desiaks
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“मुझे मालूम है आप उस वक्त श्मशान भी गई थीं, जहां जानकी लाल की चिता जलाई गई थी। आप ने सबसे छिपकर दूर से जानकी लाल को अंतिम विदाई दी थी और फिर इससे पहले कि कोई आपको देख पाता, आप वहां से चुपचाप भाग आई थीं। उस वक्त आपकी आंखों में नमी भी थी। और शायद आप वहां मौजूद पहली ऐसी शख्स थीं, जिसकी आंखों में जानकी लाल की जलती चिता को देखकर नमी आई थी।"
नैना के नैना फैल गए, चेहरे पर सारे जहान का आश्चर्य उमड़ आया। “य...यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ?” नैना ने विस्मय से पूछा।
"इत्तेफाक से मालूम हो गया मैडम। विश्वास कीजिए, मैंने इरादतन कुछ नहीं किया था।"
"आपका जानकी लाल के साथ क्या रिश्ता था?"
“प....प्राची..!"
“और आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की। जबकि आप...” उसने एक भरपूर निगाह नैना पर डाली। नैना के ढलते सौंदर्य में भी गजब की कशिश थी। प्राची ने अपनी बात पूरी की “इस उम्र में भी गजब की हसीन हैं। जवानी में इस खूबसूरती का क्या आलम होगा, यह अंदाजा लगा पाना जरा भी मुश्किल नहीं है और आपने इस जवानी को यूं ही जाया कर दिया।”
“हूं।” नैना के होंठ भिंच गए। उसके चेहरे पर सहसा कई रंग आकर चले गए थे।
“बेवजह कोई ऐसा नहीं करता मैडम।” प्राची गौर से नैना का चेहरा देखती हुई बोली “आप भले ही कबूल न करें लेकिन समझने वालों को मालूम है कि कोई ऐसा भेद है जिसे आपने दुनिया से छुपा रखा है और उस भेद की जड़ में कहीं न कहीं जानकी लाल का गहरा दखल है।"
“प्राची।” नैना प्राची को घूरकर सख्ती से बोली “तुम अपनी हद से बाहर जा रही हो। तुम मेरी नवाजिशों का नाजायज फायदा उठाने की कोशिश कर रही हो।"
“ऑय एम सॉरी मैडम ।” प्राची के स्वर में खेद का पुट उभर आया “आप शायद ठीक कह रही हैं। मुझे सचमुच अपनी हदें नहीं पार करनी चाहिए थी। आपके निजी मामलों में इस हद तक दखल देने का मुझे कोई हक नहीं है मगर मैं क्या करूं, आपने ही तो मुझे यह हक दिया है, जो कोई भी एम्प्लायर अपने मुलाजिम को नहीं देता। अगेन सॉरी, मैडम। पर इसमें थोड़ा कसूर तो आपका भी है।"
“शायद।” नैना सपाट स्वर में बोली उसके चेहरे पर एक खिंचाव सा आ गया था “क्योंकि मैं एक औरत हूं और मेरे अंदर औरत की कमजोरियां हैं। वरना लड़की तो संजना भी थी और तुमसे कम खूबसूरत नहीं थी। फिर भी वह कभी मुझसे मुलाजिम से ज्यादा दरजा हासिल नहीं कर सकी थी। जानती हो क्यों?” उसने चेहरा उठाकर प्राची को देखा।
"न...नहीं..।"
“क्योंकि उसके चेहरे और मिजाज में शाइस्तगी नहीं थी। भोलापन और सच्चाई नहीं थी, जिसे देखकर एक औरत की ममता उमड़ आती है। इसीलिए वह हमेशा मेरी मुलाजिम ही रही। अगर जानकी लाल की कम्पनी से मेरी कारोबारी प्रतिद्वंद्विता न होती तो वह मेरी मुलाजिम भी नहीं होती।
जतिन समेत ब्लूलाइन कंस्ट्रक्शन के कई अहम लोगों को वह अपने जाल में फंसाकर उनसे जानकी लाल के कारोबारी सीक्रेट हासिल कर लेती थी। और वह सीक्रेट हमें मिल जाया करते थे। उसका किरदार केवल यहीं तक सीमित था और शायद इसीलिए मुझे उसकी मौत का कोई रंज नहीं है। जबकि तुम्हारे साथ ऐसा नहीं है प्राची, जानती हो क्यों?"
“क...क्यों?” प्राची के होठों से खुद-ब-खुद निकल गया।
“क्योंकि तुम्हारे किरदार में सच्चाई है, भोलापन और निश्छलता है, जिसे देखकर खुद ही ममता उमड़ आती है।
अगर मैंने शादी की होती तो मेरी बेटी निश्चित रूप से तुम्हारी ही उम्र की होती। तुम्हें देखकर शायद इसीलिए मैं
अपनी ममता को रोक नहीं पाई थी, और ना चाहते हुए भी तुम मेरे इतने करीब आ गई। जहां तक भेद की बात है प्राची तो भेद कहां नहीं होते राज किस इंसान की जिंदगी में नहीं होते। क्या तुम्हारी जिंदगी में राज नहीं है?"
“ज...जी।” प्राची ने चौंककर सिर उठाया। उसके चेहरे पर उलझन व असमंजस के भाव आ गए थे “आपने क्या कहा मैडम?"
“मैंने कहा, क्या तुम्हारी जिंदगी में कोई राज नहीं है?" नैना ने दोहराया “क्या तुम्हारा अतीत आइने की तरह साफ है? उसमें कहीं कोई भेद नहीं है? और देखो...।” उसके स्वर में सहसा चेतावनी का पुट उभर आया "झूठ मत बोलना। जवाब ईमानदारी से देना।"
“क...क्या आपको मेरे अतीत में कोई भेद नजर आता है मैडम?” “यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है प्राची। फिर भी एक भेद तो मुझे साफ साफ नजर आ रहा है।"
“क...क्या?" प्राची हकला गई थी “कौन सा भेद नजर आ रहा है आपको?"
"तुम्हारा चेहरा ?"
“जी।"
"तुम्हारा जो चेहरा नजर आता है, वह तुम्हारा असली चेहरा नहीं है प्राची।” नैना ने अपलक उसे देखा और अपने अल्फाजों पर बल देती हुई बोली “तुम्हारा यह चेहरा असल में एक फरेब है, जो तुमने दुनिया से कर रखा है। तुमने अपने चेहरे पर कास्मेटिक सर्जरी करा रखी है, जिसने तुम्हारे असली चेहरे को दुनिया से छुपा रखा है। बोलो, क्या यह सच नहीं है? क्या तुम्हारे चेहरे पर प्लास्टिक सर्जरी नहीं है?"
प्राची एक पल के लिए तो बुरी तरह हड़बड़ा गई, लेकिन फिर शीघ्र ही उसने खुद को संभाल लिया।
नैना के नैना फैल गए, चेहरे पर सारे जहान का आश्चर्य उमड़ आया। “य...यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ?” नैना ने विस्मय से पूछा।
"इत्तेफाक से मालूम हो गया मैडम। विश्वास कीजिए, मैंने इरादतन कुछ नहीं किया था।"
"आपका जानकी लाल के साथ क्या रिश्ता था?"
“प....प्राची..!"
“और आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की। जबकि आप...” उसने एक भरपूर निगाह नैना पर डाली। नैना के ढलते सौंदर्य में भी गजब की कशिश थी। प्राची ने अपनी बात पूरी की “इस उम्र में भी गजब की हसीन हैं। जवानी में इस खूबसूरती का क्या आलम होगा, यह अंदाजा लगा पाना जरा भी मुश्किल नहीं है और आपने इस जवानी को यूं ही जाया कर दिया।”
“हूं।” नैना के होंठ भिंच गए। उसके चेहरे पर सहसा कई रंग आकर चले गए थे।
“बेवजह कोई ऐसा नहीं करता मैडम।” प्राची गौर से नैना का चेहरा देखती हुई बोली “आप भले ही कबूल न करें लेकिन समझने वालों को मालूम है कि कोई ऐसा भेद है जिसे आपने दुनिया से छुपा रखा है और उस भेद की जड़ में कहीं न कहीं जानकी लाल का गहरा दखल है।"
“प्राची।” नैना प्राची को घूरकर सख्ती से बोली “तुम अपनी हद से बाहर जा रही हो। तुम मेरी नवाजिशों का नाजायज फायदा उठाने की कोशिश कर रही हो।"
“ऑय एम सॉरी मैडम ।” प्राची के स्वर में खेद का पुट उभर आया “आप शायद ठीक कह रही हैं। मुझे सचमुच अपनी हदें नहीं पार करनी चाहिए थी। आपके निजी मामलों में इस हद तक दखल देने का मुझे कोई हक नहीं है मगर मैं क्या करूं, आपने ही तो मुझे यह हक दिया है, जो कोई भी एम्प्लायर अपने मुलाजिम को नहीं देता। अगेन सॉरी, मैडम। पर इसमें थोड़ा कसूर तो आपका भी है।"
“शायद।” नैना सपाट स्वर में बोली उसके चेहरे पर एक खिंचाव सा आ गया था “क्योंकि मैं एक औरत हूं और मेरे अंदर औरत की कमजोरियां हैं। वरना लड़की तो संजना भी थी और तुमसे कम खूबसूरत नहीं थी। फिर भी वह कभी मुझसे मुलाजिम से ज्यादा दरजा हासिल नहीं कर सकी थी। जानती हो क्यों?” उसने चेहरा उठाकर प्राची को देखा।
"न...नहीं..।"
“क्योंकि उसके चेहरे और मिजाज में शाइस्तगी नहीं थी। भोलापन और सच्चाई नहीं थी, जिसे देखकर एक औरत की ममता उमड़ आती है। इसीलिए वह हमेशा मेरी मुलाजिम ही रही। अगर जानकी लाल की कम्पनी से मेरी कारोबारी प्रतिद्वंद्विता न होती तो वह मेरी मुलाजिम भी नहीं होती।
जतिन समेत ब्लूलाइन कंस्ट्रक्शन के कई अहम लोगों को वह अपने जाल में फंसाकर उनसे जानकी लाल के कारोबारी सीक्रेट हासिल कर लेती थी। और वह सीक्रेट हमें मिल जाया करते थे। उसका किरदार केवल यहीं तक सीमित था और शायद इसीलिए मुझे उसकी मौत का कोई रंज नहीं है। जबकि तुम्हारे साथ ऐसा नहीं है प्राची, जानती हो क्यों?"
“क...क्यों?” प्राची के होठों से खुद-ब-खुद निकल गया।
“क्योंकि तुम्हारे किरदार में सच्चाई है, भोलापन और निश्छलता है, जिसे देखकर खुद ही ममता उमड़ आती है।
अगर मैंने शादी की होती तो मेरी बेटी निश्चित रूप से तुम्हारी ही उम्र की होती। तुम्हें देखकर शायद इसीलिए मैं
अपनी ममता को रोक नहीं पाई थी, और ना चाहते हुए भी तुम मेरे इतने करीब आ गई। जहां तक भेद की बात है प्राची तो भेद कहां नहीं होते राज किस इंसान की जिंदगी में नहीं होते। क्या तुम्हारी जिंदगी में राज नहीं है?"
“ज...जी।” प्राची ने चौंककर सिर उठाया। उसके चेहरे पर उलझन व असमंजस के भाव आ गए थे “आपने क्या कहा मैडम?"
“मैंने कहा, क्या तुम्हारी जिंदगी में कोई राज नहीं है?" नैना ने दोहराया “क्या तुम्हारा अतीत आइने की तरह साफ है? उसमें कहीं कोई भेद नहीं है? और देखो...।” उसके स्वर में सहसा चेतावनी का पुट उभर आया "झूठ मत बोलना। जवाब ईमानदारी से देना।"
“क...क्या आपको मेरे अतीत में कोई भेद नजर आता है मैडम?” “यह मेरे सवाल का जवाब नहीं है प्राची। फिर भी एक भेद तो मुझे साफ साफ नजर आ रहा है।"
“क...क्या?" प्राची हकला गई थी “कौन सा भेद नजर आ रहा है आपको?"
"तुम्हारा चेहरा ?"
“जी।"
"तुम्हारा जो चेहरा नजर आता है, वह तुम्हारा असली चेहरा नहीं है प्राची।” नैना ने अपलक उसे देखा और अपने अल्फाजों पर बल देती हुई बोली “तुम्हारा यह चेहरा असल में एक फरेब है, जो तुमने दुनिया से कर रखा है। तुमने अपने चेहरे पर कास्मेटिक सर्जरी करा रखी है, जिसने तुम्हारे असली चेहरे को दुनिया से छुपा रखा है। बोलो, क्या यह सच नहीं है? क्या तुम्हारे चेहरे पर प्लास्टिक सर्जरी नहीं है?"
प्राची एक पल के लिए तो बुरी तरह हड़बड़ा गई, लेकिन फिर शीघ्र ही उसने खुद को संभाल लिया।