hotaks444
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तभी कॉफ़ी आ गई, कॉफ़ी पीते हुए जय अपनी जमीन वगैरह के विषय में बात कर रहे थे और मैं उन दोनों की बात सुन रही थी, पर मेरा ध्यान सुरेश पर ज्यादा था, फिर कुछ नोटरी कागज पर जय और सुरेश ने दस्तखत किए और एक फाइल में रख दिए।
फिर सुरेश ने जय से कहा- डॉली जी बोर हो रही होगीं, क्यों ना आप डॉली जी को लेकर अपनी साइट भी देख आओ, क्यों डॉली जी..!
सुरेश जी ऐसा बोल कर बाथरूम चले गए।
तभी मैं जय से बोली- क्या आप को बाहर जाना है?
जय ने कहा- जा कर देख लूँ, प्लाट कैसा है। तुम यहीं ऑफिस में रहो, मैं सुरेश से तुम्हारे विषय में बोला है कि आप वाराणसी से आई हो, यहाँ मेरे पास कुछ काम से आई हो, बाकी और कुछ नहीं कहा है, पर सुरेश सुन्दरता का दीवाना है, तुम यहाँ रह कर सुन्दरता का दीदार करा दोगी तो बाकी काम सुरेश पूरा कर देगा। तुम्हारी चूत की आग और पैसे की चाहत दोनों पूरी हो जाएगी और हाँ.. चूत चुदवा ही लेना.. सुबह की तरह अधूरी न रह जाना।
मैं बोली- देखती हूँ.. मैं कितना सुरेश जी के बाबूराव को गर्म कर पाती हूँ।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो हम चुप हो गए।
सुरेश बोले- क्यों भाई.. आप लोग जा रहे हो?
जय बोले- बॉस.. डॉली तो नहीं जा रही है, बोल रही है कि अगर कोई दिक्कत ना हो तो आपे ऑफिस में रह जाऊँ?
सुरेश जी बोले- डॉली आप कहीं भी रह सकती हो.. कोई दिक्कत नहीं है..
मैं मुस्कुरा दी।
फिर जय चले गए और सुरेश से बात करने लगी।
बात करते-करते सुरेश जी मेज के नीचे से अपने पैर से मेरे पैरों को हल्का-हल्का रह-रह कर सहला देते और मैं गुदगुदा उठती।
फिर मैं भी मेज पर झुक कर बैठ गई, ताकि मेरे रस भरे आम दिख सकें, मैं सुरेश को थोड़ा और आकर्षित और उत्तेजित कर सकूँ।
बातों के दौरान सुरेश मेरी सुन्दरता की तारीफ करते हुए कुर्सी से उठ कर मेरे पीछे आ गए, मेरे कन्धों पर हाथ रख सहलाने लगे और मैं सिसियाते हुए बोली- सर जी.. यह क्या कर रहे हो.. प्लीज ऐसा मत करो प्लीज..
सुरेश बोले- नहीं.. डॉली जी, मना मत करो.. एक बार तुम्हारे सुन्दरता का रस पीना चाहता हूँ.. एक बार पिला दो..
ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और मैं भी मस्ती में झूमती हुई उनके सीने से जा लगी।
फिर वहीं पास पड़े सोफे पर मुझे लेकर बैठ गए और कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबाने लगे।
आज सुबह से ही मेरी बुर चुदना चाह रही थी, मैंने भी एक हाथ से उनका लण्ड पकड़ कर दबा दिया।
मेरे इतना करते ही उन्होंने एक झटके में ही मेरी कुर्ती उतार दी और अगले ही पल मेरी ब्रा भी उतार दी।
अब वो मेरी चूची पीने लगे, मैं भी अपने आमों को चुसाते हुए सिसकारने लगी।
वो चूमते हुए नीचे की ओर आते हुए मेरे चुचों को दबाए जा रहे थे।
मेरी चूत पानी-पानी हो गई।
फिर सुरेश उठ अपने सारे कपड़े उतार फेंके और मेरी लैगीज भी सरका दी और मेरी चूत पर मुँह रख कर बुर चाटने लगे।
मेरी चूत ने पहले से ही पानी छोड़ा हुआ था क्योंकि मैं स्वयं भी तो चुदना चाह रही थी, वो भी पूरी नंगी हो कर, मस्ती से शरीर को उसके हवाले करके जी भर कर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी।
अब हम दोनों कुछ ही पलों में पूरे नंगे हो चुके थे।
मेरा दिल फिर से लण्ड के चूत में घुसने के अहसास से धड़क उठा।
उसने मुझे अपनी बाँहों में कस कर ऊपर उठा लिया और अब मैंने भी शरम छोड़ दी, अपनी दोनों टाँगें उसकी कमर से लपेट लीं।
उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर फिर से छूने लगा।
उसने मुझे सोफे पर पटक दिया। मैंने भी उसे झटके से पलट कर नीचे कर दिया और उस चढ़ बैठी और अपनी चूचियाँ उसके मुँह में ठूंस दीं।
‘मेरे सुरेश.. मेरा दूध पी ले जरा… जोर से चूस कर पीना।’
मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ लिया और चूचियाँ उसके मुँह में दबाने लगी।
उसका मुँह खुल गया और मेरे कठोर चूचुकों को वो चूसने लगा।
मेरा हाल बुरा होता जा रहा था, चूत बेहाल हो चुकी थी और लण्ड लेने को लपलपा रही थी, पानी की बूंदें चूत से रिसने लग गई थी। लण्ड को निगलने के लिए चूत बिल्कुल तैयार थी।
उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ भींच लिए, मेरी चूत के आस-पास उसका लण्ड तड़पने लगा।
फिर सुरेश ने जय से कहा- डॉली जी बोर हो रही होगीं, क्यों ना आप डॉली जी को लेकर अपनी साइट भी देख आओ, क्यों डॉली जी..!
सुरेश जी ऐसा बोल कर बाथरूम चले गए।
तभी मैं जय से बोली- क्या आप को बाहर जाना है?
जय ने कहा- जा कर देख लूँ, प्लाट कैसा है। तुम यहीं ऑफिस में रहो, मैं सुरेश से तुम्हारे विषय में बोला है कि आप वाराणसी से आई हो, यहाँ मेरे पास कुछ काम से आई हो, बाकी और कुछ नहीं कहा है, पर सुरेश सुन्दरता का दीवाना है, तुम यहाँ रह कर सुन्दरता का दीदार करा दोगी तो बाकी काम सुरेश पूरा कर देगा। तुम्हारी चूत की आग और पैसे की चाहत दोनों पूरी हो जाएगी और हाँ.. चूत चुदवा ही लेना.. सुबह की तरह अधूरी न रह जाना।
मैं बोली- देखती हूँ.. मैं कितना सुरेश जी के बाबूराव को गर्म कर पाती हूँ।
तभी बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो हम चुप हो गए।
सुरेश बोले- क्यों भाई.. आप लोग जा रहे हो?
जय बोले- बॉस.. डॉली तो नहीं जा रही है, बोल रही है कि अगर कोई दिक्कत ना हो तो आपे ऑफिस में रह जाऊँ?
सुरेश जी बोले- डॉली आप कहीं भी रह सकती हो.. कोई दिक्कत नहीं है..
मैं मुस्कुरा दी।
फिर जय चले गए और सुरेश से बात करने लगी।
बात करते-करते सुरेश जी मेज के नीचे से अपने पैर से मेरे पैरों को हल्का-हल्का रह-रह कर सहला देते और मैं गुदगुदा उठती।
फिर मैं भी मेज पर झुक कर बैठ गई, ताकि मेरे रस भरे आम दिख सकें, मैं सुरेश को थोड़ा और आकर्षित और उत्तेजित कर सकूँ।
बातों के दौरान सुरेश मेरी सुन्दरता की तारीफ करते हुए कुर्सी से उठ कर मेरे पीछे आ गए, मेरे कन्धों पर हाथ रख सहलाने लगे और मैं सिसियाते हुए बोली- सर जी.. यह क्या कर रहे हो.. प्लीज ऐसा मत करो प्लीज..
सुरेश बोले- नहीं.. डॉली जी, मना मत करो.. एक बार तुम्हारे सुन्दरता का रस पीना चाहता हूँ.. एक बार पिला दो..
ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लिया और मैं भी मस्ती में झूमती हुई उनके सीने से जा लगी।
फिर वहीं पास पड़े सोफे पर मुझे लेकर बैठ गए और कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबाने लगे।
आज सुबह से ही मेरी बुर चुदना चाह रही थी, मैंने भी एक हाथ से उनका लण्ड पकड़ कर दबा दिया।
मेरे इतना करते ही उन्होंने एक झटके में ही मेरी कुर्ती उतार दी और अगले ही पल मेरी ब्रा भी उतार दी।
अब वो मेरी चूची पीने लगे, मैं भी अपने आमों को चुसाते हुए सिसकारने लगी।
वो चूमते हुए नीचे की ओर आते हुए मेरे चुचों को दबाए जा रहे थे।
मेरी चूत पानी-पानी हो गई।
फिर सुरेश उठ अपने सारे कपड़े उतार फेंके और मेरी लैगीज भी सरका दी और मेरी चूत पर मुँह रख कर बुर चाटने लगे।
मेरी चूत ने पहले से ही पानी छोड़ा हुआ था क्योंकि मैं स्वयं भी तो चुदना चाह रही थी, वो भी पूरी नंगी हो कर, मस्ती से शरीर को उसके हवाले करके जी भर कर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी।
अब हम दोनों कुछ ही पलों में पूरे नंगे हो चुके थे।
मेरा दिल फिर से लण्ड के चूत में घुसने के अहसास से धड़क उठा।
उसने मुझे अपनी बाँहों में कस कर ऊपर उठा लिया और अब मैंने भी शरम छोड़ दी, अपनी दोनों टाँगें उसकी कमर से लपेट लीं।
उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर फिर से छूने लगा।
उसने मुझे सोफे पर पटक दिया। मैंने भी उसे झटके से पलट कर नीचे कर दिया और उस चढ़ बैठी और अपनी चूचियाँ उसके मुँह में ठूंस दीं।
‘मेरे सुरेश.. मेरा दूध पी ले जरा… जोर से चूस कर पीना।’
मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ लिया और चूचियाँ उसके मुँह में दबाने लगी।
उसका मुँह खुल गया और मेरे कठोर चूचुकों को वो चूसने लगा।
मेरा हाल बुरा होता जा रहा था, चूत बेहाल हो चुकी थी और लण्ड लेने को लपलपा रही थी, पानी की बूंदें चूत से रिसने लग गई थी। लण्ड को निगलने के लिए चूत बिल्कुल तैयार थी।
उसने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ भींच लिए, मेरी चूत के आस-पास उसका लण्ड तड़पने लगा।