desiaks
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जस्सी झट से उठी और आकर हमारे बीच में खड़ी गई और हम दोनों को जफी डाली.मैंने एक हाथ अब जस्सी के कूल्हों के ऊपर रख दिया और उसकी कमीज के ऊपर से उसके चूतड़ों को रगड़ने लगा.फिर मैंने जस्सी के खुले हुए होटों के ऊपर एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने दोनो हाथों से जस्सी और परी को पकड़ा और दोनों को अपने से पूरी तरह से लिपटा लिया, अपने हाथ मैंने दोनों के उरोजों पर रख दिए जो गोल और बहुत ही सॉलिड थे.
इतने में दरवाज़ा खुला और नैना एक ट्रे में हम तीनों के लिए खास दूध लेकर आई और बोली- चलो चलो, तुम सब यह दूध पहले पी लो फिर और कुछ करना.हम भी गिलास पकड़ कर दूध पीने लगे तब मैंने देखा की परी और जस्सी की नज़र मेरी पैंट पर थी जिसमें मेरा लंड एकदम खड़ा और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था.
परी ने एक हाथ से मेरी पैंट के बटन खोल दिए और लपक कर लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया.जस्सी एकटक मेरे लंड को देख रही थी और मुझको लगा कि उसने पहले खड़ा लंड नहीं देखा था हालांकि उसने सिनेमा हाल में इसके साथ खूब खिलवाड़ किया था लेकिन देख नहीं पाई थी.
दूध खत्म होने के बाद नैना ने हम सबका चार्ज अपने हाथों में ले लिया.नैना बोली- सबसे पहले छोटे मालिक परी को चोदेंगे और जस्सी इस चुदाई के खेल को ध्यान से देखगी. क्यूंकि चुदाई के समय थोड़ी बहुत तकलीफ तो होगी न जस्सी को तो इन दोनों की गरम चुदाई देख कर थोड़ी गरम भी हो जायेगी, क्यों ठीक है न?
हम सबने हामी में सर हिला दिया, फिर हम सब अपने अपने कपड़े उतारने में लग गए.परी को तो नंगी मैंने देखा ही था लेकिन जस्सी को पहली बार देख रहा था तो उसको मैं बड़ी उत्सुकता से देख रहा था.
जब दोनों नंगी हो गई तो मैंने देखा कि परी के मम्मी गोल और छोटे हैं लेकिन जस्सी के गोल और बहुत ही मोटे लगे. मैंने आगे बढ़ कर जस्सी के मम्मों को हाथ से तोलना शुरू किया.वास्तव में वो काफी उम्दा किस्म के मम्मे थे और जस्सी के शरीर की शान थे. उसके चूतड़ भी गोल और ज़्यादा उभरे हुए थे और बार बार घोड़ी बना कर चोदने लायक थे.उस की चूत भी कुछ ज़्यादा उभरी हुई थी हालांकि घने काले बालों के बीच छुपी हुई थी.
यह सारा नीरीक्षण करने के बाद मेरे लंड की अकड़ और अधिक हो गई और वो सीधा जस्सी की तरफ ही इशारा कर रहा था.तब तक जस्सी को लेकर नैना पलंग के दूसरी तरफ चली गई और मुझको, परी को पलंग की ओर धकेल दिया.
मैंने परी को एक बहुत सख्त जफ़्फ़ी मारी और उसको चूमते हुए पलंग पर ले आया, उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो बेहद गीली हो चुकी थी.अब मैंने परी को घोड़ी बनाया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और उस पर अपना लंड रख कर नैना की तरफ देखने लगा.उसने हल्के से आँख का इशारा किया और मैंने झट से लंड पहले थोड़ा और फिर पूरा का पूरा परी की चूत में डाल दिया..
उसके मुंह से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी और वो स्वयं ही अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी.यह देख कर मैं अपने घोड़े को सरपट दौड़ाने लगा और रेल के इंजिन की तरह अंदर बाहर करने लगा.मेरे हाथ उसके मम्मों की सेवा में लग गए.
परी की चुदाई को जस्सी बड़े आनन्द से देख रही थी और नैना के हाथ की उंगली उसकी कुंवारी चूत पर चल रही थी और उसको मस्त कर रही थी.जस्सी का मुंह खुला हुआ था और उसका एक हाथ अपने मम्मे को टीप रहा था और उसकी जांघें नैना को हाथ को कभी जकड़ रही थी और कभी उसको छोड़ रही थी.
कोई 6-7 मिन्ट में ही परी बड़ी तीव्रता से झड़ गई और पलंग पर पसर गई.मैंने उसको सीधा किया और ताबड़तोड़ उसके होटों को चूमने लगा और उसके मम्मों को चूसने लगा. वो बुरी तरह से कसमसाने लगी लेकिन मैंने उसको सांस लेने के लिए भी समय नहीं दिया.
तब नैना आई और मुझको उठा कर जस्सी की तरफ ले गई और मेरे लौड़े को भी गीले कपड़े से साफ़ करती गई.मैंने जाते ही जस्सी को अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके लबों को चूसने लगा.उसका हाथ अब मेरे लौड़े से खेल रहा था.
तब नैना ने जस्सी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और मेरे लंड को भी क्रीम लगा कर तैयार कर दिया.मैं जस्सी के गोल और मोटे मम्मों को चूसने लगा, उसके खड़े निप्पलों को भी बारी बारी लोली पोप की तरह चूसने लगा.नैना ने मेरे चूतड़ पर हल्की सी थपकी मारी और मैं समझ गया कि चूत में लंड के जाने का समय निकट आ गया है, मैंने लंड को हल्का से एक धक्का दिया और वो एक इंच अंदर चला गया और फिर एक और धक्का मारा तो आगे का रास्ता बंद मिला.मैंने लंड को बाहर निकाला और उसको उसकी भग पर रगड़ा और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड पूरा अंदर और जस्सी हल्के से चिल्लाई- मर गई रे!
इतने में दरवाज़ा खुला और नैना एक ट्रे में हम तीनों के लिए खास दूध लेकर आई और बोली- चलो चलो, तुम सब यह दूध पहले पी लो फिर और कुछ करना.हम भी गिलास पकड़ कर दूध पीने लगे तब मैंने देखा की परी और जस्सी की नज़र मेरी पैंट पर थी जिसमें मेरा लंड एकदम खड़ा और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था.
परी ने एक हाथ से मेरी पैंट के बटन खोल दिए और लपक कर लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया.जस्सी एकटक मेरे लंड को देख रही थी और मुझको लगा कि उसने पहले खड़ा लंड नहीं देखा था हालांकि उसने सिनेमा हाल में इसके साथ खूब खिलवाड़ किया था लेकिन देख नहीं पाई थी.
दूध खत्म होने के बाद नैना ने हम सबका चार्ज अपने हाथों में ले लिया.नैना बोली- सबसे पहले छोटे मालिक परी को चोदेंगे और जस्सी इस चुदाई के खेल को ध्यान से देखगी. क्यूंकि चुदाई के समय थोड़ी बहुत तकलीफ तो होगी न जस्सी को तो इन दोनों की गरम चुदाई देख कर थोड़ी गरम भी हो जायेगी, क्यों ठीक है न?
हम सबने हामी में सर हिला दिया, फिर हम सब अपने अपने कपड़े उतारने में लग गए.परी को तो नंगी मैंने देखा ही था लेकिन जस्सी को पहली बार देख रहा था तो उसको मैं बड़ी उत्सुकता से देख रहा था.
जब दोनों नंगी हो गई तो मैंने देखा कि परी के मम्मी गोल और छोटे हैं लेकिन जस्सी के गोल और बहुत ही मोटे लगे. मैंने आगे बढ़ कर जस्सी के मम्मों को हाथ से तोलना शुरू किया.वास्तव में वो काफी उम्दा किस्म के मम्मे थे और जस्सी के शरीर की शान थे. उसके चूतड़ भी गोल और ज़्यादा उभरे हुए थे और बार बार घोड़ी बना कर चोदने लायक थे.उस की चूत भी कुछ ज़्यादा उभरी हुई थी हालांकि घने काले बालों के बीच छुपी हुई थी.
यह सारा नीरीक्षण करने के बाद मेरे लंड की अकड़ और अधिक हो गई और वो सीधा जस्सी की तरफ ही इशारा कर रहा था.तब तक जस्सी को लेकर नैना पलंग के दूसरी तरफ चली गई और मुझको, परी को पलंग की ओर धकेल दिया.
मैंने परी को एक बहुत सख्त जफ़्फ़ी मारी और उसको चूमते हुए पलंग पर ले आया, उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो बेहद गीली हो चुकी थी.अब मैंने परी को घोड़ी बनाया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और उस पर अपना लंड रख कर नैना की तरफ देखने लगा.उसने हल्के से आँख का इशारा किया और मैंने झट से लंड पहले थोड़ा और फिर पूरा का पूरा परी की चूत में डाल दिया..
उसके मुंह से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी और वो स्वयं ही अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी.यह देख कर मैं अपने घोड़े को सरपट दौड़ाने लगा और रेल के इंजिन की तरह अंदर बाहर करने लगा.मेरे हाथ उसके मम्मों की सेवा में लग गए.
परी की चुदाई को जस्सी बड़े आनन्द से देख रही थी और नैना के हाथ की उंगली उसकी कुंवारी चूत पर चल रही थी और उसको मस्त कर रही थी.जस्सी का मुंह खुला हुआ था और उसका एक हाथ अपने मम्मे को टीप रहा था और उसकी जांघें नैना को हाथ को कभी जकड़ रही थी और कभी उसको छोड़ रही थी.
कोई 6-7 मिन्ट में ही परी बड़ी तीव्रता से झड़ गई और पलंग पर पसर गई.मैंने उसको सीधा किया और ताबड़तोड़ उसके होटों को चूमने लगा और उसके मम्मों को चूसने लगा. वो बुरी तरह से कसमसाने लगी लेकिन मैंने उसको सांस लेने के लिए भी समय नहीं दिया.
तब नैना आई और मुझको उठा कर जस्सी की तरफ ले गई और मेरे लौड़े को भी गीले कपड़े से साफ़ करती गई.मैंने जाते ही जस्सी को अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके लबों को चूसने लगा.उसका हाथ अब मेरे लौड़े से खेल रहा था.
तब नैना ने जस्सी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और मेरे लंड को भी क्रीम लगा कर तैयार कर दिया.मैं जस्सी के गोल और मोटे मम्मों को चूसने लगा, उसके खड़े निप्पलों को भी बारी बारी लोली पोप की तरह चूसने लगा.नैना ने मेरे चूतड़ पर हल्की सी थपकी मारी और मैं समझ गया कि चूत में लंड के जाने का समय निकट आ गया है, मैंने लंड को हल्का से एक धक्का दिया और वो एक इंच अंदर चला गया और फिर एक और धक्का मारा तो आगे का रास्ता बंद मिला.मैंने लंड को बाहर निकाला और उसको उसकी भग पर रगड़ा और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड पूरा अंदर और जस्सी हल्के से चिल्लाई- मर गई रे!