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- Dec 5, 2013
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"क्योंकि उसे मुझसे शुरू से घृणा है और इस घृणा की भावना की बुनियाद में मुख्य बात यही है कि वह एक करोड़पति की इकलौती बेटी है और मैं शादी से पहले एक पांच सौ रुपया महीना कमाने वाली डाक्टर थी । गलत किसम के लोगों ने उसके अपरिपक्व मस्तिष्क में यह बात ठोक-ठोक कर भर दी है कि मैंने रायबहादुर साहब को अपने रूप-जाल में फंसा कर उन्हें अपने साथ शादी करने के लिये मजबूर किया था । अर्थात मैंने उनकी दौलत की खातिर उनसे शादी की थी । रायबहादुर साहब दिल के मरीज थे और हर कोई जानता था कि वे किसी भी क्षण परलोक सिधार सकते थे । शादी के समय भी उनकी आयु लगभग पचास साल थी । पचास साल के दिल के मरीज रईस से जब कोई जवान लड़की शादी करेगी तो उसकी नीयत पर शक तो किया ही जायेगा, मिस्टर सुनील ।"
"जबकि वास्तव में ऐसी बात नहीं थी ?"
"कैसी बात ?"
"कि इस सिलसिले में आपकी नीयत खराब हो ! कि आपने रुपये की खातिर रायबहादुर साहब से विवाह किया हो !"
कावेरी ने कई क्षण उत्तर न दिया, फिर वह दृढ स्वर में बोली - "जी हां, इस विषय में मेरी नीयत खराब नहीं थी । मैंने दौलत की खातिर रायबहादुर साहब से विवाह नहीं किया था । मेरे हृदय में वाकई उनके लिये गहरे अनुराग की भावना पैदा हो गयी थी । एक बार उन्हें दिल का दौरा पड़ा था तो वे इलाज के लिये उस नर्सिंग होम में भरती हुई थे जिससे मैं डाक्टर थी । बड़े डाक्टर ने उनकी देखभाल के लिये मुझे नियुक्त किया था । वे एक महीना अस्पताल में रहे थे और संयोगवश ही मेरी उनसे घनिष्टता हो गयी थी । एक महीने बाद वे नर्सिंग होम से विदा हो गये थे । उन्होंने मुझे बिन्दु के बारे में बताया था और यह भी बताया था कि इस संसार में उनका कोई दूर का रिश्तेदार भी नहीं था । अगर वे मर गये तो बिन्दु एकदम बेसहारा और अनाथ हो जायेगी । मिस्टर सुनील, दिलचस्प बात तो यह थी कि वे अपनी बेटी के भविष्य के प्रति बेहद चिंतित थे । उन्हें इस बात की भारी चिन्ता थी कि कहीं बिन्दु के जिम्मेदारी की उम्र में कदम रखने से पहले वे मर न जायें लेकिन अपने को जीवित रखने की दिशा में कोई प्रयास नहीं करते थे । हम डाक्टर एक दिल के मरीज से जिस प्रकार के संयम की अपेक्षा करते हैं, उसके वे कतई कायल नहीं थे । और नर्सिंग होम में वे अपनी मर्जी से तो आते ही थे । नर्सिंग होम तो उन्हें हमेशा एम्बूलैंस में डालकर लाया जाता था ।"
कावेरी एक क्षण रुकी और फिर बोली - "मिस्टर सुनील, वे आराम कतई नहीं करते थे । न अपने धन्धे में और न मनोरंजन में । जैसे दिन भर दफ्तर में कड़ी मेहनत करने के बाद वे शाम को क्लब में जाकर हर रोज शराब भी जरूर पीते थे और आधी रात तक ताश भी जरूर खेलते थे । खाना भी वे डटकर खाते थे । इस प्रकार की दिनचर्या वाले दिन के मरीज का अधिक दिनों तक जीवित रह पाना सम्भव नहीं होता । मुझे मालूम था कि वे बहुत जल्दी ही स्वर्ग सिधार जायेंगे ।"
"फिर भी आपने उनसे शादी की ?"
"जी हां ! क्योंकि वे मुझे बहुत मानते थे । मुझे विश्वास था कि अगर मुझे उनके जीवन की बागडोर अपने हाथ में लेने का अवसर मिल जाये तो मैं उन्हें संयम का जीवन बिताने के लिये मजबूर कर दूंगी और फिर उन्हें जल्दी मरने नहीं दूंगी । रायबहादुर साहब से नर्सिंग होम के सम्पर्क के दौरान मेरे मन में यह भावना इतनी प्रबल हो उठी थी कि जब उन्होंने मेरे सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो मैं इनकार न कर सकी । लेकिन मैंने उन पर यह शर्त जरूर ठोक दी थी कि अगर वे मुझसे शादी करेंगे तो उन्हें वैसे रहना होगा जैसे मैं उन्हें रखना चाहूंगी । उन्होंने मेरी शर्त झट स्वीकार कर ली । मिस्टर सुनील, एक भारी त्याग की भावना से ही मैंने उनसे विवाह किया था । उस वक्त यह तो मुझे सूझा ही नहीं था कि मेरे और उनके सम्बन्ध का गलत अर्थ भी लगाया जा सकता था । लोग मुझे गोल्डडिगर (Gold Digger) समझ सकते थे ।"
"आपकी देखभाल से रायबहादुर साहब के जीवन पर कुछ फर्क पड़ा ?"
"भारी । यह मेरा दुर्भाग्य था कि तीन साल बाद एकाएक उनके हृदय की गति रुक गई, वरना जिस हद तक संयम और सुधार मैं उनकी दिनचर्या में पैदा कर चुकी थी उससे ऐसा लगता नहीं था कि अब अगले कुछ वर्षों तक उन्हें कुछ ही पायेगा । उनके दिल की दशा बहुत सुधर गयी थी और सच पूछिये तो शादी के बाद के तीन साल भी वे इसीलिये जिये क्योंकि उन्हें संयम की जिन्दगी बिताने के लिये मजबूर किया गया था ।"
"समस्या क्या है ?" - सुनील वास्तविक विषय पर आने के उद्देश्य से बोला ।
"समस्या बिन्दु ही है ।"
"वह तो हुआ लेकिन, बिन्दु की वजह से ही सही, समस्या है क्या ?"
कावेरी कुछ क्षण तक यूं चुप रही जैसे समस्या बताने के लिये उचत शब्द तलाश कर रही हो ।
सुनील धैर्यपूर्ण मुद्रा बनाये उनके बोलने की प्रतीक्षा करता रहा ।
"रायबहादुर साहब की वसीयत के अनुसार" - अन्त में कावेरी बोली - "जब बिन्दु अट्ठारह साल की हो जायेगी तो ढेर सारी अचल सम्पत्ति के अतिरिक्त वह नकद पच्चीस लाख रुपये की स्वामिनी हो जायेगी और दुर्भाग्यवश यह बात राजनगर में हर किसी को मालूम है ।"
"दुर्भाग्यवश क्यों ?"
"क्योंकि बिन्दु एक साल में अट्ठारह साल की हो जायेगी और फिर वह स्वतन्त्र रूप से एक भारी सम्पत्ति की स्वामिनी होगी । उसको इस सम्पत्ति को किसी भी ढंग से बरबाद करने का पूरा अधिकार होगा । इसलिये बहुत-से गलत किस्म के लोग शहद पर मक्खियों की तरह उसके इर्द-गिर्द जमघट लगाये रहते हैं । बिन्दु इस बात से बड़ी प्रसन्न होती है कि वह इतने ढेर सारे लोगों के आकर्षण का केन्द्र है । वह खूबसूरत है, जवान है इसीलिये उसे अपनी जवानी और खूबसूरती की नुमायश करने का बहुत शौक हो गया है । उसमें अभी इतनी अक्ल तो है नहीं कि वह समझ सके कि लोग उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उसकी ओर आकर्षित नहीं होते बल्कि वे उसकी सम्पत्ति पर घात लगाये हुए हैं जिसकी कि वह एक साल बाद एकदम स्वतन्त्र स्वामिनी बनने वाली है । वह यह नहीं समझती कि राजनगर में वही एक अकेली खूबसूरत लड़की नहीं है । नगर में उससे भी अधिक खूबसूरत लड़कियां मौजूद हैं लेकिन उन लड़कियों के पीछे ज्यादा लोग ज्यादा देर तक इसीलिये नहीं पड़े रहते क्योंकि वे केवल सुन्दर ही हैं बिन्दु की तरह मूर्ख और भारी धन-सम्पत्ति की स्वामिनी बनने वाली नहीं हैं ।"
"इस विषय में आप ने बिन्दु को कभी समझाने की कोशिश नहीं की ?"
"एक बार की थी । उसने मुझे ऐसा जवाब दिया था कि इस विषय में दुबारा एक शब्द भी जुबान पर लाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई थी ।"
"क्या कहा था उसने ?"
"उसने कहा था कि क्योंकि मेरे अपने विचार बड़े नीच थे और क्योंकि खुद मैंने रायबहादुर साहब की दौलत हथियाने की खातिर उन्हें अने रूप-जाल में फांसा था इसलिये उस के सम्पर्क में आने वाला हर आदमी मुझे अपने जैसा ही नीच और दौलत का दीवाना मालूम होता था ।"
"ऐसी बातें वो साफ-साफ आपके सामने कह देती है ?"
"जी हां । नौकरों के सामने कह देती है । आखिर उसको मुझसे डरने की जरूरत क्या है ? जो दौलत उसे मिलने वाली है, उस पर तो मैं कोई बन्धन लगा नहीं सकती । मिस्टर सुनील, उसे तो मेरी सूरत देखना गंवारा नहीं है । मेरे साथ एक ही घर में मौजूद भी वह इसलिये है, क्योंकि रायबहादुर साहब वसीयत में यह शर्त लगा गये है कि जब तक बिन्दु का विवाह न हो जाये तब तक उसे मेरे साथ रहना पड़ेगा और अगर वह नहीं रहेगी तो उसे उनकी वसीयत में से एक धेला नहीं मिलेगा ।"
"आई सी !"
कावेरी चुप रही ।
"जबकि वास्तव में ऐसी बात नहीं थी ?"
"कैसी बात ?"
"कि इस सिलसिले में आपकी नीयत खराब हो ! कि आपने रुपये की खातिर रायबहादुर साहब से विवाह किया हो !"
कावेरी ने कई क्षण उत्तर न दिया, फिर वह दृढ स्वर में बोली - "जी हां, इस विषय में मेरी नीयत खराब नहीं थी । मैंने दौलत की खातिर रायबहादुर साहब से विवाह नहीं किया था । मेरे हृदय में वाकई उनके लिये गहरे अनुराग की भावना पैदा हो गयी थी । एक बार उन्हें दिल का दौरा पड़ा था तो वे इलाज के लिये उस नर्सिंग होम में भरती हुई थे जिससे मैं डाक्टर थी । बड़े डाक्टर ने उनकी देखभाल के लिये मुझे नियुक्त किया था । वे एक महीना अस्पताल में रहे थे और संयोगवश ही मेरी उनसे घनिष्टता हो गयी थी । एक महीने बाद वे नर्सिंग होम से विदा हो गये थे । उन्होंने मुझे बिन्दु के बारे में बताया था और यह भी बताया था कि इस संसार में उनका कोई दूर का रिश्तेदार भी नहीं था । अगर वे मर गये तो बिन्दु एकदम बेसहारा और अनाथ हो जायेगी । मिस्टर सुनील, दिलचस्प बात तो यह थी कि वे अपनी बेटी के भविष्य के प्रति बेहद चिंतित थे । उन्हें इस बात की भारी चिन्ता थी कि कहीं बिन्दु के जिम्मेदारी की उम्र में कदम रखने से पहले वे मर न जायें लेकिन अपने को जीवित रखने की दिशा में कोई प्रयास नहीं करते थे । हम डाक्टर एक दिल के मरीज से जिस प्रकार के संयम की अपेक्षा करते हैं, उसके वे कतई कायल नहीं थे । और नर्सिंग होम में वे अपनी मर्जी से तो आते ही थे । नर्सिंग होम तो उन्हें हमेशा एम्बूलैंस में डालकर लाया जाता था ।"
कावेरी एक क्षण रुकी और फिर बोली - "मिस्टर सुनील, वे आराम कतई नहीं करते थे । न अपने धन्धे में और न मनोरंजन में । जैसे दिन भर दफ्तर में कड़ी मेहनत करने के बाद वे शाम को क्लब में जाकर हर रोज शराब भी जरूर पीते थे और आधी रात तक ताश भी जरूर खेलते थे । खाना भी वे डटकर खाते थे । इस प्रकार की दिनचर्या वाले दिन के मरीज का अधिक दिनों तक जीवित रह पाना सम्भव नहीं होता । मुझे मालूम था कि वे बहुत जल्दी ही स्वर्ग सिधार जायेंगे ।"
"फिर भी आपने उनसे शादी की ?"
"जी हां ! क्योंकि वे मुझे बहुत मानते थे । मुझे विश्वास था कि अगर मुझे उनके जीवन की बागडोर अपने हाथ में लेने का अवसर मिल जाये तो मैं उन्हें संयम का जीवन बिताने के लिये मजबूर कर दूंगी और फिर उन्हें जल्दी मरने नहीं दूंगी । रायबहादुर साहब से नर्सिंग होम के सम्पर्क के दौरान मेरे मन में यह भावना इतनी प्रबल हो उठी थी कि जब उन्होंने मेरे सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो मैं इनकार न कर सकी । लेकिन मैंने उन पर यह शर्त जरूर ठोक दी थी कि अगर वे मुझसे शादी करेंगे तो उन्हें वैसे रहना होगा जैसे मैं उन्हें रखना चाहूंगी । उन्होंने मेरी शर्त झट स्वीकार कर ली । मिस्टर सुनील, एक भारी त्याग की भावना से ही मैंने उनसे विवाह किया था । उस वक्त यह तो मुझे सूझा ही नहीं था कि मेरे और उनके सम्बन्ध का गलत अर्थ भी लगाया जा सकता था । लोग मुझे गोल्डडिगर (Gold Digger) समझ सकते थे ।"
"आपकी देखभाल से रायबहादुर साहब के जीवन पर कुछ फर्क पड़ा ?"
"भारी । यह मेरा दुर्भाग्य था कि तीन साल बाद एकाएक उनके हृदय की गति रुक गई, वरना जिस हद तक संयम और सुधार मैं उनकी दिनचर्या में पैदा कर चुकी थी उससे ऐसा लगता नहीं था कि अब अगले कुछ वर्षों तक उन्हें कुछ ही पायेगा । उनके दिल की दशा बहुत सुधर गयी थी और सच पूछिये तो शादी के बाद के तीन साल भी वे इसीलिये जिये क्योंकि उन्हें संयम की जिन्दगी बिताने के लिये मजबूर किया गया था ।"
"समस्या क्या है ?" - सुनील वास्तविक विषय पर आने के उद्देश्य से बोला ।
"समस्या बिन्दु ही है ।"
"वह तो हुआ लेकिन, बिन्दु की वजह से ही सही, समस्या है क्या ?"
कावेरी कुछ क्षण तक यूं चुप रही जैसे समस्या बताने के लिये उचत शब्द तलाश कर रही हो ।
सुनील धैर्यपूर्ण मुद्रा बनाये उनके बोलने की प्रतीक्षा करता रहा ।
"रायबहादुर साहब की वसीयत के अनुसार" - अन्त में कावेरी बोली - "जब बिन्दु अट्ठारह साल की हो जायेगी तो ढेर सारी अचल सम्पत्ति के अतिरिक्त वह नकद पच्चीस लाख रुपये की स्वामिनी हो जायेगी और दुर्भाग्यवश यह बात राजनगर में हर किसी को मालूम है ।"
"दुर्भाग्यवश क्यों ?"
"क्योंकि बिन्दु एक साल में अट्ठारह साल की हो जायेगी और फिर वह स्वतन्त्र रूप से एक भारी सम्पत्ति की स्वामिनी होगी । उसको इस सम्पत्ति को किसी भी ढंग से बरबाद करने का पूरा अधिकार होगा । इसलिये बहुत-से गलत किस्म के लोग शहद पर मक्खियों की तरह उसके इर्द-गिर्द जमघट लगाये रहते हैं । बिन्दु इस बात से बड़ी प्रसन्न होती है कि वह इतने ढेर सारे लोगों के आकर्षण का केन्द्र है । वह खूबसूरत है, जवान है इसीलिये उसे अपनी जवानी और खूबसूरती की नुमायश करने का बहुत शौक हो गया है । उसमें अभी इतनी अक्ल तो है नहीं कि वह समझ सके कि लोग उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उसकी ओर आकर्षित नहीं होते बल्कि वे उसकी सम्पत्ति पर घात लगाये हुए हैं जिसकी कि वह एक साल बाद एकदम स्वतन्त्र स्वामिनी बनने वाली है । वह यह नहीं समझती कि राजनगर में वही एक अकेली खूबसूरत लड़की नहीं है । नगर में उससे भी अधिक खूबसूरत लड़कियां मौजूद हैं लेकिन उन लड़कियों के पीछे ज्यादा लोग ज्यादा देर तक इसीलिये नहीं पड़े रहते क्योंकि वे केवल सुन्दर ही हैं बिन्दु की तरह मूर्ख और भारी धन-सम्पत्ति की स्वामिनी बनने वाली नहीं हैं ।"
"इस विषय में आप ने बिन्दु को कभी समझाने की कोशिश नहीं की ?"
"एक बार की थी । उसने मुझे ऐसा जवाब दिया था कि इस विषय में दुबारा एक शब्द भी जुबान पर लाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई थी ।"
"क्या कहा था उसने ?"
"उसने कहा था कि क्योंकि मेरे अपने विचार बड़े नीच थे और क्योंकि खुद मैंने रायबहादुर साहब की दौलत हथियाने की खातिर उन्हें अने रूप-जाल में फांसा था इसलिये उस के सम्पर्क में आने वाला हर आदमी मुझे अपने जैसा ही नीच और दौलत का दीवाना मालूम होता था ।"
"ऐसी बातें वो साफ-साफ आपके सामने कह देती है ?"
"जी हां । नौकरों के सामने कह देती है । आखिर उसको मुझसे डरने की जरूरत क्या है ? जो दौलत उसे मिलने वाली है, उस पर तो मैं कोई बन्धन लगा नहीं सकती । मिस्टर सुनील, उसे तो मेरी सूरत देखना गंवारा नहीं है । मेरे साथ एक ही घर में मौजूद भी वह इसलिये है, क्योंकि रायबहादुर साहब वसीयत में यह शर्त लगा गये है कि जब तक बिन्दु का विवाह न हो जाये तब तक उसे मेरे साथ रहना पड़ेगा और अगर वह नहीं रहेगी तो उसे उनकी वसीयत में से एक धेला नहीं मिलेगा ।"
"आई सी !"
कावेरी चुप रही ।