रूबी- “भैया हैं…”
मामी बोली- “हाँ… मैं निकली वो बाथरूम में घुसा…” मामी ने रूबी से कहा- “तुम्हारे पापा दो दिन के लिए बाहर गये हैं। मैं इमरान से बोल रही हूँ की रुक जाए। वो नहीं मान रहा। तुम कहो तो शायद मान जाए…”
रूबी जिद करने लगी।
मैंने कहा- अम्मी इंतेजार करेंगी।
मामी ने कहा- हम बाजार चलेंगे पी॰सी॰ओ॰ फोन से काल कर देंगे।
फिर हमारा बाजार और पार्क जाने का प्रोग्राम बना। हम पार्क गये। वहाँ रूबी ने मेरे साथ खूब खेला। मामी को जब भी मौका मिलता, पूछती- “तुमने कहाँ से सीखा। कितनी लड़कियों को अब तक चोद चुके हो…”
मैं टालता रहा। फिर हमने बाहर ही खाना खाया और घर आते ही रूबी सोने चली गई और मुझे उसके पास सोने को जिद करने लगी। मामी ने समझाकर मुझे ड्राइंग रूम में सुलाया। कुछ ही देर में मामी नाइटी पहनकर मेरे कमरे में आ गईं। आते ही रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया। और मेरे ऊपर चढ़ गयीं। उनपर मेरे लण्ड ने जादू कर दिया था।
मामी- “इमरान, बताओ ना इतना अच्छा चोदना कैसे सीखा…”
मैंने पिकनिक का सारा वाकिया बता दिया।
मामी बोली- “चार-चार लड़कियों को तीन तीन बार चोदे वो भी एक दिन में… मुझे आज रात कितनी बार चोद सकोगे…”
मैंने कहा- “तीन बार तो जरूर…”
मामी- “ठीक है तीन बार तुम्हारी तरफ से एक बार मेरी तरफ से 4 बार…” मामी ने अपना नाइटी उतार फेंका और कहा- “अब देख लो…”
मैंने कहा- नाइट बल्ब में कुछ दिखता है क्या।
उन्होंने कहा- ठीक है, ट्यूब जला लो।
मैं उठा और ट्यूब जला दिया। मामी चित पड़ी थीं। हाथ फैलाये टांगें फैलाये। यानी सारी खूबसूरती एक साथ दिखाती हुईं। उनके चेहरे पे मुश्कुराहट थी, यानी उन्हें अपने हुश्न पर नाज था। वो सच में खूबसूरत थीं। मैंने अपने सारे कपड़े उतारे और उनके पैर पकड़के पलंग के किनारे पे खींच लिया। ऐसा की उनकी कमर पलंग के किनारे पे थी। उनकि टाँगों को उन्हें पकड़ा दिया और खुद बैठकर बुर को चाटने लगा। बुर की गहराई तक जबान डालकर चाटने लगा। मामी की दोनों टाँगें छत की तरफ उठी हुई थी। मेरा लण्ड अब और बाहर रहने के लिए राजी नहीं था।
उधर मामी कह रही थी- इमरान, मुझे लण्ड दो जबान नहीं। लण्ड डालो इमरान तुम्हारी जबान भी अच्छी है। लेकिन लण्ड की बात कुछ और है।
मैं भी तैयार था लण्ड बुर में घुसा दिया और शुरू से ही स्पीड बढ़ा दी।
मामी किसी शायर के शेर पे दाद देने जैसा बोल रही थीं- “वाह इमरान वाह… मजा आ गया। मुझे एक शादीशुदा अच्छी तरह चुदी हुई औरत बना दो। सब मुझसे कहते हैं तू चुदती है की नहीं। एक बच्चे की माँ बन गयी लेकिन तेरा बदन तो कुँवारियों जैसा है, गाण्ड फैली नहीं, छाती टाइट की टाइट है। आज सब कुछ ढीला कर दो। जी भरके चोदो…”
मैं ठाप पे ठाप लगा रहा। मैं पलंग के नीचे खड़ा होकर मार रहा था। फिर मैंने मामी से कहा- मामी मेरी कमर पर पैर लपेटिए। और उन्हें खींच कर उठाया और उन्हें अपनी बाहें मेरे गले में डालने को कहा। मैंने उन्हें उठा लिया अब वो मेरे गले में झूल रही थी।
मेरा लण्ड उनकी बुर के अंदर था। मैं उनकी गाण्ड के नीचे हाथ देकर ऊपर-नीचे करने लगा। मामी प्यार से मेरा मुँह चूम रही थी। मामी ने कहा- “मेरा बच्चा मुझे गोद में ले रहा है। कितना प्यारा बच्चा है। इमरान, तुमने मेरा दिल खुश कर दिया।
मैंने शरारत से कहा- मैं सेवा तो आपकी बुर की कर रहा हूँ। दिल कैसे खुश हो गया।
मामी ने कहा- गलती हो गयी बाबा। तुमने मेरी बुर को खुश कर दिया। और कितने पैंतरे जानते हो।
मैंने कहा- मामी यह तो अभी-अभी दिमाग में आया।
उनके ना चाहते भी उनकी पीठ एक दीवार से टकरा गयी। मैंने उन्हें दीवार से सटा दिया। कुछ वजन हल्का लगा। मैं उन्हें उसी तरह दीवार पे सटाकर धक्के मारने लगा। अब धक्के मारना ज्यादा आसान हो गया। और जोरदार पड़ने लगा।
मामी बोली- दीवार गिराने का इरादा है क्या…
मैंने कहा- “नहीं… आपकी गाण्ड को फैलाना है, आप चाहती हैं ना…” मैंने उन्हें दीवार से अलग किया और फिर जोर से दीवार में धक्का दिया, पीछे से दीवार का धक्का सामने से मेरा धक्का।
चार पाँच धक्के के बाद मामी बोली- “आह्ह… इमरान, ऐसे नहीं। ऐसे तो तकलीफ होती है। नीचे घोड़ी बनाके पीछे से चोदते हैं। तभी गाण्ड फैलती है…” दोनों अब तक पशीने से तरबतर थे। पंखा चल तो रहा था लेकिन बदन जल रहा था।
इतने में मामी मुझसे चिपक गयीं- “उउउन्ममम्ममम… उउउम्म्मह… की आवाज के साथ बुर से पानी छोड़ने लगी। मैं भी थक गया था, उन्हें लेकर नीचे फर्श पर चित लेट गया। वो मेरे ऊपर थीं, लण्ड उनकी बुर के अंदर था। वो हाथ से मेरे पशीने पोंछने लगीं, मुझे प्यार करने लगीं।
मामी- “इमरान, मेरा बच्चा कितना खुशी देगा रे मुझे। ले दुधू पी…” कहकर मेरे होंठ में चूचुकों को सटा दिया।
मैं चूचुकों को चूसने लगा, फिर शरारत से कहा- मामी, दुधू नहीं निकल रहा।
मामी बोली- “घूंसे मार, जैसे बकरी का दूध दुहते हैं। वेसे ही दुह…”
मैं दोनों छातियों हल्के-हल्के घूंसे मारने लगा फिर दुहने लगा।
मामी बोल रही थी- “अब चूचुकों को खींच, जैसे बकरी के खींचे जाते हैं…”
मैं वेसे ही खींचने लगा। मुझे पता था ऐसे में मामी को तकलीफ होगी। उनके चेहरे से तकलीफ जाहिर भी थी। वो कमर को गोल-गोल घुमा रही थी लण्ड पर।
मामी- “इमरान, तुझे तकलीफ तो नहीं हो रही है ना। मैं अपना सब कुछ ढीला करवाना चाहती हूँ। चुदी हुई दिखना चाहती हूँ। और सुन किसी से बोलना मत। इस बेहतरीन चुदाई से मैं तेरा बच्चा इसी बुर से पैदा करना चाहती हूँ। बिल्कुल तेरे जैसा बेटा। तेरे मामा अब एक और बच्चा के लिए कह रहे हैं। हम एक साल से किसी एहतियात के बिना चुदाई कर रहे हैं लेकिन अभी तक बच्चा नही ठहरा। मेरी एक सहेली है ना शादी के वक़्त पतली थी। शादी के दो साल बाद दो बच्चों की माँ बन गयी, और चालीस इंच कमर। मैंने पूछा तो उसने बताया की उसका शौहर रोजाना दो बार कूटता है। एक बार आगे से एक बार पीछे से। ऐसे गाण्ड मटका कर चलती है जैसे अभी-अभी चुदवा कर आई है…”
मैं लगातार उनका दूध दुह रहा था। अचानक मुझे लगा मेरे गाल पर एक बूँद पानी का गिरा। मैंने गौर किया तो चूचुकों के मुँह पर सफेद पानी टपक रहा। था मैंने चूचुकों को मुँह में लिया तो वाह… क्या मीठा दूध था… मैंने मामी को बताया तो उन्हें भी ताज्जुब हुआ।
मामी- “वाह इमरान, तू तो पत्थर से भी रस निकाल सकता है रे। निचोड़ डाल सारा रस इससे, अब तेरे सिवा कोई पीने वाला नहीं। मुझे तो लगने लगा है तेरे मामा अब मुझे चोदने से डरने लगें हैं। मुझे एक बार और माँ बनना है, एक लड़के को जनम देना है…” वो अब गाण्ड उछल-उछल के मुझे चोद रही थी।
मेरा बदन अकड़ने लगा मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और उन्हें उठा-उठाकर अपने लण्ड पर धक्के मारने लगा। फिर मेरे लण्ड ने मामी की बुर के अंदर उल्टी करना शुरू कर दिया। फिर सब कुछ थम सा गया। मामी मेरे ऊपर लेटी हुई थी, लण्ड उनकी बुर के अंदर ही था।
मामी बोली- अबकी बार मैं गधी बनूँगी, तुम गधे की तरह चोदना।
मैंने पूछा- गधा ही क्यों…
मामी बोली- क्योंकी गधे का लण्ड दुनियां में सबसे लंबा होता है। एक हाथ से भी लंबा।
मैंने पूछा- “आपने देखा है…”
उन्होंने कहा- हाँ… उसी ने तो 15 साल की उम्र में चुदने के लिए मजबूर किया था।
मैंने कहा- “वो कैसे…”
हमारे गॉव में एक आदमी ने गधे पाले हुये थे, तीन गधी एक गधा। एक बार स्कूल से आते वक़्त एक तालाब के पास मैं और मेरी एक सहेली पेशाब करने बैठीं थीं की उस गधे ने हमारे सामने अपना लण्ड खड़ा कर लिया। पहले हम समझ नहीं पाए की यह क्या है… लेकिन जब वो हमारे बिल्कुल सामने गधी पर चढ़ गया। और उसका लण्ड गधी की चूत में घुस गया। तो हमारी समझ में सब कुछ आ गया की क्या हो रहा है। हम दम साधे देखते रहे।
गधा 4-5 मिनट तक गधी पर चढ़ा रहा। फिर उतर गया। उसका लण्ड बाहर आ गया, लण्ड से रस टपक रहा था। फिर आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड सिकुड़ता चला गया और पूरा खोल के अंदर समा गया। तब हम दोनों की साँस चली। हम दोनों के मुँह से निकला- “इतना लंबा… पूरा अंदर चला गया था…”
हम खिलखिलाती हुई उठीं और घर चलने लगी। रास्ते भर सिर्फ़ उसी की बात होती रही।
कहानी ज़ारी है… …