XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 17 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

कॉलेज में मिली नई दोस्त चूतें

अगले दिन कॉलेज में हम दोनों ने अपने नाम भी लिखवा दिए और पैसे भी जमा करवा दिए.अगले हफ्ते का प्रोग्राम बना था जिसमें रात को ट्रेन से दिल्ली जाना था और एक दिन और रात दिल्ली रहना था, और अगली सुबह बस से आगरा के लिए निकलना था, वो रात आगरा में रहना था और फिर लखनऊ की वापसी थी.
मैं सोच रहा था कि मैडम साथ है तो शायद चुदाई का मौका ही न मिले पूनम या फिर किसी और लड़की के साथ!लेकिन मेरा इस बात पर कोई बस नहीं था.
अगले दिन मैडम ने दिल्ली, आगरा जाने वाले लड़कों और लड़कियों की मीटिंग बुलाई जिसमें उन्होंने पूरा कार्यक्रम समझा दिया, यह भी बता दिया कि 2 फर्स्ट क्लास के कूपे में लड़कियाँ रहेंगी और लड़के भी इसी तरह लड़कों के लिए तय कूपे में रहेंगे.

मैंने जाने वाली लड़कियों की तरफ ध्यान से देखा, सब अच्छे घरों की लग रही थी और उनमें से मैं किसी को भी नहीं जानता था.
मीटिंग खत्म होने पर 2 लड़कियाँ मेरी तरफ आ रहीं थी, मैं रुक गया, एक लड़की बोली- क्या तुम ही सतीश ठाकुर हो?मैं हैरानी से बोला- जी हाँ मैं सतीश हूँ, बोलिए क्या सेवा कर सकता हूँ आपकी?तब वो लड़की मुस्कराते हुए बोली- सेवा वेवा नहीं करवानी है, बस तुम से मिलना था सो पूछ लिया. अगर खाली हो तो कुछ समय के लिए कैंटीन में आ सकते हो क्या?मैं बोला- कोई खास काम है क्या?वो लड़की फिर बोली- नहीं कोई खास काम नहीं था, बस सोचा कि ट्रिप पर जाने वाले लड़के लड़कियों के साथ थोड़ा परिचय कर लिया जाए!मैं बोला- ज़रूर, चलें क्या?उन्होंने सर हिला दिया और मैं और पूनम उन के साथ चलने लगे.
कैंटीन पहुँच कर उन्होंने अपना परिचय दिया, भरे निस्म वाली गोरी लड़की जो सलवार कमीज़ में थी उसका नाम जसबीर था और उसके साथ वाली लड़की जो थोड़ी लम्बी और गंदमी रंग वाली थी, उसका नाम नेहा था.मैंने कहा- आप दोनों से मिल कर बड़ी ख़ुशी हुई, मेरे साथी लड़की का नाम है पूनम और मेरा नाम तो आप जानती ही हैं.
हम सबने कोकाकोला पिया और फिर बातें होने लगी.वो दोनों ही इंटर के दूसरे वर्ष में थी यानि हम दोनों से एक वर्ष आगे थीं.
फिर जसबीर बोली- क्या आप दोनों साथ साथ रहते हैं?पूनम बोली- जी हाँ, मैं कुछ दिनों से इनकी कोठी में ही रह रही हूँ और सतीश मेरे कजिन हैं.जसबीर बोली- वो क्या है कि हम चाहती थी कि सतीश जी से ट्रिप पर जाने से पहले दोस्ती कर लें तो शायद ठीक रहेगा.मैं बोला- वह तो ठीक है लेकिन इतने लड़कों से सिर्फ मुझको दोस्ती के लिए चुनना कुछ अजीब लग रहा है, क्यों पूनम?
पूनम चुप रही लेकिन मैं बोला- चलो ठीक है हम दोनों को आपकी दोस्ती कबूल है! और हुक्म दीजिये?अब नेहा बोली- सतीश तुम्हारे बारे में हमने बहुत कुछ सुन रखा है, हम चाहती हैं कि आप दोनों हमारे जिगरी दोस्त बन जाएँ तो अच्छा हो.मैंने पूनम की तरफ देखा और बोला- आप दोनों कहाँ रहती हैं लखनऊ में?नेहा बोली- आपकी कोठी के पास मेरा बंगलो है और उससे थोड़ी दूर जसबीर रहती है.मैं बोला- अगर आप फ्री हों तो आज या कल हमारे गरीबखाने आ जाएँ तो खुल कर बातें हो सकती हैं.जसबीर बोली- ठीक है, हम आप को बाद में बता देती हैं कि आज या कल का प्रोग्राम बन सकता है.मैं बोला- ठीक है आज जाने से पहले बता दीजियेगा.
अगले दिन मैं पूनम क्लास के बाहर खड़े थे क्यूंकि प्रोफेसर साहिब नहीं आये थे तभी देखा जसबीर और नेहा आ रही थी.मैं बोला- ठीक है आप आ जाओ, आप लंच करना चाहेंगी मेरी कोठी में?नेहा बोली- नहीं लंच हम कर के आएँगी. आप दोनों गेट के पास मिल जाना तो मैं आपको अपनी कार में ले जाऊँगी. ओके?
कॉलेज की छुट्टी पर हम सब नेहा की कार में बैठ कर मेरी कोठी में पहुँच गए.नैना को मैंने पहले ही फ़ोन कर दिया था सो वो नाश्ता इत्यादि टेबल लगा कर बैठी हुई थी.हम सब बैठक में बैठ गए और नैना और पूनम ने नाश्ता प्लेट्स में लगा दिया.
नाश्ता और चाय पीने के बाद हम सब बैठक में सोफों पर आ बैठे और हलकी फुल्की बात चीत शुरू हो गई.फिर मौका देख कर मैंने बात छेड़ी- हाँ, अब बताओ जस्सी जी और नेहा जी, आपका क्या प्रोग्राम है?
जस्सी ही बोली- ऐसा है सतीश यार, हम को तुम्हारे बारे में उड़ती हुए खबर लगी थी कि आप काफी रोमांटिंक हो और नैनीताल ट्रिप में आपने कुछ लड़कियों को काफी एंटरटेन किया था. इसी लिए हमने सोचा कि अगर आप हमारे दोस्त बन जाओ तो यह 3-4 दिन का बोरिंग ट्रिप अच्छा निकल जाएगा और हम एक दूसरे को काफी एंटरटेन कर सकेंगे. क्यों तुम्हारा क्या विचार है?मैं बोला- आपने जो उड़ती हुए खबर मेरे बारे में सुनी, वो तो काफी हद तक ठीक है और मैं इस से इंकार नहीं करता लेकिन इसको दुबारा रिपीट करना क्या ठीक होगा?

 
अब नेहा बोली- मुझको जान कर ख़ुशी हुई सतीश कि तुम काफी फ्रैंक हो और हमारी बात को इतनी जल्दी समझ गए हो. दरअसल हमारी इच्छा थी कि हम तुम्हारे दोस्त बन जाएंगे तो हमें भी एक दूसरे को एंटरटेन करने का मौका मिल जाएगा.मैं बोला- आप दोनों ने अपनी बात बड़े अच्छे ढंग से रख दी है, अगर आपको नैनीताल ट्रिप के बारे में पता चला है तो यह भी पता चल गया होगा कि वहाँ क्या हुआ था?
जस्सी बोली- वही तो सुन कर हमको काफी अचरज हुआ लेकिन फिर सोचा शायद वो लड़कियाँ जानबूझ कर बात बहुत बढ़ा चढ़ा कर बता रही हैं तो हम खुद इसको आज़माना चाहती हैं.मैं अब हँसते हुए बोला- यानि आप को पूरा ज्ञान है कि मेरे से दोस्ती का मतलब क्या है और आप दोनों उसका अनुभव स्वयं करना चाहती हैं.अब जस्सी और नेहा दोनों ही मुस्करा पड़ी.
मैंने पूनम की तरफ देखा और कहा- यह मेरी कजिन पूनम है जो मेरे साथ ही मेरी क्लास में पढ़ने के लिए आई है और मेरे साथ ही रह रही है और यह भी दिल्ली आगरा ट्रिप में जा रही है, आप दोनों कृपा करके इससे पूछ लीजिये कि क्या आपसे दोस्ती इनको बर्दाश्त होगी?जस्सी ने पूनम से पूछा- क्यों पूनम, तुम्हारी क्या राय है हमारे साथ दोस्ती के बारे में?पूनम बोली- मुझको तो आपके साथ दोस्ती करके बहुत ही ख़ुशी होगी. आप दोनों मुझ से बड़ी हैं और शहर की रहने वाली है तो आपकी दोस्ती से मुझको काफी फायदा होगा लेकिन यह नैनीताल ट्रिप के बारे में मुझको कुछ खास नहीं पता! हाँ, इतना जानती हूँ कि इस ट्रिप में सतीश का जबर चोदन हुआ था, शायद 3-4 लड़कियों ने इसके साथ ज़बरदस्ती की थी! क्यों सतीश?
मैं और वो दोनों भी ज़ोर से हंस पड़ी.जस्सी बोली- क्यों सतीश यह सही है क्या? उन 4 लड़कियों ने तुम्हारा जबर चोदन किया था?मैं नकली गुस्से में बोला- हाँ, किया तो था लेकिन अगले दिन उनमें से दो फिर आ गई थी मेरा जबर चोदन करने के लिए लेकिन मैंने मना कर दिया.अब जस्सी बोली- उफ़, मेरी माँ… लेकिन तुमने मना क्यों किया?मैं बहुत ही संजीदा होते हुए बोला- मैंने उन दो को साफ़ कह दिया कि मैं सिर्फ 2 लड़कियों से जबर चोदन नहीं करवाता अगर करवाना ही है तो कम से कम 4 लड़कियाँ होनी चाहिए?जस्सी और नेहा तो हंसी के मारे लोटपोट हो गई.
मैं उसी टोन में फिर बोला- अब आप सिर्फ दो लड़कियाँ हैं तो मेरा जबर चोदन होना तो मुश्किल है.जस्सी बोली- क्या आप चाहते हों कि हमारे ग्रुप में 2 लड़कियाँ और हों तो काम बनेगा?मैं बोला- नहीं नहीं, मैंने यह नहीं कहा, यह तो सिर्फ मज़ाक की बात हो रही है, वैसे पूनम को मिला कर आप 3 लड़कियाँ तो हैं इस ग्रुप में तो मेरा जबर चोदन तो आप कभी भी कर सकती हैं?
नेहा बोली- क्या अभी भी हो सकता है तुम्हारा चोदन सतीश?मैं मज़ाक की टोन में बोला- जबर चोदन करवाने वाला तो अभी भी बैठा है लेकिन जबर चोदन करने वाली लड़कियाँ भी तो होनी चाहये ना?अब जस्सी और नेहा की सूरत देखने वाली थी, दोनों शर्म से लाल हो रही थी.
इतने में नैना कमरे में दाखिल हुई, नैना ने आते ही बोला- कौन किस का जबर चोदन कर रहा है?मैंने नैना का परिचय दिया- यह नैना जी हैं, यह इस घर की मालकिन है और इस घर को चलाने का सारा ज़िमा इनका है. मैं इन लड़्कियों को बता रहा था कि नैनीताल में क्या हुआ था? मेरा जबर चोदन हुआ था लेकिन मैंने तभी प्रण किया था कि कम कम से तीन या चार लड़कियाँ होंगी तभी चोदन करवाऊंगा नहीं तो नहीं!नैना बोली- हाँ, कम से कम इतनी तो होनी ही चाहिए न.जस्सी और नेहा बेचारी सर नीचे कर के बैठी थी.
तब पूनम ने दोनों लड़कियों से पूछा- अच्छा बताओ क्या आप दोनों सतीश का जबर चोदन करना चाहती हैं?जस्सी बोली- करना तो चाहती हैं लेकिन हम तो सिर्फ दो ही हैं न सो कैसे सतीश का जबर चोदन कर सकती हैं?पूनम बोली- आप घबराओ नहीं, मैं आपके साथ मिल जाती हूँ और फिर हम तीन बदमाशों से कहाँ भाग के जाएगा सतीश?
यह सुनते ही नेहा और जस्सी की बांछें खिल उठीं.जस्सी बोली- सच्ची पूनम तुम हमारे साथ मिल जाओगी? वेरी गुड! सतीश अब तैयार हो जाओ तुम लखनऊ की तीन गुंडियों से नहीं बच सकते? हम तीनों तुमको नहीं छोड़ेंगी.
नैना और मैं उनकी बातें सुन कर बहुत हंस रहे थे.मैं बोला- बस तीन ही सिर्फ? कम से कम चार तो ढूंढ के लाओ!नैना बोली- छोटे मालिक, ज़्यादा ताव मत दिलाओ, नहीं तो गुंडों की सरदार भी इनके साथ मिल जायेगी?मैं थोड़ा चकराया- यह गुंडों की सरदार कौन है जी? और कहाँ से आ रही है? हम भी तो देखें?
नैना अपनी छाती ठोक कर मैदान में आकर खड़ी हो गई, तीनों छोटी गुंडियाँ भी दौड़ कर अपने सरदार के साथ आ कर खड़ी हो गई.मैं थोड़ा घबराया तो सही लेकिन फिर हिम्मत करके एक ज़ोर की दहाड़ लगाई- यह एक शेर की गर्जना है जिससे बड़े बड़े गुंडे बदमाश भी थर थर कांपते हैं! है कोई माई की लाली जो इस भूखे शेर के सामने टिक सके?

 
तभी चारों लड़कियाँ एकदम से मुझ पर झपट पड़ी और मुझको दबोच लिया और मुझको उठा कर मेरे वाले बैडरूम में ले गई.मैं मन ही मन सोच रहा था कि या खुदा अब मेरे लौड़े का बचना मुश्किल है, चार चार गुंडियाँ सतीश का हरण करके ले जा रही हैं, कोई बचाये तो सही!
मेरे कमरे में पहुँचते ही सबने मिल कर मुझको निर्वस्त्र कर दिया और नेहा और जस्सी ने जब मेरा मोटा और लम्बा खड़ा लंड देखा तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गई.उस धींगा मुष्टि में जस्सी ने मेरे लौड़े को अपने हाथ में पकड़ लिया और नेहा ने भी उसको अपने हाथों में ले लिया.फिर मैं उनके हाथों से छूट कर नेहा की साड़ी को उतारने लगा और बाकी की गुंडियाँ भी इस काम में मेरी मदद करने लगी.
नेहा जब नंगी हुई तो उसके मुम्मे देख कर हम सब को बड़ा आनन्द आया क्यूंकि वो एकदम गोल और मोटे थे और बिल्कुल सॉलिड थे ज़रा भी उनमें लटक नहीं आई थी.उसके बाद बारी आई जस्सी की, वो भी नंगी होने पर बहुत ही खूबसूरत लगी, उसके मम्मे भी मोटे और सॉलिड थे लेकिन उसकी ख़ूबसूरती दिख रही थी उसके गोल और सॉलिड लेकिन उभरे हुए चूतड़ों में थी!क्या चीज़ थे यार… वो तो गोल गोल और उभरे हुए थे.
अब बारी थी पूनम की और उसको भी जल्द ही नंगी कर दिया गया और उसके बाद मैंने नैना को भी निर्वस्त्र कर दिया.चार गुंडियों में अकेला लंडबाज़ और वो भी जबर चोदन के लिए तैयार किया जा रहा था.
जब सब मेरे लंड को सहलाने में लगी थी तो मैं उनसे बचने के लिए भाग उठा और भाग कर रसोई में चला गया जहाँ पारो मुझ को नंगा देख कर हैरान हो गई और जब मैंने उसके सामने चिल्लाना शुरू किया कि ‘बचाओ मुझको…’ तो उसने बेलन उठा लिया और मेरे साथ रसोई के बाहर आ गई और बोली- कौन है जो छोटे मालिक को तंग कर रहा है?
और जब उसने चार नंगी औरतों को देखा तो वो समझ गई और वो ज़ोर से बोली- खबरदार किसी ने भी छोटे मालिक को हाथ भी लगाया, काट के रख दूंगी.और मैं जल्दी पारो के मोटे चूतड़ों के पीछे छुप गया और मेरा खड़ा लंड उसकी गांड में घुसने की कोशिश करने लगा.
अब नैना ने पारो को भी पकड़ा और बाकी मुझको पकड़ कर हम दोनों को कमरे में ले आये और सबसे पहले नैना ही पारो की साड़ी उतारने लगी और पूनम और नेहा भी उसको नंगी करने में लग गई.वो बोलती रही- यह क्या कर रहे हो मेरे साथ? मेरे कपड़े क्यों उतार रही हो?
लेकिन कौन सुनता उसकी गुहार… थोड़ी देर में वो भी नंगी हो गई और वो भी गुंडियों की पार्टी में शामिल हो गई और उसने भी मुझको घेर लिया.अब नैना ने कहा- सब मेरी बात ध्यान से सुनो. सबसे पहले छोटे मालिक को लिटा दो पलंग पर और फिर सबसे पहले जस्सी उसके ऊपर चढ़ कर चोदेगी, उसके बाद नेहा और फिर पूनम की बारी है. मैं और पारो बाद में देख लेंगी.
यह सुन कर सबसे पहले दौड़ कर जस्सी मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे खड़े लंड को अपनी बालों से भरी चूत में डाल दिया.और नैना ने उसकी कमर को पकड़ कर उसको ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया.मैंने जस्सी के गोल मुम्मों के साथ खेलना शुरू कर दिया और पूनम ने नेहा के सुन्दर मुम्मों को चूसना शुरू कर दिया और पारो पूनम के मुम्मों को अपने हाथ से छूने लगी.
मैं मुंह बना रहा था लेकिन मुझको जस्सी की चूत एकदम टाइट और गीली लगी, मुझको उसको चोदते हुए बड़ा आनन्द आ रहा था.जल्दी ही जस्सी लंड के धक्कों से छूटने के कगार पर पहुँच चुकी थी और वो बगैर किसी की मदद के अब अपने आप ऊपर नीचे हो रही थी और शीघ्र ही वो हाय हाय करती हुए झड़ गई.
नैना ने उसको उसकी मर्ज़ी के खिलाफ मेरे ऊपर से उठा लिया और नेहा को ऊपर आने के लिए कहा.अब नेहा मुझको चोद रही थी और मैं उसके बहुत ही सेक्सी मुम्मों से खेल रहा था.पारो भी अब नेहा के मम्मों को चूसने लगी और पूनम मौका देखते ही मेरे अंडकोष को सहला रही थी और उनकी टाइटनेस से बड़ी प्रभावित हो रही थी, वो मुझको लिप्स पर चूम रही थी और मैं उसके भी मोटे मुम्मों से बड़ा आनन्दित हो रहा था.
मुम्मों की गोलाई और मोटाई के मामले में इस वक्त नेहा एक नंबर पर थी और पूनम नंबर 2 पर थी. नैना और पारो के मुम्मे बहुत सॉलिड और बड़े थे लेकिन अब वो कन्या नहीं थी तो इस गिनती में नहीं आती थी.जस्सी के मुम्मे हालाँकि छोटे ज़रूर थे लेकिन सॉलिड और सीधे अकड़े हुए थे और बन्दूक की नल्ली की तरह उसके चुचूक एकदम खड़े थे.इन सब में से गांड के हिसाब से जस्सी एक नंबर पर थी और पूनम दो नंबर पर थी.
नैना बड़े ध्यान से मुझको देख रही थी कि मैं कहीं थक तो नहीं रहा और नेहा ने जब ऊपर से ज़ोर ज़ोर से और जल्दी धक्के मारने शुरू किये तो मैं समझ गया कि उसकी भी टाइट चूत में से भी अमृत जल निकलने वाला है.पांच मिन्ट के बाद वो झड़ गई और मेरे ऊपर पूरी तरह से पसर गई.
जब वो कुछ संयत हुई तो वो मुझको बेतहाशा चूमने लगी और मेरे सारे मुख को चूम चूम कर गीला कर दिया और नैना ने झट मेरा मुंह साफ़ कर दिया और नेहा की जगह पूनम को बुला लिया और कहा- चढ़ जा पूनम सूली पर!लेकिन पूनम ने कहा- अभी नहीं, हम तो रात को भी अपना काम कर सकते हैं.नैना बोली- छोटे मालिक, आपका चोदन हो चुका है, आप उठ जाओ अगर चाहो तो!मैं नकली गुस्से में बोला- कैसे उठ जाऊँ गुंडियों की रानी, जब तक तुम्हारी ना ले लूँ तो कैसे उठ जाऊँ बोलो तो? और फिर इस पुलिस वाली का क्या करें? वो साली भी तुम सबसे मिल गई थी, जब तक तुम दोनों को सज़ा नहीं दे लेता मैं कहीं भी जाने वाला नहीं.यह सुन कर नैना और पारो हंसने लगी.
नैना बोली- छोटे मालिक, हम दोनों गुंडियों को सजा रात को दे देना लेकिन इन नई गुंडियों को तो जाने दो, बेचारियों को घर जाने में बहुत देर हो रही है और टाइम भी काफी हो गया है.मैं बोला- अच्छा पहले यह दोनों कसम खाएँ कि ये दिल्ली आगरा ट्रिप में मेरा जबर चोदन नहीं होने देंगी और ना ही किसी और को मेरा चोदन करने देंगी.
दोनों जस्सी और नेहा ने कसम खाई और कहा- हम दोनों कसम खाती हैं कि हमारे होते हुए सिवाए हमारे कोई और सतीश को चोद नहीं सकता. हम जब चाहें सतीश का जबर चोदन कर सकती हैं.पूनम झट से बोल पड़ी- ऐसे कैसे कसम खा रही हो तुम दोनों? मैं तो सतीश की कजिन हूँ और उसकी बचपन की साथी हूँ और उस पर सब से ज़्यादा हक तो मेरा है. मेरी आज्ञा के बिना कोई भी सतीश को चोद नहीं सकता.

कहानी जारी रहेगी.

 
चूत चुदाई चलती ट्रेन में

लखनऊ से दिल्ली का सफर शुरु हुआ:
अगले दिन से हमने दिल्ली और आगरा के लिए तैयारी शुरू कर दी. कॉलेज में भी काफी गहमा गहमी थी इस ट्रिप के बारे में!और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हम सबने सफर पर जाना था. दिन भर कॉलेज में खूब चहल पहल रही और सब लड़के लड़कियाँ काफी उत्सुक थे.
हमारे ग्रुप में अभी भी केवल जस्सी और नेहा और इधर पूनम और मैं ही थे, दोपहर को एक और लड़की ने हमारे ग्रुप में शामिल होने की इच्छा ज़ाहिर की.नेहा ने उसको कैंटीन में बुला लिया और हम सबको भी इकट्ठे कैंटीन में बुला लिया.

नेहा ने कहना शुरू किया- इनसे मिलो, यह डॉली है और मेरी ही क्लास में पढ़ती है. यह कह रही थी कि उसको कोई लड़कियों का ग्रुप नहीं मिल रहा जिस में वो शामिल हो सके यह हमारे पास आई है और हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है.पूनम बोली- वैसे तो हमारे ग्रुप में हम तीन ही लड़कियाँ हैं लेकिन डॉली को ग्रुप में शामिल होने से पहले उसको सब कुछ बता दो ताकि वो सब समझ कर ही ग्रुप ज्वाइन करे. क्यों ठीक है सतीश?मैंने हामी में सर हिला दिया.
तब नेहा और जसबीर उसको लेकर दूसरे बेंच में बैठ गई और उसको सब कुछ साफ़ समझाने लगी. ख़ास तौर से हमारे ग्रुप का उन्मुक्त व्यवहार उसको अच्छी तरह से समझा दिया.फिर वो दोनों उसको लेकर हमारे पास आ गई और नेहा ने कहा- डॉली को सब समझा दिया है और उसको हमारे उन्मुक्त व्यवहार के बारे में भी बता दिया है और वो हमारे साथ ही हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहती है.
मैं बोला- ठीक है, हमको खुशी होगी कि आप हमारे ग्रुप में शामिल हो रहीं हैं. मुझको यह उम्मीद है कि आप चारों को एक ही कूपे में जगह मिल जायेगी और मुझ को शायद 2 बर्थ वाले या फिर 4 बर्थ वाले केबिन में जगह मिल जायेगी. और दिल्ली और आगरा में मैं सिंगल रूम प्रेफर करूँगा अगर मिल सका तो. इस तरह हम को एक दूसरे से मिलने में काफी आसानी रहेगी. क्यों गर्ल्स?सबने हामी में सर हिला दिया.
हम लोगों को कॉलेज से जल्दी छुट्टी हो गई क्योंकि हमने तैयारी करनी थी. सो हम सबने स्टेशन पर मिलने का वायदा किया और अपने घर चले गए.
पूनम और मैंने खाना खाया और मैं अपने कमरे में आकर आलखन करने लगा.थोड़ी देर बाद पूनम भी आ गई, मेरे साथ ही मेरे पलंग पर लेट गई और धीरे से उसका हाथ मेरे कुर्ते के बटन से चलता हुआ मेरे लंड के ऊपर आ गया और पयज़ामे के बाहर से उसके साथ खेलने लगा.
लंड महाशय रात की मेहनत के बाद अभी थोड़ी सुप्त अवस्था में थे. मैंने पूनम की तरफ देखा, उसकी आँखों में देखा और फिर मैं समझ गया कि इसकी चूत चुदवाने के लिए ज़ोर डाल रही है.मैं उठ कर दरवाज़ा बंद करके फिर लेट गया पूनम के साथ और फिर पूनम अपनी साड़ी थोड़ी सी अपनी टांगों के ऊपर ले आई थी और मेरा भी पायजामा खिसका कर नीचे कर रही थी.
मेरा लंड भी अब धीरे धीरे उन्मुक्त होने लगा था और मैंने पूनम की उठी साड़ी के अंदर हाथ डाल कर देखा, वो भी काफी गर्म हो रही थी.पूनम ने स्वयं ही अपना ब्लाउज खोल दिया था और ब्रा को भी हटा दिया था तो उसके भी मम्मे उन्मुक्त हो चुके थे.मैं भी पूनम की बालों से भरी चूत के साथ खेल रहा था और उसकी भग को भी सहला रहा था.
पूनम अब और इंतज़ार किये बगैर मेरे ऊपर अपनी साड़ी को समेट कर बैठ गई और अपने एक खाली हाथ से उसने मेरा लंड को चूत के अंदर डाल दिया और धीरे धीरे से ऊपर नीचे होने लगी.यदा कदा मैं भी नीचे से धक्का लगा देता था और आहिस्ता आहिस्ता चूत और लंड की लड़ाई तेज़ होने लगी.
मेरे धक्के तेज़ी पकड़ने लगे और फिर जब यह महसूस हुआ कि पूनम की चूत में कम्पन शुरू हो रहा है तो मैंने अपने धक्के बहुत ही तीव्र कर दिए और आखरी पड़ाव पर पहुँच कर मेरे धक्के एक रेल के इंजन की तरह तेज़ी से अंदर बाहर होने लगे थे, लंड एकदम लाल हो रहा था और उसका गुस्सा चूत को भी महसूस हो रहा था और उसने अपनी आदत के मुताबिक खुलना बंद होना शुरू कर दिया था.
पूनम एक लम्बी सांस लेकर मेरे ऊपर से नीचे आ गई और मैंने उससे पूछा- क्यों ठकुराइन, अभी और ताश का पत्ता फेंकूं या फिर अभी और नहीं?पूनम बोली- बस करो मेरे प्यारे ठाकुर, फिर कभी देखेंगे तुम्हारी पूरी ठकुराई.फिर हम एक दूसरे की बाँहों में बंध कर सो गए.
रात को हम सब लड़के लड़कियाँ स्टेशन पर मिले.वहाँ दोनों मैडमों की मदद के लिए मुझको और एक दूसरी लड़की को नियुक्त किया गया.हम दोनों ने तय किया कहाँ लड़के बैठेंगे और कहाँ लड़कियाँ बैठेंगी. अपनी 4 फ्रेंड्स को एक केबिन दे दिया और इसी तरह बाकी की चार लड़कियों को दूसरे केबिन में एडजस्ट कर दिया और बाकी बची 2 लड़कियों को दो सीट वाले कूपे में बिठा दिया.इसी तरह लड़को को भी 4-4 वाले 2 केबिन और बाकी को 2 वाले में बिठा दिया, मैडमों को भी एक 2 वाले कूपे में एडजस्ट कर दिया.
 
जब गाड़ी चली तो खूब बाय बाय हुई और फिर मैं और वो दूसरी लड़की जिसका नाम रेनू था अपनी अपनी बर्थ पर बैठ गए.थोड़ी देर बाद जब टी टी आया तो सारी टिकट्स दिखा दीं और सारे कूपे भी चेक करवा दिए.फिर मैं और रेनू ने जाकर मैडमों को बता दिया कि सब ठीक से बैठ गए हैं और टी टी ने भी सब चेक कर लिया है.
गाड़ी सुबह 8 बजे दिल्ली पहुँचने वाली थी तो अब मैं अपनी फ्रेंड्स के साथ जाकर बैठ गया. नेहा ने साड़ी, जस्सी ने सलवार सूट, पूनम ने साड़ी और डॉली ने भी सलवार सूट पहना था.हम सब में सिर्फ डॉली ही नई थी तो पहले तो वो मुझसे कुछ झिझक रही थी लेकिन धीरे धीरे वो हम सब से वाकिफ हो गई.
मैंने सबसे पहले केबिन को लॉक किया ताकि कोई बाहर से ना आ सके.अब सब लड़कियों खुल कर बातें करने लगी और नेहा और जस्सी ने डॉली को पिछले दिन हुई हमारी सेक्स कहानी भी बता दी और डॉली से पूछा कि अगर वो चाहे तो कार्यवाही उसी से शुरू करेंगी वो सब!
डॉली कुछ नहीं बोली लेकिन मैं समझ गया कि वो अभी झिझक रही है तो सबसे पहले सारी लड़कियाँ उठ कर मेरे पास आईं और मुझको बहुत ही हॉट किस की लबों पर!
और मैंने भी उनके चूतड़ों को सहला दिया और जस्सी के तो मम्मों को भी दबा दिया.फिर पूनम उठ कर मेरी गोद में आकर बैठ गई और मैंने उसको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया, यह देख कर जस्सी और साथ में नेहा भी मुझ से आकर लिपट गई लेकिन डॉली अभी भी शरमा रही थी.
हम सब डांस करते हुए डॉली के पास गए और उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपने पास खींच लिया और उसके मोटे गोल मुम्मों को छूने लगा और पूनम उसके गोल उभरे हुए चूतड़ों को छेड़ने लगी.एक ज़ोरदार चुम्मी मैंने उसके होटों पर जड़ दी और बाकी लड़कियों ने भी उसको घेर लिया और उसके जिस्म प्यार से छूने लगी.
पूनम का एक हाथ डॉली की सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर चला गया और नेहा ने उसके चूतड़ों को मसलना आरम्भ कर दिया.मैंने नेहा से पूछा- आप में से कौन कौन मेरा चोदन करना चाहता है?सबसे पहले नेहा और जस्सी ने हाथ उठाया और फिर पूनम ने और आखिर में डॉली ने.
मैं बोला- नेहा, तुम फैसला करो कि कौन पहले मेरा चोदन करेगा?नेहा बोली- नई मेंबर होने के नाते तो पहली बारी डॉली की होनी चाहिए लेकिन वो शरमा रही है तो इसकी शर्म खोलने के लिये पूनम को मौका मिलना चाहिए सबसे पहले. क्यों पूनम?
पूनम बोली- नहीं, मैं तो सतीश से रोज़ चुदती हूँ तो सब से पहले जस्सी की बारी होनी चाहये क्यों जस्सी?जस्सी बोली- ठीक है.नेहा बोली- सेफ्टी को देखते हुए हम सबको कम से कम कपड़े उतारने चाहिएँ. साड़ी वाली को तो दिक्कत नहीं है, सिर्फ सलवार वाली को परेशानी है?
मैं बोला- किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए. सलवार वाली और साड़ी वाली, सबको सतीश पीछे से चोदेगा. ठीक है न?सब लकड़ियाँ बोली- ठीक है, तुम पीछे से शुरू हो जाओ.
जस्सी आई और अपनी सलवार खोल कर उसको नीचे कर दिया और सीट पर हाथ रख दिया और थोड़ी झुक गई.मैंने भी अपनी पैंट खोल कर उसको टांगों के नीचे किया और थोड़ी सी थूक लगा कर लंड पर, जस्सी की चूत में पेल दिया.जस्सी थोड़ी गीली हो चुकी थी तो लंड एकदम फटाक से अंदर चला गया.मैंने नेहा को इशारा किया कि सब एक दूसरे के साथ शुरू हो जाओ और एक दूसरे को खूब आनन्द दो और उनको गर्म भी कर दो.
पूनम डॉली के साथ लग गई और नेहा ने जस्सी के मुम्मे सहलाने शुरू कर दिए.पूनम ने डॉली की सलवार खोल दी और उसकी सफाचट चूत में उंगली लगाने लगी और दूसरे हाथ से उसके मुम्मे दबाने लगी.नेहा जस्सी की चूत में हाथ डाल कर उसकी भग को मसलने लगी. भग पर हाथ पड़ते ही जस्सी एकदम उछल पड़ी और स्वयं आगे पीछे होने लगी..
मैं भी धीरे धीरे शुरू हो कर गाड़ी की स्पीड से मैच करने लगा और जैसे गाड़ी के चलने की स्पीड तेज़ हो रही थी वैसे ही मैं भी अपनी स्पीड को तेज़ दर तेज़ कर रहा था.
नेहा जो जस्सी की चूत पर ध्यान दे रही थी साथ ही उसकी चूत पर पूनम की ऊँगली भी चला रही थी. उसकी उठी हुए साड़ी में से उस की बालों भरी चूत साफ़ झलक दे रही थी और इस झलक का मुझको बहुत ही आनन्द आ रहा था.मैं बार बार डॉली की सफाचट चूत को देखने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी झलक कभी मिलती थी और कभी नहीं भी मिलती थी.
अब जस्सी ने अपनी गांड जल्दी जल्दी आगे पीछे करनी शुरू कर दी थी, मैं समझ गया कि सरदारनी झड़ने वाली है, उसकी कमर को कस कर पकड़ कर मैंने गाड़ी बेहद तेज़ स्पीड पर चला दी और स्पीडी धक्कों के बाद जस्सी का छूट गया और वो मुझसे अपनी गांड जोड़ कर कंपकंपाती हुई रुक गई.
नेहा ने कहा- जस्सी का तो हो गया अब किसकी बारी है?डॉली खुद ही बोल उठी- अब मेरी बारी है.सबने कहा- ठीक है, चल शुरू हो जा डॉली.मैंने कहा- डॉली के शरीर को मैंने देखा नहीं सो डॉली अपनी सलवार तो नीचे कर चुकी है अब वो अपनी कमीज भी ऊपर करे तो उस के मम्मों के दर्शन हो जाएंगे.
 
नेहा ने उसकी कमीज़ ऊपर कर दी और उसकी ब्रा भी हटा दी.सबसे पहले मैंने उसको लबों पर चूमा और फिर उसके गोल मुम्मों पर ध्यान दिया और थोड़ा उनको चूसा और उसकी सफाचट चूत को देखा भी और हाथ भी लगाया.वो वाकयी में एकदम गीली हो चुकी थी. मैंने उसको बर्थ पर लिटा दिया और उसकी टांगों से सलवार एक पौंचा भी निकाल दिया और फिर उसकी गोरी टांगों में बैठ कर अपने खड़े लंड को उसकी चूत में धकेला.
पहले धक्के में ही लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया और डॉली के मुख से एक प्यारी सी आअहाअ निकल गई और मैं रुक गया और डॉली से पूछा- अगर दर्द हो रहा हो तो निकाल लूँ क्या?डाली के चेहरे का रंग एकदम लाल हो गया और वो ज़ोर ज़ोर से सर हिला हिला कर नहीं नहीं कर रही थी.सब लड़कियाँ हंसने लगी और बाद में डॉली भी हंस पड़ी.
मेरे लंड के लिए डॉली की चूत एकदम नई नकोर थी तो वो भी मज़े ले ले कर डॉली को चोद रहा था.पूनम डॉली के उरोजों पर अटैक कर रही थी और नेहा जस्सी के मुम्मों संग खेल रही थी.और मैं कभी स्लो और कभी तेज़ स्पीड पर धक्का धक्की में लगा हुआ था. डॉली के दोनों हाथ मेरी गर्दन में लिपटे हुए थे और उसके चूतड़ उठ उठ कर लंड मियाँ का स्वागत कर रहे थे.वो काफी ज़्यादा गर्म हो चुकी थी और उको तीव्र आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
जैसे कि उम्मीद थी, वो नए लंड के साथ पहली बार के मिलन के आनन्द को ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकी और ओह्ह करती हुई जल्दी ही झड़ गई.उसके झड़ने के टाइम उसके शरीर में इतना तीव्र कम्पन हुआ कि नेहा और पूनम उसको पकड़ कर बैठी तब उसको कंट्रोल कर सकी.
अब नेहा की बारी थी तो मैंने उससे पूछा- ऐ मलिका ऐ आलिया कैसे चुदना पसंद करेंगी आप?नेहा भी उसी लहजे में बोली- ऐ मेरे अदना ग़ुलाम, तुम्हारी मलिका तुम पर चढ़ाई करना चाहती है.मैं बोला- जो हुक्म सरकारे आली, यह आपका खाविन्द आपके लिए तैयार बैठा है, हुक्म कीजिये.नेहा खाविन्द को ख़ाकसार समझ थी पर खाविन्द का मतलब होता है पति… और मैं मन ही मन मुस्कराते हुए चुप रहा.
नेहा बोली- ऐ ग़ुलाम, हम तुम्हारा ‘बला ए जबर’ करना चाहते हैं.मैंने सर झुका कर कहा- मलिका को पूरा अख्तियार है.और मैं जा कर बर्थ पर लेट गया, नेहा अपनी साड़ी उठा कर मेरे ऊपर बैठ गई और लंड को अपनी चूत में खुद ही डाला.वो भी बहुत गीली थी तो बैठते ही उसकी चूत मेरे पेट के साथ आकर जुड़ गई.मैंने कोई धक्का मारने की कोशिश नहीं की और वो खुद ही धक्कम पेलम में लगी रही. क्योंकि वो 2 बार चुदाई देख चुकी थी सो वो भी बेहद गीली थी.
उसकी धकापेल जल्दी ही स्पीड पकड़ने लगी. मैंने उसके मुम्मों को उसके ब्लाउज के ऊपर से पकड़ा हुआ था और चुचूकों को मसल रहा था.पूनम भी उसके चूतड़ों को सहला रही थी और जस्सी मेरे ऊपर बैठी नेहा को लबों पर चूम रही थी.डॉली खड़े होकर पूनम के मुम्मों के साथ खेल रही थी.हर कोई अपने काम में बिजी था सिवाए मेरे क्यूंकि मेरा लंड मेरा काम कर रहा था.
जैसे ही नेहा को आनन्द आने लगा चुदाई का, उसने अपने धक्के तेज़ कर दिए और उसकी जांघें जो मेरे पेट से लग रही थी. अब काफी गर्म हो गई थी और मुझको महसूस हो रहा था कि वो भी जल्दी छूटने वाली है.मैंने हुक्म के खिलाफ नीचे से ज़ोरदार धक्के मारने शुरू कर दिए और इस कोशिश में था कि नेहा जल्दी से छूटे तो मैं अपने केबिन में जाऊँ.मुझको यह डर सता रहा था कि कहीं मैडम चेकिंग पर ना निकल पड़ें.
मैंने अब चुदाई का काम अपने हाथों में ले लिया और अपने हिसाब से स्पीड तेज़ कर दी, पूनम को इशारा किया कि वो नेहा की चूत को रगड़े और उसकी भग को सहलाये.पूनम ने यही किया और शीघ्र ही नेहा ने चुदाई की स्पीड अपने आप तेज़ कर दी. मेरे नीचे से ज़ोर के धक्के की चूत घिसाई जल्दी ही अपना रंग लाई और नेहा एक ज़ोर की हुँकार भर कर कर धराशयी हो गई और मेरे ऊपर पूरी तरह से लुढ़क गई.
लड़कियों ने मिल कर नेहा को मुझसे अलग किया और मैंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किये और पूनम से पूछा कि क्या उसकी इच्छा है चुदवाने की?उसने कहा- नहीं सतीश, मैं तो दिन को भी तुम्हारे साथ ही थी और तुमसे चुदी हूँ.
मैंने केबिन के बाहर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा और मैदान साफ़ देख कर मैं जल्दी से अपने केबिन की तरफ चला गया और दरवाज़ा खोल कर मैं अंदर चला गया.मेरा साथी बड़ी गहरी नींद में सो रहा था.मैंने घड़ी में देखा तो मुझको तीन लड़कियों को चोदने में तकरीबन एक घंटा लग गया था.

कहानी जारी रहेगी.

 
दो लेडी प्रोफेसरों की चुदाई

हमारी ट्रेन ठीक टाइम पर दिल्ली स्टेशन पर पहुँच गई और हम सब अपना अपना बैग उठाये हुए स्टेशन के बाहर आ गए.सिर्फ दोनों मैडमों का सामान कुली ने उठाया हुआ था.
स्टेशन के बाहर एक बस हमारे लिए खड़ी थी, उसमें सामान रख कर हम होटल पहुँच गए.मैंने और रेनू फिर होटल में कमरे अलॉट करने का काम शुरू कर दिया. हम में से एक लड़का अपने दादा के घर में रुक रहा था तो हमारे पास 10 कमरों में सिर्फ 19 छात्र ही थे तो 2-2 छात्रों को एक एक डबल बेड रूम दे दिया और एक कमरे में सिर्फ मैं अकेला ही रह गया.मेरी फ्रेंड्स का ग्रुप साथ साथ के 2 कमरों में टिक गए थे और मैं इनके साथ वाले कमरे में अकेला ही था.
नाश्ता वगैरह करके पुनः उसी बस में बैठ कर हम दिल्ली की ख़ास जगहों में घूमने के लिए गए.हमारे साथ दोनों प्रोफेसर इतिहास की प्रोफेसर थी, वे हर स्थान की इम्पोर्टेंस और उसका ऐतिहासक महत्व भी समझाती रही थी.सारा दिन घूम कर हम शाम को तकरीबन 6 बजे अपने होटल पहुँच गए थे.सब अपने कमरों में आलखन कर रहे थे और होटल से चाय वगैरह मंगा कर पी रहे थे.
रात के खाने के बाद जैसे ही मैं अपने कमरे में पहुँचा, तभी निर्मला मैडम मेरे कमरे में आई और बोली- सतीश राजा, क्या कुछ टाइम हम को भी दे सकते हो?मैं बोला- क्यों नहीं मैडम, आप हुक्म कीजिये.मैडम बोली- थोड़ी देर बाद तुम मेरे कमरे में आ जाना, वही उस दिन वाली कहानी दोहरानी है.मैं मन ही मन मुस्करा दिया लेकिन संजीदा होकर बोला- क्यों नहीं मैडम, जैसे आप कहें! मैं आ जाऊँगा.यह कह कर मैडम मुझको आँख मार कर वहाँ से चली गई.

उनके जाने के बाद मैं पूनम के कमरे में गया जहाँ नेहा भी साथ ही रह रही थी, दोनों को बताया कि मैडम मुझको किसी ख़ास काम के लिए बुला रही हैं, मैं शायद रात में देर से आऊँगा उनकी सेवा करने.दोनों थोड़ी मायूस हो गई लेकिन जब मैंने कहा कि आऊंगा ज़रूर तो वो फिर से चहक उठी.
आधे घंटे के बाद मैं मैडम के कमरे में पहुँच गया जहाँ हमारे कॉलेज की एक दूसरी मैडम भी उनके साथ रह रही थी.हाल चाल पूछने के बाद निर्मला मैडम ने कहा- इनसे मिलो, ये हैं उषा मैडम जो मेरे साथ ही हिस्ट्री की प्रोफेसर हैं.
मैंने ध्यान से देखा उषा मैडम कॅाफ़ी सुन्दर और गठीले बदन वाली 30 वर्ष की आयु की औरत लग रही थी.दोनों ने उस वक्त अपनी रात्रि वस्त्र पहन रखे थे.उषा मैडम की ड्रेस काफी झीनी थी और उसमें से उनके शरीर के अंगों की एक झलक मिल रही थी और निर्मला मैडम ने भी पिंक रंग की बहुत हॉट स्लीवलेस छोटी सी ड्रेस पहन रखी जो उनके घुटनों तक ही आती थी.
कुल मिला कर दोनों बड़ी ही सेक्सी लग रही थी और उनकी यह सेक्सी ड्रेस देख कर मेरा लौड़ा तो वैसे ही मेरी पैंट में कुलबला रहा था.निर्मला मैडम बोली- बैठो सतीश, उषा मैडम कह रही थी कि सतीश ठाकुर से मिलने की बहुत इच्छा है तो मैंने तकलीफ दी तुमको इतनी रात को!मैं बोला- नहीं मैडम, तकलीफ कैसी, बोलिए क्या सेवा करूँ?निर्मला मैडम बोली- सोचा उस दिन वाला खेल खेलें अगर तुम मूड में हो तो?मैं बोला- आप तो जानती हैं मैं तो हर वक्त मूड में होता हूँ.
निर्मला मैडम- तो फिर उतारो अपने कपड़े… देख क्या रहे हो!मैं बोला- मैं अपने कपड़े कभी आप नहीं उतारता सिवाए बाथरूम के!अब दोनों मैडम हंसने लगी और जल्दी से मेरे कपड़े उतारने में लग गई.
मेरी पैंट और अंडरवियर उतारने के लिए जब उषा मैडम झुकी तो मेरा लौड़ा कैद से छूटे कैदी की तरह आज़ाद हो कर उषा मैडम के मुंह पर लगा.यह देख कर निर्मला मैडम तो हंसी के मारे लोटपोट हो गई और उषा मैडम पहले तो कुछ खिसयानी हुई लेकिन जल्दी ही सम्भल कर हँसते हुए बोली- वाह, क्या चीज़ है यार सतीश तेरी तो? देखते ही थप्पड़ मार दिया ससुर ने! बहुत अच्छे!
मैंने उषा मैडम को उठाया और उनके कपड़े उतारने लगा, पहले साड़ी और फिर ब्लाउज और उसके नीचे की ब्रा खोल दी.मैंने जान कर अपना मुंह उन के मुम्मों के पास रख छोड़ा था और जैसे ही वो ब्रा की कैद से निकले सीधे मेरे नाक से टकराये.
मैं मज़ाकिया तौर पर एकदम पीछे हट गया और बोला- वाह मैडम जी, आपके मुम्मे ने मेरे लंड का जवाब दे दिया. क्यों ठीक है न?दोनों मैडम ने हँसते हुए मुझको जफ़्फ़ी डाल दी और मैं भी उषा मैडम का पेटीकोट उतारने में लग गया.
उधर निर्मला मैडम ने अपने कपड़े खुद ही उतार दिए और अपनी काली झांटों के साथ खूब सेक्सी पोज़ बनाने लगी.उषा मैडम की चूत को देखा तो वो सफाचट थी और रेजर से खूब साफ़ की गई लग रही थी.
मैंने उषा मैडम को ध्यान से देखा तो उनका शरीर एकदम सुंदर ढंग से तराशा हुआ था और उनके मुम्मे बहुत मोटे और गोल थे और काफी सख्त भी दिख रहे थे, चूतड़ गोल और उभरे हुए थे, कुल मिला कर एक निहायत ही खूबसूरत औरत थी वो!

 
निर्मला मैडम से उनके नंबर कुछ ज़्यादा ही थे और वो उम्र के हिसाब से 27-28 साल के आस पास रही थी, उनके नयन नक्श काफी तीखे थे हालांकि चेहरे का रंग कुछ गंदमी सा था.
मैं बोला- मैडम, अब क्या हुक्म है मेरे लिए?निर्मला मैडम बोली- उषा मैडम के साथ पहले करो क्यूंकि इसके पति ने इसको छोड़ रखा है और कई सालों से इनको कोई अच्छा साथी नहीं मिला. मैं चाहती हूँ कि इतने सालों से जो कमी यह महसूस कर रही थी, उसे कुछ हद तक तुम पूरी करने की कोशिश करो.
मैं बोला- जैसे आप कहें, उषा मैडम को प्रसन्न करके मुझको बड़ी प्रसन्नता होगी लेकिन यह स्थान क्या इस काम के लिए उचित है?निर्मला मैडम बोली- हाँ यह तो है, लेकिन आज तुम न उषा मैडम को अपनी चुदाई का नमूना पेश कर दो और वापस पहुँच कर हम फिर प्रोग्राम बनायेंगे.यह कह कर मैडम मुझको लेकर उषा मैडम के पास पहुँची और मेरे को और उषा को खुद एक टाइट जफ़्फ़ी में बाँध लिया.अब मैंने पहले उषा को और फिर निर्मला के लबों पर गर्म चुम्मी कर दी.
निर्मला मैडम ने उषा को मेरे पास धक्केल दिया और खुद अपने पलंग की तरफ जाने लगी लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़ कर रोक दिया और इशारा किया कि वो भी उषा के साथ उनके चूतड़ों आदि को हाथ फेर कर तैयार करे!
निर्मला ने वैसा ही करना शुरू किया, वो उनके चूतड़ों को सहलाने लगी और मैं उषा के मुम्मों को चूमने लगा. एक ऊँगली उनकी चूत के अंदर डाल कर उनकी भग को छेड़ने लगा और महसूस किया कि वो बेहद पनिया रही थी.
उषा ने भी अपन हाथ मेरे तने हुए लौड़े पर रख कर उसके साथ खेलना शुरू कर दिया था.मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और अपने दोनों हाथों से उषा के चूतड़ों को पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुंह के साथ जोड़ दिया और अपनी जीभ से उसकी चूत के लबों को और भग को चूसने लगा.
उषा के साथ शायद कभी किसी ने ऐसा नहीं किया था तो भड़के हुए घोड़े के समान उछल पड़ी और मेरे मुंह को हटाने लगी लेकिन मैं भी उनके चूतड़ों को मज़बूती से पकड़ कर बैठा था, उनकी चूत में भग को चूसता रहा.
अब मैं उठा और उषा को अपने हाथों में उठा कर उनके मुम्मों को चूसता हुआ सारे कमरे में घूमता रहा.उषा बार बार अपना सर इधर से उधर कर रही थी लेकिन मैं भी उनको छोड़ने वाला नहीं था.
अब मैंने उनको बेड में लिटा दिया और जल्दी से उनकी खुली हुई टांगों में बैठ कर अपना लौड़ा उनकी गीली चूत के मुँह पर रख कर थोड़ा ऊपर नीचे किया और फिर एक धक्के में लंड उस की चूत में घुसेड़ दिया.उफ्फ… क्या टाइट चूत थी! लगता था कि उनकी चुदाई काफी समय से नहीं हुई थी.
टाइट चूत का आनन्द लेते हुए मैंने धक्काशाही बहुत ही धीरे धीरे शुरू की. लंड को पूरा निकाल कर सिर्फ शिश्न का मुंह ज़रा सा अंदर रहने दिया और फिर एक हल्का धक्का मार के लंड को फिर से पूरा अंदर डाल दिया.यह सिलसिला कुछ देर चलते रहने दिया और फिर जब उषा मैडम की आँखें आनन्द से बंद हो गई तो मैंने अपनी चुदाई की स्पीड धीरे धीरे से बढ़ानी शुरू कर दी.
उधर निर्मला मैडम भी उषा के उरोजों को चूस रही थी और वो हाथों से निर्मला मैडम के सर को अपने चूचों के साथ कस कर जोड़ रही थी.अब उषा भी नीचे से हर धक्के का जवाब कमर उठा कर दे रही थी.
जब मैंने महसूस किया कि मैडम अब छूटने की कगार पर हैं तो मैं अपने दोनों हाथ उषा के चूतड़ों के नीचे रख कर फुल स्पीड से धक्के मारने लगा और उषा फुसफ़ुसाहट में बोल रही थी- मार दो साली को… बहुत तंग करती है यह हलखनखोर… फाड़ दो इसको… चीर दो इसको!मैंने धक्के मारते हुए निर्मला मैडम की तरफ देखा और उन्होंने अपना अंगूठा उठा कर यह इशारा किया कि बहुत ही अच्छा कर रहा हूँ और लगा रहूँ इसी तरह!
मैंने अब पूरी ताकत से तेज़ धक्के चलाने जारी रखे और जब उषा मैडम का शरीर ज़ोर से अकड़ा और फिर एकदम मुझको कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उनकी चूत खुलना बंद होना शुरू हो गई तो मैंने अपने धक्के रोक दिए.
जब कुछ मिनटों में वो ढीली पड़ कर लेट गई तो मैंने अपना लौड़ा उनकी चूत में से निकाला जो उषा मैडम के रस में पूरा भीगा हुआ था और जो उनके साथ में लेटी हुए निर्मला मैडम की चूत में डालने के लिए तैयार था लेकिन वो तो खुद ही घोड़ी बनी हुई थी तो मैं उठ कर उनके पीछे घुटनों के बल बैठ कर लंड राज को उनकी चूत के मुंह पर रख कर इंतज़ार करने लगा कि निर्मला मैडम सिग्नल करे तो मैं अपनी गाड़ी स्टार्ट करूँ.
कुछ क्षण जब मैं ऐसे ही बैठा रहा तो निर्मला मैडम ने पीछे मुड़ कर मेरी तरफ देखा और अपने चूतड़ों को हिला कर सिग्नल दिया कि शुरू कर दूँ!सिग्नल मिलते ही मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और अपना गीला लंड निर्मला मैडम की चूत में घुसेड़ दिया.मैडम की गीली चूत में गीला लंड क्या गया, वो तो भड़क उठी और गर्म हुई घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी. मैंने भी आलखन से चोदना शुरू किया पहले धीरे और फिर तेज़ कभी पूरा बाहर और कभी पूरा अंदर.

 
लंड के शिश्न को चूत के मुंह पर रख कर चूत को रगड़ना ही बहुत ही आनन्द दायक है दोनों के लिए तो मैंने वही कार्यक्रम दोहराना शुरू कर दिया.उधर देखा उषा जी भी अधखुली आँखों से यह सारा काण्ड देख रही थी और उनका एक हाथ अपने मम्मों पर था और दूसरा अपनी चूत पर था और मैंने भी हाथ आगे बढ़ा कर उषा जी की चूत को छुआ तो फिर गर्म हो रही थी.लेकिन मैंने अपना ध्यान निर्मला मैडम की तरफ केंद्रित करते हुए तेज़ और स्लो धक्के मारने लगा.हर धक्के का जवाब मैडम भी दे रही थी.
उनके चूतड़ों को हल्की हल्की हाथों से थाप देनी शुरू कर दी और धीरे धीरे अपनी स्पीड तेज़ करने लगा और अंदर बाहर होते हुए अपने और उन के अंगों को देख कर आनंदित होने लगा.निर्मला मैडम की चूत से अब क्रीम जैसा रस निकलना शुरू हो गया जो रंग में क्रीम जैसा सफ़ेद और गाढ़ा था और यह देख कर मैंने अपनी स्पीड और भी तेज़ कर दी और मैडम की चूत से निकलती फच फ़च आवाज़ बड़ी मधुर लगने लगी.
इस आवाज़ को सुनते ही मैं समझ गया कि निर्मला मैडम ‘यह जा और वो जा…’ होने वाली है तो अब अपने जंगली घोड़े को बेलगाम छोड़ कर घोड़े और घोड़ी की लड़ाई देखने लगा.निर्मला मैडम भी आज कुछ ज्यादा कामातुर हो रही थी, वो ज़ोर से हुंकार भरते हुए मुझ को लेकर नीचे लेट गई.जैसे वो नीचे लेटी, मैंने उषा मैडम को गांड पर थपकी दी और उनको भी घोड़ी बनने का इशारा किया और उनके घोड़ी बनते ही निर्मला द्वारा क्रीमी लंड को उषा मैडम के अंदर डाल दिया.
इसी तरह प्यार से उषा मैडम को दोबारा चोदने के बाद मैं थोड़ा थक गया था तो मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और दोनों मैडम को एक कस कर जफ़्फ़ी डाली और लबों पर चुम्मी करके मैं चलने के लिए तैयार हो गया.
निर्मला मैडम नंगी ही कमरे के दरवाज़े तक आई और मैंने बाहर देख कर कि मैदान साफ़ है चुपके से बाहर निकल गया.अपने कमरे में जाने के बजाए मैंने अपने ग्रुप की लड़कियों के कमरे का दरवाज़ा खटखटा दिया तो नेहा ने जल्दी ही दरवाज़ा खोल दिया और मैं अंदर गया तो बाकी की तीनों लड़कियाँ नंगी ही बैठी हुई थी और मेरे लंड का इंतज़ार कर रही थी.
तीनों उठी और मुझको घेर लिया और एक साथ बोली- सतीश, इतनी देर कर दी तुमने? हम तो खाली बैठी थी तो हम सबने एक एक बार ऊँगली और किसिंग वगैरह से अपना काम चला लिया.पूनम बोली- क्या हुआ था सतीश? बड़ी देर लग गई दोस्तों में?
मैं बोला- दोस्तों के साथ भी बना कर रखनी पड़ती है ना, गपशप में इतना टाइम निकल गया पता ही नहीं चला और फिर वहाँ थोड़ी सी बियर भी पीनी पड़ी.नेहा बोली- क्यों लड़कियो, आज कुछ करने का मूड है या फिर आगरा में ही कर लेंगी हम सब?डॉली बोली- मेरा तो एक बार कर दो सतीश प्लीज, मैंने पहली बार तुम्हारे साथ सेक्स किया है ना!
मैं बोला- क्यों लड़कियों क्या मर्ज़ी है?सब बोली- प्लीज सतीश, तुम थके लग रहे हो तो तुम डॉली का काम कर दो, हम कल अपनी बारी ले लेंगी.मैं बोला- ठीक है, सिर्फ डॉली का काम आज करते हैं, बाकी सबके साथ कल करेंगे. क्यों पूनम कुछ पीने को है क्या?पूनम बोली- हाँ, कुछ कोका कोला की बोतलें मंगवा के रखी थी होटल में, तुम्हारी बचा कर रखी है, यह लो तुम्हारी बोतल.
बोतल पी कर मैं अटैच्ड बाथरूम में चला गया क्योंकि मुझको डर था कहीं प्रोफेसरों की चूत की खुशबू इन लड़कियों को मेरे लंड से न आ जाए! मैंने अपने लंड को अच्छी तरह से धोया और मुँह हाथ धोकर बाहर आ गया.
चार जवान लड़कियों को नंगी देखकर मेरा लौड़ा फिर से टन्ना टन्न खड़ा हो गया और वो चार लड़कियाँ दौड़ कर आई और मुझ पर टूट पड़ी.मतलब कोई लंड को पकड़ रही तो कोई मेरी छाती के निप्पल को किस कर रही थी और किसी ने मेरी गांड में ऊँगली डाल रखी थी.बारी बारी से सबने मेरे खड़े लंड को चूमना शुरू किया और फिर मेरे गोल चूतड़ों को भूखे शेर की तरह चाटने लगी.
अब नेहा ने कहा- रात बहुत हो रही है, सतीश को डॉली की चूत की चुदाई करने दो, यारो कल हम भी चुद जाएँगी इस सरकारी सांड से!
अब मैं पलंग पर बैठ गया और डॉली को अपने पास बुला लिया और सब लड़कियों को कहा कि वे इसको गर्म करें और डॉली की जांघों पर और चूतड़ों पर खूब चूमना शुरू करें.डॉली को पलंग पर अपने पास बिठा लिया और उसको कहा- आज मैं तुमको बैठ कर चोदूंगा.
उसकी टांगों को खोल कर मैंने अपनी कमर के चारों ओर फैला लिया और उसकी सफाचट चूत को अपने लंड के ठीक सामने ले आया.जैसे ही हम दोनों की पोजीशन ठीक हुई, मैंने उसके चूतड़ों को हाथों से उठा लिया और अपने लंड को डॉली की चूत में गृह प्रवेश करवा दिया, उसके लाल होटों को चूमते हुए और उसके मुम्मों को अपनी छाती से लगाते हुए मैंने डॉली से कहा कि अब वो मेरे को चोदे.
उसने भी झट अपने बाज़ू मेरे गले में डाल दिए और धीरे धीरे आगे पीछे होने लगी जैसे मेरे लंड पर बैठ कर झूला झूलने लगी.बाकि लड़कियों ने यह पोजीशन पहले कभी नहीं देखी थी, सब ध्यान मग्न हो कर डॉली की चुदाई को देख रही थी कि कैसे डॉली झूले में झूलते हुए मुझको चोद रही थी और इस नए सेक्स स्टाइल से कैसे दोनों के शरीर के सारे अंग एकदम साथ जुड़े हुए थे.
अब नेहा और जस्सी ने डॉली के चूतड़ों को अपने हाथ में ले लिया और पूनम ने डॉली के मुम्मे अपने कब्ज़े में कर लिए. यानि चारों लड़कियां चुदाई में शामिल हो गई और उनकी मिली जुली हरकत से डॉली बहुत ही जल्दी छूटने के सुहाने मोड़ पर पहुँच गई थी.
पूनम के डॉली के मम्मों की छेड़छाड़ से वो जल्दी ही अपने को रोक ना सकी और इस बार बड़े ही ज़ोरदार झटके के साथ चूत में से पानी का सैलाब उमड़ पड़ा.वो तो नेहा चौकन्नी थी, उसने झट उसकी चूत के नीचे एक तौलिया रख दिया और बेड की चादर खराब होने से बच गई.
अब डॉली तो मेरे से चिपक कर बैठ गई थी और मुझको छोड़ ही नहीं रही थी, नेहा ने ज़ोर से कहा- वो मैडम इधर आ रही है, जल्दी करो.तब कहीं डॉली ने मुझको छोड़ा और वो उठ कर बाथरूम में घुस गई.सब लड़कियाँ ज़ोर से हंस पड़ी.
फिर मैं कपड़े पहन कर जल्दी से अपने रूम में आ गया और आते ही कपड़ों समेत ही बिस्तर में लेट गया और बड़ी ही गहरी नींद में सो गया.दो औरतों और एक जवान लड़की को चोदना कोई खाला जी का खेल नहीं है, यह मुझको उस दिन महसूस हुआ.

कहानी जारी रहेगी.

 
दिल्ली से आगरा की बस में

दो औरतों और एक जवान लड़की को चोदना कोई खाला जी का खेल नहीं है यह मुझको उस दिन महसूस हुआ.इसी कारण सुबह मेरी नींद टाइम पर नहीं खुली और मुझको पूनम ने ही आकर जगाया और जल्दी से मैं मुंह हाथ धोकर चलने के लिए तैयार हो गया.पूनम ने ही मेरा बिखरा सामान बक्से में डाला और जल्दी से हम दोनों होटल के रेस्तराँ में पहुँच गए जहाँ सब नाश्ता कर रहे थे.नाश्ता खत्म करने के बाद हम सब बस में बैठने के लिए चल पड़े.
क्यूंकि मैं फिर रेनू के साथ सबको बस में बैठाने में लगा था तो सबसे आखिर में बस में चढ़ा और इसी कारण मुझको लास्ट की सीट मिली.वो 2 वाली सीट थी, जब मैं वहाँ बैठा तो मेरे साथ वाली सीट पर एक लड़की बैठी हुई थी.मैंने उसकी तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया और उस खाली सीट पर बैठ गया.आगे बैठी हुई मेरे ग्रुप की लड़कियाँ मेरी तरफ देख रहीं थी और इशारे कर रहीं थी कि मैं उनकी सीट पर आ जाऊँ लेकिन मैंने मना कर दिया.
बस जब शहर के बाहर निकल गई तो मैंने साथ वाली लड़की की तरफ देखा. लड़की का रंग सांवला था लेकिन नयन नक्श गज़ब के थे और शरीर भी काफी भरा पूरा था.वो भी अपनी आँखों की कोर से मुझको देख रही थी.मैंने उसको हेलो किया और उसने भी बड़ी सुरीली आवाज़ में मुझको जवाब दिया.
मैं बोला- मेरा नाम सतीश है और आपका नाम क्या है?लड़की बोली- मेरा नाम जेनी है, मैं इंटर के दूसरे साल में हूँ, आप कौन सी क्लास में हैं?मैं बोला- मैं इंटर के फर्स्ट ईयर में हूँ लेकिन मैंने आपको कभी कॉलेज में पहले देखा नहीं?जेनी बोली- मैं कुछ दिन पहले ही कॉलेज में आई हूँ, उससे पहले मैं अल्मोड़ा में पढ़ती थी.मैं बोला- आपसे मिल कर बड़ी ख़ुशी हुई.

बातों के दौरान दो बार उसका हाथ मेरी जांघों पर लगा और एक बार मेरे हाथ से भी टकराया.मैं रात को देर से सोया था, थोड़ी नींद लग रही थी, मैं आँखें बंद कर के बैठ गया लेकिन 5-10 मिन्ट में मुझको ऐसा लगा कि कोई हाथ मेरी जांघों के ऊपर आ गया है और धीरे धीरे वो मेरी जांघों पर रेंग रहा है.हल्के से आँख खोल कर देखा कि तो जेनी ने अपने ऊपर एक हल्की सी शाल कर रखी और उसका थोड़ा हिस्सा मेरी जांघों पर भी आ रहा था.वहीं से शायद उसका हाथ मेरी जांघों पर चल रहा था.
मैंने भी उसकी तरफ देखा तो वो एक प्यारी सी मुस्कान बिखेर रही थी लेकिन उसने अपना हाथ नहीं हटाया था.मैं भी उसकी मर्ज़ी समझ गया था और बस एक नज़र डाली सब ऊंघ रहे थे सो मैंने भी सब क्लियर देख कर अपना हाथ उसकी गोद में शाल के नीचे रख दिया और उसने भी अपना दायाँ हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया.
उसका बायाँ हाथ मेरे पैंट के ऊपर से मेरे लौड़े पर पड़ा था और उसको हल्के से सहला रहा था और अब मैंने भी अपना हाथ उसकी साड़ी के ऊपर से उसके चूत पर रख दिया था.जेनी ने अपने बाएं हाथ से मेरी पैंट खोलने की कोशिश करने लगी थी और मैंने उसकी मदद के लिए खुद ही पैंट की ज़िप खोल दी और अपना खड़ा लौड़ा बाहर निकाल दिया ताकि जेनी को कोई दिक्क्त न हो.
जेनी ने जैसे ही मेरे खड़े लौड़े पर हाथ रखा तो उसको एक झटका लगा और उसने झट से हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन मेरे हाथ ने उसको रोक दिया और मेरा दायाँ हाथ उसकी साड़ी को ऊपर करने की कोशिश करने लगा और फिर जेनी ने स्वयं ही अपनी साड़ी का एक कोना ऊपर कर दिया और मेरे हाथ को अपनी चूत पर रख दिया.
बालों से भरी हुई चूत पर इस तरह हाथ रखने से मुझको भी एक अजीब सी झनझनाहट हुई लेकिन मैंने भी हिम्मत करके हाथ को चूत पर रखे रखा और उधर वह मेरे लौड़े को अब अपने हाथ में लेकर उसके साथ खेलने लगी.
जब मैंने ऊँगली जेनी की चूत के अंदर डालने की कोशिश की तो वो अंदर नहीं जा पा रही थी क्यूंकि उसकी चूत उसके चूतड़ों के नीचे आ रही थी और इसी कारण वहाँ ऊँगली नहीं जा पा रही थी तब जेनी ने मेरी हेल्प के लिए अपने चूतड़ों को सीट में आगे की तरफ खिसका लिया.
मैंने जैसे ही जेनी की चूत में ऊँगली डाली वहाँ मुझको काफी गीलापन मिला.जेनी भी अब बेधड़क मेरे लंड को ऊपर नीचे करके मुठी मारने की कोशिश कर रही थी जिसका उसको काफी आनन्द आ रहा था और मुझको भी कोई कम मज़ा नहीं आ रहा था.
थोड़ी देर कोशिश करने के बाद जेनी ने मेरे कान में कहा- सतीश, क्या मैं तुम्हारे लंड को चूस सकती हूँ?मैं बोला- मुझको कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन तुम अपना देख लो कोई देख न ले तुमको?वो बोली- तुम अपनी सीट में आगे हो जाना न सो किसी को दिखाई नहीं देगा.मैं बोला- ठीक है कोशिश कर देखो.
वो धीरे से सीट के नीचे की तरफ बढ़ी और मैं भी थोड़ा उसकी तरफ मुड़ गया और उसने अपनी शाल अपने सर पर कर ली और मेरे और अपने को पूरा ढक लिया.मैंने भी फुसफुसा कर कहा- ठीक है, शुरू हो जाओ.उसने नीचे पहुँच कर मेरे लौड़े को मुंह में ले लिया और उसको आहिस्ता से लपालप चूसने लगी.
उसको बहुत ही आनंद आ रहा था लेकिन मुझको ज़्यादा फरक नहीं पड़ रहा था लेकिन मेरे हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके मुम्मों के साथ खेल रहे थे.अच्छे सॉलिड मुम्मे थे और ब्लाउज के बाहर से ही बड़े सुंदर लग रहे थे, जेनी ने थोड़ी देर लंड को चूसने के बाद पूछा कि और या बस मैंने उसको इशारा किया कि बस करो और ऊपर आ जाओ.
जब वो ऊपर सीट पर बैठ गई तो मैंने उसकी साड़ी को उसके घुटनों के ऊपर कर दिया और उसकी चूत में उसकी भग को आलखन से मसलने लगा, बायाँ हाथ उसके ब्लाउज के ऊपर रख कर उनको छेड़ने लगा..
भग और मुम्मों के साथ खेल में उसकी जांघें मेरे हाथ को अपने बीच में दबाने और खोलने लगी, थोड़ी देर और भग मसली तो जेनी एक कंपकंपी के साथ झड़ गई और मैंने झट से अपना रुमाल उसको दिया, उसने वो अपनी चूत के ऊपर रख लिया जिससे उसकी चूत का गीलापन उसकी साड़ी तक नहीं पहंच पाया और सारा का सारा रुमाल में समा गया.
मैंने अपना रुमाल वापस माँगा तो जेनी कहने लगी कि वो आगरा में इसको धोकर वापस दे देगी लेकिन मैंने कहा- नहीं, तुम मुझको ऐसा ही दे दो, इसमें समाई तुम्हारी चूत की खुशबू मुझको सूंघनी है और धरोहर के रूप में रखनी है.उसने हँसते हुए कहा- यह लो अपना रुमाल… लेकिन तुम एक बहुत ही स्वीट लड़के हो.मैंने भी जवाब में कहा- जेनी, तुम भी एक बहुत ही आकर्षक लड़की हो. अच्छा यह बताओ, क्या तुम आगरा में हमारे ग्रुप में शामिल होना चाहोगी?
फिर मैंने उसको अपने छोटे से ग्रुप के बारे में बताया और कहा कि हम सब बड़े उन्मुक्त तरीके से रहते हैं और खूब सेक्स भी करते हैं मिल कर.जेनी हैरानी से बोली- रियल सेक्स भी करते हो तुम लोग? मुझको विश्वास नहीं होता.मैं बोला- अगर तुम भी उन्मुक्त व्यवहार के पक्ष में हो तो हम तुम को अपने ग्रुप में शामिल कर सकते हैं लेकिन सेक्स ज़रूर करना पड़ेगा. बोलो तैयार हो?
जेनी पहले तो कुछ झिझकी फिर मान गई और बोली- सेक्स किसके साथ करना पड़ेगा?मैं बोला- पुरुष सिर्फ मैं हूँ, बाकी सब लड़कियाँ हैं तो कभी मेरे साथ और कभी आपस में! बोलो चलेगा?जेनी बोली- चलेगा अगर तुम्हारे साथ सेक्स करना है तो दौड़ेगा.
फिर हम दोनों आँखें बंद कर के थोड़ी देर के लिए झपकी लेने लगे.

कहानी जारी रहेगी.

 
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