Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार - SexBaba
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Vasna Kahani दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

hotaks444

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दोस्त के परिवार ने किया बेड़ा पार

यह बात आज से 9-10 वर्ष पहले की है जब मेरी उम्र 20-21 साल की थीं. उन दिनों मैं मुम्बई में रहता था.
मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार सुखबीर रहने आया. वो किराये के मकान में अकेला रहता था. मेरी हमउम्र का था इसलिए हम दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. वो मुझ पर अधिक विश्वास रखता था क्योंकि मैं एक सरकारी कर्मचारी था और उससे ज्यादा पढ़ा लिखा था. वो एक निजी फैक्ट्री मे मशीन ऑपरेटर था.
उसके परिवर में केवल 4 सदस्य थे. उसकी विधवा माँ 40 साल की, विधवा बुआ (यानी कि उसकी माँ की सगी ननद) 34 साल की और उसकी कुँवारी बहन 18-19 साल की थीं. वे सब उसके गाँव में रहकर अपनी खेती बाड़ी करते थे.
दीवाली की छुट्टियों में उसकी माँ और बहन मुम्बई में 1 महीने के लिये आए हुए थे. दिसम्बर में उसकी माँ और बहन वापस गाँव जाने की जिद्द करने लगे. लेकिन काम अत्यधिक होने के कारण सुखबीर को 2 महीने तक कोई भी छुट्टी नहीं मिल सकती थीं. इसलिए वो परेशान रहने लगा.

वो चाहता था कि किसी का गाँव तक साथ हो तो वो माँ और बहन को उसके साथ भेज सकता है. लेकिन किसी का भी साथ नहीं मिला.
सुखबीर को परेशानी में देख कर मैंने पूछा, क्या बात है सुखबीर? आज कल तुम ज्यादा परेशान रहते हो!

सुखबीर: क्या करूं यार, काम ज्यादा होने के कारण मेरे ऑफ़िस में मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं मिल रही है और इधर माँ गाँव जाने की जिद कर रही हैं. मैं चाहता हूँ कि, अगर कोई गाँव तक किसी का साथ रहे तो माँ और बहन अच्छी तरह से गाँव पहुँच जायेंगी और मुझे भी चिन्ता नहीं रहेगी. लेकिन गाँव तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा है ना ही मुझे छुट्टी मिल रही है, इसलिए मैं काफ़ी परेशान हूँ.
राज: यार अगर तुम्हे ऐतराज ना हो तो, मैं तुम्हारी परेशानी का हल कर सकता हूँ और मेरा भी फ़ायदा हो जायेगा.

सुखबीर: यार, मैं तुम्हारा यह एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूँगा! अगर तुम मेरी परेशानी हल कर दो तो. लेकिन यार, तुम कैसे मेरी परेशानी हल करोगे और कैसे तुम्हारा फ़ायदा होगा?
यार, सरकारी दफ्तर के अनुसार मुझे साल में 1 महीने की छुट्टी मिलती है. अगर मैं छुट्टी लेता हूँ तो मुझे गाँव या कही भी जाने का, आने जाने का किराया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती है. अगर मैं छुट्टी ना लूँ तो, 1 महीने की छुट्टी समाप्त हो जाती है और कुछ नहीं मिलता है.

सुखबीर: यार, तुम छुट्टी लेकर माँ और बहन को गाँव पहुँचा दो, इस बहाने तुम मेरा गाँव भी घूम आना!
अगले राज से मैंने छुट्टी के लिए आवेदन पत्र दे दिया, और मेरी छुट्टी मंजूर हो गई.
सुखबीर ने साधारण टिकट लेकर हम दोनों को रेलवे स्टेशन पहुँचाने आया. हमने टीटी से विनती कर के किसी तरह बर्थ की 2 सीट ले ली.
गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुई.
 
रात करिब 10 बजे हमने खाना खाया और गपशप करने लगे. बहन ने कहा, भैया मुझे नींद आ रही है! और वो उपर के बर्थ पर सो गई.
कुछ देर बाद माँ भी नीचे के बर्थ पर चादर ओढ़ कर सो गई और कहा कि, तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जाना.

मुझे भी थोड़ी देर बाद नींद आने लगी, और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया. सोने से पहले मैंने पैंट खोल कर शोर्ट पहन लिया.
माँ अपने बाईं तरफ़ करवट कर के सो गईं. कुछ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी उनकी चादर ओढ़ कर सो गया.

अचानक! रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि, माँ की साड़ी कमर के उपर थीं और उनकी चूत घनी झांटों के बीच छुपी थीं. उनका हाथ मेरे शोर्ट पर लण्ड के करीब था.
यह सब देख कर मेरा लण्ड शोर्ट के अन्दर फड़फड़ाने लगा. मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि, क्या करूँ. मैं उठकर पेशाब करने चला गया.

जब वापस आया मैंने चादर उठा कर देखा कि, माँ अभी तक उसी अवस्था में सोई थीं. मैं भी उनकी तरफ़ करवट कर के सो गया. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थीं.

बार बार मेरी आँखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी. थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया. वहाँ 5 मिनट तक ट्रेन रुकी थी और, मैं विचार कर रहा था कि क्या करूँ!
जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाईट चली गई. मैंने सोचा कि, भगवान भी मेरा साथ दे रहा है.

मैंने अपना लण्ड शोर्ट से निकल कर लण्ड के सुपाड़े की टोपी नीचे सरका कर सुपाड़े पर ढेर सारा थूक लगा कर सुपाड़े को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा.
गाड़ी के धक्के के कारण आधा सुपाड़ा उनकी चूत में चला गया लेकिन, माँ की तरफ़ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद में थीं, या वो जानबूझ कर कोई हरकत नहीं कर रही थीं.
मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.

एक बार तो मेरा दिल हुआ कि, एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लण्ड चूत में डाल दूँ. लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिम्मत नहीं हुई.
गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लण्ड ने ढेर सारा फ़व्वारा उनकी चूत और झांटों के ऊपर निकाल दिया.
अब मैं अपना लण्ड शोर्ट में डाल कर सो गया.
 
करीब सवेरे 7 बजे माँ ने उठाया और कहा कि, चाय पिलो और तैयार हो जाओ क्योंकि 1 घन्टे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ़्रेश हो कर तैयार हो गया.
स्टेशन आने तक माँ बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम सुखबीर के घर पहुँचे.

वहाँ पर सुखबीर की बुआ ने हमारा स्वागत किया और कहा- नहा धोकर नाश्ता कर लो.

हम नहा धोकर आँगन में बैठ कर नाश्ता करने लगे.

करीब 11:00 बजे बुआ ने माँ से कहा- भाभी जी आप लोग थक गए होंगे, आप आराम कीजिये मैं खेत में जा रही हूँ और मैं शाम को लौटूंगी.

माँ ने कहा, ठीक है! और मुझसे बोली, अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर लो नहीं तो बुआ के साथ जा कर खेत देख लेना.

मैंने कहा कि, मैं आराम नहीं करुगा क्योंकि मेरी नींद पूरी हो गई है! मैं बुआ जी के साथ खेत चला जाता हूँ, वहाँ पर मेरा समय भी पास हो जायेगा.

मैं और बुआ खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगों ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था. खेत की एक कोने मे एक छोटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी न था.

खेत पहुँच कर बुआ जी काम में लग गईं और कहा कि, तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लुंगी भी है चाहे तो, लुंगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद कर दो.

मैं मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लुंगी बनियान पहनकर बुआ जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी-कभी मेरा हाथ बुआ जी के चूतड़ पर भी टच होता था.
कुछ देर बाद बुआ जी से मैंने पूछा- बुआ जी यहाँ कहीं पेशाब करने की जगह है?

बुआ जी बोली- मकान के पीछे झाड़ियों में जाकर कर लो.

मैं जब पेशाब कर के वापस आया तो देखा बुआ जी अब भी काम कर रही थीं.

थोड़ी देर बाद बुआ जी बोलीं- आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फ़िर काम में लग जाएँगे.

अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और बुआ दोनों ने पहले हाथ पैर धोये फिर खाना खाने बैठ गए. बुआ जी मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थीं.

खाना खाते समय मैंने देखा कि, मेरी लुंगी जरा साईड में हट गई थी. जिस कारण मेरी चड्डी से आधा निकला हुआ लण्ड दिखाई दे रहा था और बुआ जी की नज़र बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा और, बीच बीच में उनकी नज़र मेरे लण्ड पर ही जा रही थीं.
 
खाना खाने के बाद बुआ जी बरतन धोने लगीं जब वो झुक कर बरतन धो रही थीं तो मुझे उनके बड़े बड़े बूब्स साफ़ नज़र आ रहे थे. उन्होंने केवल ब्लाऊज़ पहना हुआ था. बरतन धोने के बाद वो कमरे में आकर चटाई बिछा दी और बोलीं चलो थोड़ी देर आराम करते है. मैं चटाई पर आकर लेट गया.

बुआ बोलीं- बेटा! आज तो बड़ी गर्मी है!

कह कर उन्होंने अपनी साड़ी खोल दी और केवल पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ़ करवट कर के लेट गईं.

अचानक! मेरी नज़र उनके पेटीकोट पर गई. उनकी दाहिनी ओर की कमर पर जहाँ पेटीकोट का नाड़ा बंधा था वहा पर काफ़ी गेप था और, गेप से मैंने उनकी कुछ कुछ झांटे दिखाई दे रही थी.

अब मेरा लण्ड लुंगी के अन्दर हरकत करने लगा. थोड़ी देर बाद बुआ जी ने करवट बदली तो मैंने तुरंत आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा.

थोड़ी देर बाद बुआ जी उठीं और मकान के पीछे चल पड़ीं. मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया. खिड़की बंद थीं, लेकिन उसमे एक सुराख था.
मैं सुराख पर आँख लगाकर देखा तो मकान का पिछला भाग साफ़ दिखाई दे रहा था. बुआ वहाँ बैठ कर पेशाब करने लगी.

सब करने के बाद बुआ जी थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर, उठकर मकान के अन्दर आने लगी. फ़िर मैं तुरंत ही अपनी स्थान पर आकर लेट गया.

बुआ जी जब वापस मकान में आईं तो, मैं भी उठकर पिछली तरफ़ पेशाब करने चला गया. मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ़ लण्ड पकड़ कर पेशाब करने लगा.
मैंने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और बुआ जी की नज़र मेरे लण्ड पर थी.

पेशाब करके जब वापस आया तो देखा, बुआ जी चित लेटी हुई थीं. मेरे आने के बाद बुआ बोलीं बेटा आज मेरी कमर बहुत दुख रही है. क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो?

मैंने कहा- क्यों नहीं!

उसने कहा, ठीक है! सामने तेल की शीशी पड़ी है उसे लगा कर मेरी कमर की मालिश कर देना, और फिर वो पेट के बल लेट गईं. मैं तेल लगा कर उनकी कमर की मालिश करने लगा.
वो बोली- बेटा थोड़ा नीचे मालिश करो.

मैंने कहा- बुआ जी थोड़ा पेटीकोट का नाड़ा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटीकोट पर तेल भी नहीं लगेगा.

बुआ जी ने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया. अब मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा. उन्होंने और थोड़ा नीचे मालिश करने को कहा. मैं थोड़ा नीचे की तरफ़ मालिश करने लगा.
थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली, बस बेटा और नाड़ा बंद कर लेट गईं. मैं भी बगल में आकर लेट गया. अब मेरे दिल और दिमाग ने बुआ को कैसे चोदा जाए!

यह विचार करने लगा. आधे घण्टे के बाद बुआ जी उठी और साड़ी पहन कर अपने काम में लग गईं.

शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुँचे. घर पहुँचकर मैंने कहा- माँ मैं बाजार जा रहा हूँ और 1 घण्टे बाद आ जाऊँगा.
यह कहकर मैं बाजार की ओर निकल पड़ा.
 
रास्ते में मैंने बीयर की दुकान से बीयर की बोतलें ले आया. घर आकर हाथ पैर धोकर केवल लुंगी पहन कर दूसरे कमरे में जाकर बीयर पीने लगा. एक घण्टे में मैंने 4 बोतलें बीयर पी ली थी और बीयर का नशा हावी होने लगा था.

इतने में बुआ जी ने खाने के लिए आवाज लगाईं. हम सब साथ बैठ कर खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद मैं सिगरेट की दुकान जाकर सिगरेट पीने लगा.
जब वापस आया तो आँगन में सब बैठ कर बाते कर रहे थे. मैं भी उनकी बातों में शामिल हो गया और हंसी मजाक करने लगा.

बातों बातों में बुआ जी माँ से बोलीं, भाभी- राज बेटा अच्छी मालिश करता है. आज खेत में काम करते करते, अचानक! मेरी कमर में दर्द उठा तो इसने अच्छी मालिश की और कुछ ही देर में मुझे आराम आ गया.

माँ हंस पड़ी और मेरी तरफ़ अजीब नज़रो से देखने लगीं. मैं कुछ नहीं कहा और सिर झुका लिया.

आधे घण्टे के बाद बहन और बुआ सोने चली गईं. मैं और माँ इधर उधर की बातें करते रहे. करीब रात 11 बजे माँ बोली, बता आज तो! मेरे पैर दुख रहे हैं. क्या तुम मालिश कर दोगे?
राज: हाँ, क्यों नहीं! लेकिन आप केवल सूखी मालिश करवाओगी या तेल लगाकर?

मा: बेटा अगर तेल लगा कर करोगे तो आसानी होगी और आराम भी मिलेगा!

राज : ठीक है! लेकिन सरसो का तेल हो तो और भी अच्छा रहेगा और जल्दी आराम मिलेगा.

फिर माँ उठ कर अपने कमरे में गईं और, मुझे भी अपने कमरे में बुला लिया. मैंने कहा, आप चलिए मैं पेशाब करके आता हूँ.

मैं जब पेशाब करके उनके कमरे में गया तो देखा माँ अपनी साड़ी खोल रही थी.

मुझे देख कर बोली, बेटा तेल के दाग साड़ी पर ना लगे इसलिए साड़ी उतार रही हूँ. वो अब केवल ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थी और मैं बनियान और लुंगी में था.

माँ ने तेल की शीशी मुझे देकर बिस्तर पर लेट गईं. मैं भी उनके पैर के पास बैठ कर उनके पैर से थोड़ा पेटीकोट ऊपर किया और तेल लगा कर मालिश करने लगा.

माँ बोली, बेटा बड़ा आराम आ रहा है! जरा पिंडली में जोर लगा कर मालिश करो. मैंने फिर उनका दायाँ पैर अपने कंधे में रख कर पिंडली में मालिश करने लगा.

उनका एक पैर मेरे कंधे पर था और दूसरा नीचे था, जिस कारण मुझे उनकी झांटे और चूत के दर्शन हो रहे थे क्योंकि माँ ने अन्दर पैन्टी नहीं पहनी थी.

वैसे भी देहाती लोग ब्रा और पैन्टी नहीं पहनते हैं! उनकी चूत के दर्शन पाते ही मेरा लण्ड हरकत करने लगा.

माँ ने अपनी पेटीकोट घुटनों के थोड़ा ऊपर कर के कहा, जरा और ऊपर मालिश करो.
 
मैं अब पिंडली के ऊपर मालिश करने लगा, और उनका पेटीकोट घुटनों के थोड़ा ऊपर होने के कारण अब मुझे उनकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी.
इस कारण मेरा लण्ड फूल कर लोहे की तरह कड़ा और सख्त हो गया, और चड्डी फ़ाड़ कर निकलने को बेताब हो रहा था.

मैं थोड़ा थोड़ा ऊपर मालिश करने लगा और मालिश करते करते मेरी उंगलियाँ कभी-कभी उनकी जाँघों के पास चली जाती थी.
जब भी मेरी उंगलियाँ उनके जाँघों को स्पर्श करती तो, उनके मुख से हाआ! हाअ! की आवाज निकलती थी.

मैंने उनकी ओर देखा तो माँ की आँखें बंद थी और बार बार वो अपने होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थीं.

मैंने सोचा! कि, मेरी उंगलियों के स्पर्श से माँ को मजा आ रहा है. क्यों ना इस सुनहरे मौके का फ़ायदा उठाया जाए!

मैंने माँ से कहा, माँ मेरे हाथ तेल की चिकनाहट के कारण काफ़ी फिसल रहे है. यदि आप को अच्छा नहीं लगता है तो मालिश बंद कर दूँ?

माँ ने कहा, कोई बात नहीं मुझे काफ़ी आराम और सुख मिल रहा है. फिर मैं अपने हथेली पर और तेल लगा कर उनके घुटनों के ऊपर मालिश करने लगा.

मालिश करते करते अचानक! मेरी उंगलियाँ उनके चूत के इलाके के पास छूने को होने लगी. वो आँखें बंद कर के केवल आहें भर रही थीं.

मेरी उंगलियाँ उनके पेटीकोट के अन्दर चूत को छूने की कोशिश कर रही थी.

अचानक! मेरी उँगली उनके चूत को छू लिया, फिर मैं थोड़ा घबरा कर अपनी उँगली उनके चूत से हटा ली और उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए उनके चेहरे की ओर देखा लेकिन माँ की आँखें बंद थी.

वो कुछ नहीं बोल रही थीं. मेरा लण्ड सख्त होकर चड्डी के बाहर निकलने को बेताब हो रहा था.

मैंने माँ से कहा, माँ मुझे पेशाब लगी है. मैं पेशाब करके आता हूँ फ़िर मालिश करुगा.

माँ बोली, ठीक है! बेटा वाकयी तू बहुत अच्छा मालिश करता है. मन करता है मैं रात भर तुझसे मालिश करवाऊँ.

मैं बोला, कोई बात नहीं! आप जब तक कहोगी मैं मालिश करुँगा यह कह कर मैं पेशाब करने चला गया.

जब पेशाब करके वापस आ रहा था तो, बुआ जी के कमरे से मुझे कुछ कुछ आवाज सुनाई दी. उत्सुकता से मैंने खिड़की की ओर देखा तो वह थोड़ी खुली थी.

मैंने खिड़की से देखा, बुआ जी एकदम नंगी सोईं थीं और अपने चूत में ककड़ी डाल कर ककड़ी को अन्दर बाहर कर रही थीं और मुख से हा! हाआ! हाअ! की आवाज निकाल रही थीं.
 
यह सीन देख कर! मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया. मैंने सोचा, बुआ जी की मालिश कल करुँगा आज सुखबीर की माँ की मालिश करता हूँ क्योंकि, तवा गर्म है तो रोटी सेक लेनी चाहिए.

मैं फिर माँ के कमरे में चला गया.

मुझे आया देख कर माँ ने कहा, बेटा लाईट बुझा कर धीमी लाईट जला दो ताकि मालिश करवाते करवाते अगर मुझे नींद आ गई तो तुम भी मेरे बगल में सो जाना.

मैंने तब लाईट बंद करके धीमी लाईट चालू कर दी जब वापास आया तो, माँ पेट के बल लेटी थीं और उनका पेटीकोट केवल उनकी भारी भारी गाण्ड के ऊपर था बाकी पैरों का हिस्सा बिल्कुल नंगा था.

अब मैं हथेली पर ढेर सारा तेल लगा कर उनके पैरों की मालिश करने लगा. पहले पिंडली पर मालिश करता रहा फिर, मैं धीरे धीरे घुटनों के ऊपर जाँघों के पास चूतड़ों के नीचे मालिश करता रहा.

पेटीकोट चूतड़ पर होने से मुझे उनकी झांटे और गाण्ड का छेद नज़र आ रहा था. अब मैं हिम्मत कर के धीरे धीरे उनका पेटीकोट कमर तक ऊपर कर दिया.
माँ कुछ नहीं बोली और उनकी आँखें बंद थी.

मैंने सोचा! शायद उनको नींद आ गई होगी. अब उनकी गाण्ड और चूत के बाल मुझे साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे.

मैंने हिम्मत करके तेल से भरी हुई उँगली उनकी गाण्ड के छेद के ऊपर लगाने लगा वो कुछ नहीं बोलीं. मेरी हिम्मत और बढ़ गई.

मेरा अँगूठा उनकी चूत की फांकों को छू रहा था और, अँगूठे की बगल की उँगली उनकी गाण्ड के छेद को सहला रही थी.

यह सब हरकत करते करते मेरा लण्ड टाईट हो गया और चूत में घुसने के लिए बेताब हो गया.

इतने में माँ ने कहा कि, बेटा मेरी कमर पर भी मालिश कर दो, तब मैं उठकर पहले चुपके से मेरी चड्डी उतार कर उनकी कमर पर मालिश करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने माँ से कहा कि, माँ तेल से आप का ब्लाऊज़ खराब हो जाएगा. क्या आप अपने ब्लाऊज़ को थोड़ा ऊपर उठा सकती हैं?

यह सुनकर, माँ ने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुए ब्लाऊज़ को ऊपर उठा दिया. मैं फिर मालिश करने लगा. मालिश करते करते कभी कभी मेरी हथेली साईड से उनके बूब्स को छू जाती थी.

उनकी कोई भी प्रतिक्रिया ना देख कर मैंने उनसे कहा, माँ अब आप सीधी सो जाइए. मैं अब आपकी स्पेशल तरीके से मालिश करना चाहता हूँ. माँ करवट बदल कर सीधी हो गईं.
मैंने देखा! अब भी उनकी आँखें बंद थी और उनके ब्लाऊज़ के सारे बटन खुले थे और, उनकी चूंची साफ़ झलक रही थी.
उनकी चूंची काफ़ी बड़ी बड़ी थी और साँसों से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसीली चूंची साफ़ साफ़ दिख रही थी.

माँ की सुरीली और नशीली धीमी आवाज मेरे कानो में पड़ी- बेटा अब तुम थक गए होगे, यहाँ आओ ना! और मेरे पास ही लेट जाओ ना.

पहले तो मैं हिचकिचाया क्योंकि, मैंने केवल लुंगी पहनी थी और लुंगी के अन्दर मेरा लण्ड चूत के लिए तड़प रहा था.

वो मेरी परेशानी समझ गई और बोलीं- कोई बात नही, तुम अपनी बनियान उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ! शरमाओ मत, आओ ना!

मुझे अपने कान पर यकीन नहीं हो रहा था. मैं बनियान उतार कर उनके पास लेट गया और जिस बदन को कभी दूर से निहारता था आज, मैं उसी के पास लेटा हुआ था.

माँ का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था. मैं ऐसे लेटा था कि, उनकी चूंची बिल्कुल नंगी दिखाई दे रही थी, क्या हसीन नजारा था!

तब माँ बोली- इतने महीने से आज मालिश करवाई हूँ, इसलिए काफ़ी आराम मिला है!

फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे से खींच कर अपनी उभरी हुई चूची पर रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाया. लेकिन अपना हाथ उनके चूची पर रखा रहने दिया.
मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है, जरा सहलाओ ना.

मैंने उनकी चूची को सहलाना शुरु किया और कभी कभी जोर जोर से, उनकी चूची को रगड़ना शुरु कर दिया.
 
मेरी हथेली की रगड़ पा कर माँ के निप्पल कड़े हो गए. अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घूमा कर बोलीं- बेटा मेरा ब्लाऊज़ खोल दो और ठीक से सहलाओ.
मैंने काँपते हुए हाथों से माँ का ब्लाऊज़ खोल दिया और उन्होंने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया.
मेरे दोनों हाथों को अपने नंगी चूचियों पर ले जाकर वो बोली- थोड़ा कस कर दबाओ ना! मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और, जोश में आकर उनकी रसीली चूची से जम कर खेलने लगा.
क्या बड़ी-बड़ी चूचियाँ थी! कड़ी कड़ी चूचियाँ और लम्बे लम्बे निप्पल्स. पहली बार मैं किसी औरत की चूची को छू रहा था.
माँ को भी मुझसे अपनी चूंची की मालिश करवाने में मज़ा आ रहा था.
मेरा लण्ड अब खड़ा होने लगा था और लुंगी से बाहर निकल आया. मेरा 9 इंच का लण्ड पूरे जोश में आ गया था.
माँ की चूंची मसलते मसलते हुए, मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जाँघों में रगड़ मारने लगा था.

अब उन्होंने कहा- बेटा तुम्हारा लण्ड तो लोहे के समान हो गया है और इसका स्पर्श से लगता है कि काफ़ी लम्बा और मोटा होगा. क्या मैं हाथ लगा कर देखूँ?
उन्होंने पूछा, और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी.
अपनी मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कस के बंद कर ली और बोली- बाप रे! ये तो बहुत कड़क है. वो मेरी तरफ़ घूमी और अपना हाथ मेरी लुंगी मे घुसा कर मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ लिया.
लण्ड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लण्ड के जड़ तक ले गई, जिससे सुपाड़ा बाहर आ गया. सुपाड़े की साईज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गईं.
बेटा कहाँ छुपा रखा था? ऐसा तो मैंने अपनी जिन्दगी में नहीं देखा है! उन्होंने पूछा.

मैंने कहा- यहीं तो था, तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान ही नहीं दिया. यदि आप ट्रेन में गहरी नींद में नहीं होतीं तो शायद आप देख लेतीं क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सुपाड़ा आप की चूत को रगड़ रहा था.

माँ बोली- मुझे क्या पता था कि, तुम्हारा इतना बड़ा लौड़ा होगा! ये मैं सोच भी नहीं सकती थी.
मुझे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य! हुआ जब उन्होंने, ‘लौड़ा’ कहा और साथ ही में बड़ा मज़ा अया.
वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर खींच रही थीं और कस कर दबा रही थीं, फिर माँ ने अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जाँघों के बीच ले कर रगड़ने लगी.

वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गईं ताकि मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड़ सके. उनकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था.
अचानक! उन्होंने अपनी एक चूची मेरे मुँह मे ठेलते हुए कहा- चूसो इनको मुँह मे लेकर!
मैंने बाईं चूची अपने मुँह मे भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा. थोड़ी देर के लिए मैंने उनकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं तुम्हारा ब्लाऊज़ मे कसी चूची को देखता था और हैरान होता था.

इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह मे लेकर चूसूँ और इनका रस पी लूँ. पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ!
तुम नहीं जानती कि, तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कल रात से कितना परेशान किया है?
अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो! मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो, माँ ने कहा.
फिर क्या था, माँ की हरी झंडी पकड़ मैं टूट पड़ा माँ की चूची पर!
मेरी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी. मैंने अपनी जीभ माँ के उठे हुए कड़े निप्पल पर घूमाया. मैंने दोनों चूंचियो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था.
 
मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा. माँ भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुँह से ओह! ओह! अह! शी! शी! की आवाज निकल रही थी.

मुझसे पूरी तरफ़ से सटे हुए वो मेरे लण्ड को बुरी तरह से मसल रही थीं और मरोड़ रही थीं. उन्होंने अपनी बाईं टांग को मेरे दाईं टांग के ऊपर चढा दिया और मेरे लण्ड को अपनी जाँघों के बीच रख लिया.
मुझे उनकी जाँघों के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. आह! उनकी झांटो से भरी हुईं चूत थी.
मेरा लण्ड का सुपाड़ा उनकी झांटो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बांध टूट रहा था.
मैं माँ से बोला- माँ मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे में नहीं हूँ, प्लीज! मुझे बताओ मैं क्या करूं?
माँ बोली- तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक?
मैंने बोला- नही! कितने दुख की बात है?
कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती है? मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा.
उन्होंने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोलीं- अपनी दोस्त की माँ को चोदोगे?
क्कक!! क्यों!! नही, मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया.
मेरा गला सूख रहा था. वो बड़े मादक अन्दाज़ मे मुस्कुरा दीं और मेरे लण्ड को आजाद करते हुए बोलीं- ठीक है! लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा.
चलो! अपनी लुंगी निकल कर पूरे नंगे हो जाओ. मैंने अपनी लुंगी खोल कर साईड में फेंक दिया. मैं अपने तने हुए लण्ड को लेकर नंगा माँ के सामने खड़ा था.
माँ अपनी रसीली होंठों को अपने दांतों मे दबा कर देखती रही और अपने पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया. तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ, कहते हुए मैंने उनका पेटीकोट को खींचा.

माँ ने अपने चूतड़ ऊपर कर दिए जिससे कि, पेटीकोट उनकी टांगो उतर कर अलग हो गया. अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुई थीं.

उन्होंने अपनी टांगो को फ़ैला दिया और मुझे रेशमी झांटो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नजारा देखने को मिला.
नाईट लेम्प की हल्की रोशनी मे चमकते हुए नंगे जिस्म को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड मारे खुशी के झूमने लगा.

माँ ने अब मुझसे अपने ऊपर चढने को कहा. मैं तुरंत उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूची को दबाते हुए उनके रसीले होंठ चूसने लगा. माँ ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे कस कर जकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी .

हाय! क्या स्वादिष्ट और रसीली जीभ थी! मैं भी उनकी जीभ को जोर शोर से चूसने लगा. हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ पूरे जोश के साथ किया जा रहा था.
कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होंठ उनकी नाजुक गालों पर रगड़ रगड़ कर चूमने लगा. फिर माँ ने मेरी पीठ पर से हाथ ऊपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ़ कर दिया. मैं अपने होंठ उनके होंठों से उनकी ठुड्डी पर लाया और कंधों को चूमता हुआ चूची पर पहुँचा.
मैं एक बार फिर से उनकी चूची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा.

उन्होंने अपने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टांगे एक-दूसरे से दूर हो गईं.
अपनी दाईं हाथ से वो मेरा लण्ड पकड़ कर उसे मुठ्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और, अपनी बाईं हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टांगो के बीच ले गईं.

जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होंने अपनी चूत के दाने को ऊपर से रगड़ दिया.
समझदार को इशारा काफ़ी था. मैं उनके चूची को चूसता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा.

बेटा अपनी उंगली अन्दर डालो ना! कहते हुए, माँ ने मेरा उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दिया. मैंने अपनी उंगली उनकी चूत के दरार मे घुसा दिया और वो पूरी तरह अन्दर चली गई.
जैसे जैसे मैंने, उनकी चूत के अन्दर उंगली अन्दर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढता गया!
जैसे ही मेरा उंगली उनके चूत के दाने से टकराई, उन्होंने जोर से सिसकारी लेकर अपनी जाँघों को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी.
 
कुछ देर बाद उनकी चूत से पानी बह रहा था.
थोड़ी देर तक ऐसे ही मजे लेने के बाद मैंने अपनी उंगली उनकी चूत से बाहर निकल लिया और सीधा हो कर उनके ऊपर लेट गया. उन्होंने अपनी टांगे फ़ैला दीं और मेरे फ़ड़फ़ड़ाते हुए लण्ड को पकड़ कर सुपाड़ा चूत के मुहाने पर रख लिया. उनकी झांटो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर माँ ने कहा, अब अपना लौड़ा मेरी बुर मे घुसाओ, प्यार से घुसेड़ना नहीं तो मुझे दर्द होगा, अह्!!
मैं नौसिखिया था, इसलिए शुरु शुरु में मुझे अपना लण्ड उनकी टाईट चूत में घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुईं.

मैं जब जोर लगा कर लण्ड अन्दर डालना चाहा तो उन्हें दर्द भी हुआ. लेकिन पहले से उंगली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गई थी.
फिर माँ ने अपने हाथ से लण्ड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे सुपाड़ा अन्दर चला गया.
इससे पहले कि माँ संभलती, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लण्ड मक्खन जैसी चूत की जन्नत मे दाखिल हो गया.
माँ चिल्लाईं- उई! ईई! माआ! उहुहुह्! ओह! बेटा, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, हाय! बड़ा जालिम है तुम्हारा लण्ड, मार ही डाला मुझे तुमने.
मैंने सोचा लगता है माँ को काफ़ी दर्द हो रहा है.
पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लण्ड उनके बुर मे घुसा था. मैं अपना लण्ड उनकी चूत मे घुसा कर चुपचाप पड़ा था.
माँ की चूत फ़ड़ फ़ड़ फड़क रही थी और, अन्दर ही अन्दर मेरे लौड़े को मसल रही थी, पकड़ रही थी.
उनकी उठी उठी चूचियाँ काफ़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी.
मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूची को पकड़ लिया और मुँह मे लेकर चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद माँ को कुछ राहत मिली और उन्होंने कमर हिलानी शुरु कर दी और मुझसे बोली- बेटा शुरु करो, चोदो मुझे!
ले लो मज़ा जवानी का मेरे रज्ज्जा! और अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदाने लगीं.
मैं थोड़ा अनाड़ी था. समझ नहीं पाया कि कैसे शुरु करु?

पहले अपनी कमर ऊपर किया तो लण्ड चूत से बाहर आ गया.

फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नहीं बैठा और माँ की चूत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल कर गाण्ड मे जाकर फँस गया.
मैंने दो तीन धक्के लगाए पर लण्ड चूत मे वापस जाने के बदले फिसल कर गाण्ड मे चला जाता.

माँ से रहा नहीं गया और तिलमिला कर ताना देती हुई बोलीं- अनाड़ी से चुदवाना चूत का सत्यानाश! करवाना होता है.

अरे मेरे भोले राज बेटे जरा ठीक से निशाना लगा कर अन्दर डालो, नहीं तो चूत के ऊपर लौड़ा रगड़ रगड़ कर झड़ जाऊँगी और, फिर मेरी गाण्ड बिना बात ही चुद जाएगी!
मैं बोला- अपने इस अनाड़ी बेटे को कुछ तो सिखाओ, जिन्दगी भर तुम्हें अपना गुरु मानूँगा और जब चाहोगी मेरे लण्ड की दक्षिणा दूँगा!

माँ लम्बी साँस लेते हुए बोली- हाँ बेटे, मुझे ही कुछ करना होगा नहीं तो मैं बिना चुदे ही चुद जाऊँगी और मेरा हाथ अपनी चूची पर से हटाया और मेरे लण्ड पर रखती हुई बोलीं- इसे पकड़ कर मेरी चूत के मुँह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से.’

मैंने वैसे ही किया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया. फिर वो बोली- अब लण्ड को बाहर निकालो, लेकिन पूरा नही.
सुपाड़ा अन्दर ही रहने देना और फिर दुबारा पूरा लण्ड अन्दर पेल देना, बस इसी तरह से पेलते रहो!

मैंने वैसे ही करना शुरु किया और मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत मे अन्दर-बाहर होने लगा. फिर माँ ने स्पीड बढ़ा कर करने को कहा.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा.

माँ को पूरी मस्ती आ रही थीं और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लण्ड बाहर निकल जाता. इससे चुदाई का सिलसिला टूट जाता.
 
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