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- Dec 5, 2013
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फ्लोरी ने हैरानी से उसकी ओर देखा और बोली - "क्या किस्सा है, राजा ?"
"कोई किस्सा नहीं है" - सुनील हड़बड़ा कर बोला - "मैंने केवल एक सवाल पूछा है ।"
फ्लोरी कुछ क्षण चुप रही और फिर बोली - "और कोई रास्ता नहीं है ?"
"नैवर माइन्ड ।" - सुनील बोला और उसने अपनी बांह फ्लोरी की एक बांह में डाल दी ।
वे मैड हाउस से बाहर निकल आये ।
मोटा आदमी सामने रेलिंग के साथ लगा हुआ सिगरेट पी रहा था ।
"कहां चलें ?" - फ्लोरी ने पूछा ।
"कोलाबा ।" - सुनील बोला ।
"अगर कोलाबा ही जाना था तो मैड हाउस में क्या खराबी थी ?"
"वहां दम घुट रहा था ।"
फ्लोरी फिर नहीं बोली । दोनों आगे बढे । लिबर्टी सिनेमा के बगल में ही लिबर्टी बिल्डिंग की पहली मंजिल पर स्थित कोलाबा की सीढियां थीं । वे रेस्टोरेन्ट में पहुंचे और कोने की मेज पर बैठ गये ।
थोड़ी देर बाद ही मोटा आदमी भी रेस्टोरेन्ट में प्रविष्ट हुआ और उनसे थोड़ी दूर एक खाली मेज पर बैठ गया ।
एक वेटर सुनील की टेबल पर आया । उसने सुनील के सामने मीनू रख दिया ।
सुनील ने डिनर का ऑर्डर दिया ।
वेटर चला गया ।
सुनील ने जेब से लक्की स्ट्राइक का पैकेट निकाला । उसने एक सिगरेट फ्लोरी को दिया, एक खुद लिया और फिर पहले फ्लोरी का और फिर अपना सिगरेट सुलगा लिया । दोनों छोटे-छोटे कश लगाते हुए सिगरेट का आनन्द लेने लगे ।
सुनील ने अपनी कलाई पर बन्धी घड़ी पर दृष्टिपात किया ।
पौने बारह बजने वाले थे ।
उसने मन ही मन हिसाब लगाया और यह फैसला किया कि टैक्सी ड्राइवर गजराज अब तक जरूर यूथ क्लब पहुंच चुका होगा ।
"मैं एक मिनट में आया, डार्लिंग ।" - सुनील बोला । उसने सिगरेट ऐश ट्रे में झोंक दिया और उठ खड़ा हुआ । रेस्टोरेन्ट के मुख्य द्वार के पास दीवार पर कायन बॉक्स लगा हुआ था । सुनील उसके समीप पहुंचा, उसने हुक से रिसीवर उठाया और यूथ क्लब का नम्बर डायल कर दिया ।
दूसरी ओर से उत्तर मिलते ही उसने तत्काल कायन बॉक्स में सिक्के डाले और फिर बोला - "रमाकान्त, प्लीज ।"
"जरा होल्ड कीजिये ।" - दूसरी ओर से कोई पुरुष स्वर सुनाई दिया ।
सुनील रिसीवर कान से लगाये प्रतीक्षा करने लगा ।
थोड़ी देर बाद उसके कान में रमाकांत की आवाज पड़ी - "हल्लो, रमाकांत स्पीकिंग ।"
"रमाकांत" - सुनील गम्भीर स्वर में बोला - "मैं सुनील बोल रहा हूं ।"
"बोलो, प्यारयो । कहां से बोल रहे हो ?"
"मैंने अभी एक टैक्सी ड्राइवर के हाथ तुम्हारे पास एक तस्वीर भेजी थी । वह तुम्हें मिल गई है ?"
"वह तस्वीर तुमने भेजी थी ?"
"हां ।"
"मैं तो उसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लगा था । पहले तो मैं समझा कि किसी ने मजाक किया था । फिर सोचा शायद मामला गम्भीर हो । शायद चिड़ियाघर से कोई जानवर पिंजरा तोड़कर निकल भागा हो और चिड़ियाघर के अधिकारी नगर में हर जगह उसकी तस्वीर भेज रहे हों ताकि उसे पहचानने में आसानी रहे और जिसके हाथ में वह जानवर आ जाये वह उसे चिड़ियाघर में वापिस पहुंचा दे ।"
"रमाकांत, मजाक बन्द करो ।"
"ओके ।"
"जिस 'जानवर' की तस्वीर मैंने तुम्हें भेजी है, उसका नाम मुकुल है । वह मैजेस्टिक सर्कस पर लिबर्टी बिल्डिंग में स्थित 'मैड हाउस' नाम के डिस्कोथेक में गिटार बजाता है और विलायती गाने गाता है ।"
"यह देसी हिप्पी विलायती गाने गाता है ?"
"हां । और उसका हिप्पी का लिबास फ्रॉड भी हो सकता है ।"
"क्या मतलब ?"
"मतलब यह कि शायद वह कोई जरायमपेशा आदमी या फरार मुजरिम हो या पुलिस और परिस्थितियों की निगाहों से छुपने के लिये ही शायद उसने यह रूप धारण कर लिया हो ।"
"तुम यह सब अपने वड्डे भापा जी को क्यों बता रहे हो ?"
"मुझे इस आदमी के बारे में जानकारी चाहिये ।"
"कैसी जानकारी ?"
"इसके पिछले जीवन के बारे में जो कुछ भी जान पाओ ।"
"यह राजनगर का ही रहने वाला है ?"
"नहीं ।"
"तो फिर ?"
"वैसे तो पिछले कुछ समय में यह भारत के कई नगरों में धक्के खाता रहा है लेकिन मुझे विश्वस्त सूत्रों से मालूम हुआ है कि वास्तव में बम्बई का रहने वाला है । तुमने मुझे एक बार बताया था कि बम्बई तुम्हारा कोई कान्टैक्ट है । अगर राजनगर में तुम्हें इसके बारे में कोई जानकारी हासिल न हो पाये तो इस तस्वीर को अपने बम्बई वाले आदमी के पास भेज दो । वैसे मुझे आशा नहीं है कि राजनगर में इसके बारे में कोई जानकारी हासिल हो सके । राजनगर में वह सात-आठ महीने पहले ही आया है ।"
"यह बात पक्की है कि वह बम्बई का ही रहने वाला है ?"
"मुझे किसी दूसरे आदमी ने बताया है लेकिन मुझे बात पक्की ही मालूम होती है ! वैसे भी सुना है कि बातों में बम्बई का जिक्र आ जाने पर वह बात को टालने की कोशिश करने लगता है ।"
"कोई किस्सा नहीं है" - सुनील हड़बड़ा कर बोला - "मैंने केवल एक सवाल पूछा है ।"
फ्लोरी कुछ क्षण चुप रही और फिर बोली - "और कोई रास्ता नहीं है ?"
"नैवर माइन्ड ।" - सुनील बोला और उसने अपनी बांह फ्लोरी की एक बांह में डाल दी ।
वे मैड हाउस से बाहर निकल आये ।
मोटा आदमी सामने रेलिंग के साथ लगा हुआ सिगरेट पी रहा था ।
"कहां चलें ?" - फ्लोरी ने पूछा ।
"कोलाबा ।" - सुनील बोला ।
"अगर कोलाबा ही जाना था तो मैड हाउस में क्या खराबी थी ?"
"वहां दम घुट रहा था ।"
फ्लोरी फिर नहीं बोली । दोनों आगे बढे । लिबर्टी सिनेमा के बगल में ही लिबर्टी बिल्डिंग की पहली मंजिल पर स्थित कोलाबा की सीढियां थीं । वे रेस्टोरेन्ट में पहुंचे और कोने की मेज पर बैठ गये ।
थोड़ी देर बाद ही मोटा आदमी भी रेस्टोरेन्ट में प्रविष्ट हुआ और उनसे थोड़ी दूर एक खाली मेज पर बैठ गया ।
एक वेटर सुनील की टेबल पर आया । उसने सुनील के सामने मीनू रख दिया ।
सुनील ने डिनर का ऑर्डर दिया ।
वेटर चला गया ।
सुनील ने जेब से लक्की स्ट्राइक का पैकेट निकाला । उसने एक सिगरेट फ्लोरी को दिया, एक खुद लिया और फिर पहले फ्लोरी का और फिर अपना सिगरेट सुलगा लिया । दोनों छोटे-छोटे कश लगाते हुए सिगरेट का आनन्द लेने लगे ।
सुनील ने अपनी कलाई पर बन्धी घड़ी पर दृष्टिपात किया ।
पौने बारह बजने वाले थे ।
उसने मन ही मन हिसाब लगाया और यह फैसला किया कि टैक्सी ड्राइवर गजराज अब तक जरूर यूथ क्लब पहुंच चुका होगा ।
"मैं एक मिनट में आया, डार्लिंग ।" - सुनील बोला । उसने सिगरेट ऐश ट्रे में झोंक दिया और उठ खड़ा हुआ । रेस्टोरेन्ट के मुख्य द्वार के पास दीवार पर कायन बॉक्स लगा हुआ था । सुनील उसके समीप पहुंचा, उसने हुक से रिसीवर उठाया और यूथ क्लब का नम्बर डायल कर दिया ।
दूसरी ओर से उत्तर मिलते ही उसने तत्काल कायन बॉक्स में सिक्के डाले और फिर बोला - "रमाकान्त, प्लीज ।"
"जरा होल्ड कीजिये ।" - दूसरी ओर से कोई पुरुष स्वर सुनाई दिया ।
सुनील रिसीवर कान से लगाये प्रतीक्षा करने लगा ।
थोड़ी देर बाद उसके कान में रमाकांत की आवाज पड़ी - "हल्लो, रमाकांत स्पीकिंग ।"
"रमाकांत" - सुनील गम्भीर स्वर में बोला - "मैं सुनील बोल रहा हूं ।"
"बोलो, प्यारयो । कहां से बोल रहे हो ?"
"मैंने अभी एक टैक्सी ड्राइवर के हाथ तुम्हारे पास एक तस्वीर भेजी थी । वह तुम्हें मिल गई है ?"
"वह तस्वीर तुमने भेजी थी ?"
"हां ।"
"मैं तो उसे रद्दी की टोकरी में फेंकने लगा था । पहले तो मैं समझा कि किसी ने मजाक किया था । फिर सोचा शायद मामला गम्भीर हो । शायद चिड़ियाघर से कोई जानवर पिंजरा तोड़कर निकल भागा हो और चिड़ियाघर के अधिकारी नगर में हर जगह उसकी तस्वीर भेज रहे हों ताकि उसे पहचानने में आसानी रहे और जिसके हाथ में वह जानवर आ जाये वह उसे चिड़ियाघर में वापिस पहुंचा दे ।"
"रमाकांत, मजाक बन्द करो ।"
"ओके ।"
"जिस 'जानवर' की तस्वीर मैंने तुम्हें भेजी है, उसका नाम मुकुल है । वह मैजेस्टिक सर्कस पर लिबर्टी बिल्डिंग में स्थित 'मैड हाउस' नाम के डिस्कोथेक में गिटार बजाता है और विलायती गाने गाता है ।"
"यह देसी हिप्पी विलायती गाने गाता है ?"
"हां । और उसका हिप्पी का लिबास फ्रॉड भी हो सकता है ।"
"क्या मतलब ?"
"मतलब यह कि शायद वह कोई जरायमपेशा आदमी या फरार मुजरिम हो या पुलिस और परिस्थितियों की निगाहों से छुपने के लिये ही शायद उसने यह रूप धारण कर लिया हो ।"
"तुम यह सब अपने वड्डे भापा जी को क्यों बता रहे हो ?"
"मुझे इस आदमी के बारे में जानकारी चाहिये ।"
"कैसी जानकारी ?"
"इसके पिछले जीवन के बारे में जो कुछ भी जान पाओ ।"
"यह राजनगर का ही रहने वाला है ?"
"नहीं ।"
"तो फिर ?"
"वैसे तो पिछले कुछ समय में यह भारत के कई नगरों में धक्के खाता रहा है लेकिन मुझे विश्वस्त सूत्रों से मालूम हुआ है कि वास्तव में बम्बई का रहने वाला है । तुमने मुझे एक बार बताया था कि बम्बई तुम्हारा कोई कान्टैक्ट है । अगर राजनगर में तुम्हें इसके बारे में कोई जानकारी हासिल न हो पाये तो इस तस्वीर को अपने बम्बई वाले आदमी के पास भेज दो । वैसे मुझे आशा नहीं है कि राजनगर में इसके बारे में कोई जानकारी हासिल हो सके । राजनगर में वह सात-आठ महीने पहले ही आया है ।"
"यह बात पक्की है कि वह बम्बई का ही रहने वाला है ?"
"मुझे किसी दूसरे आदमी ने बताया है लेकिन मुझे बात पक्की ही मालूम होती है ! वैसे भी सुना है कि बातों में बम्बई का जिक्र आ जाने पर वह बात को टालने की कोशिश करने लगता है ।"