XXX Chudai Kahani गन्ने की मिठास - Page 4 - SexBaba
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XXX Chudai Kahani गन्ने की मिठास

रमिया- हाँ बाबा जी

राज- ठीक है तो आज हम तुम्हे अपना लंड चूसाएगे बोलो चुसोगी

मेरा इतना कहना था कि रमिया ने मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया और जैसे ही मेरे खड़े मोटे लंड को देखा तो उसकी आँखे खुली की खुली रह गई,

राज- क्या देख रही हो बेटी

रमिया- बाबा जी आपका लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है आपका लंड तो भैया से भी दोगुना नज़र आ रहा है

राज- बेटी तुम्हारे जैसी जवान लोंदियो को ऐसे ही मोटे लंड से ज़्यादा मज़ा आता है, क्या तुम नही चाहती कि तुम्हारी गंद और चूत का छेद तुम्हारी मा सुधिया जैसा हो जाए,

मेरा इतना कहना था कि रमिया ने मेरे लंड के टोपे को अपनी जीभ निकाल कर चाटना शुरू कर दिया और मैं झुक कर उसके मोटे-मोटे बोबे को खूब कस कस कर मसल्ने लगा,

रमिया को अपना लंड चूसा-चूसा कर रामू ने एक दम उसे एक्सपर्ट बना दिया था और वह बड़े ही मस्त तरीके से मेरा लंड चूस रही थी, उधर रामू एक हाथ से चंदा के बोबे मसल रहा था और दूसरे हाथ से रुक्मणी चाची की मस्त चिकनी चूत को बड़े प्यार से सहला रहा था, रुक्मणी भी पूरी मस्ती मे चंदा की रसीली चूत चाट रही थी, चंदा रामू के लंड को अपने हाथो मे भर-भर कर दबोच रही थी,

रुक्मणी- रामू चंदा की चूत का छेद कितना बड़ा लग रहा है जैसे यह रोज चुदवाती हो

रामू- अरे नही चाची आज कल की लोंदियो की चूत का गुलाबी छेद जल्दी ही उनकी उमर के साथ बढ़ने लगता है रमिया की चूत का छेद तो चंदा की चूत से भी बड़ा नज़र आता है लगभग तुम्हारी चूत के जैसा दिखने लगा है,

रुक्मणी- मुस्कुराते हुए और अपनी मा सुधिया के भोस्डे के बारे मे क्या ख्याल है तेरा,

रामू- चाची की चूत मे उंगली पेल कर उसे चूमता हुआ हे चाची क्यो मा की मस्तानी छूट की याद दिलाती हो चलो मेरा मोटा लंड एक बार तुम चूस कर अपनी बेटी की गुलाबी चूत मे लगाओ और तुम चंदा के मूह के पास आकर बैठ जाओ और अपनी जंघे फैला लो ताकि मैं तुम्हारी बेटी को चोद्ते हुए उसकी मा की रसीली फूली हुई बुर को चूस सकु और फिर रामू ने अपने लंड को रुक्मणी के मूह मे दे दिया और रुक्मणी ने उसे अच्छे से चूसना शुरू कर दिया

रमिया लगातार मेरे लंड को खूब दबोचे जा रही थी और मैने अपने दोनो हाथो से उसके मोटे-मोटे दूध दबा-दबा कर लाल कर दिए थे उसका गुलाबी निप्पल बहुत कड़ा हो गया था और उसे मैं अपने होंठो से खूब दबा-दबा कर चूस रहा था, फिर मैने रमिया की दोनो जाँघो को खूब फैला दिया और सच आज पहली बार किसी जवान लोंड़िया की चिकनी चूत देख रहा था मैने उसकी चूत की फांको को फैला कर उसके गुलाबी रस से भीगे छेद को चाटने लगा और रमिया ओह बाबा जी सी आह बहुत अच्छा लग रहा है और चतो आह आह करने लगी,

उधर रुक्मणी ने रामू के लंड को पूरा गीला कर दिया और फिर उसे अपनी बेटी चंदा की मस्तानी चूत से लगा कर रामू की ओर इशारा किया और रामू ने सटाक से एक करारा धक्का चंदा की चूत मे मार दिया और चंदा आसानी से रामू के लंड को पूरा अंदर उतार गई और रामू उसकी चूत मे चढ़-चढ़ कर उसे चोदने लगा चंदा सिसकिया लेती हुई अपनी मा के बोबे से खेलने लगी और रामू चंदा के उपर लेट गया और अपने मूह को रुक्मणी चाची की चूत से सटा कर उसकी बुर चाटते हुए चंदा को खूब कस कस कर ठोकने लगा,

मुझे रमिया की चूत का रस पागल किए जा रहा था मैं जितनी बार रमिया की चूत का रस चूस्ता उसकी चूत और भी रस छ्चोड़ने लगती, रमिया मेरे सर को अपनी चूत मे दबाती हुई कह रही थी, ओह बाबा जी आप तो रामू भैया से भी अच्छा चूस्ते हो, ओह बाबा जी खा जाओ मेरी चूत को फाड़ दो बाबा जी आह आह सी ओह मा मर गई

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--22

गतान्क से आगे......................

रामू रुक्मणी की चूत को खूब फैला कर चाट रहा था और इसकी वजह से उसके लंड मे बहुत तनाव आ रहा था और वह चंदा को खूब रगड़-रगड़ कर चोद रहा था, चंदा ठुकवाने मे एक्सपर्ट थी इसलिए अब वह अपनी गंद उछाल-उछाल कर रामू के लंड पर बहुत तेज़ी से मार रही थी और रामू भी उसके जोरदार धक्को का जवाब खूब हुमच-हुमच कर दे रहा था, तभी रामू ने अपना लंड बाहर निकाल कर खुद नीचे लेट गया और चंदा को अपने लंड पर बैठा लिया और फिर रुक्मणी चाची को अपनी चूत अपने मूह पर रख कर बैठने को कहा रुक्मणी ने अपनी दोनो जाँघो को रामू के आजू बाजू करके उसके मूह पर अपनी चूत खोल कर बैठ गई,

अब चंदा रामू के लंड पर तबीयत से कूदने लगी और इधर रुक्मणी अपनी फूली चूत को रामू को चूसाने लगी, दोनो मा बेटियाँ घोड़ी की तरह मस्ता रही थी और अपनी-अपनी चूत से रामू को रगड़ रही थी पूरे कमरे मे उन रंडियो की चूत की मादक गंध फैल गई थी,

मैं रमिया की गुलाबी चूत को बड़े प्यार से अपने होंठो मे दबा कर खिचता और उसके दाने को चूस्ते हुए सोच रहा था कि जब रमिया की चूत इतनी खूबसूरत है जब कि वह गाँव की लोंड़िया है तो फिर मेरी खुद की बहन संगीता तो रमिया से काफ़ी बड़ी हो गई है और उसका बदन भी खूब भरा हुआ है तो फिर उसकी चूत कितनी मस्त होगी और फिर मेरी मम्मी रति की चूत कितनी बड़ी और फूली होगी पता नही मम्मी और संगीता अपनी चूत के बाल साफ करती होगी या नही, वैसे मम्मी मेकप तो बहुत करती है और अपने होंठो पर लिपस्टिक लगाना कभी नही भूलती है ज़रूर मम्मी का मन भी खूब चुदवाने का होता होगा,

उधर चंदा ओह रामू भैया बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा और रामू के लंड पर कूदते हुए रामू के मूह के उपर अपनी चूत फैलाए बैठी अपनी मम्मी की पीठ से चिपक जाती है और उसका पानी छूट जाता है तभी रामू चाची की चूत के खड़े दाने को खूब कस कर पकड़ लेता है और उसका भी पानी चंदा की चूत मे छूट जाता है

रुक्मणी आह आह करती हुई अपनी चूत को लगातार रगड़ रही थी और चंदा हाफते हुए एक और लुढ़क जाती है तभी रुक्मणी रामू के लंड के उपर से उठ कर उल्टी होकर घूम कर रामू के मूह पर अपनी गंद झुका कर लगा देती है और रामू का रस से भीगा लंड अपने मूह मे भर कर उसे चूसने लगती है, रामू का लंड जैसे ही चाची के मूह मे जाता है रामू चाची की गंद और चूत के छेद को खूब फैला कर चूसने और चाटने लगता है,

रमिया से अब रहा नही जा रहा था और वह बार-बार अपनी चूत उठा कर मेरे मूह पर मार रही थी कभी-कभी तो वह पूरी ताक़त से अपनी चूत मेरे मूह पर रगड़ने लग जाती थी मैने देर करना ठीक नही समझा और रमिया को खड़ी करके उसे आँगन की तरफ ले गया, मैं आज रमिया की चूत मे अपना मोटा लंड इतना ज़ोर से पेलना चाहता था कि रमिया भी हमेशा मेरे मोटे तगड़े लंड को याद करे,

मैने रमिया को घोड़ी बना कर झुका दिया और उसकी गंद को खूब अच्छे से उपर की ओर उभार दिया फिर मैने अपने मोटे लंड पर तेल लगा कर उसे खूब चिकना कर दिया और पिछे से रमिया की चूत मे अपना लंड लगा कर उसकी मोटी-मोटी गंद को खूब कस कर दबोच लिया और ऐसा जोरदार धक्का उसकी चूत मे मारा कि रमिया ज़ोर से चिल्ला उठी,

ओह बाबा जी मर गई रे आ उसके चेहरे पर दर्द उभर आया और उसकी आवाज़ सुन कर सभी का ध्यान इस ओर हो गया हालाकी रामू अब चाची के उपर चढ़ कर चोद रहा था लेकिन चंदा वह आवाज़ सुन कर उठ कर बाहर आकर हमे देखने लगी चंदा ने जैसे ही देखा कि मेरा आधे से ज़्यादा लंड रमिया की चूत मे फसा है मैने चंदा को देखते हुए दूसरा जोरदार धक्का रमिया की चूत मे ऐसा मारा कि मेरा पूरा लंड रमिया की चूत को खोलता हुआ जड़ तक समा कर उसकी मस्तानी बुर मे फिट हो गया और रमिया आह सी सी ओह बाबा जी बहुत बड़ा है आपका मैं मर जाउन्गि आह आह ओह.

मैं अब रमिया की चूत को धीरे-धीरे चोदते हुए उसकी मोटी गंद को फैला-फैला कर सहला रहा था तभी चंदा जो बड़े गौर से मेरे मोटे तगड़े लंड को रमिया की लाल नज़र आ रही चूत मे आते जाते देख रही थी, कहने लगी बाबा जी हमे भी रमिया दीदी की तरह ऐसे ही ज़ोर से चोदेगे क्या,
 
मैने रमिया की चूत ठोकते हुए कहा क्यो तुम्हे रामू से मज़ा नही आया क्या

चंदा- बाबा जी आया तो है पर जितना तेज आप चोद्ते है उतना तेज तो मेरे बापू भी नही चोद्ते है और ना रामू भैया, देखो ना आपके इतना तेज चोदने से रमिया दीदी को कितना अच्छा लग रहा है,

रमिया- आह सी सी बाबा जी चंदा ठीक कह रही है आह सी ऐसे ही ज़ोर से ठोकिए आप बहुत मस्त चुदाई करते है

मैने रमिया की बात सुन कर उसकी चूत को खूब कस-कस कर ठोकने लगा और रमिया खूब सीसीयाने लगी

ओह बाबाजी बहुत मोटा और डंडे जैसा तना हुआ है आपका लंड, सच बाबा जी आपका लोडा तो मेरी मा सुधिया के भोस्डे के लायक है और मारिए आज फाड़ दीजिए मेरी चूत,

रमिया की बुर बिल्कुल रसीली हो गई थी और जहाँ मैने एक करारा धक्का उसकी चूत की जड़ मे मारा रमिया एक दम से मुझसे कस कर चिपक गई और उसकी चूत मेरे लंड को दबोचे हुए पानी छ्चोड़ने लगी, मैं अभी झाड़ नही पाया था और रमिया सुस्त पड़ गई तभी चंदा ने मेरे लंड को रमिया की चूत से बाहर खींच कर अपने मूह मे भर कर चूसने लगी,

चंदा-बाबा जी आपका तो मेरे बापू से भी ज़्यादा मोटा और तगड़ा है इसे पिछे से मेरी चूत मे डाल कर खूब कस-कस कर चोद दीजिए और फिर चंदा अपनी मोटी गंद उठा कर किसी कुतिया की तरह झुक कर अपनी गंद हिलाने लगी उसका गुलाबी भोसड़ा देख कर मैने उसकी चूत मे अपना लंड लगा कर अच्छे से रगड़ने लगा और फिर उसकी चूत मे लंड लगा कर एक तगड़ा धक्का मार दिया और मेरा लंड कच्छ से चंदा की चूत को फाड़ता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर उतर गया और चंदा ने अपनी मोटी गंद और उपर उठा कर उल्टा मेरे लंड पर धकेलते हुए ओह बाबा जी बहुत मस्त लंड है आपका चोदो बाबा जी खूब कस कर चोदो,

मैं चंदा की चूत ठोकते हुए सोचने लगा जब यह ज़रा सी लोंड़िया इतने मस्त तरीके से अपनी चूत मे मेरा तगड़ा लंड लेकर मरवा रही है तो मेरी बहन संगीता कितने प्यार से अपने भैया का लंड लेगी, मैं सोच रहा था कि मेरा लंड वाकई बहुत मोटा और लंबा है,

उधर रामू चाची की मोटी गंद के नीचे हाथ डाल कर उसे उपर उठाए हुए उसकी चूत मे सतसट लंड पेल रहा था और रुक्मणी अपनी मोटी जाँघो को रामू की कमर मे लपेटे खूब मस्त तरीके से चुद रही थी उपर से रामू धक्का मारता तब रुक्मणी नीचे से अपनी गंद उठा कर रामू के लंड पर अपनी चूत का धक्का मार देती,

मैने चंदा को लगभग गोद मे उठा कर अपने लंड पर बैठा लिया चंदा मेरे सीने से चिपकी हुई थी और मैं उसकी चूत चोद रहा था तभी चंदा मेरे उपर चढ़ि-चढ़ि ही मूतने लगी और उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया मेरा पानी फिर भी नही निकला तब चंदा नीचे उतर आई और फिर रमिया और चंदा दोनो मेरे लंड को पागलो की तरह चूमने और चाटने लगी दोनो मेरे लंड को एक दूसरे के मूह से छुड़ा कर चूसने की कोशिश कर रही थी दोनो की रसीली जीभ से मेरे लंड मे खूब मस्ती आने लगी और फिर मैने एक दम से पानी छ्चोड़ना शुरू किया तो दोनो मेरे वीर्य को चूस-चूस कर चाटने लगी और मेरे लंड को पूरा चाट-चाट कर साफ कर दिया,

उधर रामू भी चाची की चूत मे पानी छ्चोड़ चुका था और चाची के नंगे बदन पर लेटा हुआ साँसे ले रहा था, कुच्छ देर बाद रामू अपनी धोती पहन कर बाहर आ गया और फिर चाची और चंदा और रमिया ने भी अपने -अपने कपड़े पहन लिए, शाम के 4 बज चुके थे और चाची ने हमारे लिए नीबू का शरबत बनाया और शरबत पीने के बाद रामू और रमिया मुझसे विदा लेकर अपने घर की ओर चल दिए,

शाम को करीब 6 बजे हरिया वापस आ गया और फिर घर के आँगन मे खाट डाल कर मुझे बैठने को कहा और फिर हरिया अपनी चिलम बनाने लगा,
 
हरिया- बाबू जी आज तो आपने जब से हमे कहा है कि कल तुम्हे सुधिया चोदने को मिल जाएगी तब से क्या बताए बहुत लंड खड़ा हो रहा है, सच बाबू जी बड़ा ही मस्त माल है, काश रामू की जगह मैं सुधिया का बेटा होता तो दिन रात उसे नंगी ही अपने साथ रखता,

राज- हरिया एक बात तो है जिन औरतो की जंघे खूब मोटी होती है पेट खूब उभरा हुआ रहता है और गंद काफ़ी फैली और मोटी होती है वह औरते चोदने मे बड़ा मज़ा देती है,

हरिया- बाबू जी जब आप अपने से बड़ी उमर की औरत को चोदोगे तब और भी मज़ा आएगा, आज बाबूजी हम आपके लिए मस्त चिलम बना रहे है खूब मस्त नशा देती है,

हरिया के साथ मैने उसकी चिलम का कश इसलिए ले लिया कि आज हरिया की चिलम पीकर उसी की बीबी को चोदने का मोका मिल रहा था और रुक्मणी का बदन भी काफ़ी भरा हुआ था और गोरी भी बहुत थी मेरा लंड उसकी मोटी गंद देख कर खड़ा हो चुका था, हम लोगो ने चिलम ख़तम की अब कुच्छ अंधेरा होने चला था और हरिया ने रुक्मणी को बुलाया और कहा कि बाबा जी का पूरा ख्याल रखना और उनके लिए बढ़िया खाने की व्यवस्था करना मैं चंदा को लेकर आज खेतो मे ही सोउँगा,

उसके बाद हरिया चंदा के साथ खेतो की ओर चल देता है और मैं नशे मे मस्त होकर घर के काम मे लगी रुक्मणी को देख कर अपना लंड मसल रहा था, मुझे रुक्मणी चाल चलन से बहुत ही चालू और बिंदास नज़र आ रही थी जबकि मैं जब सुधिया से मिला था तो वह काफ़ी शर्मा रही थी,

रुक्मणी ने जब अपना काम समाप्त कर लिया तब वह मेरे पेरो के पास ज़मीन पर हाथ जोड़ कर बैठ गई और कहने लगी बाबा जी आप कहे तो आपके लिए खाना निकालु

राज- बेटी हम भोजन 10 बजे के बाद ही करेगे

रुक्मणी- बाबा जी अब हमारे घर मे सुख शांति रहेगी ना

राज- मैने रुक्मणी के गोरे-गोरे भरे हुए गालो को सहलाते हुए कहा बेटी तू चिंता मत कर चल अब घर के अंदर चल और मैं तुझे सभी विधि बता देता हू फिर उस हिसाब से तुझे पवित्र करके तेरी सभी समस्याओ से निजात दिलाता हू,

रुक्मणी अंदर आ गई और मैं भी अंदर आ गया रुक्मणी ने दरवाजा लगा लिया और मुझे बैठने को कहा और फिर मेरे सामने खड़ी होकर कहने लगी हाँ बाबा जी अब बताइए क्या करना है मुझे,

राज- बेटी सबसे पहले तुम्हे पूरी नंगी होकर स्नान करना होगा लेकिन ध्यान रहे स्नान करने के बाद बदन पोच्छना नही सीधे नंगी ही मेरे सामने आना होगा फिर मैं तुम्हारे बदन को अपने शुद्ध वस्त्रा से पोंच्छूंगा, रुक्मणी का चेहरा मेरी बाते सुन कर लाल हो चुका था और वह एक टक मुझे गौर से देखने लगी,
 
राज- क्या हुआ बेटी कुछ दिक्कत है क्या

रुक्मणी नही बाबा जी मैं अभी स्नान करके आती हू और फिर रुक्मणी आँगन मे मेरे सामने अपनी साडी उतारने लगी और फिर वह पेटिकोट और ब्लौज मे आ गई उसकी उठी हुई गंद और गोरा-गोरा मसल पेट देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और रुक्मणी बड़े मस्त तरीके से अपने ब्लौज के बटन खोल कर उतारने लगी, रुक्मणी ने जैसे ही ब्लौज खोला उसके मोटे-मोटे दूध खुल कर बाहर आ गये फिर रुक्मणी ने अपने पेटिकोट का नाडा खोल कर जैसे ही पेटिकोट को छ्चोड़ा रुक्मणी पूरी नंगी मेरे सामने झुक कर अपने नंगे बदन पर पानी डाल कर नहाने लगी मैं तो उस भरे बदन की गोरी जवान औरत का नंगा रूप इतने करीब से देख कर पागल हो गया, मेरा लंड इतना ज़ोर से खड़ा था कि लग रहा था कि लंड की नशे फट जाएगी,

नहाने के बाद रुक्मणी पूरी नंगी खड़ी मेरी ओर देखने लगी जैसे पुच्छ रही हो कि अब क्या करना है मैने उसे इशारे से मेरे पास बुलाया और कहा कि देखो रुक्मणी अब मैं तुम्हारे पूरे बदन पर तेल लगा कर तुम्हे पवित्र करूँगा, क्या तुम इसके लिए तैयार हो

रुक्मणी- जी बाबा जी

राज - ठीक है एक आसान लो और उस पर बैठ जाओ और फिर रुक्मणी एक आसान ले कर अपनी दोनो मोटी जंघे फैला कर बैठ गई, रुक्मणी के चेहरे को देख कर लग रहा था कि वह खूब अंदर ही अंदर मस्ती से भर चुकी है,

मैने जब उसकी दोनो जाँघो पर तेल लगा कर उसकी मोटी मोटी जाँघो को मसलना शुरू किया तो रुक्मणी के मूह से सिसकी निकल गई,

राज- क्या हुआ रुक्मणी तुम आँखे बंद करके क्यो बैठी हो

रुक्मणी- बाबा जी आपके सहलाने से मुझे बहुत अच्छा लग रहा है

राज- बेटी हम तो तुम्हे अपनी बेटी समझ कर तुम्हे पवित्र कर रहे है, और फिर मैने खूब सारा तेल रुक्मणी के दोनो मोटे मोटे दूध पर डाल कर उसके दूध को खूब कस कस कर दबोचते हुए सहलाने लगा,

रुक्मणी- आह बाबा जी इस तरह तो कोई बेटा अपनी मा को भी पवित्र करेगा तो उसकी मा गरम हो जाएगी,

मैं रुक्मणी के दूध पेट और मोटी जाँघो पर तेल लगाने के बाद जैसे ही रुक्मणी की और देखा रुक्मणी ने मेरी ओर मुस्कुरा कर देखते हुए अपनी मोटी जाँघो को पूरी तरह खोल दिया और मैं रुक्मणी की पाव रोटी की तरह फुल्ली हुई चिकनी गुदाज चूत देख कर मस्त हो गया,

रुक्मणी- मुस्कुराते हुए क्या देख रहे है बाबा जी लगाइए ना तेल, मैने रुक्मणी की बात सुन कर जल्दी से उसकी फूली चूत को अपने हाथो से भर कर दबोच लिया,

रुकमनि- आह बाबा जी यह क्या कर रहे है आप तो मेरी चूत मे तेल लगाने के बजाय उसे दबोच दबोच कर मसल रहे है,

राज- बेटी तुम्हारी चूत को अंदर तक तेल लगा कर पवित्र करना होगा क्यो कि तुमने पराए मर्दो का लंड इसमे डलवा-डलवा कर इसे अशुद्ध कर दिया है तुम अपनी पीठ मेरे सीने से लगा कर अपनी जाँघो को थोड़ा फैला कर बैठ जाओ ता कि मैं तुम्हारे सीने पर और पीठ पर भी तेल लगा दू,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--23

गतान्क से आगे......................

रुक्मणी मेरी बात सुन कर घूम कर मेरे सीने से बिल्कुल अपनी पीठ सटा कर बैठ गई उसकी मोटी गंद से मेरा लंड भिड़ गया और मैने उसके आगे हाथ ले जाकर उसके दूध को खूब कस-कस कर दबाना शुरू कर दिया,

राज- रुक्मणी

रुक्मणी- आह जी बाबा जी

राज- तुमने लगता है पराए मर्दो से अपने बदन को खूब दब्वाया है

रुक्मणी- क्या करू बाबा जी इसमे मेरी ग़लती नही है मेरा आदमी हरिया बहुत चुड़क्कड़ है जिसके भी औरत को उसका मन चोदने का होता है वह मुझे आगे करके उसे चोद लेता है,

राज- मतलब बेटी

रुक्मणी- अपनी जाँघो को फैला कर मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी चूत मे रख लेती है और कहती है बाबा जी ज़रा यहाँ तेल लगाओ फिर मैं आपको मेरी बात का मतलब बताती हू

मैने रुक्मणी की चूत की फांको को दोनो हाथो से अच्छे से फैला लिया और उसकी चूत को खूब सहलाने लगा,

रुक्मणी- बाबा जी एक बार मेरा बड़ा भाई अपनी बीबी के साथ हमारे यहाँ आया, उसकी बीबी बहुत मस्त माल थी कोई भी मर्द उसकी मोटी गंद और दूध देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाए, हरिया की तो लार टपकने लगी थी हरिया मुझसे कहने लगा एक बार तेरी भाभी की दिलवा दे बहुत मस्त माल है,

मैने कहा मैं कैसे दिलवा दू तब हरिया मुझसे कहने लगा अपने भैया का लंड अपनी चूत मे लेगी बड़ा मोटा लंड है उसका मेरे लंड से डबल है तुझे रात भर नंगी करके चोदेगा सच तू मस्त हो जाएगी,

हरिया बहुत चालाक है वह औरत की कमज़ोरी जानता था इसलिए ऐसी बाते वह मेरी चूत का दाना सहलाते हुए कह रहा था, मैने कहा मैं नही जानती जो तुम्हारा मन कहे वह करो,

राज- फिर क्या हुआ बेटी

रुक्मणी- फिर क्या था बाबा जी हरिया ने मेरे भैया को बाहर खाट पर बैठा कर चिलम पिलाना शुरू कर दिया, मैं और मेरी भाभी वही घर के अंदर थी मेरा दिल किया कि जाकर सुनू तो सही दोनो क्या बात कर रहे है और फिर मैं चुपके से भाभी से काम का बहाना करके दीवार के पिछे छुप कर उनकी बाते सुनने लगी,

हरिया ने भैया को चिलम पिला कर नशे मे धुत्त कर दिया था,

भैया- और बताओ जमाई बाबू कैसा चल रहा है सब,

हरिया- अरे क्या बताऊ साले साहब जब से शादी हुई है तुम्हारी बहन बहुत परेशान करती है, सच साले साहेब बहुत चुदासी है तुम्हारी बहन खूब मोटा लंड चाहिए उसे अपनी चूत मे, उसकी गंद देखी है कैसे चुदवा चुदवा के मोटी हो गई है,

भैया- अरे वह तो हर औरत चुदवाती है पर इसमे नया क्या है,

हरिया- अरे तुम नही जानते उसे रोज लंड चाहिए और कभी कभी तो चुदते समय तुम्हारे लंड की बाते करने लगती है,

भैया- क्या कहती है मेरे बारे मे

हरिया- कहती है भैया का लंड बहुत मोटा है एक बार तुम्हे उसने मुतते हुए देखा था तब से तुम्हारे लंड को लेने के लिए बहुत तड़पति है, हरिया की बाते सुन कर भैया का लंड खड़ा हो गया था और वह मसल्ने लगे थे,

हरिया- मुस्कुराते हुए क्या हुआ अपनी बहन को चोदने का मन कर रहा है ना

भैया- अब तुम ऐसी बाते करोगे तो लंड तो खड़ा होगा ना

हरिया- आज चोदोगे अपनी बहन को

भैया- पर रुक्मणी क्या मान जाएगी

हरिया- पहले कहो तो चोदोगे क्या

भैया- हाँ चोदने का मन तो बहुत हो रहा है, भैया की बात सुन कर मेरी चूत से पानी आ गया तभी हरिया ने मुझे आवाज़ दी और मैं एक दम से संभाल कर उसके पास पहुच गई,

हरिया ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया और मेरे मोटे-मोटे दूध मेरे भैया के सामने मसल्ने लगा,

रुक्मणी- अरे छ्चोड़ो यह क्या कर रहे हो भैया बैठे है तुम्हे शरम नही आती

हरिया- अरे मेरी रानी तेरा भैया भी तो तेरे मोटे-मोटे दूध मसलना चाहता है आ अच्छे से खाट पर चढ़ कर बैठ जा, फिर हरिया ने मुझे खाट पर बैठा कर मेरी साडी उपर कर दी और भैया को जैसे ही मेरी मोटी जंघे नज़र आई उनसे नही रहा गया और उन्होने भी मेरी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोच लिया, भाभी तो पहले से ही चुड़क्कड़ थी उसने भैया के कहने पर हरिया से अपनी चूत मरवाई और भैया ने उस रात मुझे पूरी नंगी करके खूब कस कस कर चोदा,

रुक्मणी की बाते सुन कर मेरा लंड उसकी गंद से सटने लगा और अचानक रुक्मणी ने अपना हाथ पिछे लाकर मेरे लोहे जैसे तने लंड को अपने हाथो मे भर कर दबोच लिया,
 
रुक्मणी- वाह बाबा जी कितना मस्त हथियार छुपा रखा है आपने अब मुझसे नही रहा जाता बाबा जी जबसे मैने आपका मोटा लंड रमिया की चूत मे आते हुए देखा था तब से आपसे चुदने के लिए मरी जा रही हू,

राज- बेटी अब सिर्फ़ तुम्हारी मोटी गंद मे तेल लगाना बाकी बचा है,

रुक्मणी- बाबा जी पहले मेरी चूत को खूब अच्छे से ठोंक दो फिर तो सारी रात पड़ी है आराम से मेरी गंद मे तेल लगा कर रात भर मेरी गंद मारना,

राज- अच्छा बेटी अब तुम पीठ के बल लेट जाओ और फिर रुक्मणी जब पीठ के बल लेट गई तब उसने अपनी जाँघो को उपर उठा कर मोड़ लिया और उसकी रसीली चूत मेरे सामने आ गई मैने अपनी जीभ से रुक्मणी की गुलाबी फूली हुई चूत को चाटना शुरू कर दिया और रुक्मणी तड़पने लगी,

रुक्मणी- ओह बाबा जी खूब चुसू खूब चतो मेरी चूत को आह आह ओह बाबा जी आपका लंड बड़ा मस्त है आज मेरी चूत फाड़ देना बाबा जी,

मैने रुक्मणी की चूत के छेद से बहते रस को चूस चूस कर चाटना शुरू कर दिया और एक हाथ मे तेल लेकर उसकी गंद मे तेल लगाने लगा, पहले एक उंगली से उसकी गंद सहलाने लगा फिर दो उंगलिया उसकी मोटी गंद मे डाल कर जब उसकी चूत मैने तबीयत से चूसना शुरू किया तो रुक्मणी पागलो की तरह बड़बड़ाने लगी

मैने देखा रुक्मणी अब पानी-पानी हो चुकी थी बस फिर मैने अपने मोटे लंड को रुक्मणी की चूत से लगा कर कस कर एक धक्का मारा और रुक्मणी ओह बाबा जी करके ऐथ गई तभी मैने उसकी गुदाज जाँघो को पकड़ कर एक और धक्का मार दिया और मेरा लंड जड़ तक रुक्मणी की चूत मे घुस गया, मैं रुक्मणी की चूत को खूब कस-कस कर चोदने लगा और रुक्मणी अपनी गंद उठा उठा कर कहने लगी ओह बाबा जी खूब चोदो कस कस कर चोदो आह आह बहुत मज़ा आ रहा है,

कितना अच्छा चोद्ते हो आप आपका लंड जो औरत एक बार ले लेगी वह मस्त हो जाएगी आपका लंड तो बड़ी बड़ी घोड़ियो के लायक है बाबा जी और मारिए खूब कस कर मारिए फाड़ दो आह आह सी सी ,

मैं पूरी ताक़त से रुक्मणी को चोद रहा था और वह सीसीया रही थी मैं रुक्मणी के उपर लंड फसाए लेट गया और उसके मोटे-मोटे दूध को खूब दबा दबा कर पीने लगा और रुक्मणी अपनी चूत को खूब ज़ोर से मेरे लंड से दबाने लगी, मैं पूरी ताक़त से खूब कस कस कर उसे चोद रहा था और तभी उसकी चूत ने ढेर सारा पानी छ्चोड़ दिया और रुक्मणी मेरे बदन से कस कर चिपक गई,

कुच्छ देर हम दोनो साँसे लेते रहे उसके बाद रुक्मणी मेरी तरफ पीठ कर के लेट गई और मैं उसके पीछे से उसकी मोटी मुलायम गंद के छेद को तेल भर-भर कर चिकना बनाने लगा,

रुक्मणी- बाबा जी बहुत मोटा लंड है आपका मेरी गंद तो फाड़ कर रख देगा,

राज- बेटी ऐसे मोटे लंड से ही गंद मरवाने मे ज़्यादा मज़ा आता है,

रुक्मणी- बाबा जी मुझे आपका लंड चूसना है

राज- चूसो ना बेटी तुम मेरा लंड जितना चाहे चूस लो फिर मैं आज तुम्हारी मोटी गंद की सारी खुजली दूर कर देता हू, उसके बाद रुक्मणी मेरे लंड को खूब दबोच दबोच कर चूसने लगी और मैं उसकी गुदा मे दो उंगलिया डाल-डाल कर उसे मुलायम करने लगा,

रुक्मणी की गंद को मैने सहला सहला कर खूब मुलायम बना दिया और फिर मैने अपने मोटे लंड को धीरे से रुक्मणी की गंद से सताया तो रुक्मणी ने अपनी गंद मेरी ओर उठा कर अपने हाथो से अपनी गंद को खूब फैला कर मुझे अपनी गंद का छेद दिखाते हुए, लो बाबा जी अब पेलो अपना मूसल मेरी गंद मे, मैने अपने लंड का धक्का धीरे से रुक्मणी की कमर पकड़ कर उसकी गंद मे मार दिया और रुक्मणी ओह बाबा जी करके सीसीया पड़ी मेरे लंड का टोपा उसकी गुदा मे धस चुका था और मैं रुक्मणी के बोबे मसल्ते हुए दूसरे हाथ से उसकी कमर और मोटी गंद सहला रहा था,
 
जब रुक्मणी कुच्छ नॉर्मल हुई तब मैने अपने लंड को उसकी गंद मे थोड़ा ज़ोर से दबा दिया और मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी गुदा मे फस गया,

ओह बाबा जी मर गई, आ मेरी गंद फटी जा रही है बाबा जी कितना मोटा लंड है आपका, आप तो किसी भी औरत की गंद फाड़ सकते हो आह आह. मैं धीरे-धीरे लंड को आगे पिछे करने लगा और रुक्मणी सीसियाते हुए पड़ी रही मैने जब देखा कि अब मेरा लंड उसकी गंद मे धीरे धीरे अंदर बाहर हो रहा है तभी मैने रुक्मणी की गंद को दबोचते हुए एक कस के धक्का मार दिया और मेरा पूरा लंड उसकी गुदा मे समा गया और रुक्मणी ओह बाबा जी मर गई कह कर खूब सीसीयाने लगी,

मैं रुक्मणी की पीठ सहला सहला कर उसकी गंद को खूब गहराई तक चोदने लगा और रुक्मणी सी सी आह आह ओह मा ओह बाबा जी और मारो आह अच्छा लग रहा है बहुत मज़ा आ रहा है करने लगी,

मैं अब ताबड़तोड़ धक्के रुक्मणी की चूत मे मारने लगा उसकी मोटी जंघे जब मेरी जाँघो से टकराती तो ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगती, रुक्मणी की गुदा को मैने चोद-चोद कर लाल कर दिया था जब रुक्मणी गंद मरवा-मरवा कर मस्त हो गई तब मैने उसकी गुदा मे अपना वीर्य निकाल दिया,

जैसे ही मैने वीर्य निकाला रुक्मणी ने मेरे लंड को अपनी गंद से निकाल कर अपने मूह मे डाल कर चूसना शुरू कर दिया और मेरा सारा पानी चाट चाट कर साफ कर दिया,

रुक्मणी लेट कर मेरे लंड से खेल रही थी और मैं उसके उठे हुए पेट और मोटे-मोटे दूध को सहला रहा था, उस रात मैने रुक्मणी की एक बार और चूत मारी और फिर एक बार उसकी गुदाज गंद को भी तबीयत से चोदा, उसके बाद मैं सुबह सुधिया को कैसे चोदना है उसके बारे मे सोचता हुआ सो गया,

सुबह 4 बजे ही सुधिया की याद मे मेरी नींद खुल गई और मैं चुपके से उठ कर तालाब की ओर चल दिया, मैं

मन मे सोच रहा था कि क्यो ना पहले मैं ही सुधिया की चूत मार लू उसके बाद हरिया का नंबर. लगाऊ, मैने अपने

प्लान को थोड़ा चेंज करना ही ठीक समझा और एक पेड़ के नीचे आसान जमा कर बैठ गया,

लगभग आधा घंटा

इंतजार करने के बाद मुझे कोई औरत आती हुई नज़र आई मैं उसके गुदाज शरीर और मटकती चाल को देख कर समझ

गया कि रामू की मा ही चली आ रही है, सुधिया को भी कुच्छ दूर से ही मैं नज़र आने लगा और मैने अपनी

आँखे बंद कर ली,

सुधिया ने जब करीब आकर मुझे देखा तो मेरे पेरो को च्छू कर

सुधिया- परनाम बाबा जी, आप यहाँ सुबह सुबह ?

मैने अपनी आँखे खोली और सुधिया की ओर देखा, उसने लाल कलर का ब्लौज और एक घाघरा पहना हुआ था और

उसके सीने पर कोई चुनरी नही थी, उसके मोटे मोटे दूध उसके ब्लौज मे कैसे समाते होंगे मैं यह सोच रहा

था और जब मैने सुधिया का उठा हुआ गुदाज पेट और गहरी नाभि पर नज़र डाली तो कसम से मेरा लंड तुरंत

खड़ा हो गया,

राज- बेटी सुधिया हम तो रात भर इसी पेड़ के नीचे तपस्या कर रहे है, और वह भी सिर्फ़ तेरी वजह से, क्यो कि

शायद उपरवाला भी तुझ पर मेहरबान है और उसने मुझे तेरे पास भेज दिया ताकि मैं तेरे उपर आने वाले

संकट को दूर कर सकु,

क्रमशः........
 
गन्ने की मिठास--24

गतान्क से आगे......................

सुधिया- पर बाबा जी आपने तो मुझसे कहा था कि मैं जब तालाब मे स्नान करके बाहर आउन्गि और जो भी पहला

पुरुष नज़र आएगा उसके साथ मुझे, बस इतना कह कर सुधिया ने अपनी नज़रे नीचे कर ली,

राज- बेटी हम जानते है लेकिन तुम नही जानती कि हम अंतर्यामी है और हमने अपनी शक्ति से यह भी देख लिया है

कि तुमने गन्ने के खेत मे अपने बेटे के साथ च्छूप कर किसी और पुरुष का लिंग देखा था और अपने बेटे से उसी

गन्ने के खेत मे संभोग किया था,

सच मानो तो उस समय सुधिया की शकल देखने लायक थी वह घोर आश्चर्या के साथ मेरी ओर देख रही थी और

मैं बहुत संभाल कर अपने चेहरे के भाव (एक्सप्रेशन) को च्छुपाने की कोशिश कर रहा था,

राज- बोल बेटी हम ठीक कह रहे है या नही,

सुधिया- अचानक मेरे पेरो मे गिर कर बाबा जी मुझे माफ़ कर दीजिए मुझसे ग़लती हुई है,

राज- नही बेटी इसमे पछताने की ज़रूरत नही है, मन के साधे सब साधे वाली बात है तुम भी एक इंसान हो और

ग़लती इंसान करता ही रहता है नही तो वह परमात्मा नही हो जाता, खेर कोई बात नही तेरे सभी दुखो का निवारण

करने के लिए ही तो मैं इसी गाँव मे रुक गया, लेकिन याद रहे अब जैसा मैं कहूँगा वैसा करना होगा और यह बात

किसी को भी पता नही होना चाहिए, यहाँ तक कि तू अपने बेटे रामू से भी यह ना कहना कि कोई बाबा जी तुझे मिले

थे,

सुधिया- मेरी ओर हाथ जोड़ कर नही बाबा जी मैं किसी से नही कहूँगी और जैसा आप कहेगे वैसा ही करूँगी,

राज- ठीक है तो सुन अब तुझे इस तालाब मे पूरी नंगी होकर नहाना होगा और फिर तुझे नंगी ही चल कर उसी स्थान

पर जाना होगा जहाँ तूने अपने बेटे के साथ मिल कर किसी और का लिंग देखा था, और हाँ चलते समय पीछे मूड

कर कतई नही देखना,

क्यो कि तेरे पीछे हम आएँगे और अब तुझे घबराने की ज़रूरत नही है तुझे किसी अन्य

पुरुष से संभोग करवाने की बजाय पहले मुझे तेरे पूरे जिस्म को अच्छे से पवित्र करना होगा,

राज- बोल अब तू तैयार है,

सुधिया- अपना सर नीचे झुकाए हुए, लेकिन बाबाजी आप कल दो आदमी से मुझे चुदवाने, मेरा मतलब है

मुझसे संभोग करेगे ऐसा कह रहे थे,

राज- बेटी तू चिंता मत कर मुझे सब से ज़्यादा तेरी इज़्ज़त की फिकर है इसलिए पहले वाले पुरुष के रूप मे मैं तुझे

पवित्र करूँगा और दूसरे पुरुष के लिए मैं अपनी शक्ति से उसे तेरे करीब बुला लूँगा और वह आदमी ऐसा होगा जो

तेरे साथ संभोग भी करेगा और तेरी बदनामी भी नही करेगा,

सुधिया- हाथ जोड़ते हुए, बाबा जी आप का यह एहसान मैं कभी नही भूलूंगी, आप बिल्कुल सही कह रहे है किसी

अंजान से संभोग करने पर वह मुझे बदनाम भी कर सकता है, पर बाबा जी आप किसी अपनी शक्ति से मेरे पास

बुलाएगे,

राज- बेटी अभी उसकी तस्वीर मेरे मन मे हल्की है जब तू मेरे द्वारा पवित्र हो जाएगी तब ही उसका चेहरा साफ

नज़र आएगा और वह बहुत भरोसे का आदमी होगा, तुझे मैं कोई समस्या नही आने दूँगा, तो बेटी अब दिन

निकलने से पहले ही तुझे यह सब करना है, चल अब सबसे पहले तू अपने कपड़े उतार कर तालाब मे डुबकी मार कर

आजा,

सुधिया मेरी बात सुन कर खड़ी हो गई और तालाब की ओर जाने लगी तभी मैने कहा बेटी तुझे कपड़े यही मेरे

सामने ही उतारने होंगे और फिर अपने कपड़े उतार कर मुझे देना होंगे ताकि मैं उनको भी पवित्र कर दू,

सुधिया मेरी बात सुन कर इधर उधर देखने लगी और उसका चेहरा पूरी तरह लाल हो रहा था, उसने अपने लरजते

हाथो से अपने ब्लौज के उपर का बटन खोलना शुरू कर दिया और बीच बीच मे अपनी नज़रे मेरी ओर मार कर

मुझे देखने लगती, मैं अपने मोटे लोदे को धोती मे दबाए सुधिया की गुदाज जवानी को अपनी आँखो से पी रहा

था,
 
सुधिया ने धीरे- धीरे अपने ब्लाउज के बटन पूरे खोल दिए और जैसे ही उसने ब्लाउज उतारा उसके मोटे-मोटे

बड़े-बड़े पपितो के साइज़ के दूध देख कर मेरा लंड पूरी तरह तन गया,

मैने सुधिया की आँखो मे देखा तो वह पूरी नशीली लग रही थी, तभी सुधिया ने अपना मूह दूसरी ओर घुमा

कर अपने घाघरे का नाडा खोलने लगी,

राज- नही बेटी हमारे सम्मुख ही तुम्हे सारे वस्त्र उतारने होंगे नही तो हमारी सारी क्रिया बेकार हो जाएगी,

सुधिया माफ़ करना बाबा जी कहते हुए वापस घूम गई और घाघरे का नाडा खोलने लगी,

राज- बेटी हमारे सामने शरमाने का ख्याल भी दिल मे मत लाना क्यो कि तुम नही जानती हमने तुम्हारे जैसी कितनी

ही औरतो को हज़ारो बार नंगी देखा है और कई औरतो को हमने अपने लिंग के प्रसाद से मा बना कर उनको संतान

सुख दिया है, सुधिया मेरी बात सुनते हुए एक दम से अपने घाघरे को छ्चोड़ देती है और उसका फ्रंट व्यू देख

कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई, माइंडब्लोयिंग आज जिंदगी मे पहली बार मैं इतने हेवी पर्सनॅलिटी वाले माल को

देख रहा था इसके पहले मैने कभी ऐसी गुदाज भरे बदन की औरत को पूरी नंगी नही देखा था,

सुधिया की चूत बिल्कुल साफ थी उस पर बाल का नामोनिशान नही था लगता था जैसे कल ही अपनी चूत साफ की हो, उसकी

चूत किसी डबल रोटी की तरह फुल्ली हुई थी और बीच मे एक लंबा चीरा लगा हुआ था उसकी मोटी मोटी केले के तने

जैसी गोरी चिकनी जाँघो ने मुझे मस्त कर दिया था उसके मोटे-मोटे बोबे उसके शरीर के हिसाब से ही थे और पूरी

बॉडी ऐसी लग रही थी कि अगर कोई भी लंडा उस समय सुधिया से केवल नग्न होकर चिपक जाए तो उसका पानी निकल

पड़ेगा,

सुधिया के पूरे नंगे बदन का मैने बड़े आराम से अवलोकन किया और जैसे ही मेरी नज़र सुधिया से

मिली उसने अपनी नज़रे थोड़ी झुका ली लेकिन उसके चेहरे पर एक दबी हुई स्माइल मैने नोट की, उसने दुबारा मेरी ओर

देखा, शायद वह मेरे इशारे का इंतजार कर रही थी,

राज- बेटी अपने यह वस्त्र मुझे दे दो और तुम जाकर पानी मे डुबकी लगा कर आओ और जल्दी से उसी जगह चलो जहा

तुमने और रामू ने संभोग किया था, मेरी बात सुन कर सुधिया ने झुक कर अपने चोली और घाघरा उठा कर

मुझे दे दिया और फिर जब सुधिया अपने नंगे मोटे मोटे चूतादो को मतकाते हुए जाने लगी तो सच मे मेरा

तो दिल उसकी गुदाज मोटी गंद देख कर बैठा जा रहा था मेरा लोडा इतना टाइट हो गया कि दिल कर रहा था कि अभी रामू की मा की गंद मे अपना लंड डाल कर उसे चोद दू,

हल्का-हल्का उजाला होने लगा था और सुधिया नंगी डुबकी मार कर बाहर आने लगी उस घोड़ी के भारी भरकम जिस्म

को पानी मे पूरी तरह भीगा हुआ देख कर मैं उठ कर खड़ा हो गया और अपने लोदे को मसल्ते हुए सुधिया के

पास जाकर

राज- बेटी अब तुम आगे आगे चलो और मैं तुम्हारे पिछे चलता हू पर अब पिछे मूड कर तब तक नही देखना

जब तक कि मैं ना कहु, सुधिया मेरी बात सुन कर अपने गन्नो के खेत की ओर अपने भारी भरकम चूतादो को

मतकाते हुए चलने लगी और मैं उसकी गुदाज मोटी गंद को देखते हुए उसके पिछे चलने लगा, मैने अपना

लंड बाहर निकल लिया और उसकी मोटी गंद की थिरकन को घूरते हुए अपने लंड को मसल्ते हुए उसके पिछे चलने

लगा,

उजाला कुच्छ ज़्यादा होने लगा तब मैने सुधिया से कहा बेटी थोड़ा तेज तेज अपने कदम बढ़ा नही तो कोई भी

हमे देख लेगा, हमे उजाला होने के पहले ही वहाँ पहुचना है, मेरी बात सुन कर सुधिया पूरी नंगी किसी घोड़ी

की तरह अपनी गंद उठा-उठा कर चलने लगी और मैं उसके भरे हुए मोटे चूतादो को देख कर अपना लंड

सहलाते हुए उसके पिछे चलने लगा, सुधिया बहुत जोश मे चल रही थी और उसकी मोटी गंद कभी नीचे कभी

उपर होती हुई बहुत ही मस्त नज़र आ रही थी ऐसा लग रहा था उसकी गंद देख कर जैसे उसकी मोटी गंद बार बार

खुल कर मेरे लंड को घुसने का इशारा कर रही हो, थोड़ी ही देर मे रामू का गन्नो का खेत नज़र आने लगा और

फिर सुधिया सीधे गन्नो के बीच से होती हुई वही पहुच गई जहाँ बैठ कर उसने हरिया और चंदा की चुदाई
 
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