hotaks444
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मैं पसीने से तरबतर हो गई थी कि अब मैं क्या करूँ? अभी मैं इसी उधेड़बुन में थी कि सामने से अरुण जी आते दिखाई दिए।
मैं नार्मल होने की कोशिश कर रही थी.. पर अरुण जी पास आकर बोले- आप इधर क्या कर रही हैं और आप कुछ परेशान सी दिख रही हैं? क्या बात है?
मैं बोली- व..वो.. मैं आप ही को खोज रही थी.. कहाँ थे आप?
कुछ नॉर्मल सा होते हुए मैं बोली।
‘मैं वो थोड़ा बाहर निकल गया था.. अभी आया तो पता चला आपके हसबेंड तो मेरे साले के साथ मार्केट गए हैं.. तो मैं भी आपको ही खोजते हुए इधर ही आ रहा था.. तो आप मिल गईं। चलो चल के एन्जॉय करते हैं। तुम सबकी निगाह बचा कर मेरे कमरे में आओ.. मैं सबसे बहाना करके कि मैं बाहर जा रहा हूँ.. कमरे में ही रहूँगा। आप वहीं आओ..’
यह कहकर अरुण जी चले गए।
मैं मन ही मन बुदबुदाई- क्या निगाह बचाऊँ.. जो होना था.. वो तो हो ही चुका है.. मेरी चुदाई का लाईव शो कोई देख चुका है.. और मुझे चोदने का निमन्त्रण दे कर चला गया है।
मैं सीधे वहाँ से चल कर अपने कमरे में पहुँच कर मुँह धोकर थोड़ा रिलेक्स हुई और कमरा खोल कर गलियारे में दोनों तरफ देख कर सीधे अरुण जी के कमरे में घुस गई, अन्दर जाते ही सबसे पहले कमरे लॉक किया और ‘की-होल’ को बन्द किया।
अरुण जी कमरे में नहीं थे, शायद बाथरूम में थे। मैं अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ ब्रा-पैन्टी में ही बिस्तर पर लेट गई और अरुण जी का इन्तजार करने लगी।
कुछ ही पलों में मेरे मन में चुदाई के सीन चलने लगे, आज मैं फिर किसी अजनबी से चुदने जा रही थी, मेरी चूत की प्यास एक बार फिर इसी बिस्तर पर अरुण जी के मोटे लण्ड से बुझेगी और आज रात उस अजनबी ने भी तो बुलाया है.. चुदने को.. ये तो मेरी किस्मत है कि मेरी चूत आज दो लौड़ों से चुदेगी।
तभी पीछे से आकर अरुण जी ने मुझे बिस्तर पर दबोच लिया तो मैं ख्यालों से बाहर निकली।
अरुण जी बोले- क्या बात है.. पूरी तैयारी से हो.. तुम कुछ ज्यादा ही गरम दिख रही हो.. तुम और तुम्हारी चूत..
इतना कहते ही उन्होंने मेरी चूत को पैन्टी के ऊपर से मसल दिया।
मेरी ‘आह..’ निकल गई।
वे मुझसे बोले- रानी.. आज तुमको चोद के अपनी रखैल बनाऊँगा.. बोलो बनोगी ना.. मेरी रखैल?
मैं मादकता से बोली- मैं तो आपके बाबूराव की दासी हूँ.. मैं तो आपके इस मस्त बाबूराव से चुदने के लिए राण्ड भी बन जाऊँगी.. आपकी रखैल भी बनूँगी.. आज मुझे ऐसा चोदो.. कि मेरी जिस्म का पोर-पोर दु:खने लगे.. पर जल्दी चोदो.. कहीं ह्ज्बेंड या कोई और आ ना जाए।
इतना सुनते वो मुझे किस करते हुए मेरी चूचियां रगड़ते हुए मेरी चूत को मसलने लगे, मेरी चूत से गरम-गरम भाप निकलने लगी। मेरी चूत के होंठ चुदने के लिए खुलने और बंद होने लगे, मेरे शरीर में इतनी आग लगी हुई थी कि मैं बस खुल कर चुदना चाहती थी।
मुझे इस चुदासी हालत में देख कर अरुण जी समझ गए कि मैं पूरी तरह से गर्म हूँ और मुझे लण्ड चाहिए।
अरुण जी ने पैन्टी को उतार दिया, फिर मेरी चूत चाटने लगे।
मैं बोली- आह.. सीई.. उफ.. चाटो.. मेरी बुर.. मैं आपका बाबूराव चाटूंगी..
वो मेरी चूत को चाटते जा रहे थे.. कभी जीभ अन्दर.. कभी बाहर कर रहे थे.. मुझे लगा कि मेरी चूत में लाखों चीटियाँ रेंग रही हों। मेरी चूत रस से गीली हो चुकी थी और बुर में चुदाई की आग भी लग चुकी थी, मेरी चूत फुदकने लगी लण्ड खाने को।
मैं अपनी कमर उठा के चूत चटवा रही थी। मेरी चूत को जितना वो चाटते जा रहे थे.. मैं उतना ही वासना की आग में जलती जा रही थी।
अरुण बोले- भाभी आपकी फूली हुई चूत का रस पीने का मजा ही अलग है..
यह कहते हुए वे मेरी चूत को कस कर चूसने लगे।
मेरे मुँह से ‘आह.. उम्म्म… सीई.. आह आआ.. अहह.. आअहह.. उफ फफ्फ़..’ मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं।
इसमें तो और भी ज्यादा मजा आने लगा।
अरुण जी बोले- भाभी आपकी चूत तो एकदम गीली हो चुकी है.. अब तो इसे तो लण्ड ही चाहिए।
‘हाँ मेरे राजा.. मुझे लण्ड ही चाहिए.. अब पेल दो मेरी चूत में.. अपना लण्ड..’
फिर उन्होंने मेरी टांगों को ऊपर उठा दिया और मेरे फूली हुई चूत के छेद पर अपना मोटा कड़क लण्ड रखा और ज़ोर से धक्का दे दिया।
लण्ड मेरी चूत के अन्दर एक ही बार में पूरा घुस गया।
मैं तड़पने लगी और चूत ने भलभला कर पानी छोड़ दिया पर वो बिना रुके चोदे जा रहे थे, मैं चुदती जा रही थी, वो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, मैं भी चाह रही थी कि वो इसी अंदाज में मुझे चोदते रहें..
एकाएक उन्होंने मेरी चूत से लण्ड निकाल कर मुझे मुँह में लेने को कहा।
मैंने मुँह खोल कर चूत के रस से भीगे हुए मस्त लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी।
मैंने लण्ड की चमड़ी को अलग किया और लण्ड के सुपाड़े को चूसने लगी।
अरुण सिसकारियाँ भरने लगे, कुछ पलों के बाद मेरे मुँह से लण्ड निकाल कर दोबारा मेरी चुदाई करने लगे।
अब हम दोनों भी चुदाई में लय से लय मिला कर सुर-ताल में एक-दूसरे का साथ देकर चुदाई करने लगे, उनके धक्के तेज होने लगे थे, पूरे कमरे में बस ‘सी.. सी.. आह.. आह..’ की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
अब उन्होंने मुझको अपने ऊपर लिया और चूत में अपने लण्ड को डाल दिया। अब मैं उनके लण्ड को अपनी चूत में लिए हुए चोद रही थी। वो भी मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे से धक्के लगा रहे थे।
काफ़ी लम्बी चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा, मुझे पता चल गया कि अब मैं झड़ने वाली हूँ।
उन्होंने झटके से मुझे नीचे किया और खुद मेरे ऊपर आ गए.. और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगे, उन्होंने मेरे सारे बदन को जकड़ लिया और ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
अब मैं भी झड़ने के करीब आ गई थी, उन्होंने मेरे दोनों चुचों को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्के पर धक्के लगाते जा रहे थे। मैं चूत उठाए सिसकारियाँ लेते हुए भलभला कर झड़ने लगी।
मुझे झड़ते हुए देख कर अरुण जी ने धक्कों की रफ़्तार और तेज करते हुए मेरी चूत में अपने अंतिम झटके मारे और वीर्य से मेरी चूत को भर दिया। इसी के साथ उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और पूरा लण्ड चूत की जड़ तक डाल कर पड़े रहे।
दस मिनट के आराम के बाद मैं बाथरूम में फ्रेश होकर जाने के लिए तैयार हो गई। अरुण अभी भी बिस्तर पर वैसे ही मेरी बुर चोदी लण्ड लिए लेटे थे। मैं पास गई और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर किस कर लिया और उनके कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में घुस गई।
अभी मेरे ह्ज्बेंड नहीं आए थे, मैं थोड़ी रिलेक्स होने के लिए सोने लगी।
शाम के करीब मेरी नींद ह्ज्बेंड के जगाने से खुली। मेरे अस्त-व्यस्त कपड़ों को देखकर बोले- दरवाजा खुला छोड़ कर बेखबर सो रही हो.. कोई आकर चोद देता तो.. तुम्हारे कपड़े भी उठे हुए हैं और चूत भी खुली दिख रही है। मालूम भी है कि फूली हुई बिन बालों की चिकनी चूत को देख बड़े-बड़ों का ईमान डोल जाता है.. मेरी जान..
मैं कंटीली अदा से बोली- कौन आएगा आपके सिवा.. मैं थक गई थी और आपका इन्तजार करते हुए नींद आ गई।
तभी ह्ज्बेंड ने मेरी फूली हुई चूत पर हाथ रख जोर से भींच लिया, मेरे मुँह से दर्द भरी चीख निकल गई।
मेरी गीली चूत में एक उंगली डाल कर बोले- तुम्हारी चूत बहुत गीली है.. मुझे चोदने का मन कर रहा है.. जल्दी से एक राउन्ड हो जाए।
पर मेरा मन तो था नहीं.. फिर भी ना चाहते हुए उन्हें रोक नहीं पाई।
तभी ह्ज्बेंड का मुँह मेरी चूत पर आ गया और मेरी चूत की फांकों को फैला कर मेरी चूत चाटने लगे।
बोले- डार्लिंग चूत से तो वीर्य की महक आ रही है.. किसने तुम्हारे छेद में अपना वीर्य डाल दिया है?
मैं नार्मल होने की कोशिश कर रही थी.. पर अरुण जी पास आकर बोले- आप इधर क्या कर रही हैं और आप कुछ परेशान सी दिख रही हैं? क्या बात है?
मैं बोली- व..वो.. मैं आप ही को खोज रही थी.. कहाँ थे आप?
कुछ नॉर्मल सा होते हुए मैं बोली।
‘मैं वो थोड़ा बाहर निकल गया था.. अभी आया तो पता चला आपके हसबेंड तो मेरे साले के साथ मार्केट गए हैं.. तो मैं भी आपको ही खोजते हुए इधर ही आ रहा था.. तो आप मिल गईं। चलो चल के एन्जॉय करते हैं। तुम सबकी निगाह बचा कर मेरे कमरे में आओ.. मैं सबसे बहाना करके कि मैं बाहर जा रहा हूँ.. कमरे में ही रहूँगा। आप वहीं आओ..’
यह कहकर अरुण जी चले गए।
मैं मन ही मन बुदबुदाई- क्या निगाह बचाऊँ.. जो होना था.. वो तो हो ही चुका है.. मेरी चुदाई का लाईव शो कोई देख चुका है.. और मुझे चोदने का निमन्त्रण दे कर चला गया है।
मैं सीधे वहाँ से चल कर अपने कमरे में पहुँच कर मुँह धोकर थोड़ा रिलेक्स हुई और कमरा खोल कर गलियारे में दोनों तरफ देख कर सीधे अरुण जी के कमरे में घुस गई, अन्दर जाते ही सबसे पहले कमरे लॉक किया और ‘की-होल’ को बन्द किया।
अरुण जी कमरे में नहीं थे, शायद बाथरूम में थे। मैं अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ ब्रा-पैन्टी में ही बिस्तर पर लेट गई और अरुण जी का इन्तजार करने लगी।
कुछ ही पलों में मेरे मन में चुदाई के सीन चलने लगे, आज मैं फिर किसी अजनबी से चुदने जा रही थी, मेरी चूत की प्यास एक बार फिर इसी बिस्तर पर अरुण जी के मोटे लण्ड से बुझेगी और आज रात उस अजनबी ने भी तो बुलाया है.. चुदने को.. ये तो मेरी किस्मत है कि मेरी चूत आज दो लौड़ों से चुदेगी।
तभी पीछे से आकर अरुण जी ने मुझे बिस्तर पर दबोच लिया तो मैं ख्यालों से बाहर निकली।
अरुण जी बोले- क्या बात है.. पूरी तैयारी से हो.. तुम कुछ ज्यादा ही गरम दिख रही हो.. तुम और तुम्हारी चूत..
इतना कहते ही उन्होंने मेरी चूत को पैन्टी के ऊपर से मसल दिया।
मेरी ‘आह..’ निकल गई।
वे मुझसे बोले- रानी.. आज तुमको चोद के अपनी रखैल बनाऊँगा.. बोलो बनोगी ना.. मेरी रखैल?
मैं मादकता से बोली- मैं तो आपके बाबूराव की दासी हूँ.. मैं तो आपके इस मस्त बाबूराव से चुदने के लिए राण्ड भी बन जाऊँगी.. आपकी रखैल भी बनूँगी.. आज मुझे ऐसा चोदो.. कि मेरी जिस्म का पोर-पोर दु:खने लगे.. पर जल्दी चोदो.. कहीं ह्ज्बेंड या कोई और आ ना जाए।
इतना सुनते वो मुझे किस करते हुए मेरी चूचियां रगड़ते हुए मेरी चूत को मसलने लगे, मेरी चूत से गरम-गरम भाप निकलने लगी। मेरी चूत के होंठ चुदने के लिए खुलने और बंद होने लगे, मेरे शरीर में इतनी आग लगी हुई थी कि मैं बस खुल कर चुदना चाहती थी।
मुझे इस चुदासी हालत में देख कर अरुण जी समझ गए कि मैं पूरी तरह से गर्म हूँ और मुझे लण्ड चाहिए।
अरुण जी ने पैन्टी को उतार दिया, फिर मेरी चूत चाटने लगे।
मैं बोली- आह.. सीई.. उफ.. चाटो.. मेरी बुर.. मैं आपका बाबूराव चाटूंगी..
वो मेरी चूत को चाटते जा रहे थे.. कभी जीभ अन्दर.. कभी बाहर कर रहे थे.. मुझे लगा कि मेरी चूत में लाखों चीटियाँ रेंग रही हों। मेरी चूत रस से गीली हो चुकी थी और बुर में चुदाई की आग भी लग चुकी थी, मेरी चूत फुदकने लगी लण्ड खाने को।
मैं अपनी कमर उठा के चूत चटवा रही थी। मेरी चूत को जितना वो चाटते जा रहे थे.. मैं उतना ही वासना की आग में जलती जा रही थी।
अरुण बोले- भाभी आपकी फूली हुई चूत का रस पीने का मजा ही अलग है..
यह कहते हुए वे मेरी चूत को कस कर चूसने लगे।
मेरे मुँह से ‘आह.. उम्म्म… सीई.. आह आआ.. अहह.. आअहह.. उफ फफ्फ़..’ मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं।
इसमें तो और भी ज्यादा मजा आने लगा।
अरुण जी बोले- भाभी आपकी चूत तो एकदम गीली हो चुकी है.. अब तो इसे तो लण्ड ही चाहिए।
‘हाँ मेरे राजा.. मुझे लण्ड ही चाहिए.. अब पेल दो मेरी चूत में.. अपना लण्ड..’
फिर उन्होंने मेरी टांगों को ऊपर उठा दिया और मेरे फूली हुई चूत के छेद पर अपना मोटा कड़क लण्ड रखा और ज़ोर से धक्का दे दिया।
लण्ड मेरी चूत के अन्दर एक ही बार में पूरा घुस गया।
मैं तड़पने लगी और चूत ने भलभला कर पानी छोड़ दिया पर वो बिना रुके चोदे जा रहे थे, मैं चुदती जा रही थी, वो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, मैं भी चाह रही थी कि वो इसी अंदाज में मुझे चोदते रहें..
एकाएक उन्होंने मेरी चूत से लण्ड निकाल कर मुझे मुँह में लेने को कहा।
मैंने मुँह खोल कर चूत के रस से भीगे हुए मस्त लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी।
मैंने लण्ड की चमड़ी को अलग किया और लण्ड के सुपाड़े को चूसने लगी।
अरुण सिसकारियाँ भरने लगे, कुछ पलों के बाद मेरे मुँह से लण्ड निकाल कर दोबारा मेरी चुदाई करने लगे।
अब हम दोनों भी चुदाई में लय से लय मिला कर सुर-ताल में एक-दूसरे का साथ देकर चुदाई करने लगे, उनके धक्के तेज होने लगे थे, पूरे कमरे में बस ‘सी.. सी.. आह.. आह..’ की आवाजें सुनाई दे रही थीं।
अब उन्होंने मुझको अपने ऊपर लिया और चूत में अपने लण्ड को डाल दिया। अब मैं उनके लण्ड को अपनी चूत में लिए हुए चोद रही थी। वो भी मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे से धक्के लगा रहे थे।
काफ़ी लम्बी चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा, मुझे पता चल गया कि अब मैं झड़ने वाली हूँ।
उन्होंने झटके से मुझे नीचे किया और खुद मेरे ऊपर आ गए.. और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगे, उन्होंने मेरे सारे बदन को जकड़ लिया और ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।
अब मैं भी झड़ने के करीब आ गई थी, उन्होंने मेरे दोनों चुचों को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्के पर धक्के लगाते जा रहे थे। मैं चूत उठाए सिसकारियाँ लेते हुए भलभला कर झड़ने लगी।
मुझे झड़ते हुए देख कर अरुण जी ने धक्कों की रफ़्तार और तेज करते हुए मेरी चूत में अपने अंतिम झटके मारे और वीर्य से मेरी चूत को भर दिया। इसी के साथ उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और पूरा लण्ड चूत की जड़ तक डाल कर पड़े रहे।
दस मिनट के आराम के बाद मैं बाथरूम में फ्रेश होकर जाने के लिए तैयार हो गई। अरुण अभी भी बिस्तर पर वैसे ही मेरी बुर चोदी लण्ड लिए लेटे थे। मैं पास गई और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर किस कर लिया और उनके कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में घुस गई।
अभी मेरे ह्ज्बेंड नहीं आए थे, मैं थोड़ी रिलेक्स होने के लिए सोने लगी।
शाम के करीब मेरी नींद ह्ज्बेंड के जगाने से खुली। मेरे अस्त-व्यस्त कपड़ों को देखकर बोले- दरवाजा खुला छोड़ कर बेखबर सो रही हो.. कोई आकर चोद देता तो.. तुम्हारे कपड़े भी उठे हुए हैं और चूत भी खुली दिख रही है। मालूम भी है कि फूली हुई बिन बालों की चिकनी चूत को देख बड़े-बड़ों का ईमान डोल जाता है.. मेरी जान..
मैं कंटीली अदा से बोली- कौन आएगा आपके सिवा.. मैं थक गई थी और आपका इन्तजार करते हुए नींद आ गई।
तभी ह्ज्बेंड ने मेरी फूली हुई चूत पर हाथ रख जोर से भींच लिया, मेरे मुँह से दर्द भरी चीख निकल गई।
मेरी गीली चूत में एक उंगली डाल कर बोले- तुम्हारी चूत बहुत गीली है.. मुझे चोदने का मन कर रहा है.. जल्दी से एक राउन्ड हो जाए।
पर मेरा मन तो था नहीं.. फिर भी ना चाहते हुए उन्हें रोक नहीं पाई।
तभी ह्ज्बेंड का मुँह मेरी चूत पर आ गया और मेरी चूत की फांकों को फैला कर मेरी चूत चाटने लगे।
बोले- डार्लिंग चूत से तो वीर्य की महक आ रही है.. किसने तुम्हारे छेद में अपना वीर्य डाल दिया है?