक्टर साहब.. इन्होने ही खून किया है, हमने अपनी आँखों से देखा है, हमने इन्हे माँ बाबू जी की लाश को इनके घर के गार्डेन में ही दफनाते हुए देखा था.. जैसे ही हमने इन्हे देखा, इन्होने हमे 50,000 रुपये दिए थे मूह बंद रखने के लिए.. "



"और आगे की कहानी आपको जैल में पता चलेगी मेडम.."




एरिसटॉटल.. पायल और माया बुआ के खिलाफ हमे कोई कंप्लेंट नहीं है... तुम इन्हे अरेस्ट नही करो प्लीज़.. ललिता ने जो भी किया इनका जुर्म कबूल करवाने के लिए किया, शी ईज़ नोट गिल्टी एनीवेस.... बाकी सब लोगों को तुम हिरासत में ले सकते हो



"मैने कुछ नहीं किया .. दादा दादी ने जयदाद मेरे नाम पे ही की थी, प्लीज़ मेरा यकीन करें"



"प्रसाद जी.. आप आगे आइए प्लीज़" मैने प्रसाद को आगे बुलाते हुए कहा



"इनस्पेक्टर, मैं लीगल काउनसेलर हूँ ओल्ड होम ट्रस्ट का.. मरने से दो दिन पहले इनके दादा दादी ने मुझे घर बुलाया था और मुझे अपनी जायदाद के पेपर्स दिए थे.. लेकिन जिस दिन इनकी मौत हुई, उसके अगले दिन ही ये मेडम पेपर्स लेके आई हमारे पास और प्रॉपर्टी पे क्लेम कर दिया.. मेरे ऑफीस के स्टाफ ने इनके लालच में आके इन्हे पेपर्स बेच दिए थे.. हम कुछ नहीं कर सके"



"यू लाइयर... मैं सच बोल रही हूँ, और मैं वो पेपर्स कभी नहीं दूँगी आपको..." पूजा चिल्लाने लगी




"यू माइट वान्ट टू चेक दट अगेन लेडी.." मैने अपनी शेरवानी के अंदर से पेपर्स निकालते हुए कहा



"ये वोई पेपर्स हैं ना... तुमने किसी से धोके से चुराए... और मैने तुम्हारे साथ वोई किया..."
 
"डोंट बी शॉक्ड पूजा... पेपर्स तुम अपने घर के लॉकर में रखती हो.. तुम इंडोनेषिया आई और अंशु राज के घर पे थी.. तुम्हारे घर की चाबियाँ लेके मैं तुम्हारे घर आई और पेपर्स निकाल दिए.... राज को मैने पेपर्स फॅक्स कर दिए साइन करने के लिए... तुमने बॅंक पेपर्स के साथ इन पेपर्स पर भी साइन कर दिया... पर लीगली साइन ओरिजिनल पेपर्स पे भी होनी चाहिए, फॅक्स नहीं चलता.. इसलिए अंकल जिस दिन तुमसे साइन लेने आए थे उनकी असेट्स के पेपर पे, मैने बीच में ये पेपर्स भी रख दिए.. क्यूँ कि अंकल साइन ले रहे थे तुमने पेपर्स पढ़े नहीं और साइन कर दिए" ललिता ने पूजा के सामने आते हुए कहा



"पूजा.. मैं सही में तुमसे प्यार करने लगा था.. बट... " मैं सिर्फ़ इतना ही बोल पाया और डॅड के साथ खड़ा हो गया



"और आप सब लोगों को एक और बात बता दूं... डॅड की असेट वॅल्यू कितनी है वो संजय पहले से जानता था.. चौकसे जी, आप ज़रा बताएँगे प्लीज़



"कुछ महीने पहले ये साहब मेरी ऑफीस आए थे और पैसे की लालच देके मुझसे वीरानी जी के सब फाइनान्षियल स्टेट्मेंट्स माँगने लगे... मैने इन्हे जब मना किया तब इन्होने मुझे 5 लाख ऑफर किया, मैं मना नहीं कर सका और इन्हे सब डॉक्युमेंट्स दे दिए" चौकसे ने अपना गुनाह कबुल किया



"चौकसे हाउ कॅन यू डू दिस.. यूआर ब्लडी सीए, बिक गये चन्द रुपयों के लिए" डॅड ने उसे तमाचा मारते हुए कहा


".. संजय के खिलाफ कंप्लेंट बनेगी ये पूरी साज़िश रचने की और डेड बॉडीस को छुपाया वो अलग... इतने क्राइम्स हुए वो सब छुपाया... पूजा के बाप पे तो दर्ज़नो केस चल रहे हैं, आज एक और जुड़ गया.. इनके साथ इनकी बीवी भी जाएगी... आंड आइ एम सॉरी पर तुम्हारे चाचा चाची भी जैल में जाएँगे.. डॉली के मर्डर के बारे में इन्हे पहले ही पता था, फिर भी इन्होने छुपाया



ये कहके एरिसटॉटल उन्हे अपने साथ ले गया और होटेल में रह गये ललिता, मैं , माया और पायल... डॅड बिना कुछ बोले निकल गये वहाँ से और मोम और ज़य को लेके घर निकल गये.. पीछे पीछे हम भी चल दिए और घर पे जाके उनको सब बताना चाहा...


जैसे ही मैं ललिता और पायल और माया बुआ के साथ घर पहुँचा.. डॅड मोम और ज़य के साथ चर्चा कर रहे थे..


"डॅड.." मैने एंटर होते हुए कहा



डॅड मेरे पास आए और एक ज़ोर का तमाचा मेरे गाल पे दे मारा.. मोम के साथ बाकी सब लोग भी हैरान थे, बट मैं जानता था कि उन्होने ऐसा क्यूँ किया



"डॅड.. आइ आम सॉरी, मैं आपको बताना चाहता था, बट आप लोग डिस्टर्ब हो जाते इसलिए नहीं बताया..प्लीज़ फर्गिव मी" कहके मैने अपनी आँखें नीची कर ली
 
", यू नो, यू वर राइडिंग ऑन आ वाइल्ड टाइगर सन.. तुम्हे कुछ हो जाता तो हम पर क्या गुज़रती समझ रहे हो तुम.... और ललिता बेटे, तुम ने भी मुझसे छुपाया. भाई ज़्यादा प्यारा है अंकल से हाँ... हमे ज़य ने अभी सब बताया है"



"नहीं अंकल, आप सब प्यारे हैं हमे.. तभी तो आपको नहीं बताया.. आंड प्लीज़ अब सब भूल जाइए, पॅकिंग करते हैं, हमे भाई ऑस्ट्रेलिया भेज रहे हैं कल.." कहके ललिता पापा से हग करने लगी



"माया.. पायल.. मैं समझ सकता हूँ तुम लोगों की कंडीशन, बट ये रास्ता ठीक नहीं था.. तुम्हे पैसे चाहिए थे तो मुझे बोलती, भाई ही तो बहेन के काम आएगा.." डॅड ने माया बुआ को भी माफ़ कर दिया



".... माया की टिकेट्स भी निकलवाओ.. ये भी हमारे साथ चलेगी ऑस्ट्रेलिया, और वीसा की कोई फ़िक्र नहीं है, आइ विल मॅनेज दट ओके.." कहके डॅड सब को लेके अंदर चले गये...



अंदर जाके मैने ट्रॅवेल एजेंट से बात की और माया बुआ का पासपोर्ट भिजवा दिया उनके पास.. ये करके मैं चेक बुक लाया और माया बुआ को मैने 45 करोड़ के चेक्स दे दिए विद डिफरेंट डेट्स... उनके पति की प्राब्लम तो सॉल्व होगी, बट एक्सट्रा 5 करोड़ ताकि वो फिर ऐसा कुछ ग़लत ना करें.. हम बैठ के बातें ही कर रहे थे, तभी मेरे पास फोन आया


"यस मिस्टर प्रसाद.... ओह... थॅंक यू वेरी मच सर... हॅव आ नाइस डे" मैने फोन रखते हुए कहा



"कौन था भाई... कौन था बेटे, " डॅड और ललिता ने एक साथ पूछा



"चलिए बाहर, मेरे छोटू के लिए एक सर्प्राइज़ है.. कहके मैं सबको मेन गेट के पास लाया"



"ओह माइ गॉड....... भाई... दिस ईज़ मर्सिडीस स्लर 790.. नोट ईवन अवेल इन इंडिया... ये मेरी है सही में.." ज़य गाड़ी के पास जाते हुए बोला



"ऊह हां.. पर अभी नहीं... ये आक्च्युयली में उस ट्रस्ट की है जो प्रॉपर्टी की असली मालिक है, क्यूँ कि हमने उनकी मदद की इतनी, उन्होने हमे ये गिफ्ट की है.. वैसे भी 1000 करोड़ की प्रॉपर्टी के सामने दिस ईज़ नतिंग" मैने डॅड और बाकियों से कहा


"थॅंक यू भैयाय्याआअ.. लव यू आ लॉट" कहके ज़य मेरे पास आया और चढ़ के मुझे चूमने लगा



"अहहहहा.. बेटे कंट्रोल, नाउ गो आंड ड्राइव दा बीस्ट ओके.. बी सेफ..." डॅड ने ज़य से कहा और ज़य झट से गाड़ी लेके निकल गया



"अच्छा भैया, हम चलते हैं, कल मिलते हैं एरपोर्ट पे.." माया बुआ ने कहा



"और राज बेटे, थॅंक यू वेरी मच.. तुमने हमारी ज़िंदगी बचाई" कहके माया बुआ मेरे सर पे हाथ फेरने लगी



"बुआ, मेरा फ़र्ज़ है.. आप फिलहाल जाओ और शॉपिंग करो , कल एरपोर्ट पे मिलते हैं ओके..." मैने ड्राइवर को इशारा किया उन्हे ड्रॉप करने के लिए
 
पायल और माया बुआ के जाते ही हम बाकी के लोग अंदर आ गये.. ललिता धीरे धीरे रो रही थी, डॅड ने उसे देखा



"बेटी, अब मत रो... इसमे तुम्हारी क्या ग़लती.. डॉली नहीं रही, पर तुम सेफ हो. और आगे की ज़िंदगी ज़ीनी है अभी तुम्हे.. तुम्हे शादी करनी है, प्लीज़ बी ब्रेव माइ बच्चा.." डॅड के गले लगते ही ललिता फुट फुट के रोने लगी



"आगे की ज़िंदगी प्लान कर ली है डॅड... ये लीजिए" मैने डॅड को उनकी प्रॉपर्टी और उनकी फॅक्टरी के पेपर देके कहा



"डॅड फॅक्टरी और प्रॉपर्टी सब आप रखिए.... फॅक्टरी के चेर्मन आप... प्रोडक्षन हेड राज वीरानी... फाइनान्स मॅनेजर ललिता वीरानी... और इन्वेस्टर आंड मीडीया रिलेशन्स ज़य वीरानी... ये लिस्ट फाइनल कीजिए प्लीज़"



"वो सब ठीक है बेटे, बट तुम ही रखो अब ये सब मैं कहाँ.."



"डॅड प्लीज़.. आप चाहते थे हम साथ में रहें, साथ में काम करें, तो दिस ईज़ इट.. इसके आगे प्लीज़ नहीं"



"ओके बॉय... दिस कॉल्स फॉर आ पार्टी नाउ.. आंड माइ डॉल डोंट वरी.. आइ विल फाइंड आ सूपर ग्रूम फॉर यू.." डॅड ने ललिता से कहा



"डॅड, वो भी ढूँढ लिया है..." मैने कहा


"तुम बच्चे कितने अच्छे हो, हमारा हर काम कर दिया हैं... कौन है अब बताओ नहीं तो मारूँगा तुमको" डॅड ने मज़ाक में कहा



"डॅड वो इनस्पेक्टर.. दे बोथ लाइक ईच अदर" मैने ललिता की तरफ इशारा करते हुए कहा



"ओह..लव्ली चाय्स हनी.. ऑस्ट्रेलिया से आके हम तुम्हारी बात करेंगे उससे ओके... नाउ प्लीज़ बी हॅपी माइ डार्लिंग" कहके डॅड ने ललिता को गले लगा लिया और अब ललिता के आँसू भी थम चुके थे




"नाउ दिस डेफनेट्ली कॉल्स फॉर आ पार्टी डॅड.." कहके मैने शॅंपेन मँगवाई और हम सब पीने लगे, खाने लगे



पूरा दिन हमने खूब मस्ती की.. ज़य नयी गाड़ी लेके अपनी तितलियों के साथ उड़ने में बिज़ी था.. मोम डॅड मंदिर चले गये, ललिता और मैं बैठ के उनके ऑस्ट्रेलिया की प्लॅनिंग करने लगे.. शाम को जाके हमने पासपोर्ट्स और वीसा ले लिए और घर आके सब को दिखा दिए.. रात तक सब ने पॅकिंग कर ली और सो गये.. सुबह जल्दी उठके सब लोग एर पोर्ट के लिए निकले और रास्ते में माया बुआ को पिक कर लिया....


सब को एरपोर्ट ड्रॉप किया, और मोम को भरोसा दिलाया मैं टाइम पे खाउन्गा... फाइनली सब को मुंबई एरपोर्ट पे ड्रॉप करके मैं पुणे जाने के लिए वापस निकला... जैसे ही मैने गाड़ी स्टार्ट की , मेरे मोबाइल पे एसएमएस आया



"मुंबई पुणे हाइवे... वेटिंग अट फर्स्ट ढाबा.."


एसएमएस पढ़के मेरे चेहरे पे हसी आई और मैने अपनी मिटस्यूबीशी पजेरो तेज़ी से हाइवे पे भगा दी... हाइवे पे जाते ही मेरी आँखें ढूँढने लगी पहला ढाबा... जैसे ही मुझे ढाबा दिखा, मैने गाड़ी मोड़ दी और गाड़ी से उतरा.... बहुत ही अच्छा मौसम था, तेज़ हवा चल रही थी, सड़क के किनारे रुक के कॉलेज के दिनो की याद आ गयी



"ये कौनसी सिगरेट है.. ब्रांड क्यूँ चेंज कर ली" मैने सामने खड़े शख्स से सिगर्रेट लेते हुए पूछा



"तो क्या करूँ, मेरी सारी मेहनत की क्रेडिट तो तुम ले गये, मुझे कुछ मिला ही नहीं.." शख्स ने जवाब दिया



"ओफफो... क्रेडिट क्यूँ, हमारी कंपनी में तुम्हे एमडी बना दूँगा मैं.. बट प्लीज़ ऐसा मत बोलो यार, इट हर्ट्स..."




"कहाँ हर्ट होता है मिस्टर वीरानी.." कहके वो शख्स मेरे गले लग गया




"उम्म्म.. दिस वर्म्थ.. दिस हग.. मिस्ड यू सो मच माइ डॉल..... माइ पायल डार्लिंग" कहके मैने पायल को ज़्यादा टाइट हग किया और 5 मिनट बाद ही छोड़ा उसे



"ओह.... ऐसा, कितने दिन से बात तक नहीं की हाँ.. और कल तो मोम को ही बोल रहे थे, मुझे इग्नोर कर रहे थे यू डॉग.." कहके पायल मुझसे अलग हुई



"आंड रिमेंबर.. जिस दिन से पूजा आई थी, ना चाहते हुए भी मुझे मोम की वजह से उनका साथ देना पड़ा.. बट मैं क्या करूँ, मेरा जो ये हरामी दिल है ना, तुम्हारा साथ छोड़ना ही नहीं चाहता था.. इसलिए.."



"इसलिए तो स्वीट हार्ट.. मैने तेरे कहने पे ललिता को चुना... सबसे पहले ललिता की सिंपती हासिल की, फिर एमोशन्स आंड ऑल.. यू सी... बट इसमे एक और शक़स ने हमारी मदद की है..."



"व्हेअर ईज़ दा फकर ड्यूड..." पायल ने रेबन के ग्लास निकालते हुए कहा



"देअर ही इस.." मैने सामने इशारा किया




"हाहहहा.. राज बॉय, आंड पायल बेबी.. हाउ आर यू.." एरिसटॉटल ने गले लगते पूछा



"धीरे साले... कहीं सचमुच ही तो ललिता से प्यार नहीं करता..." पायल ने एरिसटॉटल को गले लगा के कहा
 
"अरे नहीं बाबा... तुम्हारे कहने पे ही मैने ललिता से मसेज करना स्टार्ट किया.. उससे धीरे धीरे प्यार की बातें करना स्टार्ट किया.. नहीं तो भरोसे में तो वो भी नहीं थी.. बहेन की मौत हो चुकी थी, इसलिए बड़े प्यार से हॅंडल करना पड़ा उसे.. बट मान गये राज और पायल तुम दोनो को... तुमने ना सिर्फ़ ये केस सुलझाया है बट अपने लिए भी काफ़ी फाय्दे कर दिए हैं इस केस में..."



"वो सब छोड़, पूजा की क्या न्यूज़ है.. उसे कितना टाइम अंदर रखेगा तू" पायल ने एरिसटॉटल से पूछा



"नहीं बेब.. शी ईज़ नोट इन जैल.. माँ बाप जैल में है, पूजा अभी कहीं नौकरी कर रही है.." मैने सिगरेट जलाते हुए कहा



"ओह.."



"ओह नहीं.. आहह बोल.. शी ईज़ अवेलबल अट ग्रांट रोड रूपीज 5000 ओन्ली" मैने मेरी सिगरेट पायल को देते हुए कहा



"वो कैसे.... " पायल ने पूछा



"वो ऐसे डार्लिंग, एरिसटॉटल उसे गिरफ्तार करके ले तो गया था अपनी जीप में.. पर उसने सबसे अलग होके जीप घुमाई मुंबई और बिठा आया उसे वहाँ के कोठे पे..." मैने गुस्से में कहा



"चिल्लेक्ष जान.. शी ईज़ आ हिस्टरी नाउ"




"यस शी ईज़ आ हिस्टरी... यू माइ लव.. आर माइ प्रेज़ेंट हाँ.... चलो घर, चलके सेलेब्रेट करते हैं"




और हम घर जाके दारू की नदी में बहाने लगे....


अंशु, शन्नो, विजय, संजय, दिलीप , सब जैल में चक्की पीस रहे थे.. पूजा को मैने जहाँ सोचा था वहीं पहुँचाया.. अफ़सोस इस बात का है कि वो थाइलॅंड के रंडी बेज़ार में नहीं गयी अंशु के साथ.. पर इन सब के जाने से प्रॉपर्टी का सिर्फ़ इकलोता मालिक था



" राजवीरानी "



समाप्त

तो भाइयो ये कहानी अपने अंजाम पर जाकर ख़तम हुई आप सब ने मेरा बहुत साथ दिया उसके लिए मैं सबका आभारी हूँ 
 
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