XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी - Page 19 - SexBaba
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XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुड्डी[/font]




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और फिर मंजू बाई ने गुड्डी की बात छेड़ दी।




" तू जानती है ,इसकी एक छोटी बहन भी है,एकदम मस्त पटाखा माल। मैंने फोटो देखी है।[/font]

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साली क्या चूंचियां है मस्त ,शक्ल से चुदवासी लगती है।


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]तुझसे थोड़ी ही छोटी होगी , पक्की छिनार , नाम क्या है उसका , ?"

मंजू बाई बोलीं।

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" गुड्डी "


उन्होंने बोल दिया।

गीता उनकी जाँघों पे सर रख के लेटी थी , अपने होंठों से खड़े मस्ताए लन्ड को कभी चूम लेती थी तो कभी हाथ से पकड़ के मुठियाती थी।

एक बार फिर जैसे उनके हथियार से बात कर रही हो ,गीता ने उसे हलके हलके सहलाते बोला ,


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" ये मैं न पूछुंगी की साल्ले तूने उसे चोदा की नहीं , ये बोल की उसकी चूत , झांटे आने के पहले फाड़ी या बाद में।
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]चुदती तो होगी ही ,इत्ता मस्त लन्ड जिसके भाई का हो वो तो खुद पकड़ के गप्प कर लेगी। "

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और जब उन्होंने कबूल किया की गुड्डी अभी तक अनचुदी है ,

तो फिर तो गीता गुस्से से अलफ।

" उससे तो मैं बाद में निपटूंगी बोल इस बिचारे को क्यों भूखा रखा , ऐसा मस्त माल घर में और मेरा यार भूखा रहे ,[/font]

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अगर कभी मुझसे मिलेगी न वो तेरी,… “
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और उनके मुंह से निकल गया की वो दस पंद्रह दिन में आने वाली है तो फिर तो गीता और मंजू बाई दोनों चालू ,[/font]

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" भैया , अगर अपने सामने उसे न चुदवाया इस लन्ड से तो कहना , बुर ,गांड मुंह सब में घोंटेगी छिनार
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और खुद पकड़ के सबके सामने घोंटेगी। बिचारे मेरे प्यारे सीधे भैया को इतना तड़पाया। "


गीता बोली।

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" साली को एकदम रन्डी बना दूंगी बस हम दोनों माँ बेटी के हवाले कर देना ,बस एक दिन के लिए। कोठे की रंडी मात सारे ट्रिक चुदाई के सीख जायेगी। "


मंजू बाई ने जोड़ा।




" अरे माँ ये सब बातें भैया से बोलने की हैं क्या , बस भैया तू उसे ले आ ,आगे की जिम्मेदारी हम दोनों की।[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ये बोल उस की चूंचियां कितनी बड़ी है। "



गीता अब फिर एक बार उनकी गोद में बैठ गयी थी।

" बस तुझसे थोड़ी ही छोटी हैं "


उन्होंने गीता की चूंची रगड़ते मसलते बोला।



" वाह भैया निगाह रखते हो उसकी चूंची पे। "

हंस के गीता बोली , चल आने दो मेरे बराबर तो मैं ही रगड़ मसल के कर दूंगी उसकी। फिर मेरी छिनार माँ भी है , हम तीनो ,भैया मैं और माँ मिल के उसका हलवा बनाएंगे। "


और मंजू को याद आ गया।
……………….

" हे तूने बोला था न भैया आएंगे तो अपना स्पेशल हलवा खिलाएगी तो जा ले आ न " मंजू बाई ने गीता को हड़काया।

और गीता उठ के अपने चूतड़ मटकाती रसोई की ओर चल दी।

मंजू बाई भी उनका हाथ पकड़ के आंगन में ले आयी और चटाई वहीँ बिछा दी।

मस्त हवा आ रही है यहाँ ,वो बोली और उनका हाथ पकड़ के बैठा दिया।


" असली नशा तो तुझे गीता के हलवे को खा के होगा , देखना क्या मजा आता है और गीता न बिना खिलाये छोड़ेगी नहीं। "

मंजू बाई उनके बगल में बैठी ,मुस्कराके उनके गालों को सहलाती बोल रही थीं।


एक बार फिर ठंडी ठंडी हवा चल रही थी ,आसमान में वो आवारा बादल फिर इक्कट्ठे हो रहे थे।

हवा में मिटटी की सोंधी सोंधी महक से लग रहा था की आसपास कही पानी बरस रहा है। मंजू बाई के घर के बाहर के बड़े से नीम के पेड़ की परछाईं आंगन में आ रही थी।

और अचानक उनके मन में मंजू बाई की शाम की बात , जब उसने बोला था की रात में दस बजे आना तो ये भी कहा था की तुझे सब कुछ खाना पीना पडेगा जो गीता खिलाएगी ,गीता की देह ,...

और मंजू बाई की बातों ने फिर उसके सोचने में ब्रेक लगा दिया।

" हे ये मत कहना की तुमने अपनी बहन को नहीं चोदा तो भोंसडे का भी मजा नहीं लिया ,[/font]

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अरे तेरे घर में साले दो दो मस्त माल और तू ऐसे ही , चल अब हम लोगों के कब्जे में आ गया है न तो तुझे ऐसा हरामी बना देंगे की

तू किसी को न छोड़ेगा ,न माँ न बहन।

अरे इता मस्त मोटा लन्ड ले के , "
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कान उनके मंजू बाई की बातें सुन रहे थे लेकिन मन में कही शाम की उसकी बात गूँज रही थी , गीता की देह से , और गीता हलवा

क्या खिलाएगी वो

तबतक फिर सुना उन्होंने मंजू की आवाज गीता आ न तेरा भाई भूखा बैठा है।



आती हूँ माँ और भैया को तो आज सीधे अपनी कड़ाही से खिलाऊंगी।

फिर उनके मन में कुछ कुछ ,

लेकिन गीता किचेन से कढाही लेकर निकली ,



ताजे गरम गरम बेसन के हलवे की खुशबू।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]प्यासे की प्यास[/font]


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लेकिन गीता किचेन से कढाही लेकर निकली ,


ताजे गरम गरम बेसन के हलवे की खुशबू।

न कोई प्लेट न कटोरी न चम्मच

लेकिन अब तक वो समझ गए थे गीता का इश्टाइल

उसने अपने हाथ से लेकर पहले तो उन्हें ललचाते हुए सीधे अपने मुंह में डाल दिया

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और जो ऊँगली में लगा था उनके गालों में पोंछ दिया।

फिर गीता के होंठ सीधे उनके होंठों पे

गीता के मुंह से , गीता के थूक से मिला , लिथड़ा सीधे उनके मुंह में , गीता ने अपनी जीभ ठेल दी ,साथ में बेसन का हलवा
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" ऐसे ही खिलाऊंगी ,घोटाउंगी तुझे जबरन , सटासट घोंटेगा तू , गपागप लीलेगा। समझे मुन्ना "





मंजू बाई बोली और उनके गाल पर लगा हुआ हलवा चाट लिया , फिर बोली
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" अरे वाह मीठे हलवे का नमकीन गाल के साथ मिल के क्या मस्त स्वाद आता है। "[/font]


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और अगली बार चाटते हुए कचकचा के काट भी लिया पूरी ताकत से मंजू बाई ने


वो बिचारे चीख भी नहीं पाए , उनका मुंह तो गीता ने सील कर रखा था अपने मुंह से और गीता की जीभ उनके मुंह में घुसी

" तेरे भइय्या के गाल किसी मस्त नमकीन लौंडिया से कम मजेदार नहीं है , देख गांडू कितने मजे से कटवा रहा है। "

और मंजू बाई ने दुबारा उनके चिकने गाल काट लिए।
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मुंह का हलवा ख़तम हो जाने के बाद गीता ने अपनी हलवे में लिपटी ऊँगली उनके मुंह में घुसेड़ दी और वो लगे चाटने चूसने। "

" माँ , ये तेरा बेटा सिर्फ गांडू ही नही है देख लन्ड चूसने में भी पक्का है देख कैसे ऊँगली चूस रहा है जैसे मोटा लन्ड हो उसके मुंह में। "


गीता ने एक ऊँगली और मुंह में ठूंसते हुए चिढाया।

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" अरे और क्या , और जो कुछ कमी होगी तो मैं सीखा दूँगीं न। एकदम पक्का उस्ताद,लन्ड चूसने में
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अपनी माँ बहन को भी मात कर देगा। अरे हम दोनों मिल के एक साथ चूसेंगे न मोटा मोटा लन्ड। "

मंजू बाई उनके गाल को एक बार फिर कचकच काटते बोलीं।



और अब मंजू बाई की बारी थी अपने मुंह से उन्हें हलवा खिलाने की और साथ में वो बोली ,

" अभी तो कुचा कुचाया खिला रहीं हूँ और बस अभी थोड़ी देर में पचा पचाया भी खिलाऊंगी , और जरा भी ना नुकुर किया न तो बहुत पिटोगे। "



मंजू बाई कुछ प्यार से ,कुछ धमकाते बोलीं और फिर उनके मुंह से थोड़ा खाया ,थोड़ा अधखाया हलवा सीधे उनके मुंह में।
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" अरे माँ , भैया कुछ भी मना नहीं करेंगे देख लेना ,अरे उनकी माँ बहने किसी को भी नहीं मना करतीं न , जो कहता है उसके आगे अपनी टाँगे उठा देती हैं पीछे चिकनाई लगा के टहलती हैं की क्या पता कब मोटा लन्ड मिल जाए ,


तो ये काहें मना करेंगे , हम लोग जो भी खिलाएंगे पिलायेंगे ,सब कुछ प्यार से खाएंगे ,पियेंगे , क्यों है न भैया।

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और फिर माँ जो हलवा हम तुम खा रहे हैं वो सब भी तो सुबह होते होते इनके पेट में जाएगा , हमारे पेट और इनके मुंह के रास्ते। "

और उनके कान को काटते हलके से हस्की आवाज में वो छिनार लौंडिया बोली ,

" क्यों भईया खाओगे न "

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" अब तो तुम्हारे हवाले हूँ जो करवाओ करूँगा। " मुस्कराते हुए वो बोले।


उन दोनों ने उन्हें अपना हाथ इस्तेमाल करने की जहमत नहीं दी।

गीता मंजूबाई ने अपने मुंह से ही उन्हें सारा हलवा खिलाया और वैसे भी उनके दोनों हाथ मस्त मगन थे ,

एक हाथ में किशोर चूचियां जिसे दबाते मसलते उन्हें बार बार गुड्डी की याद आ रही थी ,

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और

दूसरा तो खूब बड़ा मस्त कड़ा ,[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]आलमोस्ट उनकी सास की समधन

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कुछ ही देर में हलवा ख़तम हो गया आलमोस्ट।


और एक झटके में गीता ने कड़ाही से सारा बचा हुआ हलवा निकाल कर सीधे उसके मुंह में , गरमागरम।

मुंह एकदम जल गया।

ओह्ह उह्ह्ह ,पूरा मुंह गरम गरम हलवे से भर गया था , आँखों में पानी आ गया।

पानी पानी , मुश्किल से वो बोले।

खिलंदड़ी गीता ने हलके से धक्के से उन्हें चटाई पर पीठ के बल गिरा दिया , और मुस्करा के बोली,

" छोटा बच्चा पानी पियेगा , मुंह जल गया क्या ?"

वो एकदम उसके मुंह के पास ,दोनों पैर गीता के उनके हाथों पर मजबूती से ,

वो उनकी छाती के ऊपर ,गीता की कमर एकदम उनके मुंह के पास।




गीता ने अपने हाथों से सँड़सी की तरह उनके सर को दबोच रखा था।




आसमान बादलों से भर गया था , काला अँधेरा , हवा तेज हो गयी थी ,[/font]



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लग रहा था पानी अब बरसा तब बरसा।



गीता और झुकी ,उसकी किशोर कच्ची संतरे की फांको ऐसी रसीली चूत बस उनके होंठों से इंच भर दूर ,

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उनका मुंह जल रहा था , और उस शोख ने उनकी आँख में झाँक के पूछा ,

" बोल , बहुत प्यास लगी है ,भैया , पिला दूँ पानी। "


किसी तरह उनके मुंह से निकल हां हां।

और उधर मंजू बाई भी ,[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" अरे पिला दो न बिचारे पियासे को पानी , तड़प रहा है दो बूँद को , काहें तड़पा रही हो। प्यासे की प्यास बुझाने से बड़ा पुण्य मिलता है। "


आसमान में काली स्याही पुत गयी थी , घुप अँधेरा ,

अचानक बिजली चमकी बहुत तेज

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और उसकी रौशनी में उन्होंने देखा ,

किशोर चम्पई देह यष्टि ,छरहरी , उसकी काले बाल नागिन की तरह लहरा रहे थे ,


उसकी गुलाबी चूत इंच भर भी नहीं दूर थी उनके प्यासे खुले होंठों से ,

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वो उसकी तेज मस्की महक महसूस कर रहे थे।

उफ्फ्फ

" पियेगा पानी , एक बूँद भी बाहर छलकी न तो बहुत पीटूंगी। "

दिख कुछ नहीं रहा था ,सिर्फ आवाज सुनाई पड़ रही थी।

समझ वो भी रहे थे ,गीता भी और मंजू बाई भी।

बारिश की पहली बूँद उनकी देह पर गिरी।


और गीता के निचले होंठों से सुनहरी बूँद ,पहले होंठो पर फिर सरक कर सीधे उनके खुले मुंह में।


लालटेन की पीली रौशनी में पीली सुनहरी बूंदे ,

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रिमझिम हलकी हलकी बूंदो की आवाज आंगन ,छत से आ रही थी।

अब सुनहली बूंदे धीरे धीरे धार बन कर उन के मुंह में

धीरे धीरे ,छलछल छलछल


और गीता ने तेजी से अपनी नशीली चूत से उनके खुले प्यासे होंठ बंद कर दिए , और अब तो


घल घल घल घल

जैसे कोई चोद रहा हो ,उसी तरह गीता ने उनके मुंह से अपनी चूत रगड़ रही थी ,जोर जोर से धक्के मारते

एक एक बूँद

देर तक , और जब उठी तो हटने के साथ गीता ने एक गहरी चुम्मी उनके होंठों पे और जीभ उनके मुंह के अंदर।

उनके मुंह में अभी भी , पर गीता को परवाह नहीं थी।

और गीता के बाद फिर मंजू बाई।


बारिश बहुत तेज हो गयी थी।

मंजू बाई की मांसल जाँघों के बीच उनका सर जकड़ा हुआ था , गीता ने लालटेन पास में ही रख दी थी इसलिए अब बहुत कुछ दिख रहा था।

काली काली झांटे , खूब मोटे मोटे मंजू बाई की बुर के मांसल होंठ ,

और खूब देर तक।

गीता बगल में बैठी देखती रही ,उनका सर सहलाती रही।

तीनो आंगन में बारिश से भीग रहे थे।



और जब मंजू बाई उठीं

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]काली काली घनी झांटो के बीच चार पांच बड़ी बड़ी पीली सुनहली बूंदे ,
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सर उठाके , जीभ निकाल के उन्होंने चाट लिया।


बारिश की तेज धार अब एक बार हलकी हलकी रिमझिम बूंदो में बदल गयी।

लेकिन इच्छाओ की आंधी और वासना की बारिश की तेजी में कोई कमी नही आयी थी।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बारिश[/font]



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बारिश बहुत तेज हो गयी थी।


मंजू बाई की मांसल जाँघों के बीच उनका सर जकड़ा हुआ था ,

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गीता ने लालटेन पास में ही रख दी थी इसलिए अब बहुत कुछ दिख रहा था।

काली काली झांटे ,


खूब मोटे मोटे मंजू बाई की बुर के मांसल होंठ ,


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और खूब देर तक।

गीता बगल में बैठी देखती रही ,उनका सर सहलाती रही।

तीनो आंगन में बारिश से भीग रहे थे।[/font]

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और जब मंजू बाई उठीं

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]काली काली घनी झांटो के बीच चार पांच बड़ी बड़ी पीली सुनहली बूंदे ,
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]सर उठाके , जीभ निकाल के उन्होंने चाट लिया।

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बारिश की तेज धार अब एक बार हलकी हलकी रिमझिम बूंदो में बदल गयी।

लेकिन इच्छाओ की आंधी और वासना की बारिश की तेजी में कोई कमी नही आयी थी।

……………………………
टिप टिप टिप

पानी छत की ओरी से , नीम के पेड़ की शाखों से गिर रहा था।

रह रह कर मोटी मोटी बूंदे आंगन को गीला कर रही थीं ,


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और

उन तीनो की वासना में तपती देह को भी भीगा रही थीं।[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पर काम की अगन ,कम होने को नहीं आ रही थी।


वो सैंडविच बने थे ,

एक खेली खायी प्रौढा और नयी नवेली बछेड़ी के बीच

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गदराये पथराये ३८ डी डी



और नए नए उभरते ३२ सी के बीच

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भोंसडे और कसी चूत के बीच।


आगे से मंजू बाई और पीछे से गीता ,दोनों ने कस के दबोच रखा था उन्हें।

अद्भुत , वो सोच भी नहीं सकते थे ऐसा अनुभव मजा सिर्फ मजा
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" मादरचोद , क्या दो मरद ही एक साथ ,किसी लौंडिया का मजा ले सकते हैं। "

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गीता की कोयल सी आवाज उनके कान में गुंजी ,गीता ने हलके से उनके ईयरलोब को चुभलाते हुए काट लिया ,




और फिर

गीता की कमल की डंडी सी कोमल बांह,उनकी कांख के अंदर से घुस कर उनकी छाती को अँकवार में बाँध दिया ,


गीता की उँगलियाँ,नाख़ून सहला रही थीं ,उनका चौड़ा सीना ,तन्नाए निप्स ,

गीता का दूसरा हाथ ,उनके कोमल नितम्बो को प्यार से सहला रहा था


और हलके हलके नितंबों की दरार के बीच गीता की शरारती उँगलियाँ


गीता के नए नए आये कोमल रुई के फाहे से मस्त उभार , खूब गदराये ,दूध से भरे छलकते , पीछे से उनकी पीठ पर रगड़ रहे थे।


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"मार ले साल्ले बहनचोद की गांड ,अब तक किस के लिए बचा के रखा है ,बहन के भंडुए "

आगे से मंजू गरजी।



मंजू बाई की बड़ी बड़ी चूंचियां , खूब भारी लेकिन एकदम कड़ी आगे से उनके सीने को जोर जोर से दबा रहा था ,रगड़ रहा था ,पूरी ताकत से पीस रही थी अपने पथरीले जोबन की चक्की से उनके सीने को पीस रही थीं।

मंजू बाई का बायां हाथ अपनी बेटी गीता की रेशमी चिकनी पीठ पर , हलके हलके टहल रहा था और फिर उसे पकड़ कर कस के वो उनकी ओर खींच रही थी ,प्रेस कर रही थी.

मंजू बाई का दायां हाथ उनके कड़े खड़े चर्मदण्ड को हलके हलके सहलाता हुआ , और उसकी भारी चिकनी खुली जाँघे ,उनकी जाँघों पर रगड़ती। चर्मदण्ड का खुला मुंह ,मंजू बाई की गुलाबी सहेली के मुँह को बस सहलाता हलके से रगड़ता ,



और मंजू बाई ने उन्हें चूम लिया। हलके से नहीं ,अपने दोनों पान के रंग से रँगे ,रसीले होंठों के बीच कस के उनके होंठों को पकड़ के वो चुभलाने चूसने लगी और कचकचा के काट लिया ,साथ में मंजू बाई की मोटी जीभ उनके मुंह के अंदर घुस गयी ,...


गीता के उनके सीने पर टहलते कोमल हाथ ने कचकचा के उनके निप्स को नोच लिया पूरी ताकत से और गीता का दूसरा हाथ जो उनके नितम्ब की दरार के बीच में था ,पूरी ताकत के साथ उसने पेल दिया उनकी कसी गांड में जबरदस्ती , बेरहमी से।



गांड के छल्ले को दरेरता ,रगड़ता ,घिसता अंदर तक।





मंजू बाई की उँगलियाँ अब मुट्ठी बन के उनके चर्मदण्ड को हलके हलके मुठिया रही थीं। अपने अंगूठे से वो कभी लन्ड के बेस को दबा देती तो कभी जोर से खुले सुपाड़े को रगड़ देती।

गीता की उंगलिया धीरे धीरे हौले हौले उनकी गांड में गोल गोल घूम रही थीं। और साथ में वो शोख किशोरी अपने कड़े अकड़े जोबन की बरछी की नोक उनकी पीठ में चुभा रही थी।

आगे से मंजू बाई के ३८ डी डी साइज के जोबन उनके सीने पे रगड़ रहे थे। पीछे से किशोरी के उभार और आगे से एक प्रौढा के उरोज

टिप टिप टिप बड़ी बड़ी बूंदिया उन तीनो के ऊपर पड़ रही थी।


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काले काले बादल ,एकदम घुप्प अँधेरा ,हाथ को हाथ न सूझे ऐसा

सिर्फ देह से देह के रगडने का अहसास हो रहा था।
….
दोनों ओर से उनपर प्रेशर बढ़ रहा था ,आगे से एक खेली खायी गदरायी प्रौढा का और पीछे से जोबन के जोश में डूबी नयी बछेड़ी का।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक प्रौढ़ा ,[/font]


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[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक किशोरी[/font]



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[/font]









[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]दोनों ओर से उनपर प्रेशर बढ़ रहा था ,

आगे से एक खेली खायी गदरायी प्रौढा का और पीछे से जोबन के जोश में डूबी नयी बछेड़ी का।


उनका बौराया ,भूखा डंडा बस तड़प रहा था ,मन कर रहा था , कुछ न हो तो मंजू बाई ही मुठिया के एक बार झाड़ दे।

कब से तड़प रहे थे बिचारे वो , पर किस्मत ,...



मंजू बाई के मुठियाते हाथ ने उनके प्यासे चर्मदण्ड को[/font]



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[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]छोड़के सीधे अपनी मुट्ठी में कस के उनके पेल्हड़ को ,बॉल्स को जकड़ लिया

और लगी दबाने।

पिछवाड़े गीता की दो उंगलिया पूरी ताकत से उनके गांड के अंदर बाहर , कभी गोल गोल[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और आगे से मंजू बाई की मखमली मांसल मोटी मोटी जाँघों ने उनकी टांगो को इस तरह दबोच रखा था की वो हिल भी नहीं सकते थे ,

उनका खड़ा तन्नाया लन्ड सीधे मंजू बाई की बुर से रगड़ खा रहा था।


गीता का जो हाथ उनके सीने पे उनके निप्स को नोच खसोट रहा था ,रगड़ रहा था सरक के अब नीचे ,

गच्च से गीता ने उनके मोटे कड़े लन्ड को पकड़ लिया और जोर जोर से मंजू बाई के भोसड़े पर रगड़ाती , उन्हें चिढाया ,



" क्यों मादरचोद ,मजा आ रहा है न माँ के भोंसडे पर लन्ड रगडने में। "

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

और उसी के साथ गीता ने अपनी तीसरी ऊँगली भी गचाक से उनकी गांड में पेल दी।

उनकी चीख घुट के रह गयी ,मंजू बाई की जीभ अभी भी उनके मुंह में थी ,उनके होंठ मंजू बाई के होंठों ने दबोच रखे थे।


लेकिन उनके होंठों को आजाद करते मंजू बाई ने छेड़ा ,गीता से पूछा ,



" क्या हाल है इस गांडू बहनचोद की गांड का,... "




मंजू बाई की तीन उंगलियां उनके बॉल्स को हथेली के साथ दबा रही थीं ,प्रेस कर रही थीं लेकिन तर्जनी और मंझली , पिछवाड़े के गोल दरवाजे का चक्कर काट रही थी।


" अरी माँ ,इस मादरचोद की गांड नहीं है रसीली चूत है हमारी तरह। बस आगे की जगह पीछे है ,चल मिल के हम दोनों इसको तेरे भोंसडे से भी चौड़ा कर देंगे ,बहुत बचा के रखा था गुड्डी के भंडुए ने , डाल के देख ले न ,चिल्लाने दे माँ के खसम को। "

गीता ने तीन ऊँगली से उनकी गांड मारते हुए छेड़ा

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और मंजू बाई ने गांड के पास चक्कर काटती दोनों उँगलियाँ एक झटके में उनके गांड में उतार दी।

एक साथ पांच उंगलिया

जोर से चीखे वो , पर बारिश की आवाज में कौन सुनने वाला था।

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मंजू बाई को मालुम था उन्हें चुप कराने का तरीका ,

एक बार फिर से उनके होंठ मंजू बाई के होंठों के बीच और तेजी से काट लिया उनके होंठों को मंजू बाई ने।


गांड बहुत तेज दुःख रही थी ,दोनों की पांच उँगलियाँ अंदर ,

लेकिन एक अलग मजा भी आ रहा था जैसे मंजू बाई की बुर पे रगड़ते सुपाड़े पे आ रहा था।


गीता ने जैसे उनकी मन की बात भांपते , मंजू बाई की बुर के दोनों होंठों को खूब जोर से फैला के उनका मोटा सुपाड़ा उसमें फंसा दिया ,
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फिर जैसे एक साथ , पूरी ताकत से धक्का , आगे से भी पीछे से भी

और आधा लन्ड मंजू बाई की रसीली बुर ने घोंट लिया।[/font]


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[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और उसी के साथ मंजू गीता की पांच उंगलिया घचाक घचाक उनकी गांड मारने लगी , पूरी ताकत से।

गीता ने अपनी उँगलियाँ मोड़ ली और उस के नकल गांड की दीवालों पर करोच रहीं थीं ,रगड़ रही थी पूरी ताकत से ,


तड़प रहे थे वो दर्द से मजे से

खबरदार जो झड़े तो , पीछे से गीता ने वार्न किया।


….

मंजू बाई के होंठों ने अब उनके होंठों को आजाद कर दिया और मंजू के होठ उन गालो को चूम रहे थे चाट रहे थे ,


बीच बीच में कचकचा के काट लेते ,मंजू बाई की लार उनके गालो को गीला कर रही थी , भिगो रही थी।

मंजू बाई की बुर ,नीचे जोर जोर से आधे से ज्यादा घुसे उनके लन्ड को सिकोड़ रही थी ,पूरी ताकत से निचोड़ रही थी।

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]


उन्होंने एक दो बार कोशिश की पर मंजू ने जोर से बरज दिया।

वो जान चुके थे जब तक इन दोनों की मर्जी नहीं होगी ,कुछ भी नहीं हो सकता ,


मंजू बाई की बुर जिस तरह से उनके सुपाड़े को ,उसकी बुर में आधे घुसे लन्ड को , रुक रुक के भींच रही थी




एक जबरदस्त थ्रोबिंग फीलिंग हो रही थी , मस्ती के मारे उनकी आँखे बंद हो रही थी।[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अचानक मंजू बाई के होंठ उनके गालों से सरक के सीधे उनके सीने पे ,पूरी ताकत से मंजू बाई ने उनके निप्स को कचकचा के काट लिया ,
वो जोर से चीखे , उईई आहहह ओहह उईईईईई ,

और उनकी गांड मथती गीता की तीन उँगलियाँ जो जम के करोच रही थीं ,रगड़ रही थी ,

मौके का फायदा उठा के सीधे उनके खुले मुंह में।

लिसड़ी लिपटी गीली ,उनके गांड के रस से


एकदम गले तक गीता ने उँगलियाँ ठेल दी थीं और जोर से बोली ,[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" चाट साले मादरचोद , बचपन के माँ के यार पैदायशी मादरचोद ,तेरे सारे खानदान की बुर मारूँ , गांडू चाट ,चाट जोर जोर से। "

और उस के साथ मंजू बाई की तगड़ी जाँघों ने एक धक्का और मारा ,

आलमोस्ट पूरा , ६ इंच से ज्यादा लन्ड अब मंजू बाई की बुर में था।




उसी के साथ मंजू बाई ने दो और उंगलिया उनकी गांड में पेल दी ,

मंजू बाई की चार मोटी मोटी उँगलियाँ उनकी गांड में ,हचक हचक कर ,

और उसी सुर ताल में मंजू बाई की बुर ,जाँघे धक्का मारती ,उनके लन्ड पे आगे पीछे होती

हचक हचक कर चोद्ती

पानी तेज हो गया था। हवा झंझावात में बदल रही थी।[/font]





[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]देर तक मंजू बाई के धक्के , गीता की शरारते , उसके जोबन का रस , आगे पीछे दोनों और से


लेकिन उस समय उन दोनों ने उन्हें झड़ने नहीं दिया।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]वोमेन आन टॉप[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]



झड़े वो ,लेकिन थोड़ी देर बाद मंजू बाई के भोंसडे में।



और वो भी शायद मुश्किल था ,बिना गीता की मदद के।



तरसाने तड़पाने में दोनों एक दूसरे से बढ़कर थीं ,


लेकिन मंजू बाई की बात ही अलग थी ,उसके तरकश में इतने तीर थे ,इत्ते ट्रिक मालुम थे मजे देने के ,मजे लेने के।

और एक बार फिर मंजू बाई उसके ऊपर चढ़कर हचक हचक कर चोद रही थी ,[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
परफेक्ट वोमेन आन टॉप ,

उन्हें कुछ.भी करने की इजाजत नहीं थी.



सब कुछ मंजू बाई ही , उनके ऊपर चढ़ी मंजू बाई ने अपनी मजबूत तगड़ी सँडसी ऐसी कलाईयों से उनके हाथों को कस के दबोच रखा था। वो हिल भी नहीं सकते थे।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
जिस गदराये जोबन के वो दीवाने थे कभी झुक के उनके सीने पे रगड़ देती तो कभी उनके ललचाये होंठों पे ,

पर जब वो मुंह खोलके चूसना चाहते तो अपने बड़े बड़े निपल हटा लेती।

मंजू बाई की भरी भरी जाँघों में कसी पिंडलियों में बहुत ताकत थी ,

जिस ताकत से वो धक्के मारती थी क्या कोई मरद गौने की रात अपनी दुल्हन की कसी चूत फाड़ेगा।


लेकिन वो पूरा लन्ड नहीं घोंटती थी ,सुपाड़ा अंदर लेकर अपनी भोंसडे के अंदर उसकी मसल्स को इस तरह दबाती ,निचोड़ती

की कोई नया लौंडा हो या कच्चा कमजोर मर्द तो मिनट भर में पानी छोड़ देता।

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]


और फिर सरकते हुए जोर जोर से धक्के मारते , उनकी छाती पे अपनी बड़ी बड़ी चूंचियां रगड़ते दो तिहाई लन्ड घोट लेती।


साथ में गालियां ,उनकी माँ बहन को ,एक से एक गन्दी ,[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और सब से बढ़कर उनसे दिलवाती , उनका अपना नाम लगवाकर , और ऊपर से धमकी अगर गालियां रुकी तो बिना उन्हें झाड़े हट जायेगी उनके ऊपर से।

कभी उनका मुंह खुलवाकर ,मंजू बाई अपने मुंह से लार की एक बूँद , एक तार की तरह सीधे उनके मुंह में ,...




एक से एक किंकी ऐक्शन , गर्हित


आज रात से पहले जो वो सोच भी नहीं सकते थे , सब उनसे करवा रही थी।


और बस एक बार झड़ने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार थे।

मंजू बाई तो तीन बार झड़ चुकी थी ,एक बार उन्होंने चूस के ,एक बार गीता ने चूस के और एक बार उन के लन्ड के धक्को ने उसे झाड़ दिया था ,

लेकिन जब उनके झड़ने का नंबर आता तो वो छिनार,...


और एक बार फिर उन्हें लग रहा था , जब वो बस एकदम कगार पे थे , खुद नीचे से धक्का मार मार के उस विपरीत रति में साथ देना चाहते थे , पर मंजू बाई उठने लगी , उन्हें कुछ समझ में नहीं आया ,

गीता बगल में खड़ी थी , उन्होंने उसकी ओर बड़ी बेकसी से देखा ,बेचारगी से।


वो मुस्करायी ,होंठों से आँखों से , पलकें उसकी जरा सा झुकी और अगले ही पल

मंजू बाई के हाथ गीता के कब्जे में थे , साथ साथ मंजू बाई के कंधे गीता जोर जोर से दबा रही थी ,

लन्ड एक बार फिर सरकता हुया ,मंजू बाई की झांटो से ढंकी मांसल भोंसडे में

" भैया " गीता बोली और बस वो इशारा समझ गए।

उनके खुले हाथ अब मंजू बाई की कमर पे थे , ऊपर से गीता मंजू बाई को पुश कर रही थी ,नीचे से उनके दोनों हाथ मंजू बाई की कमर को पकड़ के अपनी ओर खींच रहे थे ,बस कुछ देर में पहली बार उनका मोटा लन्ड मंजू बाई की बुर में जड़ तक घुसा था ,लन्ड का बेस मंजू बाई की क्लीट पर रगड़ खा रहा था।[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और अब वो पागल हो गए , इतनी जोर जोर से उन्होंने नीचे से उछल उछल कर धक्के मारना शुरू किया ,लन्ड को उसकी बुर में मथानी की तरह गोल गोल घूम रहा था।

और अब मंजू बाई की हालत खराब होने का टाइम आ रहा था।

गीता ने उसे बार बार गुदगुदी लगा के काबू में कर लिया और मंजू बाई के दोनों हाथ उसकी कमर के पीछे ,मंजू बाई के ही आंगन में पड़े ब्लाउज से बाँध दिए।
[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" अब चोदो भइय्या कस कस के इसको ,साली बचपन में झांटे भी नहीं आयी थी तो मेरे मामा से अपने भैया से चुदवाने लगी और आज मेरे भैया से चुदवाने का मौका आया है तो गांड पटक रही है ,छिनारपना कर रही है , तूने मेरे भैया की ताकत नहीं देखी माँ ,पक्का मादरचोद है ,पैदायशी। आज तेरे भोंसडे का कचूमर बनाएगा माँ ,मेरा भैय्या। "


गीता हँसते हुए उनसे ,मंजू बाई से बोली।


और जब उनके दोनों हाथ फ्री हो गए थे तो उन्हें भी हाथों का इस्तेमाल आता था ,कुछ आता था कुछ मैंने सीखा दिया था।

कभी जोर जोर से वो मंजू बाई की चूंचियां मसलते रगड़ते ,उसके निपल पल करते , तो कभी एक हाथ मंजू बाई के क्लीट को रगडने लगता , तो कभी दोनों हाथों से मंजू बाई को अपनी और खींच कर कचकचा कर उसकी चूंचियां काट लेते ,

वो बिलबिला रही थी ,चिल्ला रही थी एक से एक गालियां दे रही थी ,पर,...


" भइया कुतिया बना के चोद इस कुतिया को डाल दो सारा पानी इसकी बच्चेदानी के अंदर। "


गीता ने चढ़ाया उन्हें।

जिस बहन ने ये मौका दिलवाया था , उसकी बात भला वो क्यों न मानते , और फिर

डॉगी पोज उनकी भी तो फेवरिट थी।

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

अगले पल ही उस कच्चे आंगन में मंजू बाई झुकी ,निहुरी ,कुतिया बनी



और वो पीछे से हचक हचक कर

साथ में दोनों हाथों से चूंची की रगड़ाई , वो समझ गए थे की मंजू बाई के जादू के बटन उसके निपल हैं ,




हर औरत के जादू के बटन अलग होते हैं ,जिन पे हाथ लगते ही वो पागल हो जाती है ,थोड़ी देर में ही झड़ने के कगार पर पहुँच जाती है।


बस क्या था चुदाई रोक के ,कुछ देर वो सिर्फ उसके निपल जोर जोर से खींचते ,मसलते ,नाखूनों से जोर जोर से स्क्रैच करते ,और फिर




आलमोस्ट सुपाड़े तक लन्ड निकाल कर एक झटके में पूरी ताकत से धक्का सीधे बच्चेदानी पर ,

दो चार धक्के में ही वो झड़ने के कगार पर पहुँच गयी लेकिन गीता ने आँख से रुकने का इशारा किया ,बस ये तड़पाया उन्होंने

और जब मंजू बाई झड़ी तो भी वो नहीं रुके पूरी तेजी से चोदते रहे ,

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और जैसे ही मंजू बाई का झड़ना रुका उन्होंने एक हाथ से तेजी से उसके क्लीट को नोच लिया और दूसरा हाथ मंजू बाई के निपल पर

वो फिर झड़ने लगी ,तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी ,सिसक रही थी।

मंजू बाई की चीखें ,सिसकियाँ पूरे घर में गूँज रही थी।

गीता मुस्करा रही थी ,और अब उन्होंने धकापेल चुदाई शुरू कर दी ,हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे ,

बीस पच्चीस मिनट तक बिना रुके , मंजू बाई की चूल चूल ढीली हो गयी।

और अब जब मंजू बाई ने झड़ना शुरू किया उसकी बुर ने इनके लन्ड को भींचना निचोड़ना शुरू किया तो साथ ही वो भी


इतने दिन तड़पने के बाद

ज्वालामुखी फुट पड़ा था , लावा निकल रहा था।


देर तक

कटोरी भर रबड़ी मलाई सीधे मंजू बाई की बच्चेदानी में।


और जब वो हटे तो बस वो थेथर होकर उसी आंगन में गिर पड़ी ,कटे पेड़ की तरह। वो भी बगल में लेट गए।


और जो कटोरी भर रबड़ी मलाई मैंने मंजू बाई के भोसड़े में उड़ेली थी ,सीधे बच्चेदानी में वो कुछ कुछ छलक कर मंजू बाई की काली काली झांटो के झुरमुट पर भी थक्के थक्के,



कुछ देर में मंजू बाई अंगड़ाई लेते उठीं और गीता को अपने पास बुलाया।



और मंजू बाई ने अपनी दो ऊँगली एक झटके में अपनी बुर में पेल कर ,गोल गोल घुमा कर , ढेर सारी मलाई निकाली और गीता की ओर बढ़ाती बोली ,

" अपने भैया की रखैल , बहुत भैय्या ,भैया कर रही थी न ले गटक भैय्या का माल। "

और बिना हिचक गीता ने मुंह खोल ,जीभ निकाल सारी मलाई चाट ली और बचा खुचा चूस चूस के , एक थक्का गीता के गुलाबी किशोर होंठो,

पर था ,


जीभ निकाल के गीता ने उसे भी चाट लिया और बोली ,' वाह , माँ बहुत स्वादिष्ट है ,ऐसा स्वाद मैंने आज तक नहीं चखा। "

लेकिन मंजू बाई के पास गीता की बात सुनने का समय नहीं था , वो सीधे उनके मुंह पे ,अपना भोंसड़ा उनके मुंह पे रगडती बोली ,

"ले मुन्ना खा ले , माँ के भोसड़े से निकली मलाई का स्वाद और होता है ,जीभ अंदर डाल के चाट , एक भी क़तरा बचा न तो माँ बहुत पीटेगी। "

और वो सपड़ सपड़ एकदम पक्के कम स्लट की तरह


और उधर गीता उनका गन्ना चूसने लगी ,
[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]" अरे भैया तेरे गन्ने में जो लगा बचा है वो मैं चूस के साफ़ कर देती हूँ।[/font]


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[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"ले मुन्ना खा ले , माँ के भोसड़े से निकली मलाई का स्वाद और होता है ,जीभ अंदर डाल के चाट , एक भी क़तरा बचा न तो माँ बहुत पीटेगी। "


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

और वो सपड़ सपड़ एकदम पक्के कम स्लट की तरह


और उधर गीता उनका गन्ना चूसने लगी ,

" अरे भैया तेरे गन्ने में जो लगा बचा है वो मैं चूस के साफ़ कर देती हूँ। "

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]




गीता के होंठ पल भर में गन्ने पर और मलाई चाटते चाटते उसने ,जोर जोर से चूसना भी शुरू कर दिया।

होंठों से मंजू बाई की रसीली बुर चिपकी थी और मेरे रसीले गन्ने से ,गीता के होंठ

पांच सात मिनट ही गीता ने चूसा होगा पर जंगबहादुर को खड़ा करने के लिए काफी था।[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पर तबतक मंजू बाई ने गीता को बुला लिया ,


' हे अपने भैया की दुलारी ,चल आज तुझे तेरे भैया की मलाई खिलाती हूँ। "

अब वो खेल से बाहर थे और गीता ,मंजू बाई की 69 वाली कुश्ती चालू।

मंजू बाई ऊपर[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गीता नीचे

और एक बार फिर गीता के चेहरे की तरफ बैठे , उसे मंजू बाई की चाटते चूसते ये देख रहे थे।



लन्ड उनका गीता ने चूस के ही खड़ा कर दिया था और ये लेसबीयन रेसलिंग देख के और ,... ८-१० मिनट वो देखते रहे ,ललचाते रहे ,

मंजू बाई का रसीला भोंसड़ा , गीता के उसे चूसते चाटते होंठ[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और उनका लन्ड और बौराया , भूखा , पगलाया ,खड़ा

एक बार फिर गीता ने इशारा किया ,

और गीता ने सही समझा की पता नहीं ये इशारा समझे न समझ तो सीधे उनका लन्ड पकड़ कर के मंजू बाई के भोसड़े से नहीं सिर्फ सटा दिया बल्कि पुश करके उनका तड़पता सुपाड़ा घुसा दिया ,[/font]


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[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]फिर क्या था उन्होंने जो मंजू बाई के मोटे मोटे चूतड़ पकड़ के जबरदस्त धक्के मारे बस दो चार धक्के में उनका पूरा लम्बा मोटा खूँटा ,मंजू बाई के भोंसडे ने घोंट लिया।


एक बार वो अभी कुछ देर पहले ही झड़े थे इसलिए इस बार तो ,...

और अबकी गीता भी तो थी खेल तमाशे में हिस्सा लेने को मौजूद थी।

कुछ देर जब वो मंजू बाई के भोंसडे परखच्चे उड़ा चुके होते तो ,[/font]



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[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गीता अपने कोमल कोमल हाथों से उनके मोटे खूंटे को निकाल के गप्प से अपने मुंह में , और मंजू बाई की ओर इशारे से कहती ,

" तड़पने दो छिनार को "

[/font]

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

कुछ देर चुम्मा चाटी ,चूसा चासी के बाद ,




फिर वो हचक हचक के मंजू बाई की भोंसडे की चुदाई में


[/font]

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और गीता भी कभी मंजू बाई के मोटे मोटे लेबिया को चूसती तो कभी हलके से उसकी तड़पती क्लीट को काट लेती।




इस दुहरे हमले का असर हुआ जल्द ही ,मंजू बाई झड़ने के कगार पर पहुँच गयी तो गीता ने न उसे धीमा होना दिया और खुद बल्कि कचकचा के मंजू बाई के क्लीट पर अपने दांत गड़ा दिए ,

बस थोड़े ही देर में मंजू बाई ,


ओह्ह उह्ह्ह आह आह ,... जोर जोर से झड़ना शुरू कर देती।

और उनके धक्को की रफ़्तार और तेज हो जाती।

दो तीन बार झड़ने के बाद जब मंजू बाई एकदम थेथर हो गयी तब भी उन दोनों ने नहीं छोड़ा ,

बार बार वो कहती एक मिनट बस एक मिनट और जवाब में वो




सुपाड़ा आलमोस्ट बाहर तक निकाल के उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूंचियां पकड़ के एक तूफानी धक्का सीधे उसके बच्चेदानी पे ,

साथ ही बहुत बेरहमी से उसके निपल नोच भी लेते।
,
मंजू बाई की चीखे पूरे आँगन में गूँज रही थीं।


३०-४० मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई और उस को तीन बार झाड़ने के बाद ही वो उसके खेले खाये भोंसडे में झड़े,झड़ते रहे।



मंजू बाई के भोंसडे में मलाई भर गयी और बाहर बहने लगी ,

[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]


नीचे गीता थी ही उसने सब चाट चुट के ,



भोर की लाली पूरब से दिखने लगी बादलों का घूंघट उठा के ,


रात की काली मिटने लगी ,पूरब में किसी ने आसमान के साँवले सलोने मुंह पे सिन्दूर मल दिया।


बारिश कब की बंद हो चुकी थी , छत और पेड़ से चूने वाली टप टप बूंदे ,अब एकदम धीमी हो गयी थीं।[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[/font]



[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]लेकिन उन की काम क्रीड़ा पर कोई असर नहीं पड़ा ,


चार बार , दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ सिगनल डाउन हुआ। [/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मस्ती ...[/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,] [/font][font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]थ्री सम इश्टाइल[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]चार बार , दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ सिगनल डाउन हुआ। .



एक से एक किंक , एक से एक गर्हित हरकतें , न कहने लायक ,न सुनने लायक ,न लिखने लायक ,न पढने लायक।


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

उन दोनों छिनारों ने क्या क्या किया , क्या क्या उनसे करवाया , सोच के भी बाहर



और बहुत चीजें उन्होंने सीखीं भी ,

मंजू बाई ने उन्हें किसी लड़की के थन से दूध दूहना सिखाया ,

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

पहिलौटी बियाई के दूध का क्या जादुई असर होता है ये भी समझाया।




गीता तो जैसे गुड्डी के पीछे हाथ धो कर पड़ गयी थी।


उनके कुछ सोये ,कुछ थके कुछ मुरझाये हथियार पे , सीधे अपने थन से दूध की धार डालते हुए , उस ढूध को लन्ड पे मसलते रगड़ते बोली ,

" आएगी न वो छिनार , तेरी बहना ,जिस ने मेरे सीधे साधे भैय्या को इतना तड़पाया ,

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पहली चुदाई में ही भैया से गाभिन करना , सारी मलाई सीधे उसकी बच्चेदानी में , बस नौ महीने में जब बियाएगी न तो बस ,

फिर तो दूध की कोई कमी नहीं ,

और जब तक वो नहीं बियाएगी न मैं हूँ न भैया , अब मैं अपनी ससुराल नहीं जाने वाली , तेरा ख्याल रखूंगी। "

" और एक बात बताऊँ , पहलौठी का दूध और कुँवारी अनचुदी बुर के फटने का ,... एकदम जादू होता है "




मंजू बाई अपने जादू के पिटारे का ज्ञान बांटती बोली।
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" अरे ये तो बहुत बढ़िया है माँ , पंद्रह बीस दिन की तो बात है , "

गीता अपनी मुट्ठी में दूध ले के उनके अब जागे फुंफकारते लन्ड पे रगड़ते बोली ,

" जब तू जाओगे न उस के साथ सुहागरात मनाने , बस अपने हाथ से तैयार करुँगी मैं तुझे और जाने के पहले बजाय तेल के यही लगा के भेजूंगी ,पेल देना एक बार में। जब झिल्ली फटेगी तो सारे मुहल्ले में चीख सुनाई पड़नी चाहिए उसकी। बस ,हो जायेगा न पहलौठी का दूध और कुँवारी की झिल्ली फटने का ,.. क्यों माँ। "

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मंजू बाई की ओर देख कर वो बोली।

" एकदम तेरी पिलानिंग एकदम सही है , "

मंजू बाई ने मुस्करा के कहा और उसका असर भी समझाया ,

" उसके बाद तो मुन्ना तेरा एकदम लोहे का खम्भा हो जाएगा। और लोहे का तो खैर अभी गीता जो कर रही है उसी से , सांडे के तेल से १२ गुना ज्यादा असर होता है पहलौठी के दूध का। लेकिन उस के बाद न सिर्फ खूब कड़ा रहेगा ,लेकिनझड़ेगा भी तभी जब तुम चाहोगे। हाँ उसका असर उस छिनार गुड्डी पर भी होगा , रोज भिनसारे से उसकी चूत कुलबुलाने लगेगी। कच्ची उमर में नम्बरी छिनार हो जायेगी।[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बिना लन्ड घोंटे नींद नहीं आयगी छिनार को। "



" अरे माँ ,उस की चिंता काहें करती हो ,मैं हूँ न साली को पूरा रंडी बना दूंगी। जो अबतक नहीं सीखी ,वो सब सीखा दूंगी ,खुद ही लौंडे फांसने लगेगी ,लेकिन उसके पहले मेरे भैय्या से गाभिन होना पडेगा। "


गीता हँसते हुए बोली।

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इन सब का असर ये हुआ की उनका लन्ड एक बार फिर से जंगबहादुर हो गया चूत के लिए बेताब ,

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क्या क्या नहीं हुआ उस रात , बल्कि सुबह होने वाली थी


गीता को हचक के चोदने के बाद


आंगन में मस्त पुरवाई चल रही थी ,भोर की लालिमा में सब कुछ दिख रहा था।



तेज हवा दरवाजे पर बार बार ,

लग रहा था की कोई दरवाजा खटका रहा है ,

गीता का चम्पई रंग , गले में मंगलसूत्र , आँखों में भरा भरा काजर ,और मांग में दमकता सिन्दूर ,

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गीता चुदाई में पूरा साथ दे रही थी ,चूतड़ उचका उचका के ,

उनके सीने पे रसीले जोबन रगड़ कर ,रसीली गालियां उनके मायकेवालों को दे कर ,


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]



ब्याहता औरतों को चोदने का यही मजा है , उनकी झिझक ,संकोच कब की खत्म हो चुकी होती है ,

और लन्ड के लिए ललक भी तगड़ी होती है।

जितना मजा उन्हें गीता को चोदने में आ रहा था उससे ज्यादा उसके दूध से छलकते थनों को दबाने ,रगडने मलसने में,



गीता की दूध से भरी छातियों को खींच खींच के दूध छलकाने का मजा ही और था।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बहन का दूध[/font]




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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गीता की दूध से भरी छातियों को खींच खींच के दूध छलकाने का मजा ही और था।



ऊपर से मंजू बाई उन्हें और उकसा रही थी।

" अरे जरा अपनी बहन का दूध दुह के दिखाओ न , बहनचोद।



अरे अभी तो साल भर ये दूध देगी ही और जब बिसुक गयी न , तो तुझी से गाभिन कराउंगी इसे ,और नौ महीने बाद फिर से दूध। "


मंजू बाई ने समझाया।[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]वो गीता की चूँचियों से निकला दूध गीता की ही चूंचियों में पोत रहे थे ,लपेट रहे थे।

थोड़ी देर में ही गीता की गोरी गुलाबी चूंचियां ,एकदम दूधिया।



गीता नीचे से चूतड़ उछाल के जबरदस्त धक्के लगाते उन्हें आँख मार के मंजू बाई से बोली ,[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
"सही है माँ ,और उस बीच इन की वो बहिनिया ,


[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]वो दूध देने लगेगी न ,बस आते ही देखना महीने भर के अंदर उसे गाभिन करा दूँगीं, उसे तो तब पता चलेगा जब उस का पेट फूल जाएगा।[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]बस भैया मेरा वायदा दस महीने के अंदर सोहर होगा। "[/font]

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]वो गीता की की दूध से छलछलाती चूँची पकड़ के दबा दबा के , इस तरह चोद रहे थे जैसे अपनी ममेरी बहन , उस कच्ची कली गुड्डी को चोद रहे हों , ... हर धक्का सीधे बच्चे दानी पर ,

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

लेकिन तभी गीता ने पलटी खायी और उनके ऊपर और अपनी बड़ी मस्तानी चूँचियों से उनके लंड को पकड़ के दबा दबा के उनके लंड को चोदने लगी ,

" अब आगे तभी चोदने दूंगी , जब पहले कबुलोगी की उस अपनी बहिनिया को लाओगे , क्या नाम है हाँ गुड्डी ,... "

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

" हाँ "

दस बात बुलवाया गीता ने , फिर समझाया ,

" देख तुझे सिर्फ लाना है , उस स्साली छिनार की टाँगे फ़ैला कर गाभिन करवाने की जिम्मेदारी गीता की , फिर नौ महीने बाद सोहर , और माँ के पास अइसन जड़ी बूटी है न , ओकर थन खूब बड़ा बड़ा ,... "

और एक बार फिर उनके हाथ से गीता अपनी चूँचियों को दबवा के दूध निकलवा रही थी ,

" हाँ भैया उसकी भी , एक बार बियाई न तो उसके बाद उस गुड्डी का भी ऐसे दूध निकालना , अरे घबड़ा मत रोज दूहने के पहले वो गाय को जो लगाते हैं ,न वो ऑक्सिटॉसिन का इंजेक्शन लगाउंगी दोनों टाइम , देखना जर्सी गाय से ज्यादा दूध देगी ,[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कटोरा भर दूध रोज अपने भैया के खूंटे पर लगाउंगी , रोज उसक के दूध से खीर बना के अपने भैया को खिलाऊंगी , जैसे पहलौठी के दुध का असर यह खूंटे पर लगाने का होता हैं न वैसे ही पहलौठी के दूध की खीर का एकदम दस दस सांड़ की ताकत आ जायेगी , और वैसे भी कौन सांड़ से कम हो तुम लेकिन ओकरे दूध क खीर जब हम बना के खिलाएंगे ,... अरे हमार गारंटी , इतना दूध देगी न वो ,

मशीन लगानी होगी , उसे दूहने के लिए ,... मंगा देना , लेकिन बस खाली ले आवा , आगे क काम हमरा , गाभिन करवाना , फिर जब बियायेगी , दूध देगी तो ओकर दूध दुहना , ... "


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]


गीता की बात सुनकर वो मस्ती से पागल हो गए , और वहीँ गाय की तरह गीता को निहुरा के खुद सांड़ की तरह पीछे से चढ़ गए और डॉगी पोज में ,

सच में पहलौठी के दूध का असर था लंड एकदम खम्बा हो गया था , और हर धक्का गीता की बच्चेदानी पर लग रहा था।

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

लेकिन मंजू बाई किचेन में चली गयी थी ,जब लौटी तो उसके हाथ में एक बड़ी सी पुरानी सी शीशी , शहद से भरी।

मंजू बाई ने उसमें से शहद निकाल के अपनी उँगलियों से खुद गीता की दूध से डूबी चूँचियों पर पोतना शुरू कर दिया और साथ में उन्हें समझा भी रही थीं ,

" ये कोई ऐसा वैसा शहद नहीं है , ख़ास आम के बौर का, पुराना ,जबरदस्त असर होता है इसका। "

कुछ देर में ही आधी बोतल खाली हो गयी थी ,सारी की सारी गीता के जुबना पे ,


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

चुदाई अपने चरम वेग पर पहुँच गयी थी।



सुबह हुआ चाहती थी ,

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

गीता जोर जोर से झड़ रही थी , सावन भादो में कांपते पत्तो की तरह उसकी देह काँप रही थी ,

और वो बस , लेकिन मंजू बाई ने अपने हाथ से पकड़ के उनके शिष्न को बाहर कर दिया और सीधे गीता की दोनों चूँचियों पर ,[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]ढेर सारी थक्केदार मलाई सीधे गीता की चूँचियों पे ,







और अब गीता ने लन्ड पकड़ कर दबाना भींचना शुरू कर दिया ,एक बार फिर से मलाई की पिचकारी दोनों जोबन पर ,

गाढ़े सफ़ेद थक्कों से उसकी छातियाँ भर गयी , बस कहीं कहीं शहद[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]और बचा खुचा गीता के चेहरे पर ,अच्छा खासा फेसियल हो गया।




कुछ वो समझ रहे थे बाकी गीता के हाथों ने उन्हें समझा दिया ,

उनका मुंह सीधे गीता के उभारों पे ,


गीता का दूध ,आम केबौर का शहद और उनकी मलाई

और साथ गीता की पहले दो ,फिर तीन उँगलियाँ उनकी गांड के अंदर जोर जोर से उनकी गांड मारती , जोश दिलाती ,

"चाट साले ,चाट मादरचोद ,अरे अपने सामने तुझे उस भोंसडे में घुसाउंगी जिससे तू निकला है ,[/font]


[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]माँ का यार चाट अपनी बहन की चूंची। "

जब तक चाट चाट के उन्होंने पूरे जोबन को साफ़ नहीं किया ,गीता ने नहीं छोड़ा।[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"जबरदस्त असर होगा इसका देखना तुम क्या मस्त ताकत मिलेगी , तेरा झंडा हरदम खड़ा रहेगा ,कभी थकान नहीं लगेगी , और दो चार औरतो को तू बिना सांस लिए निपटा देगा। "[/font]

[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][size=large]जब वो वापस निकले , तो छह बज गए थे।

एकदम थके,पस्त।


रात में चार बार ,दो बार मंजू बाई के साथ और दो बार गीता के साथ ,निचोड़ के रख दिया था दोनों ने। लेकिन मजा भी बहुत आया।

मंजू बाई तो कहीं काम पे चली गयी थी ,जब वो निकले उस के पहले।

गीता ने चाय पिला दी थी चलने के पहले इसलिए थोड़ी थकन कम हो गयी ,ताकत वापस आ गयी।


हाँ चाय में दूध कौन सा था , ये बताने की जरूरत नहीं , गीता के थन का और दुहा उन्होंने , और साथ में गीता बोल रही थी ,

भैया आने दो अपनी उस बहिनिया को मैंने पहले उसका दूध दुहूँगी ,


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फिर तुझे दुहना सिखा दूंगी , रोज चाय , दूध , खीर सब उसी के दूध की ,....


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]जोरू का गुलाम भाग ४८[/font]




[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]घर वापसी[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]घर पहुँच के उन्हें लगा



जल्द से जल्द काम निपटा लें , सब के आने के पहले ,..


काम बहुत पड़ा था।

डस्टिंग ,क्लीनिंग और सुबह के काम की तैयारी ,


देह चूर चूर हो रही थी ,ऐसा मजा कभी नहीं आया जो जो हुआ ,जो जो उन दोनों ने मिल के कराया ,

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इत्ती फैंटेसी थी उनकी ,

ब्ल्यू फिल्मे ,नेट की साइट्स ,

न कभी पढ़ी न कभी सोची

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किसी तरह सब बातें भूलाने की कोशिश करते उन्होंने अपना काम शुरू किया ,

डस्टिंग ,झाड़ू लगाना ,बिस्तर



और जब वो टॉयलेट क्लीन कर रहे थे , मॉम का , एकदम चमकता होना चाहिए मालुम था उन्हें ,

जैसे कोई जबरदस्ती दरवाजा खोल के चला आये , बस कल रात की यादें धड़धड़ा कर घुस जाएँ

चार बार झड़े थे वो लेकिन वो गीता के साथ ,पहली बार

बादल कम हो चुके थे , भोर दस्तक दे रही थी लेकिन रात भी अलसा रही थी ,जाने को।

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मस्त हवा चल रही थी , वो थोड़े थके लेकिन खूँटा खूब तन्नाया ,भूखा

और मंजू बाई के बड़े बड़े खूब भारी चूतड़ उनके चेहरे के ठीक ऊपर




गीता ने उन्हें चिढाते हुए अपने तगड़े हाथों से नीचे का पिछवाड़े का छेद खोलते हुए ,हंस के बोला ,




" भैय्या , माँ के पिछवाड़े का स्वाद तो तूने ले ही लिया ,ऊँगली से, जीभ अंदर डाल के , अब ज़रा अंदर का नजारा देख भी लो न। "

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सीधे उनकी आँखों के सामने ,

उनको लग गया क्या होने वाला है ,

खूब बड़ा सा खुला हुआ गांड का छेद


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और उन्होंने अपने होंठ जोर से भींच के बंद कर लिए पर गीता और मंजू बाई की जुगल बंदी के आगे पूरी रात उनकी नहीं चली तो इस समय क्या चलती।


गीता खिलखिलाई


" अरे भैया तेरी माँ बहन तो झट से खोल देती हैं अपने सब छेद , तू काहें खोलने में झिझक रहा है ,खोल न बड़ा सा मुंह , ... "



और उस छिनार ने पूरी ताकत से उनके नथुने बंद कर दिए और साथ ही जोर से उनके निप्स पकड़ के मोड़ दिए ,

कुछ दर्द से ,कुछ सांस लेने के लिए उन्होंने जैसे ही मुंह खोला ,मंजू बाई का खुला गांड का छेद सीधे उनके खुले मुंह पे ,

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गांड तो उनसे मंजू बाई ने जम के चटवाई थी , लेकिन इस बार लग रहा था , उन्हें मालूम था , ' कुछ और ' होने वाला है , और बागडोर गीता के हाथ में थी , उनके निप्स पिंच कर के उसने उनका मुंह जबरदस्ती खुलवा दिया था , और फिर नथुने बंद कर के , सांस के लिए भी मुंह खोलना था और मुंह के ठीक ऊपर मंजू बाई के पिछवाड़े का छेद , मंजू बाई ने अपने दोनों हाथों से पूरी ताकत से छेद को फैला रखा था ,

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और गीता उनका हाथ आँगन में पड़े अपने ब्लाउज से बांधते बोली ,

" ये हुयी न बात ,माँ मैं कह रही थी न भैय्या खुद अपना मुंह खोल के , देख कित्ता बड़ा मुंह खोला है उन्होंने , ... "

और उसके साथ ही गीता ने आंगन में पड़े अपने ब्लाउज से उनके हाथ कस के मोड़ के बाँध दिए और कान में हलके से हड़काते बोली,

" खबरदार जो मुंह बंद करने की कोशिश की , बस तू पड़ा रह ऐसे ही अब जो करना होगा हम दोनों करेंगे। "

वो बंद कर सकते भी नहीं थी उनके नथुनों पे अब मंजू बाई के एक हाथ का कब्जा था ,

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जबरदस्त जुगलबंदी थी माँ बेटी की ,

उनके हाथ बेटी के ब्लाउज से बंधे , चेहरे पर माँ चढ़ी , उनके खुले मुंह पर उसका पिछवाड़े का खुला छेद चिपका , और मुंह वो बंद नहीं कर सकते थे , नथुने माँ बेटी बारी बारी से दबोच रही थीं ,


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और बेटी भी ऊपर चढ़ी , उसकी गुलाबो सीधे उनके तन्नाए खूंटे पर रगड़ती


और गीता उनके खूंटे के ऊपर अपनी कसी चूत को रगड़ते ,

वो उसकी चूत चूस चुके थे ,चाट चुके थे ,ऊँगली कर चुके थे लेकिन चोदने के लिए तड़प रहे थे ,

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और अब मंजू बाई की गांड उनके चेहरे पर ,

देख तो नहीं सकते थे लेकिन छुअन महसूस कर सकते थे , गीता की गुड़ की डली ऐसी आवाज सुन तो सकते थे ,

" चल भैय्या तू बहुत तड़प रहा था न तुझे बहन की चूत का मजा चखा ही देती हूँ ,चल बहनचोद। बस तू लेटे रहना आज मैं दूँगी मजा , ... "

और गीता की चूत के होंठ उनके तन्नाए सुपाड़े से रगड़ रहे थे ,

मंजू ने एक बार फिर अपने दोनों हाथों से अपनी गांड खूब जोर से चियार दी थी ,



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" अरे भैया , प्लीज मेरी खातिर एक बार ज़रा सा जीभ निकाल के ,हाँ हाँ , थोड़ा सा और , बस ज़रा सा चाट लो न माँ की , ... "

और उसी के साथ गीता ने जो धक्का मारा उनका सुपाड़ा गीता की कसी किशोर चूत में ,

और उनकी जीभ तो बस अब उनके बजाय मंजू बाई और गीता की गुलाम हो चुकी थी ,निकल कर सीधे मंजू बाई की खुली ,...

गीता की चूत जोर जोर से उनके लन्ड को भींच रही थी और गीता की आवाज ,उनके कान में

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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]

" चाट साले मादरचोद ,अरे एक बार माँ का परसाद मिल गया न तो देखना बहुत जल्द जिस भोंसडे से निकला है उसे भी ऐसे ही चाटेगा , और हम सब के सामने, .... "

और उसी के साथ गीता ने भी पूरा जोर लगाया ,मंजू बाई ने भी ,...

गीता ने एक साथ दो उँगलियाँ उनकी गांड में भी पेल दी ,पूरे जड़ तक गोल गोल घुमाते


मंजू बाई की आवाज ,...

ले मुन्ना ले न , ले और


आधे घंटे तक ,...





लेकिन तब तक घंटी बजी ,

गनीमत थी ,मोबाइल की ,दरवाजे की नहीं।

और वो रात से वापस दिन में लौटे।




मेरा ही मेसेज था ,


" हम लोग निकल रहे हैं , ३०-४० मिनट में पहुंचेंगे "



सफाई वो कर चुके थे।

उन्होंने चैन की सांस ली , खुद नहा धो के फ्रेश हुए , फिर चाय के लिए पानी गरम करने को रखा ,ब्रेकफास्ट की तैयारी और तभी दरवाजे की घंटी बजी।

हम लोग आ गए थे।[/font]
 
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]घर[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हम लोग आ गए थे।

…………………………….
दरवाजा उन्होंने खोला , थोड़े थके लग रहे थे , थके तो हम लोग भी थे।

लेकिन मेरी निगाह सीधे 'नीचे वहीँ',

और मैं अपनी मुस्कान नहीं रोक पायी।

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मॉम सीधे बैडरूम में ,साथ में मैं और पीछे पीछे वो ,

मम्मी फ्रेश होने गयी और नीचे हाथ डाल के मैंने 'उसे' पकड़ लिया ,






" लगता है अबकी सिग्नल डाउन हो गया , "




दबाते मसलते मैंने उन्हें चिढाया ,



वो भी न ,टिपिकल वो , लजाते ,शरमाते ,झिझकते

" चाय ला रहा हूँ अभी "

चाय ख़तम करने के साथ ही मम्मी ने अपना प्रोग्राम बता दिया ,

" मैं बहुत थकी हूँ , चार पांच घण्टे सोऊंगी , तू भी थोड़ा आराम कर ले ,ब्रेकफास्ट में कुछ बस सिम्पल सा। "

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और पल भर में मम्मी खराटे लेने लगी ,साथ में मैं भी ,

वो अपने ,मेरे कमरे में


रात भर ज़रा भी नहीं सोये थे , लेडीज संगीत तो ढाई तीन बजे तक ख़तम हो गया था ,

मम्मी की सहेली का घर शहर से दस पंद्रह किलोमीटर बाहर , फ़ार्म हाउस क्या बड़ा सा रिसार्ट ,...

और असली खेल तमाशा तो उसके बाद शुरू हुआ ,

सिर्फ कुछ ख़ास एक्सक्लूसिव , मुझे जोड़ के पांच छह लोग ,


और साथ में हार्ड ड्रिंक



और अब मैं समझी की ये मामला एक्सक्लूसिव लेडीज क्यों था ,

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चलते चलते मम्मी ने जिक्र कर दिया की हफ्ते दस दिन में हम लोग इनके मायके जाएंगे और लौट के साथ में इनकी ममेरी बहन को ,

और जैसे ही मम्मी की सहेली ने गुड्डी[/font]



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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]के बारे में सुना उनकी आँखे एकदम कौंध गयी ,

" अकेले अकेले मजा लेगी रसमलाई का तू "


मुस्करा के मेरे गाल जोर से पिंच करके वो बोलीं

( एक रात में ही मौसी से हम लोग तू पर आ गए थे ,एकदम पक्की सहेली )

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जवाब मेरी ओर से मम्मी ने दिया ,

"एकदम नहीं , अरे भेज देगी तू भी उसे सिखा पढ़ा के पक्का कर देना।"


मम्मी की सहेली को पुरुषों में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी ,सिर्फ कन्या रस ,और वो भी यंगर द बेटर।

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….

रात भर चला वो खेल , मम्मी की सहेली ने ५-६ कच्ची कलियाँ इकट्ठी की थीं , सब की सब कच्ची अमिया वाली एकदम खटमिट्ठी

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और हम सब ने मिलकर ,

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लग रहा था , वो सब बस पहली या दूसरी बार ,...

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कुछ के साथ तो मम्मी ने जबरदस्ती भी की अपनी सहेली के साथ मिलकर , ...

रात भर एक बूँद कोई सोया नहीं , ...


और कुछ भी बचा नहीं ,...[/font]


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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हर तरह की मस्ती




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जब मैं सो के उठी , साढ़े दस बज रहे थे।


दो ढाई घण्टे की नींद ने मेरी थकान एकदम ख़तम कर दी थी। मम्मी अभी भी गाढ़ी नींद में सो रही थीं।

दबे पाँव मैं बाहर निकली , पूरे घर में सन्नाटा पसरा पड़ा था ,लेकिन घर एकदम चम् चम् चमक रहा था।


परफेक्ट डस्टिंग ,किचेन में मैंने झांका ,बरतन सारे धुले ,करीने से रखे यहाँ तक की जो हम लोगों ने चाय पी थी वो भी ,ब्रेकफास्ट की सारी तैयारी हो चुकी थी।

और उसी तरह दबेपांव मैं अपने कमरे में पहुंची।

हमारे डबल बेड पर वो अकेले ,गहरी नींद में ,


बदमाश , सोते हुए कितने सीधे लगते थे ,मुझसे कोई पूछे , सिर्फ बस रैप किये हुए ,लुंगी की तरह


और सोते में वो भी हल्का सा हट गया था ,


'वो 'दिख रहा था , सोया सोया

सच्ची मुझसे रहा नही गया , झुक कर मैंने हलके से गाँठ खोल के सरका दिया और अब ' वो ' पूरी तरह आजाद था।

झुक कर एकदम पास से मैं देखने लगी , और साथ में मेरी नाइटी भी सरक कर ,सर सर सर , जमीन पर


सोते हुए ' वो ' कितना सीधा लगता था ,एकदम भोला ,अच्छे बच्चे की तरह लेकिन जग जाय तो , कोई मुझसे पूछे क्या हाल कर देता था।

हलके से मैंने एक चुम्मी ले ली 'उसपर ' .और एक बार उनकी ओर नजर उठा के देखा ,वो सो रहे थे अभी भी।





सिर्फ अपने होंठों से पकड़ के ,वो मस्त मिठाई मैंने मुंह में ले ली और हलके हलके लॉलीपॉप चुभलाने लगी ,चूसने लगी।

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क्या स्वाद था ,

कितने दिन हो गए थे इसे मुंह में लिए ,पूरे दो दिन।


मेरे मुंह का असर , वो फूल के ख़ुशी से कुप्पा होने लगा।

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