XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 8 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

जस्सी झट से उठी और आकर हमारे बीच में खड़ी गई और हम दोनों को जफी डाली.मैंने एक हाथ अब जस्सी के कूल्हों के ऊपर रख दिया और उसकी कमीज के ऊपर से उसके चूतड़ों को रगड़ने लगा.फिर मैंने जस्सी के खुले हुए होटों के ऊपर एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने दोनो हाथों से जस्सी और परी को पकड़ा और दोनों को अपने से पूरी तरह से लिपटा लिया, अपने हाथ मैंने दोनों के उरोजों पर रख दिए जो गोल और बहुत ही सॉलिड थे.
इतने में दरवाज़ा खुला और नैना एक ट्रे में हम तीनों के लिए खास दूध लेकर आई और बोली- चलो चलो, तुम सब यह दूध पहले पी लो फिर और कुछ करना.हम भी गिलास पकड़ कर दूध पीने लगे तब मैंने देखा की परी और जस्सी की नज़र मेरी पैंट पर थी जिसमें मेरा लंड एकदम खड़ा और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था.
परी ने एक हाथ से मेरी पैंट के बटन खोल दिए और लपक कर लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया.जस्सी एकटक मेरे लंड को देख रही थी और मुझको लगा कि उसने पहले खड़ा लंड नहीं देखा था हालांकि उसने सिनेमा हाल में इसके साथ खूब खिलवाड़ किया था लेकिन देख नहीं पाई थी.
दूध खत्म होने के बाद नैना ने हम सबका चार्ज अपने हाथों में ले लिया.नैना बोली- सबसे पहले छोटे मालिक परी को चोदेंगे और जस्सी इस चुदाई के खेल को ध्यान से देखगी. क्यूंकि चुदाई के समय थोड़ी बहुत तकलीफ तो होगी न जस्सी को तो इन दोनों की गरम चुदाई देख कर थोड़ी गरम भी हो जायेगी, क्यों ठीक है न?
हम सबने हामी में सर हिला दिया, फिर हम सब अपने अपने कपड़े उतारने में लग गए.परी को तो नंगी मैंने देखा ही था लेकिन जस्सी को पहली बार देख रहा था तो उसको मैं बड़ी उत्सुकता से देख रहा था.
जब दोनों नंगी हो गई तो मैंने देखा कि परी के मम्मी गोल और छोटे हैं लेकिन जस्सी के गोल और बहुत ही मोटे लगे. मैंने आगे बढ़ कर जस्सी के मम्मों को हाथ से तोलना शुरू किया.वास्तव में वो काफी उम्दा किस्म के मम्मे थे और जस्सी के शरीर की शान थे. उसके चूतड़ भी गोल और ज़्यादा उभरे हुए थे और बार बार घोड़ी बना कर चोदने लायक थे.उस की चूत भी कुछ ज़्यादा उभरी हुई थी हालांकि घने काले बालों के बीच छुपी हुई थी.
यह सारा नीरीक्षण करने के बाद मेरे लंड की अकड़ और अधिक हो गई और वो सीधा जस्सी की तरफ ही इशारा कर रहा था.तब तक जस्सी को लेकर नैना पलंग के दूसरी तरफ चली गई और मुझको, परी को पलंग की ओर धकेल दिया.
मैंने परी को एक बहुत सख्त जफ़्फ़ी मारी और उसको चूमते हुए पलंग पर ले आया, उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो बेहद गीली हो चुकी थी.अब मैंने परी को घोड़ी बनाया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और उस पर अपना लंड रख कर नैना की तरफ देखने लगा.उसने हल्के से आँख का इशारा किया और मैंने झट से लंड पहले थोड़ा और फिर पूरा का पूरा परी की चूत में डाल दिया..
उसके मुंह से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी और वो स्वयं ही अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी.यह देख कर मैं अपने घोड़े को सरपट दौड़ाने लगा और रेल के इंजिन की तरह अंदर बाहर करने लगा.मेरे हाथ उसके मम्मों की सेवा में लग गए.
परी की चुदाई को जस्सी बड़े आनन्द से देख रही थी और नैना के हाथ की उंगली उसकी कुंवारी चूत पर चल रही थी और उसको मस्त कर रही थी.जस्सी का मुंह खुला हुआ था और उसका एक हाथ अपने मम्मे को टीप रहा था और उसकी जांघें नैना को हाथ को कभी जकड़ रही थी और कभी उसको छोड़ रही थी.
कोई 6-7 मिन्ट में ही परी बड़ी तीव्रता से झड़ गई और पलंग पर पसर गई.मैंने उसको सीधा किया और ताबड़तोड़ उसके होटों को चूमने लगा और उसके मम्मों को चूसने लगा. वो बुरी तरह से कसमसाने लगी लेकिन मैंने उसको सांस लेने के लिए भी समय नहीं दिया.
तब नैना आई और मुझको उठा कर जस्सी की तरफ ले गई और मेरे लौड़े को भी गीले कपड़े से साफ़ करती गई.मैंने जाते ही जस्सी को अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके लबों को चूसने लगा.उसका हाथ अब मेरे लौड़े से खेल रहा था.
तब नैना ने जस्सी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और मेरे लंड को भी क्रीम लगा कर तैयार कर दिया.मैं जस्सी के गोल और मोटे मम्मों को चूसने लगा, उसके खड़े निप्पलों को भी बारी बारी लोली पोप की तरह चूसने लगा.नैना ने मेरे चूतड़ पर हल्की सी थपकी मारी और मैं समझ गया कि चूत में लंड के जाने का समय निकट आ गया है, मैंने लंड को हल्का से एक धक्का दिया और वो एक इंच अंदर चला गया और फिर एक और धक्का मारा तो आगे का रास्ता बंद मिला.मैंने लंड को बाहर निकाला और उसको उसकी भग पर रगड़ा और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड पूरा अंदर और जस्सी हल्के से चिल्लाई- मर गई रे!

 
अब मैं लंड को अंदर डाल कर आलखन करने लगा. यह पहला प्रवेश चूत और लंड के पहले मिलाप की घड़ी होती है और एक दूसरे को पहचानने को और एडजस्ट करने का समय होता है. नैना के मुताबिक़ इस वक्त कभी भी जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिये और चूत और लंड को पूरा मौका देना चाहये कि वो आपस में हिलमिल सके और एक दूसरे को पहचान सकें.
मैं भी नैना की बताई हुई बातों का ध्यान रखते हुए जस्सी को होटों पर चुम्बन और मम्मों को चूसने में लग गया.ऐसा करने से जस्सी अपनी चूत में हो रहे दर्द को भूलने लगी और नीचे से चूतड़ की थाप देकर मुझको लंड चलाने के लिए उकसाने लगी.
मैं भी धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. पूरा लौड़ा निकाल कर फिर धीरे से अंदर डालने में मुझको भी बहुत मज़ा आने लगा और जस्सी के भी आनन्द की सीमा नहीं रही.नैना हमारे दोनों के पसीने पौंछ रही थी और परी एक हाथ से अपनी भग को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को अंदर बाहर होते महसूस कर रही थी.
जस्सी की चूत में से अब काफी रस निकल रहा था जो सफ़ेद झाग वाला था. उसके मम्मों के निप्पल एकदम खड़े थे और मैंने चूस चूस कर उनका दूध अपने अंदर कर लिया था.नैना जो चुदाई की रेफरी बनी हुई थी, मुझको चूतड़ों पर बराबर थपकी दे रही थी और मैं उसकी थपकी के कारण अपनी स्पीड बढ़ाने लगा.
ऐसा करने के कुछ मिन्ट में ही जस्सी छूट गई और चूतड़ उठा कर मुझसे नीचे से लिपट गई और मुझको कस कर अपने बाहों में जकड़ लिया जबकि उसका शरीर ज़ोर से कांपने लगा.हम दोनों कुछ क्षण इसी तरह एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहे और जब सांस ठीक हुई तो जस्सी ने मेरे मुंह अपने मुंह के पास लाकर ज़ोरदार किस होटों पर किया और बोली- थैंक यू सतीश, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.मैं बोला- तुम्हारा भी थैंक यू जस्सी, तुमने मुझको लाजवाब तोहफा दिया.
नैना ने दौड़ कर हम दोनों का बदन साफ़ कर दिया और जस्सी की चूत पर लगे खून के धब्बे भी अछी तरह से साफ़ कर दिए.जस्सी अब बिस्तर पर पसर गई थी और नैना उसकी चूत पर क्रीम लगा रही थी ताकि उसको कम दर्द हो.परी की नज़र अभी तक मेरे लौड़े पर अटकी थी क्यूंकि वो अभी भी खड़ा था.
नैना ने मुझ को और जस्सी को स्पेशल दूध का गिलास दिया.दूध पीने के बाद मैं काफी फ्रेश हो गया था और परी की चूत और मम्मों की तरफ देख रहा था.
परी धीरे से आई और मेरे लंड से खेलने लगी और हैरान होकर नैना से पूछने लगी- यह सतीश का लंड कभी बैठता भी है यह सारा दिन इसी तरह खड़ा रहता है.नैना बोली- तुम जैसी खूबसूरत और कमसिन लड़की को देख कर मेरा भी अगर लंड होता तो वो भी ऐसे ही खड़ा रहता.मैं बोला- तुम चीज़ ही बड़ी मस्त हो परी और तुम्हारी सहेली जस्सी भी कम नहीं यार!
परी मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मुझको यकीन था कि वो भी चुदाई के मूड में है. मैंने नैना को इशारा किया कि वो परी को संभाल ले थोड़ी देर तक!तब नैना ने अपना ब्लाउज उतारा और साड़ी और फिर पेटीकोट भी उतार दिया.
उसने परी की कमर में हाथ डाला और उसके मुंह पर ज़ोरदार चुम्मी की.पहले तो परी हैरान होकर देख रही थी कि यह क्या हो रहा है और फिर उसको मज़ा आने लगा, उसने भी चुम्मी का जवाब चुम्मी से दिया.तब नैना ने उसको ज़ोर से अपनी मोटी बाँहों में भींच लिया, फिर उसके मम्मों को चूसने लगी, पहले दायाँ और फिर बायाँ.एक हाथ उसने उसकी बालों भरी चूत में डाल दिया और उसकी भग को मसलने लगी. फिर उसने परी की गोल मस्त गांड को गोल गोल मसलना शुरू कर दिया.
पारी को खूब मस्ती चढ़ गई, वो भी नैना की चूत को छेड़ने लगी.इधर जस्सी की भी आँखें दोनों की तरफ ही थीं, वो यह अजीब तमाशा देख रही थी और अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी.उसके हाथ को हटा कर अब मैं भी उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा.
तब तक नैना परी के साथ मेरे पास आई और आते ही बोली- छोटे सरकार आपका स्पेशल गिफ्ट तैयार है. इस गीले और चुदासे गिफ्ट को कबूल फरमायें.मैंने भी उसी लहजे में कहा- शाबाश मलिका-ए-औरतजात, आपने पूरी मेहनत से यह तोहफा तैयार किया है, यह हमको कबूल है!
यह कह कर मैंने परी को अपने आगोश में भर लिया और ताबड़तोड़ चूमने का दौर शुरू कर दिया.उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो एकदम तरबतर थी अपने सुगन्ध भरे पानी से.
मैंने परी को जस्सी की बगल में लिटा दिया और झट से उसकी खुली टांगों में बैठ कर अपनी तोप का निशाना साधने लगा.परी ने जब अपनी टांगें बिलकुल फैला दी तो शाहे-ऐ-आलम समझ गए की भट्टी पूरी तरह से गर्म है, पहले धीरे से डाला लंड को और वो पानी की फिसलन से एकदम आधा अंदर चला गया, अगला धक्का लंड को उसकी चूत की गहराई तक ले गया, अंदर पहुंचा कर कुछ दम लेने लगे हम दोनों.
उधर जस्सी के साथ नैना छेड़छाड़ कर रही थी क्योंकि उसको अभी भी चूत में थोड़ा सा दर्द था लेकिन वो परी और मेरी चुदाई को बड़े ध्यान से देख रही थी.अब धीरे धीरे मैंने परी को अपनी पूरी स्पीड से चोदना शुरू किया, पहले लेट कर फिर उसको अपने ऊपर लेकर पोजीशन बदल बदल कर चोदना शुरू किया.अंतिम धक्के उसको घोड़ी बना कर लगाए, फिर जब वो छूटी तो उठ कर मेरे गले से लिपट गई.

कहानी जारी रहेगी.
 
मैं और मेरा औज़ार

मेरा लौड़ा अभी भी खड़ा था. अब मैंने सोचना शुरू किया कि मेरे लौड़े का इस तरह हर समय और देर तक खड़े रहना शायद आम आदमियों जैसा नहीं है.फिर मैं उन कारणों के बारे में सोचने लगा जिनके कारण ऐसा मेरे लंड के साथ होता था.
मैंने देखा अक्सर जब मैं किसी नौकरानी को देखता था तो मुझे ऐसा लगता था कि यह अपनी चूत मुझको आसानी से दे देगी और किसी ऊंचे घराने की औरत या लड़की को देखता था तो मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं आता था.शायद यही कारण रहा होगा कि मेरा आकर्षण हमेशा निर्धन औरतों की तरफ ज्यादा रहता था और उनके साथ ही मेरा लंड अपने पूरे जोबन पर रहता था.किसी खूबसूरत लड़की को देख कर मेरे लंड में कभी कोई हरकत नहीं होती थी लेकिन उसके साथ चल रही भरी पूरी नौकरानी को देख कर मेरा लंड हिलोरें मारने लगता था.
इसका मुख्य कारण शायद यह था कि मुझको जन्म से ही नौकरानियों ने ही पाल पोस कर बड़ा किया था और मैं अपनी माँ या और भद्र महिलाओं के पास बहुत कम ही गया था.लेकिन इसका अपवाद था चाची और उसकी बेटी को चोदना और अभी परी और जस्सी के साथ चुदाई.

रही बात मेरे लंड के देर तक खड़े रहने का रहस्य वो तो मेडिकल साइंस ही बता सकती है कि इसका क्या कारण था. कहानी में आगे चल कर जब यह समस्या डॉक्टरों को बताई तो इस पर कई मेडिकल टेस्ट्स हुए जिनके नतीजे के अनुसार यह एक किस्म का रोग होता है जो लाखों में किसी एक को होता देखा गया.इस मीठे रोग के बारे में आगे चल कर काफी चर्चा की जायेगी ताकि मेरे इस अद्भुत रोग का पूरा खुलासा किया जा सके और आपके मन में उठ रही शंकाएं थोड़ी कम की जा सकें.
यह भी आज़माई हुई बात थी कि मैं अपने लंड को काफी देर तक खड़ा रख सकता था या वो एक बार झड़ने के बाद बिना विलम्ब दूसरी या तीसरी बार भी खड़ा हो जाता था.कई कई बार मेरा फव्वारा छूटने के बाद लंड को चूत में ही पड़ा रहने देता था जहाँ वो बिना हिलाये अपने आप खड़ा रहता था और दुबारा चुदाई की हिम्मत रखता था.
मैं अभी भी इसको कुदरत की मेहर मानता था और कभी अहंकार नहीं करता था कि मुझमें कोई ऐसी अद्भुत शक्ति है.लेकिन जो भी लड़की या औरत मेरे निकट आती थी वो मेरे लौड़े की मुरीद हो जाती थी लेकिन वो मेरी तरफ इसलिए भी खिंची चली आती थी क्यूंकि उनके अनुसार मेरा चेहरा और शरीर का गठन बड़ी ही मासूमियत भरा लगता था उन सबको.शक्ल से मैं एक छोटी उम्र वाला लड़का लगता था लेकिन जब मेरे शरीर को देखा जाता था तो वो एक जवान मर्द वाला शरीर लगता था.
मैं समझता हूँ यह भी एक कारण हो सकता है जिसके कारण शादीशुदा औरतें भी मेरी पक्की मुरीद थीं और हर समय मुझसे चुदवाने के लिए तैयार रहती थी.इस विचार को नैना, छाया, फुलवा और चंचल भी मानती थी.
अब आगे की कहानी…
परी और जस्सी नाश्ता करके अपने घर चली गई क्योंकि वो दोनों बहनों के आने से पहले वहाँ से जाना चाहती थी.उनके जाने के बाद मैं भी कालेज चला गया और आने वाले इलेक्शन में अपना योगदान देता रहा.वापस आते हुए काफी शाम हो गई थी, आते ही मैं अपने बिस्तर पर लेट गया.
नैना चाय लेकर आ गई और मैंने पारो को भी बैठा लिया और वो जो साड़ी और ब्रा इत्यादि लाई थी, मुझको दिखाने लगी.मैंने कहा- रात को तुम दोनों इनको पहन कर दिखाना, देखें कैसे लगती हो तुम दोनों इन नए कपड़ों में!
थोड़ी देर बाद पारो आई और बोली- वो चंचल आई है, आपसे बात करना चाहती है.मैं बोला- ले आओ उसको यहाँ ही, वो तो अपनी है न!
जब पारो चंचल को लेकर आई तो देख कर हैरान रह गई कि वो नई डिज़ाइन की साड़ी और हाथ में पर्स लेकर आई. चंचल के इस रूप से नैना बड़ी खुश हो रही थी और साथ में पारो भी उसको हैरानी से देख रही थी.
दोनों ने उससे पूछा- वाह चंचल, कमाल कर दिया तुमने, बड़ी सुन्दर साड़ी है, और यह पर्स भी एकदम फस्ट-क्लास है. बड़ी सुन्दर लग रही है चंचल… क्यों छोटे मालिक?मैंने कहा- बहुत सुंदर लग रही हो, बोलो सब घर में कुशल मंगल है न?चंचल मुस्कराते हुए बोली- छोटे मालिक, बस कमाल का जादू किया आपके लंड ने. चूत ने जब बहुत कहा तो मैं आपके पास चली आई!मैं बोला- क्यों पति घर में नहीं है क्या?वो हँसते हुए बोली- वही तो, वो आज सुबह बाहर गए हैं. मैंने सोचा चलो आज छोटे मालिक की सेवा ही कर देते हैं?
मैंने नैना की तरफ देखा, उसने मुझको आँख मारी और कहा- हाँ हाँ अच्छा किया, छोटे मालिक बेचारे उदास बैठे थे. तुम आ गई हो तो इनका दिल बहल जाएगा.फिर वो तीनों बातें करती हुई रसोई में चली गई फिर वो चंचल को अपनी कोठरी ले गई.

 
मैं उठा और बैठक में आकर बैठ गया. थोड़ी देर में गीति और विनी भी आ गई. दोनों का मूड एकदम खराब लग रहा था.पूछने पर गीति ने बताया- हमारा दिल नहीं लग रहा है लखनऊ में, हम वापस जाना चाहती हैं.
मैंने कहा- ऐसी क्या बात हुई कि आप दोनों का मूड उखड़ गया लखनऊ से?गीति बोली- कोई संगी साथी ही नहीं हमारा यहाँ!मैं बोला- क्यों परी है, जस्सी है, दोनों ही तो तुम्हारी सहेलियाँ हैं न?
गीति बोली- हैं तो सही लेकिन वो हमसे ज़्यादा मिक्स नहीं हो पाई. मेरी और विनी की दूसरी सहेलियाँ हैं लेकिन हम उनको नहीं बुलाती यहाँ यही सोच कर कि तुमको शायद अच्छा नहीं लगेगा.मैं बोला- नहीं नहीं, मेरी परवाह न किया करो. जिसको भी बुलाना हो, तुम बुला सकती हो लेकिन नैना आंटी को पहले बता दिया करना ताकि वो खाने पीने का इंतज़ाम कर दिया करे.
विनी बोली- सच्ची सतीश भैया, हम बुला सकती हैं क्या किसी भी सहेली को?मैं बोला- हाँ हाँ, बेझिझक बुला लिया करो, जैसे तुमने परी को बुलाया था वैसे ही… और खूब मौज मस्ती करो!
यह सुन कर दोनों ही बहुत खुश हुई और जल्दी से आकर मुझको जफ़्फ़ी डाल दी, बड़ी मुश्किल से दोनों को अपने से अलग किया और वो ख़ुशी ख़ुशी अपने कमरे में चली गई.
मैंने नैना को बुलाया और कहा- दोनों बहनें अपनी सहेलियों को बुलाना चाहती हैं क्यूंकि वो काफी बोर हो रहीं हैं, ठीक है न नैना?नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक.मैं बोला- वो तुमको बता दिया करेंगी जब भी कोई सहेली आने वाली होगी ताकि तुम खाने पीने का इंतज़ाम कर दो.
रात को जैसे होना था, हमारी चुदाई का दौर चंचल से शुरू हुआ. नैना पहले ही माहवारी की वजह से कुछ रातों के लिए छूट्टी ले गई थी सो हम तीनों ही थे मैदाने जंग में!
चंचल की साड़ी उतारने का हमने एक खेल बनाया, पहले मैंने उसका ब्लाउज उतारा और फिर पारो ने उसकी साड़ी उसके चारों ओर गोल घूम कर उतार दी.फिर मैंने उसकी नई ब्रा को उतारने की कोशिश की लेकिन हम उसमें कामयाब नहीं हुए, उसको कैसे उतारा जाता है, हमें समझ नहीं आ रहा था.
चंचल ने खुद ही अपनी ब्रा खोल दी. फिर उसने बताया कि उसके हुक कहाँ होते हैं और उनको कैसे खोला जाता है.अब पारो को नंगी करने का वक्त था, ब्लाउज चंचल ने उतारा और साड़ी मैंने और फिर पेटीकोट को भी चंचल ने उतारा और इस तरह हम तीनों नंगे थे.
चंचल पारो के मोटे चूतड़ों से बड़ी प्रभावित थी इसलिए वो उसके मोटे और चौड़े चूतड़ों पर हाथ फिरा रही थी.फिर पारो ने कहा कि आज तो चंचल की चूत की खातिर करनी है क्यूंकि बहुत दिनों बाद आई है.
इसलिए उसने चंचल को बिस्तर पर लिटाया और एक उरोज को वो चूसने लगी और दूसरा मेरे मुंह में घुसेड़ दिया.चंचल का एक हाथ मेरे खड़े लंड के साथ खेल रहा था और दूसरा उसने पारो की चूत में डाल रखा था और हम तीनों अपने काम में लगे पड़े थे.
जब चंचल बोली- शुरू करो छोटे मालिक!तो मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे के ऊपर रख दिया और एक धक्के में पूरा लंड अंदर कर दिया.उसकी चूत एकदम बहुत गीली हो रही थी, लंड आज़ादी के साथ अंदर बाहर हो रहा था.
फिर मैंने पारो को इशारा किया कि वो भी हमारे साथ लेट जाए और चंचल के मम्मों को चूसे.
अब जब चंचल का छूटने वाला हुआ तो मैंने लंड निकाल कर पारो की मोटी चूत में डाल दिया और चंचल एकदम तड़फने लगी.फिर वो पारो की चुदाई में हमारे साथ हो गई. पारो का वैसे भी बहुत जल्दी छूट जाता था तो चंचल उसकी भग को रगड़ने लगी.
थोड़ी देर में पारो भी कमर उठा कर लंड को बीच में ले रही थी, मैं समझ गया कि पारो का छूटने के नज़दीक पहुँच गया है, मैंने लंड को वहाँ से निकाला और चंचल की नाजुक चूत में डाल दिया.अब पारो सर हिला कर लंड को मांगने लगी.
मैंने कहा- रुको मेरी जान, आज मैं तुम दोनों का छूटने नहीं दूंगा.यह कह कर चंचल की चूत में लंड की रेल गाड़ी चला दी.वो चालाक थी, उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के चारों और बाँध दिया और मुझको लंड निकालने का मौका ही नहीं दिया.
जब चंचल छूटी तो उसके शरीर में एक अजीब किस्म की तड़फड़ाहट हुई जो मैंने और पारो ने देखी और उसकी चूत से पानी की एक ज़ोरदार धारा बह निकली.बाद में वो इस कदर ज़ोर से काम्पने लगी कि मैं जो उसके ऊपर था, भी हिलने लगा.
फिर मैंने और पारो ने उसको कस कर पकड़ा तब वो कुछ संयत हुई.पारो बोली- वाह चंचल, क्या छूटी है री तू? कमाल कर दिया तूने तो!
अब मैं पारो के ऊपर फिर चढ़ गया और उसको ऐसे चोदना शुरू किया कि उसको कई बार छूटने के मुकाम पर लाकर फिर उसको छुटने से वंचित कर रहा था.आखिर वो तंग आ गई और उसने मुखे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ बैठी, वो मुझ को चोदने लगी अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़.थोड़ी देर में उसका पानी भी झड़ गया और वो थक कर मेरे ऊपर ही पसर गई.
रात भर हम जागते, चोदते और फिर हम तीनों थक कर सो गए.
सुबह नैना ने चंचल से पूछा- क्या हुआ तेरे गर्भ धारण करने का प्लान? कुछ हुआ या नहीं?वो बोली- अभी तो 2 दिन ऊपर हैं, कह नहीं सकती कि है या नहीं.नैना बोली- अरे वाह, दाई के होते हुए तुझको काहे का फ़िक्र है री? चल उठ अभी तुझको चैक करती हूँ.
चाय पीने के बाद नैना ने मेरे सामने ही चंचल को चेक किया.नैना गंभीर मुंह बना कर बोली- चंचल तू कैसी है री, तुझको गर्भ ठहर गया है री!चंचल एकदम चौंक कर बोली- अच्छा दीदी, तुम कैसे कह सकती हो? मुझको तो कुछ महसूस नहीं हो रहा है?नैना बोली- अब जा घर अपने… और 15 दिन यहाँ नहीं आना! कच्चे दिनों में चुदवायेगी तो कुछ भी हो सकता है, जा भाग, तुझको गर्भ ठहर गया है.हम सब ख़ुशी से उछल पड़े और चंचल को गले लगा लिया सबने बारी बारी.

कहानी जारी रहेगी.

 
छवि और सोनाली के दांव पेच

रात भर हम जागते, चोदते और सोते रहे. यही क्रम काफी रात चला और फिर हम तीनों थक कर सो गए.
अगले दिन कॉलेज से आया तो नैना मेरे कमरे में आई और बोली- छोटे मालिक दोनों बहनों ने अपनी चार सहेलियों को रात रहने के लिए बुला लिया है, अब क्या करें?मैं हैरान हो गया, मैंने नैना से पूछा- रात रहने को क्यों बुलवाया उनको? और उनके माँ बाप ने इजाज़त दे दी थी क्या?नैना बोली- छोटे मालिक, यह तो मैं नहीं जानती लेकिन उनके परिजन उनको रिक्शा में छोड़ने आये थे. इसका मतलब है कि उनकी रजामंदी से वो आई हैं.
मैं बोला- नैना डार्लिंग, तुम जाकर बहनों को कहो कि मैं उन सब मेहमानों से मिलना चाहता हूँ बैठक में!नैना ‘अच्छा’ कह कर चली गई.

थोड़ी देर में दोनों बहनें अपनी चारों सहेलियों के साथ बैठक में आ गई.
गीति ने सबसे परिचय करवाया. मैंने सबको ध्यान से देखा सभी काफी अच्छी दिख रही थी.सबसे सुन्दर सोनाली दिख रही थी, साड़ी और ब्लाउज में कॅाफ़ी आकर्षक लग रही थ. दूसरी जो लड़की मुझको भाई, वो आशु थी.
बाकी की दोनों भी अच्छी थीं लेकिन उनमें से केवल छवि कुछ अलग लग रही थी, उसके नयन नक्श बहुत तीखे और शरीर काफी भरा पूरा था और वो सबसे सेक्सी लग रही थी.वो भी मुझको घूर कर देख रही थी और मैं भी उसको एकटक देख रहा था. हमारी आँखें चार क्या हुईं अलग होने का नाम ही नहीं ले रहीं थी.यह बात बाकी लड़कियों से छिपी नहीं रही और वो हंस हंस कर छवि को छेड़ने लगी.
मैं बोला- आप सबका स्वागत है, जो चीज़ भी चाहिए हो, आप बेझिझक नैना आंटी को बोल सकते हैं और गीति तुमने अपनी फ्रेंड्स को कैसे एंटरटेन करने का फैसला किया है?गीति बोली- क्यों फ्रेंड्स, कैसे एंटरटेन होना चाहती हो तुम सब? बोलो बोलो? वैसे यह हम लड़कियों की पजामा पार्टी है. तुम बताओ कैसे आप सबको आनन्द प्रदान कर सकती हैं?
सबसे पहले छवि बोली- हम लड़कियाँ मिलजुल कर डांस करेंगी. यह जो ग्रामोफोन रखा है सतीश, क्या यह काम करता है?मैं बोला- हाँ हाँ, बिल्कुल करता है. मैंने बिल्कुल नई फिल्मों के गानों के रिकार्ड्स भी रखे हैं, आप उस दराज़ में देखिए सब मिल जाएंगे.
छवि लपक कर दराज़ से रिकार्ड्स निकाल लाई और उनको पढ़ने लगी. जो नई फिल्मों के थे, उनको एक तरफ कर दिया और बाकी उस ने दराज़ में वापस डाल दिए.
तब छवि बोली- केवल लड़कियों का आपस में डांस का क्या मज़ा आएगा? अगर सतीश बुरा न माने तो वो हम सबके साथ डांस करे तो बड़ा मज़ा आएगा.सब चिल्ला पड़ी- हाँ हाँ सतीश, तुम हमारे साथ डांस करना प्लीज!मैं बोला- लड़कियो, मुझको डांस करना नहीं आता, सॉरी प्लीज.छवि बोली- हमको कहाँ डांस करना आता है, यूँ ही हाथ पैर हिला लेती हैं बस, वही हमारे लिए डांस है. तुम भी ऐसा ही करना, वही डांस हो जाएगा.मैं बोला- ठीक है, देखेंगे और तुम अब क्या करने वाली हो अब?
नैना जो सारी बात सुन रही थी, बोली- चलो पहले तुम सब खाना खा लो, फिर करना जो भी करना है.
थोड़ी देर में खाना शुरू हो गया. नैना मेरे हाव भाव से समझ गई थी कि मुझको छवि भा गई है, उसने खाने के टेबल पर मुझको हेड चेयर पर बैठाया और छवि को मेरे दायें वाली कुर्सी पर बैठा दिया और बाएं तरफ उसने सोनाली को बैठा दिया.
खाना शुरू होते ही मुझको लगा कि छवि टेबल के नीचे से छुप कर मुझको नंगे पैर से छू रही थी. धीरे धीरे उसका पैर बढ़ते हुए मेरे लंड की साइड में छूने लगा.मैंने भी अपना बायाँ हाथ उसकी सलवार से ढकी जांघ पर रख दिया.
हम खाना भी खा रहे थे और छुप कर एक दूसरे को परख भी रहे थे. फिर मैं धीरे से हाथ उसकी जांघ के आगे बढ़ाता रहा और उसने अपनी जांघें भी थोड़ी खोल दी.
नैना मेरे पीछे ही खड़ी थी, वो सारा नाटक देख रही थी.इतने में छवि की चम्मच टेबल के नीचे गिर गई और टेबल के नीचे झुक कर चम्मच उठाने के बहाने उसने मेरे लंड को पैंट के बाहर से छुआ.जब वो उठी तो अपनी कुर्सी मेरे और निकट ले आई और नैना ने भी आगे बढ़ कर इस काम में उसकी मदद की. अब उसकी कुर्सी मेरे बिल्कुल साथ जुड़ी हुई थी.
बाकी लड़कियाँ खाना खाने में मग्न थी, किसी ने इस खेल को नहीं देखा. मेरे साथ बैठी सोनाली भी खाने में मग्न थी, उसको भी पता नहीं चला.
अब मैं आलखन से अपना हाथ छवि के गोल गुदाज़ जांघ पर फेरने लगा जो धीरे धीरे बढ़ता हुआ उसकी सलवार के उस हिस्से पर चला गया जो ठीक उसकी चूत पर था.छवि भी अपना हाथ मेरे लौड़े के ऊपर रखे हुए थी और मेरा लंड भी टन से खड़ा हो गया था.
हम दोनों का ध्यान तो इस काम में लगा था तो खाना बहुत ही कम खा सके. मैं यदा कदा छवि से आँखें भी चार कर रहा था, मुझको यकीन हो गया था कि छवि चूत देने के लिए तैयार हो जायेगी.

 
मीठे में रबड़ी बहुत स्वादिष्ट बनी थी, वो सबने दो दो बार खाई.फिर हम सोफे पर बैठ कर कोकाकोला पीने लगे. खाने को पारो और नैना ने मिल कर बनाया था, सब उन दोनों की तारीफ करने लगी.
अब डांस की बारी थी, छवि ने बाजे पर रिकॉर्ड लगा दिया और उसकी मधुर धुन पर सबसे पहले छवि ही नाचने लगी, उसका थिरक थिरक कर नाचना सबको बहुत अच्छा लगा और फिर सब लड़कियाँ उठ कर डांस करने लगी.तभी छवि मेरे पास आई और मेरा हाथ खींचते हुए मुझको डांस करने के लिए ले गई.
मैं और छवि एक दूसरे का हाथ पकड़ कर डांस करने लगे.नैना ने बैठक की सारी लाइट्स को ऑफ कर दिया और सिर्फ एक मद्धम सी नाईट लाइट का बल्ब जला दिया.मैंने और छवि ने इस मौके का फायदा उठाते हुए एक दूसरे को आलिंगन कर लिया, उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को मैंने बड़ी अच्छे से महसूस किया और उसके मोटे चूतड़ों पर हाथ भी फेरे.छवि ने भी मेरे खड़े लंड को ज़रूर महसूस किया होगा.
अब छवि और मैं गले और कमर में हाथ डाल कर डांस करने लगे. डांस करते हुए मैं उसको एक अँधेरे कोने में ले गया और उसके होटों पर एक गर्म चुम्बन दे दिया और उसने भी उत्तर में मेरे होटों पर एक गहरा चुम्बन दे डाला.
चारों और देखने के बाद कि किसी का ध्यान हमारे तरफ नहीं है तो मैंने छवि के कान में कहा- रात को आना चाहोगी मेरे कमरे में?उसने भी मेरे कान में कहा- क्या करेंगे वहाँ?मैंने कहा- जो तुम चाहो, कर लेंगे.वो बोली- कैसे आऊँगी मैं वहाँ?मैं बोला- नैना आंटी ले आयेगी तुमको अगर तुम राज़ी हो तो!वो बोली- ठीक है.
फिर हम डांस करते हुए थोड़ी लाइट की तरफ आ गए और वहाँ पहुँचते ही सब से पहले सोनाली ने छवि को हटा कर मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे साथ डांस करने लगी.
मैं बोला- सोनाली जी, आप बड़ा अच्छा डांस करती हैं.सोनाली बोली- सतीश जी, आप मुझको सोनू बुलाया कीजिए, यही मेरे घर का प्यार का नाम है.मैं बोला- अच्छा नाम है सोनू जी आपका, बड़ा प्यारा नाम और मुझको उम्मीद आपका सब कुछ भी बड़ा प्यारा होगा!
सोनू मुझको धकेलते हुए उसी अँधेरे कोने की तरफ ले जा रही थी जिस तरफ मैं छवि को ले गया था.सोनू बोली- सतीश जी, आप बड़े अच्छे लग रहे हैं.मैं बोला- एक बात बोलूँ, आप बुरा तो नहीं मानेंगी?सोनू बोली- नहीं नहीं, आपका क्या बुरा मानना जी, बोलिए आप क्या कहना चाहते हैं?मैं बोला- सच कहूँ, आप यहाँ सबसे सुन्दर लग रही हैं.वो बोली- अच्छा जी, मुझको क्यों मक्खन लगा रहे हो आप?मैं बोला- नहीं, सच कह रहा हूँ.
सोनू बोली- वैसे मैंने आपका और छवि का सारा कार्यकलाप देख लिया था.मैं घबरा कर बोला- उफ़्फ़…वो बोली- घबरायें नहीं, मैं भी आपके प्रोग्राम में हिस्सा लेना चाहती हूँ.मैं डर कर बोला- कौन सा हिस्सा?सोनू- वही जो आप छवि को देना चाहते है उस स्पेशल प्रोग्राम में जो आपके कमरे में होने वाला है रात को!मैं बोला- ओह्ह, अच्छा ऐसा करें आप नैना आंटी से बात कर लें इस बारे में, वो बताएगी कि यह संभव है या नहीं. वो ही सारा इंतज़ाम कर देगी.
सोनू ने अँधेरे का फायदा उठाते हुए मेरे होटों को चूम लिया और जबरन मुझको उसको किस करना पड़ा होटों पर!फिर उसने भी सीधा हाथ मेरे लंड पर रखा दिया. मैंने भी उसकी चूत को बाहर से छुआ और उसकी साड़ी वाले चूतड़ों पर हाथ फेरा. फिर हम लाइट वाले हिस्से में आ गए और सम्भल कर डांस करते रहे.
एक एक करके बाकी चारों लड़कियों के साथ डांस करना पड़ा लेकिन वो सब बड़े संयम से डांस कर रही थी, मैं भी पूरी तरह से संयमित रहा.
जब डांस खत्म हुआ तो मैंने नैना को बुलाया और उसके लेकर मैं अपने कमरे में आ गया.मैंने नैना से पूछा- इन लड़कियों के सोने का क्या प्रबंध किया है?नैना बोली- छोटे मालिक, चार लड़कियाँ ही नई हैं, मैंने दो कमरे उनके लिए तैयार कर दिए हैं.
मैं बोला- ठीक किया. वो ऐसा है कि डांस के दौरान मुझको छवि और सोनाली ने चोदने के लिए उकसाया है, तुम ऐसा करो, उन दोनों को बेस्ट कमरे में इकट्ठे ही ठहरा देना बाकी दोनों को एक साथ दूसरे कमरे में ठहरा देना.नैना मुस्कराते हुए बोली- आपने अपना जादू फिर से चला दिया उन दोनों पर! अच्छा किया, मैं भी यही सोच रही थी की छवि और सोनू आप के लिए बेस्ट हैं.
मैं बोला- आज पारो को मना कर देना और तुम स्वयं उन दोनों को मेरे कमरे में ले आना, जब सब सो जाएँ तो! ठीक है न?नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक.
हम दोनों फिर बैठक में आ गए जहाँ अब लड़कियों ने गाने गाने शुरू कर दिए थे और उसमें आशु की आवाज़ बहुत ही अच्छी और सधी हुई गायिका की तरह लगी, उसका गला बहुत ही सुरीला था.मैंने उसकी बहुत तारीफ की और कहा कि आगे चल कर वो बहुत अच्छी गायिका बन सकती है.गाने और फिर कव्वाली के बाद प्रोग्राम खत्म हुआ और सबसे मैं ने गुड नाईट की और फिर अपने कमरे में आ गया.सब सोने वाले कमरों में चली गई.
नैना उन लड़कियों के साथ रही जब तक वो सब सो नहीं गई.लड़कियों के सो जाने की बात कन्फर्म करने के बाद वो छवि और सोनू को अपने साथ लेकर आ गई.दोनों ने रात में सोने वाले चोगे पहन रखे थे.
वो दोनों चुपचाप मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गयी

 
छवि और सोनाली की चुदाई

छवि और सोनाली दोनों चुपचाप मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई, दोनों बारी बारी से मुझको किस और आलिंगन करने में लगी रही, छवि ने मेरे लंड पर कब्ज़ा जमाया हुआ था और सोनू मुझको चूमने में लगी थी.
फिर नैना ने उन दोनों का ध्यान अपनी ओर खींचा और कहा- लड़कियो ज़रा रुको तो सही. आपके लिए सारी रात पड़ी है, ज़रा मेरी तरफ ध्यान दो.यह कह कर नैना उन दोनों को कमरे की एक तरफ ले गई.
थोड़ी देर उनमें कानाफूसी हुई और फिर नैना मेरे पास आई और बोली- सब ठीक है. दोनों खुली हुई हैं, आपको मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.
छवि और सोनू दोनों अपने चोगे उतारने लगी और मैं भी अपना पजामा कुरता उतारने लगा.जब कपड़े उतार दिए गए तो हम तीनों एक दूसरे को बड़े ध्यान से देखने लगे. छवि, जैसा मेरा अंदाजा था, कुछ मोटापा लिए हुए थी और सोनू स्लिम थी.दोनों का रंग साफ़ था और दोनों एक दूसरे की पक्की सहेलियाँ थी. छवि के मम्मे उसके जिस्म की शान थे वो बहुत ही सॉलिड और मोटे थे, निप्पल भी अभी एकदम अकड़े हुए थे.उसके चूतड़ भी गोल और मोटे थे, पेट एकदम अंदर था जो अक्सर मोटी लड़कियों के साथ नहीं होता, उसकी चूत काले बालों से भरी हुई थी.
सोनू छवि से पूर्णतया भिन्न थी, वो स्लिम थी लेकिन उसके उरोज छोटे और गोल थे और चूतड़ भी गोल पर छोटे थे, चूत पर भी पर्याप्त बाल थे.

दिखने में दोनों ही सुन्दर थी लेकिन सोनू ज़्यादा सुन्दर थी और छवि ज़्यादा सेक्सी थी.मेरा खड़ा लंड दोनों को सलामी दे रहा था.
सोनू जल्दी से नीचे झुकी और उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया. इससे पहले मैं कुछ बोलूं, छवि ने भी मेरे छाती के निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.
मैं हैरान होकर नैना को देख रहा था और वो भी हैरान थी यह सब देख कर! तब सोनू मुझको धकेलती हुई पलंग की तरफ ले गई और मुझको वहाँ लिटा दिया.जल्दी से सोनू मेरे ऊपर आकर बैठ गई और छवि भी जल्दी से मेरी दूसरी साइड में आ कर जम गई. मैं उन दोनों की फुर्ती देख कर दंग रह गया.
सोनू ने जल्दी से अपनी गीली चूत में मेरा लंड डाला और वो जल्दी से ऊपर नीचे होने लगी. उसकी आँखें बंद थी और वो बड़ी तन्मयता से मुझको चोद रही थी. मैंने उसके हिलते हुए मम्मों को चूसना शुरू किया क्योंकि वो दोनों ही मेरे मुंह के ऊपर थे.
उधर छवि भी एक हाथ से चूत में ऊँगली चला रही थी और दूसरे से मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी. उसने अपने मोटे और सॉलिड मम्मों को मेरी साइड में जोड़ रखा था.
मैंने नैना की तरफ देखा और उसने आँखों से ही कहा कि मैं पासा पलट दूँ.मैं इंतज़ार करता रहा, जैसे ही सोनू कुछ धीमी पड़ी, मैंने उसको किस करने के बहाने उसका मुंह अपने मुंह के साथ जोड़ा, तभी मैंने उसको उल्टा दिया और उसको अपने नीचे ले लिया.
यह सारा काम मैंने लंड को बाहर निकाले बगैर कर दिया और अब मैं उसके ऊपर चढ़ा बैठा था, उसकी जांघों को चौड़ा कर के लंड पूरा का पूरा अंदर डाल दिया और फिर जो मैंने धक्काशाही शुरू की और ज़ोर से लंड को डालना और निकालना शुरू किया तो सोनू को सांस लेना भी मुश्किल हो गया.
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ थी कि छवि, जिसने अपना हाथ मेरे चूतड़ों पर रखा हुआ था, वो लंड की तेज़ी बर्दाश्त नहीं कर सकी और अपना हाथ फ़ौरन हटा लिया.नैना भी मेरी स्पीड देख कर हैरान थी लेकिन वो मुझको और भी उकसा रही थी. मेरा और नैना का मकसद था कि सोनू को बुरी तरह हराना.अब सोनू ने अपनी जांघों का बंद करना शुरू कर दिया लेकिन मैंने अपनी टांगों को और भी फैला दी ताकि सोनू अपनी टांगों को बंद न कर सके.
थोड़ी देर में सोनू ने चिल्लाना शुरू कर दिया- बस करो… बस करो!मैंने बदस्तूर धक्के जारी रखते हुए कहा- अपनी हार मानो, तभी बंद होगी तुम्हारी चूत की धुनाई.
सोनू ने हाथ जोड़ दिए और कहा- मैं हारी तुम जीते.तब मैंने एक फाइनल धक्का मारा और सोनू के ऊपर से उतर गया.सोनू हांफ़ती हुई लेटी रही.मैंने अपने लंड को देखा, उस पर एक मोटी झाग की परत जमी हुई थी..
नैना ने फ़ौरन आकर तौलिये से मेरा मुंह जो पसीने से तर बतर हो गया था, पौंछा और सोनू का भी मुंह साफ़ किया.
छवि यह सारा नज़ारा देख रही थी, बोली- वाह सतीश, तुमने तो सोनू को पूरी तरह से हरा दिया. उसकी चूत का सारा पानी निकाल दिया. अब वो कम से कम 10 दिन तक चुदवाने का नाम नहीं लेगी.
नैना मुस्करा रही थी और छवि मेरे लौड़े को विस्मय से देख रही थी.तब नैना ने चादर की ओर इशारा करके कहा- देखो तो सही, सोनू का कितना पानी छूटा है यारो, वो कम से कम 5 बार छूटी होगी.तभी सोनू ने आँखें खोली- मेरा 7 बार छूटा है.नैना और और छवि के मुंह आश्चर्य से खुले के खुले ही रह गए.

 
छवि ने फिर मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और उसको ध्यान से देखा.तब तक मैंने आगे बढ़ कर छवि के मोटे मम्मों को दोनों हाथों में ले लिया, बड़े ही सॉलिड थे. वो उठी और अपना एक मम्मा मेरे मुंह पर रख दिया और मैं एक छोटे बच्चे के समान उसके काले मोटे निप्पल को चूसने लगा.एक को चूसने के बाद छवि ने अपना दूसरा मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया.
अब मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो पूरी तरह से गीली हो रही थी. मैंने उसके होटों पर एक गर्म चुम्बन किया और उसको घोड़ी बनने का इशारा किया.वो झट से घोड़ी बन कर मेरे सामने आ गई और मैंने अपना साफ़ किया हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया, धीरे धीरे उसको इंच दर इंच अंदर डाल दिया.
उसकी गांड और चूतड़ बड़े ही सेक्सी थे, मैं उनको हल्के हल्के थपकी मारते हुए छवि को चोदने लगा.छवि भी हर धक्के का जवाब दे रही थी और क्योंकि वो सोनू की ज़ोरदार चुदाई देख चुकी थी तो वो बहुत ही गर्म हो रही थी.मुश्किल से दस धक्कों में वो झड़ गई.उसकी चूत में से निकलते गर्म पानी को मैंने महसूस किया.
अब मैंने पोजीशन फिर चेंज की, पलंग के किनारे बैठ गया और छवि को अपनी गोद में बैठा लिया और अपने हाथ उसकी मोटी गांड के नीचे रख दिए और उसको चूतड़ों से पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.छवि को इस स्टाइल से बड़ा मज़ा आ रहा था, वो लगातार मुझको होटों पर चूम रही थी, उसके सॉलिड मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे और उसकी बाहें मेरी गर्दन से लिपटी हुई थी.
9-10 गहरे धक्के मारने के बाद छवि फिर कांपते हुए जिस्म के साथ मुझसे चिपक गई थी और अपने होटों को मुझ से चिपका दिया.बड़ी देर वो मुझ से यूँ ही चिपकी रही और फिर एक हॉट किस करके बिस्तर में लेट गई. उसने हाथ से अपनी चूत को छुआ यह देखने के लिए कि मेरा वीर्य छूटा या नहीं.जब उसको चूत में सिवाए अपनी चूत के पानी के अलावा कुछ नहीं दिखा तो वो फिर हैरान हो गई.
उधर सोनू ने आँखें खोली और छवि से पूछा- तेरा हो गया क्या?छवि ने हाँ में सर हिला दिया.
तब दोनों उठी और अपने कपड़े पहनने लगी. नैना ने शरारत के तौर से पूछा- क्यों सोनाली और छवि, आप दोनों का काम हो गया क्या?जब दोनों ने हाँ में सर हिला दिया तो नैना ने उनको मेरा खड़ा लंड दिखा दिया और कहा- छोटे मालिक में अभी 5-6 बार और चोदने की ताकत है, अगर चाहो तो चुदवा लो अभी और अगर इच्छा है तो!
दोनों ने कहा- नहीं नैना आंटी, हम दोनों में चुदाई की अब और ताकत नहीं है.नैना बोली- ठीक है, मैं तुम दोनों को आपके कमरे में छोड़ आती हूँ.दोनों ने जाने से पहले मुझको एक एक गहरी किस की होटों पर और मैंने भी उनके मम्मों और चूतड़ों पर खूब हाथ फेरा.
जाने से पहले नैना बोली- छोटे मालिक, इन दोनों में से कौन चुदाई की माहिर लगी आपको?मैंने कुछ सोचने के बाद कहा- छवि नंबर एक पर और सोनाली नंबर दो पर लेकिन दोनों चुदाई में बहुत ही एक्सपर्ट हैं. लगता है कि दोनों को चुदाई का काफी ज्ञान है.
छवि बहुत खुश हुई और वो बोली- सतीश धन्यवाद, आगे कब चुदाई का प्रोग्राम बना सकती हैं हम?मैं बोला- नैना आंटी मेरी निजी सेक्रेटरी है, तुम जब चाहो नैना आंटी से फ़ोन पर बात कर के प्रोग्राम बना सकती हो.फिर दोनों ने मुझको विदाई किस की और अपने कमरे में चली गई.
जब नैना उनको छोड़ कर वापस आई तो मैंने उसको बाँहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसके होटों को चूमना चुरू कर दिया.वो बोली- क्या हुआ छोटे मालिक, आज मुझ पर बड़ा प्यार आ रहा है, क्या कारण है जी?मैं भाव विभोर होकर बोला- नैना तुम न होती तो मुझको ये कुंवारी और नई लड़कियां कहाँ से मिलती? आओ अब तुमको खुश करने की बारी है.नैना बोली- सच छोटे मालिक? मैं तो सोच बैठी थी कि आप इन नई छोकरियों के सामने मुझ बूढ़ी को कहाँ पसंद करोगे?मैं बोला- नैना डार्लिंग, यह कैसे हो सकता है, तुम तो मेरी आँख का तारा हो, मेरी काम शक्ति हो, मेरी काम विद्या की गुरु हो. चलो आओ, एक एक हाथ हम दोनों का भी हो जाए?
नैना शर्माती हुई आई मेरे पास.मैं तो नंगा खड़ा ही था, उसने भी झट से पेटीकोट ब्लाउज उतार दिया और वो फ़ौरन घोड़ी बन गई और मैंने उसकी गीली चूत में अपना खड़ा लंड डाला.क्योंकि उसके सामने ही सोनू और छवि की हॉट चुदाई हुई थी तो वो भी ज़रूरत से ज़्यादा गरम हो चुकी थी, तो कुछ धक्कों के बाद उसने पानी छोड़ दिया.मैं नीचे लेट गया और उसको बोला कि वो मुझको ऊपर से चोद ले जब तक उस का जी चाहे और जब तक वो चोद सकती है लेकिन मेरा ज़रूर छूटा दे.
नैना कॅाफ़ी देर चोदती रही मुझको और जब उसका मन भर गया तो उसने मुझको कुछ इस तरीके से चोदा कि मेरा फव्वारा छूट गया.फिर हम एक दूसरे के बाहों में ही सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

 
नैना और पारो की गांड मारी

नैना काफ़ी देर चोदती रही मुझको… और जब उस का मन भर गया तो उसने मुझको कुछ इस तरीके से चोदा कि मेरा फव्वारा छूट गया.फिर हम एक दूसरे के बाहों में ही सो गए.
अगले दिन सोनू, छवि और उनकी सहेलियाँ अपने घर चली गई. कॉलेज से वापस आने पर नैना ने बताया कि गाँव से फ़ोन पर निर्मल से बात हुई थी, वो कह रही है कि फुलवा के घर में भी लड़का हुआ है. बधाई हो आपको बहुत सी, फिर पिता बन गए आप!यह कहते हुए वो मुझको चिड़ा रही थी.मैं बोला- चलो अच्छा हुआ, उसको भी बच्चे की आवश्यकता थी.
अगले दिन जब मैं कॉलेज पहुंचा तो मेरे एक खास मित्र ने सूचना दी कि कालेज की ड्रामा क्लब अपने मेंबर्स को 3 दिन के ट्रिप पर ले जा रही है, यह ट्रिप नैनीताल इत्यादि सुन्दर स्थलों की सैर करवाएगा, प्रत्येक छात्र और छात्रा को 100 रूपए देने होंगे.सारे छात्र कालेज द्वारा एक बस में ले जाए जाएंगे, खाने-पीने और रहने का बंदोबस्त भी कालेज ही करेगा, जो जाना चाहेंगे उनको नाम जल्दी लिखवाना पड़ेगा और पैसे भी शीघ्र ही देने होंगे.
शाम को घर आकर मैंने गाँव फ़ोन किया और पूछा तो मम्मी बोली- ज़रूर जाओ और पैसे की ज़रूरत हो तो फ़ोन कर देना, मैं बैंक में डलवा दूँगी.मैंने कहा- ठीक है.

अगले दिन मैंने अपना नाम लिखवा दिया और पैसे भी दे दिए, नैना ने मेरे जाने की तैयारी भी शुरू कर दी.उस रात मैंने नैना और पारो को खूब चोदा. पारो बेचारी कुछ कम चुदी थी तो उसकी चुदाई पर ख़ास ध्यान दिया.
नैना बोली- छोटे मालिक, क्या आपका दिल कभी गांड चोदने का नहीं करता?मैं बोला- गांड चोदने के बारे में कभी सोचा नहीं. क्यों तुम्हारा दिल है गांड मरवाने का?नैना बोली- मैंने भी कभी गांड मरवाई नहीं न, तो कभी कभी इच्छा करती है कि गांड चुदाई का भी मज़ा लेना चाहये न! क्यों पारो, तुम्हारा दिल नहीं करता क्या?पारो बोली- करता तो है लेकिन फिर मन में भय आ जाता है कि कहीं दर्द न हो बहुत?नैना बोली- देखो पारो, जब तक करके नहीं देखते, तब तक कुछ भी डर नहीं, चलो छोटे मालिक.
मैं भी तयार हो गया.नैना उठी और नंगी ही रसोई में चली गई और देसी घी थोड़ा सा कटोरी में ले आई. फिर उसने अपनी और पारो की गांड के ऊपर और अंदर देसी घी काफी सारा लगा दिया और कुछ देसी घी उसने मेरे लौड़े पर भी लगा दिया.अब हम तीनों का बदन देसी घी से महक रहा था.
पहले बिस्तर पर नैना घोड़ी बनी और पारो मेरे और नैना के बीच में मदद करने के लिए बैठ गई.
मैं जैसे ही अपने खड़े लंड का निशाना साधने लगा, पारो ने घी से चुपड़ी नैना की गांड पर मेरा लौड़ा रख दिया, फिर वो बोली- धीरे से लंड का मुंह अंदर जाने दो.मैंने भी हल्का सा धक्का मारा और लंड का थोड़ा सा हिस्सा गांड के अंदर चल गया.नैना थोड़ी से बिदकी लेकिन फिर संयत होकर शांत होकर घोड़ी बनी रही..
पारो ने मुझको और धक्का मारने का सिगनल दिया और मैंने ज़रा और लंड अंदर धकेल दिया. मुझको ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड एक बड़ी टाइट पाइप के अंदर जा रहा था.
इस तरह धीरे धीरे नैना की गांड में मेरा सारा लौड़ा समा गया. लंड की जो हालत थी वो ब्यान नहीं की जा सकती क्योंकि गांड की बहुत ज्यादा पकड़ होती है और लंड बेचारा यह महसूस कर रहा था जैसे उसको एक बहुत ही तंग जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया.
फिर भी मैंने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये.पारो लगातार नैना को देख रही थी और जब उसने देखा कि नैना को मज़ा आने लगा है तो उसने मुझको इशारा किया और मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी.
अब मैंने महसूस किया कि मेरे लंड को नैना की गांड, जैसे गाय का दूध दोहते है, वैसे खुल और बंद हो रही थी, इस कारण मुझको बहुत ही आनन्द आ रहा था और मैं थोड़े समय में ही एक ज़ोरदार धक्के के बाद छूट गया.लेकिन मैंने लंड को निकाला नहीं और उसको वैसे ही सख्त हालत में गांड के अंदर ही पड़ा रहने दिया.
इधर पारो नैना की चूत को और उसके भग को मसल रहे थी जिससे नैना का मज़ा बहुत अधिक बढ़ गया था, वो अब गांड को खुद ही आगे पीछे करने लगी और मैंने अपने धक्के रोक दिए और नैना की गांड चुदाई का आनन्द लेने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि नैना की गांड एक बार फिर खुल बंद हो रही है.मैंने उससे पूछा- क्यों नैना, एक बार और छूटा तेरा?उसने हाँ में सर हिला दिया.तब मैंने कहा- और चोदूँ या फिर बस?नैना बोली- बस छोटे मालिक, बहुत हो गया.
मैं फ़ौरन घोड़ी से नीचे उतर गया.
तब पारो नैना की तौलिये से सफाई करने लगी. थोड़ी देर आलखन करने के बाद मैंने पारो को इशारा किया कि आ जाओ मैदान में!
वो कुछ हिचकचा रही थी. यह देख कर मैंने कहा- पारो, अगर नहीं इच्छा, तो रहने दो, फिर कभी सही!पारो बोली- नहीं छोटे मालिक, ऐसी बात नहीं है. मैं सोच रही थी कि आप थोड़ा आलखन कर लेते तो ठीक होता न!मैं बोला- नहीं नहीं, मैं बिल्कुल नहीं थका हूँ. अगर गांड मरवाने की इच्छा है तो आ जाओ. नहीं तो मैं तुम्हारी चूत ही ले लेता हूँ. बोलो जल्दी?पारो बोली- आ जाओ छोटे मालिक, आज गांड मरवाई का भी मज़ा ले लेती हूँ.
नैना उठी और उसने फिर से देसी घी मेरे लंड पर लगा दिया और कॅाफ़ी सारा पारो की गांड में डाल दिया.पारो बिस्तर में घोड़ी बन गई तो मैं उसके पीछे खड़ा हुआ और नैना ने मेरा लंड पारो की गांड पर रख दिया और बोली- मारो धक्का हल्का सा!
मैंने भी हल्का सा धक्का मारा और लंड बहुत सा अंदर चला गया, पारो ज़रा भी नहीं हिली और जल्दी ही पूरा लंड अंदर ले गई.
पारो की गांड मुझको कुछ कम टाइट लगी.फिर मैंने लंड की स्पीड धीरे धीरे तेज़ कर दी.थोड़ी देर बाद मुझको लगा कि पारो को गांड में बड़ा मज़ा आ रहा है, वो बाकायदा लंड का जवाब हर बार गांड को को मेरे लंड की जड़ तक लाकर देती थी.अब मैंने तेज़ी से उसकी गांड में अपना लंड पेलना शुरू कर दिया और मुझको लगा कि उसकी चूत से भी पानी टपकना शुरू हो रहा है.हाथ लगाया तो वाकयी उसकी चूत से बड़ा ही गाढ़ा रस निकल रहा था.
मैंने उसकी भग को रगड़ना शुरू कर दिया और ऊपर से गांड में धक्के भी तेज़ कर दिए थे.कोई 10-12 धक्के इसी तरह ज़ोर से मारे तो पारो का शरीर काम्पने लगा और उसकी गांड अंदर से बंद और खुलना शुरू हो गई.
पारो हल्के से बोली- बस करो छोटे मालिक, मेरा पानी दो बार छूट चुका है गांड मरवाते हुए… उफ़्फ़, बड़ी ही मज़ेदार चुदाई है गांड की भी, मज़ा आ गया नैना.
मैं फिर दोनों के बीच में लेटा था.और इस तरह हम तीनों नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

 
नैनीताल के सफर में निम्मी और मैरी

मैं फिर दोनों के बीच में लेटा था और इस तरह हम तीनो नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए.अगले दिन मुझको कालेज में जल्दी पहुंचना था, मैं जल्दी से नाश्ता करके चला गया, दोनों बहनों को उनके कमरे के बाहर से बाय कर गया.कालेज में पता चला कि अगले दिन सुबह 6 बजे पहुंचना है क्यूंकि बस 7 बजे रवाना हो जायेगी.जाने वाले सब छात्रों को 1 बजे दोपहर छुट्टी दे दी गई ताकि वो घर में जाने की तैयारी कर सकें.
मैं भी घर आ गया और नैना के साथ मिल कर एक चमड़े के सूटकेस में जो ज़रूरी कपडे थे, पैक कर दिए. नैना ने काफी सारा खाने-पीने का सामान एक और बैग में डाल दिया था.
रात को मैंने दोनों बहनों को बैठक में बुलाया और उनको अपना प्रोग्राम भी बताया और यह भी कहा- मेरी गैर हाज़री में नैना आंटी घर की इंचार्ज होगी, जैसा वो कहेगी तुम सबको मानना पड़ेगा. पारो आंटी तुम सबके लिए जो खाना तुम पसंद करो, वो बना दिया करेगी. और कालेज से वक्त पर आ जाया करना, दोपहर मैं थोड़ा आलखन भी कर लिया करना.

तब विनी ने पूछा- आपकी टीम जा कहाँ रही है?मैं बोला- नैनीताल, क्यों कोई ख़ास बात है?विनी बोली- नहीं नहीं, मेरी एक सहेली भी कल आपकी बस में जा रही है. उसका नाम है निम्मी. मैं अभी उसको फ़ोन कर देती हूँ आप के बारे में?मैं बोला- ठीक है फ़ोन कर दो और उसको कह देना कि किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझसे मांग ले बिना झिझक के.
उस रात मैंने सिर्फ एक एक बार नैना और पारो को चोदा और फिर हम सो गए.सवेरे नैना ने मुझको टाइम पर जगा दिया और मैं तैयार हो कर सामान लेकर कालेज चला गया.
बस खड़ी थी, सामान रख कर बैठ गया, थोड़ी देर बाद एक बड़ी ही स्मार्ट लड़की मेरे पास आई और साथ वाली सीट पर बैठ गई.बस चलने से पहले एक और लड़की जो सलवार सूट पहने थी, मेरी सीट के पास आई और बोली- हेलो सतीश, मैं निम्मी हूँ. विनी ने मेरे बारे में बताया होगा.मैं बोला- हां हां, बताया था.
निम्मी बोली- मैं तुम्हारे साथ वाली सीट पर बैठ सकती हूँ क्या?मैं बोला- हाँ हाँ, क्यों नहीं.तब मेरे बायें हाथ वाली सीट पर बैठी हुई लड़की उठी और मैं भी उठ कर बाहर आ गया और तब वो निम्मी खिड़की वाली सीट पर बैठ गई.अब मैंने स्मार्ट लड़की को कहा कि वो चाहे तो बीच वाली सीट पर बैठ सकती है.वो बोली- नहीं मुझे किनारे वाली सीट ही पसंद है.इस तरह मैं दो सुन्दर लड़कियों के बीच में बैठा था.
जल्दी ही बस चल दी.कालेज के एक पुरुष प्रोफेसर ने ज़रूरी अनाऊंसमेंट्स की और फिर एक महिला प्रोफेसर के साथ बैठ गया. वो दोनों बस के एकदम आगे वाले भाग में बैठे थे.
फिर मैंने साथ बैठी स्मार्ट लड़की को अपना परिचय दिया, उसका नाम मैरी था. अब मैंने उस लड़की को ध्यान से देखा, वो एक लम्बी स्कर्ट पहने हुए थी और लगता था कि वो क्रिस्चियन है. उसका शरीर काफी सुडौल था लेकिन रंग थोड़ा सांवला था, खूब पाउडर लिपस्टिक लगाये हुए थी.
निम्मी एक सुंदर लड़की थी लेकिन साधारण सलवार सूट में थी, उसका शरीर भी भरा हुआ था और रंग काफी साफ़ था. शक्ल सूरत से वो पंजाबी लग रही थी.निम्मी से मैं बातें करता रहा क्यूंकि वो विनी के बारे में काफी कुछ जानती थी.
बस एक छोटे से शहर में नाश्ते के लिए रुकी और हम सब नीचे उतर कर एक साफ़ सुथरे रेस्टोरेंट में नाश्ता करने लगे.वो दोनों लड़कियाँ भी मेरे साथ ही रहीं और हमने मिल कर अण्डों का आमलेट और टोस्ट खाया और चाय पी!
जब बस दोबारा चली तो निम्मी ने अपने थैले में से एक हलकी सी चुन्नी निकाल ली और अपने ऊपर और थोड़ी से मेरे ऊपर डाल दी.निम्मी को नींद आने लगी और वो ऊँघने लगी और उसका सर मेरे कंधे पर आ गया. मैंने कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया लेकिन थोड़ी देर बाद मुझको लगा कि निम्मी का हाथ मेरी जांघ पर आ गया था.अब मैं काफी सतर्क हो गया.
धीरे धीरे निम्मी का हाथ सरकता हुआ मेरे लंड के ऊपर आ गया और मेरी पैंट के आगे के बटन खोलने शुरू किये. मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया और धीरे धीरे उसकी जांघ पर दोनों हाथ रख दिये- उसका और अपना भी!.
फिर हल्के हल्के मैंने हाथ उसकी सलवार में छुपी उसकी चूत पर रख दिया. उसने अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया और उस पर ज़ोर डालने लगी. मेरा हाथ उसकी कमीज से ढकी सलवार के ऊपर था.
उधर मैरी शायद छुपी नज़रों से हम दोनों का कार्य कलाप भांप रही थी, अब उसने भी अपने थैले से एक सुंदर सी पतली शाल निकाली और उसको अपने शरीर के ऊपर डाल लिया लेकिन काफी सारी शाल मेरे ऊपर आ गई थी.
अब थोड़ी देर बाद मैरी का भी हाथ मेरी जांघों के ऊपर दौरा कर रहा था. पैंट के ऊपर चलते हुए वो दो हाथ आपस में मिले और चौंक कर अलग हट गए.

 
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