desiaks
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नाश्ते के टेबल पर दोनों माँ बेटी नहीं आई तो मैंने सोचा कि शायद सोई हैं, और मैं कालेज चला गया.जाने से पहले पारो को बता गया कि दोपहर के खाने में क्या बनेगा.
कालेज से वापस आने पर पता चला कि दोनों लखनऊ घूमने गई हैं.मैं खाना खाकर सो गया. जब नींद खुली तो शाम हो चुकी थी.ड्राइंग रूम में गया तो माँ बेटी वहां बैठी थीं, वो दोनों बताने लगी कि वो कहाँ कहाँ घूम आई हैं. कुछ शॉपिंग भी की थी दोनों ने.
रात में मैंने उनके लिए मुर्गा बनवा दिया था तो वो खाकर बड़ी खुश हुई कि ऐसा मुर्गा उनके छोटे शहर में नहीं मिलता और बहुत ही स्वादिष्ट बनाया है तुम्हारी कुक ने.
खाने के बाद कुछ देर हम तीनों ने ताश के पत्ते खेले और फिर करीब दस बजे हम सोने चले गए.मुझको उम्मीद थी कि आज वो दोनों मुझ को परेशान नहीं करेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
जब दोनों नौकरानियाँ सोने के लिए अपनी कोठरी चली गई तो मैंने मुख्य द्वार बंद कर लिया और आकर अपने बिस्तर पर लेट गया.थोड़ी देर बाद मेरे बंद कमरे का दरवाज़ा खटका और खोलने पर सामने चाची और उषा खड़ी थीं, दोनों ही अपने सोने वाली पोशाक में थी.
‘आओ चाची जी, कोई काम था क्या?’‘नहीं वो सर दर्द हो रहा था मुझको और उषा को, सोचा कि तुमसे कोई बाम ले आती हैं.‘हाँ हाँ, क्यों नहीं.’मैं बाम का मतलब समझता था.
तब चाची बोली- सतीश, तुमने हमारी हर तरह से बहुत अच्छी खातिरदारी की है. हम दोनों तुम्हारी रात की खातिरदारी नहीं भुला सकती. सो आज हम दोनों तुम्हारी खातिरदारी करेंगी. बोलो मंज़ूर है?मैं बोला- चाची, रहने दो, आपने जो भी मुझको दिया, वो बहुत दिया, मेरा आप पर कोई अहसान नहीं है, हिसाब बराबर हो गया है.चाची बोली- नहीं सतीश, आज रात हम दोनों तुझको एक तोहफा देना चाहती हैं.
तब चाची और उषा ने मिल कर मेरे कपड़े उतार दिए और यह देख कर अचम्भे में आ गई कि मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ खड़ा था.दोनों ने लंड को हाथ नहीं लगाया और अपना काम शुरू कर दिया.
ड्राइंग रूम में पड़े रेडियो को वो पहले उठा लाई थी, उसको चालू कर दिया, हल्के हल्के डांस के गाने उस पर बज रहे थे.डांस के म्यूजिक पर दोनों अपनी कमर हिला हिला कर डांस करने लगी.नाचते हुए पहले चाची ने उषा के कपड़े एक एक कर के उतारने शुरू कर दिए. धीरे से डांस करते हुए चाची ने पहले उषा का ब्लाउज उतार दिया और फिर उसकी अंगिया उतार दी और घुमा कर मेरे मुंह पर फ़ेंक दी.
सूंघने पर बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी उषा की अंगिया से, मैंने उसको अपने गले में लपेट लिया.यह देख कर उषा खिलखाला कर हंस दी थी.
चाची लगातार उचक उचक कर डांस कर रही थी.फिर उसने उषा की पिंक सिल्क साड़ी उसको गोल गोल घुमा कर उतार दी. साड़ी हवा में लहराते हुए उसने मुझ पर लपेट दी.जब तक मैं साड़ी से आज़ाद होता, तब तक उषा का पेटीकोट भी उतार दिया और ज़ोर से मेरे ऊपर फैंक दिया लेकिन इस बार मैं चौकन्ना था तो हाथ से उसको परे फैंक दिया.
यह सारा नज़ारा बहुत ही सेक्सी था और मेरा लंड बार बार हवा में लहलहा रहा था.अब उषा आई और मेरे लंड के साथ अपनी चूत जोड़ कर गोल गोल घूमने लगी.‘उफ्फ्फ ओह्ह्ह…’ की आवाज़ मेरे मुंह से और उषा के मुंह से इकट्ठी निकल रही थी, मेरा लंड उषा की चूत के ऊपर रगड़ा मार रहा था. कभी वो आधा इंच चूत के अंदर जाता और फिर उषा के डांस की वजह से वहां से खिसक जाता.
उधर चाची भी अपने कपड़े डांस की ताल के साथ उतारने में लगी थी. पहले उसका ब्लाउज हम दोनों पर गिरा, जिसको मैंने उषा की चूत और अपने लंड के बीच में रख दिया और फिर उसकी सिल्क ब्रा भी आकर मेरे मुंह पर गिरी.उसमें से आ रही खुशबू मुझ को पागल बना रही थी, मैंने एकदम जोश में आकर उषा को कस कर पकड़ा और खड़े खड़े ही लंड को उषा की चूत में डाल दिया.
जब वो आधा अंदर चला गया तो मैंने उसको गोद में उठा लिया और पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत में घुसेड़ दिया.अब चाची भी पूरी नंगी हो चुकी थी तो वो भी हम दोनों के साथ चूत का रगड़ा मार रही थी.
मैंने उषा को पलंग की साइड में लिटा दिया और उसकी टांगें चौड़ी करके अपने पूरे जोबन पर आये लंड को फिर से उसकी चूत में डाल दिया और उसकी कमर के नीचे अपने हाथ रख कर उठा लिया और ज़ोर से धक्के मारने लगा.उषा कोई 10 धक्कों में ही छूट गई और पलंग पर पसर गई.
कालेज से वापस आने पर पता चला कि दोनों लखनऊ घूमने गई हैं.मैं खाना खाकर सो गया. जब नींद खुली तो शाम हो चुकी थी.ड्राइंग रूम में गया तो माँ बेटी वहां बैठी थीं, वो दोनों बताने लगी कि वो कहाँ कहाँ घूम आई हैं. कुछ शॉपिंग भी की थी दोनों ने.
रात में मैंने उनके लिए मुर्गा बनवा दिया था तो वो खाकर बड़ी खुश हुई कि ऐसा मुर्गा उनके छोटे शहर में नहीं मिलता और बहुत ही स्वादिष्ट बनाया है तुम्हारी कुक ने.
खाने के बाद कुछ देर हम तीनों ने ताश के पत्ते खेले और फिर करीब दस बजे हम सोने चले गए.मुझको उम्मीद थी कि आज वो दोनों मुझ को परेशान नहीं करेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
जब दोनों नौकरानियाँ सोने के लिए अपनी कोठरी चली गई तो मैंने मुख्य द्वार बंद कर लिया और आकर अपने बिस्तर पर लेट गया.थोड़ी देर बाद मेरे बंद कमरे का दरवाज़ा खटका और खोलने पर सामने चाची और उषा खड़ी थीं, दोनों ही अपने सोने वाली पोशाक में थी.
‘आओ चाची जी, कोई काम था क्या?’‘नहीं वो सर दर्द हो रहा था मुझको और उषा को, सोचा कि तुमसे कोई बाम ले आती हैं.‘हाँ हाँ, क्यों नहीं.’मैं बाम का मतलब समझता था.
तब चाची बोली- सतीश, तुमने हमारी हर तरह से बहुत अच्छी खातिरदारी की है. हम दोनों तुम्हारी रात की खातिरदारी नहीं भुला सकती. सो आज हम दोनों तुम्हारी खातिरदारी करेंगी. बोलो मंज़ूर है?मैं बोला- चाची, रहने दो, आपने जो भी मुझको दिया, वो बहुत दिया, मेरा आप पर कोई अहसान नहीं है, हिसाब बराबर हो गया है.चाची बोली- नहीं सतीश, आज रात हम दोनों तुझको एक तोहफा देना चाहती हैं.
तब चाची और उषा ने मिल कर मेरे कपड़े उतार दिए और यह देख कर अचम्भे में आ गई कि मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ खड़ा था.दोनों ने लंड को हाथ नहीं लगाया और अपना काम शुरू कर दिया.
ड्राइंग रूम में पड़े रेडियो को वो पहले उठा लाई थी, उसको चालू कर दिया, हल्के हल्के डांस के गाने उस पर बज रहे थे.डांस के म्यूजिक पर दोनों अपनी कमर हिला हिला कर डांस करने लगी.नाचते हुए पहले चाची ने उषा के कपड़े एक एक कर के उतारने शुरू कर दिए. धीरे से डांस करते हुए चाची ने पहले उषा का ब्लाउज उतार दिया और फिर उसकी अंगिया उतार दी और घुमा कर मेरे मुंह पर फ़ेंक दी.
सूंघने पर बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी उषा की अंगिया से, मैंने उसको अपने गले में लपेट लिया.यह देख कर उषा खिलखाला कर हंस दी थी.
चाची लगातार उचक उचक कर डांस कर रही थी.फिर उसने उषा की पिंक सिल्क साड़ी उसको गोल गोल घुमा कर उतार दी. साड़ी हवा में लहराते हुए उसने मुझ पर लपेट दी.जब तक मैं साड़ी से आज़ाद होता, तब तक उषा का पेटीकोट भी उतार दिया और ज़ोर से मेरे ऊपर फैंक दिया लेकिन इस बार मैं चौकन्ना था तो हाथ से उसको परे फैंक दिया.
यह सारा नज़ारा बहुत ही सेक्सी था और मेरा लंड बार बार हवा में लहलहा रहा था.अब उषा आई और मेरे लंड के साथ अपनी चूत जोड़ कर गोल गोल घूमने लगी.‘उफ्फ्फ ओह्ह्ह…’ की आवाज़ मेरे मुंह से और उषा के मुंह से इकट्ठी निकल रही थी, मेरा लंड उषा की चूत के ऊपर रगड़ा मार रहा था. कभी वो आधा इंच चूत के अंदर जाता और फिर उषा के डांस की वजह से वहां से खिसक जाता.
उधर चाची भी अपने कपड़े डांस की ताल के साथ उतारने में लगी थी. पहले उसका ब्लाउज हम दोनों पर गिरा, जिसको मैंने उषा की चूत और अपने लंड के बीच में रख दिया और फिर उसकी सिल्क ब्रा भी आकर मेरे मुंह पर गिरी.उसमें से आ रही खुशबू मुझ को पागल बना रही थी, मैंने एकदम जोश में आकर उषा को कस कर पकड़ा और खड़े खड़े ही लंड को उषा की चूत में डाल दिया.
जब वो आधा अंदर चला गया तो मैंने उसको गोद में उठा लिया और पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत में घुसेड़ दिया.अब चाची भी पूरी नंगी हो चुकी थी तो वो भी हम दोनों के साथ चूत का रगड़ा मार रही थी.
मैंने उषा को पलंग की साइड में लिटा दिया और उसकी टांगें चौड़ी करके अपने पूरे जोबन पर आये लंड को फिर से उसकी चूत में डाल दिया और उसकी कमर के नीचे अपने हाथ रख कर उठा लिया और ज़ोर से धक्के मारने लगा.उषा कोई 10 धक्कों में ही छूट गई और पलंग पर पसर गई.