hotaks444
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- Nov 15, 2016
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मैने जब हरिया की खटिया को देखा तो उस पर चंदा अकेली सो रही थी मैं समझ गया कि हरिया किसी और रास्ते
से तालाब की ओर सुधिया को चोदने के चक्कर मे गया होगा, सुधिया सर झुकाए खड़ी थी और मैं उसके बिल्कुल
करीब पहुच कर
राज- बेटी अब तुम अपने इन उतरे हुए कपड़ो को यहा बिच्छा कर बैठ जाओ और अपनी आँखे बंद कर लो मैं अब
तुम्हारे बदन को जल लगा लगा कर पवित्र करूँगा, ध्यान रहे जब मैं तुम्हारे बदन को हाथ लगा लगा कर जल
से रागडूंगा तब तुम उत्तेजित भी हो सकती हो लेकिन तुम्हे अपनी आँखे बंद रखना होगा और अपने हाथो को अपनी
जाँघो पर रख कर मुट्ठी बाँधे रखना होगा, चाहे कितनी भी उत्तेजना लगे अपने हाथो से अपने अंगो को
च्छुना नही है, फिर मैने उसे उसके कपड़े दिए और सुधिया ने उसे बिच्छा कर उस पर बैठ गई और अपनी आँखे
बंद कर ली,
राज- बेटी क्या तुम तैयार हो
सुधिया- जी बाबा जी
राज- ठीक है अब मैं क्रिया शुरू करता हू और फिर मैने अपने लोटे से पानी लेकर सबसे पहले सुधिया के हाथो
मैं पानी लगाना शुरू किया और उसके हाथो को जब मैं उसकी गोरी बाँहो तक सहलाने लगा तो मेरा लंड कड़क
होने लगा, सुधिया गहरी साँसे लेटी हुई आँखे बंद करके बैठी थी,
राज - बेटी अपनी दोनो टाँगो को खोल कर फैला कर बैठो ताकि मैं तुम्हारे बदन के हर हिस्से को पवित्र कर सकु
मेरा इतना कहना था कि सुधिया ने अपनी मोटी मोटी टाँगो को खोल दिया और खूब फैला कर बैठ गई, सुधिया का
गुदाज फूला हुआ भोसड़ा भी पूरा खुल कर मेरे सामने आ गया और मैं उसकी फूली चूत देख कर मस्त हो गया,
उसकी चूत अंदर से पूरी लाल नज़र आ रही थी और उसकी बुर से पानी बाहर आ रहा था, मैं समझ गया रंडी अब पूरी
चुदासी हो रही है,
अब मैने अपने हाथ मे पानी लेकर सुधिया की एक टांग को हाथो मे पकड़ कर उसकी गोरी पिंडलियो को सहलाते
हुए जब उसकी मोटी मोटी गोरी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोचा तो मज़ा आ गया, इतनी गुदाज और मोटी
जंघे तो रुक्मणी की भी नही थी सच सुधिया रुक्मणी से कई गुना ज़्यादा मस्त माल थी जिसे चोदने मे वाकई
मज़ा आ जाता होगा, मैं उसकी मोटी जाँघो को खूब कस कस कर मसल रहा था और अपने हाथो को सुधिया की
जाँघो की जड़ो तक लेजाकार सहला रहा था, जी तो ऐसी कर रहा था कि उसकी फूली हुई चूत मे अपना हाथ मार दू लेकिन
मैं उसे पूरी तरह चुदासी बनाना चाहता था, बस इसी लिए उसकी गुदाज मोटी जाँघो को महसूस करता हुआ दबोच
रहा था,
कुच्छ देर तक सुधिया की मोटी मखमली जाँघो की मसाज करने के बाद मैने थोड़ा सा जल अपने हाथो मे लिया
और एक दम से सुधिया की खुली हुई फुल्ली चूत मे मार दिया, अपनी चूत पर पानी के च्चीटे महसूस करते ही सुधिया
के मूह से एक कराह निकल गई,
राज- क्या हुआ बेटी क्या तुझे उत्तेजना महसूस हो रही है, सुधिया अपने सूखे गले से थूक गटकते हुए अपनी जीभ
अपने होंठो पर फेर कर बोली नही बाबा जी मैं ठीक हू, मैने अपनी हथेली मे और जल लेकर फिर से उसकी चूत
मे ज़ोर से पानी का छिंता मारा और सुधिया के मूह से सीईइ की आवाज़ फिर से निकल गई, सुधिया का चेहरा पूरी तरह
कम वासना मे लाल हो चुका था मैं उकड़ू उसके सामने बैठा था और वह अपनी मोटी जाँघो को पूरी तरह मोड़ कर
फैलाए हुए अपने दोनो हाथो को पिछे टीका कर बैठी थी, मेरे पानी मारने से सुधिया ने धीरे से अपनी मोटी
गंद को थोडा आगे सरका कर अपनी फूली हुई चूत को और उपर उठा दिया था, मेरा लंड मेरी धोती से बाहर निकल
कर पूरी तरह तना हुआ था,
फिर मैने एक दम से सुधिया की फूली हुई चूत के उपर अपना हाथ रख कर अपनी उंगली से उसकी चूत की फांको के
बीच की दरार को सहलाते हुए पुछा
राज- क्यो बेटी क्या तुम्हे उत्तेजना हो रही है,
सुधिया- सीयी आ, नही बाबा जी मुझे उत्तेजना नही हो रही है, आप आराम से करते रहिए,
मैने सुधिया की बात सुन कर उसकी चूत को खूब कस कर दबोच लिया और सुधिया के मूह से आ सीयी ओह जैसे शब्द
निकलने लगे, मैने सुधिया के मोटे दूध को अपने हाथो मे पानी लेकर सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसकी
चूत के दाने को रगड़ते हुए फिर से पुंच्छा
राज- बेटी अब कैसा लग रहा है,
सुधिया- आ सीईइ ओह बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है,
राज- बेटी क्या तुमने रामू से अपनी चूत यही मरवाई थी ना,
क्रमशः........
से तालाब की ओर सुधिया को चोदने के चक्कर मे गया होगा, सुधिया सर झुकाए खड़ी थी और मैं उसके बिल्कुल
करीब पहुच कर
राज- बेटी अब तुम अपने इन उतरे हुए कपड़ो को यहा बिच्छा कर बैठ जाओ और अपनी आँखे बंद कर लो मैं अब
तुम्हारे बदन को जल लगा लगा कर पवित्र करूँगा, ध्यान रहे जब मैं तुम्हारे बदन को हाथ लगा लगा कर जल
से रागडूंगा तब तुम उत्तेजित भी हो सकती हो लेकिन तुम्हे अपनी आँखे बंद रखना होगा और अपने हाथो को अपनी
जाँघो पर रख कर मुट्ठी बाँधे रखना होगा, चाहे कितनी भी उत्तेजना लगे अपने हाथो से अपने अंगो को
च्छुना नही है, फिर मैने उसे उसके कपड़े दिए और सुधिया ने उसे बिच्छा कर उस पर बैठ गई और अपनी आँखे
बंद कर ली,
राज- बेटी क्या तुम तैयार हो
सुधिया- जी बाबा जी
राज- ठीक है अब मैं क्रिया शुरू करता हू और फिर मैने अपने लोटे से पानी लेकर सबसे पहले सुधिया के हाथो
मैं पानी लगाना शुरू किया और उसके हाथो को जब मैं उसकी गोरी बाँहो तक सहलाने लगा तो मेरा लंड कड़क
होने लगा, सुधिया गहरी साँसे लेटी हुई आँखे बंद करके बैठी थी,
राज - बेटी अपनी दोनो टाँगो को खोल कर फैला कर बैठो ताकि मैं तुम्हारे बदन के हर हिस्से को पवित्र कर सकु
मेरा इतना कहना था कि सुधिया ने अपनी मोटी मोटी टाँगो को खोल दिया और खूब फैला कर बैठ गई, सुधिया का
गुदाज फूला हुआ भोसड़ा भी पूरा खुल कर मेरे सामने आ गया और मैं उसकी फूली चूत देख कर मस्त हो गया,
उसकी चूत अंदर से पूरी लाल नज़र आ रही थी और उसकी बुर से पानी बाहर आ रहा था, मैं समझ गया रंडी अब पूरी
चुदासी हो रही है,
अब मैने अपने हाथ मे पानी लेकर सुधिया की एक टांग को हाथो मे पकड़ कर उसकी गोरी पिंडलियो को सहलाते
हुए जब उसकी मोटी मोटी गोरी जाँघो को अपने हाथो मे भर कर दबोचा तो मज़ा आ गया, इतनी गुदाज और मोटी
जंघे तो रुक्मणी की भी नही थी सच सुधिया रुक्मणी से कई गुना ज़्यादा मस्त माल थी जिसे चोदने मे वाकई
मज़ा आ जाता होगा, मैं उसकी मोटी जाँघो को खूब कस कस कर मसल रहा था और अपने हाथो को सुधिया की
जाँघो की जड़ो तक लेजाकार सहला रहा था, जी तो ऐसी कर रहा था कि उसकी फूली हुई चूत मे अपना हाथ मार दू लेकिन
मैं उसे पूरी तरह चुदासी बनाना चाहता था, बस इसी लिए उसकी गुदाज मोटी जाँघो को महसूस करता हुआ दबोच
रहा था,
कुच्छ देर तक सुधिया की मोटी मखमली जाँघो की मसाज करने के बाद मैने थोड़ा सा जल अपने हाथो मे लिया
और एक दम से सुधिया की खुली हुई फुल्ली चूत मे मार दिया, अपनी चूत पर पानी के च्चीटे महसूस करते ही सुधिया
के मूह से एक कराह निकल गई,
राज- क्या हुआ बेटी क्या तुझे उत्तेजना महसूस हो रही है, सुधिया अपने सूखे गले से थूक गटकते हुए अपनी जीभ
अपने होंठो पर फेर कर बोली नही बाबा जी मैं ठीक हू, मैने अपनी हथेली मे और जल लेकर फिर से उसकी चूत
मे ज़ोर से पानी का छिंता मारा और सुधिया के मूह से सीईइ की आवाज़ फिर से निकल गई, सुधिया का चेहरा पूरी तरह
कम वासना मे लाल हो चुका था मैं उकड़ू उसके सामने बैठा था और वह अपनी मोटी जाँघो को पूरी तरह मोड़ कर
फैलाए हुए अपने दोनो हाथो को पिछे टीका कर बैठी थी, मेरे पानी मारने से सुधिया ने धीरे से अपनी मोटी
गंद को थोडा आगे सरका कर अपनी फूली हुई चूत को और उपर उठा दिया था, मेरा लंड मेरी धोती से बाहर निकल
कर पूरी तरह तना हुआ था,
फिर मैने एक दम से सुधिया की फूली हुई चूत के उपर अपना हाथ रख कर अपनी उंगली से उसकी चूत की फांको के
बीच की दरार को सहलाते हुए पुछा
राज- क्यो बेटी क्या तुम्हे उत्तेजना हो रही है,
सुधिया- सीयी आ, नही बाबा जी मुझे उत्तेजना नही हो रही है, आप आराम से करते रहिए,
मैने सुधिया की बात सुन कर उसकी चूत को खूब कस कर दबोच लिया और सुधिया के मूह से आ सीयी ओह जैसे शब्द
निकलने लगे, मैने सुधिया के मोटे दूध को अपने हाथो मे पानी लेकर सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसकी
चूत के दाने को रगड़ते हुए फिर से पुंच्छा
राज- बेटी अब कैसा लग रहा है,
सुधिया- आ सीईइ ओह बाबा जी बहुत अच्छा लग रहा है,
राज- बेटी क्या तुमने रामू से अपनी चूत यही मरवाई थी ना,
क्रमशः........