Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड - Page 9 - SexBaba
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Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड

उर्मिला : पगली..!! शादी के बाद पति तो करता ही है पर एक लंड ऐसा भी है जो पति के लंड से भी ज्यादा मजा देता है.

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से) पति के लंड से भी ज्यादा मजा देने वाला लंड भाभी?

उर्मिला : हाँ मेरी कम्मो रानी....

कम्मो : भुट्टे और पति के लंड से भी ज्यादा मजा भाभी??

उर्मिला : (कम्मो के मोटे दूध को जोर से दबाते हुए) हाँ कम्मो...!! उस लंड के सामने तेरा वो भुट्टा और पति का लंड कुछ भी नहीं है.

कम्मो : बाप रे भाभी...!! इतना मजा? कहा मिलता है ये लंड?

उर्मिला : चुप पगली...!! ये लंड मिलता नहीं है. इस लंड वाला इंसान होता है जो हमारे साथ ही रहता है.

कम्मो : हमारे साथ ही रहता है? आप किसकी बात कर रहे हो भाभी?

उर्मिला : गोलू की....

उर्मिला के मुहँ से गोलू का नाम सुनते ही कम्मो की आँखे बड़ी हो जाती है और मुहँ खुला का खुला रह जाता है.

कम्मो : ब....बा...भाभी....!! गोलू मेरा सगा भाई है ना....मैं उसका लंड अपनी बूर में कैसे ले सकती हूँ? ये तो पाप हैं ना?

उर्मिला : पागल....!! कोई पाप नहीं है. अगर ये पाप है तो दुनिया के ९० % लोग पापी हो जायेंगे.

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से) मतलब भाभी ?

उर्मिला : मतलब ये की कम्मो रानी, ये लगभग हर घर में होता है. घर की जवान बूरें घर के ही मोटे लंडों से खूब पेली जाती है.

कम्मो : (हैरानी से) मतलब भाभी ये सब हमारे गाँव में भी होता है? हमारे घर में भी?

उर्मिला : हाँ कम्मो....तेरे गाँव में तो होता ही है. और रही बात तेरे घर की तो तू हैं ना... तू ही शुरुवात कर दे इसकी. वैसे भी घर का जो सबसे समझदार होता है वही घर में हर नयी बात की शुरुवात करता है....

उर्मिला ने अब जो बात कही थी वो सुन कर कम्मो के अन्दर का राजकुमारी वाला भूत जाग गया था. गर्व से कम्मो के फेफड़ों में हवा भरती चली जाती है और उसकी बड़ी-बड़ी चुचियाँ सीने के साथ ऊपर उठती चली जाती है. कम्मो के चेहरे पर अब चमक आ चुकी थी.

कम्मो : हाँ भाभी..!! इसकी शुरुवात मैं ही करुँगी.

उर्मिला : शाबाश मेरी कम्मो रानी...!!

कम्मो : (उठते हुए) मैं अभी गोलू को ले कर आती हूँ भाभी....

उर्मिला : (कम्मो का हाथ पकड़ कर उसे बिठाते हुए) अरे कहाँ जा रही है, बैठ इधर. ऐसे लेते है क्या अपने भाई का लंड? उसे आने दे, दोनों भाई-बहन आराम से बैठ कर बातें करो, प्यार करो, तभी तो असली मजा आएगा.

कम्मो : (मुहँ फुला कर बैठ जाती है) मुझे इसकी जल्द से जल्द शुरुवात करनी है भाभी. मुझसे पहले और कोई नहीं करेगा...

उर्मिला : हाँ बाबा... तू ही करेगी और कोई नहीं. बस गोलू को आने दे. उसके आने के बाद मैं सब संभाल लुंगी. बस तू मेरी किसी भी बात पर कोई सवाल नहीं करेगी, समझी?

कम्मो : हाँ भाभी, समझ गई.
 
उर्मिला और कम्मो बैठ कर बातें करने लगते है. कुछ देर बाद मचान हिलने लगती है. उर्मिला समझ जाती है की गोलू और सोनू ऊपर आ रहे है. सबसे पहले गोलू ऊपर आता है और हाथ बढ़ा कर सोनू की मदद करने लगता है. उसके दिमाग में पहले ही कम्मो की बूर चुदाई की बातें चल रही थी और मचान पर आते ही उसका लंड धोती में तन्ना गया था. उर्मिला कम्मो को गोलू की धोती में बने उभार को दिखाते हुए कहती है.

उर्मिला : देख कम्मो, गोलू ने धोती में कैसे अपना लंड खड़ा कर रखा है. देख रही है ना?

कम्मो : (गौर से देखते हुए) हाँ भाभी...उसकी धोती तो आगे से पूरी उठी हुई है.

उर्मिला : ध्यान से देख के बता, है ना तेरे उस भुट्टे से भी लम्बा और मोटा?

कम्मो : (फिर से ध्यान से देख कर) हाँ भाभी...आप सच कह रही हो. गोलू की धोती का उठाओ तो मेरे भुट्टे से भी बड़ा है.

तभी गोलू और सोनू वहां आ जाते है. गोलू की नज़रे कम्मो के नंगे मोटे दूधों पर ही गड़ी हुई थी. कम्मो के दूध देख कर एक बार फिर से गोलू का लंड अपना आकार बढ़ाने लगता है.

सोनू : क्या भुट्टे से भी बड़ा है भाभी, हमे भी तो बताइये...

उर्मिला प्यार से कम्मो के गाल खींचते हुए कहती है.

उर्मिला : है कोई चीज़ तो मेरी कम्मो को बहुत पसंद है. है ना कम्मो...?

उर्मिला की इस बात पर कम्मो भी मुस्कुरा देती है.

उर्मिला : अरे अब दोनों बैठ भी जाओ, खड़े ही रहोगे क्या?

सोनू झट से उर्मिला के सामने बैठ जाता है. गोलू जैसे ही बैठने जाता है उर्मिला उसे रोक देती है.

उर्मिला : यहाँ कहाँ बैठ रहा है गोलू? माना की तेरा कम्मो के साथ हमेशा झगडा होते रहता है पर अब तुम दोनों बड़े हो गए हो. चल...वहां बैठ, कम्मो के सामने.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू अपने गले से थूक निचे उतारता हुआ कम्मो के सामने बैठ जाता है. सामने अधनंगी कम्मो को देख कर उसे पसीना आने लगता है. कम्मो उसे देख कर राजकुमारी की तरह इठलाने लगती है. कम्मो के लिए तो वो आज घर में किसी नए और अनोखे चीज़ का उद्घाटन करने वाली थी. उधर गोलू कम्मो के आधे नंगे गोरे बड़ा को देख कर आहें भर रहा था. बड़े-बड़े दूध के दोनों तरफ, बंद बाहों के बीच से निकले हुए हलके काले घुंगराले बालों को देख कर गोलू गनगना जाता है. उसके दिल में कम्मो के खुली हुई बगलें देखने की इच्छा और बढ़ जाती है. पास बैठी उर्मिला गोलू की नज़रों को अच्छी तरह से समझ रही है. एक मंझी हुई खिलाड़ी थी उर्मिला. मर्दों को औरतों का कौनसा अंग मदहोश कर देता है वो अच्छी तरह से समझती थी. और यहाँ तो गोलू की नज़रें अपने आप ही सब बयान कर रही थी. कुछ देर बाद उर्मिला बोल पड़ती है.

उर्मिला : बापरे ..!! आज तो बड़ी गर्मी है. तुम दोनों ने बनियान पहन रखा है? गर्मी नहीं हो रही है क्या? ओ गोलू महाराज...आपसे भी बोल रही हूँ...!!

गोलू : (कम्मो के बदन में खोया हुआ, अचानक से चौंक जाता है) अ..आ...हाँ भाभी...!!

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) मैंने कहा की बनियान पहना हुआ है, गर्मी नहीं हो रही है क्या तुझे?

गोलू : (उर्मिला का इशारा समझते हुए) अ...आ..हाँ भाभी..हो रही है.

गोलू झट से अपनी बनियान उतार देता है और उसका थुल-थूला पसीने से भरा बदन लालटेन की रौशनी में चमकने लगता है. अब दोनों भाई-बहन आमने-सामने अधनंगे बैठे हुए थे. ये नज़ारा देख कर उर्मिला और सोनू एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देते है.

उर्मिला : देखो तो...एक साथ दोनों भाई-बहन कितने अच्छे लग रहे है. नहीं तो हमेशा लड़ते-झगड़ते रहते है दोनों. भाई-बहन के बीच कितना प्यार होता है, एक प्यार भरा संबंध होता है. अब दोनों चुप-चाप एक दुसरे के गले लगो.

उर्मिला की बात सुन कर कम्मो और गोलू आँखे फाड़े उर्मिला की तरफ देखने लगते है. दोनों को देख कर उर्मिला कहती है.
 
उर्मिला : दोनों मुझे ऐसे क्या देख रहे हो? झगड़ने से पहले तो ऐसे नहीं देखा कभी. अब प्यार से गले मिलने कह रही हूँ तो दोनों मुझे देख रहे है. चलो...!! गले लगो एक दुसरे के. और जब तक मैं ना कहूँ दोनों में से कोई भी अलग नहीं होगा.

उर्मिला की बात मान कर गोलू और कम्मो एक दुसरे की तरफ देखते है. जहाँ गोलू अपनी बहन के नंगे बदन से लिपटने के लिए तैयार बैठा था, वहीँ कम्मो को ये अजीब सा लग रहा था. कम्मो का पैदल दिमाग इस बात को मंजूरी नहीं दे रहा था पर ये उसकी प्यारी उर्मिला भाभी का आदेश था जो न चाहते हुए भी उसे मानना पड़ा. दोनों आमने-सामने बैठे हुए आगे झुक कर एक दुसरे की ओर बढ़ते है. जहां कम्मो के दोनों हाथ उठा कर गोलू के कन्धों को छुते हुए उसकी पीठ पर जाने लगते है, वहीँ गोलू के दोनों हाथ कम्मो की दोनों बगलों के निचे से होते हुए उसकी नंगी कमर पर जाने लगते है. कुछ ही क्षण में दोनों भाई-बहन एक दुसरे को आलिंगन में लिए मचान पर बैठे हुए थे. गोलू अपनी छाती पर कामो के भारी और मोटे दूधों को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था जो पूरी तरह से उसके सीने पर दबे हुए थे. गोलू का बड़ा सा पेट कम्मो के चिकने सपाट पेट पर चिपक जाता है. अपनी बहन के नंगे बदन को सीने से चिपकाए, गोलू की आँखे बंद हो जाती है. उस वक़्त गोलू को जिस आनंद की अनुभूति हो रही थी वो वही भाई समझ सकता है जिसने कभी अपनी बहन के नंगे शरीर की गर्माहट को इस तरह से अपने बदन पर महसूस किया होगा. गोलू के हाथ अब अपने आप ही कम्मो की नंगी पीठ पर घुमने लगते है. हाथ घुमाते हुए गोलू धीरे से कम्मो की पीठ पर जोर दाल देता है तो कम्मो के पहले से गोलू के सीने पर दबे हुए मोटे दूध और भी ज्यादा दब जाते है. कम्मो का हाल भी कुछ अलग नहीं था. उसका दिमाग भले ही पैदल था पर उसका शरीर नहीं. कम्मो के जवान शरीर को आज तक किसी मर्द ने इस तरह से छुआ नहीं था, आज वो नंगा, एक मर्द के नंगे शरीर से सटा हुआ था. गोलू के बदन की गर्मी ने कम्मो के शरीर में एक अजीब सी कशिश पैदा कर दी थी. उधर गोलू के हाथ कम्मो की नंगी पीठ पर घूम रहे थे और इधर कम्मो के उँगलियों के नाख़ून धीरे-धीरे गोलू की पीठ पर गढ़ रहे थे.

ये नज़ारा देख कर सोनू और उर्मिला भी अपने बदन में गर्माहट महसूस कर रहे थे. नज़ारा के कुछ ऐसा था. ये नज़ारा देखते हुए उर्मिला का हाथ सोनू की धोती के अन्दर जा कर उसके खड़े लंड को पकड़ लेता है. सोनू भी एक हाथ से उर्मिला के के दूध को दबोच लेता है. सामने भाई-बहन एक दुसरे से आधे नंगे लिपटे हुए थे और यहाँ देवर-भाभी की रासलीला भी शुरू हो चुकी थी.

कम्मो की नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए गोलू अपनी एक ऊँगली उसकी बगल के पास लाता है और धीरे से बगल में घुसा देता है. कम्मो की बगल के हलके काले घुंगराले बाल पसीने से भीग चुके थे. गोलू की ऊँगली अन्दर घुसते ही पसीने से भीग जाती है. ऊँगली निकाल कर गोलू जैसे ही उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सूँघता है, उसके मुहँ से 'आहssssss..!!' निकल जाती है. उसके दोनों हाथ कम्मो को दबोच कर अपने सीने पर जोर से दबा लेते है. उर्मिला ये नज़ारा देख कर सोनू के लंड को जोर से दबा देती है और एक झटके से लंड की चमड़ी को पूरा निचे कर देती है. आहें भरता सोनू, उर्मिला के दूध को जोर से दबा देता है. उर्मिला के हिसाब से अब आगे बढ़ने का सही वक़्त आ चूका था.

उर्मिला : हाँ ...!! अब बस करो. बहुत प्यार हो गया दोनों भाई-बहन का.

अपनी ही दुनिया में खोये गोलू और कम्मो को उर्मिला की आवाज़ सुनाई नहीं देती है. वो अब भी एक दुसरे से लिपटे हुए थे. उर्मिला मुस्कुराते हुए इस बार जोर से कहती है.

उर्मिला : हाँ...!! हो गया...अब बस करो दोनों. सारी रात एक दुसरे से ऐसे ही लिपटे हुए गुज़ार दोगे क्या?

इस बार उर्मिला की आवाज़ दोनों के कानो में पड़ती है और दोनों हडबडाते हुए एक दुसरे से अलग होते है.

कम्मो : भाभी मैं तो कब से अलग होना चाह रही थी. ये गोलू ही मुझे पकडे हुए था...

गोलू : नहीं भाभी...दीदी झूठ बोल रही है.

उर्मिला : अरे बस करो दोनों. सब समझती हूँ मैं. अभी तो एक दुसरे से ऐसे चिपके हुए थे की मानो किसी ने फेविकोल लगा दिया हो.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू और कम्मो थोडा शर्माते हुए इधर-उधर देखने लगते है.

उर्मिला : गोलू एक काम कर. लालटेन बुझा दे. अब इसका कोई काम नहीं है.

गोलू झट से लालटेन बुझा देता है. अब चाँद की रौशनी में कम्मो का बदन और भी हसीन लग रहा था. गोलू की नज़र फिर से एक बार अपनी दीदी के नंगे बदन को घूरने लगी थी. उर्मिला अपनी जगह से उठती है और कम्मो के पीछे जा कर खड़ी हो जाती है.

उर्मिला : तू सच में बदमाश है गोलू. तू ही कम्मो को पकड़ के रखा था. क्या कर रहा था इतनी देर? मेरी राजकुमारी के बदन की खुशबू ले रहा था?

ये कहते हुए उर्मिला गोलू को देख कर आँख मार देती है. गोलू हडबडाते हुए जवाब देता है.

गोलू : अ..आ...हाँ भाभी...मैं राजकुमारी के बदन की खुशबू ले रहा था.

उर्मिला : हाँ फिर ठीक है. क्यूँ कम्मो ठीक है ना?

कम्मो : (खुश होते हुए) हाँ भाभी...राजकुमारियों के बदन की खुशबू होती ही ऐसी है.

उर्मिला : और नहीं तो क्या... !! गोलुजी.... राजकुमारी के बदन की खुशबू सूंघना है तो अभी सूंघ लीजिये, फिर दोबारा मौका नहीं मिलेगा. क्यूँ कम्मो, सही कहा ना?

कम्मो : (इठलाते हुए) हाँ..!! और क्या..!! राजकुमारी के बदन की खुशबू बार-बार थोड़े ना सूंघने मिलेगी.

उर्मिला : चल कम्मो...इस बेचारे को अपने बदन की थोड़ी खुशबू सुंघा दे...

ये कहकर उर्मिला कम्मो के दोनों हाथो को पकड़ कर सीधा ऊपर कर देती है. कम्मो की दोनों बगलें और उनमें भीगे बाल साफ़-साफ़ दिखने लगते है. सामने बैठे होने से हलकी पसीने की गंध गोलू की नाक तक पहुँचने लगती है जिसे सूंघ कर वो मदहोश सा होने लगता है. अपने आप को किसी तरह से संभालते हुए गोलू कम्मो की तरफ देखता है. सामने दो बड़े मोटे दूध और दोनों तरफ खुली बगलें जिनमें पसीने से गीले घुंगराले बाल. ये नज़ारा देख कर गोलू का लंड धोती में पानी की २-३ बूंदें टपका देता है. गोलू की हालत देख कर उर्मिला गोलू से कहती है.

उर्मिला : सूंघ ले अपनी दीदी .... मेरा मतलब है राजकुमारी के बदन की खुशबू.....
 
अपडेट ३५:

गोलू कम्मो को बदन को जी भर के अच्छे से सूँघता है. कम्मो के पसीने से भरे बदन की गंध से वो पूरी तरह से मदहोश हो चूका था. उर्मिला देख कर समझ जाती है की अब आगे बढ़ने का वक़्त आ गया है.

उर्मिला : सूंघ लिया अच्छे से कम्मो के बदन को?

गोलू : (होश में आते हुए) अ..आ...हाँ भाभी...सूंघ लिया.

उर्मिला :तो अब क्या कर रहा है? बैठ जा एक तरफ.

उर्मिला की बात मान कर गोलू कम्मो के सामने बैठ जाता है. उर्मिला भी कम्मो के ठीक पीछे बैठ जाती है. दोनों हाथों को वो कम्मो के नंगे पेट पर घुमाती हुई कहती है.

उर्मिला : कम्मो, तुम्हारे खेतों से कुछ दूर तेरा भी तो खेत है ना...?

दरअसल जब उर्मिला गाँव आई थी तब ही उसने कम्मो का खेत देख लिए था. आज उसके शैतानी और गंदे दिमाग में कुछ चल रहा था. जो भी चल रहा था वो गोलू के होश उड़ाने वाला था.

कम्मो : (उत्साहित होते हुए) हाँ भाभी. मैं जब १५ साल की थी तब बापू ने वो खेत मेरे लिए लिया था. पर भाभी........

'पर भाभी' कह कर कम्मो गुस्से से गोलू की तरफ देखने लगती है. कम्मो को गुस्से से गोलू की तरफ इस तरह से देखता देख उर्मिला कहती है.

उर्मिला : पर क्या कम्मो..?

कम्मो : भाभी ये गोलू है ना....!! मैंने कितनी बार इस से कहा है की बाकी खेतो के साथ मेरा भी खेत जोत दे पर ये सुनता ही नहीं.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) क्यूँ रे गोलू? तेरी दीदी अपना खेत तुझसे जुतवाना चाहती है तो तू मना क्यूँ कर देता है?

गोलू : दीदी का खेत तो छोटा है ना भाभी. और वैसे भी बाकी खेतों की जुताई के बाद वक़्त ही नहीं मिल पाता.

उर्मिला : चुप कर भोंदू...!! लगता है तू भूल गया की कम्मो का खेत कैसा है. नहीं तो फट से तैयार हो जाता जुताई के लिए. कम्मो ... लगता है गोलू को याद दिलाना पड़ेगा की तेरा खेत कैसा है.

कम्मो : हाँ भाभी... गोलू बहुत दिनों से मेरे खेत की तरफ गया भी नहीं है तू पक्का भूल गया होगा.

उर्मिला : हाँ ... लगता तो यही है. तो याद दिला दें इस भोंदू गोलू को की तेरा खेत कैसा है?

कम्मो : (खुश हो कर) हाँ भाभी...!!

उर्मिला : पर कम्मो , इतनी गर्मी में तू अब भी लहंगा पहन के बैठी है? चल उतार दे इसे...

उर्मिला की बात मान कर कम्मो फट से खड़ी हो जाती है और एक ही झटके में उसका लहंगा मचान पर आ गिरता है. मोटी और मांसल जांघो के बीच घने बाल दिखाई देने लगते है जिसे देख कर गोलू एक बार उच्छल पड़ता है. लहंगा उतार कर कम्मो फिर से निचे बैठ जाती है. उसके निचे बैठते ही उर्मिला उसकी टंगे आपस में जोड़ कर बंद कर देती है. सामने बैठा गोलू अपनी नज़रे कम्मो की बंद टांगो के बीच गड़ाए हुए बैठा था.

उर्मिला : तो कम्मो एक बार फिर बता दें गोलू को की तेर खेत कैसा है?

कम्मो : हाँ भाभी...!!

उर्मिला : चल...एक काम कर ... तू ही बता दे गोलू को अपने खेत के बारें में. और हाँ ... जरा अच्छे से समझाना....ये भोंदू सब भूल गया होगा.

उर्मिला के मुहँ से गोलू के लिए भोंदू शब्द सुन कर कम्मो बहुत खुश होती है. अपने आप को गोलू से ज्यादा समझदार सुन कर वो बड़े गर्व के साथ अपने खेत के बारें में विस्तार से बताना शुरू करती है.

कम्मो : ध्यान से सुन भोंदू गोलू....मेरा जो खेत है वो त्रिकोना (triangle) है और तीनो तरफ, घनी घांस से घीरा हुआ है. ऊपर की तरफ ज्यादा घनी घास है और अगल बगल थोड़ी कम.....

उर्मिला : सुन लिया ना सोनू....? त्रिकोना खेत है और तीनो तरफ, घनी घांस से घीरा हुआ है. ऊपर की तरफ ज्यादा घनी घास है और अगल बगल थोड़ी कम.....

ये कहकर उर्मिला धीरे से अपने हाथों से कम्मो की टाँगे खोल देती है. टाँगे खुलने से कम्मो की बालों वाली बूर गोलू को अच्छे से दिखने लगती है. कामो ने जो अपने खेत के बारें में अभी-अभी बताया था और जिसे उर्मिला भाभी ने जोर दे कर दोहराया था वो अब उसे समझ आने लगा था. उसके दिमागे में कम्मो के खेत एक तस्वीर सी आ जाती है और आँखों के सामने कम्मो की बालों वाली बूर. जब वो कम्मो के खेत के वर्णन को सामने दिख रही उसकी बूर से मेल करता है तो बात पूरी तरह से साफ़ हो जाती है. बापू ने जो खेत कम्मो के लिए लिया था वो तो काफी दूरी पर था, पर कम्मो का असली खेत तो उसकी टांगो के बीच और गोलू की नज़रों के सामने था. त्रिकोना, ऊपर घने बाल और दोनों तरफ हलके बाल. गोलू को कम्मो की बूर को घुरते देख उर्मिला कहती है.

उर्मिला : क्यूँ गोलू...? कम्मो के खेत की बनावट तो समझ आ गई ना? कैसी लगी ?

गोलू : (कम्मो की बूर घूरते हुए) ब...बहुत अच्छी है भाभी....

उर्मिला : अच्छा कम्मो...अब जरा गोलू को ये भी बता दे की खेत अन्दर से कैसा है...

कम्मो : हाँ भाभी....!! सुन रे गोलू. घनी घांस से घीरे मेरे त्रिकोने खेत के बीच एक लम्बी सी दरार है. उस दरार के बीच एक गहरा छेद है जो पंप के लिए बनवाया था और उसमे से हमेशा पानी रिसता रहता है.

कम्मो की इस बात पर उर्मिला धीरे से कम्मो की टाँगे और भी ज्यादा खोल देती है.

उर्मिला : कम्मो खुद बता रही है तुझे गोलू. देख ले और समझ ले कम्मो के खेत को.....

उर्मिला जैसे ही कम्मो की टाँगे खोलती है, उसकी बूर के ओंठ खुल जाते है और बूर की दरार फ़ैल जाती है. बूर की दरार से हलकी सी लार बह पड़ती है. अपनी दीदी की बूर का ये नज़ारा देख कर गोलू अब पूरी तरह से बौखला जाता है.

गोलू : हाँ भाभी...!! सीईईईइ...... देख लिया और समझ भी लिया दीदी के खेत को. मैं दीदी के खेत की जुताई करने की लिया पूरी तरह से तैयार हूँ भाभी. कम्मो दीदी.... (हाथ जोड़कर) करवा लो ना मुझसे अपने खेत की जुताई.... मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ दीदी....!!

गोलू की ये हालत देख कर कम्मो, उर्मिला और सोनू हँस पड़ते है.

उर्मिला : क्यूँ कम्मो...!! करवाएगी अपने भाई से अपने खेत की जुतवायी?

कम्मो : हाँ भाभी...क्यूँ नहीं...? मेरा खेत मेरा भाई नहीं तो और कौन जोतेगा?

उर्मिला : देख ले गोलू... तेरी दीदी तो तैयार बैठी है तुझसे अपना खेत जुतवाने के लिए...पर तू इतनी गर्मी में अब भी धोती पहने हुआ है? उतार इसे अभी....

उर्मिला की बात सुन कर गोलू झट से अपनी धोती निकाल फेंकता है. धोती के निकलते ही उसका मोटा लंड छलांग मार कर खड़ा हो जाता है. गोलू का लंड ८ इंच लम्बा ४ इंच मोटा था. जैसे ही गोलू का लंड उच्चल कर खड़ा होता है, उसे देख कर कम्मो की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो पहली बार किसी का लंड देख रही थी. बचपन में वो कई बार गोलू की छोटी सी नुन्नी देख चुकी थी. पर वो इस बात से अनजान थी की वो छोटी सी नुन्नी अब एक मोटे तगड़े विशालकाए लंड का रूप ले चुकी है. इतने सालों बाद गोलू का मोटा लंड देख कर वो हैरान थी.
 
गोलू भी कम्मो की बूर को घूरे जा रहा था. अपनी दीदी की बूर को घूरते हुए उसके लंड के टोपे से लार की २-३ बूंदे फिसल कर लंड पर बहने लगी. कम्मो की नज़र जब लंड पर बहते उस लार की धार पर पड़ी तो वो बोल उठी.

कम्मो : भाभी देखिये....गोलू मचान पर ही पेशाब कर रहा है.

उर्मिला : (हँसते हुए) उसके लंड से जो बह रहा है वो पेशाब नहीं है पगली....

कम्मो : (सर खुजलाते हुए) तो क्या है भाभी...?

उर्मिला : वो तो तेरे लिए गोलू का प्यार है जो उसके लंड से बह रहा है.....

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखते हुए) मेरे लिए गोलू का प्यार ...??

उर्मिला : हाँ कम्मो.... ये सच है. गोलू के लंड से जो बह रहा है वो उसका प्यार है अपनी दीदी के लिए. जो भाई अपनी बहन से प्यार करता है उसके लंड से ऐसे ही बहन के लिए प्यार बहता रहता है. ध्यान से देख कम्मो... कितना प्यार भरा पड़ा है गोलू के लंड में तेरे लिए.

कम्मो गोलू के लंड को ध्यान से देखने लगती है. उसके लंड से बहती लार वो अपने लिए उसका प्यार समझ कर उसका भी दिल भर आता है.

कम्मो : हाँ भाभी....गोलू मुझसे सच में बहुत प्यार करता है.

उर्मिला : हाँ कम्मो. पर तू ऐसे ही क्यूँ बैठी है? तू क्या अपने भाई के प्यार को ऐसे ही बह जाने देगी?

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखते हुए) तू मैं क्या करूँ भाभी ?

उर्मिला : अपने भाई के लंड से बहते प्यार को पी जा कम्मो. अपने भाई के प्यार को ऐसे बर्बाद मत होने दे......

उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपनी नज़रे गोलू के लंड पर गडा देती है. वो एक नज़र घुर के गोलू के लंड से बहती लार को देखती है और अगले ही क्षण वो गोलू के लंड पर झुक जाती है. एक हाथ से गोलू के लंड को पकडे, कम्मो अपना मुहँ खोल कर गोलू के लंड को मुहँ में भर लेती है. धीरे-धीरे कामो गोलू के लंड को चुसना शुरू कर देती है. अपनी दीदी को लंड चूसते देख गोलू मस्ती में अपनी आँखे बंद कर लेता है. उर्मिला भाभी को दिल ही दिल में दुआएँ देता गोलू, एक हाथ से कम्मो के मोटे दूध को सहलाने लगता है. गोले के इस तरह से दूध सहलाने से कम्मो के बदन में भी गर्मी आने लगती है. उसका मुहँ अपने आप ही गोलू के लंड पर ऊपर-निचे होने लगता है और लंड का रस उसके गले में उतरने लगता है. पीछे बैठी उर्मिला भी वक़्त ना गवाएं एक ऊँगली कम्मो की बूर में घुसा देती है और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगती है. गोलू और उर्मिला की इस हरकत से कम्मो पूरी मस्ती में आ जाती है. गोलू का लंड जोर-जोर से चूसते हुए वो जीभ निकालकर लंड पर बहते पानी को भी चाट लेती है. गोलू के लंड को फिर एक बार मुहँ में भर कर जैसे ही कम्मो चूसने लगती है, गोलू अपनी कमर धीरे-धीरे ऊपर-निचे करता हुआ कम्मो की मुहँ चुदाई करने लगता है.

ये सारा नज़ारा सोनू अब तक चुप-चाप बैठे देख रहा था. धोती में उसका लंड भी पूरी तरह से तन के खड़ा हो चूका था. गोलू और कम्मो को देख कर उसे पायल की याद तो पहले से ही आ रही थी और अब दोनों को इस तरह से देख उसका अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो गया था. अपनी धोती खोल कर वो उर्मिला के पीछे जा बैठता है. पीछे से उर्मिला की साड़ी उठा के उसकी नंगी चुतड पर लंड रख कर सोनू एक हाथ आगे ले जा कर २ उँगलियाँ बूर में घुसा देता है. सोनू को अपनी बूर में दो उँगलियाँ घुसाते देख उर्मिला भी अपनी टाँगे खोल देती है. मचान पर जो नज़ारा था वो देखने लायक था. गोलू का लंड कम्मो के मुहँ में था और गोलू का हाथ उसके दूध पर. उर्मिला कम्मो की बूर में ऊँगली दे रही थी और उर्मिला की बूर में सोनू. सोनू का लंड उर्मिला की चूतड़ों के बीच रगड़ खा रहा था. कुछ देर चारों की मस्ती ऐसे ही चलती है और फिर उर्मिला बोल पड़ती है.

उर्मिला : गोलू...कम्मो ने तो तेरा प्यार अच्छे से पी लिया, अब तेरी बारी है कम्मो का प्यार पीने की.

उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपना सर गोलू के लंड से उठा देती है. सर उठते ही उर्मिला कम्मो की टाँगे पूरी खोल देती है. गोलू की नज़र जैसे ही कम्मो की बूर पर पड़ती है, उसे लार के एक छोटी से धार बहती दिखाई पड़ती है. गोलू आगे झुक कर कम्मो की बूर को एक क्षण ध्यान से देखता है और दुसरे ही क्षण गोलू पूरा आगे झुक जाता है. उसके खुले ओंठ कम्मो की बूर के चारों तरफ चिपक जाते है और जीभ बूर की दरार में घुस जाती है. अपनी बहन की बूर को गोलू पागलों की तरह चूसने लगता है. गोलू की इस हरकत से कम्मो का भी बुरा हाल हो जाता है. भुट्टे का मजा तो उसने कई बार लिया था पर बूर चुस्वाने का आनंद वो पहली बार ले रही थी. अपनी आँखे बंद किये कम्मो पीछे हो कर अपनी पीठ उर्मिला के सीने पर टिका देती है. निचे गोलू अपनी जीभ घुमा-घुमा कर कम्मो की बूर चाते जा रहा था. बीच-बीच में कम्मो भी अपनी कमर को ३-४ झटके दे देती. गोलू और कम्मो की मस्ती देख कर सोनू उर्मिला के कान में धीरे से बोल पड़ा.

सोनू : आपके लिए भी मेरा प्यार लंड से बह रहा है भाभी....

सोनू की बात सुनकर उर्मिला मुस्कुरा देती है. कामो को धीरे से मचान पर लेता कर वो सोनू की तरफ घूम जाती है. सामने सोनू अपना मोटा लंड खड़ा किये बैठा था. धीरे-धीरे अपनी साड़ी खोल क्र उर्मिला पास में डाल देती है और प्यार से सोनू से कहती है.

उर्मिला : लगता है भाई-बहन का प्यार देख कर तुझे भी पायल की याद आने लगी है सोनू...

सोनू : हाँ भाभी....पायल दीदी की बहुत याद आ रही है. देखिये ना.... दीदी की याद में मेरा लंड कैसे झटके खा रहा है.

उर्मिला सोनू के खटके खाते लंड को प्यार से देखती है. धीरे से आगे झुक कर वो सोनू के लंड को हाथ में पकड़ लेती है.

उर्मिला : (लंड को देख कर) क्यूँ रे बदमाश...!! अपनी दीदी की याद में इतने झटके खायेगा...? ठहर जा , तुझे अभी मजा चखाती हूँ.....

ये कह कर उर्मिला सोनू के लंड को एक ही झटके में पूरा निगल लेती है. अपने सर को जोर-जोर से आगे पीछे करते हुए उर्मिला सोनू के लंड को चूसने लगती है. सोनू आँखे बंद किये मस्ती में झूम उठता है और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाते हुए अपना लंड उर्मिला के मुहँ में ठेलने लगता है. कुछ आवाज़े सुन कर कम्मो अपना सर घुमाती है तो पीछे का नज़ारा देख कर उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. कुछ क्षण उर्मिला को सोनू का लंड चूसते हुए वैसे ही देखने के बाद कम्मो को कुछ समझ आता है और वो बोल पड़ती है.

कम्मो : भाभी आप भी सोनू का प्यार पी रही हो क्या?

कम्मो की बात सिन कर उर्मिला अपना सर उठा कर कहती है.

उर्मिला : हाँ कम्मो...सोनू का प्यार भी बह रहा था ना....तो बस मैं चूस रही हूँ....

तभी गोलू अपनी पूरी जीभ कम्मो की बूर में ठूँस देता है तो कम्मो कसमसाते हुए कराह उठती है, "उफ्फ्फ .... गोलू". कम्मो को पूरी मस्ती में आता देख उर्मिला गोलू को इशारा करती है. गोलू कामो की टाँगे दोनों हाथों से खोल कर उसकी खुली टांगों के बीच आ जाता है. उसका मोटा लंड ठीक कम्मो की बूर की फांक पर लगा हुआ है. निचे लेटी कम्मो सर उठा के गोलू के लंड को अपनी बूर के मुहँ पर देखती है. उसकी सांसे तेज़ हो चुकी है.
दोनों भाई-बहन की नज़रे आपस में मिलती है. दोनों ही एक दुसरे के बदन से निकलती गर्मी को महसूस कर रहे थे. उर्मिला मुस्कुराकर ये नजारा देख रही थी. अब वो वक़्त आ चूका था. चाँदनी रात थी और रात के सन्नाटे में दूर कहीं रेडियो बज रहा था जिसकी हलकी सी आवाज़ मचान तक आ रही थी. कम्मो निचे नंगी लेटी हुई थी और गोलू भी नंगा उसकी टांगों के बीच अपना लंड बहन की बूर पर सटाये बैठा था. रेडियो के गाने की हलकी सी आवाज़ सबके कानो में पड़ती है,

"अब.. हिले परती परलsssss....! खेतवा हमार बाटेsssss....! आज जोतवावेका....तोहरे से विचार बाटेsssss.....!
मेहनत काराईब भलेsssss....छूटी पसीनवा .... खेतवा जोता हो किसनवा.....खेतवा जोता हो किसनवा.......!!"
 
अपडेट ३६:

मचान पर गोलू कम्मो की बालोंवाली बूर पर अपना गधे जैसा लंड सटाए बैठा था. कामो भी बड़ी-बड़ी आँखों से गोलू की ओर देखे जा रही थी. गोलू ने एक नज़र अपनी दीदी के गदरीले जवान जिस्म पर दौड़ाई और धीरे से अपने लंड को कम्मो की बूर में ठूंस दिया. लंड के अन्दर जाते ही कामो की आँखे बंद हो गई और उसके मुहँ से हलकी सी दर्दभरी "आह्ह्ह्ह..." निकल पड़ी. आह सुनकर उर्मिला का ध्यान उस ओर जाता है और वो सोनू का लंड चुसना छोड़ के दोनों की तरफ देखने लगती है.

उर्मिला: हाँ गोलू...ऐसे ही...जोत अपनी दीदी का खेत.

उर्मिला की बात सुनकर गोलू धीरे-धीरे अपना लंड कम्मो की बूर में अन्दर-बाहर करने लगता है. कामो की बूर में आज पहले बार कोई लंड गया था. भले ही वो अपनी बूर में मोटे-मोटे भुट्टे कई बार ले चुकी थी पर असली लंड का मजा भुट्टे में कहाँ? गोलू का लंड जल्द ही कम्मो को मदहोश कर देता है. उर्मिला जब कम्मो की हालत देखती है तो बोल पड़ती है.

उर्मिला: अरी कम्मो...!! क्या हुआ? मजा आ रहा है ना अपने भाई से खेत जुतवाने में?
कम्मो: ह...हा...हाँ भाभी...! अ...आह...!! बहुत....मजा...आ रहा...है...आह...!!
उर्मिला : कहा था ना मैंने....! और आप गोलुजी..., थोडा और जोर लगा....तेरी बहन का खेत है. अपने हल को अन्दर तक डाल के जुताई कर तभी तो बहन का खेत अच्छे से जोत पायेगा ना....

उर्मिला की बात सुन गोलू जोश में आ जाता है और अपनी कमर उठा-उठा के कम्मो की जाँघों के बीच पटकने लगता है और पागलों की तरह बड़बड़ाने लगता है.

गोलू: हाँ भाभी....मेरी दीदी का खेत है....(एक जोरदार ठाप मारता है), मेरी बहन का खेत है....(एक और जोरदार ठाप), रात भर बहन का खेत जोतुंगा....(लगातार जोर-जोर से ठाप मारने लगता है).

गोलू पागलों की तरह कम्मो की बूर में लंड पेलने लगता है. कम्मो भी पूरी मस्ती में आ जाती है और अब वो भी गोलू का साथ देने लगती है.

कम्मो: हाँ गोलू....आह...!! ऐसे ही जोत मेरा खेत. बहुत मजा आ रहा है गोलू...आह्ह्हह्ह....!!
गोलू: दीदी....आह्ह्ह...!! भुट्टे से भी ज्यादा मजा आ रहा है ना...?
कम्मो: हाँ गोलू...! इसमें तो १० भुट्टों वाला मजा है...आह...!!

कम्मो का जवाब सुनकर गोलू का जोश सातवें आसमान में पहुँच जाता है. कम्मो की जवानी को वो अब तक छुप-छुप कर देखा करता था. अपनी दीदी को चोदने के सिर्फ सपने देखा करता था. आज उसकी दीदी नंगी हो कर उसके निचे लेटी अपनी बूर उसके लंड से चुदवा रही थी. गोलू अपनी दीदी के जिसन को महसूस करता और उसके लंड की गति और भी ज्यादा बढ़ जाती. अब गोलू पोरे जोश में कामो की चुदाई करने लगा था. उसका भारी शरीर जोर-जोर से हिलने लगा था. उर्मिला सोनू का लंड चुने में वैस्थ थी. अचानक उसे मचान हिलता हुआ महसूस होता है. वो देखती है तो सामने गोलू जोर-जोर से कम्मो की बुर-चुदाई कर रहा था. चुदाई इतनी घमासान थी की मचान भी हिलने लगा था. उर्मिला जैसे ही कुछ बोलने जाती है, गोलू कम्मो की बूर में अपने लंड से एक जोरदार ठाप लगा देता है. मस्ती में कम्मो अपनी टाँगे गोलू की कमर में लपेट देती है. बस फिर क्या था, गोलू कम्मो की बूर में इतने जोर-जोर से ठाप मारने लगता है की मचान दायें-बाएं हिलने लगती है. उर्मिला और सोनू एक दुसरे को पकड कर सहारा देते है. उर्मिला समझ जाती है की अगर अभी गोलू को रोका नहीं गया तो वो कम्मो की चुदाई के चक्कर में मचान ही तोड़ देगा. उर्मिला चिल्लाकर कहती है.

उर्मिला: धीरे गोलू...!! मचान टूट जायेगा.....!!

उर्मिला की आवाज़ हवस से भरे गोलू के कानों तक नहीं पहुँच पाती है. वो पुरी मस्ती में कामो की चुदाई कर रहा था. उर्मिला उसे फिर से आवाज़ देती है पर गोलू फिर भी नहीं सुनता है. उर्मिला उठकर गोलू के पास जाती है और उसका कन्धा पकड़ कर उसे कम्मो से अलग करने की कोशिश करने लगती है.

उर्मिला: अपनी बहन की चुदाई में बावरा हो गया है क्या? चल उठ...!!
गोलू: मत रोकिये भाभी. आज दीदी की जवानी अच्छे से लूट लेने दीजिये मुझे.

और गोलू फिर से कम्मो को पकड़ के जोरदार चुदाई करने लगता है. उर्मिला समझ जाती है की आज ये नहीं रुकेगा. पर वो ये भी समझ चुकी थी की अगर मचान पर गोलू इसी तरह कम्मो की चुदाई करता रहा तो मचान जरूर तोड़ देगा. उर्मिला फिर से गोलू को कम्मो से अलग करते हुए कहती है.

उर्मिला: गोलू मेरी बात सुन...मचान पर ऐसे कम्मो की चुदाई करेगा तो मचान टूट जाएगा. कम्मो को निचे लेजा, झोपड़े में. वहाँ जा कर इसकी अच्छे से चुदाई कर, कोई नहीं रोकेगा तुझे....

उर्मिला की बात को समझते हुए गोलू अपने हाथो के सहारे खड़ा होने लगता है और अपना मोटा लंड कम्मो की बूर से बाहर निकालने लगता है. गोलू का गधे जैसा लंड कम्मो की बूर से 'पॉप' की आवाज़ के साथ बाहर निकल आता है. निचे कम्मो अब भी अपनी आँखे बंद किये लेती हुई थी. अपनी मस्ती में खोई कम्मो को ये भी होश नहीं था की उर्मिला भी वहाँ आ चुकी है. अपनी आँखे बंद किये कम्मो तड़पती हुई बोल पड़ती है.

कम्मो: क्यूँ निकाल लिया गोलू? ब..बहूत मजा आ रहा था. सीईईई.....!! फिर से डाल दे ना गोलू....पूरा डाल दे ना....आह....!! सीईईईइ.....उई माँ......!!

कम्मो को आँखे बंद किये गोलू के लंड के लिए ऐसे तड़पते देख एक पल के लिए तो उर्मिला भी चकित हो जाती है. "हे भगवान...!! ये लड़की तो एक ही बार में भाई के लंड के लिए पागल हो गई है", उर्मिला मन ही मन सोचती है. फिर संभलकर हाथों से कम्मो को हिलाते हुए कहती है.

उर्मिला: कम्मो...!! होश में आ कम्मो...!!
उर्मिला के इस तरह से कम्मो के शरीर को हिलाने पर पर कम्मो को होश आता है और वो आँखे खोल देती है. उर्मिला को अपने पास पा कर वो चौंक जाती है.

कम्मो: क...क्या हुआ भाभी...?? कोई आ गया क्या?
उर्मिला: नहीं रे पागल....कोई नहीं आया. तू गोलू के साथ निचे वाले झोपड़े में चले जा और वहाँ जा कर मजे ले.
 
कम्मो: (आशचर्य के साथ) पर क्यूँ भाभी...?
उर्मिला: तुझे तो कुछ होश भी नहीं था. तेरा ये भाई चुदाई के चक्कर में अभी मचान ही तोड़ देता.

कम्मो जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुहँ खोलती है, उर्मिला उसे चुप करा देती है.
उर्मिला: कोई सवाल नहीं कम्मो.....चुपचाप गोलू के साथ निचे जा...गोलू, ले जा अपनी दीदी को....

गोलू धीरे से सीढ़ी से मचान के निचे उतरने लगता है. कम्मो भी बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला को देखते हुए अपने कपडे उठाने लगती है.

उर्मिला: अरे मेरी माँ..... अब ये कपडे क्यूँ ले कर जा रही है? कपडे पहन कर चुदवाएगी क्या? रहने दे इसे येही....

कम्मो कपडे वहीँ छोड़ कर सीढ़ी से निचे उतरने लगती है. कम्मो धीरे-धीरे सीढ़ी से उतर रही थी और निचे गोलू भी उतर रहा था. गोलू ऊपर देखता है तो उसे कम्मो की भारी चूतड़ों और बालों के बीच फैली हुई कम्मो की रसदार बूर दिखाई पड़ती है. गोलू के मुहँ में पानी आ जाता है. वो अपना मुहँ खोले और जीभ निकाले वहीँ रुक जाता है. कम्मो जैसे ही अपना एक पांव निचे वाली लकड़ी पर रखती है, उसकी चूतड़ों से झांकती खुली बूर सीधे गोलू के मुहँ पर जा लगती है. बूर के मुहँ से छुते ही गोलू अपना चेहरा कम्मो की चूतड़ों के बीच घुसा देता है और जीभ घुमा-घुमा के कम्मो की बूर का रस पीने लगता है. अपनी बूर पर गोलू की जीभ को महसूस करते ही कम्मो भी मस्ती में आ जाती है और अपनी चूतड़ों को गोल-गोल घुमाते हुए मजा लेने लगती है. गोलू जीभ घुमाते हुए कम्मो की बूर के दाने को जोर से चूस लेता है तो कम्मो की "अह्ह्ह्हह...!!" निकल जाती है. कम्मो की आवाज़ सुनकर उर्मिला झाँक कर देखती है तो गोलू अपना मुहँ कम्मो की चूतड़ों में घुसाए खड़ा है और ऊपर कम्मो आँखे बंद किये चुतड घुमा रही है.

"हे भगवान....ये दोनों भाई-बहन तो पागल हे हो गए है", उर्मिला सोचती है.

उर्मिला: अरे ओ चुदक्कडो, थोडा तो सब्र करो. झोपड़े में जाने तक भी नहीं रुक सकते क्या तुम दोनों?

उर्मिला की आवाज़ सुनकर कम्मो सहम जाती है और घबराते हुए कहती है.

कम्मो: भाभी मैं तो निचे ही उतर रही थी. ये गोलू ही निचे से मेरी बूर चूसने लगा.....

उर्मिला गोलू की तरफ देखती है और हाथ जोड़ कर कहती है.

उर्मिला: गोलू महाराज....थोड़ी कृपा कीजिये. अपनी दीदी को झोपड़े में ले जाइए और फिर अराम से जो करना है करीये......

गोलू: (घबराते हुए) जी...जी भाभी....जा रहे है हम लोग....

दोनों मचान से निचे उतारते है. कम्मो नंगे बदन अपनी चौड़ी चूतड़ों को हिलाते हुए आगे चलने लगती है. पीछे गोलू जब अपनी दीदी की हिलती हुई चूतड़ों को देखता है तो एक बार फिर अपने होश खो बैठता है. वो दौड़कर कम्मो के पीछे जाता है और दोनों हाथों को कम्मो के सीने पर रख के उसके मोटे दूध मसलने लगता है और अपना मोटा लंड चूतड़ों के बीच घुसा देता है. कम्मो भी मस्ती में आँखे बंद किये अपनी चुतड पीछे कर देती है. गोलू कम्मो के दूध मसलता हुआ अपनी कमर का धक्का उसकी चूतड़ों के बीच देता है और कम्मो धक्के से एक कदम आगे बढ़ जाती है. इसी तरह गोलू अपनी कमर को कम्मो की चूतड़ों के बीच धक्के देता हुआ उसे झोपड़े की और ले जाने लगता है. उर्मिला ये नज़ारा देखती है और अपना सर पकड़ लेती है. "हे भगवान....हमेशा झगड़ने वाले ये दोनों भाई-बहन पूरे चुदक्कड हो गए है. थोडा भी सब्र नहीं है".

दोनों के झोपड़े में जाते ही कम्मो पीछे घुमती है तो सोनू अपने मोटे लंड को हाथ में लिए बैठा है. उर्मिला सोनू के लंड को देखती है जो पूरी तरह से फूल चूका था. मुस्कुराते हुए उर्मिला कहती है.

उर्मिला: क्या हुआ मेरे प्यारे देवर को? पायल दीदी की याद आ रही है क्या?

उर्मिला के मुहँ से पायल का नाम सुनते ही सोनू अपने लंड को मसल देता है.

सोनू: हाँ भाभी....! पायल दीदी की बहुत याद आ रही है.....

उर्मिला: उफ़...!! देखो तो कैसे अपनी दीदी की याद में गधे जैसा लंड खड़ा किये बैठा है ये भाई. बता तो जरा सोनू, पायल की बूर में कितना लंड घुसायेगा?

सोनू एक हाथ की उँगलियों का छल्ला बनाकर लंड को पकड़ता है और उँगलियों को फिसलाता हुआ लंड के जड़ तक ले जाता है. फिर अपनी कमर थोडा उठा के खड़ा लंड दिखाते हुए कहता है, "इतना भाभी...!!"

उर्मिला: बापरे...अपना लंड पायल की बूर में जड़ तक घुसा देगा....उफ़...!!

उर्मिला अपने बड़े-बड़े दूध को एक हाथ से दबाते हुए सोनू के पास आ कर बैठ जाती है. वो लंड को ध्यान से देखती है तो लंड से हल्का-हल्का पानी रिस रहा है.

उर्मिला: हाय रे सोनू... अपनी दीदी की याद में तो तेरा लंड आंसू बहा रहा है. रुक, मैं अभी इसके आंसू पोंछ देती है.

ये कहकर उर्मिला अपना मुहँ खोलती है और निचे झुक कर सोनू का पूरा लंड एक ही बार में निगल लेती है. उर्मिला के लंड निगलते ही सोनू आँखे बंद किये करहा उठता है, "आह्ह्हह्ह......भाभी....!! उफ्फ..!! पायल दीदी.....आ जाओ ने एक बार.....आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!!". उर्मिला जोर से सोनू का लंड चुस्ती है और फिर सर उठाकर कहती है.

उर्मिला: पटक पटक के चोदेगा ना अपनी दीदी को? (पुछकार फिर से लंड चूसने लग जाती है)
सोनू: (उर्मिला के मुहँ में लंड पेलता हुआ) हाँ भाभी....पायल दीदी को पटक-पटक के चोदुंगा.....
उर्मिला: (सर उठाकर) अपनी दीदी को चोदकर बहनचोद बन जायेगा? (पुछकार फिर से लंड चूसने लग जाती है)
सोनू: (इस बार जोर से लंड उर्मिला के मुहँ में ठूंसते हुए) ह...हाँ भाभी....दीदी को चोदकर बहनचोद बन जाऊंगा....

ये सुनकर उर्मिला जोश में आ जाती है. वो झट से अपनी साड़ी कमर तक उठा के लेट जाती है और अपनी टाँगे खोल के बालोवाली खुली हुई बूर दिखाते हुए कहती है.

उर्मिला: आ जा सोनू.... लंड ठूंस दे अपनी पायल दीदी की बूर में.
 
सोनू उर्मिला की बूर को ध्यान से देखता है. उसकी आँखों के सामने पायल की बूर नज़र आने लगती है. सोनू का लंड एक हुंकार मारता है और वो उर्मिला पर छलांग लगा देता है. सोनू का लंड सीधे उर्मिला की खुली हुई गीली बूर में अन्दर तक घुस जाता है और ऊपर सोनू उसके बड़े-बड़े दूध को पीने लगता है. उर्मिला भी अपनी टाँगे सोनू की कमर के इर्द-गिर्द लपेट लेती है. सोनू पायल को याद करता हुआ, उर्मिला के दूध पीता हुआ, अपने मोटे लंड को उर्मिला की बूर में ठूंसने लगता है.

सोनू: आह्ह्ह...!! पायल दीदी....मेरी प्यारी दीदी.....अपने भाई को बूर देदे दीदी...!!

सोनू के पागलपन का पूरा फ़ायदा उर्मिला उठाने लगती है. अपनी दीदी के लिए उसका ये जूनून उर्मिला के लिए किसी वरदान से कम नहीं था. सोनू उर्मिला की बूर को पायल की बूर समझ कर पेले जा रहा था और उर्मिला आँखे बंद किये पायल को मन ही मन दुआएँ दे रही थी.

उधर झोपड़े में गोलू कम्मो को अपने भारी शरीर के निचे दबाये अपना मोटा लंड उसकी बूर में झटके देते हुए पेल रहा था. कम्मो पूरी मदहोश हो चुकी थी.

गोलू: आह....!! कम्मो दीदी....म..मैं आपकी रोज चुदाई करूँगा....आह्ह्ह....!! अपनी प्यारी दीदी की बूर में रोज लंड पेलूँगा.....
कम्मो: ह..हाँ गोलू....अब मैं भी कभी भुट्टा अपनी बूर में नहीं लुंगी. बस तेरा मोटा लंड ही मेरी बूर में जायेगा....आह.....!!

करहाते हुए कम्मो अपने हाथों को सर के पीछे कर लेती है. उसकी हलके बालोवाली दोनों पसीने से भरी बगले गोलू की आँखों के सामने खुल जाती है. अपनी दीदी के बगल की पसीने की महक आग में घी का काम करती है और गोलू अपना मुहँ कम्मो की बगल में घुसा देता है.

गोलू: आह....!! दीदी....(जोर से सांस लेते हुए) हुम्म्म्मम्म्म्म.....!!! आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!!

कम्मो के बगल की महक लेते ही गोलू के कमर की रफ़्तार और भी ज्यादा बढ़ जाती है. उसका लंड कम्मो की बूर के अन्दर-बाहर जोर-जोर से होने लगता है. कामो जोश में अपनी टाँगे गोलू की कमर में बाँध लेती है और हाथों को उसके गले में. गोलू भी कम्मो की जाँघों को दोनों हाथो से मजबूती से पकड़ लेता है और एक ही झटके में कम्मो का शरीर गोलू के शरीर से चिपका हुआ हवा में उठ जाता है. अब गोलू खड़ा है और कम्मो अपनी टाँगे और हाथो को गोलू के शरीर से लपेटे हुए है. गोलू का लंड कम्मो की बूर में घुसा हुआ है और गोलू के हाथ पीछे से कम्मो की मोटी जाँघों को पकडे हुए है. गोलू जैसे ही अपने लंड को कम्मो की बूर में झटका देता है, कम्मो उच्छल के फिर से गोलू के लंड पर आ बैठती है. गोलू अपने लंड को उठा-उठा के कम्मो की बूर में देने लगता है और कम्मो गोलू के शरीर से लिपटे हुए उच्छल-उच्छल कर लंड लेने लगती है. ये आसन गोलू कई बार सरपंच के तालाब के पास छुप कर अपने दोस्तों के साथ गन्दी किताबों में देख चूका था. उसी ज्ञान का इस्तेमाल गोलू आज अपनी दीदी की चुदाई में कर रहा था. कम्मो, जिसके के लिए ये सब कुछ नया था, उसे बड़ा ही आनंद दे रहा था. गोलू, जो उसका अपना सगा छोटा भाई था, उससे चुदने में उसे अलग ही मजा आ रहा था. इस रिश्ते में इतनी गन्दगी भी हो सकती ही ये कम्मो ने कभी सोचा भी नहीं था. उसके लिए तो हमेशा से ही ये एक पाप से कम नहीं था. पर आज जब गोलू उसकी बूर में अपना मोटा लंड पेल रहा था तो कम्मो को पता चला की भाई-बहन के बीच का पापी रिश्ता इतना आनंदपूर्ण और उत्साहपूर्ण भी हो सकता है. आक की रात कम्मो गोलू से अलग नहीं होना चाहती थी. वो गोलू को मजबूती से पकडे उसके लंड पर उच्छले जा रही थी.

यहाँ उर्मिला, सोनू, गोलू और कम्मो के बीच चुदाई समारोह चल रहा था और वहाँ दूर, रामपुर, पायल के कमरे में, अलग ही तूफ़ान आया हुआ था. ज़मीन पर शीलाजीत की ३-४ खाली शीशियाँ, माल-डी की गोलियों की पत्ती और पायल की भीगी हुई पैन्टी पड़ी हुई थी. बिस्तर पर पसीने से लथपथ पायल तेज़ साँसे ले रही थी और रमेश जो पसीने से भीगे हुए थे, पायल पर चढ़कर अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी बूर में पेले जा रहे थे.

पायल: आह्ह्ह...!! पापाssss....!! और कितना चोदीयेगा मुझे?
रमेश: तेरी जवानी में बड़ी आग है पायल. आज तेरी सारी गर्मी निकाल दूंगा....आह्ह्ह्ह....!!
पायल: ६ घंटे हो गए पापा मेरी चुदाई करते हुए....आह्ह्ह...!! शीलाजीत की ४ शीशियाँ आप खाली कर चुके हो......५ बार आप मेरी बूर में पानी गिरा चुके हो....अब तो रुक जाईये.....!
रमेश: शाम को तो रुक ही गया था ना बेटी. तुझे अपने बड़े-बड़े दूध उठा के किसने कहा था मेरे सामने आने? और फिर मेरे सामने अपनी बालोवाली बूर खोल के क्यूँ बैठ गई थी तू? बोल...?
पायल: बूर में बहुत खुजली हो रही थी पापा....इसलिए आपके सामने चली आई.....
रमेश: अब पापा तेरी बूर की खुजली मिटा रहे है तो क्यूँ चिल्ला रही है?

ये कहकर रमेश अपनी कमर जोर-जोर से पायल की जाँघों के बीच पटकने लगते है. पायल भी मस्ती में अपने हाथ रमेश के गले में डाल देती है और निचे से अपनी कमर उठा-उठा के पापा का लंड बूर में लेने लगती है. पायल की चुदाई करते हुए रमेश अपना चेहरा पायल के पास ले जा कर जीभ निकाल देते है तो पायल भी अपना सर उठा के उनकी जीभ मुहँ में भर के चूसने लगती है. कुछ देर बेटी से जीभ चुस्वाने के बाद रमेश उठकर बैठ जाते है और अपने हाथों को पायल की कमर के निचे ले जा कर उठा देते है. पायल की कमर ऊपर उठ जाती है और उसकी गीली, फैली हुई बालोवाली बूर रमेश के ठीक आँखों के सामने आ जाती है. सर आगे बढ़ाके रमेश पायल की बूर चाट लेते है और फिर अपनी लम्बी जीभ अन्दर घुसा के घुमाने लगते है. बिस्तर पर लेटी पायल पापा की इस हरकत से तड़प उठती है.

पायल: आह्ह्ह्ह....!! पापाssss.....!! मत चूसिये ना ऐसे मेरी बूर को.....मैं मर जाउंगी पापा....आह्ह्हह्ह....!!
रमेश: दिन भर तेरी बूर चुदी है पायल बेटी. तेरी फैली हुई बूर से रस पीने में बड़ा मजा आ रहा है.....उम्म्मम्म्म्म......!!

पायल की बूर का अच्छे से रसपान करने के बाद रमेश एक बार फिर अपने लंड को पायल की बूर में अन्दर तक ठूंस देते है और उसे अपने आलिंगन में ले कर चुदाई शुरू कर देते है. ६ घंटे लगातार चुदने के बाद भी पायल की गर्मी शांत नहीं हुई थी. अपने पापा से चुदाई में वो पूरा साथ देने लगती है. रमेश भी पूरे जोश में पायल की बूर चुदाई करने लगते है.

रमेश: आह्ह्हह्ह...पायल बेटी...पापा झड़ने वाले हैं बेटी....आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!!
पापा की बात सुनते ही पायल अपनी टांगो का घेरा रमेश की कमर पर मजबूत कर लेती है और पैरो से पापा की कमर को अपनी तरफ दबा देती है. रमेश भी अब जोर-जोर से झटके देने लगते है. १५-२० जोरदार झटको के बाद रमेश के लंड से पानी निकलकर पायल की बच्चेदानी में गिरने लगता है. अपने पापा को पैरो से पकडे हुए पायल अपनी बूर को कास देती है तो रमेश का लंड झटके लेता हुआ अपना बचा हुआ पानी भी अन्दर गिरा देता है. कुछ देर रमेश वैसे ही पायल के ऊपर पड़े रहते है और फिर धीरे से अपना लंड उसकी बूर से निकाल लेते है. पायल भी आँखे बंद किये बिस्तर पर कुछ देर वैसे ही पड़ी रहती है. रमेश की नज़र पायल की बूर पर पड़ती है. पायल की बूर के ओंठ पूरे फैलकर जुदा हो चुके थे. बूर के अन्दर के लाल भाग में एक बड़ा सा छेद बंद चूका था जो एक घमासान चुदाई की गाथा सुना रहा था. बूर से गाड़ा सफ़ेद पानी धीरे-धीरे बह रहा था.



रमेश एक बार पायल के चेहरे को देखते है और फिर उसकी फैली हुई बूर को. रमेश को अपनी कही बात याद आती है जो उन्होंने पायल की चुदाई के पहले कही थी, "बेटी, आज तेरी इतनी बूर चुदाई करूँगा की तेरे बूर के ओंठ फ़ैल जायेंगे और आपस में चिपक ही नहीं पायेंगे". इस बात को याद करते ही रमेश के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 
अपडेट ३७ :

यहाँ रामपुर में तूफ़ान शांत हुआ था तो वहाँ खेत के झोपड़े में भूचाल आया हुआ था. गोलू कम्मो पर पूरी तरह से चढ़ा हुआ था और अपना मोटा लंड उसकी बूर में पेले जा रहा था. भुट्टे से भी मजेदार चीज़ मर्द का लंड होता है ये बात कम्मो की अब समझ में आ गई थी. अब वो भी पूरी तरह गोलू से चुदवाने का मजा लेने लगी थी.

कम्मो: आह्ह्ह्ह....! गोलू....! बहुत मजा आ रहा है...और जोर से गोलू...और जोर से....!!

गोलू: हाँ दीदी...!! आपकी बूर बहुत गर्म है. देखिये मेरा लंड कैसे सटा-सट जा रहा है.

कम्मो: हाँ गोलू, इतनी तेज़ी से तो मैं भुट्टा भी अन्दर-बाहर नहीं कर पाती हूँ...

तभी गोलू ने अपनी कमर उठा के कम्मो की जाँघों के बीच एक जोरदार ठाप मार दी. गोलू का लंड कम्मो की बूर से होता हुआ बच्चेदानी तक अन्दर घुस गया. कम्मो कसमसा उठी.

कम्मो: हाय री मैय्याsssss...!! ये क्या कर रहा है गोलू....? आह्ह्हह्ह्ह्ह......! मार डालेगा क्या?

गोलू: मुझे माफ़ कर दो दीदी. आज मैं अपने आप को रोक नहीं पाउँगा....! अपनी दीदी की बूर का प्यासा हूँ मैं....बहुत प्यासा...!!

गोलू कम्मो की चींखे अनसुनी करता हुआ उसे पटक-पटक कर चोदने लगता है. जैसे-जैसे गोलू का लंड कम्मो की बूर की गहराई में जाने लगता है, कम्मो को और भी मजा आने लगता है.

कम्मो: आह्ह्हह्हssss...गोलू...!! बहुत मजा आ रहा है. मैं तुझसे ही शादी करुँगी गोलू....!!

कम्मो की ये बात सुन कर गोलू पूरे जोश में आ जाता है. जब कोई बहन अपने ही सगे भाई से शादी की बात करे तो भाई के बदन की सारी गर्मी उसके लंड में उतर जाती है. गोलू का भी यही हाल हुआ था. कम्मो की इस बात में गोलू को जोश और आनंद दोनों की प्राप्ति हो रही थी. वो कम्मो की चुदाई करते हुए उसके कान में कहता है.

गोलू: दीदी...आप मुझसे शादी करोगी ?

कम्मो: हाँ गोलू....आह...! मैं तुझसे शादी करुँगी....

कम्मो की बात सुनकर गोलू जोश में १०-१५ ठाप लगा देता है. झोपड़े में जोर-जोर से 'ठप्प-ठप्प' की आवाज़ें गूंजने लगती है. फिर गोलू रुकता है और धीरे से कम्मो से कहता है.

गोलू: आप अपने सगे भाई से शादी करोगी दीदी?

कम्मो: हाँ गोलू....मैं अपने छोटे सगे भाई से शादी करुँगी....

गोलू के कानो में कम्मो के ये शब्द पड़ते ही गोलू के मुहँ से 'ओह मेरी प्यारी दीदी' निकल जाता है और वो कम्मो को कस के दबोच लेता है. गोलू की कमर किसी राजधानी की तरह गति से कम्मो की जांघो के बीच ऊपर-निचे होने लगती है. कुछ ही क्षण में २०-२५ ठाप लगाने के बाद गोलू फिर से रुक जाता है और कहता है.

गोलू: दीदी....आप मुझसे शादी करोगी तो सुहागरात भी मनाना पड़ेगा ना...?

कम्मो: हाँ गोलू.....हम दोनों हर रात सुहागरात मनाएंगे....

कम्मो की बातें गोलू को पागल किये जा रही थी. गोलू पूरे जोश में अपना मोटा लंड कम्मो की बूर में उठा-उठा के पेलने लगा था. जैसे ही लंड बूर में धंसता, बूर से पानी के छींटे 'फ़च्छ' की आवाज़ करते हुए हवा में उड़ जाते. अब गोलू कम्मो से वो सवाल करता है जिसे सोचकर खुद एक बार उसका दिल भी धडकना बंद कर दे.

गोलू: दीदी....आप मेरे साथ सुहागरात मनाओगे और एक दिन आप मेरे बच्चे की माँ बन गई तो?

कम्मो: लड़की जिसके साथ सुहागरात मनाती है उसके बच्चे के ही तो माँ बनती हैं ना गोलू?

गोलू: तो आप मेरे बच्चे की माँ बनोगी ना दीदी?

कम्मो: हाँ गोलू...मैं तेरे बच्चे की माँ बनूँगी....

अब तो गोलू पूरी तरह से पागल हो जाता है. कम्मो को पाहालों की तरह चूमने, चाटने लगता है. कभी उसके रसीले ओंठों को चूस लेता है तो कभी उसके बड़े-बड़े दूधों के निप्पल को. निचे अपने मोटे लंड से कम्मो की बूर पर जोरदार प्रहार करते हुए गोलू बोल पड़ता है.

गोलू: आपके साथ दिन-रात सुहागरात मनाऊँगा दीदी. जब भी मौका मिलेगा आपको पटक कर चुदाई कर दूंगा. आपको अपने बच्चे की माँ बना दूंगा दीदी....ओह्ह्ह्ह....!! मेरी प्यारी कम्मो दीदीsssss....!!

गोलू अपने आप को अब रोक नहीं पाता है. अपनी ही सगी बहन को माँ बनाने का सोचते ही गोलू का लंड एकदम सक्त हो जाता है और एक झटके के साथ ही अपना पानी कम्मो की बूर में खाली करने लगता है. कम्मो भी अपनी टाँगे गोलू की कमर में फ़साये गोलू के लंड का पानी अपनी बूर में गिरता महसूस करती है. गोलू का लंड कम्मो की बूर में पूरा धंसा हुआ हलके झटके खाता हुआ सफ़ेद गाढ़े पानी की एक-एक बूँद अन्दर गिरा देता है. पसीने से लथपथ दोनों भाई-बहन एक दुसरे से लिपटे हुए आँखे बंद किये पड़े रहते है. वहीँ ऊपर मचान पर भी सोनू का लंड उर्मिला की बूर में अपना सारा रूस उढ़ेल चूका था. थक कर चूर हुआ सोनू का बदन उर्मिला पर गिर जाता है. उर्मिला भी उसे अपनी आगोश में लिए आँखे बंद कर लेती है. भूचाल आ कर जा चूका था और धीरे-धीरे रात और गहरी होती जा रही थी.

सुबह ४ बजते ही उर्मिला की आँखे अचानक खुल जाती है. आँखे खुलते ही उसकी नज़र सोनू पर पड़ती है जो उसके ऊपर पड़ा खर्राटे मार रहा था. उर्मिला उसे देखकर मुस्कुरा देती है और धीरे से उसे एक तरफ पलटा देती है. सोनू का लंड फिसलता हुआ उर्मिला की बूर से निकल जाता है. उर्मिला उसके आधे खड़े लंड को देखकर हँस देती है. 'अच्छा...!! तो अपनी भाभी की बूर की गर्मी से रात भर महाशय का लंड जागता रहा है', उर्मिला मन में सोचती है.

उर्मिला: सोनू....सोनू....चल उठ जा. ४ बज गए है. सबके उठने के पहले हमे घर भी पहुँचना है.
अपनी आँखे मलता हुआ सोनू उठता है.

सोनू: रात में अच्छी नींद आयी भाभी..

उर्मिला: भाभी की जम के चुदाई करेगा तो नींद तो अच्छी आएगी ही ना. अब जल्दी से कपडे पहन और चलने के लिए तैयार हो जा. मैं गोलू और कम्मो को जगा कर आती हूँ.
 
उर्मिला अपनी साड़ी ठीक करके मचान से निचे उतरती है. धीरे-धीरे वो झोपड़े की तरफ बढ़ने लगती है. तभी उसे झोपड़े से कुछ आवाज़े सुनाई देती है. उसका दिल जोरो से धडकने लगता है. पास पहुँचकर वो धीरे से अन्दर झाँक कर देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. अन्दर गोलू और कम्मो पसीने से भरे हुए थे. कामो अपनी टाँगे खोले खाट पर लेटी हुई थी और गोलू उस पर चढ़ा हुआ था. गोलू का मोटा लंड कम्मो की बूर में 'फ़च्छ-फ़च्छ' की आवाज़ करता हुआ जोरो से अंदर-बाहर हो रहा था. कम्मो गोलू को बाहों में भरे अपनी कमर उठा-उठा के गोलू से चुदवा रही थी. उर्मिला ये नज़ारा देख कर कुछ क्षण के लिए सन्न रह जाती है. फिर धीरे से अन्दर पहुँचकर वो काँपते हुए स्वर में कहती है.

उर्मिला: क...क...कम्मो...! तुम लोग सो कर कब उठ गए...?

कम्मो उर्मिला की तरफ देख कर अपने ओंठ काटते हुए कहती है.

कम्मो: भ...भाभी...आह्ह..!! गोलू ने रातभर सोने ही कहाँ दिया....

उर्मिला: मतलब तुम दोनों रातभर....ये चू....चुदाई करते रहे....

कम्मो: हाँ भाभी.....रात से गोलू मेरी चुदाई ही कर रहा है.

ये सुनकर उर्मिला का सर चकरा जाता है. सुबह हो चुकी थी और अब भी दोनों की चुदाई खत्म नहीं हुई थी. उर्मिला डर जाती है. वो एक हाथ से गोलू को कम्मो से अलग करने की कोशिश करती है.

उर्मिला: गोलू...गोलू हट कम्मो के ऊपर से. पागल हो गया है क्या? सुबह हो गई है और किसी ने हमे खेत में देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी.....

गोलू कम्मो की चुदाई में खोया हुआ था. उर्मिला की बात को अनसुना कर देता है. तभी कम्मो बोल पड़ती ही.

कम्मो: रुक जाईये ना भाभी....इसे कर लेने दीजिये. हम दोनों ने रात में ही तय कर लिया है.

उर्मिला: (बड़ी-बड़ी आँखे करते हुए) क..क्या तय कर लिया है?

कम्मो: यही की भाभी गोलू दिन-रात मेरी चुदाई करके अपने बच्चे की माँ बना देगा और फिर बाद में हम दोनों शादी कर लेंगे.

कम्मो की बात सुनकर उर्मिला अपने सर पर हाथ रखे निचे बैठ जाती है. 'हे भगवान...!! गोलू तो पहले से ही बहनचोद था और अब कम्मो भी भाई का लंड बूर में डलवा के पागल हो गई है', उर्मिला सोचती है. फिर वो झट से खड़ी हो कर गोलू की पीठ पर एक जोरदार चपत लगाते हुए कहती है.

उर्मिला: उठ जा बहनचोद....!! और कितना चोदेगा अपनी दीदी को? रातभर चुदाई करने के बाद भी तेरा दिल नहीं भरा? आज ही अपनी बहन के पेट में बच्चा दे देगा क्या?

उर्मिला के मारने से गोलू को होश आता है. वो हांफते हुए उर्मिला की ओर देखते हुए कहता है.

गोलू: बस भाभी ५ मिनट और. मैं बस झड़ने ही वाला हूँ.

कम्मो: हाँ भाभी....रुक जाइये ना ५ मिनट....!!

उर्मिला गहरी सांस लेते हुए कहती है, "ठीक है...लेकिन सिर्फ ५ मिनट". ये कहकर उर्मिला पसीना पोंछते हुए झोपड़े से बाहर आती है. सोनू भी तब तक मचान से उतर चूका था. उर्मिला को परेशान देखकर वो कहता है.

सोनू: क्या हुआ भाभी? आप परेशान लग रहे हो?

उर्मिला: क्या बताऊँ सोनू.....ये दोनों भाई-बहन तो पागल हो गए है. पता नहीं और क्या-क्या गुल खिलाएंगे. जरा अपने आस-पास ध्यान रख. कोई आ गया तो गड़बड़ हो जायेगी.

उर्मिला और सोनू खेत के आस-पास नज़रे दौडाने लगते है. सुबह की लाली धीरे-धीरे फीकी होने लगती है. कुछ ही देर में गोलू और कम्मो झोपड़े से बाहर निकलते है. दोनों पसीने से भीगे हुए और काफी थके हुए लग रहे थे.

उर्मिला: तुम दोनों ऐसे लग रहे हो जैसे की रातभर खेतो में काम किया हो. अब चुपचाप घर चलो, और हाँ कम्मो, तू अपना मुहँ बिलकुल बंद रखेगी. घर में कुछ भी नहीं बोलेगी...समझी.

कम्मो उर्मिला को देखकर सर हिला देती है. उर्मिला गोलू का कान पकड़ते हुए कहती है.

उर्मिला: और गोलू तू... एक नंबर का बदमाश है. क्या समझता है अपने आप को? इतना बड़ा बहनचोद हो गया है की अपनी दीदी को माँ बनाएगा? बोल.....?

गोलू: आह भाभी....!! मुझे माफ़ कर दीजिये....

उर्मिला: (मुस्कुराते हुए) बदमाश कहीं का. मैं तुझे कम्मो की चुदाई करने के लिए मनानहीं कर रही हूँ पर हर चीज़ का एक समय होता है. अभी कम्मो को माँ बनाने का सोचना भी मत, समझा??

गोलू: हाँ भाभी...समझ गया.

उर्मिला: चलो अब सब घर. और घर में ऐसा बर्ताव करना है की खेत में हम सब अराम से सो कर आ रहे है. कोई ज्यादा बात नहीं करेगा.

उर्मिला की बात पर सभी सर हिला देते है. चारों धीरे-धीरे बातें करते हुए घर की ओर चल देते है. रास्ते में चलते हुए सोनू गोलू की ओर देखकर मुस्कुरा देता है. गोलू भी मुसकुरात देता है. सोनू अपने हाथ की दो ऊँगली, तर्जनी और मध्यमा (index & middle) को मिला देता है और फिर उन्हें बीच से थोडा खोलकर बूर जैसा आकार बनाकर गोलू को दिखाते हुए कम्मो की तरफ इशारा करता है. गोलू भी मुस्कुराते हुए अपने हाथ की ऊँगली, तर्जनी और मध्यमा (index & middle) को मिला देता है और फिर उन्हें बीच से थोडा खोलकर बूर जैसा आकार बनाकर दुसरे हाथ की ऊँगली को बीच में घुसा देता है. गोलू अपनी ऊँगली को अन्दर-बाहर करता है और फिर तर्जनी और मध्यमा के बीच की बूर के आकर की जगह को बड़ा कर देता है. सोनू गोलू का इशारा समझ जाता है की रात में गोलू ने कम्मो की बूर पूरी फैला दी है.

उर्मिला और कम्मो बातें करते हुए आगे चल रहे थे. पीछे सोनू और गोलू उर्मिला और कम्मो की रात की चुदाई की बातें करते हुए, दोनों की बड़ी चूतड़ों को घूरते हुए घर की तरफ चल देते हैं.
 
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