desiaks
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आगरा में एक रात
हम 4 घंटे में आगरा के उस होटल में पहुँच गए जहाँ हम सबको ठहरना था.अब फिर मुझको और रेनू को कमरे बांटने का काम सौंप दिया गया. हम दोनों ने फिर से कमरे वैसे ही बांटे जैसे दिल्ली में और इस बार भी एक लड़का अपने रिश्तेदारों के घर रहने चला गया मैडम से पूछ कर!वो कमरा फिर से मैंने अपने नाम कर दिया.
नहा धोकर सब आगरा घूमने के लिए तैयार हो गए और फिर बस में बैठ कर हम निकल पड़े. सब दर्शनीय स्थानों को देखने के बाद हम शाम को होटल लौटे.सब बहुत ही थके हुए थे और अपने कमरों में जाकर आलखन करने लगे.
मैं अकेला ही था अपने कमरे में तो थोड़ी देर के लिए लेट गया लेकिन थोड़ी बाद दरवाज़ा खटका और जब खोला तो पूनम खड़ी थी.मैंने कहा- अंदर आ जाओ!जैसे ही वो अन्दर आई, मैंने उसको बाहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसके लबों पर चुम्मियों की बौछार कर दी.मैं भूखे शेर की तरह उसके मुम्मों को ब्लाउज के बाहर से ही चूमने लगा और उसके चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगा और उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और आँखों ही आँखों में उससे पूछा- हो जाए कुछ?उस ने भी सर हिला कर अपनी रज़ामंदी दे दी.
अब मैंने अपनी पैंट के बटन खोल कर लंड को बाहर निकाल कर उसके हाथों में रख दिया और खुद उसकी सिल्क की साड़ी को ऊपर उठा कर उसको बेड पर हाथों के बल झुकने के लिए कहा.जैसे ही पूनम उस पोजीशन में आई, मैंने अपने अकड़े हुए लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर ज़ोर का धक्का मारा और लंड फच की आवाज़ से अंदर चला गया.
अब मैं थोड़ा पीछे हटा और उसकी गोरे चूतड़ों को हाथ से सहलाता हुआ लंड घिसाई में लग गया क्यूंकि मैंने पूनम को 2-3 दिन से नहीं चोदा था तो मेरा लौड़ा और मैं स्वयं उसको बहुत मिस कर रहे थे.अब लंड महाशय को भी जानी पहचानी चूत में बहुत आनन्द आने लगा और वो भी बड़े प्रेम से धक्के मारने लगा लेकिन मुझको भी ज़रा डर था कि कोई आ न जाए और हमारे पवित्र काम में विघ्न न डाले सो मैं तेज़ धक्केशाही में लग गया.
पूनम भी 2 दिन से चुदाई की भूखी थी, वो भी जल्दी ही चरम सीमा पर पहुँचने वाली हो गई थी और मेरे तेज़ धक्कों का जवाब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके देने लगी.हम चुदाई में इतने मस्त थे कि हम दोनों ने देखा ही नहीं कब नेहा दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गई थी और वो मेरे तेज़ी से दौड़ते चूतड़ों को हल्के से हाथ लगाने लगी थी.पहले तो मैं चौंका कि यह कौन अंदर आ गया है और डर के मारे मेरी सांस ऊपर नीचे होने लगी लेकिन जब मुझको महसूस हुआ कि वो नेहा ही है तो मैंने कुछ राहत की सांस ली और पूनम की चुदाई जारी रखी.लेकिन पूनम को अभी भी मालूम नहीं हुआ था कि कमरे में कोई आ गया है.
मैंने नेहा को चुप रहने का इशारा किया और चुदाई की स्पीड और तेज़ कर दी और जल्दी ही मुझको लगा कि पूनम कुछ देर में छूटने वाली है. फिर जब मैंने कुछ बड़े ही तेज़ और गहरे धक्के मारे तो पूनम का शरीर एक प्यारी से झनझनाहट के बाद एकदम ढीला पड़ गया और वो पलंग पर पसर गई.मैंने लंड पूनम की चूत से निकाला तो उसको नेहा जो मेरे पीछे खड़ी थी उसके हाथ में दे दिया.
मैंने नेहा को एक ज़ोर से जफ़्फ़ी मारी और उसको होटों पर गर्म चुम्मी की और पूछा- अभी करवाना है या बाद में?वो बोली- अभी नहीं, मैं बहुत थक चुकी हूँ रात को देखेंगे. लेकिन अभी थोड़ी किसिंग और हग्गिंग कर लेते हैं.फिर हम दोनों एक दूसरे को बड़ी हॉट किसिंग और जफ़्फ़ी मारते रहे और साथ में एक दूसरे के अंगों से भी खेलते रहे.
जब पूनम थोड़ी संयत हुई तो नेहा उसको लेकर जाने लगी तो मैंने उसको बताया कि आती बार बस में जेनी नाम की लड़की मिली थी जो मेरे साथ वाली सीट पर बैठी थी और वो भी हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है, मैंने उसको कहा कि आज रात को बाकी साथियों से पूछ कर उसको भी ले लेते हैं अपने ग्रुप में! क्यों नेहा?
नेहा बोली- ठीक है सतीश, अगर तुम पांच गायों को हरा कर सकते हो तो हमें क्या ऐतराज़ हो सकता है. मिला देना उसको, बाकी बातें हम उससे कर लेंगे.मैं बोला- रुको तुम दोनों, वो मेरे साथ वाले कमरे में ही है मैं उसको बुला लाता हूँ.
मैंने साथ वाला कमरा खटखटाया और जेनी ने ही दरवाज़ा खोला और मुझको देख कर बोली- आओ सतीश.मैंने कहा- ज़रा मेरे कमरे में आओगी? ग्रुप की हेड आई है, अगर तुम चाहो तो उससे बात कर लो.जेनी बोली- ठीक है.
वो मेरे साथ चल पड़ी और मेरे कमरे में उसकी मुलाकात नेहा और पूनम से करवा दी.मैं होटल के रेस्टोरेंट में गया और 6 कप चाय का आर्डर दे आया.
जब चाय आई तो मैंने पूनम से कहा कि वो बाकी लड़कियों को भी बुला ले, सब मिल कर चाय पिएंगे.
हम 4 घंटे में आगरा के उस होटल में पहुँच गए जहाँ हम सबको ठहरना था.अब फिर मुझको और रेनू को कमरे बांटने का काम सौंप दिया गया. हम दोनों ने फिर से कमरे वैसे ही बांटे जैसे दिल्ली में और इस बार भी एक लड़का अपने रिश्तेदारों के घर रहने चला गया मैडम से पूछ कर!वो कमरा फिर से मैंने अपने नाम कर दिया.
नहा धोकर सब आगरा घूमने के लिए तैयार हो गए और फिर बस में बैठ कर हम निकल पड़े. सब दर्शनीय स्थानों को देखने के बाद हम शाम को होटल लौटे.सब बहुत ही थके हुए थे और अपने कमरों में जाकर आलखन करने लगे.
मैं अकेला ही था अपने कमरे में तो थोड़ी देर के लिए लेट गया लेकिन थोड़ी बाद दरवाज़ा खटका और जब खोला तो पूनम खड़ी थी.मैंने कहा- अंदर आ जाओ!जैसे ही वो अन्दर आई, मैंने उसको बाहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसके लबों पर चुम्मियों की बौछार कर दी.मैं भूखे शेर की तरह उसके मुम्मों को ब्लाउज के बाहर से ही चूमने लगा और उसके चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगा और उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और आँखों ही आँखों में उससे पूछा- हो जाए कुछ?उस ने भी सर हिला कर अपनी रज़ामंदी दे दी.
अब मैंने अपनी पैंट के बटन खोल कर लंड को बाहर निकाल कर उसके हाथों में रख दिया और खुद उसकी सिल्क की साड़ी को ऊपर उठा कर उसको बेड पर हाथों के बल झुकने के लिए कहा.जैसे ही पूनम उस पोजीशन में आई, मैंने अपने अकड़े हुए लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर ज़ोर का धक्का मारा और लंड फच की आवाज़ से अंदर चला गया.
अब मैं थोड़ा पीछे हटा और उसकी गोरे चूतड़ों को हाथ से सहलाता हुआ लंड घिसाई में लग गया क्यूंकि मैंने पूनम को 2-3 दिन से नहीं चोदा था तो मेरा लौड़ा और मैं स्वयं उसको बहुत मिस कर रहे थे.अब लंड महाशय को भी जानी पहचानी चूत में बहुत आनन्द आने लगा और वो भी बड़े प्रेम से धक्के मारने लगा लेकिन मुझको भी ज़रा डर था कि कोई आ न जाए और हमारे पवित्र काम में विघ्न न डाले सो मैं तेज़ धक्केशाही में लग गया.
पूनम भी 2 दिन से चुदाई की भूखी थी, वो भी जल्दी ही चरम सीमा पर पहुँचने वाली हो गई थी और मेरे तेज़ धक्कों का जवाब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके देने लगी.हम चुदाई में इतने मस्त थे कि हम दोनों ने देखा ही नहीं कब नेहा दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गई थी और वो मेरे तेज़ी से दौड़ते चूतड़ों को हल्के से हाथ लगाने लगी थी.पहले तो मैं चौंका कि यह कौन अंदर आ गया है और डर के मारे मेरी सांस ऊपर नीचे होने लगी लेकिन जब मुझको महसूस हुआ कि वो नेहा ही है तो मैंने कुछ राहत की सांस ली और पूनम की चुदाई जारी रखी.लेकिन पूनम को अभी भी मालूम नहीं हुआ था कि कमरे में कोई आ गया है.
मैंने नेहा को चुप रहने का इशारा किया और चुदाई की स्पीड और तेज़ कर दी और जल्दी ही मुझको लगा कि पूनम कुछ देर में छूटने वाली है. फिर जब मैंने कुछ बड़े ही तेज़ और गहरे धक्के मारे तो पूनम का शरीर एक प्यारी से झनझनाहट के बाद एकदम ढीला पड़ गया और वो पलंग पर पसर गई.मैंने लंड पूनम की चूत से निकाला तो उसको नेहा जो मेरे पीछे खड़ी थी उसके हाथ में दे दिया.
मैंने नेहा को एक ज़ोर से जफ़्फ़ी मारी और उसको होटों पर गर्म चुम्मी की और पूछा- अभी करवाना है या बाद में?वो बोली- अभी नहीं, मैं बहुत थक चुकी हूँ रात को देखेंगे. लेकिन अभी थोड़ी किसिंग और हग्गिंग कर लेते हैं.फिर हम दोनों एक दूसरे को बड़ी हॉट किसिंग और जफ़्फ़ी मारते रहे और साथ में एक दूसरे के अंगों से भी खेलते रहे.
जब पूनम थोड़ी संयत हुई तो नेहा उसको लेकर जाने लगी तो मैंने उसको बताया कि आती बार बस में जेनी नाम की लड़की मिली थी जो मेरे साथ वाली सीट पर बैठी थी और वो भी हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है, मैंने उसको कहा कि आज रात को बाकी साथियों से पूछ कर उसको भी ले लेते हैं अपने ग्रुप में! क्यों नेहा?
नेहा बोली- ठीक है सतीश, अगर तुम पांच गायों को हरा कर सकते हो तो हमें क्या ऐतराज़ हो सकता है. मिला देना उसको, बाकी बातें हम उससे कर लेंगे.मैं बोला- रुको तुम दोनों, वो मेरे साथ वाले कमरे में ही है मैं उसको बुला लाता हूँ.
मैंने साथ वाला कमरा खटखटाया और जेनी ने ही दरवाज़ा खोला और मुझको देख कर बोली- आओ सतीश.मैंने कहा- ज़रा मेरे कमरे में आओगी? ग्रुप की हेड आई है, अगर तुम चाहो तो उससे बात कर लो.जेनी बोली- ठीक है.
वो मेरे साथ चल पड़ी और मेरे कमरे में उसकी मुलाकात नेहा और पूनम से करवा दी.मैं होटल के रेस्टोरेंट में गया और 6 कप चाय का आर्डर दे आया.
जब चाय आई तो मैंने पूनम से कहा कि वो बाकी लड़कियों को भी बुला ले, सब मिल कर चाय पिएंगे.