desiaks
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कड़ी_49 प्रवींद्र की शादी नेहा के अगले पाँच दिन ऐसे ही पंडित, ज्ञान, सुभाष और अपने होने वाले पति प्रवींद्र से चुदाई करते गुजरे।
गैरेज के दो टीनेजर्स ने दो बार जाकर नेहा को चुदते हुए देखा, एक बार ज्ञान से और एक बार सुभाष के साथ। देखने के बाद दोनों मूठ मारने गये गैरेज के एक कोने में। हर बार जब यह दोनों टीनेजर्स नेहा को देखते तो इनके लण्ड खड़े हो जाते और इनको भी नेहा को चोदने का मन करता। मगर उन सब लोगों में से किसी को भी पता नहीं था कि इन दोनों को कछ भी पता है उन लोगों की चदाई के बारे में।
जब भी यह दोनों पानी भरने जाते थे नल के पास, जहाँ नेहा कपड़े धोती है, तो यह दोनों उसकी चूचियों को देखा करते थे चोरी चोरी। दोनों नेहा से बातें भी करते थे, वो भी बातें करती थी उन दोनों से मगर नेहा को बिल्कुल पता नहीं था कि वह दोनों भी उससे वही पाना चाहते थे जो बाकी लोगों को मिल रहे थे। बाद में देखेंगे के क्या इन दोनों का भी कुछ होगा नेहा के साथ या नहीं।
चालीसवें दिन की पूजा के लिए प्रवींद्र ने सभी जान पहचान वालों को इन्वाइट कर दिया, सभी रिश्तेदार, परिवार सब इन्वाइट हो चुके थे। सभी पूजा और रीति रिवाज के अनुसार होने वाले सब विधि दिन को होना था और रात में प्रवींद्र और नेहा की शादी।
करीबी रिश्तेदारों को लंच और डिनर के लिए भी इन्वाइट किया गया था। कुछ लोग सिर्फ़ पूजा अटेंड करके वापस जाने वाले थे और बाकी के लोग रात तक ठहरते शादी अटेंड करने के लिए। असल में 41वें दिन को सब हुआ। प्रवींद्र के बाप और भाई के मौत की पूजा के बाद।
एक बड़ा सा टेंट लगाया गया उनके अंगने में और एक दिन पहले से ही बहुत सारे लोग लगे हुए थे टेंट को बनाने और सजाने में। जितने लोग काम कर रहे थे एक दिन पहले से ही वहाँ पर, उनमें से बहुत सारे मर्दो की नजर नेहा पर थी क्योंकी हर बार-बार नेहा को उन लोगों को कुछ ना कुछ खाने या पीने के लिए सर्व करना पड़ रहा था। तो जब भी वो उन लोगों के सामने आती थी, सब जी भरके उसको निहारा करते थे। बहुत सारे लण्ड उठ खड़े होते थे जब भी वो उनके बीच आती थी। और नेहा को पता था कि उसके जाने के बाद उनमें से कितने आपस में नेहा को लेकर बातें किया करते थे कि अगर वो मिल गई चोदने को तो बहुत मजा आएगा। उन लोगों में से सब नजदीक के गाँव से थे और उमर यही कोई 40-30-20 साल के थे सबके।
कई बार इन लोगों ने नेहा से अपने जिश्म को रगड़ा, उसकी गाण्ड पर हाथ फेरा, अपने जिश्म को उसकी जिश्म से छुवाया, और कई ऐसी हरकतें की जिनसे लण्ड फनफना उठते थे सबके। कितनों ने अपने हाथ या बाजू को उसकी चूचियों पर भी दबाया। मगर ऐसा लगता था कि सब कुछ अचानक हो रहा था। जबकि नेहा को सब पता था और वो कुछ नहीं कह रही थी, सब मेहमान जैसे थे उसके आँगन में। सब लोग आपस में बातें किया करते थे कि नेहा कभी कुछ नहीं कहती उनको कहीं भी छुने से, सिर्फ़ मुश्कुराती रहती है और सब खुद से कहते थे कि यह जरूर चोदने को देगी उन्हें।
मगर ऐसी भीड़-भाड़ में कैसे किसी को वैसा मौका मिलता नेहा को चोदने का... इतने सारे लोग जो थे, अगर एक कामयाब होता तो बाकी के लोग भी उसपर टूट पड़ते। किसी में हिम्मत नहीं हुई उसके ज्यादा करीब जाने की। इनमें एक 4 लोगों का ग्रुप था जिन्होंने आपस में बातें किया कि नेहा जरूर मिलेगी चोदने के लिए। मगर यह लोग बाद में प्लान करके आएंगे इसको चोदने फिर कभी किसी अच्छे मौके को देखकर। शर्त यह थी कि चारों एक साथ आयेंगे।
बाद में देखेंगे कि यह चारों कामयाब होंगे या नहीं?
आखिरकार, वो दिन आ गया, सिविल ब्यूरो से आफिसर भी आ गए थे रिजिस्टर्ड मैरेज के लिए सभी दस्तावेजों के साथ।
सुबह से शाम तक कोई 1500 लोग उपस्थित थे प्रवींद्र के यहाँ अंगने की टेंट में। ऐसा लग रहा था कि कोई मेला लगा हुआ है वहाँ। जिस गली में प्रवींद्र रहता था बहुत सारे कारें थीं, पोलीस वाले रोड डाइवर्ट कर रहे थे, ट्रैफिक जाम हो रही थी उसकी वजह से। करीबी रिश्तेदार जैसे प्रवींद्र के चाचा (जिसने नेहा को चोदा है), नेहा का पिता, उसके भाई, भाभियां, प्रवींद्र की तरफ के सभी करीबी रिश्तेदार लोग, सब घर के अंदर थे। पूरा घर ऊपर नीचे भरा था। केटरिंग सर्विस वाले खाना पानी परोस रहे थे। एक कोने में पकाया जा रहा था, तो कहीं यह कहीं
वो किया जा रहा था। लोग भरे हुए थे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कौन कहाँ क्या कर रहा है। सब उलट पुलट लग रहा था।
पूजा के विधि, संस्कार और अनुष्ठान दिन के एक बजे समाप्त हुआ। सभी लोगों ने अटेंड किया, और सबसे आखिरी विधि नेहा और प्रवींद्र के साथ पूरी हुई पंडित के साथ बैठकर। तब टेंट में सभी मेहमानों को खाना परोसा गया। परिवार के सदस्यों ने घर के अंदर लंच किया जहाँ एक बड़ा सा टेबल रखा गया था।
शाम के 4:00 बजे के बाद उन दोनों की रात को होने वाली शादी की तैय्यारियां शुरू हो गई। घर के अंदर हलचल मची हुई थी। सिर्फ़ नेहा का कमरा बचा हुआ था जिसमें हर किसी का आना जाना नहीं था, क्योंकी दोनों नेहा और प्रवींद्र को उसी कमरे में तैयार होना था। तो उस कमरे में सिर्फ यह दोनों और एकाध बार नेहा के घरवाले आया जाया करते थे। बाकी के मेहमान टेंट में थे और बहुत सारे लोग रास्ते पर जुटे हुए थे बकचोदी करते हुए।
गैरेज के दो टीनेजर्स ने दो बार जाकर नेहा को चुदते हुए देखा, एक बार ज्ञान से और एक बार सुभाष के साथ। देखने के बाद दोनों मूठ मारने गये गैरेज के एक कोने में। हर बार जब यह दोनों टीनेजर्स नेहा को देखते तो इनके लण्ड खड़े हो जाते और इनको भी नेहा को चोदने का मन करता। मगर उन सब लोगों में से किसी को भी पता नहीं था कि इन दोनों को कछ भी पता है उन लोगों की चदाई के बारे में।
जब भी यह दोनों पानी भरने जाते थे नल के पास, जहाँ नेहा कपड़े धोती है, तो यह दोनों उसकी चूचियों को देखा करते थे चोरी चोरी। दोनों नेहा से बातें भी करते थे, वो भी बातें करती थी उन दोनों से मगर नेहा को बिल्कुल पता नहीं था कि वह दोनों भी उससे वही पाना चाहते थे जो बाकी लोगों को मिल रहे थे। बाद में देखेंगे के क्या इन दोनों का भी कुछ होगा नेहा के साथ या नहीं।
चालीसवें दिन की पूजा के लिए प्रवींद्र ने सभी जान पहचान वालों को इन्वाइट कर दिया, सभी रिश्तेदार, परिवार सब इन्वाइट हो चुके थे। सभी पूजा और रीति रिवाज के अनुसार होने वाले सब विधि दिन को होना था और रात में प्रवींद्र और नेहा की शादी।
करीबी रिश्तेदारों को लंच और डिनर के लिए भी इन्वाइट किया गया था। कुछ लोग सिर्फ़ पूजा अटेंड करके वापस जाने वाले थे और बाकी के लोग रात तक ठहरते शादी अटेंड करने के लिए। असल में 41वें दिन को सब हुआ। प्रवींद्र के बाप और भाई के मौत की पूजा के बाद।
एक बड़ा सा टेंट लगाया गया उनके अंगने में और एक दिन पहले से ही बहुत सारे लोग लगे हुए थे टेंट को बनाने और सजाने में। जितने लोग काम कर रहे थे एक दिन पहले से ही वहाँ पर, उनमें से बहुत सारे मर्दो की नजर नेहा पर थी क्योंकी हर बार-बार नेहा को उन लोगों को कुछ ना कुछ खाने या पीने के लिए सर्व करना पड़ रहा था। तो जब भी वो उन लोगों के सामने आती थी, सब जी भरके उसको निहारा करते थे। बहुत सारे लण्ड उठ खड़े होते थे जब भी वो उनके बीच आती थी। और नेहा को पता था कि उसके जाने के बाद उनमें से कितने आपस में नेहा को लेकर बातें किया करते थे कि अगर वो मिल गई चोदने को तो बहुत मजा आएगा। उन लोगों में से सब नजदीक के गाँव से थे और उमर यही कोई 40-30-20 साल के थे सबके।
कई बार इन लोगों ने नेहा से अपने जिश्म को रगड़ा, उसकी गाण्ड पर हाथ फेरा, अपने जिश्म को उसकी जिश्म से छुवाया, और कई ऐसी हरकतें की जिनसे लण्ड फनफना उठते थे सबके। कितनों ने अपने हाथ या बाजू को उसकी चूचियों पर भी दबाया। मगर ऐसा लगता था कि सब कुछ अचानक हो रहा था। जबकि नेहा को सब पता था और वो कुछ नहीं कह रही थी, सब मेहमान जैसे थे उसके आँगन में। सब लोग आपस में बातें किया करते थे कि नेहा कभी कुछ नहीं कहती उनको कहीं भी छुने से, सिर्फ़ मुश्कुराती रहती है और सब खुद से कहते थे कि यह जरूर चोदने को देगी उन्हें।
मगर ऐसी भीड़-भाड़ में कैसे किसी को वैसा मौका मिलता नेहा को चोदने का... इतने सारे लोग जो थे, अगर एक कामयाब होता तो बाकी के लोग भी उसपर टूट पड़ते। किसी में हिम्मत नहीं हुई उसके ज्यादा करीब जाने की। इनमें एक 4 लोगों का ग्रुप था जिन्होंने आपस में बातें किया कि नेहा जरूर मिलेगी चोदने के लिए। मगर यह लोग बाद में प्लान करके आएंगे इसको चोदने फिर कभी किसी अच्छे मौके को देखकर। शर्त यह थी कि चारों एक साथ आयेंगे।
बाद में देखेंगे कि यह चारों कामयाब होंगे या नहीं?
आखिरकार, वो दिन आ गया, सिविल ब्यूरो से आफिसर भी आ गए थे रिजिस्टर्ड मैरेज के लिए सभी दस्तावेजों के साथ।
सुबह से शाम तक कोई 1500 लोग उपस्थित थे प्रवींद्र के यहाँ अंगने की टेंट में। ऐसा लग रहा था कि कोई मेला लगा हुआ है वहाँ। जिस गली में प्रवींद्र रहता था बहुत सारे कारें थीं, पोलीस वाले रोड डाइवर्ट कर रहे थे, ट्रैफिक जाम हो रही थी उसकी वजह से। करीबी रिश्तेदार जैसे प्रवींद्र के चाचा (जिसने नेहा को चोदा है), नेहा का पिता, उसके भाई, भाभियां, प्रवींद्र की तरफ के सभी करीबी रिश्तेदार लोग, सब घर के अंदर थे। पूरा घर ऊपर नीचे भरा था। केटरिंग सर्विस वाले खाना पानी परोस रहे थे। एक कोने में पकाया जा रहा था, तो कहीं यह कहीं
वो किया जा रहा था। लोग भरे हुए थे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कौन कहाँ क्या कर रहा है। सब उलट पुलट लग रहा था।
पूजा के विधि, संस्कार और अनुष्ठान दिन के एक बजे समाप्त हुआ। सभी लोगों ने अटेंड किया, और सबसे आखिरी विधि नेहा और प्रवींद्र के साथ पूरी हुई पंडित के साथ बैठकर। तब टेंट में सभी मेहमानों को खाना परोसा गया। परिवार के सदस्यों ने घर के अंदर लंच किया जहाँ एक बड़ा सा टेबल रखा गया था।
शाम के 4:00 बजे के बाद उन दोनों की रात को होने वाली शादी की तैय्यारियां शुरू हो गई। घर के अंदर हलचल मची हुई थी। सिर्फ़ नेहा का कमरा बचा हुआ था जिसमें हर किसी का आना जाना नहीं था, क्योंकी दोनों नेहा और प्रवींद्र को उसी कमरे में तैयार होना था। तो उस कमरे में सिर्फ यह दोनों और एकाध बार नेहा के घरवाले आया जाया करते थे। बाकी के मेहमान टेंट में थे और बहुत सारे लोग रास्ते पर जुटे हुए थे बकचोदी करते हुए।