hotaks444
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लेकिन दोपहर में उसकी मा मार्केट चली गयी. मा के जाते ही आँचल रामू को ढोँढने लगी. लेकिन उसको घर में रामू नही दिखा. फिर वो घर के पिछवाड़े में बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स की तरफ गयी. वहाँ रामू के कमरे के दरवाज़े को उसने हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया पर अंदर कोई नही था. कमरे को खाली देखकर वो निराश हुई. लेकिन उसने देखा कमरे की दीवारों में फिल्म स्टार्स , मॉडेल्स के कुछ अधनंगे और कुछ पूरी नंगी मॉडेल्स के पोस्टर चिपके हुए हैं. रामू की चारपाई में तकिये के नीचे उसे मास्टराँ की सेक्स कहानियों की हिन्दी किताब मिली. आँचल वहीं बेड में बैठकर वो गंदी किताब पड़ने लगी. कमरे में नंगे पोस्टर्स के बीच वो गंदी कहानियों की किताब पड़ने से आँचल बहुत उततेज़ीत हो गयी और उसकी छूट से रस बहने लगा. उसने अपने जीन्स का बटन खोला और रामू के बेड में लेटकर अपनी गीली छूट में उंगली करने लगी.
रामू के बिस्तर में लेटकर मूठ मरने से उसे एक अलग सा रोमांच हुआ , ऐसा रिस्क लेने से उसकी उततेज़ना बहुत ही बाद गयी और उसको ऑर्गॅज़म आने ही वाला था की तभी कमरे में रामू आ गया. रामू ने देखा की आँचल मेरे बेड पर लेती हुई है और जीन्स नीचे को खिसका के छूट में उंगली कर रही है. वो हैरान रह गया. आँचल ने भी रामू को देख लिया लेकिन तभी उसको जबरदस्त ऑर्गॅज़म आ गया , वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
रामू से अब रहा नही गया , उसने फटाफट अपने कपड़े उतार फेंके और सिसकारियाँ लेती आँचल के चेहरे के पास अपना लंड हिलने लगा. फिर लंड पूरा खड़ा होते ही उसने आँचल की जीन्स और पनटी एक झटके में उतार फेंकी. फिर आँचल की गंद को एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से उसकी छूट में उंगली करने लगा. वो अपने अंगूठे से उसकी क्लाइटॉरिस को मसल रहा था और गीली रस से भारी छूट में फ़चफ़च उंगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. आँचल अपनी गंद उपर को उछालने लगी. जल्दी ही उसको एक और ऑर्गॅज़म आ गया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेती हुई दोसरि बार झाड़ गयी.
फिर रामू ने आँचल के बाकी कपड़े भी उतार दिए और उसको पूरी नंगी कर दिया. आँचल की बड़ी बड़ी चुचियों को खुली हवा में हिलते देखकर रामू उततेज़ना से भर उठा और उसने चुचियों के बीच निप्पालों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हे चूसने और काटने लगा. साथ ही साथ चुचियों को ज़ोर ज़ोर से हाथों में पकड़कर मसालने लगा.
आँचल को रामू का लंड चूसने की तड़प हुई . वो अपने हाथ में रामू का लंड पकड़कर उसे उपर नीचे हिलने लगी. फिर रामू ने आँचल को उठाकर अपनी गोद में बिता लिया और उसकी छूट की छेड़ में अपने लंड का सूपड़ा घुसा दिया. फिर धीरे धीरे उसने आँचल को अपने लंड पर बिता दिया.
जैसे ही सूपड़ा छूट के अंदर घुसा , आँचल चिल्लाई, “ आररर्ग्घह उंगग्गग अहह ओइईईईईईई….”
अपनी गोद में बैठी आँचल को सिसकारियाँ लेते देखकर रामू उततेज़ना में भर गया और उसने आँचल की छूट में अंदर तक पूरा लंड घुसा दिया. आँचल को ऐसा लगा जैसे रामू के बड़े लंड से उसकी छूट पूरी भर गयी है और छूट की देवरें पूरी तरह से स्ट्रेच हो गयी हैं. रामू ने आँचल की छूट की टाइटनेस को महसूस किया , उसे लगा आँचल की टाइट छूट ने उसके लंड को बिल्कुल जाकड़ लिया है , आनंद से वो पागल सा हो गया. उसने पहले रंडियन छोड़ी थी पर रंडी छोड़ते समय उसे लगता था जैसे किसी थैली में टूतब्रश डाल रहा हो.
इतनी खूबसूरत और एकद्ूम टाइट छूट वाली लड़की को छोड़ने में ऐसा आनंद उसे आ रहा था जो उसके पूरे खानदान में सयद किसी को भी नही आया होगा.
फिर रामू ने लंड को अपनी जगह पर बिना हिलाए रखकर आँचल को कसकर आलिंगन में भर लिया और उसके गोरे खूबसूरत बदन को चॉंने , चाटने और काटने लगा. आँचल दर्द और उततेज़ना से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
फिर रामू आँचल की गंद को हाथों से पकड़कर उसको अपने लंड पर उपर नीचे उछालने लगा , रामू का लंड अब छूट में तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा . उछालने से आँचल की बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे उछालने लगी . इससे उततेज़ीत होकर रामू ज़्यादा देर रोक नही पाया और उसने आँचल की छूट को अपने गरम वीर्या से पूरा भर दिया. वीर्या गिरते गिरते वो आँचल की चुचियों को चोसने काटने लगा. फिर उसने अपना लंड आँचल की छूटरस से भीगी हुई छूट से बाहर निकाला. इतने बड़े लंड के बाहर निकालने से प्वाअक की आवाज़ हुई और आँचल की छूट का मुँह खुला रह गया.
फिर उसने अपने मुरझा चुके लंड को आँचल के मुँह में दल दिया. आँचल सतसट उसका लंड चूसने लगी. आँचल के लंड चूसने से थोड़ी ही देर में छोकरे रामू का लंड फिर खड़ा हो गया. अब उसने आँचल को लिटाकर उसकी टाँगे पकड़ के उपर को घुटने से मोड़ दी और फिर छूट में लंड घुसेड दिया.
अब रामू , आँचल की छूट में हल्के हल्के धक्के लगाने लगा. आँचल भी उततेज़ीत होकर उसका पूरा साथ देने लगी और अपनी गंद उपर को उछालने लगी जैसे वो नीचे से रामू को छोड़ रही हो. ये देखकर रामू खुस हो गया. आँचल के ऐसे गंद उपर को उछालने से उसकी गोरी गोरी मखहान जैसे जंघें भी उछाल रही थी और उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे हिल रही थी.
आँचल तो अपने पहले लंड रामू के साथ चुदाई से इतने आनंद में थी की उसको दीं दुनिया की कुछ ना होश ना दर्र ना शरम , सब कुछ वो भूल गयी थी. वो इतनी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी की रामू को उसके मुँह में हाथ रखना पद रहा था की कहीं कोई सुन ना ले. उसके तेज तेज आवाज़ निकालने से रामू का हाल ऐसा था की ये खुद तो मरेगी साथ में मुझे भी मरवाएगी.
आँचल उततेज़ना से चिल्लाई, “ आहह......श....माआ..... , बहुत मज़ा आ रहा है रामू , ऑश......ऑश......... आहह…..ओइईईईईईईईई “.
उसको ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते रहे और वो झड़ती रही , झड़ती रही और झड़ती रही ना जाने कितनी बार………
रामू उसकी छूट को धमाधम छोड़े जा रहा था और उसकी ना जानने कब की प्यास बुझाए जा रहा था . आँचल बहुत खुश थी उसकी प्यास आज कोई जी भरकर बुझा रहा था. रामू की रस्सी वाली चारपाई में लेते लेते धक्के खाते खाते उसके नितंब दुखने लगे थे , पर उसे इसकी कोई परवाह नही थी , जो मज़ा उसे मिल रहा तह उसके आयेज बाकी परेशानियों का कोई महटवा नही था.
रामू के तेज तेज धक्कों से वो पुरानी चारपाई ऐसे आवाज़ कर रही थी की दर था कहीं टूट ना जाए. तभी आँचल ने दूर कहीं किसी के डोरबेल बजाने की आवाज़ सुनी , लेकिन वो रामू से . "और तेज ! और तेज !" ही कहती रही.
रामू ने भी डोरबेल की आवाज़ सुन ली थी , पर उततेज़ना में उसने भी उनसुना कर दिया.
“छोड़ो ….....मुझे छोड़ो रामू ……और छोड़ो …ज़ोर से ….और ज़ोर से….आ आहह…… ओइईईईई माआ…….” आँचल को ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते गये.
इतनी खूबसूरत लड़की को चुदसी औरत के जैसे चिल्लाते देखकर रामू भी रुक नही पाया और जोरदार स्ट्रोक लगते हुए उसने आँचल की छूट एक बार फिर अपने वीर्या से भर दी . फिर झाड़ते झाड़ते , अपना पूरा वज़न आँचल के बदन में डालकेर वो उततेज़ना में उसकी चुचियों को चाटने और काटने लगा.
जब चुदाई ख़तम हुई तो रामू को होश आया कोई बहुत देर से डोरबेल बजाए जा रहा था. वो झट से उठा और आँचल को खींचकर उठाने लगा.
लेकिन आँचल मदहोश थी वो उठी ही नही. रामू घबराहट में उसको नंगी ही चोरकर फटाफट अपने कपड़े पहनकर उनके घर की तरफ मैं दरवाज़ा खोलने को भगा.
रामू के कमरे के दूसरी तरफ पड़ोसी के नौकर का कमरा था. दोनो घर के बीच में दीवार थी. अपने कमरे में वो नौकर दोपहर की नीड ले रहा था. लेकिन आँचल की ज़ोर ज़ोर से कामोततेज़ाक सिसकारियों से उसकी नींद खुल गयी . वो दीवार के उस पार से तनका झकी करने लगा. वो दीवार फांदकर रामू के कमरे की खिड़की से चुपचाप चुदाई देखने लगा और बहुत उततेज़ीत हो गया. वो रामू का दोस्त था और कई बार साथ साथ उन दोनो ने रंडियन छोड़ी थी. रामू ने उसको शादी से पहले आँचल को लंड चूसने वाला किस्सा भी बताया था. 55 साल की उमर का होने के बावजूद चिकनी आँचल को चूड़ते देखकर उसका लंड पाजामा फड़कर बाहर आने को हो गया.
जब उसने रामू को घर के अंदर जाते हुए देखा तो मौका तड़कर वो रामू के कमरे में घुस गया. कमरे में आँचल टाँगे फैलाए नंगी पड़ी हुई थी , उसकी छूट का छेड़ जोरदार चुदाई से अभी खुला हुआ ही था. आँचल ने उसको देख लिया पर तब तक वो नौकर आँचल के उपर चाड गया. अपना लंड आँचल की छूट में घुसकर उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए. धक्कों से वो पुरानी चारपाई , चुवन ! चुवन ! की आवाज़ करने लगी.
छूट में लंड अंदर बाहर होने से आँचल की सिसकारियाँ निकालने लगी. उसका जिस्म बुड्ढे के धक्कों का जवाब देते हुए गंद उपर को उछालने लगा.
लेकिन उसका दिमाग़ कह रहा था की ये ग़लत है , वो बोली, “ मत करो….उहह …..अहह…..मुझे चोरो………..ओइईईईई माआअ…”
नौकर छोड़ते रहा और आँचल को ऑर्गॅज़म आ गया , उसकी छूट ने फिर पानी छोड़ दिया. लेकिन वो “मुझे चोर दो, मत करो “ कहती रही. ये सुनकर नौकर ने आँचल के मुँह पर अपना हाथ रख कर मुँह बंद कर दिया. और फिर ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. जब आँचल को ऑर्गॅज़म आया तो उसने उततेज़ना में अपने मुँह पर रखे हुए नौकर के हाथ में ज़ोर से दाँत काट दिया.
अब बुद्धा नौकर भी झड़ने लगा . झाड़ते समय वो चिल्लाया, “ ह….साली छूट…….”
और फिर आँचल की छूट में अपना वीर्या गिरा दिया.
उनकी खुस-किस्मती से सर्वेंट क्वॉर्टर घर के पिछवाड़े में होने से उनकी ये आवाज़ें घर के अंदर नही गयी . झड़ने के बाद नौकर अपना मुरझाया हुआ झानतु लंड फटाफट अपने पाजामा में घुसकर , अपने ज़ख्मी हाथ (आँचल के दाँत काटने से) को सहलाता हुआ दीवार फांदकर अपने कमरे में भाग लिया.
आँचल गहरी गहरी साँसे लेती हुई नंगी चारपाई में पड़ी रही. उसने बुड्ढे नौकर को अपने बदन का मज़ा लेने से रोकने की कोई कोशिश नही की थी , सिर्फ़ मुँह से " मत करो मत करो" कह दिया बस. उसका बदन चुदाई के मज़े चाहता था , पर दिमाग़ इन सब के लिए माना करता था. पर हर बार की तरह जिस्म और दिमाग़ की लड़ाई में जीत जिस्म की ही होती थी.
उधर रामू ने मैं दरवाज़ा खोला तो बाहर आँचल की मा और सुनील खड़े थे. पिछले 10 मिनिट्स से सुनील डोरबेल बजाए जा रहा था लेकिन आँचल की मा मार्केट से अभी पहुँची थी.
जब सुनील ने उसको बताया की वो काफ़ी देर से बाहर खड़ा है तो आँचल की मा ने रामू को खूब हड़काया , " कहाँ मारा था इतनी देर तक , जमाई के लिए दरवाज़ा क्यूँ नही खोला."
रामू ने बहाना बनाया की वो अपने कमरे में सो रहा था इसलिए डोरबेल नही सुनी. उसका तका हुआ चेहरा और उलझे बाल देखकर उन्होने उसकी बात पर विस्वास कर लिया. सुनील ने बताया वो आँचल को घर ले जाने के लिए आया है. अब रामू की गांद फट गयी.
आँचल की मा , आँचल को आवाज़ देते हुए उसके रूम में गयी, पर आँचल अपने बेडरूम में नही थी.
फिर उसने रामू से पूछा, “ आँचल कहाँ है ?”
रामू को कुछ समझ नही आया , वो बोला, “ मेंसाब् तो अपने घर चली गयी है.”
आँचल की मा बोली,” घर चली गयी ? बिना बताए ? लेकिन उसका सूटकेस तो यही है.”
रामू बोला, “ वो ऑटो से चली गयी है और सूटकेस जब सुनील आएगा उसको दे देना बोल के गयी है.”
सुनील की भी कुछ साँझ नही आया की आँचल ने ऐसा क्यूँ किया , पर उसे कोई शक़ नही हुआ.
आँचल की मा ने सुनील से कहा , “ बेटा सुनील , तुम छाई पानी पी के ही जाओगे. रामू जल्दी से छाई बना के ला.”
रामू किचन में जाने की बजाए जल्दी से अपने कमरे की और भगा , वहाँ आँचल अभी भी नंगी आँखें बंद करके चारपाई में लेती हुई थी. उसने फटाफट आँचल को सब बातें बताई और जल्दी जल्दी उसका जीन्स और टॉप पहना के उसको सर्वेंट क्वॉर्टर के पीछे के रास्ते से रोड पर जकेर ऑटो पकड़ के सीधे अपने ससुराल जाने को कहा. उधर आँचल की मा, " रामू ! रामू ! " चिल्ला रही थी. रामू आँचल को वहीं चोरके फिर फटाफट अंदर छाई बनाने किचन में भगा.
आँचल अभी भी मदहोशी में थी , उसका दिमाग़ सही से काम नही कर रहा था. वो जैसे तैसे उठी और पीछे के रास्ते रोड पर आ गयी, वहाँ उसको वही बुद्धा नौकर मिला . नौकर को अपनी तरफ गंदी वासना भारी नज़रों से घूरते देखकर आँचल का सर शरम से झुक गया. खुस-किस्मती से किसी ने भी उसे बुड्ढे नौकर से चूड़ते हुए नही देखा था. बुद्धा जल्दी जल्दी छोड़कर झाड़ गया था और फिर वापस चला गया था.
आँचल लड़खड़ते कदमों से ऑटो धोँदणे लगी. उसने देखा सब लोग उसी को घूर रहे हैं और गंदी तरह से हंस रहे हैं. वो शक़ल से ही बहुत चूड़ी हुई लग रही थी. उपर से हुआ ये की जल्दबाज़ी में रामू ने उसे सिर्फ़ टॉप और जीन्स पहना दिया. ब्रा और पनटी रामू के ही कमरे में रह गयी. उसके बाल बिखरे हुए थे और होंठ सूज़े हुए थे. पसीने से उसका टॉप उसके बदन से चिपक गया था.
ब्रा ना होने से बड़ी बड़ी चुचियाँ और सूज़े हुए निप्पल टॉप से बाहर को निकल रहे थे. जीन्स भी जल्दबाज़ी में ढंग से नही पहनी थी और पीछे गंद की दरार दिखाई दे रही थी , अंदर से पनटी थी नही. ऐसी हालत में सब के घूर्ने से वो शरम से ज़मीन में गड़ गयी लेकिन तभी एक ऑटो वाला मिल गया और वो झट से उसमे बैठ गयी. अब घॉरर्ने की बरी औूतोवले की थी. उसने पहले तो आक्ची तरह से उपर से नीचे तक आँचल को घूरा फिर सिडेगलशस में उसकी हिलती हुई चुचियों को देखते हुए ऑटो चलाने लगा. रास्ते भर उसने ऑटो को जानबूझकर झटके देते हुए चलाया ताकि झटकों से आँचल की बड़ी हिलती हुई चुचियों का मज़ा ले. आँचल सब समझ रही थी लेकिन अपने होत दाँतों में दबाकर सर नीचे झुकाए बैठी रही.
ससुराल पहुँचते ही सबसे पहले सामना हुआ संस्कारी ससुर से. ससुर ने ऐसी हालत में आँचल को देखा तो माता पीट लिया , " हे भगवान फिर चुड गयी बहू . सला सबका नंबर लग गया. मेरी किस्मत ही फूटी है जो घर में होकर भी मेरा इसको छोड़ने का नंबर नही लग पा रहा."
आँचल ने ससुर को देखा तो एक नर्वस सी स्माइल दी और फटाफट अपने बेडरूम में भाग गयी. उसने सोचा ये बुद्धा बार बार मुझे छुड़ा हुआ देख लेता है , अब में ज़्यादा दिन तक इसके हाथ से बच नही पौँगी.
लेकिन उसकी ख़ुस्माती थी की उसकी सास अपनी भतीजी की शादी से वापस आ गयी थी और घर पर सास के होने से ससुर को ज़्यादा ताक झक का मौका नही मिलने वाला था.
रामू के बिस्तर में लेटकर मूठ मरने से उसे एक अलग सा रोमांच हुआ , ऐसा रिस्क लेने से उसकी उततेज़ना बहुत ही बाद गयी और उसको ऑर्गॅज़म आने ही वाला था की तभी कमरे में रामू आ गया. रामू ने देखा की आँचल मेरे बेड पर लेती हुई है और जीन्स नीचे को खिसका के छूट में उंगली कर रही है. वो हैरान रह गया. आँचल ने भी रामू को देख लिया लेकिन तभी उसको जबरदस्त ऑर्गॅज़म आ गया , वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
रामू से अब रहा नही गया , उसने फटाफट अपने कपड़े उतार फेंके और सिसकारियाँ लेती आँचल के चेहरे के पास अपना लंड हिलने लगा. फिर लंड पूरा खड़ा होते ही उसने आँचल की जीन्स और पनटी एक झटके में उतार फेंकी. फिर आँचल की गंद को एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से उसकी छूट में उंगली करने लगा. वो अपने अंगूठे से उसकी क्लाइटॉरिस को मसल रहा था और गीली रस से भारी छूट में फ़चफ़च उंगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. आँचल अपनी गंद उपर को उछालने लगी. जल्दी ही उसको एक और ऑर्गॅज़म आ गया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेती हुई दोसरि बार झाड़ गयी.
फिर रामू ने आँचल के बाकी कपड़े भी उतार दिए और उसको पूरी नंगी कर दिया. आँचल की बड़ी बड़ी चुचियों को खुली हवा में हिलते देखकर रामू उततेज़ना से भर उठा और उसने चुचियों के बीच निप्पालों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हे चूसने और काटने लगा. साथ ही साथ चुचियों को ज़ोर ज़ोर से हाथों में पकड़कर मसालने लगा.
आँचल को रामू का लंड चूसने की तड़प हुई . वो अपने हाथ में रामू का लंड पकड़कर उसे उपर नीचे हिलने लगी. फिर रामू ने आँचल को उठाकर अपनी गोद में बिता लिया और उसकी छूट की छेड़ में अपने लंड का सूपड़ा घुसा दिया. फिर धीरे धीरे उसने आँचल को अपने लंड पर बिता दिया.
जैसे ही सूपड़ा छूट के अंदर घुसा , आँचल चिल्लाई, “ आररर्ग्घह उंगग्गग अहह ओइईईईईईई….”
अपनी गोद में बैठी आँचल को सिसकारियाँ लेते देखकर रामू उततेज़ना में भर गया और उसने आँचल की छूट में अंदर तक पूरा लंड घुसा दिया. आँचल को ऐसा लगा जैसे रामू के बड़े लंड से उसकी छूट पूरी भर गयी है और छूट की देवरें पूरी तरह से स्ट्रेच हो गयी हैं. रामू ने आँचल की छूट की टाइटनेस को महसूस किया , उसे लगा आँचल की टाइट छूट ने उसके लंड को बिल्कुल जाकड़ लिया है , आनंद से वो पागल सा हो गया. उसने पहले रंडियन छोड़ी थी पर रंडी छोड़ते समय उसे लगता था जैसे किसी थैली में टूतब्रश डाल रहा हो.
इतनी खूबसूरत और एकद्ूम टाइट छूट वाली लड़की को छोड़ने में ऐसा आनंद उसे आ रहा था जो उसके पूरे खानदान में सयद किसी को भी नही आया होगा.
फिर रामू ने लंड को अपनी जगह पर बिना हिलाए रखकर आँचल को कसकर आलिंगन में भर लिया और उसके गोरे खूबसूरत बदन को चॉंने , चाटने और काटने लगा. आँचल दर्द और उततेज़ना से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
फिर रामू आँचल की गंद को हाथों से पकड़कर उसको अपने लंड पर उपर नीचे उछालने लगा , रामू का लंड अब छूट में तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा . उछालने से आँचल की बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे उछालने लगी . इससे उततेज़ीत होकर रामू ज़्यादा देर रोक नही पाया और उसने आँचल की छूट को अपने गरम वीर्या से पूरा भर दिया. वीर्या गिरते गिरते वो आँचल की चुचियों को चोसने काटने लगा. फिर उसने अपना लंड आँचल की छूटरस से भीगी हुई छूट से बाहर निकाला. इतने बड़े लंड के बाहर निकालने से प्वाअक की आवाज़ हुई और आँचल की छूट का मुँह खुला रह गया.
फिर उसने अपने मुरझा चुके लंड को आँचल के मुँह में दल दिया. आँचल सतसट उसका लंड चूसने लगी. आँचल के लंड चूसने से थोड़ी ही देर में छोकरे रामू का लंड फिर खड़ा हो गया. अब उसने आँचल को लिटाकर उसकी टाँगे पकड़ के उपर को घुटने से मोड़ दी और फिर छूट में लंड घुसेड दिया.
अब रामू , आँचल की छूट में हल्के हल्के धक्के लगाने लगा. आँचल भी उततेज़ीत होकर उसका पूरा साथ देने लगी और अपनी गंद उपर को उछालने लगी जैसे वो नीचे से रामू को छोड़ रही हो. ये देखकर रामू खुस हो गया. आँचल के ऐसे गंद उपर को उछालने से उसकी गोरी गोरी मखहान जैसे जंघें भी उछाल रही थी और उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे हिल रही थी.
आँचल तो अपने पहले लंड रामू के साथ चुदाई से इतने आनंद में थी की उसको दीं दुनिया की कुछ ना होश ना दर्र ना शरम , सब कुछ वो भूल गयी थी. वो इतनी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी की रामू को उसके मुँह में हाथ रखना पद रहा था की कहीं कोई सुन ना ले. उसके तेज तेज आवाज़ निकालने से रामू का हाल ऐसा था की ये खुद तो मरेगी साथ में मुझे भी मरवाएगी.
आँचल उततेज़ना से चिल्लाई, “ आहह......श....माआ..... , बहुत मज़ा आ रहा है रामू , ऑश......ऑश......... आहह…..ओइईईईईईईईई “.
उसको ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते रहे और वो झड़ती रही , झड़ती रही और झड़ती रही ना जाने कितनी बार………
रामू उसकी छूट को धमाधम छोड़े जा रहा था और उसकी ना जानने कब की प्यास बुझाए जा रहा था . आँचल बहुत खुश थी उसकी प्यास आज कोई जी भरकर बुझा रहा था. रामू की रस्सी वाली चारपाई में लेते लेते धक्के खाते खाते उसके नितंब दुखने लगे थे , पर उसे इसकी कोई परवाह नही थी , जो मज़ा उसे मिल रहा तह उसके आयेज बाकी परेशानियों का कोई महटवा नही था.
रामू के तेज तेज धक्कों से वो पुरानी चारपाई ऐसे आवाज़ कर रही थी की दर था कहीं टूट ना जाए. तभी आँचल ने दूर कहीं किसी के डोरबेल बजाने की आवाज़ सुनी , लेकिन वो रामू से . "और तेज ! और तेज !" ही कहती रही.
रामू ने भी डोरबेल की आवाज़ सुन ली थी , पर उततेज़ना में उसने भी उनसुना कर दिया.
“छोड़ो ….....मुझे छोड़ो रामू ……और छोड़ो …ज़ोर से ….और ज़ोर से….आ आहह…… ओइईईईई माआ…….” आँचल को ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते गये.
इतनी खूबसूरत लड़की को चुदसी औरत के जैसे चिल्लाते देखकर रामू भी रुक नही पाया और जोरदार स्ट्रोक लगते हुए उसने आँचल की छूट एक बार फिर अपने वीर्या से भर दी . फिर झाड़ते झाड़ते , अपना पूरा वज़न आँचल के बदन में डालकेर वो उततेज़ना में उसकी चुचियों को चाटने और काटने लगा.
जब चुदाई ख़तम हुई तो रामू को होश आया कोई बहुत देर से डोरबेल बजाए जा रहा था. वो झट से उठा और आँचल को खींचकर उठाने लगा.
लेकिन आँचल मदहोश थी वो उठी ही नही. रामू घबराहट में उसको नंगी ही चोरकर फटाफट अपने कपड़े पहनकर उनके घर की तरफ मैं दरवाज़ा खोलने को भगा.
रामू के कमरे के दूसरी तरफ पड़ोसी के नौकर का कमरा था. दोनो घर के बीच में दीवार थी. अपने कमरे में वो नौकर दोपहर की नीड ले रहा था. लेकिन आँचल की ज़ोर ज़ोर से कामोततेज़ाक सिसकारियों से उसकी नींद खुल गयी . वो दीवार के उस पार से तनका झकी करने लगा. वो दीवार फांदकर रामू के कमरे की खिड़की से चुपचाप चुदाई देखने लगा और बहुत उततेज़ीत हो गया. वो रामू का दोस्त था और कई बार साथ साथ उन दोनो ने रंडियन छोड़ी थी. रामू ने उसको शादी से पहले आँचल को लंड चूसने वाला किस्सा भी बताया था. 55 साल की उमर का होने के बावजूद चिकनी आँचल को चूड़ते देखकर उसका लंड पाजामा फड़कर बाहर आने को हो गया.
जब उसने रामू को घर के अंदर जाते हुए देखा तो मौका तड़कर वो रामू के कमरे में घुस गया. कमरे में आँचल टाँगे फैलाए नंगी पड़ी हुई थी , उसकी छूट का छेड़ जोरदार चुदाई से अभी खुला हुआ ही था. आँचल ने उसको देख लिया पर तब तक वो नौकर आँचल के उपर चाड गया. अपना लंड आँचल की छूट में घुसकर उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए. धक्कों से वो पुरानी चारपाई , चुवन ! चुवन ! की आवाज़ करने लगी.
छूट में लंड अंदर बाहर होने से आँचल की सिसकारियाँ निकालने लगी. उसका जिस्म बुड्ढे के धक्कों का जवाब देते हुए गंद उपर को उछालने लगा.
लेकिन उसका दिमाग़ कह रहा था की ये ग़लत है , वो बोली, “ मत करो….उहह …..अहह…..मुझे चोरो………..ओइईईईई माआअ…”
नौकर छोड़ते रहा और आँचल को ऑर्गॅज़म आ गया , उसकी छूट ने फिर पानी छोड़ दिया. लेकिन वो “मुझे चोर दो, मत करो “ कहती रही. ये सुनकर नौकर ने आँचल के मुँह पर अपना हाथ रख कर मुँह बंद कर दिया. और फिर ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. जब आँचल को ऑर्गॅज़म आया तो उसने उततेज़ना में अपने मुँह पर रखे हुए नौकर के हाथ में ज़ोर से दाँत काट दिया.
अब बुद्धा नौकर भी झड़ने लगा . झाड़ते समय वो चिल्लाया, “ ह….साली छूट…….”
और फिर आँचल की छूट में अपना वीर्या गिरा दिया.
उनकी खुस-किस्मती से सर्वेंट क्वॉर्टर घर के पिछवाड़े में होने से उनकी ये आवाज़ें घर के अंदर नही गयी . झड़ने के बाद नौकर अपना मुरझाया हुआ झानतु लंड फटाफट अपने पाजामा में घुसकर , अपने ज़ख्मी हाथ (आँचल के दाँत काटने से) को सहलाता हुआ दीवार फांदकर अपने कमरे में भाग लिया.
आँचल गहरी गहरी साँसे लेती हुई नंगी चारपाई में पड़ी रही. उसने बुड्ढे नौकर को अपने बदन का मज़ा लेने से रोकने की कोई कोशिश नही की थी , सिर्फ़ मुँह से " मत करो मत करो" कह दिया बस. उसका बदन चुदाई के मज़े चाहता था , पर दिमाग़ इन सब के लिए माना करता था. पर हर बार की तरह जिस्म और दिमाग़ की लड़ाई में जीत जिस्म की ही होती थी.
उधर रामू ने मैं दरवाज़ा खोला तो बाहर आँचल की मा और सुनील खड़े थे. पिछले 10 मिनिट्स से सुनील डोरबेल बजाए जा रहा था लेकिन आँचल की मा मार्केट से अभी पहुँची थी.
जब सुनील ने उसको बताया की वो काफ़ी देर से बाहर खड़ा है तो आँचल की मा ने रामू को खूब हड़काया , " कहाँ मारा था इतनी देर तक , जमाई के लिए दरवाज़ा क्यूँ नही खोला."
रामू ने बहाना बनाया की वो अपने कमरे में सो रहा था इसलिए डोरबेल नही सुनी. उसका तका हुआ चेहरा और उलझे बाल देखकर उन्होने उसकी बात पर विस्वास कर लिया. सुनील ने बताया वो आँचल को घर ले जाने के लिए आया है. अब रामू की गांद फट गयी.
आँचल की मा , आँचल को आवाज़ देते हुए उसके रूम में गयी, पर आँचल अपने बेडरूम में नही थी.
फिर उसने रामू से पूछा, “ आँचल कहाँ है ?”
रामू को कुछ समझ नही आया , वो बोला, “ मेंसाब् तो अपने घर चली गयी है.”
आँचल की मा बोली,” घर चली गयी ? बिना बताए ? लेकिन उसका सूटकेस तो यही है.”
रामू बोला, “ वो ऑटो से चली गयी है और सूटकेस जब सुनील आएगा उसको दे देना बोल के गयी है.”
सुनील की भी कुछ साँझ नही आया की आँचल ने ऐसा क्यूँ किया , पर उसे कोई शक़ नही हुआ.
आँचल की मा ने सुनील से कहा , “ बेटा सुनील , तुम छाई पानी पी के ही जाओगे. रामू जल्दी से छाई बना के ला.”
रामू किचन में जाने की बजाए जल्दी से अपने कमरे की और भगा , वहाँ आँचल अभी भी नंगी आँखें बंद करके चारपाई में लेती हुई थी. उसने फटाफट आँचल को सब बातें बताई और जल्दी जल्दी उसका जीन्स और टॉप पहना के उसको सर्वेंट क्वॉर्टर के पीछे के रास्ते से रोड पर जकेर ऑटो पकड़ के सीधे अपने ससुराल जाने को कहा. उधर आँचल की मा, " रामू ! रामू ! " चिल्ला रही थी. रामू आँचल को वहीं चोरके फिर फटाफट अंदर छाई बनाने किचन में भगा.
आँचल अभी भी मदहोशी में थी , उसका दिमाग़ सही से काम नही कर रहा था. वो जैसे तैसे उठी और पीछे के रास्ते रोड पर आ गयी, वहाँ उसको वही बुद्धा नौकर मिला . नौकर को अपनी तरफ गंदी वासना भारी नज़रों से घूरते देखकर आँचल का सर शरम से झुक गया. खुस-किस्मती से किसी ने भी उसे बुड्ढे नौकर से चूड़ते हुए नही देखा था. बुद्धा जल्दी जल्दी छोड़कर झाड़ गया था और फिर वापस चला गया था.
आँचल लड़खड़ते कदमों से ऑटो धोँदणे लगी. उसने देखा सब लोग उसी को घूर रहे हैं और गंदी तरह से हंस रहे हैं. वो शक़ल से ही बहुत चूड़ी हुई लग रही थी. उपर से हुआ ये की जल्दबाज़ी में रामू ने उसे सिर्फ़ टॉप और जीन्स पहना दिया. ब्रा और पनटी रामू के ही कमरे में रह गयी. उसके बाल बिखरे हुए थे और होंठ सूज़े हुए थे. पसीने से उसका टॉप उसके बदन से चिपक गया था.
ब्रा ना होने से बड़ी बड़ी चुचियाँ और सूज़े हुए निप्पल टॉप से बाहर को निकल रहे थे. जीन्स भी जल्दबाज़ी में ढंग से नही पहनी थी और पीछे गंद की दरार दिखाई दे रही थी , अंदर से पनटी थी नही. ऐसी हालत में सब के घूर्ने से वो शरम से ज़मीन में गड़ गयी लेकिन तभी एक ऑटो वाला मिल गया और वो झट से उसमे बैठ गयी. अब घॉरर्ने की बरी औूतोवले की थी. उसने पहले तो आक्ची तरह से उपर से नीचे तक आँचल को घूरा फिर सिडेगलशस में उसकी हिलती हुई चुचियों को देखते हुए ऑटो चलाने लगा. रास्ते भर उसने ऑटो को जानबूझकर झटके देते हुए चलाया ताकि झटकों से आँचल की बड़ी हिलती हुई चुचियों का मज़ा ले. आँचल सब समझ रही थी लेकिन अपने होत दाँतों में दबाकर सर नीचे झुकाए बैठी रही.
ससुराल पहुँचते ही सबसे पहले सामना हुआ संस्कारी ससुर से. ससुर ने ऐसी हालत में आँचल को देखा तो माता पीट लिया , " हे भगवान फिर चुड गयी बहू . सला सबका नंबर लग गया. मेरी किस्मत ही फूटी है जो घर में होकर भी मेरा इसको छोड़ने का नंबर नही लग पा रहा."
आँचल ने ससुर को देखा तो एक नर्वस सी स्माइल दी और फटाफट अपने बेडरूम में भाग गयी. उसने सोचा ये बुद्धा बार बार मुझे छुड़ा हुआ देख लेता है , अब में ज़्यादा दिन तक इसके हाथ से बच नही पौँगी.
लेकिन उसकी ख़ुस्माती थी की उसकी सास अपनी भतीजी की शादी से वापस आ गयी थी और घर पर सास के होने से ससुर को ज़्यादा ताक झक का मौका नही मिलने वाला था.