Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती - Page 6 - SexBaba
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Village Sex Kahani गाँव मे मस्ती

मैने पूछा. "पर किसे चोदोगे रघु, मा और मंजू तो कुत्तों से चुद रही
है."

"अरे तू चल तो, सब मालूम हो जाएगा. पर एक बात बता, तुझे मज़ा आएगा ना?
या इन जानवरों से तुझे कुछ परहेज है?" रघु ने पूछा?

मैं क्या कहता! मेरी वो हालत हो गयी थी कि लगता था की कोई भी मिले चोदने
को, भले ही जानवर ही हो. और वी दोनों खूबसूरत कुत्ते मुझे अब बहुत
आकर्षित कर रहे थे. मा और मंजू की बुर से निकलते उनके रसीले लंड
को देखकर बार बार यही मन हो रहा था कि उन्हे चूस लू.
हमने अपने कपड़े निकाले और दरवाजा खोल कर हम अंदर आए. हमे
देखकर वे दोनों ज़रा भी नही चौंकी. उनकी आँखे पथराई हुई थी.
चुदाई के आनंद ने उन्हे पागल सा कर दिया था. मुझे देखकर भी मा ज़रा
नही झिझकी, बोली. "आ गया मेरा लाड़ला? देख बेटे, तेरी मा को कैसा स्वर्ग
मे पहुँचा दिया है टॉमी ने. "एयेए हहा" टॉमी और ज़ोर से चोद रे मेरे
पठ्ठे! दिखा दे मेरे पठ्ठे को कि तुझे ये उसकी मा, याने तेरी कुतिया
कितनी पसंद है! अनिल बेटे, शेरू और टॉमी भी मेरे बेटे है, इतनी देर
चोदते हैं कि निहाल कर देते है"

टॉमी जैसे मा की बात समझ रहा था. वह और उछल उछल कर मा को
चोदने लगा. उसका आनंद देखते ही बनता था. मा जैसी कुतिया चोदने
मिली इससे वह एकदम मस्ती मे था. यही हाल मंजू बाई और शेरू का था.
मैं और रघु उन दोनों के पास बैठ गये. मैं मा और मंजू को बारी बारी
चूमने लगा. उधर शेरू भोंक भोंक कर रघु का चेहरा चाटने लगा.

रघु को देख कर वह खुशी से पागल हो रहा था. ज़िनी भी रघु के पास
पहुँच गयी थी और उसकी धोती मे तूथनी डालने की कोशिश कर रही थी.
"बस बस यार, तुझे पता चल गया शायद कि अब तुझे और मज़ा आने वाला है?
अभी आता हू राजा, बस मुन्ना की जोड़ी जमा दू" रघु ने कहा. इतने मे शेरू ने
मौका देखकर रघु के खुले मूह मे जीभ डाल दी. मुझे लगा कि रघु थू
थू करने लगेगा पर उसने तो मूह और खोल दिया और हँसते हँसते अपने
मूह मे शेरू की जीभ लेकर उसे चूसने लगा जैसा वह मेरी जीभ चूसा
करता था.

शेरू और टॉमी की जीभ भी मस्त थी, गुलाबी और गीली. शेरू कू कू करते
हुए मस्ती से अपनी पूरी जीभ रघु के मूह मे देकर चुप हो गया और रघु
उसे ऐसे चूसने लगा जैसे मिठाई हो. मेरा लंड उछलने लगा. इस तरह की
चूमा चाटी की मैने कल्पना भी नही की थी.
सहसा मेरे लंड पर तपते गीले स्पर्श से मैने चौंक कर नीचे देखा तो
ज़िनी मेरा लंड चाट रही थी. वह कब रघु को छोड़ कर मेरे पास आ गयी थी,
पता ही नही चला. उसकी भूरी भूरी आँखे बड़े प्यार से मुझे देख रही थी.
उसकी लंबी लाल जीभ ने ऐसा जादू किया कि मैं झड़ने के करीब आ गया. उसकी
कुछ खुरदरी कुछ मखमली जीभ मेरे लंड को रगड़ रगड़ कर मुझे
दीवाना कर रही थी.

रघु ने शेरू के साथ का अपना चुंबन तोड़ कर कहा. "ज़िनी, रुक. मुन्ना, ये
लंड के रस की दीवानी कुतिया तुझे झाड़ा देगी. उसमे भी मज़ा आता है पर आज
मैं तुझे इससे सही तरीके से संभोग कराना चाहता हू. चलो तुम दोनों
की जोड़ी जमा दू, फिर आकर इस बदमाश शेरू की खबर लेता हू."
रघु मेरे पास आया. ज़िनी उसका मूह चाटने लगी. ज़िनी के साथ एक दो बार
जीभ लड़ाकार रघु ने उसे इशारा किया. ज़िनी खुशी खुशी हमारी ओर पीठ
करके खड़ी हो गयी और दुम हिलाने लगी.

रघु ने उसकी दुम उठाई और मुझे बोला. "मुन्ना, माल देख, क्या मस्त चूत
है!" दुम के नीचे कुतिया की लाल लाल खुली चूत दिख रही थी. एकदम गीली और
रिसति हुई. चूत के अंदर से ज़िनी के पपोटे फूल कर गुलाब के फूल जैसे बाहर आ
गये थे. रघु ने उसमे उंगली डाली और अंदर बाहर करते हुए बोला.
"मुन्ना, इसे चोद, ये तुझे जन्नत ले जाएगी."
 
ज़िनी रघु की उंगली चूत मे घुसते ही आनंद से कू कू करने लगी और
पीछे हट कर और ज़्यादा उंगली अंदर लेने की कोशिश करने लगी. रघु बोला.
"ठहर मेरी रानी, आज तुझे इस मस्त कमसिन लड़के से चुदवाता हू. तेरी ही
उमर का है" फिर मूड कर मुझे बोला. "मुन्ना, यह भी दो साल की है, तेरे जैसी
कमसिन है. अब इसके पीछे बैठ जा और चढ़ जा."

मैं घुटने टेक कर ज़िनी के पीछे बैठ गया. मेरा सारा बदन थर थरा रहा
था. रघु ने ज़िनी की पुंछ बाजू मे की और मेरा लंड ज़िनी की चूत पर रखा.
मुझे चूम कर बोला. "घुसेड दे राजा इस कुतिया की चूत मे अपना लंड और कर
मज़ा."

मा जो अब तक चुप चाप तमाशा देख रही थी, शेरू से चुदवाते
चुदवाते बोली. "हाँ मेरे लाल, तू भी शामिल हो जा हमारे साथ इन
जानवरों के संभोग मे. बड़ा मज़ा आता है रे. तू छोटा है इसलिए तुझे
नही बताया था पर आख़िर तू अपनी चुदैल मा का लड़का निकाला. चढ़ जा उस
कुतिया पर, बड़ी प्यारी मीठी चूत है उसकी"

मेरे धक्का देने के पहले ही कीकियाती ज़िनी ने अचानक पीछे की ओर धक्का
लगाकर अपनी बुर मे मेरा लंड ले लिया. लगता है वह कुतिया काफ़ी गरमाई
हुई थी. एक बार मे मेरा लंड उसकी चूत मे जड़ तक समा गया.
मैं चिल्ला उठा. "रघु, कितनी मुलायम है मखमल जैसी! और इतनी गरम
है जैसे बुखार आया हो!"

"अरे कुत्तों का शरीर अंदर से ऐसा ही गरम होता है. इसलिए तो मैं मरता हू
इनपर. तू चिंता ना कर, शुरू हो जा." रघु के कहने पर मैने झुक कर ज़िनी का
मुलायम शरीर बाहों मे लिया और एक कुत्ते जैसा उसे चोदने लगा. वह
शांत खड़ी होकर चुदवाने लगी.

उसे मज़ा आ रहा था यह सॉफ था क्योंकि वह बार बार मूड कर मेरी ओर प्यार
से देखती और हल्के हल्के भोंक देती कि मेरे राजा, और ज़ोर से चोदो. मैं अब
पागल हो रहा था. कस के ज़िनी की चूत मे लंड पेलने लगा. चूत एकदम गीली
थी. थोड़ी ढीली भी थी. पर ज़िनी बीच बीच मे अपनी चूत भींच कर मेरे
लंड को पकड़ लेती तो मज़ा आ जाता.

मैने हचक हचक कर कुतिया को चोदते हुए रघु को कहा. "रघु दादा
बहुत मज़ा आ रहा है. पर इसकी चूत इतनी मुलायम और ढीली क्यों है? है तो
कमसिन कुतिया ना?"

रघु अब तक जाकर शेरू के पीछे बैठ गया था. उसके हाथ मे क्रीम की
बोतल थी. उंगली पर क्रीम लेकर उसने शेरू की पुंछ उठाई और कुत्ते की
गान्ड मे चुपाड़ता हुआ बोला. "अरे मैने बहुत बार चोदा है बेचारी को
इसलिए ढीली हो गयी है. आख़िर मेरा लंड लेगी तो और क्या होगा! पर तू देखता
जा, जब झडेगि तो देख क्या करती है"

मैं अब पूरे ज़ोर से ज़िनी को चोद रहा था. वह इतनी खुश थी की सिर घुमा
घुमाकर मेरा मूह चाट रही थी. पहले मैं अपना सिर हटाकर बचाता
रहा. पर अचानक मा बोली. "अरे चुम्मा दे दे बेचारी को, बड़ा मीठा
चुम्मा है उसका, स्वाद तो देख! अब तो तेरी दुल्हन है, दुल्हन का मूह नही
चूमेगा क्या?" मा का शरीर अब ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था क्योंकि टॉमी अब उसे
ऐसा चोद रहा था जैसे मार ही डालेगा.
मैने अपना मूह आगे बढ़ाया और ज़िनी मेरे होंठ चाटने लगी. उसकी
खुशबू बड़ी प्यारी थी. मैने आख़िर उसकी जीभ चूमि तो मज़ा आ गया. गीली
रसीली उस जीभ का मज़ा ही अलग था. साहस करके मैने अपना मूह खोला तो
ज़िनी ने बड़े सधे तरीके से मेरे मूह मे जीभ डाल दी और अंदर से मेरा मूह
चाटने लगी. उसकी चूत मे मेरे धक्के अब और तेज हो गये.

"ये हुई ना बात. अब मैं भी शुरू हो जाता हू, मुझसे नही रहा जाता. शेरू
राजा, आ जा मेरे पास. अम्मा इसकी गान्ड धोइ ना था?" कहकर रघु ने अपने
लंड पर क्रीम चुपड़ी और हाथ मे लेकर घुटने टेक कर शेरू के पीछे
बैठ गया.

मंजू हंस कर बोली. "हाँ बेटे, दोनों की खूब धोइ थी. अंदर पाइप डाल कर.
सॉफ है, तू चाहे तो जीभ भी डाल सकता है, लंड की क्या बात है."
शेरू जो उछल उछल कर मंजू को चोद रहा था, स्थिर हो गया और उत्तेजना से
कू कू करने लगा.

रघु हँसने लगा. "देखो कितनी जल्दी है साले को मेरा लंड लेने की. बड़ा
हरामी कुत्ता है. और ये टॉमी भी कम नही है. शेरू मेरे यार, ले मेरा
लंड, मज़ा कर दोनों ओर से" और उसने एक हाथ से शेरू की कमर पकड़कर
दूसरे हाथ से लंड को थामकर अपना सूजा हुआ सुपाड़ा कुत्ते के गहरे
भूरे रंग के गुदा पर रख कर पेल दिया. वह पक्क से अंदर समा गया. शेरू
एक बार कीकियाया जैसे उसे दुखा हो फिर चुप हो गया और जीभ निकालकर
हाँफने लगा.
 
रघु बोला. "शुरू मे दुखता है बेचारे को अब तक, जब कि कई बार मुझसे
गान्ड मरा चुका है. बस अब देखना कैसे मस्ती मे आता है" कहकर वह
धीरे धीरे कुत्ते की गान्ड मे लंड पेलने लगा.

मा बोली "अब तेरा एक आठ इंची जाएगा तो दुखेगा ही, आख़िर बेचारा कुत्ता ही
है, कोई घोड़ा या घोड़ी नही जिसकी छेद तुझे ले ले आराम से. और चूत होती तो
बात और है, उसकी गान्ड मे डालेगा तो दुखेगा ही इसे. पर है दोनों हरामी
कुत्ते, ना जाने इन्हे मराने मे क्या मज़ा आता है"

मंजू बोली "ये रघु की करतूत है. इसे ऐसी ही कुत्ते चाहिए थे जो गान्ड भी
मराते हो. उस औरत से ख़ास ट्रैनिंग दिलवाई है इन्हे. इतना ही नही, ये तो
घोड़ा भी ऐसा लाया है जो गान्ड मरवा लेता है तो कुत्तों की बात ही क्या है"
दो मिनिट बाद शेरू मूह घुमाकर रघु का हाथ चाटने लगा. रघु
बोला "अब मज़ा आया बेटे, अभी तो रुक, देख फिर कैसे गान्ड मारता हू तेरी." और
हौले हौले उसने पूरा लंड कुत्ते की गान्ड मे उतार दिया. एक दो बार थोड़ा
आगे पीछे होकर उसने लंड ठीक से बैठा है की नही इसकी तसल्ली करा ली और
फिर शेरू की कमर पकड़कर उसकी गान्ड मारने लगा.

शेरू ने एक दो बार कू कू किया और फिर वह भी मंजू को चोदने मे जुट
गया. कुछ देर उनकी लय बेमेल रही, कभी शेरू आगे होता और कभी रघु पर
जल्दी ही रघु और शेरू ने अपनी लय जमा ली. अब वे एक सुर मे चोदने लगे.
शेरू जब आगे होकर मंजू की चूत मे लंड पेलता तो रघु पीछे होकर
अपना लॉडा कुत्ते की गान्ड मे से आधा खींच लेता. जब शेरू मंजू की चूत
मे से लंड निकालता तो रघु आगे होकर कच्च से उसकी गान्ड मे जड़ तक
लंड पेल देता.

शेरू को इतना मज़ा आ रहा था कि वह जीभ निकालकर कू कू करता हुआ सिर
घुमाकर देखने लगा. "चुम्मा चाहिए मेरे राजा?" लाड से कहकर रघु
आगे झुका और कुत्ते की जीभ मूह मे लेकर चूसने लगा. वासना मे उसने
करीब करीब पूरी सात आठ इंच की जीभ अपने मूह मे निगल ली थी. शेरू की
गीली जीभ से टपकती लार अब उसके मूह मे जा रही थी जिसे रघु ऐसे निगल
रहा था जैसे अमृत हो.

यह देखकर मैं ऐसे मस्त हुआ कि मैने दोनों हाथों मे ज़िनी की तूथनी
पकड़ी और उसकी पूरी जीभ अपने मूह मे निगल ली. ज़िनी की लार मेरे मूह मे बह
रही थी. मेरी आँखों मे देखते हुए वह सुंदर कुतिया मानो कह रही थी कि
चूस लो मेरे स्वामी, मेरी हर चीज़ तुम्हारी है. उसकी लार चुसता हुआ मैं
अब हचक हचक कर ज़िनी को चोदने लगा. इस हालत मे मुझे लग रहा था
जैसे ज़िनी की लार मीठा शहद या चासनी का रस है.
इतनी उत्तेजना ज़्यादा देर रहना संभव नही था. पहले मंजू झड़ी और
कराहने लगी. उसके बाद शेरू झाड़ा और कू कू करता हुआ अपने आप को
रघु की गिरफ़्त से छुड़ाने की कोशिश करने लगा. रघु भी कुत्ते की गान्ड मे
एक दो करारे धक्के लगाकर अचानक झाड़ गया और लस्त होकर शेरू के उपर
अपना शरीर टिका कर हान्फता हुआ आराम करने लगा. शेरू किसी तरह उसका
भार सहने की कोशिश करता हुआ भोंकने लगा कि चलो हो गया, अब उतरो.
उधर मा दो तीन बार झाड़ गयी थी पर टॉमी अब भी उसपर लगा हुआ था.
अम्मा अब कराहने लगी. "छोड़ रे टॉमी! बहुत चोद लिया, अब चूत फट जाएगी,
मैं झाड़ गयी रे राजा, छोड़ ना!" और छूटने की कोशिश करने लगी. पर वह
कहाँ मानने वाला था. भोंक भोंक कर गुर्रा कर उसने मा को मना किया
और मेरी मा को चोदने की गति दूनी कर दी. बेचारी मा अब कराह रही थी.
उसकी चुदि बुर को यह घचा घच चुदाई सहना नही हो रही थी. "मंजू
कुछ कर ना! अब मार डालेगा ये कुत्ता मुझे!" वह याचना करने लगी.
"चुद लो मालकिन, पैसा वसूल कर लो, बड़ी फुदक रही थी चुदाने को, है
ना? अब वह कुत्ता भी नही छोड़ने वाला, कहता होगा अपनी मालकिन को पूरा
खलास करके ही झडुन्गा, उसे पूरा मस्त कर दूँगा" मंजू ने मज़ाक किया.
वह अब चूतड़ उपर करके नीचे लेट गयी थी कि शेरू का वीर्य बाहर ना
निकल आए.

मंजू बाई मुझे बोली "बेटे, अब समझ मे आया कुत्तों से चुदाई मे क्यों
मज़ा आता है, जबकि इनके लंड कोई बड़े नही है, तेरे जीतने ही है, बस थोड़े
और बड़े होंगे. पर ये घंटों चोदते हैं बिना झाडे, ये इनकी खूबी है"
आख़िर शेरू झाड़ा और मा लस्त होकर ज़मीन पर ढेर हो गयी. पर मैने
देखा कि मा ने भी चूतड़ उठाए रखे कि कुत्ते का वीर्य चूत मे ही रहे.
मैं सोच रहा था कि ये ऐसा क्यों कर रही है? मन मे शरारती ख़याल आया
कि कुत्ते से गर्भ तो नही रखना इन्हे, छोटे छोटे पप्पी जन्म देने को?
पर अब मैं भी झडने के करीब था. ज़िनी अब तक नही झड़ी थी और अपनी कमर
हिला हिला कर मस्त चुदवा रही थी.

इतने मे रघु उठा. शेरू की गान्ड से लंड निकालते हुए बोला. "मुन्ना, रुक,
झाड़ मत, बहुत मस्त चोद रहा है तू ज़िनी को. और तुझे उसका चुम्मा भी
मीठा लग रहा है, है ना? अब एक और आसान दिखाता हूँ, उसमे आराम से
अपनी रानी को तू चूम सकेगा"
उसके कहने पर मैने चोदना रोक कर कुतिया की चूत मे से लंड निकाल लिया.
वह कू कू करने लगी. रघु ने उसे उठाया और चूमता हुआ बिस्तर पर ले
गया. "रुक रानी, ऐसे मत कर, अब ठीक से आदमियों जैसे सामने से चुदा.
मुझसे बहुत बार चुदि है तू ऐसे, अब मुन्ना को चोदने दे."

रघु ने ज़िनी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया जैसे औरत हो. वह दुम हिलाते
हुए खुशी खुशी चारों पंजे हवा मे फैलाकर मेरी राह देखने लगी.
रघु ने उसके नीचे एक तकिया रखा और कहा. "अब चढ़ जा मुन्ना, ऐसे चोद
जैसे मा या मालकिन को चोदता है."

मैने ज़िनी की खुली रिसति चूत मे लंड डाला और अंदर बाहर करने लगा.
रघु बोला. "ऐसे नही, लेट जा उसपर, चिपक जा. तब आएगा मज़ा." मैं ज़िनी को
बाहों मे भरकर लेट गया. मुझे लगा था कि वह नाज़ुक खूबसूरत कुतिया
मेरा वजन सह पाएगी या नही पर उसने अपने पंजों से मुझे जाकड़ लिया
ऑरा मेरा मूह चाटते हुए छट पटाने लगी जैसे कह रही हो कि अ
 
मैने उसकी तूथनी का चुंबन लिया और अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी
जीभ से लड़ाने लगा. जल्द ही उसकी लंबी मासल जीभ मेरे मूह मे थी. उसे
चुसते हुए मैं हचक हचक कर ज़िनी को चोदने लगा. आमने सामने की
इंसानों के आसान की यह चुदाइ बड़ी मस्त थी. इतने पास से कुतिया की
आँखों मे जब मैने देखा तो किसी इंसान जैसा प्यार और वासना का भाव
उन आँखों मे पाया.

उधर मंजू अब टॉमी से अलग होकर चूतड़ हवा मे किए लेटी थी. बोली
"मालकिन अब जल्दी आ जाओ तो कुछ मस्त खा पी ले."

टॉमी भी अब मा की चूत से लंड निकालकर लेट गया था. मा अपने चूतड़
हवा मे किए हुए खिसककर मंजू के पास आई और उलटी दिशा मे उसके पास
लेट गयी. झट उन दोनों चुदैलो ने एक दूसरे की चूत मे मूह डाला और
उसमें से बह निकले कुत्तों के वीर्य पर ताव मारने लगी. मुझे यह
देखकर और ताव चढ़ रहा था. उनपर ईर्ष्या भी हो रही थी क्योंकि अब इस
हालत मे उन सुंदर कुत्तों के यौन रस को चखने को मैं भी बेताब था.
उधर वे कुत्ते भी शांत पड़े थे. हमेशा की तरह अपने लंड को नही
चाट रहे थे जैसे कुत्ते चुदाई के बाद करते है. मैं सोच रहा था कि क्यों
पर जल्द ही जवाब मिल गया. रघु उठाकर उनके पास गया और कुत्तों की टाँग
उठाकर उनके झाडे लंड मूह मे लेकर उन्हे प्यार से चूस कर सॉफ कर डाला.
दोनों दूँ हिला हिला कर कू कू करते हुए मानो कह रहे थे कि रघु तुम
तो हमसे भी अच्छे लंड चाटते हो.

ये सब विकृत कामुक क्रीडाये देखकर मैं झड्ने के करीब आ गया था.
मैने ज़िनी को कस कर भींचा और उसे बेरहमी से चोदने लगा. वह एक दो
बार कीकियाई पर उसे भी मज़ा आ रहा था. अचानक वह कुटिया झाड़ गयी. यह
मुझे तब पता चला जब उसकी ढीली मखमली चूत ने अचानक मेरे लंड
को ऐसे भींच लिया जैसे किसीने मुठ्ठी मे कस कर पकड़ लिया हो. इतना
सुखद दबाव था यह कि मैं भी एक चीख के साथ झाड़ गया.
ज़िनी की जीभ मेरे मूह से निकल गयी और वह ज़ोर ज़ोर से मेरी चेहरा चाटने
लगे जैसे कह रही हो कि वाह मेरे राजा, क्या चोदा है! मैं उठने लगा तो वह
दाँत निकाल कर गुर्राने लगी और मुझे पंजों से और कस कर पकड़ लिया. जब
मैने लंड बाहर खींचना बंद कर दिया तो वह फिर प्यार से मेरा मूह
चाटने लगी.

रघु उठकर मेरे पास आ कर बैठ गया. हँसते हुए बोला. "अब समझा
मुन्ना कुतिया कैसे कुत्तों के लंड पकड़ लेती है और छोड़ती नही, अब तू चुप
चाप पड़ा रह और मज़ा ले. जब यह पूरी झाड़ जाएगी तो अपने आप तुझे छोड़
देगी."

दस मिनिट ज़िनी मज़ा लेती रही और उसकी चूत खुल बंद हो कर मेरे लंड को
दुहति रही. आख़िर उसने मुझे छोड़ा और पंजे फटकारकर मेरे नीचे से
वह निकल आई और पास लेट कर आराम करने लगी.

"अरे अरे क्या ज़ुल्म करती है रानी, भूल गयी जो सिखाया था?" रघु की फटकार
सुनकर ज़िनी फिर पंजे हवा मे उठाकर अपनी पीठ पर लेट गयी. रघु उसके
पास गया और उसके निचले दो पैर पकड़कर उसे उठाकर अपने पास
खींचकर उसकी रिसति चूत मे मूह लगाकर चूसने लगा. कुतिया की चूत मे
से अब मेरा वीर्य और ज़िनी का रस बह रहा था. रघु उसे ऐसे चूस रहा था
जैसे मस्त शहद हो.

पूरी छूट खाली करके ही वह उठा. मूह पोछते हुए बोला. "मज़ा आ गया
मुन्ना. इसका रस तो कई बार पिया है मैने पर आज स्वाद और ही है. मेरी मा
और मालकिन को मालूम है ये स्वाद. पूछो क्या करती है जब मैं ज़िनी को चोद
लेता हू!"
 
मैं बोला. "मा, मुझे पहले ही बताना था. इतने दिन तुम लोग मज़ा कर रहे हो
मेरे बिना"

मा मुझे चूम कर बोली. "नही मेरे लाल, अब तू भी हमारे साथ आना इन
जानवरों से संभोग करने. रघु बेटे, अब मुन्ना को भी ले आया कर, उसे
सब सिखा दे. मैने सोचा कि तू छोटा है इन कुकर्मों के लिए, पर तू तो बड़ा
छुपा रुस्तम निकला. अब ये तीन कुत्ते कम पड़ेंगे. कम से कम तीन चार और
लगेंगे. तुझे मालूम है कि मुझे और मंजू को शेरू और टॉमी से एक साथ
चुदाने मे कितना मज़ा आता है. पर तीनों छेद एक साथ नहीं चुदते
हमारे. गान्ड और चूत चुदाये तो मूह रह जाता है. मूह मे लंड लो तो
गान्ड या चूत प्यासी रह जाती है. और मैं और मंजू एक साथ यह नही कर
पाते. एक को राह देखनी पड़ती है. और तुम लोगों का भी तो सोचना है."

"आप चिंता ना करो मालकिन, मैं अगले हफ्ते जाकर दो बड़े कुत्ते और एक कुतिया
और खरीद लाता हू. एक दो छोटे वाले खूबसूरत लॅप डॉग लाउन्गा. उन्हे
चूसने मे बड़ा मज़ा आएगा, चाकलेट जैसा."

"अब बाहर चलो, ज़रा मोती से भी इश्क कर ले. वो बेचारा फिर मस्त होकर तड़प
रहा होगा. मुझे मालूम है कि तू जंगल मे उसके साथ मज़ा करके आया है.
पर वो तो अरबी घोड़ा है, दिन मे चार पाँच बार भी झाड़ा दो तो भी लंड तैयार
रहता है उसका." मंजू बोली.

"अभी चलते हैं अम्मा, आज तो एक बार ही झड़ाया है. पर एक एक बार इन
कुत्तों को और चूस ले. अभी इनके लंड मे जान बाकी है. मुन्ना को भी स्वाद
दिखाना है. तब तक आप दोनों उस कुतिया के साथ मज़ा कर लो. वैसे अब और
मत रूको, मोती से चुद लो, बहुत मज़ा आएगा घोड़े का मूसल पेट मे ले कर"
रघु की बात मानकर मा और मंजू ज़िनी को लेकर बिस्तर पर लेट गयी और उससे
चिपट कर शुरू हो गयी. मा ने ज़िनी की जीभ चूसना शुरू कर दिया और मंजू
कुतिया की चूत पर टूट पड़ी.


"आओ मुन्ना, अब हम मस्त खेल खेलते हैं. एक साथ गान्ड भी मारेंगे इन
कुत्तों की और चूसेंगे भी. मैं अब टॉमी को लेता हू, तू शेरू को ले लेना. ले
शेरू की गान्ड मे क्रीम लगा" रघु बोला.

मैने डरते डरते उंगली पर क्रीम लेकर शेरू की गान्ड मे उंगली डाली, कि
कही वह भोंक कर काट ना खाए. पर वे दोनों कुत्ते महा चुदैल थे.
शेरू प्यार से शांत खड़ा होकर अपनी गान्ड मे क्रीम लगवाता रहा. शेरू
की गान्ड बड़ी मुलायम थी. ढीली भी थी. लगता है रघु ने उसकी कई बार
मारी थी.

उधर रघु अब टॉमी की गान्ड मे क्रीम चुपड कर उसे अपनी बाहों मे
लेकर बैठ गया और उठा कर उसकी गान्ड पर अपना लॉडा जमाकर कुत्ते को
नीचे दबाकर उसकी गान्ड मे लंड घुसेड़ते हुए अपनी गोद मे बिठा लिया.
टॉमी एक दो बार छटपताया पर एकाध दबी कू कू के सिवाय उसने
कुछ नही किया. उसे गोद मे लेकर रघु कुर्सी पर बैठ गया. मुझे बोला. "एक
मिनिट इधर आ मुन्ना और मेरे सामने नीचे बैठ. देख क्या माल है!
चुसेगा?"

टॉमी ने गर्व से अपने चारों पैर फैला दिए जैसे मुझे अपना बदन
दिखा रहा हो. उसका पेट भी मस्त चिकना था पर मेरा सारा ध्यान उसके
लंड पर था. लंड फिर खड़ा होकर थिरक रहा था. लाल लंड मे गुलाबी नसें
बड़ी प्यारी लग रही थी. बिलकुल किसी रसीले गाजर जैसा लग रहा था. एक बात
और थी, उनका सुपाड़ा नही था, लंड सामने से पतले और नुकीले थे,
मैने उसे हाथ मे ले लिया और दबाकर देखा. बड़ा गुदाज लंड था. नरम
और चिकना भी था. मैने अब धीरे धीरे टॉमी की मूठ मारना शुरू की
तो वह मस्ती से हल्के स्वर मे कीकियाने लगा.

रघु बोला. "अरे शरमाता क्या है? मूह मे ले कर देख! मज़ा आ जाएगा! हम
तीनों तो कब से इस माल पर ताव मार रहे है."

मैने मूह खोला और जीभ से टॉमी के लंड को कुलफी जैसे चाटा. टॉमी को
बहुत अच्छा अच्छा लगा, वह दुम हिलाने लगा. लंड मतवाला थोड़ा खारा
स्वाद था. लंड गीला भी था. रघु ने समझाया "अरे मुन्ना, कुत्तों के लंड
हमेशा उनकी चमड़ी के अंदर छुपे रहते हैं. इसलिए जब बाहर निकलते
हैं तो मस्त रसीले गीले होते है."

मैने आख़िर टॉमी का लंड मूह मे लिया और चूसने लगा. टॉमी का शेरू से
थोड़ा बड़ा था, करीब साढ़े छः-साथ इंच लंबा और एक इंच मोटा था पर
मुझे कोई कठिनाई नही हुई, जहाँ मैं रघु का पूरा केला लेकर चुसता था,
वह यह तो मानों गाजर था.
 
लंड की टिप पर एक बूँद थी जिसे मैने जीभ लगाकर चखा. अजीब सा स्वाद
था. रघु के वीर्य से अलग, पर था बड़ा मस्त! मैं आँखे बंद करके कुत्ते
का लंड चूसने लगा. रघु अब धीरे धीरे उपर नीचे होकर टॉमी की
गान्ड मार रहा था. टॉमी मस्ती मे भोंकने लगा. रघु मुड़कर मा को
बोला. "माजी देखो, मुन्ना भी इनका दीवाना हो गया. अब तो और कुत्ते जल्दी
लाना पड़ेंगे"

मा ज़िनी से अपना चुंबन तोड़ कर बोली. "अनिल बेटे, पूरा चूस ले रे राजा, बहुत
अच्छा स्वाद आता है. हाय हाय इस ज़िनी की जीभ इतनी मीठी है कि छोड़ी नही
जाती पर अब मेरी चूत कुलबुला रही है, ज़िनी से चटवा लेती हू, बहुत अच्छा
चोदति है जीभ से." कहकर मा घुटने टेक कर ज़िनी के मूह के उपर अपनी
चूत रख कर बैठ गयी और वह कुतिया जीभ डाल डाल कर मा की बुर चाटने
लगी. मंजू अभी भी ज़िनी की चूत मे मूह डाल कर मस्ती से चूस रही थी.

रघु बोला. "अब उठ मुन्ना. अब तू भी शेरू को मेरे जैसा गोद मे ले ले. फिर मस्ती
करेंगे."

मैं कुर्सी मे बैठा. शेरू उचक कर अपने आप मेरी गोद मे आ बैठा और
मेरा मूह चाटते हुए दुम हिलाने लगा कि जल्दी करो राजा. मैने उसे उठाया
और रघु ने मेरी सहायता की. उसकी गान्ड मेरे लंड पर जमाई और फिर
सुपाड़ा कुत्ते की गान्ड मे कर दिया. "अब खींच ले उसे अपनी गोद मे, अपने
आप तेरा लंड उसकी गान्ड मे चला जाएगा."

मैने शेरू को बाहों मे भरकर नीचे खींचा और मेरा लंड पूरा
कुत्ते की गान्ड मे समा गया. आहा हा, क्या गरम मुलायम गान्ड थी! मैं
झाड़ते झाड़ते बचा. शेरू भी मस्ती मे था, हिल दुलकर खुद की ही गान्ड
मरवाने की कोशिश करने लगा.
रघु उठ खड़ा हुआ. "चल मुन्ना, बिस्तर पर चल. अब आएगा मज़ा"
वह मा और मंजू के बाजू मे अपनी करवट पर लेट गया. उसके कहने पर
मैं उसके पास उलटी तरफ से अपनी करवट पर लेट गया. रघु ने खिसककर
हमारे शरीर इस तराहा लाए कि टॉमी का लंड मेरे चेहरे के सामने था
और शेरू का रघु के सामने.

"बस हो गया, अब जुट जा, लंड चूस और गान्ड मार. स्वर्ग का मज़ा आएगा. मैं
बहुत दिन से ये आसान करने की सोच रहा था पर एक मर्द की कमी थी, अब तू आ
गया है, मज़ा आ गया. बस एक बात का ख़याल रखना, ये कुत्तों के झड़ने के
बाद ही झड़ना, कुत्तों की मलाई का स्वाद तब ज़्यादा आएगा जब लंड खड़ा
होगा" कहकर रघु ने शेरू का लंड मूह मे लिया और चुसते हुए हचक
हचक कर टॉमी की गान्ड मारने लगा. मैने भी टॉमी का लंड मूह मे
लिया और शेरू के मुलायम गरम शरीर को बाहों मे भींच कर उसकी
गान्ड मारने मे जुट गया.

क्या मस्ती थी मैं बयान नही कर सकता. हमे देखकर हमारी माओं को
भी ताव चढ़ा. मा एक दो बार झाड़ चुकी थी, अब उसे ज़िनी की चूत मूह मे लेनी
थी. मंजू को हटाकर मा अपनी बुर अपनी उंगली से खोदती हुई ज़िनी की चूत
मूह मे लेकर आम जैसे चूसने लगी और मंजू ज़िनी की जीभ अपनी बुर मे
डालकर उससे सदका लगाने लगी.

मेरे और रघु के बीच दोनों कुत्ते दबे हुए थे. हम घचा घच उनकी
मार रहे थे. वी भी अपनी कमर हिलाकर भरसक हमारे मूह चोद रहे
थे. अपनी जीभ से वे हमारे पेट और जांघे चाट रहे थे. टॉमी का लंड
अब मेरे मूह मे तड़प सा रहा था. इतना मुलायम और रसीला लंड था की
लगता था कि चबा कर खा जाउ. जोश मे मैने एक बार उसे काट भी खाया.
शेरू बेचारा कीकियाने लगा. मुझे लगा कि भोंकने ना लगे पर शेरू को
शायद आदत थी. समझदार भी था. सिर मोड़ कर मेरी ओर देखा और जीभ
निकालकर हाँफने लगा. लगता था जैसे उसकी आँखें कह रही हो कि यार
चलो माफ़ किया, मैं जानता हू कि मेरा लंड ऐसा शानदार है, तुम चबा
जाना चाहते हो तो ठीक है पर काटो तो मत!
 
बहुत देर हम स्वर्ग मे थे, पर फिर नीचे आ गये. पहले टॉमी झाड़ा और
मेरा मूह चिप चिपे पानी से भर गया. मेरी उत्तेजित अवस्था मे मुझे लगा कि
मूह मे अमृत आ गया हो. कुत्ते के लंड को खूब चुसते हुए बूँद बूँद मैने
निचोड़ ली. शेरू के झदने का मुझे पता चला जब उसकी गान्ड ने मेरे लंड
को कस कर पकड़ लिया और वह कीकियाने लगा. मैं भी तिलमिला कर शेरू की
गान्ड मे झाड़ गया. रघु भी दो मिनिट के अंदर झाड़ गया.
उधर वी तीनों चुदैल मादाएँ, अम्मा, मंजू और ज़िनी भी झाड़ झाड़ कर
तृप्त हो गयी थी. हम इतने थक गये थे कि हमारी आँख लग गयी.

जब मैं उठा तो बाकी सब पहले ही जाग गये थे. तीनों कुत्ते बेचारे गहरे
नींद सोए थे. मंजू और रघु अम्मा के सामने खड़े थे. मा सिर हिला कर
मना कर रही थी. "अरे मैं नही चुदाति बाबा मोती से, मरना है क्या?"

मंजू मा की चुचि दबाते हुए बोली. "चुदवा लो दीदी, बहुत मज़ा आएगा. एक
बार घोड़े का लोगि तो और कोई अच्छा नही लगेगा."

अम्मा कानों पर हाथ रखकर मना करने लगी. "इसीलिए तो नही
चुदवाना मुझे, मेरी पूरी चौड़ी कर देगा, फिर मेरे लाल को क्या मज़ा आएगा
अपनी मा को चोदने मे, आख़िर जनम भर मेरे बेटे से भी चुदवाना है
मुझे."

रघु ने भी आग्रह किया. "चुदवा लो मालकिन, मोटी मस्त चोदेगा, बहुत
प्यार से डालेगा, बड़ा शांत और समझदार जानवर है, जब तुम उसका
लंड चुसती हो तो देखा नही कैसे चुप चाप खड़ा रहता है! और मुन्ना तो
तुम्हारी गान्ड का दीवाना है, बुर चुसेगा और गान्ड मारेगा, आपकी बुर
का भोसड़ा हो भी गया तो उसे कोई फरक नही पड़ेगा!"

"अरे तो अपनी अम्मा को क्यों नही चुदवा लेता पहले? इस प्यारे घोड़े का
लंड चूसने मे तो बहुत आनंद आता है, मुझे भी और तेरी इस रंडी अम्मा को
भी, पर चुदवाने की बात और है, चूत फाड़ देगा ये बदमाश" मा अब
धीरे धीरे अपनी बुर मे उंगली कर रही थी. सॉफ था कि वह बहुत उत्तेजित हो
गयी है पर डर रही थी!

मंजू ने फिर मा को बाँहों मे लेकर चूमते हुए कहा. "अरे मालकिन, आपने
तो बच्चे जने है, उससे ज़्यादा क्या चूत फटेगी? आप फालतू मे डरती हो.
चलो, पहले मैं चुदा लूँगी, फिर आप चुदा लेना!"
मा ने कहा. "ठीक है, कल देखेंगे, पर अभी तो चलो मोती के पास, बेचारा
लंड खड़ा करके हमारी राहा देख रहा होगा."
--- भाग 12 समाप्त ---
 
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