hotaks444
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शीतल के जाने के बाद ममता ने गेट बंद किया…..और अंदर आई तो देखा अभी और पिंकी दोनो विनय के साथ खेल रहे थे…..ममता ने टेबल पर से बर्तन उठाए, और बर्तन सॉफ करने के बाद घर की सफाई की, बच्चे टीवी पर चल रहे प्रोग्रॅम्स को देखने मे मगन थे… सफाई करने के बाद ममता भी किरण के रूम मे चली गयी……जहाँ पर तीनो टीवी देख रहे थे…पिंकी अभी और विनय तीनो टीवी के सामने चटाई बिछा कर बैठे हुए थे…..
ममता रूम मे आई, और उन के पीछे बेड पर करवट के बल लेट गयी…..वो भी टीवी देखने लगी…..पर उसका ध्यान विनय मे था….जो अभी भी बच्चों की तरह उस कार्टून शो को देखने में इतना मगन था….जैसे उसको सेक्स वासना का पता ही ना हो….ममता वही लेटे हुए, इंतजार कर रही थी कि, कब विनय पलट कर उसकी तरफ देखे….पर विनय खुद ही ममता से नज़रें चुराता फिर रहा था….15 मिनिट बीत चुके थे…..ममता समझ चुकी थी कि ये तोता अभी नादान है…..इसको सब कुछ खुद ही सिखाना पड़ेगा……
ममता: विनय……
विनय: (पलट कर ममता की तरफ देखते हुए)जी
ममता: मेरे लिए एक ग्लास पानी ला दोगे….?
विनय: जी…….
विनय उठ कर किचन मे चला गया….और एक ग्लास पानी लेकर वापिस रूम मे आया तो देखा ममता उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी….उसने अपने सर को झुका लिया और ममता के पास आकर खड़ा हो गया….”दीदी पानी”
ममता: नीचे रख दो…..
विनय ने पानी का ग्लास नीचे रख दिया…..और फिर सीधा खड़ा हुआ….”यहाँ बैठो मेरे पास….” ममता ने धीरे से कहा…..तो विनय ने एक बार चटाई पर बैठो पिंकी और अभी की तरफ देखा…और फिर ममता की तरफ देखने लगा…..”बैठो ना…..” ममता ने उसका हाथ पकड़ कर उसे बैठाते हुए कहा…..विनय थोड़ा डर तो गया ही था…..
वो नीचे पैर लटका कर बैठ गया….उसकी पीठ ममता के पेट के साथ लग रही थी….क्योंकि ममता करवट के बल लेटी हुई थी….थोड़ी देर ममता भी चुप रही…..शायद वो बोलने से पहले तय कर लेना चाहती थी कि, उसका हर एक शब्द तीर की तरह एक दम निशाने पर जाकर लगे, ताकि विनय कुछ गड़बड़ ना कर सके……
ममता: तुम ने उस रात मुझे यहाँ पर क्यों हाथ लगाया……(ममता ने अपनी चुचि पर हाथ रखते हुए कहा….)
ममता की बात सुन कर तो जैसे विनय का मूत निकलने वाला हो गया…..वो इतने दिनो से सोच रहा था कि, शायद ममता वो सब भूल गयी है, तभी उसने किसी को बताया नही “मैं क्या पूछ रही हूँ….” ममता ने धीरे से टीवी की ओर देखते हुए कहा…..
विनय: वो वो ग़लती से हाथ चला गया…..
ममता: झूट बोल रहे हो तुम…तुम उस रात को जाग रहे थे…….है ना….सच बोलो…..
विनय को अब अपनी जान जंजाल में फँसती हुई नज़र आ रही थी….उसने हां में सर हिला दिया.
ममता: फिर क्यों छुआ तूने मुझे वहाँ पर…..?
विनय चुप…..
ममता: बोल ना अब……?
चुप…..
ममता: देख मेने अभी तक किसी को बताया नही है….इसका ये मतलब नही कि मैं तुम्हारी उस हरक़त से नाराज़ नही हूँ…….तुम्हे ये सब करना अच्छा लगता है…..
चुप….
ममता: बोल ना तुझे इन्हे छूना अच्छा लगता है…..?
इस बार विनय ने डरते हुए हां मे सर हिला दिया……
ममता: तुम्हे पता है ना ये कितनी ग़लत बात है गंदी बात है….
विनय:जी…..
ममता: फिर भी तुमने मुझे यहाँ पर हाथ लगाया…..
चुप….
ममता: अब तुमने ग़लती की है तो सज़ा तो तुम्हे मिलेगी ही….
विनय: आप चाहे मुझे जो मर्ज़ी सज़ा दे दो….पर प्लीज़ मामी मामा को ना बताना…..
ममता: ठीक है नही बताती….पर तुमने मुझे ग़लत जगह पर टच किया है तो, मैं भी तुम्हारी ऐसी जगह पर टच करूँगी यहाँ पर नही करना चाहिए…..
ममता की ये बात सुनते ही, विनय का दिल जोरो से धड़कने लगा….इससे पहले कि विनय कुछ बोलाता जान समझ पाता…ममता ने अपना एक हाथ उठा कर विनय की जाँघ के ऊपेर रख दिया. वो लगतार सामने टीवी और बच्चों पर नज़र बनाए हुए थी….कुछ देर बाद उसने अपना हाथ धीरे-2 उसके शॉर्ट्स के ऊपेर से उसके लंड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया….
विनय के बदन पर झुरजुरी सी दौड़ गयी….आँखे ऐसी हो गयी…..मानो उसने पूरी बॉटल दारू की पी लो हो….होन्ट और गला सुख गये थे….और जैसे ही ममता ने विनय के लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़, विनय का पूरा बदन ऐसे कांप गया….जैसे उसके बिजली का झटका लगा हो… उस समय, विनय का लंड एक दम सिकुडा हुआ था….पर जैसे ही ममता के नरम हाथ का स्पर्श विनय को अपने लंड पर महसूस हुआ, उसमे जान आनी शुरू हो गयी….अभी ममता ने तीन चार बार ही विनय के लंड को मुट्ठी में भर कर दबाया था कि, विनय का लंड एक दम हार्ड हो गया.. और अपने पूरे आकर मे आ गया……
शीतल के जाने के बाद ममता ने गेट बंद किया…..और अंदर आई तो देखा अभी और पिंकी दोनो विनय के साथ खेल रहे थे…..ममता ने टेबल पर से बर्तन उठाए, और बर्तन सॉफ करने के बाद घर की सफाई की, बच्चे टीवी पर चल रहे प्रोग्रॅम्स को देखने मे मगन थे… सफाई करने के बाद ममता भी किरण के रूम मे चली गयी……जहाँ पर तीनो टीवी देख रहे थे…पिंकी अभी और विनय तीनो टीवी के सामने चटाई बिछा कर बैठे हुए थे…..
ममता रूम मे आई, और उन के पीछे बेड पर करवट के बल लेट गयी…..वो भी टीवी देखने लगी…..पर उसका ध्यान विनय मे था….जो अभी भी बच्चों की तरह उस कार्टून शो को देखने में इतना मगन था….जैसे उसको सेक्स वासना का पता ही ना हो….ममता वही लेटे हुए, इंतजार कर रही थी कि, कब विनय पलट कर उसकी तरफ देखे….पर विनय खुद ही ममता से नज़रें चुराता फिर रहा था….15 मिनिट बीत चुके थे…..ममता समझ चुकी थी कि ये तोता अभी नादान है…..इसको सब कुछ खुद ही सिखाना पड़ेगा……
ममता: विनय……
विनय: (पलट कर ममता की तरफ देखते हुए)जी
ममता: मेरे लिए एक ग्लास पानी ला दोगे….?
विनय: जी…….
विनय उठ कर किचन मे चला गया….और एक ग्लास पानी लेकर वापिस रूम मे आया तो देखा ममता उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी….उसने अपने सर को झुका लिया और ममता के पास आकर खड़ा हो गया….”दीदी पानी”
ममता: नीचे रख दो…..
विनय ने पानी का ग्लास नीचे रख दिया…..और फिर सीधा खड़ा हुआ….”यहाँ बैठो मेरे पास….” ममता ने धीरे से कहा…..तो विनय ने एक बार चटाई पर बैठो पिंकी और अभी की तरफ देखा…और फिर ममता की तरफ देखने लगा…..”बैठो ना…..” ममता ने उसका हाथ पकड़ कर उसे बैठाते हुए कहा…..विनय थोड़ा डर तो गया ही था…..
वो नीचे पैर लटका कर बैठ गया….उसकी पीठ ममता के पेट के साथ लग रही थी….क्योंकि ममता करवट के बल लेटी हुई थी….थोड़ी देर ममता भी चुप रही…..शायद वो बोलने से पहले तय कर लेना चाहती थी कि, उसका हर एक शब्द तीर की तरह एक दम निशाने पर जाकर लगे, ताकि विनय कुछ गड़बड़ ना कर सके……
ममता: तुम ने उस रात मुझे यहाँ पर क्यों हाथ लगाया……(ममता ने अपनी चुचि पर हाथ रखते हुए कहा….)
ममता की बात सुन कर तो जैसे विनय का मूत निकलने वाला हो गया…..वो इतने दिनो से सोच रहा था कि, शायद ममता वो सब भूल गयी है, तभी उसने किसी को बताया नही “मैं क्या पूछ रही हूँ….” ममता ने धीरे से टीवी की ओर देखते हुए कहा…..
विनय: वो वो ग़लती से हाथ चला गया…..
ममता: झूट बोल रहे हो तुम…तुम उस रात को जाग रहे थे…….है ना….सच बोलो…..
विनय को अब अपनी जान जंजाल में फँसती हुई नज़र आ रही थी….उसने हां में सर हिला दिया.
ममता: फिर क्यों छुआ तूने मुझे वहाँ पर…..?
विनय चुप…..
ममता: बोल ना अब……?
चुप…..
ममता: देख मेने अभी तक किसी को बताया नही है….इसका ये मतलब नही कि मैं तुम्हारी उस हरक़त से नाराज़ नही हूँ…….तुम्हे ये सब करना अच्छा लगता है…..
चुप….
ममता: बोल ना तुझे इन्हे छूना अच्छा लगता है…..?
इस बार विनय ने डरते हुए हां मे सर हिला दिया……
ममता: तुम्हे पता है ना ये कितनी ग़लत बात है गंदी बात है….
विनय:जी…..
ममता: फिर भी तुमने मुझे यहाँ पर हाथ लगाया…..
चुप….
ममता: अब तुमने ग़लती की है तो सज़ा तो तुम्हे मिलेगी ही….
विनय: आप चाहे मुझे जो मर्ज़ी सज़ा दे दो….पर प्लीज़ मामी मामा को ना बताना…..
ममता: ठीक है नही बताती….पर तुमने मुझे ग़लत जगह पर टच किया है तो, मैं भी तुम्हारी ऐसी जगह पर टच करूँगी यहाँ पर नही करना चाहिए…..
ममता की ये बात सुनते ही, विनय का दिल जोरो से धड़कने लगा….इससे पहले कि विनय कुछ बोलाता जान समझ पाता…ममता ने अपना एक हाथ उठा कर विनय की जाँघ के ऊपेर रख दिया. वो लगतार सामने टीवी और बच्चों पर नज़र बनाए हुए थी….कुछ देर बाद उसने अपना हाथ धीरे-2 उसके शॉर्ट्स के ऊपेर से उसके लंड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया….
विनय के बदन पर झुरजुरी सी दौड़ गयी….आँखे ऐसी हो गयी…..मानो उसने पूरी बॉटल दारू की पी लो हो….होन्ट और गला सुख गये थे….और जैसे ही ममता ने विनय के लंड को शॉर्ट्स के ऊपेर से पकड़, विनय का पूरा बदन ऐसे कांप गया….जैसे उसके बिजली का झटका लगा हो… उस समय, विनय का लंड एक दम सिकुडा हुआ था….पर जैसे ही ममता के नरम हाथ का स्पर्श विनय को अपने लंड पर महसूस हुआ, उसमे जान आनी शुरू हो गयी….अभी ममता ने तीन चार बार ही विनय के लंड को मुट्ठी में भर कर दबाया था कि, विनय का लंड एक दम हार्ड हो गया.. और अपने पूरे आकर मे आ गया……