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- Dec 5, 2013
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जब पूरी तरह मरहम-पट्टी के बाद चैम्बूर से प्रश्न किया गया तो बिना किसी हुज्जत के वह बोला—“यह तो आप जानते ही हैं कि एक छोटा-सा उपग्रह अपनी कक्ष में पृथ्वी के चारों तरफ घूम रहा है—उसका नाम कोहिनूर पर नजर रखना हैं उसका सम्बन्ध एक कंट्रोल रूम से है—ये कंट्रोल रूम गार्डनर की कोठी के तहखाने में है।”
“हमें इस उपग्रह की कार्यशैली जाननी है प्यारे।”
“कोहिनूर जहां भी रखा है, उसके निचले तले में एक बहुत ही छोटा और विशेष ट्रांसमीटर चिपका दिया गया है, इस ट्रांसमीटर का सम्बन्ध उपग्रह से है और ये ट्रांसमीटर कोहिनूर पर किसी का हाथ लगते ही ऑन हो जाएगा।”
“कैसे?”
“इंसानी जिस्म की ऊष्मा से!”
“ओह!”
“सभी प्राणियों की अपेक्षा इंसानी जिस्म में सबसे कम ऊष्मा है और इस ट्रांसमीटर में उस कम ऊष्मा से भी ऑन होने की क्षमता है अर्थात किसी भी किस्म की ऊष्मा मिलते ही, जो किसी के कोहिनूर पर हाथ लगाते ही उसे मिल जाएगी, ट्रांसमीटर ऑन हो जाएगा और कंट्रोल रूम में बैठे लोग जान जाएंगे कि किसी ने कोहिनूर को हाथ लगाया है।”
“कैसे?”
“ट्रांसमीटर का सम्बन्ध उपग्रह से है और उपग्रह का सम्बन्ध कंट्रोल रूम से—कंट्रोल रूम में एक टी.वी. स्क्रीन रखी है, इस स्क्रीन पर उपग्रह चौबीस घण्टे सिग्नल देता रहता है।”
“उपग्रह सिग्नल किस रूप में देता है?”
“स्क्रीन पर रह-रहकर 'टिंग-टिंग' की आवाज के साथ एक टेढ़ी-मेढ़ी हरी रेखा चमकती रहती है, कुछ वैसे ही अन्दाज में जैसे बादलों के बीच चमकती हुई नजर आती है—“टिंग-टिंग” की आवाज के साथ इस हरी बिजली के चमकते रहने का अर्थ है कि सब कुछ ठीक है—उधर किसी ने कोहिनूर के छुआ तो ऊष्मा से ट्रांसमीटर ऑन हो जाएगा, उपग्रह बिजली की-सी गति से उसे कैच करेगा और तुरन्त ही सूचना को कंट्रोल रूप में रिले करेगा।”
“उसके रिले करने का क्या तरीका है?”
“स्क्रीन पर चमकने वाली बिजली का रंग लाल हो जाएगा और कंट्रोल रूप में 'टिंग-टिंग' के स्थान पर 'पिंग-पिंग' की आवाज गूंजने लगेगी—कंट्रोल रूम के अन्दर ये सिग्नल सिर्फ एक क्षण के अन्दर मिल जाएगा, यानी उधर किसी ने कोहिनूर को स्पर्श किया और इधर सिग्नल मिला।”
“इस कंट्रोल रूम तक जाने का रास्ता?”
“मिस्टर गार्डनर के बेडरूम से है।”
“ये कैसे खुलता है?”
“बेडरूम में एक मजबूत सेफ रखी है, यह सेफ कोई विशेष नम्बर सैट करने से खुलती है।”
“नम्बर क्या है?”
“वह मैं नहीं जानता।”
आगे बढ़कर विकास गुर्रा उठा—“तुम झूठ बोलते हो।”
“मैं सच कह रहा हूं, जब आपको सभी कुछ बता रहा हूं तो भला नम्बर क्यों छुपाऊंगा, इस सेफ को हमेशा मिस्टर गार्डनर ही खोलते हैं और उनके अलावा शायद सेफ के नम्बर को कोई नहीं जानता, यही वो कुछ बातें हैं, जिन्हें जानने के लिए अलफांसे को इर्विन से शादी करके गार्डनर के घर में घुसना पड़ा।”
विकास उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था, जबकि विजय ने कहा—“खैर, आगे बढ़ो।”
“इस सेफ के अन्दर एक लाल रंग का टेलीफोन रखा है, मिस्टर गार्डनर इसका रिसीवर उठाकर कोई नम्बर डॉयल करते हैं, डॉयल करने के बाद जैसे ही वो रिसीवर क्रेडिल पर रखते हैं, वैसे ही बेडरूम के साथ अटैड बाथरूम का टायलेट फर्श बिना किसी प्रकार की आवाज उत्पन्न किए अपने स्थान से हट जाता है।”
“ये नम्बर भी तुम्हें पता नहीं होगा?”
“सिर्फ इतना बता सकता हूं कि वे सात नम्बर रिंग करते हैं।”
विकास उसे इस तरह घूर रहा था कि कच्चा चबा जाएगा, मगर कुछ बोला नहीं।
“इसके बाद?” विजय ने पूछा।
“बाथरूम से नीचे तहखाने तक एक लोहे की सीढ़ी के जरिए पहूंचा जाता है—जैसे ही आप सीढ़ी के सबसे निचले डंडे पर कदम रखेंगे, वैसे ही सारा रास्ता यानी सेफ आदि बन्द हो जाएगी।”
“गुड, फिर क्या होगा?”
“जब तक आप सीढ़ियों पर रहेंगे, तब तक आपके चारों तरफ अंधेरा रहेगा और आपके द्वारा अंतिम डंडा पार करते ही एक बल्ब ऑन हो उठेगा—तब आप खुद को एक छोटी-सी कोठरी में पाएंगे— इस कोठरी में चौबीस घण्टे एक गार्ड की ड्यूटी रहती है—आपके साथ यदि मिस्टर गार्डनर हैं तो ठीक, वरना एक क्षण को भी विलम्ब किए बिना वह आपको रायफल से शूट कर देगा।”
“उफ्फ, बड़ा जालिम है साला, खैर—यदि हमारे साथ मिस्टर गार्डनर हों तो क्या करेगा?”
“जो बल्ब आपके कोठरी में आते ही ऑन हुआ है, उसका दूसरा स्विच कोठरी की दाईं दीवार पर है और इसी स्विच के बराबर में एक ऐसा तीन छिद्रों वाला स्विच है—जिसमें एक विशेष प्लग फिट हो सकता है—गार्डनर का आदेश होने पर ही गार्ड अपनी जेब से प्लग निकालकर स्विच पर फिक्स करेगा।”
“उससे क्या होगा?”
“कोठरी की बाईं तरफ की पूरी-की-पूरी दीवार किसी शटर की तरह जमीन में धंस जाएगी और अब, आपके सामने करीब पांच फीट चौड़ी दूर तक एक लम्बी गैलरी पड़ी होगी, इस गैलरी की छत पर जगह-जगह बल्ब लगे हैं, जिनके प्रकाश से गैलरी हमेशा चकाचौंध रहती है, दोनों तरफ—दीवारों से सटे सशस्त्र गार्ड खड़े रहते हैं— आपको इनके बीच में से होकर गुजरना होगा—करीब एक फर्लांग के बाद गैलरी बाईं तरफ मुड़ेगी—इस मोड़ पर एक कम्प्यूटर आपका असली नाम कंट्रोल रूम को रिले कर देगा—कंट्रोल रूम में रखी इस कम्प्यूटर से सम्बन्धित एक स्क्रीन पर उन सभी के नाम उभर आएंगे, जो इसके सामने से गुजरे हैं।”
“यानी बंटाधार?”
चैम्बूर के होंठों पर एक उदासी भरी और फीकी मुस्कान उभर आई, बोला—“ऐसी बहुत-सी बातें हैं, जिनकी वजह से सारी व्यवस्थाओं की जानकारी होने के बावजूद भी मैं कभी कोई कोई योजना नहीं बना सका।”
“आगे बढ़ो प्यारे, ये साला कम्प्यूटर एक क्षण में किसी भी मेकअप को बेकार कर देगा।”
“आगे फिर एक फर्लांग लम्बी, सीधी गैलरी है और उसी तरह से गार्ड खड़े हैं, गैलरी का अंतिम सिरा इस्पात की एक दीवार है यानी यहां गैलरी बन्द हो गई प्रतीत होती है, परन्तु असल में इस्पात की ये दीवार कंट्रोल रूम का दरवाजा है, जिसे केवल अन्दर से ही खोला जा सकता है।”
“मिस्टर गार्डनर इसे किस तरह खोलते हैं?”
“विशेष सांकेतिक अन्दाज में दस्तक देकर!”
“तुमने देखा और सुना तो होगा, ये सांकेतिक अंदाज क्या है?”
“मिस्टर गार्डनर इस्पात की उस चादर पर हाथ से एक बार, सा—रे—गा—मा—यानी पूरी सरगम बजाते हैं और उसके पन्द्रह सेकण्ड बाद इस्पात की वह दीवार कोठरी की दीवार की तरह ही जमीन में समा जाती है।”
“यानी वहां पहुंचने से पहले संगीतकार बनना भी जरूरी है?”
“बस, अब आप कंट्रोल रूम में पहुंच गए हैं, यहां हर समय पांच व्यक्तियों की ड्यूटी रहती है—एक उपग्रह से सम्बन्धित स्क्रीन पर, दूसरा कम्प्यूटर से सम्बन्धित स्क्रीन पर, तीसरे की उस स्क्रीन पर जिस पर हर समय पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता उपग्रह चमकता रहता है, चौथे की उस अलार्म पर जिसके बजते ही तहखाने में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को मालूम हो जाएगा कि तहखाने में कोई गलत व्यक्ति घुस आया है और पांचवां व्यक्ति एक इंजीनियर है, जो कंट्रोल रूम में रखी मशीनों की नस-नस से वाकिफ है।”
“इस कंट्रोल रूम की भौगोलिक स्थिति क्या है?”
चैम्बूर ने बता दी, तब विजय ने अगला सवाल किया—“तहखाने में चौबीस घण्टे क्या उन्हीं गाड्र्स और पांच व्यक्तियों की ड्यूटी रहती है या ड्यूटियां बदलती रहती हैं?”
“वे तीन टीमें हैं—एक टीम की ड्यूटी केवल आठ घण्टे रहती है, तीन शिफ्टें हैं—सुबह के सात बजे से दोपहर तीन बजे तक—तीन से रात के ग्यारह बजे तक और रात के ग्यारह से फिर सुबह सात बजे तक!”
“ये टीमें तहखाने में किस रास्ते से आती-जाती हैं?”
“मैंने उन्हें तब्दील होते कभी नहीं देखा, इसलिए इस बारे में कुछ नहीं जानता—मगर हां, इतना जानता हूं कि जिस व्यक्ति की ड्यूटी जहां है, वह वहां के अलावा तहखाने के बारे में कुछ नहीं जानता।”
“खैर, अब ये बताओ प्यारे कि इस तहखाने में साला कोहिनूर कहां रखा है?”
“कोहिनूर इस तहखाने में नहीं है।”
“फिर?”
“वह यहां से काफी दूर टेम्स नदी के किनारे बनी एक इमारत में है।”
“वह कम्बख्त वहां क्या कर रहा है, हमारा मतलब—यदि कोहिनूर यहां नहीं है तो फिर गार्डनर की कोठी में सुरक्षा के इतने कड़े प्रबन्ध क्यों हैं?”
“सिर्फ कंट्रोल रूम की सुरक्षा के लिए, ताकि कोई उपग्रह को खराब न कर सके, क्योंकि अगर उपग्रह खराब हो गया तो कोहिनूर पर किसी का हाथ लगने की सूचना नहीं मिल सकेगी।”
“अगर कंट्रोल रूम की सूरक्षा के लिए ये प्रबन्ध किए गए हैं तो माशाअल्लाह, फिर कोहिनूर तक पहुंचना तो निश्चय ही साला एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने से कई गुना ज्यादा कठिन काम होगा?”
“असम्भव की सीमा तक कठिन है, मगर आप थोड़े गलत ढंग से सोच रहे हैं—दरअसल इस व्यवस्था को भी कोहिनूर के लिए की गई सुरक्षा-व्यवस्था ही मानना होगा, क्योंकि अत: कंट्रोल रूम और उपग्रह का सम्बन्ध आखिर है तो कोहिनूर से ही।”
“मान रहे हैं प्यारे, सवा सोलह आने मान रहे हैं।”
विकास ने पूछा—“कोहिनूर कहां रखा है?”
“टेम्स के किनारे बनी सैकड़ों इमारतों में से एक पांच मंजिली इमारत है, इमारत के मस्तक पर लगे बोर्ड पर लिखा है—“बैंक संस्थान।”
“बैंक संस्थान?”
“हां!” चैम्बूर ने बताया—“आम व्यक्ति यही जानता है कि इस इमारत में बैंकों से सम्बन्धित कोई सरकारी दफ्तर है, जिसमें लंदन के सभी बैंकों के खाते हैं और उनका हिसाब-किताब रखा जाता है—आम जनता का इस सरकारी दफ्तर से कोई सम्पर्क नहीं है—असल में यह सारी इमारत के.एम.एस. के अधिकार में है, यानी अगर इसे के.एस.एस. का ऑफिस कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।”
“कोहिनूर इस इमारत में है?”
“सुनते रहिए, दरअसल यदि आप इतनी जल्दी कोहिनूर तक पहुंचेंगे तो समझ कुछ नहीं सकेंगे?” चैम्बूर ने कहा—“दफ्तर सुबह नौ बजे खुलता है—और शाम छ: बजे बन्द हो जाता है—दफ्तर के बन्द होने पर ये सशस्त्र गार्ड अन्दर ही बन्द रह जाते हैं।”
“इसका क्या मतलब?”
“शाम छ: बजे छुट्टी होने के बाद, साढ़े छ: बजे—यानी सबसे अंत में मिस्टर गार्डनर इमारत से बाहर निकलते हैं, तब तक वे पांच सशस्त्र गार्ड मुख्य द्वार पर ही रहते हैं, जिनकी ड्यूटी दरअसल सारे दिन मुख्य द्वार पर ही रहती है—हां, तो मैं कह रहा था कि साढ़े छ: बजे मिस्टर गार्डनर इमारत से बाहर निकल आते हैं और शेष दो इमारत के अन्दर ही रह जाते हैं, गार्डनर के आदेश पर इमारत का मुख्य दरवाजा तीन बाहर वाले गार्ड बन्द कर देते हैं, इस द्वार की चाबी गार्डनर के पास रहती है—जिसे वह उसी समय निकालकर उन बाहर वाले तीन गाडर्स में से किसी एक को देते हैं—वह गार्ड दरवाजे को लॉक करके चाबी पुन: गार्डनर को दे देता है और इसके बाद गार्डनर अपने और वे तीनों गार्ड अपने-अपने रास्तों पर चले जाते हैं।”
“यानी वे दो गार्ड सारी रात अन्दर ही बन्द रहते हैं?”
“जी हां!”
“वहां रात को क्या वे मटर छीलते हैं?”
“रात भर वे क्या करते हैं, यह तो मैं नहीं बता सकता, मगर इतना जानता हूं कि जिस तरह मुख्य द्वार को बाहर से लॉक किया जाता है, उसी तरह ये गार्ड उसे अन्दर से भी लॉक कर लेते हैं—यानी अब मुख्य द्वार को किसी भी एक चाबी से नहीं खोला जा सकता।”
“सुबह को?”
“वे तीन गार्ड और मिस्टर गार्डनर ठीक पौने नौ बजे इमारत के मुख्य द्वार पर पहुंच जाते हैं, गार्डनर से चाबी लेकर गार्ड बाहर वाला लॉक खोलते हैं और दरवाजा नौ बजने में दस मिनट रह जाने पर तभी खुलता है जब अन्दर वाले गार्ड अन्दर वाला लॉक खोल देते हैं।”
“इसके बाद!”
“इमारत में दाखिल होकर मिस्टर गार्डनर अपने ऑफिस में चले जाते हैं और पांचों गार्ड मुस्तैदी के साथ दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं—अब, ऑफिस में काम करने वालों का आगमन शुरू हो जाता है—ये गार्ड प्रत्येक को अच्छी तरह से चैक करने के बाद ही इमारत में दाखिल होने देते हैं और पूरे स्टाफ के आ चुकने के बाद द्वार पुन: बन्द करके अन्दर से लॉक कर लेते हैं, अब यह दरवाजा शाम छ: बजे ही खुलेगा और साढ़े छ: बजे तक पुन: पहले जैसी स्थिति में ही दोनों तरफ से बन्द हो जाएगा।”
“बड़ा चक्करदार चक्कर है, खैर—इस दरवाजे के अन्दर तो घुसो।”
“मैं तो घुस जाऊंगा लेकिन उम्मीद है कि आप लोग समझ गए होंगे—इस इमारत के अन्दर दिन या रात के समय दाखिल होना एक समस्या है, यह बात दिमाग में अच्छी तरह से बैठा लीजिए कि इस मुख्य द्वार के अलावा इमारत में एक चिड़िया तक के दाखिल होने की कोई जगह नहीं है।”
“हम सब समझ रहे हैं प्यारे, तुम आगे बढ़ो।”
“ग्राउंड फ्लोर पर ही मिस्टर गार्डनर का ऑफिस है, ऑफिस नहीं बल्कि उसे इस्पात की बनी हुई एक बहुत बड़ी टंकी कहा जाए तो ज्यादा उचित होगा, मुख्य द्वार में दाखिल होने के बाद गार्डनर के ऑफिस की तरफ जाने के लिए बाईं तरफ मुड़ना होगा—एक ऐसे हॉल में से गुजरना होगा जिसमें मौजूद सीटों और काउंटर्स पर पचासों वर्कर्स अपना काम करते रहते हैं।”
“ये वर्कर्स वहां क्या काम करते हैं?”
“इनका काम सचमुच लंदन के सभी बैंकों का हिसाब-किताब रखना है।”
“ओह!”
“इन वर्कर्स की नजरों से बचे रहकर हॉल पार करना लगभग असम्भव ही कहा जाएगा और किसी भी अजनबी को हॉल के अन्दर देखकर ये चौंक सकते हैं, क्योंकि इमारत के अन्दर किसी बाहरी व्यक्ति का कोई काम नहीं पड़ता—इस हॉल के दाईं तरफ से एक गैलरी चली गई है, गैलरी हमेशा ट्यूब लाइट के दूधिया प्रकाश से भरी रहती है, यह गैलरी सीधी गार्डनर के ऑफिस तक गई है, परन्तु बीच ही में यहां भी एक वैसा ही कम्प्यूटर रखा है जो अपने सामने से गुजरने वाले व्यक्ति का असली नाम उस कम्प्यूटर को प्रेषित कर देता है जो गार्डनर के कमरे में रखा है। यानी अपने ऑफिस में बैठा गार्डनर दो मिनट पहले ही, स्क्रीन पर—दो मिनट बाद ऑफिस में आने वाले का नाम जान लेता है, ऑफिस के दरवाजे के बाहर एक बैल लगी है—गार्डनर से मिलने के इच्छुक व्यक्ति को बैल बजानी पड़ती है—अन्दर बैठा गार्डनर जैसे ही बैल की आवाज सुनता है, वैसे ही मेज पर लगा बटन दबा देता है—इस बटन के दबाने से ऑफिस के दरवाजे में छुपा एक गुप्त कैमरा अपनी आंखों से आगन्तुक को देखने लगता है, आगन्तुक को इल्म तक नहीं हो पाता, जबकि अन्दर गार्डनर के सामने एक स्क्रीन पर यह स्पष्ट चमक रहा होता है—संतुष्ट होने के बाद गार्डनर पहला बटन ऑफ करके एक अन्य बटन दबाता है और उसके दबने से दरवाजा खुल जाता है, आगन्तुक से यदि उसे न मिलना हो तो एक अन्य बटन दबाने से ऑफिस के दरवाजे के बाहर मस्तक पर लगा बल्ब तीन बार स्पार्क करके शान्त हो जाता है।”
“हमें इस उपग्रह की कार्यशैली जाननी है प्यारे।”
“कोहिनूर जहां भी रखा है, उसके निचले तले में एक बहुत ही छोटा और विशेष ट्रांसमीटर चिपका दिया गया है, इस ट्रांसमीटर का सम्बन्ध उपग्रह से है और ये ट्रांसमीटर कोहिनूर पर किसी का हाथ लगते ही ऑन हो जाएगा।”
“कैसे?”
“इंसानी जिस्म की ऊष्मा से!”
“ओह!”
“सभी प्राणियों की अपेक्षा इंसानी जिस्म में सबसे कम ऊष्मा है और इस ट्रांसमीटर में उस कम ऊष्मा से भी ऑन होने की क्षमता है अर्थात किसी भी किस्म की ऊष्मा मिलते ही, जो किसी के कोहिनूर पर हाथ लगाते ही उसे मिल जाएगी, ट्रांसमीटर ऑन हो जाएगा और कंट्रोल रूम में बैठे लोग जान जाएंगे कि किसी ने कोहिनूर को हाथ लगाया है।”
“कैसे?”
“ट्रांसमीटर का सम्बन्ध उपग्रह से है और उपग्रह का सम्बन्ध कंट्रोल रूम से—कंट्रोल रूम में एक टी.वी. स्क्रीन रखी है, इस स्क्रीन पर उपग्रह चौबीस घण्टे सिग्नल देता रहता है।”
“उपग्रह सिग्नल किस रूप में देता है?”
“स्क्रीन पर रह-रहकर 'टिंग-टिंग' की आवाज के साथ एक टेढ़ी-मेढ़ी हरी रेखा चमकती रहती है, कुछ वैसे ही अन्दाज में जैसे बादलों के बीच चमकती हुई नजर आती है—“टिंग-टिंग” की आवाज के साथ इस हरी बिजली के चमकते रहने का अर्थ है कि सब कुछ ठीक है—उधर किसी ने कोहिनूर के छुआ तो ऊष्मा से ट्रांसमीटर ऑन हो जाएगा, उपग्रह बिजली की-सी गति से उसे कैच करेगा और तुरन्त ही सूचना को कंट्रोल रूप में रिले करेगा।”
“उसके रिले करने का क्या तरीका है?”
“स्क्रीन पर चमकने वाली बिजली का रंग लाल हो जाएगा और कंट्रोल रूप में 'टिंग-टिंग' के स्थान पर 'पिंग-पिंग' की आवाज गूंजने लगेगी—कंट्रोल रूम के अन्दर ये सिग्नल सिर्फ एक क्षण के अन्दर मिल जाएगा, यानी उधर किसी ने कोहिनूर को स्पर्श किया और इधर सिग्नल मिला।”
“इस कंट्रोल रूम तक जाने का रास्ता?”
“मिस्टर गार्डनर के बेडरूम से है।”
“ये कैसे खुलता है?”
“बेडरूम में एक मजबूत सेफ रखी है, यह सेफ कोई विशेष नम्बर सैट करने से खुलती है।”
“नम्बर क्या है?”
“वह मैं नहीं जानता।”
आगे बढ़कर विकास गुर्रा उठा—“तुम झूठ बोलते हो।”
“मैं सच कह रहा हूं, जब आपको सभी कुछ बता रहा हूं तो भला नम्बर क्यों छुपाऊंगा, इस सेफ को हमेशा मिस्टर गार्डनर ही खोलते हैं और उनके अलावा शायद सेफ के नम्बर को कोई नहीं जानता, यही वो कुछ बातें हैं, जिन्हें जानने के लिए अलफांसे को इर्विन से शादी करके गार्डनर के घर में घुसना पड़ा।”
विकास उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था, जबकि विजय ने कहा—“खैर, आगे बढ़ो।”
“इस सेफ के अन्दर एक लाल रंग का टेलीफोन रखा है, मिस्टर गार्डनर इसका रिसीवर उठाकर कोई नम्बर डॉयल करते हैं, डॉयल करने के बाद जैसे ही वो रिसीवर क्रेडिल पर रखते हैं, वैसे ही बेडरूम के साथ अटैड बाथरूम का टायलेट फर्श बिना किसी प्रकार की आवाज उत्पन्न किए अपने स्थान से हट जाता है।”
“ये नम्बर भी तुम्हें पता नहीं होगा?”
“सिर्फ इतना बता सकता हूं कि वे सात नम्बर रिंग करते हैं।”
विकास उसे इस तरह घूर रहा था कि कच्चा चबा जाएगा, मगर कुछ बोला नहीं।
“इसके बाद?” विजय ने पूछा।
“बाथरूम से नीचे तहखाने तक एक लोहे की सीढ़ी के जरिए पहूंचा जाता है—जैसे ही आप सीढ़ी के सबसे निचले डंडे पर कदम रखेंगे, वैसे ही सारा रास्ता यानी सेफ आदि बन्द हो जाएगी।”
“गुड, फिर क्या होगा?”
“जब तक आप सीढ़ियों पर रहेंगे, तब तक आपके चारों तरफ अंधेरा रहेगा और आपके द्वारा अंतिम डंडा पार करते ही एक बल्ब ऑन हो उठेगा—तब आप खुद को एक छोटी-सी कोठरी में पाएंगे— इस कोठरी में चौबीस घण्टे एक गार्ड की ड्यूटी रहती है—आपके साथ यदि मिस्टर गार्डनर हैं तो ठीक, वरना एक क्षण को भी विलम्ब किए बिना वह आपको रायफल से शूट कर देगा।”
“उफ्फ, बड़ा जालिम है साला, खैर—यदि हमारे साथ मिस्टर गार्डनर हों तो क्या करेगा?”
“जो बल्ब आपके कोठरी में आते ही ऑन हुआ है, उसका दूसरा स्विच कोठरी की दाईं दीवार पर है और इसी स्विच के बराबर में एक ऐसा तीन छिद्रों वाला स्विच है—जिसमें एक विशेष प्लग फिट हो सकता है—गार्डनर का आदेश होने पर ही गार्ड अपनी जेब से प्लग निकालकर स्विच पर फिक्स करेगा।”
“उससे क्या होगा?”
“कोठरी की बाईं तरफ की पूरी-की-पूरी दीवार किसी शटर की तरह जमीन में धंस जाएगी और अब, आपके सामने करीब पांच फीट चौड़ी दूर तक एक लम्बी गैलरी पड़ी होगी, इस गैलरी की छत पर जगह-जगह बल्ब लगे हैं, जिनके प्रकाश से गैलरी हमेशा चकाचौंध रहती है, दोनों तरफ—दीवारों से सटे सशस्त्र गार्ड खड़े रहते हैं— आपको इनके बीच में से होकर गुजरना होगा—करीब एक फर्लांग के बाद गैलरी बाईं तरफ मुड़ेगी—इस मोड़ पर एक कम्प्यूटर आपका असली नाम कंट्रोल रूम को रिले कर देगा—कंट्रोल रूम में रखी इस कम्प्यूटर से सम्बन्धित एक स्क्रीन पर उन सभी के नाम उभर आएंगे, जो इसके सामने से गुजरे हैं।”
“यानी बंटाधार?”
चैम्बूर के होंठों पर एक उदासी भरी और फीकी मुस्कान उभर आई, बोला—“ऐसी बहुत-सी बातें हैं, जिनकी वजह से सारी व्यवस्थाओं की जानकारी होने के बावजूद भी मैं कभी कोई कोई योजना नहीं बना सका।”
“आगे बढ़ो प्यारे, ये साला कम्प्यूटर एक क्षण में किसी भी मेकअप को बेकार कर देगा।”
“आगे फिर एक फर्लांग लम्बी, सीधी गैलरी है और उसी तरह से गार्ड खड़े हैं, गैलरी का अंतिम सिरा इस्पात की एक दीवार है यानी यहां गैलरी बन्द हो गई प्रतीत होती है, परन्तु असल में इस्पात की ये दीवार कंट्रोल रूम का दरवाजा है, जिसे केवल अन्दर से ही खोला जा सकता है।”
“मिस्टर गार्डनर इसे किस तरह खोलते हैं?”
“विशेष सांकेतिक अन्दाज में दस्तक देकर!”
“तुमने देखा और सुना तो होगा, ये सांकेतिक अंदाज क्या है?”
“मिस्टर गार्डनर इस्पात की उस चादर पर हाथ से एक बार, सा—रे—गा—मा—यानी पूरी सरगम बजाते हैं और उसके पन्द्रह सेकण्ड बाद इस्पात की वह दीवार कोठरी की दीवार की तरह ही जमीन में समा जाती है।”
“यानी वहां पहुंचने से पहले संगीतकार बनना भी जरूरी है?”
“बस, अब आप कंट्रोल रूम में पहुंच गए हैं, यहां हर समय पांच व्यक्तियों की ड्यूटी रहती है—एक उपग्रह से सम्बन्धित स्क्रीन पर, दूसरा कम्प्यूटर से सम्बन्धित स्क्रीन पर, तीसरे की उस स्क्रीन पर जिस पर हर समय पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता उपग्रह चमकता रहता है, चौथे की उस अलार्म पर जिसके बजते ही तहखाने में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को मालूम हो जाएगा कि तहखाने में कोई गलत व्यक्ति घुस आया है और पांचवां व्यक्ति एक इंजीनियर है, जो कंट्रोल रूम में रखी मशीनों की नस-नस से वाकिफ है।”
“इस कंट्रोल रूम की भौगोलिक स्थिति क्या है?”
चैम्बूर ने बता दी, तब विजय ने अगला सवाल किया—“तहखाने में चौबीस घण्टे क्या उन्हीं गाड्र्स और पांच व्यक्तियों की ड्यूटी रहती है या ड्यूटियां बदलती रहती हैं?”
“वे तीन टीमें हैं—एक टीम की ड्यूटी केवल आठ घण्टे रहती है, तीन शिफ्टें हैं—सुबह के सात बजे से दोपहर तीन बजे तक—तीन से रात के ग्यारह बजे तक और रात के ग्यारह से फिर सुबह सात बजे तक!”
“ये टीमें तहखाने में किस रास्ते से आती-जाती हैं?”
“मैंने उन्हें तब्दील होते कभी नहीं देखा, इसलिए इस बारे में कुछ नहीं जानता—मगर हां, इतना जानता हूं कि जिस व्यक्ति की ड्यूटी जहां है, वह वहां के अलावा तहखाने के बारे में कुछ नहीं जानता।”
“खैर, अब ये बताओ प्यारे कि इस तहखाने में साला कोहिनूर कहां रखा है?”
“कोहिनूर इस तहखाने में नहीं है।”
“फिर?”
“वह यहां से काफी दूर टेम्स नदी के किनारे बनी एक इमारत में है।”
“वह कम्बख्त वहां क्या कर रहा है, हमारा मतलब—यदि कोहिनूर यहां नहीं है तो फिर गार्डनर की कोठी में सुरक्षा के इतने कड़े प्रबन्ध क्यों हैं?”
“सिर्फ कंट्रोल रूम की सुरक्षा के लिए, ताकि कोई उपग्रह को खराब न कर सके, क्योंकि अगर उपग्रह खराब हो गया तो कोहिनूर पर किसी का हाथ लगने की सूचना नहीं मिल सकेगी।”
“अगर कंट्रोल रूम की सूरक्षा के लिए ये प्रबन्ध किए गए हैं तो माशाअल्लाह, फिर कोहिनूर तक पहुंचना तो निश्चय ही साला एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने से कई गुना ज्यादा कठिन काम होगा?”
“असम्भव की सीमा तक कठिन है, मगर आप थोड़े गलत ढंग से सोच रहे हैं—दरअसल इस व्यवस्था को भी कोहिनूर के लिए की गई सुरक्षा-व्यवस्था ही मानना होगा, क्योंकि अत: कंट्रोल रूम और उपग्रह का सम्बन्ध आखिर है तो कोहिनूर से ही।”
“मान रहे हैं प्यारे, सवा सोलह आने मान रहे हैं।”
विकास ने पूछा—“कोहिनूर कहां रखा है?”
“टेम्स के किनारे बनी सैकड़ों इमारतों में से एक पांच मंजिली इमारत है, इमारत के मस्तक पर लगे बोर्ड पर लिखा है—“बैंक संस्थान।”
“बैंक संस्थान?”
“हां!” चैम्बूर ने बताया—“आम व्यक्ति यही जानता है कि इस इमारत में बैंकों से सम्बन्धित कोई सरकारी दफ्तर है, जिसमें लंदन के सभी बैंकों के खाते हैं और उनका हिसाब-किताब रखा जाता है—आम जनता का इस सरकारी दफ्तर से कोई सम्पर्क नहीं है—असल में यह सारी इमारत के.एम.एस. के अधिकार में है, यानी अगर इसे के.एस.एस. का ऑफिस कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।”
“कोहिनूर इस इमारत में है?”
“सुनते रहिए, दरअसल यदि आप इतनी जल्दी कोहिनूर तक पहुंचेंगे तो समझ कुछ नहीं सकेंगे?” चैम्बूर ने कहा—“दफ्तर सुबह नौ बजे खुलता है—और शाम छ: बजे बन्द हो जाता है—दफ्तर के बन्द होने पर ये सशस्त्र गार्ड अन्दर ही बन्द रह जाते हैं।”
“इसका क्या मतलब?”
“शाम छ: बजे छुट्टी होने के बाद, साढ़े छ: बजे—यानी सबसे अंत में मिस्टर गार्डनर इमारत से बाहर निकलते हैं, तब तक वे पांच सशस्त्र गार्ड मुख्य द्वार पर ही रहते हैं, जिनकी ड्यूटी दरअसल सारे दिन मुख्य द्वार पर ही रहती है—हां, तो मैं कह रहा था कि साढ़े छ: बजे मिस्टर गार्डनर इमारत से बाहर निकल आते हैं और शेष दो इमारत के अन्दर ही रह जाते हैं, गार्डनर के आदेश पर इमारत का मुख्य दरवाजा तीन बाहर वाले गार्ड बन्द कर देते हैं, इस द्वार की चाबी गार्डनर के पास रहती है—जिसे वह उसी समय निकालकर उन बाहर वाले तीन गाडर्स में से किसी एक को देते हैं—वह गार्ड दरवाजे को लॉक करके चाबी पुन: गार्डनर को दे देता है और इसके बाद गार्डनर अपने और वे तीनों गार्ड अपने-अपने रास्तों पर चले जाते हैं।”
“यानी वे दो गार्ड सारी रात अन्दर ही बन्द रहते हैं?”
“जी हां!”
“वहां रात को क्या वे मटर छीलते हैं?”
“रात भर वे क्या करते हैं, यह तो मैं नहीं बता सकता, मगर इतना जानता हूं कि जिस तरह मुख्य द्वार को बाहर से लॉक किया जाता है, उसी तरह ये गार्ड उसे अन्दर से भी लॉक कर लेते हैं—यानी अब मुख्य द्वार को किसी भी एक चाबी से नहीं खोला जा सकता।”
“सुबह को?”
“वे तीन गार्ड और मिस्टर गार्डनर ठीक पौने नौ बजे इमारत के मुख्य द्वार पर पहुंच जाते हैं, गार्डनर से चाबी लेकर गार्ड बाहर वाला लॉक खोलते हैं और दरवाजा नौ बजने में दस मिनट रह जाने पर तभी खुलता है जब अन्दर वाले गार्ड अन्दर वाला लॉक खोल देते हैं।”
“इसके बाद!”
“इमारत में दाखिल होकर मिस्टर गार्डनर अपने ऑफिस में चले जाते हैं और पांचों गार्ड मुस्तैदी के साथ दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं—अब, ऑफिस में काम करने वालों का आगमन शुरू हो जाता है—ये गार्ड प्रत्येक को अच्छी तरह से चैक करने के बाद ही इमारत में दाखिल होने देते हैं और पूरे स्टाफ के आ चुकने के बाद द्वार पुन: बन्द करके अन्दर से लॉक कर लेते हैं, अब यह दरवाजा शाम छ: बजे ही खुलेगा और साढ़े छ: बजे तक पुन: पहले जैसी स्थिति में ही दोनों तरफ से बन्द हो जाएगा।”
“बड़ा चक्करदार चक्कर है, खैर—इस दरवाजे के अन्दर तो घुसो।”
“मैं तो घुस जाऊंगा लेकिन उम्मीद है कि आप लोग समझ गए होंगे—इस इमारत के अन्दर दिन या रात के समय दाखिल होना एक समस्या है, यह बात दिमाग में अच्छी तरह से बैठा लीजिए कि इस मुख्य द्वार के अलावा इमारत में एक चिड़िया तक के दाखिल होने की कोई जगह नहीं है।”
“हम सब समझ रहे हैं प्यारे, तुम आगे बढ़ो।”
“ग्राउंड फ्लोर पर ही मिस्टर गार्डनर का ऑफिस है, ऑफिस नहीं बल्कि उसे इस्पात की बनी हुई एक बहुत बड़ी टंकी कहा जाए तो ज्यादा उचित होगा, मुख्य द्वार में दाखिल होने के बाद गार्डनर के ऑफिस की तरफ जाने के लिए बाईं तरफ मुड़ना होगा—एक ऐसे हॉल में से गुजरना होगा जिसमें मौजूद सीटों और काउंटर्स पर पचासों वर्कर्स अपना काम करते रहते हैं।”
“ये वर्कर्स वहां क्या काम करते हैं?”
“इनका काम सचमुच लंदन के सभी बैंकों का हिसाब-किताब रखना है।”
“ओह!”
“इन वर्कर्स की नजरों से बचे रहकर हॉल पार करना लगभग असम्भव ही कहा जाएगा और किसी भी अजनबी को हॉल के अन्दर देखकर ये चौंक सकते हैं, क्योंकि इमारत के अन्दर किसी बाहरी व्यक्ति का कोई काम नहीं पड़ता—इस हॉल के दाईं तरफ से एक गैलरी चली गई है, गैलरी हमेशा ट्यूब लाइट के दूधिया प्रकाश से भरी रहती है, यह गैलरी सीधी गार्डनर के ऑफिस तक गई है, परन्तु बीच ही में यहां भी एक वैसा ही कम्प्यूटर रखा है जो अपने सामने से गुजरने वाले व्यक्ति का असली नाम उस कम्प्यूटर को प्रेषित कर देता है जो गार्डनर के कमरे में रखा है। यानी अपने ऑफिस में बैठा गार्डनर दो मिनट पहले ही, स्क्रीन पर—दो मिनट बाद ऑफिस में आने वाले का नाम जान लेता है, ऑफिस के दरवाजे के बाहर एक बैल लगी है—गार्डनर से मिलने के इच्छुक व्यक्ति को बैल बजानी पड़ती है—अन्दर बैठा गार्डनर जैसे ही बैल की आवाज सुनता है, वैसे ही मेज पर लगा बटन दबा देता है—इस बटन के दबाने से ऑफिस के दरवाजे में छुपा एक गुप्त कैमरा अपनी आंखों से आगन्तुक को देखने लगता है, आगन्तुक को इल्म तक नहीं हो पाता, जबकि अन्दर गार्डनर के सामने एक स्क्रीन पर यह स्पष्ट चमक रहा होता है—संतुष्ट होने के बाद गार्डनर पहला बटन ऑफ करके एक अन्य बटन दबाता है और उसके दबने से दरवाजा खुल जाता है, आगन्तुक से यदि उसे न मिलना हो तो एक अन्य बटन दबाने से ऑफिस के दरवाजे के बाहर मस्तक पर लगा बल्ब तीन बार स्पार्क करके शान्त हो जाता है।”