xxx indian stories आखिरी शिकार - SexBaba
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hotaks

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आखिरी शिकार

टेलीफोन की घन्टी घनघना उठी।

राज ने हाथ बढाकर रिसीवर उठा लिया । "हैलो ।" - वह माउथपीस में बोला ।

“मिस्टर राज !" - लगभग फौरन उसे दूसरी ओर से एक सशंक ब्रिटिश स्वर सुनाई दिया । “

यस ?" - राज बोला।

"मैं लन्दन में आपका स्वागत करता हूं।" - दूसरी ओर से आवाज आई।

राज के कान खड़े हो गये । कनर्ल मुखर्जी ने भारत में उसे जिस संभावित वार्तालाप के विषय में बताया था, वह उस वार्तालाप का प्रथम वाक्य था।

"धन्यवाद ।" - राज भावहीन स्वर से बोला - "लेकिन लन्दन में मेरा स्वागत करने के अतिरिक्त
और क्या कर सकते हो?"

"मैं बहुत कुछ कर सकता हूं, सर ।" –उत्तर मिला - "जैसे मैं आपको लन्दन का वह चेहरा दिखा सकता हूं जो बहुत कम लोगों ने बहुत कम बार देखा है।"

वार्तालाप ठीक उसी ढंग से चल रहा था जैसा
कर्नल मुखर्जी ने उसे संकेत दिया था ।

"बदले में मुझे क्या करना होगा ?" - राज ने पूछा । उसका वह प्रश्न भी कोडवर्ड की तरह इस्तेमाल होने वाले उस वार्तालाप का एक अंश
था


"कुछ भी नहीं ।" - उत्तर मिला - "आप केवल आज की रात कुछ समय के लिये लन्दन में अपने आपको मेरे हवाले कर दीजिये । अगर आप जो सोच रहे हैं, वही न हुआ तो मैं समझंगा कि मुझ में एक अच्छा अभ्यागत बनने का गुण नहीं है और मैं आपका वक्त बरबाद करने के लिये आपसे माफी मांग लूंगा।"

"ठीक है | आ जाओ।"

"सॉरी, सर । आप आ जाइये ।"

"कहां?"

"आप अपने होटल से बाहर निकलिये और दायीं ओर फुटपाथ पर रवाना हो जाइये । सौ कदम आगे फुटपाथ पर एक टेलीफोन बूथ है । आप वहां मेरी प्रतीक्षा कीजिये, मैं कार लेकर हाजिर हो जाऊंगा।"

“मैं तुम्हें पहचानूंगा कैसे?"

"मेरी काले रंग की फोर्ड गाड़ी से और मेरे हैट के लाल रंग के रिबन से जिसमें एक पंख खुंसा होगा

"ओके । मैं आता हूं।"

“थैक्यू, सर ।"
सम्बन्ध विच्छेद हो गया ।

राज ने रिसीवर क्रेडल पर रख दिया ।
 
उसने ओवरकोट पहना, सिर पर फैल्ट हैट जमाया और कमरे से बाहर निकल आया ।

वह डोवर स्ट्रीट पर स्थित होटल क्राउन में ठहरा हुआ था।

वह होटल से बाहर निकल आया और दायीं ओर फुटपाथ पर आगे बढा । लन्दन में कामनवैल्थ के प्रधानमन्त्रियों की कान्फ्रेंस जारी थी और राज उसी कान्फ्रेंस को कवर करने के लिये अपने अखबार ब्लास्ट द्वारा भेजा गया था । वह प्रेस के अन्य प्रतिनिधियों के समूह में प्रधानमंत्री के साथ ही लन्दन आया था । भारतीय न्यूज एजेन्सियों और अन्य अखबारों के लगभग सभी प्रतिनिधि होटल क्राउन में ही ठहरे हुये थे।

भारत से रवानगी से केवल एक घण्टा पहले राजनगर एयरपोर्ट पर राज की सी आई बी की ब्रांच स्पेशल इन्टेलीजेंस के डायरेक्टर कर्नल मखर्जी से भेंट हई थी । कर्नल मखर्जी ने उसे बताया था कि लन्दन में उसके प्रवास के दौरान शायद सी आई बी के कुछ ऐसे एजेन्ट उससे सम्पर्क स्थापित करें जो काफी अरसे से लापता थे और जिनके बारे में यह धारणा बनाई जा रही थी कि या तो वे शत्रुओं की कैद में थे और या मर चुके थे। लेकिन हाल ही में उन्हें ऐसा संकेत मिला था कि लापता एजेन्टों में से छ: लन्दन में मौजूद थे । राज के लिये सम्पर्क सूत्र वह वार्तालाप था जो वह कुछ क्षण पहले टेलीफोन पर एक अजनबी के साथ कर चुका था ।

वह सौ कदम आगे फुटपाथ पर बने टेलीफोन बूथ के सामने रुक गया । उसने एक सिगरेट सुलगा लिया और प्रतीक्षा करने लगा।

आधा सिगरेट समाप्त हो चुकने के बाद एकाएक एक फोर्ड उसके सामने आकर रुकी । फोर्ड का राज की ओर का दरवाजा खुला । भीतर डोम लाइट जल रही थी । उसके प्रकाश में राज को ड्राइविंग सीट पर एक युवक बैठा दिखाई दिया जो अपने सिर पर लाल रिबन वाली फैल्ट लगाये हुये था और जिसके रिबन में एक पंख खुंसा हुआ था।

राज कार में प्रविष्ट हो गया । उसने द्वार बन्द कर लिया।

“मिस्टर राज ?" - युवक ने प्रश्न किया ।

"यस ।"

"मैं आपका पासपोर्ट देख सकता हूं?"

राज ने प्रश्नसूचक नेत्रों से युवक की ओर देखा

"मैं आपको पहचानता नहीं, सर ।" - युवक जल्दी से बोला –"मैंने जिन्दगी में कभी आपकी सूरत नहीं देखी । मुझे यह विश्वास तो होना चाहिए कि मैं इस समय सही आदमी से बात कर रहा हूं।"

राज ने बिना बोले अपनी जेब से अपना पासपोर्ट और प्रेस कार्ड निकाला और उसे युवक की ओर बढा दिया।

युवक की दक्ष उंगलियों ने पासपोर्ट को वहां से खोला जहां पासपोर्ट होल्डर की तस्वीर लगी होती है । वह कुछ क्षण गौर से पासपोर्ट पर लगी तस्वीर को देखता रहा, फिर उसने राज की सूरत पर दृष्टिपात किया । उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव झलकने लगे ।
उसने प्रेस कार्ड खोलकर उस पर भी राज की तस्वीर देखी और उसका नाम पढा ।

"थैक्यू, सर ।" - वह राज का पासपोर्ट और प्रेस कार्ड लौटाता हुआ सन्तुष्ट स्वर में बोला ।

राज ने चुपचाप दोनों चीजें वापिस अपनी जेब में रख लीं।

युवक ने डोम लाइट बुझा दी। कार के भीतर अन्धेरा हो गया।

उसने इग्नीशन ऑन किया और कार को गियर में डाल दिया ।
कार कर के साथ आगे बढ गई।

कार लन्दन के कृत्रिम प्रकाश से आलोकित रास्तों से गुजरने लगी।

राज ने एक नया सिगरेट सुलगा लिया ।
रास्ता कटता रहा।

"हमारा पीछा किया जा रहा है ।" - एकाएक युवक बोला।
 
राज चौंका लेकिन उसने घूम कर पीछे देखने की गलती नहीं की । उसने सिगरेट को डैश बोर्ड में लगी ऐश ट्रे में झोंक दिया और युवक के चेहरे पर दृष्टिपात किया। युवक के जबड़े कसे हुये थे लेकिन चिन्तित दिखाई नहीं दे रहा था ।

एकाएक उसने बिना सिग्नल दिये, बिना रफ्तार कम किये कार को दाई ओर एक पतली-सी सड़क पर मोड़ दिया । कार गोली की तरह एक अन्य कार की बगल से गुजरी, एक ट्रक से सीधी टकराते-टकराते बची और पतली सड़क पर प्रविष्ट हो गई । लगभग सौ गज आगे उसने कार को फिर दाई ओर मोड़ा।

फिर एकाएक उसने अपना पांव पूरी शक्ति से ब्रेक के पैडल पर दबा दिया । ब्रेकों की चरचराहट से और टायरों के सड़क पर रपटने की आवाज से वातावरण गूंज उठा ।

"आउट ।" - युवक फुर्ती से अपनी ओर का दरवाजा खोलता हुआ बोला - “क्विक ।"

राज फौरन कार से बाहर निकल आया और युवक के पीछे लपका जो गली में घुसा जा रहा था ।

युवक एक दरवाजे के भीतर प्रविष्ट हो गया ।
राज उसके पीछे था ।

उसने देखा, वह एक रेस्टोरेंट का पिछला द्वार था रेस्टोरेंट को तय करके वे फ्रन्ट में पहुंचे और फिर एक भीड़ भरी चौड़ी सड़क पर आ गये । दोनों फुटपथ की भीड़ में मिल गये । वे अपने ओवरकोटों की जेबों में हाथ डाले लापरवाही से भीड़ में चलते रहे ।

"तुम्हारी कार का क्या होगा?" - राज ने धीरे से पूछा।

"कौन-सी कार? कैसी कार ! मेरे पास कभी कोई कार नहीं थी।" - युवक बिना उसकी ओर देखे भावहीन स्वर में बोला ।

राज को और अधिक बताने की जरूरत नहीं थी । वह समझ गया कि कार चोरी की थी।

"टैक्सी !" - एकाएक युवक बोला ।
टैक्सी फुटपाथ के साथ आ रुकी।
दोनों टैक्सी में प्रविष्ट हो गये ।

युवक ने टैक्सी ड्राइवर को धीरे से कुछ कहा जो कि राज की समझ में नहीं आया।

टैक्सी ड्राईवर ने सहमतिसूचक ढंग से सिर हिलाया और टैक्सी आगे बढायी ।

टैक्सी आधुनिक लन्दन में से निकल कर एक गन्दे से इलाके में पहुंच गई ।

एक पतली सी पथरीली गली में टैक्सी रुकी । युवक ने राज को संकेत किया और टैक्सी से बाहर निकल आया । उसने टैक्सी ड्राइवर को किराया अदा कर दिया । टैक्सी बैक होती हुई गली से बाहर निकल गई ।
युवक तब तक वहां से नहीं हिला जब तक टैक्सी दृष्टि से ओझल नहीं हो गई । फिर उसने राज को संकेत किया और आगे बढा ।

राज उसके साथ हो लिया ।

एक पुरानी-सी इमारत के सामने आकर युवक रुक गया । इमारत का मुख्य द्वार बन्द था । द्वार की बगल में काल बैल लगी हुई थी।

युवक ने काल बैल का पुश तीन बार दबाया, एक क्षण रुका, फिर पुश को एक बार फिर दबाया, एक क्षण रुका, पुश को दुबारा तीन बार दबाया एक क्षण रुका और फिर पुश को काफी देर दबाये रहने के बाद उसने उस पर से उंगली हटा ली।

थोड़ी देर बाद द्वार खुला।

द्वार पर एक लम्बा-तडंगा आदमी प्रकट हुआ।

अन्धकार में राज को उसकी सूरत दिखाई नहीं दी । वह द्वार खोल कर एक ओर हट गया ।

"कम इन सर ।" - युवक बोला ।

राज युवक के साथ भीतर प्रविष्ट हो गया ।
 
द्वार खोलने वाले ने द्वार को मजबूती से बन्द कर दिया और उनके पीछे चलने लगा।

एक लम्बा गलियारा पार करके वे एक बड़े से कमरे में पहुंचे | कमरा ट्यूब लाइट से प्रकाशित था ।

भीतर दो कुर्सियों पर एक लगभग चालीस साल का आदमी और एक तीस साल की युवती बठी थी।

युवती भारतीय थी लेकिन योरोपियन परिधान पहने हुये थी । उसके बाल कटे हुये थे । आदमी रंग रुप से योरोपियन लगता था । उसकी दाई बांह कन्धे से गायब थी और दाई आंख पर सिर के गिर्द बन्धी एक डोरी की सहायता से । तिकोना ढक्कन लगा हुआ था । वह आदमी दाई बाहं की तरह दाई आंख से भी वंचित था ।

प्रकाश में राज ने उस तीसरे आदमी की सूरत देखी जिसने द्वार खोला था । वह सूरत से भारतीय लगता था।

"मिस्टर राज ।" - युवक बोला ।

कोई कुछ नहीं बोला।

"अनिल साहनी ।" - युवक ने उस लम्बे तड़गे

आदमी की ओर संकेत किया जिसने द्वार खोला था ।

"रोशनी ।" - युवक ने युवती की ओर संकेत किया।

"जान फ्रेडरिक ।" - युवक ने एक बांह और एक आंख वाले आदमी की ओर संकेत किया ।

"प्लीज बी सीटिड, मिस्टर राज ।" - जान फ्रेडरिक भावहीन स्वर में बोला ।

राज एक कुर्सी पर बैठा गया ।

युवक कमरे से बाहर निकल गया । जाती बार वह बाहर से दरवाजे को सावधानी से बन्द कर गया।

अनिल साहनी रोशनी के समीप एक कुर्सी पर जा बैठा।

अब राज उन तीनों से अलग उनके सामने बैठा हुआ था । राज गौर से उनकी सूरतें देखने लगा उनके चेहरे इतने भावहीन थे कि वे पत्थर से तराशे मालूम होते थे । तीनों की आंखों में एक गहरी उदासी की छायी थी । उनके होंठ भिंचे हुये थे और निगाहें शून्य में कहीं टिकी हुई थीं । राज कई क्षण उनमें से किसी के बोलने की प्रतीक्षा करता रहा लेकिन जब उनमें से किसी को जुबान खोलते न पाया तो वह बोला - "क्या मुझे यह बताने की जरूरत है कि मैं कौन हूं?" तीनों एक-दूसरे का मुंह देखने लगे । फिर जान फ्रेडरिक ने नकारात्मक ढंग से सिर हिला दिया।

"जो युवक मुझे यहां लाया था वह कौन है ?" - राज ने पूछा।

"उसका नाम मिलर है ।" - जान फ्रेडरिक बोला - "वह हमारा मददगार है ।"

“साथी नहीं।"

"नहीं।"

"तो फिर आपके बाकी साथी कहां है ?"

जान फ्रेडरिक ने अनिल साहनी और रोशनी पर दृष्टिपात किया । तीनों तनिक बेचैन दिखाई देने लगे थे।
 
"मुझे बताया गया था कि मेरी मुलाकात छ: सज्जनों से होने वाली है । आपके बाकी तीन साथी कहां हैं?"

"दूसरी दुनिया में पहुंच गये ।" - अनिल साहनी धीरे से बोला।

"कब?"

"हाल ही में |"

"कैसे?"

"यह एक लम्बी कहानी है।"

"मेरे पास बहुत वक्त है।"

तीनों फिर एक-दुसरे का मुंह देखने लगे जैसे मन्त्रणा कर रहे हों कि राज को सारी दास्तान सुनाई जानी चाहिये थी या नहीं ।

“आल राइट ।" - अन्त में जान फ्रेडरिक बोला "आई विल टैल यू।"

"मैं सुन रहा हूं।"

"हम दस आदमी थे" - जान फ्रेडरिक बोला - "जो भारत के लिये चीन में एक लम्बे अरसे से जासूसी कर रहे थे । हम दस आदमियों में तीन हिन्दोस्तानी थे, दो चीनी थे, दो अरब थे, दो अंग्रेजी थे और एक थाईलैंडवासी था। हिन्दोस्तानियों में से अनिल साहनी और रोशनी तुम्हारे सामने बैठे हैं । ज्योति विश्वास को मरे एक साल हो गया है। दो चीनी थे ली ता नान और तांग पेई । दोनों मर चुके हैं - ली ता नान को मरे एक साल हो गया है और तांग पेई कुछ दिन पहले मरा है। दो अरब थे - लैला नाम की एक युवती और तौफीक इस्माइल नाम का एक युवक | लैला तौफीक इस्माइल की प्रेमिका थी । लैला को मरे एक साल हो गया है और तौफीक इस्माइल कुछ ही दिन पहले मरा है । दो अंग्रेजों में से एक मैं तुम्हारे सामने बैठा हूं और दूसरा था जार्ज टेलर जो कि लापता है । थाईलैंडवासी का नाम जे सिंहाकुल था । वह भी कुछ दिन पहले दूसरी दुनिया में पहुंच गया है ।"

"आपके कहने के ढंग से ऐसा लगता है जैसे ज्योति, विश्वास, लैला और ली ता नान एक साल पहले इकट्ठे मरे हों और तौफीक इस्माइल, जे सिंहाकुल और तांग पेई हाल में ही इकट्ठे मरे हों

"तुम्हारी बात लगभग ठीक है । फर्क इतना है कि तौफीक इस्माइल, जे सिंहाकुल और तांग पेई बारी-बारी कत्ल कर दिये गये थे । वे तीनों कुछ दिन पहले तक हमारे साथ थे।"

"उन्हें कत्ल किसने किया ?" - राज ने सतर्क स्वर में पूछा।

"जार्ज टेलर ने ।"

"यानी कि... यानी कि आप लोगों के ही साथी ने ?"

"करैक्ट । लेकिन अब वह हमारा साथी नहीं, हमारा दुश्मन है।"

"किस्सा क्या है?"

"वही बताने जा रहा हूं।" - जान फ्रेडरिक धैर्यपूर्ण स्वर से बोला - "जैसा कि मैं पहले कह चुका हूं कि हम दस आदमियों की टीम चीन में भारत के लिये जासूसी कर रही थी । हमारा लीडर ज्योति विश्वास था और हम सब उसके निर्देशानुसार काम करते थे । फिर न जाने कैसे चीनी सीक्रेट सर्विस को हमारे गैंग की खबर लग गई और एक दिन मैं, रोशनी और जार्ज टेलर गिरफ्तार हो गये । पीकिंग की पुलिस ने हमें गिरफ्तार करके चीनी सीक्रेट सर्विस को सौंप दिया । उन्हें यह भी मालूम था कि हमारे सात साथी और थे और ज्योति विश्वास हमारा लीडर था लेकिन उन्हें हमारे बाकी साथियों को गिरफ्तार करने का अवसर नहीं मिला । चीनी एजेन्ट हमसे उनका पता जानना चाहते थे । विशेष रूप से ज्योति विश्वास को हर हालत में गिरफ्तार करना चाहते थे ।"

"क्योंकि वह आपके गैंग का सरगना था ?" - राज बोला।

"जाहिर है ।"

"वे कामयाब हुए ?"

"उन्होंने अपनी ओर से कोई कोशिश उठा नहीं रखी । सबसे पहले उन्होंने मुझ पर हाथ डाला | मुझे रोशनी और जार्ज टेलर की मौजूदगी में बुरी तरह से टार्चर किया गया । मिस्टर राज, मैं उतना मजबूत आदमी सिद्ध नहीं हुआ जितना कि मैं अपने आपको समझता था । चीनियों द्वारा दी गई अथाह यातनाओं की वजह से कई बार मैं दर्द से चिल्ला-चिल्ला उठा लेकिन...लेकिन मैंने अपनी जुबान नहीं खोली ।"
 
राज ने देखा एकाएक जान फ्रेडरिक का चेहरा विकत हो उठा और उसकी सांस तेज हो गई थी | शायद उसकी आंखों के सामने टार्चर के दृश्य घूमने लगे थे।
राज उसके दोबारा बोलने की प्रतीक्षा करने लगा।

"मेरी एक बांह कन्धे से उखाड़ चुकने के बाद" - जान फ्रेडरिक फिर बोला - "और छुरे की तेज नोक से मेरी एक आंख अपनी कटोरी से निकाल चुकने के बाद भी चीनी एजेन्ट जब मुझसे ज्योति विश्वास का पता जान पाने में कामयाब नहीं हए
तो उन्होंने मुझसे हार मान ली । उन्होंने मुझे छोड़ दिया । वैसे भी मैं उनके टॉर्चर द्वारा मौत के इतने करीब पहुंच चुका था कि मैं किसी भी क्षण दम तोड़ सकता था । इसलिये उन्होंने मुझे छोड़ दियाऔर वे रोशनी की जुबान खुलवाने के प्रयत्नों में लग गये । रोशनी पर उन्होंने यातनाओं के कौन से तरीके आजमाये, यह मैं अपनी आंखों से नहीं देख सका । पीड़ा के आधिक्य से मैं अपनी चेतना खो बैठा । बाद में मुझे रोशनी ने बताया कि क्या हआ था और जो कुछ उसने मुझे बताया उस पर मैं फौरन विश्वास नहीं कर सका ।"


"जार्ज टेलर ने हमें धोखा दिया था । मैंने और रोशनी ने नारकीय यातनायें सहकर भी अपनी जुबान बन्द रखी, लेकिन जार्ज टेलर ने एक क्षण में हमारे किये-धरे पर पानी फेर दिया । रोशनी ने मुझे बताया कि उसकी जुबान खुलवाने में भी असफल रहने के बाद जब चीनी एजेन्टों ने जार्ज टेलर पर हाथ डाला तो जार्ज ने फौरन अपनी जबान खोल दी । इससे पहले की चीनी उसे जरा भी टार्चर कर पाते, उसने उन्हें ज्योति विश्वास और हमारे अन्य साथियों का पता बता दिया । जब मुझे होश आया तो मैंने अपने आपको, रोशनी और जार्ज टेलर के साथ एक ही कमरे में बन्द पाया । मैं शारीरिक रूप से इतना छिन्न-भिन्न हो चुका था कि उसके बाद कई दिन तक मुझे होश नहीं आया था । रोशनी पर भी चीनियों ने बहुत जुल्म ढाया था । उसके शरीर के कई भागों से खून बह रहा था लेकिन जार्ज टेलर के शरीर पर एक खरोंच भी नहीं आई थी । जाहिर था कि हमारी हालत देखकर ही उसके हौसले पस्त हो गये थे, वह इतना भयभीत हो गया था कि टार्चर की नौबत आने से पहले ही उसने अपनी जुबान खोल दी थी । उसके बाद मुझे तभी पूरी तरह होश आया, जब हमें चीनी एजेन्टों के चंगुल से निकल भागने का अवसर मिला ।"

"कैसे?"

"न जाने कैसे जिस इमारत में हम गिरफ्तार थे, उसमें भीषण आग लग गई । हमें इमारत के साथ जलने से बचाने के लिये हमारे कमरे का दरवाजा भी खोला गया । उस वक्त जार्ज टेलर ने गजब की फुर्ती का परिचय दिया । उसने दरवाजा खोलने आये एक गार्ड को दबोच लिया और उसी की संगीन से उसका काम तमाम कर दिया। दूसरे गार्ड को उसने पहले गार्ड से हाथापाई में छीनी बन्दूक की गोली से उड़ा दिया । आग की वजह से इमारत में काफी हलचल मची हुई थी इसलिये हमें वहां से निकल भागने का अवसर मिल गया । जार्ज टेलर मेरे और रोशनी के लगभग मुर्दा शरीरों को घसीटता हुआ इमारत से बाहर ले आया वहां से हम एक अंधेरी गली में घुस गये । उसके बाद जार्ज टेलर हमसे अलग हो गया था । क्योंकि वह पूरी तरह स्वस्थ था इसलिये ज्यादा सहूलियत से खतरे से दूर हो गया था । हमारा तो वहां से निकल भागना एक करिश्मा ही था । हमारी इतनी बुरी हालत थी कि हमसे एक कदम आगे नहीं उठता था । हर क्षण हमें ऐसा लगता था जैसे हमारे प्राण निकल जायेंगे । लेकिन जीवित रहने की तीव्र इच्छा के कारण हमारे में कुछ ऐसी दैवी शक्ति आ गई थी कि हम किसी प्रकार अपने शरीरों को घसीट घसीट कर अपने एक गुप्त अड्डे तक पहुंच पाने में सफल हो ही गये।"

जान फ्रेडरिक एक क्षण रुका और फिर बोला - "बाद में हमें मालूम हुआ था कि चीनी सीक्रेट सर्विस ने ज्योति विश्वास का पता मिलते ही उस अड्डे पर छापा मारा था जहां ज्योति विश्वास अन्य साथियों के साथ रह रहा था । संयोगवश उस समय अड़े पर ज्योति विश्वास के साथ केवल लैला और ली ता नान ही मौजूद थे । लैला और ली ता नान सीक्रेट सर्विस के लोगों से लड़ते हुए वहीं मारे गये लेकिन ज्योति विश्वास को वे जीवित पकड़ने में सफल हो गये थे । ज्योति विश्वास ने चीनी सीक्रेट पुलिस के टार्चर चेम्बर में एड़ियां रगड़-रगड़ कर जान दे दी लेकिन उसने यह नहीं बताया कि उसके बाकी साथी कहां हैं। दस दिन बाद जब चीनी एजेन्टों के सब्र का प्याला भर गया था तो उन्होंने ज्योति विश्वास को शूट कर दिया था ।"

"तौफीक इस्माइल, जे सिंहाकुल, अनिल साहनी और तांग पेई उनकी पकड़ में नहीं आये?"

"नहीं । सौभाग्यवश वे उस समय अड्डे की ओर लौट रहे थे जब हमारे फंसे हुए साथियों में और चीनी एजेन्टों में जंग छिड़ी हुई थी । वे चुपचाप वहां से खिसक गये थे और उस गुप्त अड्डे पर पहुंच गये थे जहां मैं और रोशनी छुपे हुये थे ।"

"फिर?"

"फिर हम लोग तब तक उस गुप्त अड्डे पर छुपे रहे जब तक कि उखड़ी हुई बांह में मेरे कन्धे पर पैदा हुआ जख्म और मेरी आंख के खाली स्थान का जख्म भर नहीं गया और जब तक रोशनी भी
 
पूर्णतया स्वस्थ नहीं हो गई । रोशनी ने जब उन्हें बताया कि ज्योति विश्वास. लैला और ली ता नान की हत्या का जिम्मेदार जार्ज टेलर था तो एक बार तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ। ज्योति विश्वास के बाद वह हमारी टोली का सबसे बहादुर और मजबूत आदमी माना जाता था । किसी को भी उससे ऐसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं थी लेकिन हकीकत को भी झुठलाया नहीं जा सकता था । हकीकत हमारे लीडर सहित हमारे तीन साथियों की मौत के रूप में और टार्चर से क्षत-विक्षत हमारे शरीरों के रूप में उनके सामने थी । उन्हें रोशनी की बात पर विश्वास करना पड़ा । जार्ज टेलर वाकई टार्चर से डर गया था ।"

"फिर ?" - राज मन्त्रमुग्ध स्वर में बोला ।

"तौफीक इस्माइल के दिमाग में यह बात कील की तरह ठुक गई कि उसकी प्रेमिका लैला की मौत का और उसके लीडर ज्योति विश्वास की मौत का और उसके साथी ली ता नान की मौत का इकलौता जिम्मेदार जार्ज टेलर ही था । उसने उसी क्षण सबके सामने कसम खाई कि जब तक वह जार्ज टेलर को तलाश करके उसकी हत्या नहीं कर देगा, चैन से नहीं बैठेगा । अपने साथियों कि मौत का हमें भी उतना ही गम था जितना कि तौफीक इस्माइल को था इसलिये हमने भी उसके साथ कसम खाई कि या तो हम जार्ज टेलर का काम तमाम कर देंगे और या खुद हम दुनिया से उठ जायेंगे ।"

जान फ्रेडरिक एक क्षण रुका और फिर बोला - "फिर मामला ठण्डा पड जाने के बाद हम छ: आदमी चीन से सुरक्षित निकल आये । मुझे मालूम था कि जार्ज टेलर लन्दन का रहने वाला है । हम उसकी तलाश में लन्दन पहुंचे । लेकिन इससे पहले कि हम उसे तलाश करके उसका काम तमाम कर पाते उसने हमारे तीन आदमियों का काम तमाम कर दिया ।"

"कैसे?"

"क्योंकि किसी प्रकार उसे भी खबर लग गई थी कि हम उसे तलाश कर रहे हैं । उसे हमारा इरादा भांपते देर नहीं लगी होगी । उसे अपनी सुरक्षा इसी में दिखाई दी होगी कि इससे पहले कि हम उसका काम तमाम कर पायें, वह हमारा काम तमाम कर दे । मिस्टर, हम छ: थे, वह अकेला है लेकिन फिर भी वह यहीं लन्दन में हमारे तीन साथियों को मौत के घाट उतारने में सफल हो गया । उसकी एक वजह यह भी थी कि हम तकदीर से मार खाये हुये, थके हारे, कमजोर और बीमार आदमी थे लेकिन वह पहले की ही तरह तरोताजा था ।"

"लेकिन ऐसा हुआ कैसे?"

"वही बताने जा रहा हूं । उसका पहला शिकार तांग पेई बना । तांग पेई को उसका कोई सुराग मिल गया था । वह जार्ज टेलर की तलाश में गया और फिर वापिस नहीं लौटा । फिर एक दिन उसकी लाश टेम्स नदी में तैरती पाई गई। पुलिस की निगाहों में तांग पेई ने नदी में कूद कर आत्महत्या की थी लेकिन हकीकत केवल हम जानते थे । उसकी मौत का जिम्मेदार जार्ज टेलर था । फिर जे सिंहाकुल गया ।"

"वह कैसे मरा?"

"उसे भी जार्ज टेलर का कोई सुराग मिला था । वह भी जार्ज टेलर की तलाश में गया था । उसका शरीर रेलवे लाइन पर पड़ा पाया गया था । ट्रेन से उसके टुकड़े-टुकड़े हो गये थे । पुलिस की तफ्तीश के अनुसार उसकी मौत केवल एक दुर्घटना थी लेकिन हम जानते थे कि वह भी जार्ज टेलर का शिकार हुआ था ।"

“और तौफीक इस्माइल ?" “अपने दो साथियों के गुजर जाने तक हम काफी सावधान हो गये थे लेकिन फिर भी तौफीक इस्माइल धोखा खा गया और जार्ज टेलर का शिकार बन गया ।"

"कैसे?"

"तौफीक इस्माइल हमसे अलग अपने कुछ अरब साथियों के साथ रहता था । उस दिन आधी रात को किसी ने उनके घर का दरवाजा खटखटाया । बाहर एक आदमी खड़ा था । उसने अरब के हाथ में एक लिफाफा रख दिया जिस पर तौफीक इस्माइल लिखा था । अरब ने लिफाफा लेकर दरवाजा बन्द कर दिया और लिफाफा तौफीक इस्माइल के पास पहुंचा दिया । लिफाफे में तौफीक इस्माइल के नाम का एक चिट्ठी थी । साहनी, मिस्टर राज को चिट्ठी दिखाओ।"
अनिल साहनी ने अपनी जेब से एक मुड़ा-तुड़ा कागज निकाल कर राज की ओर बढ़ा दिया ।
Top
 
राज ने कागज खोलकर पढा ।

वह अंग्रेजी में लिखा एक पत्र था जिसका आशय था कि तौफीक इस्माइल पत्रवाहक के साथ फौरन रवाना हो जाये । नीचे ज्योति विश्वास के हस्ताक्षर थे और लगभग सप्ताह पहले की तारीख थी।

"यह हस्तलेख हूबहू ज्योति विश्वास का है ।" - जान फ्रेडरिक बोला - "हम सब अपने लीडर का हस्तलेख अच्छी तरह पहचानते थे । तौफीक इस्माइल भी वह हस्तलेख पहचानता था इसलिये पत्रवाहक के साथ फौरन रवाना हो गया ।"

"लेकिन वह तो जानता था कि ज्योति विश्वास मर चुका था !"

"जानता था लेकिन उसने या हममें से किसी ने अपने लीडर की लाश नहीं देखी थी । हमें केवल सूचना मिली थी कि ज्योति विश्वास चीनियों द्वारा शूट कर दिया गया था । ज्योति विश्वास लिखित चिट्ठी आंखों के सामने देखकर शायद तौफीक इस्माइल ने सोचा हो कि ज्योति विश्वास जिन्दा था और चीनियों की गिरफ्त से निकल भागने में सफल हो गया था। लेकिन संयोगवश एक बात तो उसे मालूम नहीं थी और एक दूसरी बात उसे सूझी नहीं थी ।"

"क्या?"

"जो बात उसे मालूम नहीं थी वह यह थी कि जार्ज टेलर ज्योति विश्वास के हस्तलेख की हूबहू नकल कर लेता है और जो बात वह भूल गया था या यूं कहना चाहिये कि अपने लीडर के जीवित होने की सम्भावना पर विचार करते हुये जोश में आकर भुला बैठा था, वह यह थी कि अगर ज्योति विश्वास जीवित भी था तो उसे यह कैसे मालूम हुआ कि तौफीक इस्माइल लन्दन में था और कहां था ?"

“खैर, फिर ?" "तौफीक इस्माइल उस आदमी के साथ रवाना हो गया जो कि चिट्ठी लाया था । अगली सुबह उसी इलाके की एक अन्य सड़क पर तौफीक इस्माइल की लाश पाई गई । उसके गले में आठ इंच लम्बा छुरा घुपा हुआ था और उसकी जेबें खाली थीं । पुलिस ने इसे डाकाजनी की वारदात की संज्ञा दी।"

"उस आदमी का कुछ पता लगा जो चिट्ठी लेकर आया था?"

"हमने पता लगाने की कोशिश की लेकिन हम नाकामयाब रहे । हालांकि जिस अरब ने उसे दरवाजा खोला था, उसने हमें उस आदमी का हुलिया बड़ी अच्छी तरह बताया था । वह एक लाल चेहरे वाला लम्बा तडंगा अंग्रेज था । उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान था और नाक जरूरत से ज्यादा बड़ी थी लेकिन अपनी भरपूर कोशिशों के बावजूद हम उसका या जार्ज टेलर का पता पाने में नाकामयाब रहे । केवल हमने इतनी सावधानी बरती है कि हम अधिक से अधिक समय तक इकट्ठे रहने की कोशिश करते हैं और किसी आकस्मिक आक्रमण के प्रति पहले से दस गुणा अधिक चौकन्ने रहते हैं ।"

राज चुप रहा।

"हम जो जार्ज टेलर तक पहुंच नहीं पा रहे हैं" - जान फ्रेडरिक बोला - "उसका मुख्य कारण यह है कि जार्ज टेलर हमें अच्छी तरह जानता है । वह यह भी जानता है कि हम उसे तलाश कर रहे हैं और क्यों तलाश कर रहे हैं । इसलिये वह हमारे प्रति पूरी तरह सावधान है । जब तक हममें से कोई सुराग निकाल पाता है तब तक वह उसका काम तमाम कर देता है । अन्त में हम बचे हुये तीनों साथी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जब हब हमें किसी बाहरी आदमी की मदद नहीं मिलेगी, हम उसे तलाश नहीं कर पायेंगे । और मिस्टर राज, वह बाहरी आदमी तुम हो सकते हो । तुम जार्ज टेलर को तलाश करने में हमारी मदद कर सकते हो।"

"आप लोग चाहते हैं कि मैं जार्ज टेलर की हत्या करने में आपकी सहायता करू?"

"यह कर सको तो बात ही क्या है लेकिन हम कम से कम उसकी तलाश में तो तुम्हारी सहायता की अपेक्षा कर ही रहे हैं।"

"आई सी ।" - राज बोला - "आई सी ।"

उसने देखा तीनों व्यक्तियों की व्यग्र निगाहें उसके चेहरे पर टिकी हुई थीं।

"साथियो !" - अन्त में राज निर्णयात्मक स्वर में बोला - "मुझे मालूम नहीं था कि मुझसे ऐसी किसी सहायता की मांग की जायेगी । और न ही मुझे आप लोगों की ऐसी कोई सहायता करने का निर्देश दिया गया है । मेरे विभाग के चीफ ने मुझे केवल इतना कहा था कि सी बी आई के छ: एजेन्ट लन्दन में कहीं फंसे हुये थे और मुझे उनको लन्दन से निकालकर भारत लाने में उसकी सहायता करनी थी।"

"तुम्हारे विभाग के चीफ ने हमें गलत समझा है ।" - अनिल साहनी शायद पहली बार बोला, उसके स्वर में कड़वाहट थी - "हम यहां फंसे हुये नहीं हैं । हमें यहां से निकलने के लिये किसी की सहायता की जरूरत नहीं है । अगर चीन से निकलकर इंग्लैंड पहुंचने में हमें किसी सहायता की जरूरत नहीं पड़ी तो यहां से भारत पहुंचने में भी हमें किसी की सहायता की जरूरत नहीं पड़ेगी । जब तक जार्ज टेलर जिन्दा है, हममें से कोई भारत नहीं जाना चाहता । अगर तुम उसको तलाश करने की दिशा में हमारी कोई सहायता कर सकते हो तो ठीक है, वर्ना नमस्ते ।"

"मैं अभी तो की उत्तर नहीं दे सकता ।" - राज धीरे से बोला।

"तुम कब उत्तर दे सकते हो?" - जान फ्रेडरिक बोला।

"मुझे कम से कम चौबीस घन्टे का समय दो ।" - राज बोला।

"वैरी वैल | जहां हमने एक साल इन्तजार किया है, वहां एक दिन और सही । कल हम फिर तुमसे सम्पर्क स्थापित करेंगे।"

"नहीं ।" - राज जल्दी से बोला - "कल मैं आपसे सम्पर्क स्थापित करूगा । अगर आप अपने मददगार मिलर से पूछे तो वह आपको बतायेगा कि मेरे होटल से किसी ने हमारा पीछा करने की कोशिश की थी लेकिन मिलर की चालकी से हमारा पीछा करने वालों से जल्दी ही पीछा छूट गया था । और मुझे सन्देह है कि मेरे होटल में मेरा टेलीफोन भी टेप किया हुआ है।"

"तुम हमसे कैसे सम्पर्क स्थापित करोगे ?" “

आप लोग मुझे इस इमारत का पता दीजिये | कल रात को मैं यहां पहुंच जाऊंगा ।"
जान फ्रेडरिक ने पहले अनिल साहनी और फिर रोशनी की ओर देखा।
सबके चेहरों पर झिझक के चिन्ह थे ।
 
फिर जान फ्रेडरिक के संकेत पर वे अपनी कुर्सियों से उठ खड़े हुए।

"हम अभी हाजिर होते हैं ।" - जान फ्रेडरिक बोला।

तीनों कमरे से बाहर निकल गये ।
राज अकेला कमरे में बैठा रहा ।

थोड़ी देर बाद वे वापिस लौट । इस बार मिलर भी उनके साथ आया था ।

“मिस्टर राज ।" - जान फ्रेडरिक उसकी ओर एक कागज बढाता हुआ बोला - "इस कागज पर इस इमारत का पता लिखा हुआ है । अपने कहे अनुसार कल रात आप यहां तशरीफ ले आइयेगा । मिलर आपको हमारे पास पहुंचा देगा।"

"आप लोग यहां नहीं होंगे?"


"नहीं । हम यहां नहीं रहते । यह निवास स्थान मिलर का है ।"

“और आप लोग कहां रहते हैं ?"

"फिलहाल यह प्रश्न महत्वपूर्ण नहीं है । कल रात हम आपके आगमन की प्रतीक्षा करेंगे । मिलर आपको वापिस अपने होटल तक छोड़
आयेगा ।"

"जरूरत नहीं।" - राज जल्दी से बोला - "मुझे बाहर का रास्ता दिखाइये ।

होटल तक मैं खुद पहुंच जाऊंगा।"

"ओके । मिलर आपको बाहर तक छोड़ आयेगा |

गुड नाइट ।"

"गुड नाइट ।" - राज बोला।

"दिस वे, मिस्टर राज ।" - मिलर बोला ।

राज मिलर के साथ हो लिया । मिलर उसे गली से पार मुख्य सड़क पर छोड़ गया।
एक टैक्सी पर सवार होकर राज अपने होटल पहुंचा।

रिसैप्शन से उसने अपने कमरे की चाबी ली और लिफ्ट के रास्ते अपने फ्लोर पर पहुंच गया ।
वह अपने कमरे के सामने पहुंचा ।

उसने दरवाजे का ताला खोला और दरवाजे को भीतर धकेला।
उसने कमरे में कदम रखा और एकदम ठिठक गया ।

कमरे में से जलते हुये सिगार की गन्ध आ रही थी।

इससे पहले कि वह कमरे से बाहर निकलने के बारे में सोच भी पाता, कमरे की बत्ती जल उठी ।

कमरे में उससे केवल दो कदम दूर एक लाल चेहरे वाला लम्बा तडंगा अंग्रेज खड़ा था । उसके चेहरे पर चेचक के दाग थे, माथे पर एक चोट का लम्बा निशान था और नाक जरूरत से ज्यादा बड़ी थी । उसके मुंह में एक जलता हुआ सिगार दबा हुआ था । उसके हाथ में एक रिवाल्वर थी, जिसकी नाल राज की ओर तनी हुई थी । वह पुलिस इन्स्पेक्टर की यूनीफार्म पहने हुये था
"प्लीज कम इन ।" - इन्स्पेक्टर मधुर स्वर से बोला।

राज अनिश्चित-सा कमरे में प्रविष्ट हो गया ।
 
उसी क्षण एक दूसरा आदमी बाथरूम में से निकला । उसने आगे बढकर कमरे का द्वार बन्द कर दिया । दूसरा एक हैट और एक लम्बा ओवरकोट पहने हुये था ।
राज ने कमरे में दृष्टि दौड़ाई ।

उसका सूटकेस पलंग पर खुला पड़ा था । सूटकेस का सारा सामान पलंग पर फैला हुआ था । वैसी ही हालत में उसका ब्रीफकेस भी था । ब्रीफकेस में मौजूद एक-एक कागज पलंग पर बिखरा पड़ा था।

"इस हरकत का क्या मतलब हुआ ?" - राज ने क्रोधित स्वर से पूछा।

इन्स्पेक्टर ने अपना रिवाल्वर वाला हाथ नीचे झुका लिया और पूर्ववत् मधुर स्वर से बोला - "मेरा नाम इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड है ।"

"मैंने नाम नहीं पूछा ।"

"फिर भी मुझे बताना तो था ही । आप मिस्टर राज है न?"

"हां, लेकिन..." "हमें विश्वस्त सूत्रों से पता लगा है कि आप स्मगलिंग का धन्धा करते हैं और अपने देश से अपने साथ चरस लाये हैं ।"

"आपका दिमाग तो नहीं खराब हो गया है ?" - राज चिल्लाकर बोला - "आप..."

"धीरे बोलिये ।" - इन्सपेक्टर डांट कर बोला । '

"क्यों धीरे बोलूं ?" - राज और ज्यादा चिल्लाकर बोला - "आप जानते हैं, मैं कौन हूं? मैं प्रेस प्रतिनिधि के रूप में अपने देश के प्रधानमन्त्री के साथ यहां कामनवैल्थ प्रीमियर्स की कांफ्रेंस कवर करने के लिये आया हूं और आप मुझे चरस का स्मगलर सिद्ध कर रहे हैं

"प्रेस प्रतिनिधि होने के साथ-साथ आप स्मगलर भी हो सकते हैं।"

"लेकिन मैं स्मगलर नहीं हूं।"

"हमारी सूचना यही कहती है ।"

"आपकी सूचना गलत है और आपने मेरी गैरहाजिरी में मेरे कमरे में घुसकर और मेरे सामान की तलाशी लेकर एक अनाधिकार चेष्टा की है । मैं इसकी रिपोर्ट अपने देश के हाई कमिश्नर से करूंगा।"

"आप ऐसा कुछ नहीं करेंगे ।" - इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड शान्त स्वर में बोला।

"क्यों नहीं करूंगा? कौन रोकेगा मुझे?"

"आपको रोकेगा कोई नहीं लेकिन आपके पास वक्त नहीं है।"

"क्या मतलब?"

"कल सुबह के प्लेन से आप लन्दन से भारत के लिये प्रस्थान कर रहे हैं ।"

“मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा हूं । आप मुझे जबरदस्ती यहां से नहीं निकाल सकते । मेरे पास लीगल पासपोर्ट और वीसा है और मैं अपने देश के प्रधानमन्त्री के साथ आया हूं | आप मेरे साथ किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं कर सकते ।"

"जबरदस्ती कौन कर रहा है, साहब ! आप अपनी मर्जी से कल सुबह यहां से रवाना हो रहे है

"मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा हूं | और मैं अभी तुम्हारी रिपोर्ट करता हूं।"

राज लम्बे डग भरता टेलीफोन की ओर बढा ।

उसी क्षण लम्बे ओवरकोट वाले का हाथ हवा में घूमा ।
कोई भारी चीज राज की खोपड़ी के पृष्ठ भाग से टकराई।

राज की आंखों के आगे अंधेरा छा गया । उसके घुटने मुड़ गये और उसके हाथों ने अपने आप उठकर सिर को थाम लिया ।

इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड अपनी रिवाल्वर को नाल की ओर से पकड़े उसकी ओर बढा ।

राज ने अपने सिर को झटका दिया । फिर उसने उस अधबैठी स्थिति में ही टेलीफोन की ओर छलांग लगा दी। उसने जल्दी से रिसीवर को क्रेडल से खींचा और हांफता हुआ माउथपीस में बोला - "हैल्प ! हैल्प !!"
राज ने इन्स्पेक्टर क्राफोर्ड का रिवाल्वर वाला हाथ अपनी खोपड़ी की ओर घूमता देखा । वह नीचे झुक कर वार बचा गया ।

लम्बे ओवरकोट वाला भी हाथ में छोटा-सा डन्डा लिये उसकी ओर बढ़ रहा था ।
 
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