hotaks444
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वो बिलकुल सन्न रह गयी । उसने समीर को देखा फिर रिया की ओर देखकर बोली " ये लड़का ? मजाक तो नहीं कर रही तू मेरे साथ ? "
आँचल को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि रिया ने ये क्या कह दिया ।
उसके मन में खलबली सी मच गयी । घबराहट और सदमे से उसकी साँस गले में ही अटक गयी ।
रिया को आँचल और समीर के आपसी रिश्ते का पता ही नहीं था । उसने सोचा आँचल को समीर पसंद नहीं आया ।
“देख आँचल , अब तो वो आ ही गया है । अब तू इस मुलाकात को टाल नहीं सकती । तुझे उससे बात करनी ही पड़ेगी , चाहे तुझे वो पसंद नहीं भी आ रहा है तब भी , समझी । " मुस्कुराते हुए रिया बोली ।
" हे ईश्वर ! " आँचल अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये सच नहीं हो सकता , मेरा अपना सगा भाई !!! इतना बड़ा मज़ाक मेरे साथ नहीं हो सकता । “
तभी समीर उन दोनों के सामने आ खड़ा हुआ ।
समीर ने आँचल को देखा फिर रिया को देखकर मुस्कुराया “ hi रिया , वो लड़की कहाँ है जिससे तुम मुझे मिलाना चाहती हो ।“
“hi समीर ये मेरी फ्रेंड आँचल है और आँचल यहीं है वो लड़का जो उस रात पार्टी में तुम्हारे साथ था “ फिर आँख मारते हुए बोली ,
" जिससे मिलने को तू इतना उतावली हुई जा रही थी । "
किस्मत के इतने बड़े मज़ाक से हैरान दोनों भाई बहन के मुंह से कोई बोल ही नहीं फूटा । दोनों बुत बने खड़े रह कर एक दूसरे को ताकते ही रह गए । बिलकुल सन्न !!!
फिर आँचल ने अपनी नज़रें झुका लीं । कुछ पलों तक यूँ ही सर झुकाये खड़ी रही । उसे मालूम था कि समीर अवाक् सा उसे ही देखे जा रहा है । यह पल बहुत ही पीड़ादायक थे , अब हकीकत सामने थी । अजनबी , अजनबी नहीं रह गया था । वो उसका अपना छोटा भाई समीर था , जिससे उसने पार्टी की उस रात बेशरम बनकर जबरदस्त सेक्स किया था ।
धीरे से उसने अपनी आंसुओं से भरी आँखें उठाकर समीर की आँखों में देखा । समीर की नंगी पीठ पर फिरती उसकी अंगुलियां , दर्द और उत्तेजना में उस पीठ पर गढ़ते उसके नाखून और कामतृप्ति के समय निकलती सिसकारियां , ये सब दृश्य उसकी आँखों में घूमने लगे । आँचल ने अपनी नज़रें फेर लीं और गहरी सांसे लेने लगी । फिर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और आंसू उसके गालों पर बहने लगे ।
कुछ पलों बाद उसने अपना मन कड़ा किया और आगे बढ़ कर अपने भाई के गले जा लगी ।
लेकिन समीर के गले लगकर उसे कुछ और ही अहसास होने लगा , उसको पसीना सा आने लगा और उसकी सांसे भारी हो चलीं । उसने महसूस किया कि उसका बदन काँप रहा था । समीर के बदन से अपना बदन छूते ही उसको फिर उत्तेजना आने लगी । उसने गहरी साँस लेकर उस पहचानी सी पसीने की गंध को अपने अंदर भरा , अब वो पहेली सुलझ चुकी थी । कुछ पलों के लिए वो भूल ही गयी कि वो अपने प्रेमी के नहीं बल्कि अपने भाई के गले लगी है । समीर के मजबूत जिस्म से लिपटकर आँचल फिर से उन मादक पलों में खो गयी । जिस जिस्म से नज़दीकी पाने के लिए वो उतावली हो रही थी , वो उसके पास अब मौजूद था। यही वो शख्स था जो रातों में उसके सपनों में आकर उसकी पैंटी गीली कर जाता था। आँचल तड़प उठी । अजनबी से दुबारा मिलने का उसका सपना पूरा तो हुआ लेकिन ...............
अपने भाई की तेज चलती सांसों को उसने महसूस किया और उसकी आँखों में झाँका ।लेकिन वहां उसको दर्द और क्रोध की मिली जुली भावनाएं दिखी , समीर अपने को किस्मत द्वारा छला गया महसूस कर रहा था । आँचल से उन आँखों में देखा न गया और उसने अपनी नज़रें नीचे झुका लीं। समीर की उन भावनाओं ने आँचल को फिर से होश में ला दिया । उन आँखों में उस अजनबी की तरह प्यार नहीं बल्कि छले जाने का दर्द और क्रोध था ।
आँचल को अपने घुटने कमज़ोर और टाँगें कांपती सी महसूस हुई । उसे लगा वो अब गिर पड़ेगी । उसने अपना माथा समीर के सीने में टिका लिया । अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही उसने अपनी उत्तेजना को काबू में करने की भरपूर कोशिश की । आँचल के निप्पल उस पतली सफ़ेद शर्ट में उत्तेजना से तने हुए दिख रहे थे ।जिन्हें छिपाने का अब कोई रास्ता नहीं था ।
तभी आँचल की नज़र रिया की छाया पर पड़ी , वो भूल ही गयी थी कि उसके और समीर के अलावा कोई तीसरा भी वहां है । आँचल ने अपने को समीर से अलग किया । अब वहां पर खड़ा रहना उसके बर्दाश्त से बाहर था । समीर के नज़दीक जाते ही उसे कुछ हो जा रहा था । किस्मत के इस फेर से हैरान परेशान आँचल ने अपने आंसू पोछे , फिर मुड़ी और तेज तेज क़दमों से वहां से चली गयी ।
“ अरे ! ये कहाँ चली गयी ? ये हो क्या रहा है ? साली ने मेरा दिमाग चाट दिया तुमसे मिलवाने के लिए और जब मैंने मिलवा दिया तो ये ऐसा नाटक क्यों कर रही है ? " हैरानी से रिया ने समीर को पूछा ।
“ वो मेरी …मेरी ….” समीर में अपनी बात को पूरा करने की हिम्मत नहीं थी । वो रिया से नहीं कह पाया कि आँचल उसकी बहन है , वो कहता भी कैसे …….उसने शर्मिंदगी से अपनी दोनों हथेलियों से अपना चेहरा ढक लिया और आँखें बंद किये खड़ा रहा ।
“वो तुम्हारी क्या ? क्या है ? ” दोनों भाई बहन के व्यवहार से हैरान रिया को ये माज़रा कुछ समझ नहीं आ रहा था ।लेकिन अब उसकी उत्सुकता बढ़ रही थी ।
पर समीर जवाब देना नहीं चाहता था और दे भी नहीं सकता था । उसने एक नज़र उस तरफ दौड़ायी जिस तरफ आँचल गयी थी , फिर मुड़ा और वो भी चला गया ।
रिया अकेले बेवकूफ की तरह से खड़ी रह गयी । कुछ पल सोचने के बाद अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं , और मुझे बता नहीं रहे । कुछ तो गड़बड़ है । अब मुझे ही पता लगाना पड़ेगा ।"
फिर वो भी पार्किंग से चली गयी ।
शाम को समीर जानबूझकर काफी देर बाद घर आया । उसने देखा आँचल डाइनिंग रूम या किचन में नहीं थी जैसा की
वो अक्सर इस समय होती थी । वो दिन भर सोच रहा था कि घर जाकर अपनी बहन का सामना कैसे करेगा लेकिन जब
उसने पाया कि आँचल आज , अन्य दिनों की तरह , डिनर के लिए उसका इंतज़ार नहीं कर रही है तो उसने राहत की
सांस ली । समीर ने किचन में झांककर देखा तो पाया कि आँचल ने उसके लिए खाना पकाकर रख दिया था । उसने चुपचाप
खाना गरम किया और खाने लगा ।
डिनर के बाद उसने थोड़ी देर वहीँ सोफे पर बैठकर TV देखा फिर वो बाथरूम की तरफ चल दिया । आँचल के बेडरूम के
दरवाज़े से गुजरते वक़्त उसे हलकी हलकी सुबकने की आवाज़ें सुनाई दीं । अपने कानों में आँचल के सुबकने की आवाज़
पड़ने से उसका दिल बैठ गया । जो कुछ भी हुआ उसके लिए उसका मन अपने को ही दोषी ठहराने लगा । वो सोचने लगा
अगर वो पार्टी की उस रात रिया के प्रस्ताव को ठुकरा देता तो वो घटना होती ही नहीं । उसका दिल अपनी सुबकती हुई
लाड़ली बहन के पास दिलासा देने के लिए जाने को मचलने लगा ।
दूसरी तरफ ये बात भी थी कि समीर को भी वो अजनबी लड़की अच्छी लगी थी । उस लड़की ने बिना नखरे दिखाये
समीर के साथ खुलकर सेक्स किया था और ये बात समीर को बहुत पसंद आयी थी । वो खुद भी उस लड़की से दुबारा
मिलने को उत्सुक था । इसीलिए जब रिया ने उससे मुलाकात के लिए पूछा तो उसने तुरंत हामी भर दी थी ।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था । मन में सुहाने सपने लिए दोनों भाई बहन अपने अपने अजनबी से
मिलना चाहते थे ।लेकिन जब मुलाकात हुई तो वो उसकी अपनी ही लाड़ली बहन निकली जिससे सेक्स सम्बन्ध
बनाने की वो कल्पना भी नहीं कर सकता था ।
वैसे तो दोनों ही भाई बहन आपस में बिलकुल ही खुले हुए थे । अक्सर ही आँचल घर में टीशर्ट और शॉर्ट्स में
अपनी खुली टांगों में घूमती रहती थी । जब समीर उसके साथ आकर रहने लगा था तब भी आँचल ने अपने तौर तरीकों में
कोई बदलाव नहीं किया था । क्योंकि दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए कोई बुरे विचार या वासना की भावना नहीं थी ।
लेकिन एक बार उन दोनों भाई बहन के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन जाने के बाद अब सारे हालत बदल चुके थे।
आँचल को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि रिया ने ये क्या कह दिया ।
उसके मन में खलबली सी मच गयी । घबराहट और सदमे से उसकी साँस गले में ही अटक गयी ।
रिया को आँचल और समीर के आपसी रिश्ते का पता ही नहीं था । उसने सोचा आँचल को समीर पसंद नहीं आया ।
“देख आँचल , अब तो वो आ ही गया है । अब तू इस मुलाकात को टाल नहीं सकती । तुझे उससे बात करनी ही पड़ेगी , चाहे तुझे वो पसंद नहीं भी आ रहा है तब भी , समझी । " मुस्कुराते हुए रिया बोली ।
" हे ईश्वर ! " आँचल अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये सच नहीं हो सकता , मेरा अपना सगा भाई !!! इतना बड़ा मज़ाक मेरे साथ नहीं हो सकता । “
तभी समीर उन दोनों के सामने आ खड़ा हुआ ।
समीर ने आँचल को देखा फिर रिया को देखकर मुस्कुराया “ hi रिया , वो लड़की कहाँ है जिससे तुम मुझे मिलाना चाहती हो ।“
“hi समीर ये मेरी फ्रेंड आँचल है और आँचल यहीं है वो लड़का जो उस रात पार्टी में तुम्हारे साथ था “ फिर आँख मारते हुए बोली ,
" जिससे मिलने को तू इतना उतावली हुई जा रही थी । "
किस्मत के इतने बड़े मज़ाक से हैरान दोनों भाई बहन के मुंह से कोई बोल ही नहीं फूटा । दोनों बुत बने खड़े रह कर एक दूसरे को ताकते ही रह गए । बिलकुल सन्न !!!
फिर आँचल ने अपनी नज़रें झुका लीं । कुछ पलों तक यूँ ही सर झुकाये खड़ी रही । उसे मालूम था कि समीर अवाक् सा उसे ही देखे जा रहा है । यह पल बहुत ही पीड़ादायक थे , अब हकीकत सामने थी । अजनबी , अजनबी नहीं रह गया था । वो उसका अपना छोटा भाई समीर था , जिससे उसने पार्टी की उस रात बेशरम बनकर जबरदस्त सेक्स किया था ।
धीरे से उसने अपनी आंसुओं से भरी आँखें उठाकर समीर की आँखों में देखा । समीर की नंगी पीठ पर फिरती उसकी अंगुलियां , दर्द और उत्तेजना में उस पीठ पर गढ़ते उसके नाखून और कामतृप्ति के समय निकलती सिसकारियां , ये सब दृश्य उसकी आँखों में घूमने लगे । आँचल ने अपनी नज़रें फेर लीं और गहरी सांसे लेने लगी । फिर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और आंसू उसके गालों पर बहने लगे ।
कुछ पलों बाद उसने अपना मन कड़ा किया और आगे बढ़ कर अपने भाई के गले जा लगी ।
लेकिन समीर के गले लगकर उसे कुछ और ही अहसास होने लगा , उसको पसीना सा आने लगा और उसकी सांसे भारी हो चलीं । उसने महसूस किया कि उसका बदन काँप रहा था । समीर के बदन से अपना बदन छूते ही उसको फिर उत्तेजना आने लगी । उसने गहरी साँस लेकर उस पहचानी सी पसीने की गंध को अपने अंदर भरा , अब वो पहेली सुलझ चुकी थी । कुछ पलों के लिए वो भूल ही गयी कि वो अपने प्रेमी के नहीं बल्कि अपने भाई के गले लगी है । समीर के मजबूत जिस्म से लिपटकर आँचल फिर से उन मादक पलों में खो गयी । जिस जिस्म से नज़दीकी पाने के लिए वो उतावली हो रही थी , वो उसके पास अब मौजूद था। यही वो शख्स था जो रातों में उसके सपनों में आकर उसकी पैंटी गीली कर जाता था। आँचल तड़प उठी । अजनबी से दुबारा मिलने का उसका सपना पूरा तो हुआ लेकिन ...............
अपने भाई की तेज चलती सांसों को उसने महसूस किया और उसकी आँखों में झाँका ।लेकिन वहां उसको दर्द और क्रोध की मिली जुली भावनाएं दिखी , समीर अपने को किस्मत द्वारा छला गया महसूस कर रहा था । आँचल से उन आँखों में देखा न गया और उसने अपनी नज़रें नीचे झुका लीं। समीर की उन भावनाओं ने आँचल को फिर से होश में ला दिया । उन आँखों में उस अजनबी की तरह प्यार नहीं बल्कि छले जाने का दर्द और क्रोध था ।
आँचल को अपने घुटने कमज़ोर और टाँगें कांपती सी महसूस हुई । उसे लगा वो अब गिर पड़ेगी । उसने अपना माथा समीर के सीने में टिका लिया । अपनी नज़रें नीचे किये हुए ही उसने अपनी उत्तेजना को काबू में करने की भरपूर कोशिश की । आँचल के निप्पल उस पतली सफ़ेद शर्ट में उत्तेजना से तने हुए दिख रहे थे ।जिन्हें छिपाने का अब कोई रास्ता नहीं था ।
तभी आँचल की नज़र रिया की छाया पर पड़ी , वो भूल ही गयी थी कि उसके और समीर के अलावा कोई तीसरा भी वहां है । आँचल ने अपने को समीर से अलग किया । अब वहां पर खड़ा रहना उसके बर्दाश्त से बाहर था । समीर के नज़दीक जाते ही उसे कुछ हो जा रहा था । किस्मत के इस फेर से हैरान परेशान आँचल ने अपने आंसू पोछे , फिर मुड़ी और तेज तेज क़दमों से वहां से चली गयी ।
“ अरे ! ये कहाँ चली गयी ? ये हो क्या रहा है ? साली ने मेरा दिमाग चाट दिया तुमसे मिलवाने के लिए और जब मैंने मिलवा दिया तो ये ऐसा नाटक क्यों कर रही है ? " हैरानी से रिया ने समीर को पूछा ।
“ वो मेरी …मेरी ….” समीर में अपनी बात को पूरा करने की हिम्मत नहीं थी । वो रिया से नहीं कह पाया कि आँचल उसकी बहन है , वो कहता भी कैसे …….उसने शर्मिंदगी से अपनी दोनों हथेलियों से अपना चेहरा ढक लिया और आँखें बंद किये खड़ा रहा ।
“वो तुम्हारी क्या ? क्या है ? ” दोनों भाई बहन के व्यवहार से हैरान रिया को ये माज़रा कुछ समझ नहीं आ रहा था ।लेकिन अब उसकी उत्सुकता बढ़ रही थी ।
पर समीर जवाब देना नहीं चाहता था और दे भी नहीं सकता था । उसने एक नज़र उस तरफ दौड़ायी जिस तरफ आँचल गयी थी , फिर मुड़ा और वो भी चला गया ।
रिया अकेले बेवकूफ की तरह से खड़ी रह गयी । कुछ पल सोचने के बाद अपने मन ही मन में बुदबुदायी , " ये दोनों एक दूसरे को पहले से जानते हैं , और मुझे बता नहीं रहे । कुछ तो गड़बड़ है । अब मुझे ही पता लगाना पड़ेगा ।"
फिर वो भी पार्किंग से चली गयी ।
शाम को समीर जानबूझकर काफी देर बाद घर आया । उसने देखा आँचल डाइनिंग रूम या किचन में नहीं थी जैसा की
वो अक्सर इस समय होती थी । वो दिन भर सोच रहा था कि घर जाकर अपनी बहन का सामना कैसे करेगा लेकिन जब
उसने पाया कि आँचल आज , अन्य दिनों की तरह , डिनर के लिए उसका इंतज़ार नहीं कर रही है तो उसने राहत की
सांस ली । समीर ने किचन में झांककर देखा तो पाया कि आँचल ने उसके लिए खाना पकाकर रख दिया था । उसने चुपचाप
खाना गरम किया और खाने लगा ।
डिनर के बाद उसने थोड़ी देर वहीँ सोफे पर बैठकर TV देखा फिर वो बाथरूम की तरफ चल दिया । आँचल के बेडरूम के
दरवाज़े से गुजरते वक़्त उसे हलकी हलकी सुबकने की आवाज़ें सुनाई दीं । अपने कानों में आँचल के सुबकने की आवाज़
पड़ने से उसका दिल बैठ गया । जो कुछ भी हुआ उसके लिए उसका मन अपने को ही दोषी ठहराने लगा । वो सोचने लगा
अगर वो पार्टी की उस रात रिया के प्रस्ताव को ठुकरा देता तो वो घटना होती ही नहीं । उसका दिल अपनी सुबकती हुई
लाड़ली बहन के पास दिलासा देने के लिए जाने को मचलने लगा ।
दूसरी तरफ ये बात भी थी कि समीर को भी वो अजनबी लड़की अच्छी लगी थी । उस लड़की ने बिना नखरे दिखाये
समीर के साथ खुलकर सेक्स किया था और ये बात समीर को बहुत पसंद आयी थी । वो खुद भी उस लड़की से दुबारा
मिलने को उत्सुक था । इसीलिए जब रिया ने उससे मुलाकात के लिए पूछा तो उसने तुरंत हामी भर दी थी ।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था । मन में सुहाने सपने लिए दोनों भाई बहन अपने अपने अजनबी से
मिलना चाहते थे ।लेकिन जब मुलाकात हुई तो वो उसकी अपनी ही लाड़ली बहन निकली जिससे सेक्स सम्बन्ध
बनाने की वो कल्पना भी नहीं कर सकता था ।
वैसे तो दोनों ही भाई बहन आपस में बिलकुल ही खुले हुए थे । अक्सर ही आँचल घर में टीशर्ट और शॉर्ट्स में
अपनी खुली टांगों में घूमती रहती थी । जब समीर उसके साथ आकर रहने लगा था तब भी आँचल ने अपने तौर तरीकों में
कोई बदलाव नहीं किया था । क्योंकि दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए कोई बुरे विचार या वासना की भावना नहीं थी ।
लेकिन एक बार उन दोनों भाई बहन के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन जाने के बाद अब सारे हालत बदल चुके थे।