जूली आबिदा की चुदाई को देख चुकी थी, वो बहुत ही कामुक हो चुकी थी, वो हर धक्के का जवाब बराबर के जोश के साथ दे रही थी और उसके साथ ही वो अपनी चूत को सिकोड़ना और खोलना जारी रखे हुए थी.फिर मैंने देखा कि जूली की चूत से सफ़ेद क्रीम जैसा पदार्थ निकलना शुरू हो गया और वो ज़ोर ज़ोर से हाय हाय… करने लगी और फिर जल्दी ही वो मेरे लंड के साथ नीचे पसर गई.
नैना ने तीसरी कैंडिडेट, जो नंदा थी, उसको मेरे पास लेकर आ गई, उसने नंदा से पूछा कि वो कैसे चुदना पसंद करेगी.नंदा बोली- मैं तो नीचे लेट कर चुदना पसंद करती हूँ, आओ सतीश राजा, तुम ऊपर से आ जाओ.मैं उसकी बगल में लेट गया और उसके मम्मों को हाथ से मसलने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसकी भग को मसलने लगा.
चूत के गीलेपन को देखते हुए मैं उसकी चूत में मुंह से चाटने लगा और जीभ कभी उसकी चूत के अंदर और कभी उसके भग को चूसने में मस्त हो गया और जब नंदा ने अपने चूतड़ों को उठा कर मेरे मुंह से जोड़ दिया और मेरा मुंह अपनी जांघों में दबा लिया तो मैं समझ गया वो एक बार झड़ गई है और दूसरी की तैयारी में है.
जैसे ही मैंने अपना लंड नंदा की गर्म चूत में डाला, वो सीधा ही उसके अन्तिम छोर तक चला गया और मैं भी वहाँ तक पहुँच कर ज़रा रेस्ट करने लगा, फिर धीरे से निकाल कर फिर धीरे से लंड अंदर धकेल दिया और यह प्रक्रिया मैंने कुछ देर जारी रखी और तब नंदा की चूत मेरे लंड को चूसने लगी और वो भी जल्दी जल्दी से अपने चूतड़ों को उठा कर मेरे लंड की लय में रम गई.नैना जो हम दोनों को देख रही थी वो भी नंदा के मम्मों को सहलाने लगी ताकि वो जल्दी ही स्खलित हो जाए और हम दोनों के इस प्रयास से नंदा भी 10 मिन्ट पूरे होने से पहले ही मैदान में ढेर हो गई.
नैना ने मुझको अब रेस्ट करने के लिए गद्दे पर लिटा दिया और अपने बैग में से तेल की एक शीशी निकाली और मेरे लंड को हल्के हल्के मालिश करने लगी.थोड़ी देर बाद वो मेरे लिए स्पेशल दूध जो वो बना कर लाई थी, वो मुझको पिलाया.
दूध के पीते ही मुझमें नई शक्ति का संचार होने लगा और मेरे शरीर में जो हल्की सी थकावट थी वो दूर होने लगी.डॉली जो लिस्ट के मुताबिक अगली लड़की थी, उसको लेकर नैना मेरे पास आई लेकिन उसको खूब चूमती और उसकी चूत में ऊँगली करती हुई आई.
डॉली एक खूबसूरत लड़की थी जिसका शरीर काफी भरा पूरा था और उसका अंग प्रतिअंग जवानी की मदहोशी से लबालब भरा हुआ था.उसने घोड़ी बन कर चुदने का तरीका पसंद किया तो नैना ने उसको घोड़ी बना दिया और साथ में उसके चूचों को चूसती हुई और ऊँगली से भग को सहलाती हुई मेरे पास लाई ताकि वो चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाए.
डॉली को मेरे सुपुर्द करके नैना बाकी की दोनों लड़कियों के साथ भी चूमाचाटी करने लगी ताकि वो भी मेरी चुदाई के लिए तैयार हो जाएँ और मुझको कम मेहनत करनी पड़े.डॉली तो तैयार ही थी, उसकी तीव्र चुदाई मैंने शुरू कर दी और उसके चूतड़ों को हाथ से पकड़ कर मैं सरपट भागते घोड़े की स्पीड से डॉली को चोदने लगा और जल्दी ही उसको छूटने के कगार पर ले आया और फिर आखिरी ज़ोरदार धक्के के बाद वो कंपकंपाती हुई छूट गई.
उसके हटते ही नैना हेमा को मेरे पास लेकर आ गई और वो भी चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार थी, वो मेरी साइड पर लेट गई और मैं लेटे हुए ही उसकी टांग को अपने ऊपर ले कर उसकी फूली हुई चूत में अपना लंड डाल कर धीरे धीरे चोदने लगा.मोटे और लम्बे लंड के कारण हेमा अपनी आँखें बंद किये हुए चुदाई का आनन्द ले रही थी.
मैंने चोदते हुए उससे पूछा- कैसा लग रहा है जानम?हेमा बोली- सच बताऊँ? आज तुम्हारा लंड कुछ ज़्यादा लम्बा और गर्म सलाख की तरह लग रहा है और जैसे यह अंदर जा रहा है वैसे ही मेरी तपती हुई चूत को शान्ति मिल रही है.
फिर तेज़ धक्काशाही के बाद हेमा भी जल्दी ही हे माँ… कहती हुई झड़ गई और अपने गोल चूतड़ों को मेरे लंड से जोड़ कर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी और उसकी गर्म चूत में से पानी का फ़व्वारा सा छूट पड़ा जो सब देख रही लड़कियों को बड़ा अजीब लग रहा था.
नैना ने बताया- यह कोई अजीब बात नहीं है, कई लड़कियाँ और औरतें अपनी चूत से काफी पानी छोड़ती हैं जब उनका स्खलन होता है, खासतौर पर तब जब उन्होंने अपनी काम इच्छा को काफी देर तक दबा रखा हो.
अब ज़ूबी की बारी थी जिसको मैं पहली बार चोद रहा था क्यूंकि वो कुछ दिन पहले ही अपनी माहवारी से निवृत हुई थी और सब लड़कियों के साथ मैं उसको नहीं चोद सका था.उसके शरीर को ध्यान से देखा तो वो काफी सुन्दर लड़की थी और पूरी तरह से सुडौल और अति सुन्दर शरीर की मालकिन थी.
मैंने उससे पूछा कि वो कैसे चुदना पसंद करेगी तो ज़ूबी ने जवाब दिया मैं केवल अपने तरीके से चुदना चाहती हूँ.सबने पूछा- वो तरीका क्या है?ज़ूबी बोली- अभी आप सब देख लेना वो कौन सा तरीका है. सतीश, तुम मुझ को हाथ नहीं लगाओगे जब तक मैं नहीं कहूँ. मंज़ूर है क्या?मैं बोला- जैसे तुम चाहो… लेकिन याद रखना, तुम्हारे पास समय सिर्फ 10 मिन्ट का है.ज़ूबी बोली- ठीक है, मैं 10 मिन्ट का समय ही लूंगी.
यह कह कर ज़ूबी कभी मेरे एकदम पास आ जाती और अपने मुम्मों को मेरी छाती से रगड़ कर फिर वापस चली जाती और मैं उसके मोटे और गोल मुम्मों को घूरता रहता.ऐसा उसने 3-4 बार किया और फिर वो मुझको लेकर गद्दे पर लेट गई लेकिन मेरे से काफी दूर और फिर उसने अपने हाथों को मेरे शरीर पर फेरना शुरू किया.
वो मेरे निकट आई और मेरे लंड को धीरे से हाथों से हिलाने लगी और फिर लंड को ऊपर नीचे करने लगी और अपने मुम्मों को और अपनी बालों से भरी चूत को मेरे लंड के ऊपर रगड़ने लगी.वो कोशिश कर रही थी कि मैं अपना धैर्य खो दूँ और उसके सामने घुटने टेक दूँ लेकिन मैं भी नैना का शागिर्द था तो उसकी हर चाल को बेकार करता हुआ डटा रहा मैदान में!
ज़ूबी जब हर कोशिश में नाकाम हो गई तो वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और मुझको ज़ोर ज़ोर से चोदने लगी और मैं भी अपने पर संयम रखते हुए अपने शरीर और हाथों को ज़रा भी नहीं हिला रहा था.नैना ने थोड़ी देर में ज़ोर से कहा- ज़ूबी, तुम्हारा समय खत्म हो गया है और तुम सतीश के ऊपर से फ़ौरन उतर जाओ!इस समय में ज़ूबी का केवल एक बार ही छूटा.
ज़ुबैदा, जूली और हेमा तीनों मेरे पास नंगी मलंगी आ गई और मेरे शरीर के अंगो को छूने लगी जैसे हेमा मेरे लौड़े के साथ खेल रही थी और बाकी दोनों मेरी चौड़ी छाती के निप्पलों को मसल रही थी.
कहानी जारी रहेगी.