desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]साजन मेरा , मैं सजनी उसकी[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।
मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।
……………………………
और अब मैंने भी हाथ लगा दिया , हाथ नहीं सिर्फ दो उंगलियां 'उसके ' बेस पे , हलके से दबाया ,
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
अब वो कुनमुना रहा था हल्का सा जग गया था , थोड़ा थोड़ा कड़ा ,
और अबकी मैंने होंठ जोर से प्रेस किया , आधे से ज्यादा मेरे मुंह में था
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
आधा सोया आधा जागा ,
मस्ती से मैं चूस रही थी , क्या मस्त स्वाद था।
और मैंने एकबार पलक उठा के देखा तो वो शैतान बच्चे की तरह टुकुर टुकुर देख रहे थे।
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
मेरी आँखों ने थोड़ा प्यार से ,थोड़ा हक़ से उन्हें डांटा ,बरज दिया ,खबरदार , बस लेटे रहो चुपचाप।
और वो अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप
' वो ' भी अब जग गया था , पूरे सात इंच का , कड़ा खड़ा ,
और मैंने पूरी ताकत से अपना सर प्रेस किया ,
आलमोस्ट मेरे गले तक ,मेरी जीभ चारों ओर से उसे चाट रही थीं ,होंठ जम के चूस रहे थे।
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
मुझसे ज्यादा ये कौन समझ सकता था ,
जो मजा अपने घर में है[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अपने बिस्तर पर है ,
और
अपने पति के साथ है , वह कहीं नहीं।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
और पति अगर मेरे पति जैसा हो तो क्या कहना ,[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
अब मैं जम के चूस रही थी ,
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
उनको तो मैंने हिलने को भी मना किया था लेकिन बिचारे कितना कंट्रोल कर सकते थे ,
कुछ नहीं तो
नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा के , मेरे होंठों के साथ ताल पर ताल मिला रहे थे ,
ऊपर के मेरे होंठों ने तो स्वाद चख लिया था पर भूखे तो नीचे वाले होंठ भी थे ,
ये कलाकंद खाये हुए उन्हें भी तो दो दिन बीत चुके हैं।
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
और वो मेरे अंदर थे ,मैं ऊपर वो नीचे।
कोई मुझसे पूछे क्या मजा आता है ,दिन दहाड़े ,सुबह सबेरे ,
अपने घर में ,अपने घरवाले के साथ सटासट ,गपागप
और घरवाला जब उनके जैसा हो , खूब प्यारा सा ,मीठा सा।
तो न गप्प करना तो गलत है न।
मैंने उनकी ओर देखा ,
दुष्ट, उनकी नदीदी भूखी आँखे कैसे टुकुर टुकुर मुझे देख रही थीं।
और झट से झुक के मेरे गुलाबी होंठों ने बस चूम के उनकी पलकों को खिड़कियां उठंगा दी ,नजर की।
वो और क्या देख रहे थे ,मेरे उभारों को।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]शादी के बाद पहले दिन से ही ,बल्कि शादी में भी चुपके चुपके , लेकिन
कहीं छुपता है क्या ऐसे देखना , मेरा भाभियाँ कितना चिढा रही थी , तेरे जुबना का तो दीवाना है ये , देख क्या हाल करता है इनका।
उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में , और मैंने झुक के अपने उभार उनके गालों पे रगड़ दिया , और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।
…………………
जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,शरारती मैं ,मैंने उन्हें दूर हटा लिया।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।
मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।
……………………………
और अब मैंने भी हाथ लगा दिया , हाथ नहीं सिर्फ दो उंगलियां 'उसके ' बेस पे , हलके से दबाया ,
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
अब वो कुनमुना रहा था हल्का सा जग गया था , थोड़ा थोड़ा कड़ा ,
और अबकी मैंने होंठ जोर से प्रेस किया , आधे से ज्यादा मेरे मुंह में था
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
आधा सोया आधा जागा ,
मस्ती से मैं चूस रही थी , क्या मस्त स्वाद था।
और मैंने एकबार पलक उठा के देखा तो वो शैतान बच्चे की तरह टुकुर टुकुर देख रहे थे।
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
मेरी आँखों ने थोड़ा प्यार से ,थोड़ा हक़ से उन्हें डांटा ,बरज दिया ,खबरदार , बस लेटे रहो चुपचाप।
और वो अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप
' वो ' भी अब जग गया था , पूरे सात इंच का , कड़ा खड़ा ,
और मैंने पूरी ताकत से अपना सर प्रेस किया ,
आलमोस्ट मेरे गले तक ,मेरी जीभ चारों ओर से उसे चाट रही थीं ,होंठ जम के चूस रहे थे।
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
मुझसे ज्यादा ये कौन समझ सकता था ,
जो मजा अपने घर में है[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अपने बिस्तर पर है ,
और
अपने पति के साथ है , वह कहीं नहीं।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
और पति अगर मेरे पति जैसा हो तो क्या कहना ,[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
अब मैं जम के चूस रही थी ,
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
उनको तो मैंने हिलने को भी मना किया था लेकिन बिचारे कितना कंट्रोल कर सकते थे ,
कुछ नहीं तो
नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा के , मेरे होंठों के साथ ताल पर ताल मिला रहे थे ,
ऊपर के मेरे होंठों ने तो स्वाद चख लिया था पर भूखे तो नीचे वाले होंठ भी थे ,
ये कलाकंद खाये हुए उन्हें भी तो दो दिन बीत चुके हैं।
[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
और वो मेरे अंदर थे ,मैं ऊपर वो नीचे।
कोई मुझसे पूछे क्या मजा आता है ,दिन दहाड़े ,सुबह सबेरे ,
अपने घर में ,अपने घरवाले के साथ सटासट ,गपागप
और घरवाला जब उनके जैसा हो , खूब प्यारा सा ,मीठा सा।
तो न गप्प करना तो गलत है न।
मैंने उनकी ओर देखा ,
दुष्ट, उनकी नदीदी भूखी आँखे कैसे टुकुर टुकुर मुझे देख रही थीं।
और झट से झुक के मेरे गुलाबी होंठों ने बस चूम के उनकी पलकों को खिड़कियां उठंगा दी ,नजर की।
वो और क्या देख रहे थे ,मेरे उभारों को।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]शादी के बाद पहले दिन से ही ,बल्कि शादी में भी चुपके चुपके , लेकिन
कहीं छुपता है क्या ऐसे देखना , मेरा भाभियाँ कितना चिढा रही थी , तेरे जुबना का तो दीवाना है ये , देख क्या हाल करता है इनका।
उनकी दोनों कलाइयां मेरे हाथों में , और मैंने झुक के अपने उभार उनके गालों पे रगड़ दिया , और फिर निपल उनके प्यासे होंठों पे।
…………………
जब तक मुंह खोल के वो उसे गपुच करते,शरारती मैं ,मैंने उन्हें दूर हटा लिया।[/font]