XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 18 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

आगरा में एक रात

हम 4 घंटे में आगरा के उस होटल में पहुँच गए जहाँ हम सबको ठहरना था.अब फिर मुझको और रेनू को कमरे बांटने का काम सौंप दिया गया. हम दोनों ने फिर से कमरे वैसे ही बांटे जैसे दिल्ली में और इस बार भी एक लड़का अपने रिश्तेदारों के घर रहने चला गया मैडम से पूछ कर!वो कमरा फिर से मैंने अपने नाम कर दिया.
नहा धोकर सब आगरा घूमने के लिए तैयार हो गए और फिर बस में बैठ कर हम निकल पड़े. सब दर्शनीय स्थानों को देखने के बाद हम शाम को होटल लौटे.सब बहुत ही थके हुए थे और अपने कमरों में जाकर आलखन करने लगे.
मैं अकेला ही था अपने कमरे में तो थोड़ी देर के लिए लेट गया लेकिन थोड़ी बाद दरवाज़ा खटका और जब खोला तो पूनम खड़ी थी.मैंने कहा- अंदर आ जाओ!जैसे ही वो अन्दर आई, मैंने उसको बाहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसके लबों पर चुम्मियों की बौछार कर दी.मैं भूखे शेर की तरह उसके मुम्मों को ब्लाउज के बाहर से ही चूमने लगा और उसके चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से ही सहलाने लगा और उसका हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और आँखों ही आँखों में उससे पूछा- हो जाए कुछ?उस ने भी सर हिला कर अपनी रज़ामंदी दे दी.

अब मैंने अपनी पैंट के बटन खोल कर लंड को बाहर निकाल कर उसके हाथों में रख दिया और खुद उसकी सिल्क की साड़ी को ऊपर उठा कर उसको बेड पर हाथों के बल झुकने के लिए कहा.जैसे ही पूनम उस पोजीशन में आई, मैंने अपने अकड़े हुए लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर ज़ोर का धक्का मारा और लंड फच की आवाज़ से अंदर चला गया.
अब मैं थोड़ा पीछे हटा और उसकी गोरे चूतड़ों को हाथ से सहलाता हुआ लंड घिसाई में लग गया क्यूंकि मैंने पूनम को 2-3 दिन से नहीं चोदा था तो मेरा लौड़ा और मैं स्वयं उसको बहुत मिस कर रहे थे.अब लंड महाशय को भी जानी पहचानी चूत में बहुत आनन्द आने लगा और वो भी बड़े प्रेम से धक्के मारने लगा लेकिन मुझको भी ज़रा डर था कि कोई आ न जाए और हमारे पवित्र काम में विघ्न न डाले सो मैं तेज़ धक्केशाही में लग गया.
पूनम भी 2 दिन से चुदाई की भूखी थी, वो भी जल्दी ही चरम सीमा पर पहुँचने वाली हो गई थी और मेरे तेज़ धक्कों का जवाब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करके देने लगी.हम चुदाई में इतने मस्त थे कि हम दोनों ने देखा ही नहीं कब नेहा दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गई थी और वो मेरे तेज़ी से दौड़ते चूतड़ों को हल्के से हाथ लगाने लगी थी.पहले तो मैं चौंका कि यह कौन अंदर आ गया है और डर के मारे मेरी सांस ऊपर नीचे होने लगी लेकिन जब मुझको महसूस हुआ कि वो नेहा ही है तो मैंने कुछ राहत की सांस ली और पूनम की चुदाई जारी रखी.लेकिन पूनम को अभी भी मालूम नहीं हुआ था कि कमरे में कोई आ गया है.
मैंने नेहा को चुप रहने का इशारा किया और चुदाई की स्पीड और तेज़ कर दी और जल्दी ही मुझको लगा कि पूनम कुछ देर में छूटने वाली है. फिर जब मैंने कुछ बड़े ही तेज़ और गहरे धक्के मारे तो पूनम का शरीर एक प्यारी से झनझनाहट के बाद एकदम ढीला पड़ गया और वो पलंग पर पसर गई.मैंने लंड पूनम की चूत से निकाला तो उसको नेहा जो मेरे पीछे खड़ी थी उसके हाथ में दे दिया.
मैंने नेहा को एक ज़ोर से जफ़्फ़ी मारी और उसको होटों पर गर्म चुम्मी की और पूछा- अभी करवाना है या बाद में?वो बोली- अभी नहीं, मैं बहुत थक चुकी हूँ रात को देखेंगे. लेकिन अभी थोड़ी किसिंग और हग्गिंग कर लेते हैं.फिर हम दोनों एक दूसरे को बड़ी हॉट किसिंग और जफ़्फ़ी मारते रहे और साथ में एक दूसरे के अंगों से भी खेलते रहे.
जब पूनम थोड़ी संयत हुई तो नेहा उसको लेकर जाने लगी तो मैंने उसको बताया कि आती बार बस में जेनी नाम की लड़की मिली थी जो मेरे साथ वाली सीट पर बैठी थी और वो भी हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है, मैंने उसको कहा कि आज रात को बाकी साथियों से पूछ कर उसको भी ले लेते हैं अपने ग्रुप में! क्यों नेहा?
नेहा बोली- ठीक है सतीश, अगर तुम पांच गायों को हरा कर सकते हो तो हमें क्या ऐतराज़ हो सकता है. मिला देना उसको, बाकी बातें हम उससे कर लेंगे.मैं बोला- रुको तुम दोनों, वो मेरे साथ वाले कमरे में ही है मैं उसको बुला लाता हूँ.
मैंने साथ वाला कमरा खटखटाया और जेनी ने ही दरवाज़ा खोला और मुझको देख कर बोली- आओ सतीश.मैंने कहा- ज़रा मेरे कमरे में आओगी? ग्रुप की हेड आई है, अगर तुम चाहो तो उससे बात कर लो.जेनी बोली- ठीक है.
वो मेरे साथ चल पड़ी और मेरे कमरे में उसकी मुलाकात नेहा और पूनम से करवा दी.मैं होटल के रेस्टोरेंट में गया और 6 कप चाय का आर्डर दे आया.
जब चाय आई तो मैंने पूनम से कहा कि वो बाकी लड़कियों को भी बुला ले, सब मिल कर चाय पिएंगे.

 
शाम के 7 बजे थे सो सब अपनी थकावट मिटाने की कोशिश में थे, चाय को देख कर सब बड़ी खुश हुईं.फिर हमने साथ लाये हुए बिस्कुट और केक्स खाए और गर्म चाय पी जिसके बाद सब में थोड़ी चुस्ती आ गई.जेनी को भी सबकी रज़ामंदी से हमारे ग्रुप में शामिल कर लिया गया.
नेहा ने कहा- आज चुदाई का प्रोग्राम कैसे बनाया जाए? कैसे कुछ नयापन लाया जाए?सब लड़कियाँ सोचने लगी फिर जस्सी बोली- क्यों न हम सब फैंसी ड्रेस पहन कर आएँ और सतीश जिसको पहचान लेगा उसी के साथ वो करेगा. क्यूँ कैसा है यह?नेहा और डॉली बोली- हमको यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सब एक होटल में जहाँ हमारे साथ दूसरे स्टूडेंट्स भी हैं और प्रोफेसर्स भी हैं. जो हम करें उसमें कम से कम शोर होना चाहिए और किसी का ख्वामखाह में ध्यान अपनी और आकर्षित नहीं करना चाहिए.
मैं बोला- शाबाश डॉली और जस्सी, तुम दोनों बिल्कुल ठीक कह रही हो. हमको चुपचाप काम करना चाहिए और इसलिए हमको कोई ऐसी हरकत नहीं करनी है जिससे बाकी विद्यार्थी डिस्टर्ब हों. मैं सोचता हूँ हम अपने अपने कमरे में ही रहें और एक एक करके तुम सब मेरे कमरे में आ जाना और सरकारी सांड की पूँछ हिला कर अपना काम करवा लेना.सब बोली- यह ठीक है.
मैं बोला- यह ग्रुप सेक्स हम सब लखनऊ में मेरी कोठी में भी कर सकते हैं जहाँ जैसे हम चाहें वैसे ही करने में हम को कोई नहीं रोक सकता.सब लड़कियों ने हाँ में सर हिला दिया.
मैं फिर बोला- आज बारी बारी से तुम मेरा देह शोषण करना और नेहा की ड्यूटी लगाई जायेगी कि वो ‘हर लड़की ने कितने धक्के मेरे ऊपर बैठ कर मुझको!’ मारे इसका रिकॉर्ड रखती जाएगी. आज सबसे पहले बारी होगी जेनी की जो ग्रुप में नई है. ठीक?सबने ज़ोर से कहा- यस सर!
खाना खाने के बाद हम में से कुछ ताजमहल को चांदनी रात में देखने के लिए चले गए और बाकी सब अपने कमरों में आ गए.हमारे ग्रुप में से कोई भी ताजमहल नहीं गया रात को!होटल के हाल में तरह तरह की गेम्स रखी थी, सब उन को खेलने लगे और कुछ होटल के लॉन में घूमने लगे.मैं और पूनम होटल के लॉन में बेंच पर बैठ कर बातें करने लगे.
वहाँ एक अँगरेज़ जोड़ा भी बैठा था और वो खूब एक दूसरे को किसिंग और जफ़्फ़ी डाल रहे थे और अंग्रेज़ का एक हाथ उसकी साथी की स्कर्ट के अंदर गया हुआ था.यह मैंने पूनम को बताया और यह खुले आम होते देख कर दंग रह गई.तब मैंने पूछा- क्या चूत में यह देख कर कुछ हरकत हुई?
वो बोली- हो तो रही है लेकिन तुमने आज दिन को मेरी खुजली काफी मिटा दी थी. सच्ची सतीश, तुम एक दो दिन मुझको नहीं चोदते तो मैं एकदम अधूरी महसूस करती हूँ.मैं बोला- यही हाल मेरा होता है यार पूनम, तुम जब देती हो न तो दिल खोल कर देती हो, और ऐसा लगता है कि हम दोनों एक दूसरे के पति पत्नी हैं.
फिर हम दोनों मेरे कमरे में आ गए और वहाँ पहुँच कर मैंने पूनम को फिर से पकड़ लिया और उसके होटों पर चुम्बन करने लगा.थोड़ी देर में नेहा और बाकी सब भी वहाँ आ गए.सब लड़कियों ने अपनी नाईट ड्रेस पहनी हुई थी, वो वहाँ आकर बारी बारी से मुझको किस करने लगी.मैंने भी जेनी को उसके लबों पर एक ज़ोरदार किस की और उसके सारे शरीर पर हाथ फेरने लगा. खासतौर से उसके मुम्मों को उन्मुक्त करने की कोशिश करने लगा और इस काम में मुझको जस्सी भी मदद कर रही थी और डॉली जेनी के चूतड़ों पर हाथ फेर रही थी.
नेहा ने आगे बढ़ कर उसकी नाईट ड्रेस को उसके सर के ऊपर से उतार दिया और सब लड़कियाँ इस नई लड़की के शरीर के गठन देख कर हैरान हो रही थी.रंग सांवला ज़रूर था और शरीर का रंग भी थोड़ा मटमैला था लेकिन शरीर के हर अंग की बनावट देख कर सब लड़कियों विस्मित हो रही थी.सबसे पहले नेहा ने उसको लबों पर किस की और यह देख कर सब लड़कियाँ भी उसके शरीर को छूने लगी, उसके गोल और उन्नत उरोजों के साथ खेलने और उनको चूमने लगी.
यह देख कर मैंने भी अपने कपड़ों की तरफ देखा और जस्सी ने झट आगे बढ़ कर उनको उतारना शुरू कर दिया.जब मेरे लौड़ा पैंट की गिरफ़्त से आज़ाद हुआ तो उसका मुंह सिर्फ जेनी की तरफ ही था.मैंने नेहा की तरफ देखा और उसने हामी में सर हिला दिया और फिर मैंने जेनी को अपनी बाहों में भर लिया उसके गर्म गर्म होटों पर एक बहुत ही गहरी चुम्मी जड़ दी.
मैंने जेनी को अपनी बाँहों में उठा लिया, उसको लेकर मैं बिस्तर पर आ गया.नेहा ने बाकी लड़कियों को इशारा किया और वो एक दूसरी के साथ शुरू हो गईं.मैंने जेनी को लिटा दिया और उसके मुम्मों को चूसने लगा और उसके गले के नीचे भी चूमना शुरू कर दिया.जस्सी जेनी की चूत के साथ खेल रही थी और डॉली जस्सी के मम्मों को चूस रही थी और उधर डॉली और नेहा आपस में लगी हुई थी.

 
मैंने जेनी की गोल और गुदाज़ जांघों को खोला और उनके बीच बैठ गया, लंड को जेनी की चूत के ऊपर रख कर धीरे धीरे उसको अंदर धकेलने लगा. जब वो पूरा अंदर चला गया तो मैं जेनी की टाइट चूत में लंड को धीरे से अंदर बाहर करने लगा.जेनी की चूत एकदम गीली हो चुकी थी और वो सुबह वाली चूत से दोगुना गीली और लचकीली थी.
मेरा लंड एक बिगड़े हुए घोड़े के समान चुदाई में लगा था और बगैर किसी की परवाह किये धक्के पे धक्के मार रहा था. जेनी एक बार छूट चुकी थी और दूसरी बार भी छूटने की कगार पर थी. वो नीचे से बराबर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी लेकिन जब मैंने फुल स्पीड धक्कों की रेलगाड़ी चलाई तो उसके धक्के थम गए और सिर्फ मेरे लंड का अंदर बाहर होना ही दिख रहा था, पूनम मेरे चूतड़ों को दबा दबा कर पूरा अंदर जाने का इशारा कर रही थी.
कुछ और धक्कों के बाद ही जेनी की दोनों टांगें मेरी कमर के इर्दगिर्द फ़ैल गई थी और मुझको अपने गिरफ्त में जकड़ लिया था.जेनी का जब दुबारा छूटा तो वो एकदम से कांप उठी और बड़ी देर तक उसका शरीर कंपकंपी करता रहा.
अब मैं पलंग पर लेट गया और नेहा को इशारा किया कि वो सब बारी बारी मेरा चोदन करने के लिए तैयार हो जाएँ.जेनी की हॉट चुदाई के बाद सारी लड़कियाँ चुदने के लिए बहुत ही अधिक उतावली हो रहीं थी, सबसे पहले डॉली उतरी मैदान में और पूनम और जस्सी उसको तैयार करने में लग गई, एक उसके मुम्मों को चूसने में लग गई और दूसरी उसके चूतड़ों के साथ खेलने लगी.
जब वो काफी गीली हो गई तो उसको मेरे ऊपर बिठा दिया दोनों ने मिल कर.मैंने नेहा को इशारा किया कि वो सब कपड़े पहन कर बैठें ताकि अगर मैडम चेकिंग पर आती है तो उसको सब नार्मल मिले और मेरे बैग से ताश का पैकेट भी निकाल लें और उसको खेलने के लिए तैयार रहें.
इधर डॉली मेरे ऊपर बैठ कर ऊपर से धक्के मारने लगी लेकिन उसकी कोशिश नाकाम हो रही थी क्यूंकि उसने पहले कभी ऐसे किया नहीं था तो मैंने उसकी मदद करने के लिए नीचे से खुद ही अपना चोदन शुरू कर दिया यानि ज़्यादा धक्के मैंने नीचे से मारने लगा.थोड़ी देर में डॉली ऊपर से चुदाई को समझ गई और वो अब अपने आप मुझको चोदने लगी और मैं भी नीचे से तेज़ धक्के मारने लगा था.
साथ ही मैं उसकी चूत में ऊँगली, उसकी भग को रगड़ने लगा था और इस दोतरफा अटैक को डॉली जो वैसे भी कॅाफ़ी गर्म हो चुकी थी ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकी और जल्दी ही स्खलित हो कर मेरे ऊपर ही लेट गई.
थोड़ी देर विश्राम के बाद मैं उठा और अपने कपड़े पहन कर बैठ गया और लड़कियों को कहा- नीचे एक चादर बिछा लो, हम सब बैठ कर ताश खेलते हैं.नेहा ने सवालिया नज़र से मुझको देखा तो मैंने उसको बताया- मुझको ऐसा लगता है आज शायद मैडम कमरों की चेकिंग के लिए आ जाएँ तो तैयार रहना चाहिए. मुझको एक दो कमरे खुलने और बंद होने की आवाज़ आई थी तो एहितयात के तौर पर हम ऐसा कर लेते हैं और बाद में चुदाई प्रोग्राम फिर शुरू कर देंगे.
मैंने कहा- ताश खेलने के साथ हम बातें भी करते जाते हैं. तो चलो यह बताओ कि सबसे पहले सेक्स किस के साथ और कब किया अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो तो? जेनी तुम सबसे पहले बताओ.जेनी बोली- सबसे पहले मेरे साथ एक दूर के एक कजिन ने सेक्स किया. वो ऐसे हुआ कि मेरा कजिन बॉम्बे से अल्मोड़ा घूमने आया हुआ था और हमारे घर ही ठहरा हुआ था, देखने में काफी हैंडसम और तेज़ तरार लड़का लग रहा था लेकिन मुझ पर रोज़ ही लाइन मारता था और मैं उसको अक्सर ज़्यादा भाव नहीं देती थी. लेकिन एक दिन जब मैं बाथरूम में नहाने गई तो मुझसे बाथरूम का दरवाज़ा लॉक करना छूट गया और जब मैं शरीर में साबुन लगा रही थी वो दरवाज़ा खोल कर अंदर आ गया और मुझको अपनी बाहों में उठा कर बेड रूम में ले आया. इससे पहले मैं सम्भल पाती, वो मेरे ऊपर चढ़ बैठा और मेरी कौमार्य की झिल्ली तोड़ कर मुझको चोद डाला साले ने!यह कह कर वो उदास हो गई लेकिन हम सबने उसको तसल्ली दी कि यह तो होना ही था एक दिन!
इतने में मेरे कमरे का दरवाज़ा खटका और मैंने फ़ौरन उठ कर दरवाज़ा खोल दिया तो बाहर दोनों मैडम खड़ी थी.मैंने कहा- आइये मैडम जी!दोनों धड़धड़ाती हुई कमरे में आ गई और लड़कियों और मुझको देख कर हंस पड़ी और बोली- यह चांडाल चोकड़ी क्या कर रही है?मैं बोला- कुछ नहीं, ताश खेल रहे थे और और गपशप मार रहे थे.निर्मल मैडम बोली- कहीं जुआ तो नहीं खेल रहे थे तुम सब?मैं बोला- यस मैडम, जुआ तो चल रहा है, जो हारेगा या फिर हारेगी उसको एक एक कोका कोला की बोतल देनी होगी हम सबको!मैंने टेबल पर पड़ी 10-12 बोतलों की तरफ इशारा कर दिया.

 
दोनों मैडम बोतलों को देख कर हंसने लगी.मैंने कहा- क्यों मैडम जी, एक एक कोकाकोला हो जाए दोनों के लिए?दोनों मैडम हंस पड़ी और वापस जाते हुए बोली- वेरी गुड सतीश, तुम एक अच्छे लीडर और दोस्त भी हो! कैरी ऑन!
मैं उनको दरवाज़े तक छोड़ कर दरवाज़ा बंद कर के वापस वहीं बैठ गया और मेरे साथ बैठी पूनम को मैंने एक गहरी जफी मारी और उसके होटों को चूम लिया और बोला- पून्नो, बाल बाल बचे आज तो! नहीं तो हम सब की बेइज़्ज़ती हो जाती. चलो आओ चुदाई करें.
यह सुन कर सब लड़कियाँ खूब हंस पड़ी और मैंने अब जस्सी को घेर लिया और कहा- ड्रेस मत उतारो, वैसे ही तुम्हारी ले लेते हैं, ले लूँ क्या तुम्हारी?जस्सी भी बनती हुई बोली- क्या लेना चाहते हो मेरी सतीश राजा?मैं भी शरारत के लहजे में बोला- वही जो तुम आगे चल कर अपने हसबंड को दोगी, उसमें से थोड़ी सी मुझको दे दो ना प्लीज?
सब लड़कियाँ जस्सी के पीछे पड़ गई और हंस कर कहने लगी- दे दो ना ज़ालिम जस्सी, जो सतीश मांग रहा है, नहीं तो हम दे देंगी अपनी उसको!जस्सी ने मुंह बनाते हुए अपनी ड्रेस को ऊपर किया और पलंग के ऊपर झुक गई और मैंने उसके पीछे खड़ा होकर अपने खड़े लंड को उसकी चूत में डाल दिया और शुरू में धीरे और फिर तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा.उसके चूतड़ों पर हलकी हल्की थपकी मारते हुए मैंने उसको चरम सीमा पर पहुंचा दिया और जब वो झड़ी तो मैंने उसको कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी कम्कम्पी महसूस करने लगा.
उसके बाद नेहा का नंबर लगा और उसको भी उसी पोजीशन में मैंने प्यार से और पूरे अख्तयार से ज़ोरदार चोदा.
जब वो घुड़सवार भी गिर गई तो बारी पूनम की आई और वो कहने लगी- मैं तो घोड़ी चोदन पोजीशन में चुदवाऊँगी.भला मुझको क्या ऐतराज़ हो सकता था, वो फ़ौरन बेड पर घोड़ी बन गई और बाकी लड़कियाँ मुझको दूल्हे के रूप में सजाने की कोशिश करने लगी और जस्सी की नकली चोटी को मेरे माथे में बाँध कर वो बाकायदा नकली बैंड बजाती हुए मुझको घोड़ी तक ले गई लेकिन तब तक घोड़ी खुद हंसी के मारे लोटपोट हो रही थी तो कहाँ और कौन सी घोड़ी पर चढ़ना है, यह भी समझ नहीं आ रहा था.
वहाँ एक पुरानी माला पड़ी थी, जेनी ने उसको मेरे खड़े लंड के ऊपर डाल दी और क्यूंकि घोड़ी अभी भी हंस रही थी, तो वो सब मुझको पकड़ कर कमरे का एक और चक्कर लगाने लगी.जब वापस पहुँचे तो घोड़ी नार्मल हो चुकी थी, 4 लड़कियों ने मुझको उसके ऊपर बैठाने की कोशिश की लेकिन मैंने कहा- मैं खुद बैठ जाऊँगा, अब मेरी सुहागरात शुरू हो रही है, सब मेहमान घर जाएँ.
पूनम की सवारी करते हुए मैंने दो बार गिरने का नाटक किया और फिर लंड को चूत के मुंह पर रख कर ज़ोर का धक्का मार और जस्सी के मुंह से आवाज़ निकली- मार डाला साले ने उफ्फ्फ मेरी माँ!मैं भी मज़ाक में बोला- अगर दर्द हो रहा हो तो निकाल लूँ क्या?
अब नेहा को कहा- धक्कों की गिनती करती जाओ ताकि पूनम की डिग्री में यह स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाए कि- यह छात्रा 101 नंबरों से पास हुई.तब सब लड़कियाँ धीरे धीरे धक्कों की गिनती बोलती रही और जब मेरी स्पीड बहुत तेज़ हो गई तो धक्कों की गिनती कर पाना मुश्किल हो गया और जस्सी अब पूनम के चूतड़ों पर ज़ोर ज़ोर से हाथों की थपकी भी मार रही थी.थोड़ी देर में 110 की गिनती के बाद पूनम धराशयी हो गई और उसकी चूत ने अपनी हार मान ली.
इस तरह आगरा की वो रात समाप्त हुई और अगले दिन का प्रोग्राम केवल आगरा शहर घूमने का था तो जल्दी उठने की कोई बंदिश नहीं थी.मैं लड़कियों को उनके कमरों में छोड़ कर वापस आकर गहरी नींद में सो गया.

कहानी जारी रहेगी

 
ट्रेन में शमा और रूबी की चूत चुदाई

इस तरह आगरा की वो रात समाप्त हुई और अगले दिन का प्रोग्राम केवल आगरा शहर घूमने का था तो जल्दी उठने की कोई बंदिश नहीं थी. मैं लड़कियों को उनके कमरों में छोड़ कर वापस आकर गहरी नींद में सो गया.
अगले दिन नाश्ता करके हम सब अलग अलग आगरा शहर घूमने के लिए निकल गए लेकिन हमारा ग्रुप एक साथ था, हम सब टैक्सी करके शहर के खास खास बाज़ारों में घूमने चल दिए.
जेनी मुझसे बहुत खुश थी और बार बार वो मेरे पास आने की कोशिश कर रही थी और जब भी अवसर मिलता वो मेरे पास आ जाती और अपने मुम्मों को मेरे बाज़ू के साथ स्पर्श करवा देती और यह मुझ को बहुत ही अच्छा लगता था.मैं भी कोई मौका नहीं छोड़ता उसके चूतड़ों को हाथ लगाने में और उसकी रेशमी साड़ी पर मेरा हाथ उसके गोल गोल नितम्बों पर फिसल जाता था.यह खेल बहुत ही चुपचाप चल रहा था.

सब लड़कियाँ एक चूड़ी वाले की दूकान पर जा कर रुक गई और चूड़ियाँ पसंद करने में लग गई, मैं जेनी के पीछे खड़ा होकर उसको चूड़ियों के रंगों के बारे में बता रहा था और हर बार मेरा लौड़ा जेनी के चूतड़ों में जाकर लगता था चाहे वो जाने या फिर अनजाने में ही हो लेकिन मैंने महसूस किया कि जेनी को यह अच्छा लग रहा था.
कुछ लड़कियाँ साड़ी की दूकान पर जाकर खड़ी हो गई और नए ढंग की साड़ियाँ देखने लगी लेकिन पूनम बेचारी पीछे पीछे ही खड़ी रहती थी क्यूंकि मुझको लगता था कि उसके पास शायद पैसे नहीं थे.मैं उसके पास गया और उसके कान में कहा- पूनम महारानी, जो पसंद हो वो खरीद लो, पैसों की फ़िक्र ना करो मैं हूँ ना?वो बोली- वो तो ठीक है, लेकिन तुमको तो चुकाने पड़ेंगे ना, आज नहीं तो कल, इसलिए जिस वस्तु के पैसे पास ना हों, उसकी कभी ना इच्छा करो, यह मेरी माँ ने मेरे कान में डाल रखा है. तो सतीश राजा, तुम बेफिक्र रहो, हमको जब ज़रूरत होगी तो ज़रूर मांग लेंगे.
मैं बोला- अच्छा तो ठीक है, तुम यहाँ से मेरी होने वाली दुल्हन के लिए तो साड़ी पसंद कर सकती हो न?पूनम बोली- तुम्हारी होने वाली दुल्हन? कौन है? कहाँ है? बताओ तो सही?मैं उसके कान फिर बोला- मम्मी जी ने चुन रखी है! तुम मेरा कहा मान कर उसके लिए एक सुंदर सी साड़ी चुन लो जो तुमको पसंद हो!तब पूनम ने एक बहुत ही सुंदर साड़ी पसंद कर ली और मैंने उसके पैसे चुका दिए.
अभी थोड़ी दूर आगे गए होंगे कि दो अपने ही कॉलेज की लड़कियाँ भी मिल गई, उन्होंने मुझको घेर लिया, कहने लगी- सतीश यार तुम तो आजकल कॉलेज में छाए हुए हो और लड़कियों में ख़ास तौर पर बहुत पॉपुलर हो रहे हैगो.मैं भी बोला- यह कैसे कह रहे हैगो? कौन सी लड़की के साथ में बहुत ही पॉपुलर हो रिया हैगो?
पहले वाली लड़की बोली- अच्छी नक़ल लगा लेते हो सतीश… लेकिन मुख्य बात को टालो नहीं, कभी हमारे साथ भी तो पॉपुलर होकर देखो ना यार?मैं बोला- सच कह रही हो तुम? अगर यह सच है तो आज रात में ट्रेन में पॉपुलर हो जाते हैं तुम्हारे साथ भी! आप दोनों ने अपना नाम तो बताया ही नहीं? बताओ बिना नाम के कैसे पॉपुलर हो जा रहे हैगो?
मेरी नकलबाज़ी से दोनों लड़कियाँ हंस पड़ी और बोली- मेरा नाम रूबी है और इसका नाम शमा है और हम दोनों तुम्हारे ही कॉलेज में इंटर के दूसरे साल में हैं.मैं बोला- ठीक है, आज रात को ट्रेन में अपनी पॉपुलैरिटी का टेस्ट कर लेते हैं, क्यों?दोनों ने हंस कर कहा- ठीक है… लेकिन यह तो तुमने बताया नहीं कि इस टेस्ट में क्या करना होता है?मैं बोला- हम सब इस टेस्ट में एक दूसरे को कहानी और जोक्स सुनाते हैं और खूब हँसते खेलते हैं, बस यही होता है पॉपुलैरिटी टेस्ट.
दोनों के चेहरे लटक गए उदासी में और फिर रूबी बोली- लेकिन मैंने तो सुना था कि आपके साथ बहुत कुछ होता है?मैं अब मज़े लेने लगा था, मैंने बिल्कुल अनजान बनते हुए कहा- मेरे साथ बहुत कुछ क्या होता है? यह नहीं बताया गया था आप सब को?रूबी बोली- यही मौज मस्ती!!मैं बोला- अच्छा मौज मस्ती? हाँ वो तो बहुत होता है हमारे साथ हम सब मिल कर खूब मौज मस्ती करते हैं जैसे कल कि रात ही हम 4-5 लड़के लड़कियों ने मिल कर छुपन छुपाई खेली थी फिर ‘आई स्पाई’ जैसी गेम भी खेली थी. आप खेलना चाहोगी हमारे साथ ये गेम्स?
रूबी मेरे को घूर कर देखने लगी, शायद उसको शक हो गया था कि मैं उसके साथ मज़ाक कर रहा था.तब शमा बोल पड़ी- हमने तो यह सुना है कि आप सब मिल कर सेक्स जैसी गेम्स भी खेलते हो?

 
अब मैं गंभीर हो गया और बोला- मैं नहीं जानता, यह सब तुम को कहाँ से पता चला है लेकिन अगर आप के मन में सेक्स जैसी किसी गेम को खेलने की इच्छा है तो साफ़ साफ़ कहिये न, यूं घुमा फिरा कर कहने में क्या फायदा?तब रूबी बोली- आप का मतलब है कि आप सेक्स करने के लिए तैयार हैं?मैं बोला- आप अगर तैयार हैं तो मैं भी तैयार हूँ और वैसे भी आप जैसी सुन्दर कन्याओं को देख कर सब को हो जाये प्यार तब भला कौन कर सकता है इंकार? अब बोलिए आप की क्या मर्ज़ी है?
शमा बोली- आपने तो सुना ही होगा कि ‘शमा तो जलती है हर रंग में सहर होने तक…’मैं बोला- आपका मतलब है कि आप रात से ले कर सुबह तक जलना चाहती है मेरे साथ?शमा ने चैलेंज भरी आवाज़ में कहा- क्या आप पूरी रात से लेकर सुबह तक शमा जला सकते हैं?मैं बोला- आप आज़मा कर तो देखिये, ज़रा करके तो देखिये और हमसे करवा कर तो देखिये? बोलिए क्या इरादा है? जल्दी कीजिये मेरे साथ आई 5-5 शमाएँ इधर ही आने वाली हैं.
रूबी ने उधर देखा जिधर पूनम, नेहा, जेनी, जस्सी और डॉली दूकान पर साड़ी देख रही थी.रूबी और शमा दोनों बोली एक साथ- हम तैयार हैं, बोलो क्या करना होगा?मैं बोला- मैं आप दोनों को एक 2 सीट वाला केबिन दिलवा दूंगा अगर आप आज रात ही शमा जलाना चाहती हों तो, नहीं तो लखनऊ जाकर देख लेंगे कब और कहाँ?
शमा बोली- ठीक है, मैं शमा तो आज रात ही अपनी शमा जलाना चाहती हूँ और तुम रूबी कब और कहाँ बोलो?रूबी बोली- जब शमा जलेगी तो भँवरे तो आएंगे ही, एक आधा मेरे हिस्से भी आ जाए तो बहुत अच्छा है. मेरी भी हाँ है आज रात को शमा के साथ जलने की!
मैं बोला- आज रात को 11-12 के बीच में प्रोग्राम रख लेते हैं अगर दोनों शमा जलने के लिए तैयार हों तो!दोनों एक साथ बोली- तैयार हैं मेरे मालिक, मेरे आका.मैं बोला- फिर मिलते हैं होटल में!यह कह कर मैं पूनम के पास खड़ा हो गया और कुछ ही मिनटों में उसने कह दिया- सतीश, निकालो 200 रूपए तुम्हारी होने वाली बीवी की दूसरी साड़ी खरीदी है.मैंने झट सो उसको 200 रूपए दे दिए और बाकी सब लकड़ियों ने भी कुछ न कुछ खरीदा था, सब लड़कियाँ ख़ुशी ख़ुशी से वापसी के लिए तैयार हो गई.
होटल में लंच करके मैं तो बहुत ही गहरी नींद में सो गया और फिर शाम को उठा तो स्टेशन जाने की तैयारी शुरू हो गई और हम सब 8 बजे आगरा स्टेशन पर पहुँच गये और ट्रेन तो खड़ी थी, उसमें सामान भी रखवा दिया.
जैसा कि आते समय केबिन बांटे थे, वैसे ही अब भी बाँट दिए लेकिन इस बार रूबी और शमा को एक अलग केबिन दे दिया था जो बिल्कुल मेरे साथ वाला केबिन था और बाकी लड़कियों को भी इसी तरह एडजस्ट कर दिया.मेरा दो सीट वाला केबिन सिर्फ मेरे अकेले के ही पास था क्योंकि एक लड़का जो अपने दादा दादी को मिलने गया था वो वापस नहीं जा सका क्यूंकि वो बीमार हो गया था.
मैं अपनी फ्रेंड्स को मिलने गया और पूछा- क्या प्रोग्राम है?तो सबने कहा कि वो बहुत थक चुकी हैं, आज रात का कोई प्रोग्राम नहीं है.थोड़ी देर मैं उनके पास बैठ कर अपने केबिन की तरफ वापस जाने लगा तो पूनम ने उठ कर मुझ को एक टाइट जफ़्फ़ी मार दी और मेरे होटों पर एक गर्म और जलती हुई किस कर दी, मैं भी उसको गोल गुदाज़ नितम्बों को थोड़ा मसलने लगा और फिर उसके मोटे मुम्मों की गर्मी महसूस करने लगा.तब नेहा बोली- बस करो पूनम अब बाकी घर जा कर लेना.
अब जाने के लिए तैयार हुआ तो जेनी ने घेर लिया और फिर सब बारी बारी से मुझको चूमने और जफ़्फ़ी डालने लगी.वहाँ से निकला तो शमा और रूबी के केबिन में भी गया. दोनों ने सलवर सूट पहन रखा था, उन दोनों ने भी मुझ को घेर लिया और खूब चूमाचाटा और बाहों में भींचा, मैंने महसूस किया कि शमा ज़्यादा खूबसूरत थी, रूबी उससे थोड़ी कम थी.शमा के मुम्मे और नितम्ब मोटे और उभरे हुए थे, शमा ज़्यादा सेक्सी और फ्रैंक थी और रूबी ज़रा सोच समझ कर बात करने वाली थी.

 
मैंने उनको धीरज रखने को कहा और फिर जल्दी से अपने केबिन में आ गया और थोड़ी देर बाद ही निर्मला मैडम मेरे केबिन में आ गई और बैठ कर बातें करने लगी.वो कह रही थी कि मैं नैना को याद दिला दूँ कि उनका काम अभी बाकी है और उस कार्यक्रम के बारे में वो उनसे फ़ोन पर बात कर ले.
यह कह कर वो उठी जाने के लिए और फिर मुड़ कर अपनी नर्म बाहों में मैडम ने मुझको जकड़ लिया और एक ज़ोर की जफ़्फ़ी और हॉट किस उसने मेरे होटों पर जड़ दी और फिर वो वहाँ से चली गई.
अब मैदान साफ़ था तो मैं चुपके से साथ वाले केबिन में दरवाज़ा खटका कर अंदर घुस गया. दोनों शमाएँ जलने जलाने के लिए तैयार बैठी थी, मैंने अंदर घुस कर केबिन का दरवाज़ा लॉक कर दिया.फिर वही सिलसिला किसिंग और गर्म गर्म जफ़्फ़ियों का शुरू हो गया लेकिन मैंने अब ज़्यादा समय ना गंवाते हुए थोड़ी जल्दी शुरू कर दी और शमा की सलवार खोलने लगा तो रूबी मेरी पैंट को उतारने में लग गई.
मैंने उनको कहा- कभी भी किसी के आ जाने का काफी खतरा है यहाँ, तो कम से कम कपड़े उतारे जाएँगे ताकि कोई आ जाये तो वापस पहनने में कोई दिक्क्त न हो.दोनों ने सर हिला कर हामी भर दी और रूबी जो मेरी पैंट खोल रही थी और जैसे ही वो मेरे अंडरवियर तक पहुँची तो वहाँ कच्छे में टेंट बना देख कर हंस पड़ी और शमा को बुला कर उसको भी हैरत से दिखाने लगी.शमा ने नीचे झक कर मेरे कच्छे को नीचे किया तो लंडम लाल एकदम उन्मुक्त होकर हवा में लहलहाने लगे.
शमा ने झट से लंड को मुंह में ले लिया और रूबी मेरे अंडकोष को चूमने लगी और मेरा भी हाथ खाली न रह कर शमा की बालों भरी चूत को टटोलने लगा.फिर मेरा दूसरा हाथ शमा के गोल गोल मुम्मों के ऊपर चला गया वो अभी भी कमीज से ढके हुए थे.रूबी ने शमा की कमीज और ब्रा को ऊपर कर दिया जिससे उसके गोल और सॉलिड मुम्मे मेरे सामने आ गए, मैंने अपना मुंह उसके मुम्मों को चूसने को लगा दिया और दूसरे हाथ से रूबी की चूत को सहलाने के लिए लगा दिया और वो एकुदम लबालब पानी से भरी हुई थी.दोनों ही शायद चुदाई के बारे में सोच सोच कर बहुत ही ज़्यादा गर्म हो चुकी थी और उन दोनों की चूत लपालप लंड लेने की इंतज़ार में थी..
मैं ने शमा को ऊपर किया और उसके कान में कहा- शमा जी आपकी शमा जलाएँ क्या?शमा बोली- हज़ूर, वो तो आपके लंड को देख कर ही जल रही है सो जल्दी से अपनी जलती हुई मशाल को शमा के हवाले कीजिये सरकार मेरी.मैं बोला- पेश है मशाल जो जलती रहे रात दिन!यह कह कर मैंने उसको उल्टा खड़ा किया और उसके दोनों हाथ सीट पर रख कर पीछे से लंड का निशाना साधा और एक धक्के में अपने लम्बे और मोटे लंड को शमा की चूत में डाल कर उसके अंदर की शमा को रोशन करने लगा.
रूबी भी अब अपनी कमीज और ब्रा ऊपर कर के अपने मस्त गुब्बारों को उड़ने ले लिए आज़ाद करने लगी. उसके उरोज भी अलमस्त और मदमस्त थे, देखते ही शराब का नशा सा आ गया आँखों में और चूचियों को सहला कर दोनों को मरहबा कहा मन ही मन!उसकी गांड पर हाथ फेरते हुए मन ही मन कहा- माशाल्ल्लाह क्या लुत्फ़ अन्दोज़ चीज़ें हैं यह दोनों उभरे हुए गोल गुंबद!और शमा शायद मन ही मन कह रही थी- वाह क्या मीनारे कुतब शाही है इसका लौड़ा. लम्बा और मोटा तो है ही और क्या तपते लोहे की सलाख है यह जौनपुरी केला जो खाए वो भी पछताए और जो ना खाए वो कभी ना समझ पाये.

 
शमा की चूत में अब काफी हलचल थी वो खुद आगे पीछे हो कर चुदाई की स्पीड को कंट्रोल कर रही थी और जब उसने इस काम में तेज़ी दिखाई तो मैं समझ गया कि यह किला फ़तेह होने में ज़्यादा वक्त नहीं लगेगा और मैंने अपना दायाँ हाथ उसकी चूत के अंदर उसकी भग मसलने की ड्यूटी पर लगा दिया.ऐसा करते ही शमा की उछल कूद और तेज़ हो गई और वो आँखें बंद करके फुसफ़ुसा रही थी- मार डालोगे क्या… उफ़ मैं गई रे…
फिर उसके धक्के एकदम तेज़ दर तेज़ हो गये और कुछ मिन्ट में वो थोड़ी से कांपी और सीट के ऊपर लुढ़क गई और मैंने अपनी तरफ से इनामी धक्के मारे उसको सीट पर लिटा कर और फिर मैं उसकी चूत से अपने गीले लौड़े को निकाल कर रूबी की चूत को ढूंढने लगा.
रूबी यह तमाशा देख कर अपनी चूत में से निकलती आग को अपनी ऊँगली से बुझाने की कोशिश कर रही थी और अब मेरे लौड़े को आज़ाद देख कर वो लपक पड़ी और वैसे ही सीट पर झुक कर खड़ी हो गई और मेरे अग्नि बाण का इंतज़ार करने लगी.मैंने अपने शमा की चूत के पानी से लबरेज़ हुए लौड़े को रूबी की चूत के मुंह पर रख कर अंदर धकेल दिया और एक ही झटके में पूरा जब अंदर चला गया तो रूबी उछल पड़ी और ज़ोर से चिला पड़ी- उईईइ माआ मर गई रे!लेकिन साथ ही बड़ी मोहब्बत से उसने पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्करा दी और मेरे दिल ने कहा- मर जावां गुड़ खा के, साली क्या मुस्कराई है, यार वारी जाऊं!
और फिर मैं ने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये, पूरा अंदर फिर पूरा बाहर, सिर्फ लंड की टिप अंदर, और फिर ज़ोरदार धक्का अंदर, बारमबार ऐसा करने से गिर जाती हैं बड़ी बड़ी शहसवार बेगमें और गुलामी कबूल कर लेती हैं खूबसूरत हूरें.
मैंने महसूस किया कि रूबी ज़्यादा आनन्द ले रही थी चुदाई का और बार बार मुड़ कर आँखों ही आँखों से शुक्रिया अदा कर रही थी.मैं भी रूबी की हलीमी का कायल हो गया और इस कोशिश में लग गया कि इसको ज़्यादा से ज़्यादा लुत्फ़ अन्दोज़ करवाऊँगा.मैं भी अब पूरी तरह से मस्त होकर चुदाई में लग गया और उसके गोल और सख्त चूतड़ों को सहलाने लगा और उसकी गांड में भी हल्की सी ऊँगली डाल दी और उसने फिर मुड़ कर एक प्यार भरी नज़र से देखा जैसे कह रही हो करते रहो गांड में भी ऐसा ही!
उधर शमा सीट पर पूरी पसर गई थी और उसकी खुली सलवार के अंदर से उसकी फूली हुई चूत के दर्शन हो रहे थे और उसमें से अभी भी थोड़ा थोड़ा रस निकल रहा था जो उसकी चूत का था और वो टप टप उसकी सलवार में गिर रहा था.अब रूबी ने अपने चूतड़ों से इशारा किया कि तेज़ चुदाई करूँ, मैंने कमर कस के धक्कों की स्पीड धीरे धीरे तेज़ कर दी और उसकी चूत में ऊँगली डाल कर महसूस किया कि वो छूटने से ज़्यादा दूर नहीं है.
मेरी तेज़ स्पीड के आगे रूबी अब अधिक देर टिक ना सकी और हाय हाय करती हुई बहुत ज़्यादा पानी छोड़ती हुई एक सिहरन होने लगी उसके शरीर में!
मैं अब ट्रेन के फर्श पर बैठ गया और उसके नितम्बों को चूमने और चाटने लगा जिससे उसको बड़ा मज़ा आ रहा था.अब मैं लेटी हुई शमा के गोल मुम्मों को जीभ से चाटने लगा और उसकी चूचियों का रसपान करने लगा.शमा ने मुझको एक बहुत ही गहरी जफ़्फ़ी डाल दी और मेरे लबों को चूमने लगी, मैं भी उसके अधरों को जीभ से चूसने लगा.
अब दोनों थोड़ी संयत हो गई थी और अपने कपड़े ठीक कर रही थी, मैं भी अपनी पैंट वगैरह ठीक कर रहा था.
फिर मैंने उन दोनों को गुड नाईट कहा और जाने लगा तो शमा बोली- अब फिर कब होगी मुलाकात हम दोनों के सरताज?मैंने भी उसी लहजे में जवाब दिया- जब आप चाहो बेगमाते-ऐ-अवध मैं आपका खाविंद आपकी खिदमत में हाज़िर रहूंगा. आप सिर्फ़ हुक्म नादिरशाही जारी कीजिये, बंदा आप की खिदमत में हाज़िर हो जाएगा.
यह कह कर मैंने उन दोनों को एक बार चूमा और केबिन का दरवाज़ा खोल कर बाहर आ गया.

कहानी जारी रहेगी.

 
निर्मला मैडम का गर्भाधान

गाड़ी अपने ठीक समय पर लखनऊ पहुँच गई और हम सब एक दूसरे से विदा लेकर घर पहुँच गए.नैना और पारो ने हमारा भाव भीना स्वागत किया और हम दोनों को गर्म गर्म चाय पिलाई.
पूनम अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई और नैना मेरे साथ मेरे कमरे तक आई.नैना ने बताया कि कोठी में सब ठीक ठाक रहा और मम्मी जी का फ़ोन आता रहता था और वहाँ भी सब कुशल मंगल है.तब मैंने उसको याद दिलाया- निर्मला मैडम तुमको याद कर रही थी, आज उनको फ़ोन ज़रूर कर लेना.नैना ने बताया कि दो और सेठानियों से उसकी बात हुई है और वो मुझसे मिलना चाहती हैं.तब मैंने कहा निर्मला मैडम के साथ उनका भी प्रोग्राम बना लो.लेकिन प्रश्न यह था कि पूनम के होते हुए यह संभव नहीं था तो मैंने कहा कि अभी समय है कुछ न कुछ सोचते हैं.
इतनी देर से नैना से बात हो रही थी लेकिन मैंने उसको ध्यान से नहीं देखा था और जब देखा तो वो बेहद सेक्सी लगी.मैंने लपक कर उसको बाँहों में भर लिया और उसके लबों पर कई चुम्मियाँ दे डाली और उसके धोती में लिपटे हुए गुदाज़ जिस्म को टटोलने लगा.उसके मुम्मे वैसे ही सॉलिड थे और चूतड़ों की वही बाहर थी फिर भी मैंने उसको जी भर के हाथों से महसूस किया.

तब नैना बोली- रहने दो छोटे मालिक, मैं गर्म हो जाऊँगी और आपके कॉलेज जाने का टाइम भी तो हो रहा है. दिन को मैं आपको दिल खोल कर चोदूंगी.मैं कहाँ मानने वाला था, उसकी धोती को ऊपर उठा कर और अपनी पैंट और अन्डरवीयर को नीचे कर के अपने खड़े लौड़े के दर्शन उसको करवाये और फिर उसकी एक टांग को अपनी बगल में लेकर उसकी चूत में लंड घुसेड़ दिया, अपने दोनों हाथों को उसके चूतड़ों के नीचे रख कर मैं खुद ही आगे पीछे होकर उसको चोदने लगा.
जल्दी ही वो भी गर्म हो गई और वो भी मेरा साथ पूरी तरह देने लगी. मैंने अपने होंट उसके होटों पर रख दिए और अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल कर आहिस्ता से चूसने लगा.
नैना इतने दिनों से चुदी नहीं थी, वो भी बड़ी कामुक हो रही थी और मेरी थोड़ी देर की चुदाई से ही वो झड़ गई.हम दोनों ने कपड़े ठीक किये और तभी ही पूनम भी आ गई कमरे में और बड़ी उदास होकर बोली- अभी घर से फ़ोन आया है कि मेरी मम्मी बहुत बीमार है, मुझको तो अभी ही गाँव जाना होगा.यह कहते हुए वो रोने लगी.
मैंने और नैना ने उसको चुप करवाया और उसको तसल्ली दी कि सब ठीक हो जाएगा.वो जल्दी से अपना जाने का छोटा सा बैग तैयार करके ले आई और मैं उसको बस स्टैंड पहुँचा आया और उसके गाँव की बस में भी बिठा आया और उसको कुछ रूपए भी दे दिए ताकि रास्ते में कष्ट ना हो, यह भी कहा कि वो मुझको घर पहुँच कर फ़ोन ज़रूर करे और मम्मी का हाल भी बता दे.
कोठी आकर मैं आलखन से नहाया और नाश्ता करने लगा, फिर आलखन करने लगा क्यूंकि आज कॉलेज में ट्रिप वाले छात्रों की छुट्टी थी.नैना ने थोड़ी देर बाद निर्मला मैडम से बात की और सब पूछताछ करने के बाद उसने कहा- अगर आप आज आ सकती हैं तो आ जाइए मैं फिर आप का चेकअप कर लेती हूँ, जैसा हुआ वैसा प्रोग्राम बना लेंगे.
तब नैना ने बताया दो सेठानियों ने भी अपना चेकअप करवाया है और वो दोनों भी गर्भाधान के लिए तैयार हैं लेकिन पहले वो आप से मिलना चाहती हैं.मैंने कहा- आने दो, लेकिन पहले मैडम का काम कर लेते हैं फिर दूसरे के बारे में सोचेंगे.
एक घंटे के बाद ही निर्मला मैडम आ गई और नैना उनको लेकर दूसरे बैडरूम में चली गई.कोई 15 मिन्ट बाद ही वो दोनों बाहर आ गई.फिर हम सब मिल कर बैठक मैं चाय पीने लगे और तब नैना बोली- मैंने कल का टाइम मैडम के साथ फिक्स किया है, वो आज से स्पेशल डाइट खा कर कल आएँगी.मैडम ने हामी में सर हिला दिया.
नैना ने कहा- ऐसा है मैडम जी, मेरा यह सिस्टम 100% सही नहीं होता. हाँ 50-60 % यह सही बैठ रहा है और वो भी अगर सतीश वीर्य दान करे तो! मैंने इसका वीर्य लैब में चेक करवाया था और जो रिपोर्ट आई थी उसमें साफ़ लिखा था कि सतीश के स्पर्म्स बड़े ही शक्तिशाली हैं और पूरी तरह से गर्भ के लिए सक्षम हैं. इसीलिए अब तक जितनी भी सतीश के वीर्य से गर्भाधान की कोशिश की हैं वो सब 100% कामयाब हुई हैं. आशा है मैडम जी, आपके केस में भी पूरी सफलता मिलेगी हमको!
निर्मला मैडम बोली- नहीं नहीं, मुझको तुम्हारे चेकअप और ट्रीटमेंट पर कोई शक नहीं है लेकिन यह जान कर मुझ को तसल्ली मिल रही है कि सतीश की वजह से मैं माँ बन सकती हूँ अगर प्रभु चाहें तो.कल आने का वायदा कर के मैडम चली गई और हम सब अपने कामों में लग गए.
मैं खासतौर पर लखन लाल चौकीदार से मिला और उसको थोड़ा बहुत इनाम भी दिया और कहा कि तुम्हारी होशियारी के कारण मेरा मन बड़ा शांत रहता है कि आप कोठी का पूरा ध्यान रख रहे हो.
अगले दिन मैं कॉलेज से मैडम के साथ ही निकला और घर आकर हम दोनों को नैना ने स्पेशल डाइट का लंच करवाया.और फिर हम दोनों मेरे ही बैडरूम में सो गए, तकरीबन एक घंटे बाद ही हम जागे, फिर नैना ने हम दोनों को निर्वस्त्र कर दिया.
मैंने मैडम को बाँहों में भर लिया और उनके होटों को लगातार चुम्मियों से तर कर दिया और उनके गोल और सॉलिड मुम्मों को काफी देर सहलाया और चूसा.मम्मों की दोनों चूचियाँ एकदम से लंड की माफिक अकड़ गई थी और उनको चूसने के बाद में नीचे बैठ गया और मैडम की चूत में मुंह डाल कर चूत के लबों को चूसा और फिर उसकी भग को काफी देर अपने दोनों लबों में लेकर चूसता रहा और मैडम बार बार मेरा सर पकड़ कर मेरे मुंह को हटाती थी लेकिन मैं फिर भी अलमस्त होकर चूसता ही रहा.
अब मैंने मैडम को अपने हाथों में उठा लिया और बिस्तर पर ले गया, धीरे से उनको वहाँ लिटा दिया और अपने लौड़े को सीधा तान कर उनकी जांघों के बीच बैठ कर लंड को चूत के अंदर डाल दिया.तपते हुए लोहे को चूत में जाते ही मैडम हाय हाय करने लगी और मुझको अपने मुम्मों के बीच लिटा कर मेरे मुंह को बेतहाशा चूमने लगी.
नैना के सिखाये मुताबिक़ मैं पहले धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा और मैडम की गर्म और एकदम गीली चूत का आनंद लेने लगा.फिर उनके मुम्मों को चूसते हुए अपनी स्पीड धीरे धीरे तेज़ करने लगा और जब मैडम नीचे से मेरा साथ देने लगी तो मैंने अपनी स्पीड और भी तेज़ कर दी. मेरी कोशिश थी कि मैडम पूरे कामुकता के जोश में आ जाएँ तो मैं अपना असली हथियार फेंकू.
थोड़ी देर में मैडम अपने पूरे जोश-ओ-खरोश में आ गई तो धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी और जल्दी ही मैडम का पानी छूट गया और उन्होंने अपनी जांघों कस कर मेरे इर्द गिर्द लॉक कर दीं.
लेकिन मेरा मिशन तो अभी अधूरा था, मैं पूरी अपनी यौन शक्ति के साथ फुल स्पीड चुदाई में लग गया और मेरे धक्कों की स्पीड इतनी तीव्र हो गई कि मैडम तड़फड़ाती हुई दूसरी बार भी स्खलित हो गई और अब नैना ने इशारा किया और मैं अपने लंड की पोजीशन ठीक करके उसके गर्भाशय के मुंह को ढूंढ रहा था.और जब मुझ को आभास हुआ कि गर्भाशय का मुख कहाँ है, मैंने अपना लंड का रुख उस तरफ किया और वीर्य की जोरदार पिचकारी वहाँ छोड़ दी.
गर्म वीर्य वहाँ पड़ते ही मैडम ने अपनी दोनों टांगें उठा ली और नैना ने झट से उनकी कमर के नीचे दो तकिये रख दिए.मैं भी मैडम की जांघों में थोड़ी देर अपने सख्त लंड को डाल कर बैठा रहा जब तक मेरा वीर्य पूरी तरह से स्खलित नहीं हो गया.और फिर नैना के इशारे पर ही मैं वहाँ से उठा और अपने गीले लंड को निकाल कर मैडम के सामने ही खड़ा रहा.
मैडम ने एक हाथ बढ़ा कर मेरे गीले लंड को पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और उसको हल्के हल्के चूसने लगी.इधर नैना अभी भी मैडम की टांगों को ऊंचा करके रखा हुआ था ताकि वीर्य अधिक से अधिक मात्रा में मैडम की चूत में ही रहे!मैडम को मेरे लंड को चूसने में अति आनन्द आ रहा था, वो लगी रही चुसाई में!अब नैना ने मैडम की टांगों को नीचे कर दिया था और उनकी चूत पर एक छोटा तौलिया रख दिया ताकि वीर्य ज़्यादा बाहर ना निकले.
मैडम बोली- सतीश यार, तुम तो गज़ब के चोदू हो!

कहानी जारी रहेगी.

 
मैडम की घोड़ी बना कर चूत चुदाई

गर्म वीर्य वहाँ पड़ते ही मैडम ने अपनी दोनों टांगें उठा ली और नैना ने झट से उनकी कमर के नीचे दो तकिये रख दिए.मैं भी मैडम की जांघों में थोड़ी देर अपने सख्त लंड को डाल कर बैठा रहा जब तक मेरा वीर्य पूरी तरह से स्खलित नहीं हो गया.और फिर नैना के इशारे पर ही मैं वहाँ से उठा और अपने गीले लंड को निकाल कर मैडम के सामने ही खड़ा रहा.
मैडम ने एक हाथ बढ़ा कर मेरे गीले लंड को पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और उसको हल्के हल्के चूसने लगी.इधर नैना अभी भी मैडम की टांगों को ऊंचा करके रखा हुआ था ताकि वीर्य अधिक से अधिक मात्रा में मैडम की चूत में ही रहे!मैडम को मेरे लंड को चूसने में अति आनन्द आ रहा था, वो लगी रही चुसाई में!अब नैना ने मैडम की टांगों को नीचे कर दिया था और उनकी चूत पर एक छोटा तौलिया रख दिया ताकि वीर्य ज़्यादा बाहर ना निकले.
मैडम बोली- सतीश यार, तुम तो गज़ब के चोदू हो! चूत चुदाई के तुम्हारे हुनर का तो उषा मैडम भी लोहा मान रही थी, वो कह रही थी कि यह लड़का इतनी छोटी उम्र में ही एक काफी बढ़िया चुदाई करता है. उषा मैडम के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?मैं बोला- बहुत ही सुन्दर लेडी हैं वो लेकिन किस्मत की मारी हैं. बेचारी को इस भरी जवानी में पति छोड़ गया और उनको यौन सुख से वंचित कर गया! बहुत बुरा हुआ उनके साथ.
मैडम बोली- तुम उनकी कुछ मदद कर सकते हो क्या?मैं बोला- कैसी मदद मैडम जी?मैडम बोली- वही चुदाई वाली मदद! क्या तुम उनके घर जाकर चोद सकते हो जब वो चाहें या फिर या जब तुम फ्री हो?मैं भी खुश होकर बोला- क्यों नहीं मैडम, वो खुद इतनी सुन्दर हैं कि कोई भी मर्द उनके लिए तैयार हो जाएगा.मैडम बोली- तो ठीक है, वो कल कॉलेज में तुमसे मिल कर बात कर लेगी और प्लीज तुम हम दोनों के साथ सम्बन्ध का ज़िक्र किसी से न करना, हमारी इज़्ज़त का सवाल है.
नैना बोली- मैडम, छोटे मालिक ने जब यह चोदम चुदाई का कार्यक्रम मेरे साथ मिल कर शुरू किया था, तो मैंने इनके दिमाग में यह बात कूट कूट कर डाल दी थी कि इस काम के बारे में किसी से भी कभी कोई ज़िक्र ना करना वरना हम सब मुश्किल में आ जाएंगे और मुझको यह फखर है कि इन्होंने आज तक कभी किसी दूसरे को कुछ भी नहीं बताया! आप निश्चिंत रहें.मैडम बोली- थैंक्स सतीश और नैना. अब बस या अभी और है?

नैना बोली- मैं चाहती हूँ एक बार और इनसे चुदवा लीजिए ताकि किसी तरह की भी शंका या शक की गुंजाईश ना रहे!मैडम खुश होकर बोली- ठीक कह रही हो पर क्या सतीश कर लेगा दुबारा इतनी जल्दी?मैं और नैना हंस पड़े और तब नैना बोली- मैडम जी आप इनके लंड को देखिये तो सही? छुइये तो सही?चखिए तो सही!
मैडम ने मेरे लंड को देखा और हैरान रह गई कि वो तो वैसे ही खड़ा था और हवा में लहलहा रहा था!नैना बोली- अब आप घोड़ी बन जाएँ तो छोटे मालिक आपको इस पोज़ में भी चोद देते हैं क्यूंकि इस पोज़ में गर्भ ठहरने की अधिक संभावना रहती है!नैना ने मैडम को घोड़ी बना दिया और मुझको कहा कि घोड़ी चढ़ जाऊँ.
घोड़ी चढ़ने से पहले मैंने घोड़ी की तैयारी भी देखनी ज़रूरी समझी और उनकी चूत में हाथ लगा कर देखा, वो फिर काफी गीली हो चुकी थी, मैं जान गया कि घोड़ी भागने के लिए पूरी तरह से तैयार है.फिर मैंने मैडम के पीछे खड़ा होकर अपना सख्त लंड उनकी चूत के मुंह पर रख कर एक ज़ोरदार धक्का मारा और लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया.
अब मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर और बाहर जाने का सिलसिला बना लिया, धीरे से अंदर और फिर धीरे से बाहर और जो अंदर जाता है वो बाहर तो आता ही है, लेकिन कोशिश यह होनी चाहिए की लौड़े का सिर्फ आगे का किनारा ही अंदर रहना चाहिए और बाकी लंड ठंडी हवा खाकर फिर वापस अंदर जाना चाहिए.इस क्रम को पूरी तरह से पालन करने से औरत का मज़ा दुगना हो जाता है क्यूंकि वो इस इंतज़ार में रहती है कि जो पूरा बाहर गया क्या वो अंदर आएगा और कितना आएगा.

 
Back
Top