XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी - Page 8 - SexBaba
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XXX Hindi Kahani अलफांसे की शादी

विजय से पहले इस बार विकास बोला—“मेरे कुछ सवालों का जवाब देंगे क्राइमर अंकल?”
“जरूर दूंगा।”
“क्या आप चैम्बूर को जानते हैं?”
“जानता हूं नहीं, जानता था—अब ये भी जानता हूं कि उसे तुमने मार दिया है।”
“तब तो आप यह भी सोच सकते हैं कि सब कुछ उगलवाने के बाद ही हमने उसे मारा होगा।”
“बेशक!”
“फिर भी आप हमें वही पढ़ा रहे हैं, यह जानने के बावजूद कि उसने हमें आपकी योजना भी बता दी है।”
अलफांसे ने एक कदम आगे बढ़कर कहा—“मैं वह एक-एक लफ्ज जानता हूं, जो उसने कहा होगा, लेकिन...।”
“लेकिन क्या?”
“चैम्बूर सिर्फ वही कह सकता था जिस भ्रम में मैंने उसे रखा था।”
“मतलब?”
“उसने झूठ नहीं बोला, फिर भी उसकी बात में झूठ का अंश था—वह मुझसे स्वयं मिला और वहां से लेकर मेरी और इर्विन की लंदन में हुई भेंट का वह सारा किस्सा सच है, जो उसने कहा—मैं कोहिनूर के चक्कर में ही यहां आया था—इर्विन से भेंट सचमुच एक संयोग थी—जिस क्षण मुझे ये पता लगा कि वह गार्डनर की लड़की है—ये सच है कि उस क्षण मैंने उस पर आसक्त होने का नाटक कोहिनूर के लिए किया था—परन्तु उससे भी बड़ा सच ये है विकास कि उससे होने वाली मुलाकातें, उसके व्यवहार—प्यार और मेरे प्रति उसके विश्वास और श्रद्धा ने मुझे तोड़ दिया—मेरे दिमाग से कोहिनूर की बात बिल्कुल ही निकल गई, अपने और इर्विन के सम्बन्धों को मैं एक नए और अनूठे ही रूप में देखने लगा।”
“तुम ये लैला-मजनूं की कहानी बन्द करते हो या नहीं?”
अलफांसे ने बड़े ही असहाय भाव से विजय की तरफ देखा।
“एक मिनट अंकल, प्लीज—गुरु को कहने दीजिए।” विकास ने कहा—“हां तो मतलब ये हुआ गुरु कि आप सचमुच ही इर्विन से मोहब्बत करने लगे, फिर?”
“उन चन्द ही दिनों में मैं और इर्विन काफी आगे बढ़े चुके थे कि उस दिन गार्डन की कोठी पर अचानक चैम्बूर से मुलाकात हो गई, फिर मेरे और उसके बीच होटल के कमरे में जो बाते हुईं, वे सब तो उसने बता ही दी होंगी।”
“उनके बारे में आपका क्या कहना है?”
“सिर्फ ये कि जरा सोचो, जो बातें मैंने उससे कीं—उनके अलावा मैं और कर भी क्या सकता था—मैं जानता था कि यदि गर्म तवे पर बैठकर चैम्बूर से ये कहूं कि मैं अब कोहिनूर के चक्कर में नहीं हूं, बल्कि सचमुच इर्विन से प्यार करता हूं तो वह यकीन नहीं करेगा, बोलो—क्या तुम्हारे ख्याल से वह यकीन करता?”
“नहीं।”
“इसलिए मैंने उसका ये आरोप स्वीकार किया कि मैं कोहिनूर के चक्कर में हूं क्योंकि स्वीकार न करने का अर्थ था, उसका यह समझना कि मैं उससे चार सौ बीसी कर रहा हूं और उसके यह समझने का अर्थ था, उसके द्वारा मेरा भंडा फूट जाना—उसकी बात में वजन था, सब उसी का यकीन करते—मुझे कोहिनूर के चक्कर में मान लिया जाता और ऐसा होते ही इर्विन मुझसे नफरत करने लगती—वह मुझसे बहुत दूर हो जाती विकास और सच, तब तक तेरे में उसे खो देने की हिम्मत बाकी नहीं रह गई थी—अत: चैम्बूर की जुबान बन्द करने के लिए मैंने उसके सामने स्वीकार कर लिया कि मैं कोहिनूर के चक्कर में हूं—उसे पार्टनर भी बना लिया—यकीन दिलाने के लिए एक उल्टी-सीधी योजना भी सुना दी उसे—योजना तुमने भी सुनी होगी—वह सुलझी हुई सशक्त और सुदृढ़ नहीं है, केवल इसलिए कि मैं इस पर कार्य करने वाला नहीं था, केवल उसे सन्तुष्ट करना ही मेरा एकमात्र मकसद था और वह योजना सुनाकर मैंने उसका मुंह बन्द कर दिया।”
“अब यानी शादी के बाद आप कितने दिन तक चैम्बूर को इस तरह संतुष्ट रख सकते थे?”
“सोचा था कि महीने-दो-महीने में इर्विन और गार्डनर को विश्वास में लेकर मैं किसी दिन शांति से बैठकर उससे ये सब बातें सच-सच बता देता जो इस वक्त यहां कह रहा हूं।”
विजय ने व्यंग्य किया—“यानी अपना काम तुम चैम्बूर को मैदान से साफ करके करने वाले थे?”
“लगता है मैं जिन्दगी में तुम्हारा नजरिया कभी भी नहीं बदल सकूंगा विजय!”
“एक तरफ तुम कहते हो कि तुम दूध में धुल चुके हो प्यारे, दूसरी तरफ तुम्हारी हरकतें अब भी वही हैं।”
“ऐसा क्या किया मैंने?”
“जो कुछ हमने जेम्स ऐलिन और हैमेस्टेड बनकर किया, तुम वह सब कुछ जान गए—तुमने यह भी पता लगा लिया कि इस वक्त हम यहां हैं, ये सारी हरकतें दूध से धुले लूमड़ की हैं या पुराने लूमड़ की?”
“तुम्हारे ऐलिन और हैमेस्टेड वाले रोल की जानकारी प्राप्त करने से सम्बन्धित स्पष्टीकरण तो मैं दे ही चुका हूं—अब रही यहां पहुंचने की बात—इसका जवाब केवल ये है विजय कि इंसान का चरित्र बदलवाने से वे योग्यताएं तो खत्म नहीं हो जाती जो उसमें हैं—ग्राडवे की लाश देखकर ही मैं समझ गया था कि तुम किस लाइन पर चल रहे हो, उसके बाद तुम पांचों इस मेकअप में एलिजाबेथ आए—शायद भूल गए कि अलफांसे मेकअप के धोखे में नहीं आता—उस दिन, एलिजाबेथ में आशा ने सिक्योरिटी के जासूस को फंसाने के लिए जो ड्रामा किया, उसने मुझ पर बहुत-सी हरकतें खोल दीं—मैं बड़ी आसानी से समझ सकता था कि ऐसी सुन्दर चाल तुम्हारे ही दिमाग की देन हो सकती है, मैं जानता था कि मुझे वॉच किया जा रहा है, इस मन से कि कहीं तुम मुझे कोई नुकसान न पहुंचा दो, मैंने अपने एक शार्गिद को विक्रम के पीछे लगा दिया—जिससे मुझे यहां का पता मिल गया।”
“यानी अपने पुराने साथियों से सम्पर्क बनाए हुए हो?”
“सिर्फ तब तक जब तक कि तुम यहां सक्रिय हो, अपनी सुरक्षा हेतु!” अलफांसे ने पूछा—“आज दिन में मुझे पता लगा कि तुमने चैम्बूर को किडनैप कर लिया है, मैं समझ गया कि अपनी समझ में तुम बिल्कुल सही लाइन पर चल रहे हो और यदि इसी तरह चलते रहे तो तुम मेरी फैमिली लाइफ बिखेर दोगे।”
“क्या मतलब?”
“प्लीज विजय, मुझे सुधरने दो—यहां से चले जाओ दोस्त, वैसा कोई चक्कर नहीं है, जैसा तुम सोच रहे हो—मैं कोहिनूर को नहीं चुराऊंगा, इसलिए कोहिनूर तो तुम्हारे हाथ नहीं लगेगा, लेकिन इस चक्कर में मेरी फैमिली लाइफ जरूर बिखर जाएग।”
“वह कैसे प्यारे?”
“यदि तुम्हारी एक्टिविटीज यूं ही जारी रहीं तो दूसरे लोग भी मेरे बारे में वही सोचने लगेंगे जो तुम सोच रहे हो, इर्विन भी यही सोचने लगेगी—मैं इस वक्त भी पूरा रिस्क लेकर आया हूं—यदि इर्विन जाग गई तो कमरे से मुझ चोरों की तरह गायब देखकर जाने क्या सोचने लगेगी—मेरे प्रति शंकित हो उठेगी वह, लेकिन यहां आना भी मेरे लिए जरूरी हो गया था—प....प्लीज लौट जाओ विजय, व्यर्थ का बखेड़ा मत खड़ा करो—यदि तुम सक्रिय रहे तो बॉण्ड भी सक्रिय रहेगा—कांटे की तरह मेरे दिमाग में वह भी चुभने लगा है, जिसने तुम्हें फोन किया—पता नहीं वह कौन है—इस सारे झमेले में मेरी इर्विन दूर हो जाएगी मुझसे।”
“इसमें मैं क्या कर सकता हूं?”
“तुम यहां से चले जाओ, सारे बखेड़े अपने आप बन्द हो जाएंगे।”
व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ विजय ने कहा—“और मैदान साफ होते ही तुम्हारा बखेड़ा शुरू?”
“उफ्फ!” इस बार अलफांसे झुंझलाकर चीख पड़ा—“तु...म मेरा यकीन क्यों नहीं करते—मैं कोहिनूर के चक्कर में नहीं हूं विजय—“मैं एक छोटे-से घर, एक शान्त जिंदगी के चक्कर में हूं—म...मैं....अपने होने वाले बच्चे की कसम खाकर कहता हूं कि मैं कोहिनूर के चक्कर में नहीं हूं।”
“ब....बच्चा?” विकास चौंका—“क्या इर्विन आण्टी मां बनने वाली हैं अंकल?”
“हां!” दांत भींचकर क्रोधित स्वर में कहते वक्त अलफांसे की आंखों में आंसू और लहू का मिश्रण डबडबा रहा था, गुर्राहटदार स्वर में वह कहता ही चला गया—“इर्विन मां बनने वाली है, उसकी कोख में मेरा बच्चा है—मैं बदल गया हूं—अगर तुमने यकीन नहीं किया और अपने दिमाग में फितूर की वजह से यहां सक्रिय रहे तो मेरा बनाया हुआ आशियां तिनके-तिनके करके बिखर जाएगा और यदि ऐसा हो गया विजय तो कसम से, बोटी नोच डालूंगा मैं तुम्हारी—हिन्दुस्तान में खून के दरिया बहा दूंगा—यदि मेरा बसाया हुआ ये घर उजड़ गया तो फिर—फिर अलफांसे अतीत के अलफांसे से कई गुना ज्यादा खतरनाक होगा, ये तुम याद रखना विजय!” पागलों की-सी अवस्था में कहने के बाद वह घूमा और बड़ी तेजी से हॉल से बाहर निकल गया।
“अंकल—रुकिए अंकल!” विकास ने उसे पुकारा।
मगर अलफांसे रुका नहीं—आवाज देते हुए विकास ने उसके पीछे दौड़ना चाहा, परन्तु आगे बढ़कर विजय ने उसकी कलाई पकड़ ली और बोला—“लूमड़ को जाने दो प्यारे!”
विकास अवाक्-सा विजय के चेहरे को देखता रह गया।
 
टॉर्चर चेयर पर बैठी आशा को अपना सिर बुरी तरह से भभकता हुआ महसूस हो रहा था, हजार वॉट वाले बल्ब की तीखी रोशनी उसकी आंखों में सुई के समान चुभ रही थी— सारे बल्बों के फोकस आशा के चेहरे और सिर पर फिक्स थे—उसे नींद आ रही थी—टॉर्चर चेयर पर बैठे-बैठे उसे चालीस घणटे के करीब हो गए थे।
इस बीच एक मिनट के लिए भी उसे सोने नहीं दिया गया था।
आंखें जलती हुई-सी महसूस हो रही थीं।
न चाहते हुए भी उसकी आंखें बन्द होती चली गईं और अभी पूरी तरह बन्द हुई भी नहीं थीं कि ठीक सामने खड़े जेम्स बॉण्ड ने एक गिलास पानी झटके से उसके चेहरे पर फेंका।
'छपाक्' की आवाज के साथ ही आशा चौंक-सी पड़ी, एक कराह निकली उसके होंठों से—विनती करती हुई-सी बोली—“मुझे सोने दो—प्लीज....मुझे नींद आ रही है।”
“कहो कि तुम आशा हो।” बॉण्ड गुर्राया।
“न...नहीं।”
“मैं तुम्हें नहीं सोने दूंगा, नींद से बहुत प्यार है न तुम्हें—सोना चाहती हो तो एक ही रास्ता है—बोलो कि तुम आशा हो—तुम आशा....।” बॉण्ड का वाक्य बीच में ही रह गया।
उसकी तर्जनी में पड़ी चौड़े नगवाली अंगूठी स्पार्क कर रही थी—बॉण्ड बड़ी तेजी से गिलास एक तरफ फेंककर पीछे हटा, अगले ही पल उसने अंगूठी में मौजूद ट्रांसमीटर ऑन कर दिया—दूसरी तरफ से आवाज आई, “एजेण्ट डबल एन नाइन स्पीकिंग ओवर!”
“हां रिपोर्ट दो—ओवर!”
“ये लोग मुझे आशा समझकर अपने साथ ले आए हैं ओवर!”
“वैरी गुड!” जेम्स बॉण्ड की आंखें हीरों की तरह चमक उठीं—“इस वक्त तुम कहां से बोल रही हो ओवर?”
“पीटर हाउस से, इन लोगों ने यहीं डेरा जमा रखा है—इस वक्त वे चारों यहीं हैं और कम-से-कम तीन घण्टे तक यहीं रहेंगे, बड़ा अच्छा मौका है, पीटर हाउस को सशस्त्र फोर्स से घिरवा दो।”
“ओ.के.—मैं ऐसा ही करता हूं, तुम सतर्क रहना—ओवर एण्ड ऑल!” कहने के तुरन्त बाद बॉण्ड ने जल्दी से ट्रांसमीटर ऑफ किया और टॉर्चर रूम से बाहर निकलने के लिए दरवाजे की तरफ लपका।
 
क्या आप अलफांसे के बारे में किसी निर्णय पर पहुंच सके—यानी विजय के मुताबिक वह सचमुच कोहिनूर के चक्कर में है या ये सच है कि वह इर्विन से प्यार करता है, छोटा-सा घर बसाना चाहता है? अपनी राय मुझे पत्र में लिख भेजें, फिर अपनी राय को 'कफन तेरे बेटे का' से मिलाएं—जी हां, अलफांसे की शादी से जो कथानक शुरू हुआ है, उसका अंत 'कफन तेरे बेटे का' में ही होगा।
“इर्विन ने अलफांसे को चोरों की तरह जाते देखकर क्या सोचा—क्या उनके सम्बन्ध बिखर गए—अलफांसे सचमुच किस चक्कर में है—अलफांसे के होने वाले बेटे का नाम क्या रखा गया—वह कौन था, जिसे चैम्बूर ने बॉण्ड के चले जाते ही फोन किया—चैम्बूर को कौन-सा रहस्य विजय-विकास को न बताने की चेतावनी दी थी, सुरक्षा-व्यवस्था आप सुन ही चुके हैं, क्या कोहिनूर की सफल चोरी हो सकेगी, यदि हां तो चोरी कौन करेगा और सबसे बड़ा सवाल है, ये चोरी कैसे होगी—क्या आप कोई स्कीम बनाकर हमें भेज सकते हैं—यदि नहीं तो 'कफन तेरे बेटे का' पढ़ें—और यदि हां तो लिख भेजें और फिर अपनी स्कीम को 'कफन तेरे बेटे का' की स्कीम के तराजू में तोलें।
विजय के ग्रुप पर छाए संकट के बादलों का क्या हुआ, फोन करके हिस्सा मांगने वाला कौन है—उस दस वर्षीय छोटे-से बच्चे ने क्या कमाल दिखाया—चैम्बूर की लाश कहां है—आशा पर क्या गुजरी—क्या अपने बीच रह रह आशा के रूप में बॉण्ड की जासूस को विजय ग्रुप पहचान सका—जब बॉण्ड ने पीटर हाउस को घेर लिया तो ये लोग कैसे बचे—क्या बाण्ड ने अपने मुल्क का गौरव जाने दिया? उपरोक्त और ऐसे ही ढेर सारे सवालों का पिटारा है—'कफन तेरे बेटे का'—शतरंज बिछ चुकी है, चालें चली जा रही हैं—मोहरे आपके सामने हैं—आप यह भी जानते हैं कि मात देने तक अपने कितने मोहरे गंवाने होंगे—यह सब जानने के लिए 'कफन तेरे बेटे का' पढ़ें।
'कफन तेरे बेटे का' में केवल उपरोक्त सवालों के जवाब ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ है—जो है, उसे यहां छोटी-सी 'झलक' के रूप में प्रस्तुत कर रहा हूं—'कफन तेरे बेटे का' की चंद झलकियां।
¶¶
“नहीं गुरु, नहीं।” लड़का भड़क उठा—“अब आपकी इन ढुल-मुल स्कीमों से कुछ होने वाला नहीं है—अब मुझे अपने ढंग से काम करना होगा।”
“होश की दवा करो प्यारे दिलजले!”
“होश की दवा आप कीजिए गुरु—विकास को हारने की आदत नहीं है—आप सभी बहुत पीछे हैं, क्राइम अंकल बहुत आगे निकल गए हैं—अगर एक बार कोहिनूर उनके हाथ आ गया तो दुनिया की कोई ताकत हमें उस तक नहीं पहुंचा सकती।”
“ये सुरंग...!”
“हुंह—सुरंग—ये सुरंग बना रहे हैं आप?” विकास बिफर पड़ा—“ये सुरंग कभी पूरी नहीं होगी—हमसे बहुत पहले क्राइमर अंकल कोहिनूर ले उड़ेंगे।”
“इसमें हम कर भी क्या सकते हैं?”
“भले ही आप न कर सकें। आपके ढंग से कुछ न हो सके—मगर मैं सब कुछ कर सकता हूं—पाँसे अब भी पलट सकते हैं, मेरे ढंग से अब भी बहुत कुछ हो सकता है।”
“क्या करोगो तुम?”
“इर्विन का मर्डर!”
विजय हलक फाड़कर चिल्ला उठा—“व...विकास!”
“हां गुरु—हां, क्राइमर अंकल का सम्बन्ध गार्डनर के घर से तोड़ देना जरूरी है और जब इर्विन ही न रहेगी तो उस घर से खुद-ब-खुद ही क्राइमर अंकल के सम्बन्ध खत्म!”
¶¶
विकास दहाड़ उठा—“तुम बहुत बड़े भ्रम में हो इर्विन—अलफांसे गुरु तुमसे बिल्कुल प्यार नहीं करते—केवल कोहिनूर को हासिल करने के लिए उन्होंने तुमसे शादी की है।”
“ये झूठ है—मैं उनके बच्चे की मां बनने वाली हूं।”
“इसका मतलब तुम नहीं मानोगी, अलफांसे गुरु से सम्बन्ध-विच्छेद करके कभी इस कोठी में न आने के लिए नहीं कहोगी?” विकास ने भभकते स्वर में पूछा।
“मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं, वो मेरे पति हैं।”
“तो फिर ये लो—इस सारे किस्से को मैं खत्म किए देता हूं।” गुर्राने के साथ ही विकास ने एक लम्बा चाकू खोल लिया।
“न...नहीं...मुझे मत मारो!” चीखती हुई इर्विन पीछ हटी। विकास बाज की तरह झपटा, चाकू 'खच्च्' से इर्विन के गर्भ में धंस गया—इर्विन के कंठ से निकलने वाली चीख ने गार्डनर की समूची कोठी को झनझनाकर रख दिया और इर्विन के खून से विकास का चेहरा रंगता ही चला गया—जरा भी तो रहम नहीं किया था जालिम ने।
¶¶
दहकता चेहरा लिए अलफांसे ने खून में सना नाइट गाउन रैना की तरफ बढ़ा दिया, बोला—“ये ली।”
“ये क्या है अलफांसे भइया?” रैना ने कम्पित स्वर में पूछा।
“कफन तेरे बेटे का!”
“भ...भइया!” रैना चीखकर पीछ हटी, नाइट गाउन फर्श पर गिर गया।
दांत पीसते हुए अलफांसे ने गाउन पर अपना जूता रखा, उसे कुचलता हुआ गुर्राया—“ये मेरी इर्विन का नाइट गाउन है, देख—इस पर मेरी इर्विन के खून के धब्बे हैं—जिस वक्त तेरे लाडले ने उसे मारा था, तब इर्विन यही पहने थी—मैं बख्शूंगा नहीं रैना—खून का बदला खून है—तेरे लाल के परखच्चे न उड़ा दिए तो मेरा नाम भी अलफांसे नहीं।”
“ये तुम क्या कह रहे हो भइया, तुम विकास को मारोगे?”
“उस कुत्ते को मारकर कलेजा ठण्डा नहीं होगा मेरा, बोटी-बोटी काटकर फेंक दूंगा।”
“ऐसा मत कहो भइया—ऐसा मत कहो—देखो, मैं अपना आंचल फैला रही हूं—भीख मांग रही हूं तुमसे—मेरे बेटे को बख्श दो—तुम्हें मेरी राखी की कसम!”
“थू!” अलफांसे ने रैना के फैले हुए आंचल में थूक दिया।
“भ...भइया!” रैना दहाड़े मार-मारकर रो पड़ी।
“उस वक्त कहां था तेरा ये आंचल, जब वह दरिन्दा मेरी इर्विन पर वार कर रहा था—तब कहां थी तेरी राखी की सौगन्ध जब उसने मेरा घर उजाड़ दिया—अलफांसे को प्यार करना नहीं आता था रैना—उस अभागी इर्विन ने मुझे प्यार करना सिखा दिया—अलफांसे ने जिसे जान से बढ़कर चाहा उसी को तेरे बेटे ने खत्म कर दिया—यूं, जैसे वह गाजर-मूली हो—धिक्कार है उस अलफांसे पर जो इर्विन की मौत का बदला न ले।”
“क्या विकास को मारकर तुम बच सकोगे भइया?”
“क्यों, मुझे कौन मारेगा?”
“विजय भइया, ठाकुर साहब, ब्लैक ब्वॉय भइया और दुनिया के वे सारे जासूस जो उसकी मदद कर रहे हैं, क्या वे तुम्हें छोड़ देंगे—तुम अकेले हो, उधर वे सब हैं—सिंगही और जैक्सन भी।”
“तू भूल गई रैना, अलफांसे एक शेर का नाम है, शेर जंगल का राजा होता है, जंगल का हर जानवर शेर के इशारे पर नाचता है, किसी के इशारे पर शेर नहीं।”
“शेर भी नाचता है लूमड़ मियां, शेर भी नाचता है।” विजय की आवाज ने उन दोनों को चौंका दिया, अलफांसे फिरकनी की तरह घूमा—चीखती हुई रैना दौड़कर विजय से लिपट गई।
“तुम?” अलफांसे का चेहरा कनपटियों तक सुर्ख हो गया।
“हमें रिंग मास्टर कहते हैं प्यारे!” विजय ने अपने हाथ में दबे हंटर को फटकारा—“जरा सोचकर बताओ, रिंग मास्टर के कोड़े पर आदमखोर शेर को भी नाचना पड़ता है कि नहीं?”
—समाप्त—
 
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