hotaks444
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मैने पूछा. "पर किसे चोदोगे रघु, मा और मंजू तो कुत्तों से चुद रही
है."
"अरे तू चल तो, सब मालूम हो जाएगा. पर एक बात बता, तुझे मज़ा आएगा ना?
या इन जानवरों से तुझे कुछ परहेज है?" रघु ने पूछा?
मैं क्या कहता! मेरी वो हालत हो गयी थी कि लगता था की कोई भी मिले चोदने
को, भले ही जानवर ही हो. और वी दोनों खूबसूरत कुत्ते मुझे अब बहुत
आकर्षित कर रहे थे. मा और मंजू की बुर से निकलते उनके रसीले लंड
को देखकर बार बार यही मन हो रहा था कि उन्हे चूस लू.
हमने अपने कपड़े निकाले और दरवाजा खोल कर हम अंदर आए. हमे
देखकर वे दोनों ज़रा भी नही चौंकी. उनकी आँखे पथराई हुई थी.
चुदाई के आनंद ने उन्हे पागल सा कर दिया था. मुझे देखकर भी मा ज़रा
नही झिझकी, बोली. "आ गया मेरा लाड़ला? देख बेटे, तेरी मा को कैसा स्वर्ग
मे पहुँचा दिया है टॉमी ने. "एयेए हहा" टॉमी और ज़ोर से चोद रे मेरे
पठ्ठे! दिखा दे मेरे पठ्ठे को कि तुझे ये उसकी मा, याने तेरी कुतिया
कितनी पसंद है! अनिल बेटे, शेरू और टॉमी भी मेरे बेटे है, इतनी देर
चोदते हैं कि निहाल कर देते है"
टॉमी जैसे मा की बात समझ रहा था. वह और उछल उछल कर मा को
चोदने लगा. उसका आनंद देखते ही बनता था. मा जैसी कुतिया चोदने
मिली इससे वह एकदम मस्ती मे था. यही हाल मंजू बाई और शेरू का था.
मैं और रघु उन दोनों के पास बैठ गये. मैं मा और मंजू को बारी बारी
चूमने लगा. उधर शेरू भोंक भोंक कर रघु का चेहरा चाटने लगा.
रघु को देख कर वह खुशी से पागल हो रहा था. ज़िनी भी रघु के पास
पहुँच गयी थी और उसकी धोती मे तूथनी डालने की कोशिश कर रही थी.
"बस बस यार, तुझे पता चल गया शायद कि अब तुझे और मज़ा आने वाला है?
अभी आता हू राजा, बस मुन्ना की जोड़ी जमा दू" रघु ने कहा. इतने मे शेरू ने
मौका देखकर रघु के खुले मूह मे जीभ डाल दी. मुझे लगा कि रघु थू
थू करने लगेगा पर उसने तो मूह और खोल दिया और हँसते हँसते अपने
मूह मे शेरू की जीभ लेकर उसे चूसने लगा जैसा वह मेरी जीभ चूसा
करता था.
शेरू और टॉमी की जीभ भी मस्त थी, गुलाबी और गीली. शेरू कू कू करते
हुए मस्ती से अपनी पूरी जीभ रघु के मूह मे देकर चुप हो गया और रघु
उसे ऐसे चूसने लगा जैसे मिठाई हो. मेरा लंड उछलने लगा. इस तरह की
चूमा चाटी की मैने कल्पना भी नही की थी.
सहसा मेरे लंड पर तपते गीले स्पर्श से मैने चौंक कर नीचे देखा तो
ज़िनी मेरा लंड चाट रही थी. वह कब रघु को छोड़ कर मेरे पास आ गयी थी,
पता ही नही चला. उसकी भूरी भूरी आँखे बड़े प्यार से मुझे देख रही थी.
उसकी लंबी लाल जीभ ने ऐसा जादू किया कि मैं झड़ने के करीब आ गया. उसकी
कुछ खुरदरी कुछ मखमली जीभ मेरे लंड को रगड़ रगड़ कर मुझे
दीवाना कर रही थी.
रघु ने शेरू के साथ का अपना चुंबन तोड़ कर कहा. "ज़िनी, रुक. मुन्ना, ये
लंड के रस की दीवानी कुतिया तुझे झाड़ा देगी. उसमे भी मज़ा आता है पर आज
मैं तुझे इससे सही तरीके से संभोग कराना चाहता हू. चलो तुम दोनों
की जोड़ी जमा दू, फिर आकर इस बदमाश शेरू की खबर लेता हू."
रघु मेरे पास आया. ज़िनी उसका मूह चाटने लगी. ज़िनी के साथ एक दो बार
जीभ लड़ाकार रघु ने उसे इशारा किया. ज़िनी खुशी खुशी हमारी ओर पीठ
करके खड़ी हो गयी और दुम हिलाने लगी.
रघु ने उसकी दुम उठाई और मुझे बोला. "मुन्ना, माल देख, क्या मस्त चूत
है!" दुम के नीचे कुतिया की लाल लाल खुली चूत दिख रही थी. एकदम गीली और
रिसति हुई. चूत के अंदर से ज़िनी के पपोटे फूल कर गुलाब के फूल जैसे बाहर आ
गये थे. रघु ने उसमे उंगली डाली और अंदर बाहर करते हुए बोला.
"मुन्ना, इसे चोद, ये तुझे जन्नत ले जाएगी."
है."
"अरे तू चल तो, सब मालूम हो जाएगा. पर एक बात बता, तुझे मज़ा आएगा ना?
या इन जानवरों से तुझे कुछ परहेज है?" रघु ने पूछा?
मैं क्या कहता! मेरी वो हालत हो गयी थी कि लगता था की कोई भी मिले चोदने
को, भले ही जानवर ही हो. और वी दोनों खूबसूरत कुत्ते मुझे अब बहुत
आकर्षित कर रहे थे. मा और मंजू की बुर से निकलते उनके रसीले लंड
को देखकर बार बार यही मन हो रहा था कि उन्हे चूस लू.
हमने अपने कपड़े निकाले और दरवाजा खोल कर हम अंदर आए. हमे
देखकर वे दोनों ज़रा भी नही चौंकी. उनकी आँखे पथराई हुई थी.
चुदाई के आनंद ने उन्हे पागल सा कर दिया था. मुझे देखकर भी मा ज़रा
नही झिझकी, बोली. "आ गया मेरा लाड़ला? देख बेटे, तेरी मा को कैसा स्वर्ग
मे पहुँचा दिया है टॉमी ने. "एयेए हहा" टॉमी और ज़ोर से चोद रे मेरे
पठ्ठे! दिखा दे मेरे पठ्ठे को कि तुझे ये उसकी मा, याने तेरी कुतिया
कितनी पसंद है! अनिल बेटे, शेरू और टॉमी भी मेरे बेटे है, इतनी देर
चोदते हैं कि निहाल कर देते है"
टॉमी जैसे मा की बात समझ रहा था. वह और उछल उछल कर मा को
चोदने लगा. उसका आनंद देखते ही बनता था. मा जैसी कुतिया चोदने
मिली इससे वह एकदम मस्ती मे था. यही हाल मंजू बाई और शेरू का था.
मैं और रघु उन दोनों के पास बैठ गये. मैं मा और मंजू को बारी बारी
चूमने लगा. उधर शेरू भोंक भोंक कर रघु का चेहरा चाटने लगा.
रघु को देख कर वह खुशी से पागल हो रहा था. ज़िनी भी रघु के पास
पहुँच गयी थी और उसकी धोती मे तूथनी डालने की कोशिश कर रही थी.
"बस बस यार, तुझे पता चल गया शायद कि अब तुझे और मज़ा आने वाला है?
अभी आता हू राजा, बस मुन्ना की जोड़ी जमा दू" रघु ने कहा. इतने मे शेरू ने
मौका देखकर रघु के खुले मूह मे जीभ डाल दी. मुझे लगा कि रघु थू
थू करने लगेगा पर उसने तो मूह और खोल दिया और हँसते हँसते अपने
मूह मे शेरू की जीभ लेकर उसे चूसने लगा जैसा वह मेरी जीभ चूसा
करता था.
शेरू और टॉमी की जीभ भी मस्त थी, गुलाबी और गीली. शेरू कू कू करते
हुए मस्ती से अपनी पूरी जीभ रघु के मूह मे देकर चुप हो गया और रघु
उसे ऐसे चूसने लगा जैसे मिठाई हो. मेरा लंड उछलने लगा. इस तरह की
चूमा चाटी की मैने कल्पना भी नही की थी.
सहसा मेरे लंड पर तपते गीले स्पर्श से मैने चौंक कर नीचे देखा तो
ज़िनी मेरा लंड चाट रही थी. वह कब रघु को छोड़ कर मेरे पास आ गयी थी,
पता ही नही चला. उसकी भूरी भूरी आँखे बड़े प्यार से मुझे देख रही थी.
उसकी लंबी लाल जीभ ने ऐसा जादू किया कि मैं झड़ने के करीब आ गया. उसकी
कुछ खुरदरी कुछ मखमली जीभ मेरे लंड को रगड़ रगड़ कर मुझे
दीवाना कर रही थी.
रघु ने शेरू के साथ का अपना चुंबन तोड़ कर कहा. "ज़िनी, रुक. मुन्ना, ये
लंड के रस की दीवानी कुतिया तुझे झाड़ा देगी. उसमे भी मज़ा आता है पर आज
मैं तुझे इससे सही तरीके से संभोग कराना चाहता हू. चलो तुम दोनों
की जोड़ी जमा दू, फिर आकर इस बदमाश शेरू की खबर लेता हू."
रघु मेरे पास आया. ज़िनी उसका मूह चाटने लगी. ज़िनी के साथ एक दो बार
जीभ लड़ाकार रघु ने उसे इशारा किया. ज़िनी खुशी खुशी हमारी ओर पीठ
करके खड़ी हो गयी और दुम हिलाने लगी.
रघु ने उसकी दुम उठाई और मुझे बोला. "मुन्ना, माल देख, क्या मस्त चूत
है!" दुम के नीचे कुतिया की लाल लाल खुली चूत दिख रही थी. एकदम गीली और
रिसति हुई. चूत के अंदर से ज़िनी के पपोटे फूल कर गुलाब के फूल जैसे बाहर आ
गये थे. रघु ने उसमे उंगली डाली और अंदर बाहर करते हुए बोला.
"मुन्ना, इसे चोद, ये तुझे जन्नत ले जाएगी."