XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी - Page 23 - SexBaba
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XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी

जोरू का गुलाम भाग ५५



जबरदस्त सेल








दोपहर में सुजाता आयी थी उसने बोला की कोई फेयर लगा है , खासतौर से लेडीज के लिए बहुत स्पेशल शाप हैं , डिस्काउंट भी।


, सुजाता के हसबैंड को कहीं आज टूर पर जाना था तो हम सब खाना भी वहीँ खा के घर आएंगे।
जबरदस्त सेल थी और जबरदस्त डिस्काउंट। खचाखच भीड़।


औरतें ही औरतें ,कच्ची अमियों से लेकर खेली खायी तक , पटी पड़ी थीं।




मैं,मम्मी और सुजाता ,समझ में नहीं आ रहा था किधर से शुरू करें।

एक लेन साड़ियों की थी ,हम तीनो उधर ही चल पड़े, जार्जेट ,शिफॉन , साउथ इन्डियन हर त्तरह की साड़ियों के स्टाल, और साड़ियों की खरीदारी तो आप समझ सकते हैं. मम्मी एक शिफॉन की दूकान पर बैठ गयी और वो और सुजाता ,...



लेकिन मेरे दिमाग में सामने की लेन दिख रही थी जहाँ हाट वेस्टर्न ड्रेसेज मिल रही थीं।

मैंने मम्मी और सुजाता को वहीँ छोड़ा और उस ओर जा पहुंची।



मेरे मन में कुछ और था , अपने से ज्यादा अपनी उस छिनार ननदिया के लिए , ... चार दिन ही तो रह गए थे ,इनके मायके जाने के लिए। उसके लिए।

अरे माल पटाना है तो कुछ तो इन्वेस्ट करना ही पडेगा , और मैं चाहती थी की वहीँ इनके मायके में ही उसे हॉट हॉट ड्रेसेज पहना के ,



उसके घरवालों के बीच ही झलकउवा कपड़ों में ,...

और उसके भइया की ओर से गिफ्ट होगा तो उसे ,

तो फिर मैंने खूब रिवीलिंग हॉट हॉल्टर, स्पैन्डेक्स,छोटी छोटी स्कर्ट ,साइड स्प्लिट वाली और साथ में मैचिंग अंतवस्त्र,...



उसके बूब्स की साइज तो मुझे मालुम ही थी ,३२ सी, तो ,


पुश अप ब्रा ,



पीक अ बू ब्रा और




थॉन्ग्स,..



वहीँ पर मुझे सोफ़ी दिख गयी ,


असल में शापिंग का मजा ही किसी सहेली के साथ है , सुजाता तो मम्मी के साथ थी और मैं अकेली।


सोफी के साथ आने से मजा दूना हो गया।

मिलवाया तो था आप से , इनकी मेकअप की गुरुआनी और मेरी पक्की सहेली , उसके मेकअप ब्रश से कोई भी लड़का लड़की बन सकता था , ब्यूटी पार्लर में जिसने इनका सुधार किया था , वही जिस दिन मम्मी ने अपने दामाद का नाक और कर्ण छेदन करवाया था , मेरी और मम्मी दोनों से पक्की दोस्ती हो गयी थी , एकदम अच्छी वाली ,...




थोड़ी देर में सोफी ने मेरे कान में कहा और हम लोग एक दूकान की खोज में निकल पड़े।

सुना मैंने भी था की इस सेल में है लेकिन सोफी के पास पक्का पता था।

आज कल मेल आर्डर या इंटरनेट पे मिल जाते थे लेकिन जो मजा दूकान पर खरीदारी करने में है वो भी किसी सहेली के साथ ,

हर चीज को हाथ में पकड़कर ,छू कर,दबा कर देखने में ,एक दूसरे को चिढाते हुए जांचने परखने में ,


एडल्ट ट्वाय शाप ,वो भी जो फीमेल्स के लिए खासतौर से , ...


वैसी एक दो दुकाने भी एक सेल में आयी थी।

सोफी को पक्का पता था और वहीँ वो मुझे खींच कर ले गयी।


एक से एक लंबे कड़े मस्त ,मोटे भी खूब ,

ऐसा नहीं पहले मैने डिल्डो देखे नहीं थे ,लेकिन फोटुओं में , इंटरेनट पर या कभी नेट पर किसी कैटलॉग पर ,


हाथ में लेने का पकड़ने का ,दबाने का छूने और सहलाने का मौका पहली बार मिल रहा था।



तीन साइज में , सात इंच , आठ इंच और एक दस इंच। मोटाई भी ढाई से तीन इंच तक ,और एक दम रियल।

सात इंच वाला नार्मल साइज का था ,पिंक कलर का , मन कर रहा था बस चूम लूँ , मुंह में ले लूँ।

एकदम इनके वाले की तरह,लंबाई भी मोटाई और वैसे ही प्यारा।



आठ इंच वाला किंग साइज का था , डार्क ब्ल्यू कलर का। शायद कमल जीजू के साइज का , या उनका इसके १९,२० होगा।

१९ क्या कमल जीजू का ही २० ही होगा , जैसा मेरी कजिन चीनू बताती थी।




चीनू मुझसे थोड़ी ही बड़ी थी ,मौसेरी बहन लेकिन शादी मुझसे बाद हुयी थी ,चार पांच महीने बाद।

कजिन्स में सबसे छोटी मैं ही थी। और चीनू की पहली रात में ही कमल जीजू ने सच्ची में फाड् के रख दिया था ,अगले दिन ही बिचारी को टाँके लगे।

आठ इंच वाला तो देखने में ही डर लगता था ,लेकिन सच बोलूं तो मन भी करता था ,एक बार तो ट्राई करने का।



और तब तक सोफी ने उस सेल्स गर्ल से बोला और वो ,

सुपर किंग साइज वाला लायी वो और मैं देख के दंग रह गयी।

मुश्किल से मुट्ठी में पकड़ में आता था ,एकदम काला।

टेप से उस सेल्स गर्ल ने नाप के भी दिखाया, पूरे दस इंच लंबा और तीन इंच मोटा।




" ये कोई घोंट भी सकता है ,"


मेरे मुंह से निकल गया और अपनी बात पे मैं खुद शर्मा गयी।




सोफी और उस सेल्सगर्ल की पहले से जान पहचान थी दोनों जोर से खिलखिलाने लगी।


" वो तो घोटाने वाले और घोटने वाली पर डिपेंड करता है। "


सेल्स गर्ल हंसते हुए बोली।




और मुझे मौसी ( चीनू की माँ ) और मम्मी की बात याद आ गयी ,वही चीनू के सुहागरात के अगले दिन जब उसकी कमल जीजू ने फाड़ कर रख दी थी और उसे टाँके लगवाने जाना पड़ा था।

मौसी कमल जीजू के लिए बोलीं ,लगता है चीनू की सास किसी गदहे घोड़े से तभी इतना लंबा मोटा , ...

मम्मी बात काट के बोलीं अच्छा तो है,अपनी बात भूल गयी ,कैसे रात भर चिल्लाई थी।

मौसी मुस्कराने लगी तो मम्मी ने अपना डायलाग बोल दिया ,

" अरे अगर कोई लड़की बोले की बहुत लंबा मोटा है नहीं घोंट पायेगी तो समझो छिनार पना कर रही है , अरे इतने बड़े बच्चे जो चूत रानी निकाल देती हैं , उनके लिए लन्ड क्या चीज है। "





और मौसी ने तुरंत हामी भरी।

तब तक सोफी ने उस सेल्स गर्ल को कुछ इशारा किया था और वो अंदर चली गयी थी।

कुछ देर में हार्नेस जैसी कोई चीज ले के आयी जो मैंने आज तक नहीं देखी थी।

सोफी मेरे हाथ में पकड़ाते बोली ,

अरे कोई जरूरी नहीं डिल्डो का मजा अकेले अकेले लिया जाय इसको लगा के दो लोग साथ भी , ...

तबतक सेल्स गर्ल ने अपनी कमर में बाँध के अपनी जीन्स के ऊपर से ही उसमें ८ इंच वाला डिलडो फिट कर लिया था और मैं अब समझ गयी स्ट्रैप आन डिल्डो,



" देखा बस कमर और हिप के जोर पे डिपेंड करता है कितना अदंर जाएगा , लड़कों की जरूरत नहीं सहेलियां आपस में मजे ले सकती है। " स्ट्रैप आन डिल्डो को प्यार से मुठियाते वो सेल्स गर्ल बोली।




" अरे हम लड़कियां लड़कों केसाथ भी इसका इस्तेमाल कर सकती हैं , क्यों ,..."


आँख मार के मुझसे सोफी बोली।

और मैं सोफी का इशारा समझ गयी की वो 'किसके ' बारे में बाते कर रही थीं।

और अब मैं खिलखिला के हंस पड़ी ,एकदम।

तबतक सेल्स गर्ल भी हम लोगों की बात समझ गयी थीं ,हंसी में शामिल होते हुए बोली ,



" यस आई गॉट इट यू मीन मेल कन्ट्। "



फिर कुछ रुक के वो बोली लेकिन हमारे पास ऐनल डिल्डो भी हैं थोड़े थिन।

लेकिन उसकी बात मैंने और सोफी ने एक साथ काट दी ,

"एकदम नहीं व्हाट इज़ गुड फार फीमेल होल इज गुड फार मेनहोल। "

बट आई हैव समथिंग यूजफुल फॉर योर मेल ,

कह के सेल्स गर्ल अंदर चली गयी ,स्ट्रैप आन लगाए लगाए।

और उसका स्ट्रैप आन देखकर मेरे मन में में बस एक चीज नजर आ रही थी , मेरी ममेरी ननद ,इनकी छिनार बहन गुड्डी।





अब चार दिन बाद तो उससे मुलाकात होनी ही थी फिर मैंने तय कर लिया था ,

इन्हें भी पटा लिया था की कुछ जुगत लगा के उसे अपने साथ ले आएं ,फिर तो दिन रात चक्की चलेगी उसकी।


इनकी तो रखैल बना के रखूंगी ही ,और जब वो आफिस चले जाएंगे तो मैं , बस यही स्ट्रैप आन के साथ ,,... "

लेकिन फिर मैंने सोचा की मम्मी के दिमाग में तो वो तो बस इन्ही के पीछे पड़ जाएँगी।


तबतक वो सेल्स गर्ल कुछ रिंग्स ले के आयी और अपने स्ट्रैप आन पे लगे डिल्डो पर चढ़ा के समझा भी दिया उसने ,ये काक रिंग्स है।
 
खेल खिलौने








और उसका स्ट्रैप आन देखकर मेरे मन में में बस एक चीज नजर आ रही थी , मेरी ममेरी ननद ,इनकी छिनार बहन गुड्डी।



अब चार दिन बाद तो उससे मुलाकात होनी ही थी फिर मैंने तय कर लिया था , इन्हें भी पटा लिया था की कुछ जुगत लगा के उसे अपने साथ ले आएं ,फिर तो दिन रात चक्की चलेगी उसकी।

इनकी तो रखैल बना के रखूंगी ही ,और जब वो आफिस चले जाएंगे तो मैं , बस यही स्ट्रैप आन के साथ ,,... "





लेकिन फिर मैंने सोचा की मम्मी के दिमाग में,....

तो वो तो बस इन्ही के पीछे पड़ जाएँगी।


तबतक वो सेल्स गर्ल कुछ रिंग्स ले के आयी और अपने स्ट्रैप आन पे लगे डिल्डो पर चढ़ा के समझा भी दिया उसने ,ये काक रिंग्स है।




और मैं झट से समझ गयी उसका फंक्शन और असर दोनों।

मम्मी ने जिस तरह से इम्प्रोवाइज कर के अपनी ब्रा और पैंटी से उनके कॉक को बांधा था की मैं और मम्मी उन्हें लाख छेड़ें , तंग करें वो अराउजड होंगे लेकिन झड़ेंगे नहीं। बिलकुल उसी तरह।

इससे ब्लड या सीमेन कॉक हेड की ओर नहीं फ्लो कर पाता तो बस किसी भी लड़की का ड्रीम ,एक ऐसा कॉक जो झड़े नहीं और खूब सख्त हो।

हाँ , जो वो सेल्स गर्ल दिखा रही थी ,उसमें मम्मी की तरह के हस्तलाघव की जरूरत नही ,बस सटाया, फंसाया घुसेड़ा और लॉक कर दिया। लन्ड खड़े का खड़ा।



वैरायटी भी थी यहाँ एक सिम्पल सी रिंग थी कॉक और बॉल्स दोनों को ग्रिप कर लेती थी ,दो रिंग की , दूसरी मल्टीपल रिंग्स वाली लेकिन सेल्स गर्ल ने समझाया और सोफी ने भी ताईद की ,

वाइब्रेटर कॉक रिंग सबसे अच्छी है।


सोफी ने समझाया की ये कैसे कॉक के बेस पे पल्सेट करता रहता है लेकिन उससे भी बड़ी मजे की बात है

फकिंग के टाइम ये सीधे क्लीट पे रगड़ खाता है और उसे वाइब्रेट करता रहता है।



स्पेशली वोमन आन टॉप में ,अब तो मेरे सोचने के लिए बचा ही नहीं था कुछ।

बस मैंने वाइब्रेटिंग कॉक रिंग तो ले ही ली साथ में दो कॉक और बॉल्स रिंग्स भी ले ली।


साथ में तीनो डिल्डो भी स्ट्रैप आन के साथ , सात इंच वाला , आठ इंच वाला और सुपर जायंट दस इंच वाला।



सेल्स गर्ल मेरे पीछे पड़ गयी थी की मैं कुछ ' लड़कियों ' वाला सामान भी ले लूँ।



मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

मैं असल में अपनी ननदिया को तंग करने केलिए कुछ चाहती थी और मैंने सोफी को हलके से बोला भी।

सोफी को गुड्डी के बारे में सब कुछ मालुम था ,

और वो दुष्ट उसने उस सेल्स गर्ल से भी मेरी उस किशोर १२ वीं में पढ़ रही , ननद के बारे में सब बता दिया।




अब तो वो भी खिलखिलाने लगी , बोली अरे ऐसी बच्चियों के लिए तो मेरे पास काफी खेल तमाशें हैं ,और वो भी आन द हाउस।

थोड़ी देर में वो झोला भर के ले आयी और जो पहली चीज ही उसने दिखाई उसने मेरा दिल जीत लिया।

लव हनी एग्स,



मुश्किल से दो ढाई इंच का गुलाबी खूब चिकना ,एग शेप का ,अंदर घुसेड़ दो ,

रजामंदी से या जबरदस्ती और फिर पैंटी में फंसा दो। बस।

खेल चालू।

और असली खेल रिमोट का था , १५ -२० मीटर से पूरा असरदार। तीन तरह की स्पीड , वाइब्रेट भी करेगा , गोल गोल घूमेगा

और एक से डेढ़ मिनट में झाड़ देने की गारंटी।




मैं सोच रही थी , उसकी कच्ची कसी चूत में डाल के ,वो अपने 'सीधे साधे भैया ' के पास बैठी होगी या घर में सबके सामने , ...

और वो छोटा सा रिमोट मेरी मुठ्ठी में ,

बार बार असरदार ,क्या हालत होगी उस बिचारी की।


और ये तो जब तक उसकी नहीं फटी होगी तब के लिए ,एक बारे जब मैं उसके भैया और अपने सैंया को उसके ऊपर चढ़ा के हचक हचक के चोद के उसकी बुर का हलवा बना देंगे उसके बाद के लिए ,





बेन वा बॉल्स थीं तीन का सेट , मोटाई डेढ़ इंच ,दो इंच और ढाई इंच ,



और सबसे अच्छी बात उसमे भी थी रिमोट कंट्रोल की।

पिछवाड़े के लिए भी बट प्लग्स थे


और उसमें भी मैंने मीडियम और जायन्ट साइज वाले सेलेक्ट कर लिए।




कंडीशन सिम्पल थी , मेरी ननदिया को इस्तेमाल करते हुए फोटो





और इंडोर्सेमेंट ,फेस एकदम क्लियर होना चाहिए और वीडियो भी




मैं कुछ सोचती उसके पहले सोफी ने हाँ कर दी।



सारे ' खिलौनों ' का बैग लेकर हम लोग धमाल मचाते बाहर निकले , तब तक सेल्स गर्ल आयी।

' एक कॉम्प्लिमेंट्री आइटम , ये स्पेशल जेल डिलडो और बट प्लग्स के ,कितनी भी कसी होगी सटाक से जाएगा। "



और मुस्कराते हुए दे गयी।

मुझे इनका पिछवाड़ा याद आ गया।

कुछ देर में मैं और सोफी जूते की दूकान पर थे।


मुझे एक मोजरी लेनी थी ,और सो मेनी च्वायसेज।

मेरे साथ सोफी ने भी एक पेयर ली। लेकिन तभी सोफी ने मेरा ध्यान शेल्फ पर रखे हाई हील्स की और चला गया , एक से एक।

और सेल्स गर्ल ने ताड लिया।

थोड़ी देर में हम दोनों के सामने हाई हील्स का ढेर लगा था।

तीन इंच साढ़े तीन इंच , लेकिन सोफी भी न उसने सेल्स गर्ल को उकसाया,बस यही हैं शो सम स्टिलेटो।




सेल्स गर्ल स्टिलेटो लेकर आ गयी।

चार इंच ,साढ़े चार इंच , और पेन्सिल हील्स , नीचे खूब नुकीली , ...



सोफी भी न , ... पेन्सिल हील्स सहलाते मुझे आँख मार के बोली ,

" अपने उनके लिए ले लो न पहनने में भी सेक्सी और जब चाहो तो ये पूरा अंदर घुसेड़ सकती हो। "

और हम दोनों खिलखिलाने लगे ,

मैंने भी हाथ में ले कर देखा , पिंक ,डार्क रेड ,मेरे फेवरिट कलर , स्मूथ हाई क्वालिटी लेदर , और हील वाकई लंबी भी थी ,हार्ड भी।
 
शापिंग















थोड़ी देर में ढेर सारा शापिंग बैग लटकाये हम सब एक रेस्टोरेंट में थे , पता नहीं मम्मी और सुजाता कहाँ होंगी , कब तक चलेगी उन लोगों की शॉपिंग , मैं सोच रही थी

थिंक आफ डेविल , और तभी मम्मी और सुजाता भी दाखिल हुयी दोनों केहाथ शापिंग बैग से लदे , और सीधे हमारी टेबल पे।



बिना मेरे कहे , मम्मी ने अपनी शापिंग दिखानी शुरू कर दी , और सोफी ने हम सब के लिए बियर आर्डर कर दिया।

पहले तो सुजाता ने साड़ियों का पैकेट खोला , कांजीवरम , जार्जेट ,शिफॉन ,...




लेकिन मम्मी से नहीं रहा गया , बियर का दूसरा ग्लास खाली करते वो सुजाता से बोलीं ,

" अरे असली पैकेट्स तो खोल न स्पेशल वाले। "



मेरी कुछ समझ में नहीं आया ,

लेकिन जब सुजाता ने पैकेट एक ब्लैक बैग से निकाला तो मैं और सोफीएक दूसरे की ओर देखकर मुस्कराये ,

उसी 'खेल खिलौने ' वाली दूकान का बैग था।

सोफी ने एक खूब लंबा मोटा रफ़ डिलडो निकाल के मेरे हाथ में रख दिया ,

हम लोगों ने जो स्ट्रैप आन डिल्डो ख़रीदे थे ,उससे भी बहुत लम्बा और बहुत मोटा ,

" अरे पकड़ के देख न , "



सुजाता ने वहीँ पड़े एक कोक के कैन के बगल में उस सुपर डिलडो को रख दिया , डिलडो लम्बाई में तो दूने से ज्यादा रहा होगा और मोटाई में भी उससे काफी मोटा ( कोक या बीयर कैन ४.८ इंच लंबा और २. ६ इंच चौड़ा होता है )

सुजाता मेरी ओर इशारा करके कहने लगी ,

" अरे इसके हब्बी , मेरे जीजू , बस उन्ही के लिए ,एकदम चिकने मस्त माल हैं , लौंडिया मात। मेरी और उनकी सास दोनों की ज्वाइंट पसंद , सरप्राइज गिफ्ट। है न खूब मोटा , बिचारे अभी कोरे हैं , ...अरे ज़रा दबा के देख न कित्ता कड़ा है। "



लेकिन अबकी मम्मी ने थोड़ी हिम्मत दिलाई। बोलीं

" तुम भी ,न अरे ये ये उनकी माँ और मेरी समधन के लिए है , लेकिन सुजाता तेरा आइडिया बुरा नहीं है , दर्द तो उसे बहुत होगा लेकिन ट्राई करने में क्या हर्ज है। "



मैंने बात बदलने की कोशिश की ,और मॉम से पुछा ,

" लेकिन मम्मी आप मेरी सास पर तो अपने दामाद को चढाने की बात कर रही थीं न। "

" अरे मैं क्या अब तो तेरी सास खुद तैयार है मेरे दामाद का घोंटने को , एकदम चढ़ेगा मेरा मुन्ना लेकिन उस छिनार के पिछवाड़े का क्या होगा। जब वो तेरी सास के आगे के छेद की सेवा करेगा तो उनकी चबुतरे ऐसी चौड़ी गांड में , सटासट ,गपागप ,... फिर एक बार मलाई खिलाने के बाद कुछ तो रिचार्ज होने में टाइम लगेगा तो बिचारी के भोसड़े में , ... है न मस्त। "

और बियर की तीसरी ग्लास ख़तम करते बोलीं ,





लेकिन ये मत सोचो की तेरे उसके लिए हम कुछ नहीं लाये हैं ,सुजाता दिखा न।

और सुजाता ने एक और पैकेट खोला और एक नया जखीरा उनके सामने रख दिया ,

हैंडकफ्स स्टील ग्रे लेकिन अंदर से वेलवेट पैडिंग ,





ब्लाइंडफोल्ड ,



तरह तरह के गैग्स


और उस के साथ ही एक सरप्राइज पैकेट भी ,

" खोल के देख न , ये असली चीज है मेरे जीजू के लिए मेरी ओर से गिफ्ट ,"

सिलिकॉन बट प्लग्स और जो पहला उन्होंने खोला ,वही खतरनाक था ,जायन्ट साइज ,

कम से कम साढ़े चार इंच अंदर और ढाई इंच मोटा , डेढ़ इंच बाहर रहता।




सोफी बोल पड़ी ,

कुछ ज्यादा बड़ा तो नहीं है ,

" अरे वो तो है लेकिन कुछ दिन के बाद शुरू के लिए ये है"


और सुजाता ने एक और पैकेट खोल के दिखाया ,

बिगनर्स ऐनल ट्रेनींग किट उस पर लिखा था और उस की साइज अंदर की मुश्किल से ढाई इंच रही होगी।




कुछ दिन ये ट्राई करने के बाद मीडियम साइज और फिर जो अभी तू देख रही थी न वो , फिर जीजू को पिछवाड़े का पूरा मजा मिलेगा।



और भी चीजें थीं ऐनल , ऐनल डाइलेटर ,एनिमा किट जो एक बट प्लग में फिट हो जाता था।




बियर का चौथा ग्लास ख़तम हो रहा था ,साथ में स्नैक्स।

"अरे मेरे सारे समधियाने वालों पर इस्तेमाल होगा , मस्त चौड़ा पिछवाड़ा है सबका , मेरे दामाद पर , मेरी समधन पर , तेरी छुटकी ननदिया पर , सबकी फाड़ी जायेगी एकदम तस्सलीबख्श तरीके से ,.... "

मम्मी ने सारे पिछवाड़े वाले खिलौनों के इस्तेमाल का अपना इरादा साफ़ कर दिया




देर हो रही थी , मैंने मम्मी को चढ़ाया , मम्मी आपका माल घर पर आ गया होगा , आपका इन्तजार कर रहा होगा , फिर ये सब खेल खिलौने भी आप को ट्राई करने हैं ,

मॉम ने एक झटके में बीयर ख़तम की और बोलीं ,



" अइसन मस्त माल चलो घर बताती हूँ '
 
जोरू का गुलाम भाग ५६

मंजू









सुजाता को छोड़ के जब हम घर पहुंचे तो मंजू बाई पहले से खड़ी थी , रात के बर्तन के लिए ,


पर मम्मी ने बोला की हम खाना बाहर खा के आये हैं ,


लेकिन मंजू बाई की आँखे तो बस उन को सहला रही थीं ,


" हे कुछ और माजना रगड़ना हो तो रुक जा , "

मम्मी भी न ,




उन्होंने खुल के मंजू बाई को निमन्त्रण दिया और वो क्यों चूकती।

उतरते ही उनके चूतड़ पे कस के एक हाथ मार के मंजूबाई बोली ,


" अरे इस माल को रगडने माजने के लिए तो मैं एकदम रुकूँगी ,"






मम्मी तो कपडे वपड़े बदल के बाद में मैदान में उतरी , मंजू पहले ही , न उसने अपना कपड़ा उतारा न उन्हें उतारने दिया बस सीधे ,


एकदम जो कहते हैं न तसल्लीबख्श रिपयेर बस वही ,

" चल साले चाट मेरा भोंसड़ा ,देखती हूँ बचपन से माँ का भोसड़ा चाट रहा है मादरचोद ,कितना सीखा है ,
अगर बिना झाड़े हटा न तो तेरे पूरे खानदान की गांड आज रात मार के रहूंगी ,गांडू साल्ला। "

उनके कंधे को जबरन दबा के कमरे में जबरन फर्श पर बैठा दिया ,मंजू बाई ने और अपनी साडी कमर तक उठा के ,
उनका सर अपने रसीले खूब चूदे भोंसडे पर सता के उसने अपना इरादा जाहिर कर दिया।




जब शुरुआत ही छक्के से शुरू हो तो मैं समझ गयी की आज की रात इनकी सब रातों पर भारी होगी ,आज तो एकदम डबल धमाका होने वाला है , मंजू और उनकी सास,

मैं आज मुकाबले से बाहर थी , मेरे ' वो वाले पांच दिन ' मेरी ' मासिक छुट्टी ' चालू हो गयी थी।


लेकिन देख तो सकती ही थी ,और देखने के साथ उनकी हिम्मत बढ़ाने के साथ मम्मी और मंजू बाई को उकसा भी रही थी ,


और एक दो बार मैंने उनकी 'रक्षा ' भी की लेकिन वो बात बाद में ,


अभी तो मैं देख रही थी किस शिद्दत से से वो मंजू बाई का भोंसड़ा चूस रहे थे , और उसमें उनसे ज्यादा हाथ मंजू बाई का था।




क्या कोई मर्द किसी नए जोबन वाली टीनेजर के रसिले होंठों के बीच अपना मोटा लन्ड घुसा के ,जोर जोर से पेल के जबरन चुसवायेगा ,

पूरी तेजी के साथ मंजू बाई ने उनके सर को दबोच रखा था और जोर जोर से उनके मुंह पे अपने भोंसडे को कस कस के रगड़ रही थी और वो भी कौन से कम थे ,




उनकी जीभ उस भोंसडे के अंदर घुसी ,गोल गोल घुमती तो कभी आगे पीछे होती ,

जोर जोर से और उनके होंठ भोंसड़ी की रसीली पुत्तियों को दबोचे जोर जोर से चूस रहे थे।

और साथ में मंजू ,बाई के मुंह से गालियों की बौछार और सब की सब उन के माँ को उन से जोड़ के ,



"चाट मादरचोद ,चाट चूस कस के , बोल मजा आता था न तेरी माँ के भोंसडे का रस चूसने में ,

अरे वही समझ के सोच अपनी माँ का भोंसड़ा चूस रहा है हाँ एकदम मजा दूना हो जाएगा ,

भँडुआ ,अपने मामा का जना चूस कस कस के , "




दस मिनट से वो पूरी ताकत से चूस रहे थे , और मंजू बाई की गालियां सुन के उन का जोश और दूना हो जाता था ,



तभी मम्मी ने इंट्री ले और उन्होंने पलंग पर जो ' खेल खिलौने ' हम लोगो ने अडल्ट शाप से ली थी सब बिखेर दिया ,


बॉन्डेज वाले हैंडकफ ,



ब्लाइंडफोल्ड , गैंग ,डिल्डो सब कुछ ,



और मंजू बाई की गालियां सुन के खिलखिलाती बोलीं ,

"एकदम सही बोली , अगर ये अपने मामा का जना है , तो इसकी ममेरी बहन तो सगी ही हुयी ना ,
अब उसको चोद के तो ये पक्का बहनचोद बन जाएगा। '



जोर जोर से उनके खुलेमूंह में अपने भोंसडे से धक्का मारती वो बोली ,

" सही तो है जिसने इनकी माँ चोद दी कुंवारेपन में उसकी बेटी चोदना तो बनता है न ,हचक हचक के फाड़ना ,

जो बहन भाई से सील तुड़वाती है न वो एकदम पक्की छिनार बनती है ,पूरे शहर का दिल खुश कर देगी ,बस एक बार तू उसकी सीलतोड़ दे "..



और मम्मी और मंजू बाई ने पकड़ के उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया , हाथ पैर सब फैला के बाँध दिए


और कुछ देर में बंधे छने पड़े थे बिस्तर पर।

मम्मी ने जो हैंडकफ्स अपने प्यारे दामाद के लिए लायी थी वो इस्तेमाल किये अपने दामाद को बाँधने के लिए



तो मंजू बाई ने झट अपनी साडी ब्लाउज खोल के ( इससे ज्यादा कुछ वो पहनती नहीं, थी )


उनके हाथ को पलंग से अच्छी तरह फैला के बाँध दिया और फिर दोनों पैर भी , x की तरह फैला के ,

और जहां और कपडे लगे तो मम्मी के कपडे भी ब्रा पैंटी सहित ,

साथ में उनकी ड्रेस भी उतर गयी।

लेकिन सब मस्त चीज जो दिख रही थी ,

न किसी ने छूआ ,न दबाया , न पकड़ा ,न रगड़ा ,

लेकिन एकदम टनाटन , क़ुतुब मीनार मात ,एकदम खड़ा।

उनका मोटा तगड़ा लन्ड।




" क्यों माँ के मीठे रसीले भोंसडे की याद आ रही है जो इत्ता मस्त खड़ा है , "


उनके गोरे गोरे लौंडिया माफिक नमकीन गाल जोर से पिंच करते हुए मैंने चिढ़ाया।




मम्मी से नहीं रहा गया ,उन्होंने अपने दोनों हाथों से मथानी की तरह अपने दामाद के खूंटे को पकड़ा और जोर से रगडती मसलती बोलीं ,

" तो गलत क्या है ,अरे मेरे मुन्ने को माँ के रसीले भोंसडे की याद आयी तो , बचपन से ही तो चूसता चाटता आ रहा है , पहली बार मुट्ठ माँ के भोसड़े को सोच के मारा, अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे उसके भोंसडे का मजा ,यहीं इसी पलंग पे ,बस १५ दिन और ,हचक हचक के चोदना। "
 
जबरदस्त रगड़ाई





" क्यों माँ के मीठे रसीले भोंसडे की याद आ रही है जो इत्ता मस्त खड़ा है , "

उनके गोरे गोरे लौंडिया माफिक नमकीन गाल जोर से पिंच करते हुए मैंने चिढ़ाया।





मम्मी से नहीं रहा गया ,उन्होंने अपने दोनों हाथों से मथानी की तरह अपने दामाद के खूंटे को पकड़ा और जोर से रगडती मसलती बोलीं ,

" तो गलत क्या है ,अरे मेरे मुन्ने को माँ के रसीले भोंसडे की याद आयी तो , बचपन से ही तो चूसता चाटता आ रहा है ,

पहली बार मुट्ठ माँ के भोसड़े को सोच के मारा, अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे उसके भोंसडे का मजा ,यहीं इसी पलंग पे ,

बस १५ दिन और ,हचक हचक के चोदना। "



मम्मी ने मुठियाते हुए एक झटके में जो लन्ड को झटका तो चमड़ा हटा और खूब मोटा भूखा सुपाड़ा बाहर



"और तब तक माँ समझ के यह भोंसड़ा चोद , "

मैं मंजू बाई को उनके ऊपर चढ़ाते बोली।

मैं अपनी पांच दिन की छुट्टी के चक्कर में आउट आफ एक्शन थी लेकिन मजे लेने का कोई मौका छोड़ने वाली नहीं थी।

मंजू बाई झट से ऊपर और देखते देखते ७ इंच का मूसल उसकी बुर में गायब।




और पल भर में ' उनकी माँ ' के रोल में , बिना धक्के लगाए अपने रसीले भोंसडे में जोर जोर से दबाती निचोड़ती ,


उनके चेहरे से लग रहा था उन्हें कितना मजा आ रहा है।

झुक कर के मंजू बाई ने पहले तो हलके से उनके होंठ दुलार से चूमे

फिर कचकचा के गाल काट लिए जैसे कोई किसी लौंडिया के गाल काटे।




वो चीख पड़े।

" याद आ रहा है जब पहली बार तुझे अपना भोंसड़ा चूस्वाया था , क्लास में फर्स्ट आया था तू , ... फिर तो स्कूल से आके , कपडे बाद में उतारता था ,नाश्ता बाद में ,सबसे पहले तो माँ के भोसड़े का भोग ,है न। "

मंजू बाई बोली।

उनके चेहरे पर एक मुस्कान सी आ गयी। होंठो पर अभी भी कुछ देर पहले जो वो मंजू बाई की भोंसडे को चूस रहे थे उसका पूरा रस चमक रहा था।

मैं और मॉम एक दूसरे को देख के बिना मुस्कराये न रह पाए।

" मन करता है न माँ के भोसड़े को चोदने का बोल न मुन्ने ,"



धीमे से उनके मुंह से हाँ निकल गया।

" अरे जोर से बोल न मुन्ना ,शर्माने की क्या बात। "

मंजू बाई इतने आसानी से नहीं छोड़ने वाली थी।

और अबकी उन्होंने जोर से कबूल किया , " हाँ मन करता है , सच में बहुत। "



फिर तो जैसे इनाम के तौर पे मंजू बाई ने अपनी कमर की गोल गोल चक्की चलानी शुरू कर दी ,

बिना ऊपर नीचे किये उनके खूंटे को मस्त मजा दे रही थी वो।

और कुछ देर बाद धीमे धीमे अपनी कमर ऊपर कर तीन चार इंच खूँटा उसने बाहर किया , और फिर जैसे सरकते हुए ,एक बार फिर पूरा लन्ड गड़प।

' असली मजा तो माँ चोदने में आता है न। "

मंजू बाई ने फिर पूछा।




कुछ मस्ती से कुछ यादों में कुछ फैंटेसी में उनकी आँखे बंद थी ,मुंह से उनके निकल गया ,

" हाँ ,हाँ ,... "



और मंजू बाई ने धक्कों की ताकत और रफ़्तार तेज कर दी ,बोली

मुन्ने ज़रा पूरी ताकत से चोद न अपनी माँ को देखूं तो बेटे की ताकत ,



और नीचे से वो पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे , चूतड़ उठा उठा के।

एकदम लग रहा था की वो यही समझ रहे हैं की माँ की चोद रहे हैं।

सिसकियाँ , उह्ह्ह आह्ह्ह्ह

"एक बार बस अपनी माँ को चोद के निहाल कर दे न तो बस देख , सारी भोंसड़ी वालियों की लाइन लगवा दूंगी , तेरी बुआ , चाची ,मौसी , सब ,... चोद चोद के फाड़ देना सबकी , लेकिन पहले अपनी माँ चोद , जिस भोंसडे से निकला है उसी को ,... "

मंजू बाई उन्हें उकसा रही थी , और साथ में उनकी सास , मेरी मम्मी भी टुकड़ा लगा रही थीं ,

एकदम सब की सब साली रंडी है , बुआ , चाची , मौसी , पूरे मोहल्ले को बांटती है और मेरे मुन्ने को भूखा रखा ,...



और मंजू बाई ने गियर चेंज किया ,

एक साथ झुक कर मंजू बाई ने उनके गाल कचकचा के काटे और अपने नाखून से उनके निप्स स्क्रैच कर लिए ,


उईईई आह्ह्ह्ह्ह उईईईईई माँ लगता है ,


वो जोर से चीखे।

" ये गौने की दुल्हन की तरह चीख रही है छिनार , इसका मुंह बंद करना पडेगा। " मंजू बाई मॉम से बोली।

और अगले पल मॉम के रसीले निचले गुलाबी होंठों ने उनका मुंह सील कर दिया ,

और फिर तो वो फ्री फार आल हुआ ,

मम्मी और मंजू बाई ने मिल कर , एक उनकी बुआ बनी एक माँ





मंजू बाई ने मुझे इशारा किया ,और जितने कुशन तकिये बिस्तर पर ही नहीं पूरे घर में थे , सब निकाल के ढूंढ के मैंने उनके गोरे चिकने चूतड़ों के नीचे लगा दिए।


उनके गोरे नमकीन उठे हुए चूतड़ ,

स्पैंक ,स्पैंक , मंजू बाई के तगड़े हाथ ,

और कुछ देर में ही उनके चूतड़ों पर कमल खिल उठे खूब लाल लाल ,




और बिचारे चीख भी नहीं सकते थे


उनके होंठों पर तो उनकी सास के बुर का कब्जा था ,

वो जोर जोर से रगड़ रही थी उन्हें चटवा रही थी और मेरी सास को एक से एक गन्दी गालियां सूना रही थी।




साथ में मॉम के लंबे शार्प नाख़ून , उनके निपल्स को स्क्रैच कर रहे थे , कभी वो उनके निपल पकड़ के गोल गोल पकड़ के घुमा देतीं , पूरी ताकत से।




दो प्रौढ़ महिलायें , उनके एम् आई एल ऍफ़ फैन्टेसी से भी बढकर , एक साथ

दर्द और मजे का मिश्रण।

मॉम उन्हें मंजू बाई को चोदने के लिए उकसा रही थीं ,

" चोद साले , अपनी माँ के भंडुए चोद , दिखा किस ताकत से चोदेगा अपनी माँ को ,मेरी चूतमरानो समधन को। चोद चूतर उठा उठा के "



और सच में वो अपने चूतर उठा के पूरी ताकत से चोद रहे थे , मंजू बाई बस उन्हें पकडे हुए थी अब धक्के वही लगा रहे थे।

और मंजू बाई भी ,

" साले अगर हम दोनों की बिना झाड़े तू झड़ा न तो तेरे सारे खानदान की गांड मार दूंगी। वो भी बिना तेल लगाए "


मंजू बाई ने उन्हें वार्न किया और ये भी बोला ,

" अरे ज़रा भोंसड़ा चूस के तो दिखा ,देखूं क्या सिखाया है तेरी माँ ने बचपन में तुझे , खूब चूसता था न बचपन में अपनी माँ का भोंसड़ा ,"

और सच में जोरदार धक्कों के साथ मंजू बाई को चोदने के साथ जिस मस्त ढंग से वो अपनी सास की रसभरी बुर चूस रहे थे ,




दस पंद्रह मिनट तक लगातार ,
 
डबल धमाका






और सच में जोरदार धक्कों के साथ मंजू बाई को चोदने के साथ जिस मस्त ढंग से वो अपनी सास की रसभरी बुर चूस रहे थे ,

दस पंद्रह मिनट तक लगातार ,



और साथ में गालियों की बारिश के साथ मंजू बाई कभी अपनी बड़ी बड़ी कड़ी चूँचियों से उनके सीने को रगड़ देती तो


कभी अपनी ऊँगली झुक के उनकी गांड के छेद पे कस के रगड़ देती , तो कभी कचकचा के उनके निप्स काट लेतीं ,


लेकिन मंजू बाई सिर्फ उन्हें तंग नहीं कर रही थीं ,उनकी पूरी कोशिश थी की किसी तरह वो उससे पहले झड़ जाएँ।


लेकिन वही हुआ ,



पहले मंजू बाई



फिर उनकी सास ,




और जब वो दोनों हटी तो मंजू बाई ने तारीफ़ की नजर से मुझे देखा ,

वो नहीं झड़े , उनका झंडा वैसे ही ऊँचा का ऊंचा



और उनकी सास और मंजू बाई दो दो बार झड़ गयीं .


एक को चोद कर झाड़ा उन्होंने एक को चूस चूस कर के ,


अरे आखिर वो किसी को चोदें ,

किसी से भी चुदे ,

माल तो मेरे ही थे।




और मैंने ओनरशिप और तारीफ़ की निगाह से उनकी ओर देखा।


झंडा अभी भी लहरा रहा था ,

लेकिन वो भी बस अब झड़ने के कगार पर ही थे ,

अब गए तब गए।




बस मंजू बाई ने उनके लन्ड के बेस पर खूब जोर से , पूरी ताकत से चुटकी काट ली।

और उनका जोश एकदम से ,


'वो ' अभी भी खड़ा ,तना था लेकिन झड़ने का ख़तरा नहीं था।

उनकी सास और मंजू बाई दोनों ही लस्तपस्त थकी पड़ी थीं ,

कभी एक दूसरे को देख के मुस्कराती तो कभी उनको देख के।


मस्त झड़ी थीं दोनों , उनकी सास और मंजूबाई। हिलने की हालत भी नहीं थी।

मैं ख़ुशी से तारीफ़ से उन्हें देख रही थी और वो मुझे , टू मिनट वंडर तो वो कभी भी नहीं थे।

पहली रात ही उन्होंने मुझे तोड़कर रख दिया था। ८-१० मिनट से ज्यादा ही



जो मेरी भाभियों ने सहेलियों ने सीखा पढ़ा के भेजा था ,

कम से कम कम १५ -२० मिनट ,

लेकिन आज तो एक साथ दोनों प्रौढ़ाओं ,

इस खेल में एक्सपर्ट ,

और वो भी नीचे लेटे लेटे ,



आधे घंटे तो कम से कम , ...

और सबसे पहले मंजू बाई एक्टिव हुयी , उनकी माँ , मेरी सास का नाम लेकर उन्हें चढाने ,चिढ़ाने लगी।



" ठीक है ,ठीक है , लेकिन कम से कम दो बार झाड़ के लस्त पस्त करोगे न अपनी माँ को और बिना रुके तीसरी बार चोदोगे ,

मेरी गारंटी है एकदम तेरे लौंड़े की छिनार दीवानी हो जायेगी।

सब सरम लिहाज भूल के ,खुद ही तेरे पीछे पड़ेगी , सबके सामने चुदने को तैयार हो जायेगी , ... "




और मैंने भी मजा लेते हुए टुकड़ा लगाया ,

" मंजू बाई एकदम सही कह रही है , अरे जंगल में मोर नाचा किसने देखा ,

जब तक हमारे सामने मेरी सास पे चढ़ाई न हुयी तो कैसे हम माने की तुम असली मादरचोद हो की नहीं। "






मॉम भी ना , कुछ भी हो जाए वो हरदम अपने दामाद की तरफदारी ही करती थीं , बोलीं ,


" अरे तू समझती क्या है मेरे दामाद को ,आने दो तेरी सास को , अब १५-१६ दिन तो ही बचे हैं न।

हाथ कंगन को आरसी क्या , अरे इसी कमरे में ,बरामदे में सारे घर में , जैसे कातिक में कुतिया चुदती है न ,

वैसे घिर्रा घिर्रा के , रगड़ रगड़ के ,तेरे सामने ,मेरे सामने ,मंजू बाई के सामने चोदेगा।

अरे इसमें कौन सरम ,बोल मुन्ना चोदेगा न हम सबके सामने , ... "






और वो तो मुझसे ज्यादा उनके गुलाम , जोर जोर से उन्होंने सर हिलाया।



मैंने मुश्किल से मुस्कराहट रोकी।

शादी के बाद कभी मजाक में ही सही ,चिढाने के लिए ,गारी वारी गाने में मैं उनके किसी मायके वाली का नाम ले के ,

कुछ बोल देती तो वो एकदम अलफ ,

लेकिन अब खुल के उनकी माँ के बारे में , और वो ,... मुस्करा के हामी में सर हिला रहे हैं।


लेकिन मम्मी ने मंजू बाई की बात की ताईद की।

" बात वो सही कह रही है , पहली बार हचक के चोद चोद के अपनी माँ के भोसड़े की ऐसी तैसी कर देना , कम से कम दो बार झाड़ना ,ठीक है न मुन्ना ,उसके बाद अपनी मलायी जब वो तीसरी बार झड़ें न तो बस सीधे बच्चेदानी में उड़ेल देना , "

मम्मी की बात अबकी मैंने काटी ,

" अरे मम्मी आप क्या कह रही है , अरे अगर ये अपनी गाढ़ी मलाई मेरी सास की सीधे बच्चेदानी में ,... कहीं गाभिन हो गयीं तो। "

मैंने बनावटी घबराहट से कहा।



" अरे गाभिन हो गयी तो क्या हुआ , पेट फुलाये घूमेंगी , नौ महीने बाद सोहर होगा।

तुझे एक मस्त ननद मिलेगी और इन्हें एक बहन ,बस उसकी झांटे निकलने का इन्तजार करना, ... "

मंजू बाई बोल रही थी लेकिन अबकी मैंने फिर बात काटी ,


" अरे मंजू बाई इनकी वो बहन लगेगी की बेटी , भले भोसड़ा इनकी माँ का होगा लेकिन लन्ड तो इनका , ... "

मैंने फिर अपना शक जाहिर किया।

अबकी मुझे डांट पड़ गयी , और कौन डाँटता। मम्मी। झुंझला के बोलीं ,

" तू भी न , तुझसे मेरे मुन्ना का कोई फायदा देखा नहीं जाता , अरे बहन या बेटी , बिना चोदे उसे मेरा मुन्ना छोड़ेगा नहीं , अरे मादरचोद ,बहनचोद तू उसे बना सकती है तो बेटीचोद , .... "


और अबकी बात उन्होंने काटी।


बिचारे बड़ी देर से बोलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन हम तीनों के बीच में उनकी कौन सुनता ,लेकिन अबकी जोर से वो बोले ,



" ऐसा कुछ नहीं होने वाला। "

मतलब , .... हम तीनों एकसाथ चीखे।

कुछ देर बिचारे रुके फिर उन्होंने राज खोला ,

" आप लोग भी न " ,...

फिर उन्होंने थूक घोंटा , गहरी सांस ली और बोले ,

" बात ये है की जब मैं पैदा हुआ था , तभी , उसके तुरंत बाद , माँ ने ऑपरेशन करवा लिया था की अब दो बच्चे हो गए तो , इसके बाद नहीं , बस ,... तब से , तब इसलिए उनके , ... "



जो बात कहने में वो हिचक रहे थे मैंने पूरी कर दी , आखिर पत्नी थी उनकी , उनकी माँ की छोटी बहू।

" तो तेरा मतलब ये है की तुम कितना भी मेरी सास को हचक हचक के चोदोगे ,मलाई उनकी बुर में डालोगे , सीधे बच्चेदानी में भी ,तब भी वो गाभिन नहीं होगीं। "

मैंने मुद्दा साफ़ किया।



जोर जोर से सर हिलाने के साथ उन्होंने खुल के हाँ बोला .

" अरे ये तो बहुत अच्छा हुआ , ... तो ऐसा करना की जब तू मन भर मेरी समधन को चोद लेना , तो उसके बाद मैं उनको अपने गाँव ले जाउंगी , तेरे चचिया , ममिया , मौसेरे ससुर, उसके बाद अहिरौटी भरौटी पठान टोला सब , जब से तेरी शादी में वो आयी थीं , तबसे उनका नाम ले ले के सब मुठ मारते हैं , गाभिन तू इसकी ननद को कर देना ,नौ महीने बाद बियायेगी , और तेरे लिए दूध का इंतजाम ,

मॉम ने अपना प्लान बता दिया ,

मॉम का न इरादा टलता था न ये सपने में भी उनकी बात टालने की सोच सकते थे ,
 
मेरी सास




जो बात कहने में वो हिचक रहे थे मैंने पूरी कर दी , आखिर पत्नी थी उनकी , माँ की छोटी बहू।


" तो तेरा मतलब ये है की तुम कितना भी मेरी सास को हचक हचक के चोदोगे ,मलाई उनकी बुर में डालोगे , सीधे बच्चेदानी में भी ,तब भी वो गाभिन नहीं होगीं। "

मैंने मुद्दा साफ़ किया।




जोर जोर से सर हिलाने के साथ उन्होंने खुल के हाँ बोला , और ये साफ़ साफ़ बोला की उनके पैदा होने के बाद से ही , ...

और एक बात मम्मी के मन में भी साफ़ हो गयी ,हंस के बोली ,

" अब समझी , तभी तेरे शादी में कितने जोश से अपनी बड़ी बड़ी चूंचियां झलकाते ,उठा उठा के कैसे सारे घरातियों को ललचा रही थीं ,चुनौती दे रही थी. कोई पकड़ चोद भी देता तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ,

तेरे ससुरालवाले तभी से मेरी समधन के दीवाने है , सब उनके साया के अंदर घुसना चाहते है ,

तेरे चचिया ससुर ,मौसेरे ससुर ,यहाँ तक की घर में,गाँव में काम करने वाले , ... कहांर ,नाऊ , ... "



और वो मुस्करा रहे थे।

डंडा वैसे ही खड़ा कडा था।

तब तक मंजू बाई की निगाह पलंग पर पड़े खेल खिलौने पर गयीं , और काक रिंग को उठा के उन्होंने पूछा ये क्या है ,




मम्मी ने मुझे इशारा किया की मैं समझा दूँ , और मैं मानती थी समझाने का बेस्ट तरीका है इस्तेमाल करने का , डिमांस्ट्रेशन और एक कॉक रिंग मैंने उन्हें पहना दी।

डंडे के बेस पर जाकर एकदम टाइट फिट , एकदम बेसिक वाली थी और




मंजू बाई को बोला चढ़ जाएँ वो मीठी शूली पर ,




" चल अगर तूने मुझे अबकी फिर झाड़ दिया न तो मैंने समझूँगी की तू एकदम पक्का मादरचोद बनेगा , फाइनल इम्तहान"
 
कॉक रिंग्स












तब तक मंजू बाई की निगाह पलंग पर पड़े खेल खिलौने पर गयीं , और काक रिंग को उठा के उन्होंने पूछा ये क्या है ,


मम्मी ने मुझे इशारा किया की मैं समझा दूँ ,

और मैं मानती थी समझाने का बेस्ट तरीका है इस्तेमाल करने का , डिमांस्ट्रेशन और एक कॉक रिंग मैंने उन्हें पहना दी।

डंडे के बेस पर जाकर एकदम टाइट फिट , एकदम बेसिक वाली थी और मंजू बाई को बोला चढ़ जाएँ वो मीठी शूली पर ,




" चल अगर तूने मुझे अबकी फिर झाड़ दिया न तो मैंने समझूँगी की तू एकदम पक्का मादरचोद बनेगा , फाइनल इम्तहान ,

और लन्ड मंजू बाई के भोंसडे में सरकता ,

अबकी शुरू से ही मंजू बाई फोर्थ गियर में , कुछ भी उनके ऊपर नहीं छोड़ा था , लगातार धक्के लगा लगा के उन्हें चोद रही थीं ,




उनके सीने पे अपनी बड़ी बड़ी चूंची रगड़ रही थी ,एक ऊँगली उनके गांड के छेद पर भी ,


साथ में मेरी सास को लेकर एक से एक गन्दी गालियां ,


कोई वैसे सुने तो कान बंद कर ले , और दे ही नहीं रही थीं

उनसे दिलवा भी रही थीं।

मम्मी भी खूब मजे ले रही थीं।


खूब उकसा रही थीं ,उन्हें भी मंजू बाई को भी।

और अबकी दोनों पहलवान बराबर के धक्के लगा रहे थे।



एक तो वैसे कुछ मेरी मम्मी और मंजू बाई की ट्रेनिंग से उनका टाइम बढ़ गया था ,

फिर शायद गीता के पहिलौटी के दूध का असर था ,



और सबसे बढ़कर ,

कॉक रिंग का जादू

लन्ड ,मलखम्ब हो गया था।



अब उनका साथ और कोई दे न दे , मैं तो देती ही , आखिर जनम जनम का साथ था ,बल्कि सात जनम का।

मैंने मंजू बाई से इशारा किया की वो एक पल के उठ जाए और मैं ज़रा दूसरी काक रिंग भी ट्राई कर लूँ।


थक तो वो भी गयी थी , 'विपरीत रति ' में , ऊपर से धक्का लगाने में।

कोई और औरत होती तो मरद के ऊपर बस ८-१० मिनट में ही चूं बोल देती
,ये तो मंजू बाई ऐसी खेली खायी बचपन की छिनार की ताकत थी की पिछले २०-२५ मिंनट से उनके ७ इंच के मोटे लन्ड पे चढ़ी धक्कमधुक्का खेल रही थी



उसे भी कुछ पल मिल गया आराम करने को और मुझे अपनी शैतानी करने को।

मैंने और सोफी ने मिल के उनके लिए तरह तरह की कॉक रिंग्स खरीदी थीं और जो सबसे स्पेशल थी ,डबल धमाके वाली , 'हिज' से ज्यादा 'हर' को मजे देने वाली।


असल में सच पूछिये तो कॉक रिंग लड़कों से ज्यादा लड़कियों को मजा देता है , अरे अगर कोई लौंडा ५- ६ मिनट में बिना लड़की को झाड़े झड़ जाए तो सबसे ज्यादा झल्लाहट लड़की को ही होगी न ,

और कॉक रिंग्स से ये ख़तरा एकदम दूर होजाता है ,

खूब देर तक सख्त कड़े लन्ड का मजा ,और कोई लड़की दुनिया में क्या चाहेगी।

लेकिन इस वाली में दो स्पेशल चीजें और लगी थीं , जी प्वाइंट स्टिम्युलेटर और क्लीट वाइब्रेटर।



कोई कोई बहुत एक्सपीरियंस्ड मर्द ही होते हैं जिन्हें जी प्वाइंट का अंदाजा होता है ,

लेकिन वहां ऊँगली से ही छू सकते है और छिनार से छिनार भी दो चार मिनट में जी प्वाइंट जे रगड़ने पर खलास हो जाती है

लेकिन चुदते समय , लन्ड सीधे अंदर हो जाता है तो जी प्वाइंट या जी स्पॉट चूत में दो -तीन इंच ही अंदर होता है ,

चूत के सामने वाले हिस्से में। इसलिए चोदते समय इसका एक्स्ट्रा स्टिमुलेशन मुश्किल है।


दूसरी जादू की बटन होती है कन्या के देह में क्लीट या भगनासा ,




और 'ये ' उसके पूरे एक्सपर्ट थे ,ऊँगली से ,जीभ से यहाँ तक की चोदते समय भी लन्ड के बेस से रगड़ रगड़ ,घिस्सा मार मार के ,....


पर विपरीत रति में जब स्त्री ऊपर हो और खास तौर पर लड़के के हाथ बंधे हो तो सब कंट्रोल तो औरत के हाथ में होंगे न

और अगर बाजी न झड़ने की हो तो , वो क्यों अपने क्लीट पर जान बूझ कर ,...


लेकिन इस कॉक रिंग में एक क्लीट वाइब्रेटर भी लगा था ,बटरफ्लाई की तरह ,

और सबसे बड़ी बात ये जी प्वाइंट औ.र क्लीट स्टिम्युलेटर रिमोट कंट्रोल से थे और रिमोट मेरे पास था।



मंजू बाई के दुबारा चढने पर पहले तो मैंने दोनों को स्टार्ट नहीं किया।

वो भी अब पूरे जोश में थे ,नीचे से चूतड़ उठा उठा के धक्का लगा रहे थे और मंजू बाई भी अब थोड़ा सुस्ताने के बाद पूरी तेजी से ,


कुछ ही देर में तूफानी चुदाई फिर चालु हो गयी.




और अब मैंने भी अब अपना खेल दिखाना शुरू कर दिया ,

पहले तो स्लो , फिर मीडियम , जी प्वाइंट स्टिमुलेटर

मंजू बाई के माथे पर पसीना आ गया ,वो कांपने झूमने लगी ,मैं समझ गयी उसकी हालात और क्लीट वाइब्रेटर भी आन कर दिया ,

लेकिन वो भी पक्की छिनार ,एक बार उसने चाल चली ,


धक्कों की स्पीड कम की , लेकिन अब मेरे वो भी खेले खाये हो गए थे ,सास की ट्रेनिंग का असर ,

पूरी ताकत से उन्होंने नीचे से चूतर उछाल के चौवे छक्के मारने शुरू कर दिए ,



और मैंने जी प्वाइंट और क्लीट दोनों के वाइब्रेटर फुल स्पीड पर कर दिए , नतीजा वही जो होना था।





दो चार मिनट में मंजू बाई झड़ने के कगार पर पहुँच गयी और

पांच मिनट के अंदर आज तक शायद पहले कभी वो ऐसे नहीं झड़ी होगी ,

ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आहहहह उईईई उह्ह्ह्ह्ह्ह

एक बार , फिर बार बार , वो भी बिना रुके , खचाखच ,


नहीं नहीं ,ओह्ह अह्ह्ह आआअहा उईईईईई उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह म।


मंजू बाई सिसक रही थी , तड़प रही थी झड़ रही।






और जब उतरी तो कटे पेड़ की तरह उनके बगल में जैसे गिर के बेहोश सी हो जाय , एकदम लथपथ , पस्त।

पांच मिनट के बाद उसने आँखे खोली।

लेकिन वो वैसे ही अनझडे.


मम्मी दोनों को देख मुस्करा रही थीं , लेकिन उनकी ललचायी नजर बार बार उस कुतुबमीनार पर पड़ रही थी ,एकदम खड़ा कड़क।
 
उनकी सास





मम्मी दोनों को देख मुस्करा रही थीं ,

लेकिन उनकी ललचायी नजर बार बार उस कुतुबमीनार पर पड़ रही थी ,एकदम खड़ा कड़क।



मैंने आँखों ही आँखों में उन्हें इशारा किया , चढ़ जाइये न आपके दामाद ने इतना मस्त खड़ा किया है।




और बस वो चढ़ गयीं।
……..

धीरे धीरे कर कुतुबमीनार गुलाबी घाटी में गायब हो गया ,




कुछ देर तक वो घुड़सवारी का मजा लेती रहीं ,लेकिन उसके बाद खुद उन्होंने ही अपने दामाद के बंधे हाथ खोल दिए।




बस इतना इशारा काफी था , उनके लिए ,और एक बार गाडी और नाव का रिश्ता बदल गया।

वो फिर से ऊपर ,





और सिर्फ गाडी और नाव का ही रिश्ता नहीं ,मॉम तो रोल प्ले में माहिर थीं

और आज कल उनकी पूरी कोशिश भी ,...

बस कुछ ही देर में उनका रिश्ता भी बदल गया ,

अब बजाय उनकी सास बनने के वो मेरी सास बन गयीं ,


वही आवाज ,वही अंदाज और जिस तरह उन्हें वो उकसा रही थीं , चैलेंज कर रही थी।


कुछ देर में पंजाब मेल फेल हो गयी उनके धक्कों की स्पीड के आगे ,




और अब हाथ खाली हो गए थे तो गदराये ३६ डी डी जोबन की मसलाई रगड़ाई चालू हो गयी.

सिसकारियां , गालियां , चूमने चाटने की आवाजें ,

घचक घचाक ,सटासट सटासट , गपागप गपागप।





और वो भी अब मेरी सास बनी , अपनी सास को हचक हचक के ,...


धक्को का जवाब धक्के से ,चुम्बन का चुम्बन से ,


मंजू बाई भी अब मेरे साथ बैठ के सास दामाद का दंगल देख रही थी ,

मुकाबला शायद बराबरी पर छूटता , ( और कोई पहली बार ये कुश्ती तो हो नहीं रही थी ,दोनों को दूसरे के हर दांव पेंच मालुम थे )

लेकिन कॉक रिंग ने शायद उनका पलड़ा भारी कर दिया।


वो भी बस कगार पर ही थे की , मेरी सास बनी उनकी सास ने हथियार डाल दिए।

एक बार ,बार बार ,... लगातार




गहरी साँसे ,

ऊपर नीचे होते नितम्ब ,

और फिर सब कुछ जैसे ठहर जाय , वो भी मंजू बाई के बगल में उसी तरह थकी हारी ,लस्त पस्त।


थक तो वो भी गए थे ,देह उनकी चूर चूर हो रही थी। अंग अंग टूट गए थे।



लेकिन बस झड़े नहीं थे।



और मैं झुकी टकटकी लगा के उन्हें मुस्करा के देख रही थी , उनके बालों में ऊँगली घुमा रही थी।




उनकी बंद थकी आँखों को मैंने हलके से चूम लिया ,


आखिर उनकी जीत मेरी भी तो जीत थी ,




और असली बात ये थी की उनकी जीत सच में उनकी हार थी , वो हार जो मैं कब से चाहती थी ,

असल में उनकी सास का इरादा था , उनके मन में मेरी सास के प्रति वासना के बीज बोना, और सिर्फ बीज ही नहीं उसे आखिरी मंजिल तक पहुँचाना ,

मैंने उन्हें कई बार मना किया , ये हो नहीं सकता , ये शादी के पहले इतने सो काल्ड संस्कारी , दबे सिमटे रहने वाले , ऐसी सोच भी , लेकिन उनका बड़ी औरतों के प्रति आकर्षण , वो एम् आई एल ऍफ़ , ...

लेकिन मम्मी की जो मंजू से मुलाकात हुयी , फिर उन दोनों की जुगलबंदी , कुरेद कुरेद कर , और अब तो वो खुल के जान बुझ के , ... ये ये गालियां मंजू बाई मम्मी के सामने उनसे मेरी सास को दिलवाती , और मम्मी भी रोल प्ले में ,... और सीधे उनके सामने अपनी समधन से , और अब तो उन्हें भी खुल के मजा आने लगा था , ... मेरी सास के बारे में सोच सोच के ,...


और मंजू बाई ने अपने अंदाज में वो बात खुल के बोल भी ,

" चलो मान गए तेरी ताकत , बिना झड़े हम दोनों को ,और वो भी मुझे दो बार ,चल इनाम में सच में तुझे मादरचोद , .... "

उसकी बात काट के उनकी सास बोलीं ,

" अरे मंजू बाई अब तो मेरी समधन मान भी गयी है , बस पंद्रह बीस के दिन अंदर वो खुद यहीं आ रही है , ... "


और एक बार फिर मेरी मॉम और मंजू बाई मिल के मेरी सास की ऐसी की तैसी करने में जुट गयीं।

मंजू बाई दो बार ,मॉम भी एक बार ,...


अब मैं भी मान गयी थी उनकी सास उन्हें पक्का मादरचोद , ...वो भी मेरे और अपने सामने ,...

लेकिन उनकी सास की दो शर्तें थी , उनसे नहीं मुंझसे , उसके पूरा होने के बाद ही वो उन्हें अपनी समधन पर चढ़ातीं ,...


कौन सी शर्तें , ... बताउंगी न , अभी तो बहुत सी पोस्टें बाकी है , उसके पहले





इसलिए चुदाई का मूड तो दोनों में से किसी का नहीं था इतनी जल्दी ,लेकिन जो मुझे डर था वही हुआ ,


दोनों उनकी चिकनी कुँवारी कोरी कसी गांड के पीछे पड़ गयीं।
 
खतरा, ...इनके पिछवाड़े पर












आखिर उनकी जीत मेरी भी तो जीत थी ,


और असली बात ये थी की उनकी जीत सच में उनकी हार थी , वो हार जो मैं कब से चाहती थी ,


और मंजू बाई ने अपने अंदाज में वो बात खुल के बोल भी ,

" चलो मान गए तेरी ताकत , बिना झड़े हम दोनों को ,और वो भी मुझे दो बार ,चल इनाम में सच में तुझे मादरचोद , .... "



उसकी बात काट के उनकी सास बोलीं ,

" अरे मंजू बाई अब तो मेरी समधन मान भी गयी है , बस पंद्रह बीस के दिन अंदर वो खुद यहीं आ रही है , ... "




और एक बार फिर मेरी मॉम और मंजू बाई मिल के मेरी सास की ऐसी की तैसी करने में जुट गयीं।

मंजू बाई दो बार ,मॉम भी एक बार ,...

इसलिए चुदाई का मूड तो दोनों में से किसी का नहीं था इतनी जल्दी ,लेकिन जो मुझे डर था वही हुआ ,


दोनों उनकी चिकनी कुँवारी कोरी कसी गांड के पीछे पड़ गयीं।





मॉम ने तो ८ इंच का स्ट्रैप आन डिल्डो पहन भी लिया





और मंजू ने जबरदस्ती उन्हें पटक के पेट के बल लिटा भी दिया ,

मैंने लाख कहा ,

डर से उनकी हालात खराब ,


लेकिन मैंने जब अपने दिल की बात मॉम से कही तब जाके वो मानीं ,


" अरे मम्मी ,आपका इकलौता दामाद वो भी इतना चिकना ,मस्त नमकीन माल और उसका इतना कसा कसा कोरा पिछवाड़ा ,

उसकी नथ किसी प्लास्टिक ,या रबर के बने , ... से उतारी जाय। अरे उसके गांडछेदन के लिए तो

एक एकदम मोटा कड़ा ,गदहे और घोड़े को मात करने वाला हथियार होना चाहिए

और वो भी उस लौण्डेबाज का जिसने गांड मारने में पी एच डी कर रखी हो ,

और पहली बार गांड मार के ही आपके इस लौंडिया छाप दामाद को पक्का गांडू बना दे। "





मॉम एक दो पल के लिए हिचकीं ,

उधर मंजू बाई अपने दोनों हाथ के अंगूठों से उनके गांड के कसे छेद को पूरी तरह फैला के खड़ी थी।

हिचकिचाते माँ ने मेरी बात तो मान ली पर बोलीं ,

" तेरी बात में तो दम तो है लेकिन तुझे मिलेगा कहाँ से ऐसा लौंडेबाज , ...

और खबरदार जो मेरे इस दामाद के लिए इससे ( अपने ८ इंच के डिल्डो वाले स्ट्रैप आन की ओर इशारा करते ) कम साइज का ढूंढा ,

गौने की रात को कोई कमसिन दुल्हन जैसे चिल्लाती है न वैसे ही चिल्लाना चाहिए ये,और,.. "





मालुम तो मुझे भी नहीं था की कहाँ मिलेगा मम्मी के दामाद के नथ का उतरैया , पर बोल दिया तो बोल दिया।

अभी तो मुझे अपने उनकी गांड की रक्षा करनी थी इस भयानक गांड फाडू डिल्डो से ,और मैंने मम्मी की बात काटते उन्हें फिर समझाया ,


" अरे मम्मी इस चिकने को फाड़ने वाले बहुत मिलेंगे , ऊपर से आपकी ट्रेनिंग। आप मेरे ऊपर छोड़ दीजिये , बहुत जल्द ,... "



लेकिन मॉम आखिर मेरी भी मॉम थी , उन्होंने मेरी बात पकड़ ली।

" पक्का ,लेकिन दो बातें , मैं जब पंद्रह दिन में आउंगी न तेरी सास के साथ , तो उसके पहले इस लौंडे की फट जानी चाहिए।
और दूसरी बात उसकी फोटो ,वीडयो सब मेरे पास नहीं तो तेरी सास को यहाँ लाने का , प्रोग्राम कैंसल। "



मेरी ऊपर की सांस ऊपर ,नीचे की नीचे।

ये तो मेरी कबकी फंतासी थी की मेरी सस्कारी सास , और मम्मी का संस्कारी दामाद , घचाघच घचाघच ,

मेरे सामने और सब कुछ स्टिल ,वीडियो ,...

इन्हें मादरचोद तो बनाना ही था और बिना मॉम की हेल्प के ये हो नहीं सकता था।

मुझे तुरन्त जवाब देना था और साथ में कुछ अडिशनल ऑफर भी ,

" एकदम मम्मी ,बहुत जल्द , और साउंड लाइट के साथ पिक्चर आपको व्हाट्सअप करुँगी ,इनकी सारी चीखें भी ,

और हाँ बार इनकी नथ असली औजार से उतर जाये न फिर तो जो आप सुपर डुपर १० इंच वाला लायी हैं न उससे इनकी भी ,

इनकी माँ की भी , ... लेकिन मम्मी इनको आपको ट्रेन करना पडेगा। आप ऐसी गुरु इन्हें कहाँ मिलेगी। "



५०० ग्राम मक्खन काम कर गया।

मैंने मम्मी से प्रॉमिस तो कर दिया था , ...लेकिन कहाँ से ढूंढूंगी , इनकी नथ उतारनेवाले को , ....कम से कम आठ इंच वाला और वो भी लौंडेबाज़ी में एक्सपर्ट,... मुझे कुछ कुछ याद आ रहा था , ... है तो कोई ऐसा , ... जानती भी हूँ मैं , लेकिन ,... और उसके बिना मेरी सास पर मेरी मम्मी के दामाद का चढ़ने का कार्यक्रम खतरे में पड़ता दिख रहा था , लेकिन मैंने सर झटक दिया ,... मुझे अपनी सास की तो ,... भले ही कहीं से भी ढूंढ के सास के बेटे के पिछवाड़े की ,





और सबसे बड़ी ये थी ,... अभी तो ये बच गए ,



गाँड़ बची तो लाखों पाए ,...



इन्होने चैन की सांस ली ,...


मालूम इन्हे भी था और मुझे भी ये ज्यादा दिन नहीं बचने वाली है , अगर इनकी सास ने ठान लिया है तो


मम्मी मान गयी ,

" चल तू कह रही है तो और , उस में भी उसे ट्रेन करदूँगी , लेकिन मेरे आने के पहले फोटो और वीडियो सब , और उसके बाद मैं कुछ नहीं सुनूँगी। "

एकदम ,मैं बोली और मेरी सांस में सांस आयी।

मम्मी ने ५-१० हाथ जोरदार उनके माखन सी चिकनी गांड पे लगाए , गुलाब वहां खिल उठे और मॉम बोली ,

" चल आज तो तू इस से बच गया लेकिन ज्यादा दिन ,जल्द ही फटेगी तेरी। "

लेकिन मंजू बाई कहाँ छोड़ने वाली थीं उनको ,

" अरे मोर उंगलिया ही काफी हैं चल अभी इसको गांडू का मजा चखाती हूँ "

और गांड की दरार पर वो अपनी ऊँगली रगड़ने लगीं।




फिर मम्मी क्यों बख्शतीं उनको



,"चल तेरा पीछे का छेद बच गया तो बच गया , आगे का नहीं छोडूंगी। चल गांडू चाट मेरा लन्ड ,चूस अगर ढंग से चूस दिया न तो देखना खूब मोटे मोटे लन्ड मिलेंगे तुझे चूसने को मेरी गारंटी। "



चूसवाने की प्रैक्टिस तो मैंने ही उनकी शुरू करवाई थी , और डिटेल्ड इंस्ट्रक्शन के साथ ,
 
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