XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 2 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

एक दिन ऐसे ही घूमते हुए मैं अपने घोड़ों के अस्तबल की ओर निकल गया जहाँ का मुखिया लखन सिंह था. तब वो घोड़ों को घुमा रहा था, मुझ देखते ही बोला- आओ छोटे मालिक, आज इधर कैसे आना हुआ?मैं बोला- बहुत दिनों से घोड़ों को देखने नहीं आया था तो सोचा कि देखूं क्या हाल है सबका, कैसे चल रहे सब हैं? अब कितने घोड़े और कितनी घोड़ियाँ हैं?
लखन बोला- छोटे मालिक, अभी 6 घोड़े हैं और 10 घोड़ियाँ हैं, हर रोज़ लगभग 6-7 घोड़ियाँ दूसरी ज़मीनदारों से आती हैं हमारे यहाँ क्यूंकि हमारे 6 घोड़े बहुत बढ़िया नसल के हैं और उनके द्वारा पैदा किये हुए बच्चे बड़े ही उम्दा घोड़े या घोड़ियाँ बनते हैं. इससे काफी अच्छी आमदनी हो जाती है.
यह कह कर उसने मुझ को पूरा अस्तबल दिखाया और कहा- कल अगर दोपहर को आएँ तो घोड़ी को कैसे हरा किया जाता है, देख सकते हैं आप!मैंने कहा- देखो कल आ सकता हूँ या नहीं!
फिर मैं वहाँ से चला आया. मैंने बात नैना को बताई तो वह बोली- ज़रूर जाना छोटे मालिक, वहाँ बड़ा गरम नज़ारा देखने को मिलेगा. कैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है देखने को मिलेगा. बाप रे बाप… घोड़े का कितना लम्बा और मोटा लंड होता है, तौबा रे… हम औरतें वहाँ नहीं जा सकती क्यूंकि औरतों का वहाँ जाना मना है, लेकिन छोटे मालिक आप ज़रूर जाना कल… बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा आप को!यह कह कर उसने मुझको आँख मारी और मैंने फैसला कर लिया कि कल ज़रूर जाऊँगा अस्तबल.

जैसा कि मैंने सोचा था, स्कूल से वापस आने के बाद मैं अस्तबल की तरफ चल दिया. वहाँ पहुँचा तो लखन सिंह एक घोड़े को एक घोड़ी के चारों और घुमा रहा था.घोड़ा रुक रुक कर घोड़ी की चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था. ऐसा कुछ 4-5 मिनट हुआ और फिर वो घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा.
देखते देखते ही उसका लंड एकदम बाहर निकल आया और बहुत लम्बा होता गया, वो काफी मोटा भी था और फिर घोड़ा एकदम ज़ोर से हिनहिनाया और झट घोड़ी के ऊपर चढ़ गया और उसका 2 फ़ीट का लंड एकदम घोड़ी की चूत में घुस गया और घोड़ा ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और फिर 2-3 मिनट में घोड़े का पानी छूट गया और वो नीचे उतर आया.
यह देखते हुए मेरा भी लंड तन गया और मैं भी जल्दी से घर की ओर चल पड़ा. मेरा दिल यह चाह रहा था कि मैं भी किसी लड़की के ऊपर चढ़ जाऊँ.
मैं थोड़ी दूर ही गया था कि मुझ को शी शी की आवाज़ सुनाई दी.जिधर से आवाज़ आई थी, उधर देखा तो नैना हाथ से इशारा कर रही थी और अपने पीछे आने को कह रही थी.
मैं काम के वश में था तो बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे चल पड़ा. वो जल्दी चलती हुए एक छोटी सी कुटिया में घुस गई और मैं भी उसके पीछे घुस गया, देखा कि एक साफ़ सुथरी कुटिया थी जिसमें एक चारपाई बिछी थी और साफ़ सुथरी सफ़ेद चादर उस पर पड़ी थी..
मैंने घुसते ही नैना को दबोच लिया, ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा और झट से अपनी पैंट को उतार फ़ेंक दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर के अपना तना हुआ लंड चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.नैना की चूत भी पूरी गीली हो रही थी तो ‘फिच फिच’ की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से ‘आह आह ओह ओह…’ की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया और फिर ज़ोर से उस के चूतड़ ऊपर को उठे और मेरे लंड को पूरा अंदर लेकर अपनी जांघों में बाँध लिया और फिर मैं कोशिश करने के बावजूद भी झड़ गया.
मैंने जल्दी से उसको सॉरी बोला लेकिन वो आँखें बंद करके पड़ी रही, कुछ न बोली और न उसने मुझको अपनी बाहों से आज़ाद किया. कोई 5 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है और मैंने धीरे से धक्के मारने शुरु कर दिए और तब उसने आँखें खोली, हैरानी से मुझको देखने लगी, हँसते हुए बोली- फिर खड़ा हो गया क्या?
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और फिर हम दोनों की चूत और लंड की लड़ाई चालू हो गई. कोई 10 मिनट बाद नैना फिर से झड़ गई लेकिन मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और हमारी जंग जारी रही. अब जब नैना ने पानी छोड़ा तो उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और एकदम थक कर लेट गई, थोड़ी देर बाद बोली- छोटे मालिक, आज आपने फिर अंदर छूटा दिया?
‘सॉरी नैना, मैं इतनी मस्ती में था कि अपने को रोक नहीं सका! अब क्या होगा?’वह हंस कर बोली- कोई बात नहीं. आजकल में मेरी मासिक शुरू होने वाली है तो कोई डर वाली बात नहीं है. पर आज तुमने तो कमाल कर दिया छूटने के बाद भी तुम्हारा नहीं बैठा?
और यह कह कर वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी और मेरा लंड झट से फिर खड़ा हो गया, फिर से उसके ऊपर चढ़ने की मैंने कोशिश की लेकिन नैना ने मना कर दिया और बोली- आज घोड़े का तमाशा देखा क्या?
मैं बोला- हाँ, बड़ी ही मस्त है उनकी चुदाई भी… देख कर जिस्म में आग लग गई थी जो तुमने वक्त पर आकर बुझा दी.नैना बोली- मैंने भी देखा सारा तमाशा!‘कैसे? कहाँ से देखा?’‘है एक गुप्त जगह जो हम गाँव वाली लड़कियों को मालूम है सिर्फ. कभी कभी मन करता है तो आ जाती हैं दो या तीन और बाद में बहुत मस्ती करती हैं हम यहाँ इसी झोंपड़ी में…’‘क्या मस्ती करती हो तुम लड़कियाँ?’‘कभी किसी दिन बता दूंगी और दिखा भी दूंगी.’
फिर हम वहाँ से चल दिए पहले नैना निकली और बोल गई- आप कुछ देर बाद आना!मैं भी 10 मिनट बाद वहाँ से चल दिया.

कहानी जारी रहेगी.

 
नैना गई और छाया आई
मेरा जीवन नैना के साथ बड़े आनन्द के साथ चल रहा था, वह रोज़ मुझको काम क्रीड़ा के बारे में कुछ न कुछ नई बात बताती थी जिसको मैं पूरे ध्यान से सुनता था और भरसक कोशिश करता था कि उसके सिखाये हुए तरीके इस्तमाल करूँ और जिस तरह वह मेरे साथ चुदाई के बाद मुझको चूमती चाटती थी, यह साबित करता था कि मैं उसके बताये हुए तरीकों का सही इस्तेमाल कर रहा हूँ.
और धीरे धीरे मुझको लगा कि नैना को मुझसे चुदवाने की आदत सी बनती जा रही थी और मैं भी उसे चोदे बिना नहीं रह पाता था. हर महीने वो चार दिन मेरे पास नहीं आती थी और बहुत पूछने पर भी कारण नहीं बताती थी.बहुत पूछने की कोशिश की लेकिन वो इस बारे में कोई बात कर के राज़ी ही न थी. हाँ इतना ज़रूर कहती जब मैं शादी करूंगा तो समझ जाऊंगा.वो महीने के चार दिन मेरे बड़ी मुश्कल से गुज़रते थे, 5-6 दिन बाद वो खुद ही मेरे कमरे में दोपहर में आ जाती थी और हमारा चुदाई का दौर फिर ज़ोरों से शुरू हो जाता था.
उसने कई बार मेरे छूटने के बाद मुझ को लंड चूत के बाहर नहीं निकालने दिया था और कुछ मिन्ट में मेरा लंड फिर चूत में ही खड़ा हो जाता था और मैं फिर से चुदाई शुरू कर देता था. कई बार उसने आज़मा के देख लिया था कि मेरा लंड चूत के अंदर ही दुबारा खड़ा हो जाता था और मैं छूटने के बाद भी चुदाई जारी रख सकता था.

वो कहती थी कि मुझमें चोदने की अपार शक्ति है और शायद भगवान ने मुझको इसी काम के लिए ही बनाया है. उसने यह भी बताया कि मेरे अंदर से बहुत ज़यादा वीर्य निकलता है जो 3-4 औरतों को एक साथ गर्भवती कर सकने की ताकत रखता है.
अब मेरे लंड की लम्बाई तकरीबन 7 इंच की हो गई थी और खासा मोटा भी हो गया था. नैना हर हफ्ते उसका नाप लेती थी और कॉपी में लिखती जाती थी. उसका कहना था कि वो जो तेल की मालिश करती थी शायद उससे यह लम्बा और अच्छा मोटा हो गया है..
लेकिन वो अभी भी हैरान हो जाती थी जब उसके हाथ लगाते ही मेरा लंड लोहे की माफिक सख्त हो जाता था. अब वो चुदाई के दौरान 2-3 बार छूट जाती थी क्योंकि मैंने महसूस किया था कि जब वो छूटने वाली होती थी वो कस के मुझको अपनी बाहों में जकड़ लेती थी और अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को कस के दबा लेती थी और ज़ोर से कांपती थी और फिर एकदम ढीली पड़ जाती थी.
हालाँकि वो बताती नहीं थी लेकिन मैं अब उसकी आदतों से पूरा वाकिफ़ हो गया था और बड़ा आनन्द लेता था जब उसका छूटना शुरू होता था.फिर उसने मुझको सिखाया कि कैसे औरतों के छूटने के बाद लंड को बिना हिलाये अंदर ही पड़ा रहने दो तो उनको बहुत आनन्द आता है और जल्दी दुबारा चुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं.उसके सिखाये हुए सबक मेरे जीवन में मुझको बहुत काम आये और शायद यही कारण है कि जो भी स्त्री मेरे संपर्क में आती वह जल्दी मेरा साथ नहीं छोड़ती थी और मेरे साथ ही सम्भोग करने की सदा इच्छुक रहती थी.
और एक दिन नैना नहीं आई और पता किया गया तो पता चला कि वो गाँव छोड़ कर किसी के संग भाग गई थी. किसी ने देखा तो नहीं लेकिन ऐसा अंदाजा है कि वो अपने गाँव से बाहर वाले आदमी के साथ ही भागी है.पर कैसे यकीन किया जाए कि नैना के साथ कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई?
मैंने मम्मी और पापा पर ज़ोर डाला कि पता करना चाहिये आखिर क्या हुआ उसको?लेकिन बहुत दौड़ धूप के बाद भी कुछ पता नहीं चला.मैं बेहद निराश था क्योंकि मेरा मौज मस्ती भरा जीवन एकदम बिखर गया. मम्मी ने कोशिश करके एक और औरत को मेरे लिए काम पर रख लिया.उसका नाम था छाया.
नैना के जाने के कुछ दिनों बाद ही वो काम पर आ गई थी, उसको देखते ही मुझको लगा कि इस लड़की को मैंने पहले कहीं देखा है. बहुत ज़ोर डाला तो याद आया कि इसको तो नदी के किनारे नहाते हुए देखा था और इसने मेरी छुपने वाली जगह के सामने ही कपड़े बदले थे.
 
वो नज़ारा याद आते ही मेरा लंड पूरे ज़ोर से खड़ा हो गया क्यूंकि इसके स्तन बड़े ही गोल और गठे हुए दिखे थे और चुचूक भी काफी मोटे थे बाहर निकले हुए ! चूत पर काली झांटों का राज्य था, कमर और पेट एकदम उर्वशी की तरह एकदम गोल और गठा हुआ था, उसके नितम्ब एकदम गोल और काफी उभरे हुए थे.
थोड़ी देर बाद मम्मी छाया को लेकर मेरे कमरे में आई और उसको मुझ से मिलवाया.वह मुझ को देख कर धीरे से मुस्करा दी और बोली- नमस्ते छोटे मालिक!मैंने भी अपना सर हिला दिया.मम्मी के सामने मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं और ऐसा बैठा रहा जैसे कि मुझको छाया से कुछ लेना देना नहीं.
मम्मी उसको समझाने लगी- सुनो छाया, सतीश भैया को सुबह बिस्तर में चाय पीने की आदत है, तुम रोज़ सुबह सतीश के लिए चाय लाओगी और चाय पिला कर उसका कप वापस रसोई में ले जाओगी और फिर आकर सतीश की स्कूल ड्रेस जो अलमारी में हैंगर पर लटकी है, वह बाहर लाकर उसके बेड पर रख दोगी और फिर उसके स्कूल वाले बूट पोलिश करके, उसका रुमाल वगैरा मेज पर रख देना. इसी तरह जब सतीश स्कूल से आये तो तुम इस कमरे में आ जाना और उसका खाना इत्यादि उसको परोस देना. और उसके कपड़े भी धो देना. समझ गई न?
यह कह कर मम्मी चली गई.अब मैंने छाया को गौर से दखना शुरू किया.वो मुझको घूरते देख पहले तो शरमाई और फिर सर झुका कर खड़ी रही.मैंने देखा कि वो एक सादी सी धोती और लाल ब्लाउज पहने थी, उसने अपने वक्ष अच्छी तरह से ढके हुए थे. उस सादी पोशाक में भी उसकी जवानी छलक रही थी.
उसने झिझकते हुए पूछा- सतीश भैया, मैं रुकूँ या जाऊँ बाहर?मैं बोला- छाया, तुम मेरे लिए एक गरमागरम चाय ले आओ.
‘जी अच्छा… लाई!’ कह कर वो चली गई और थोड़ी देर में चाय ले कर आगई.तब मैंने उससे पूछा- क्या तुम नैना को जानती हो?वो बोली- हाँ सतीश भैया. वो मेरे साथ वाली झोंपड़ी में ही तो रहती थी.‘तो फिर तुम ज़रूर जानती होगी कि वो कहाँ गई?’‘नहीं भैया जी, गाँव में कोई नहीं जानता वो कहाँ गई और क्यों गई? बेचारी की बूढ़ी माँ है, पीछे उसको अब खाने के लाले पड़ गए हैं. कहाँ से खाएगी वो बेचारी? अभी तक तो गाँव वाले उसको थोड़ा बहुत खाना दे आते हैं लेकिन कब तक?
मैं कुछ देर सोचता रहा फिर बोला- क्या तुम उसकी माँ को यहाँ से खाना भिजवा दिया करोगी? मैं मम्मी से बात कर लूंगा.वो बोली- ठीक है भैया जी!और मम्मी से बात की तो वो मान गई और उसी वक्त छाया को हुक्म दिया कि दोनों वक्त का खाना नैना की माँ को छाया पहुँचा दिया करेगी.
अब मैं छाया को पटाने की तरकीब सोचने लगा, कुछ सूझ नहीं रहा था और इसी बारे में सोचते हुए मैं सो गया.सुबह जब आँख खुली तो छाया चाय का कप लिए खड़ी थी. मैंने जल्दी से चादर उतारी और कप लेने के लिए हाथ आगे किया तो देखा की छाया मेरे पायजामे को देख रही थी.जब मैंने उस तरफ देखा तो मेरा लंड एकदम अकड़ा खड़ा था, एक तम्बू सा बन गया था खड़े लंड के कारण और छाया की नज़रें उसी पर टिकी थी.
मैंने भी चुपचाप चाय ले ली और धीरे से गर्म चाय पीने लगा. मेरा लंड अब और भी तन गया था और थोड़ा थोड़ा ऊपर नीचे हो रहा था. छाया इस नाटक को बड़े ही ध्यान से देख रही थी. जब तक छाया खड़ी रही लंड भी अकड़ा रहा.जब वो कप लेकर वापस गई तो तब ही वो बैठा अब मुझको छाया को पटाने का तरीका दिखने लगा.
अगले दिन मैं छाया के आने से पहले ही जाग गया, हाथ से लंड खड़ा कर लिया, उसको पायजामे से बाहर कर दिया और ऊपर फिर से चादर डाल दी और आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा.
जब छाया ने आकर बोला- चाय ले लीजये.मैंने झट से आँखें खोली और अपने ऊपर से चादर हटा दी और मेरा अकड़ा लंड एकदम बाहर आ गया.मैंने ऐसा व्यवहार किया जैसे मुझ को कुछ मालूम ही नहीं और उधर छाया की नज़र एकदम लंड पर टिक गई थी.
मैं चाय लेकर चुस्की लेने लगा और छाया को भी देखता रहा. उसका हाथ अपने आप अब धोती के ऊपर ठीक अपनी चूत पर रखा था और उसकी आँखें फटी रह गई थी.चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी.अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है.
उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही छाया आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो.
और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी.मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया.

कहानी जारी रहेगी.
 


*छाया की पहली चूत चुदाई*

चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी.अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है.
उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही छाया आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो.
और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी.मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया.उसने मुड़ के देखा और मुझ को देख कर हल्के से मुस्करा दी.मैंने झट उसको बाँहों में भर लिया, वो थोड़ा कसमसाई और धीरे से बोली- कोई आ जाएगा, मत करो अभी!
मैंने उसको सीधा करके उसके होंटों को चूम लिया और पीछे हट गया.यह अच्छा ही हुआ क्यूंकि मैंने मम्मी के आने की आवाज़ सुनी जो मेरे ही कमरे की तरफ ही आ रही थी.मैं झट से बेड पर लेट गया.

मम्मी ने आते ही कहा- गुड मॉर्निंग सतीश बेटा, उठ गए क्या?‘गुड मॉर्निंग मम्मी, मैं अभी ही उठा था… चाय पी ली है और छाया आंटी मेरे स्कूल के कपड़े निकाल रही है!’
मम्मी बोली- मैं यह बताने आई थी, मैं आज दिन और रात के लिए पड़ोस वाले गाँव जा रही हूँ. तुम अकेले घबराओगे तो नहीं? वैसे छाया तुम्हारे कमरे में ही सोयेगी, जैसे नैना सोती थी… ठीक है बेटा? और छाया, तुम अम्मा से बिस्तर ले लेना और अब दिन और रात को सतीश के कमरे में ही सोया करना! ठीक है?छाया ने हाँ में सर हिलाया.यह कह कर मम्मी तेज़ी से बाहर निकल गई.
और इससे पहले की छाया बाहर जाती, मैंने फिर उसको बाँहों में भर लिया और जल्दी से उसके होटों को चूम लिया. छाया अपने को छुड़ा कर जल्दी से बाहर भाग गई.मैं बड़ा ही खुश हुआ कि काम इतनी जल्दी सेट हो जायेगा मुझको उम्मीद नहीं थी. मुझको मालूम था कि खड़े लंड का अपना अलग जादू होता है.मैंने आगे चल कर जीवन में खड़े लौड़े की करामात कई बार देखी. जहाँ भी कोई स्त्री मेरे प्यार के जाल में नहीं फंसती थी, वहीं मैं हमेशा खड़े लौड़े वाली ट्रिक इस्तेमाल करता था और वो स्त्री या लड़की तुरंत मेरी ओर आकर्षित हो जाती थी.
स्कूल से आया तो कमरे में आकर सिर्फ बनियान और कच्छे में बिस्तर पर लेट गया.छाया आई और मेरा खाना परोसने लगी.
मैंने पूछा- मम्मी चली गई क्या?छाया मुस्कराई और बोली- हाँ सतीश भैया!‘देखो छाया. तुम मुझको भैया न बुलाया करो, सिर्फ सतीश कहो ना… अच्छा यह बताओ आज मैंने सुबह तुमको चूमा, कुछ बुरा तो नहीं लगा?’छाया बोली- नहीं सतीश भइया लेकिन वक्त देख कर यह करो तो ठीक रहेगा क्यूंकि किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी.‘ठीक है, जाओ ये खाने के बर्तन रख आओ और खाना खाकर वापस आ जाओ, मैं तुम्हारी राह देख रहा हूँ!’
वो आधे घंटे में खाना खाकर वापस आ गई, जैसे ही वो कमरे में आई, मैंने झपट कर उसको बाँहों में दबोच लिया, कस कर प्यार की झप्पी दी जिसमें उसके उन्नत उरोज मेरी छाती में धंस गए. मेरा कद अब लगभग 5’7″ फ़ीट हो गया था और वो सिर्फ 5’3″ की थी.
उसको चूमते हुए मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और देखा कि उसके पतले ब्लाउज में उसकी चूचियों में एकदम अकड़न आ गई थी.
मैं उसको जल्दी से अपने बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और झट अपना कच्छा उतार दिया और उसका हाथ अपने खड़े लौड़े पर धर दिया.वो भी मेरे लौड़े से खेलने लगी.
मैंने उसकी धोती उतारे बगैर उसको ऊपर कर दिया और काले बालों से घिरी उसकी चूत पर हाथ फेरा तो वो एकदम गीली हो चुकी थी और उसका पानी बाहर बहने वाला हो रहा था. मैंने झट उसकी टांगों में बैठा और अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख दिया और छाया की तरफ देखा.उसने आँखें बंद कर रखी थी और उसके होंट खुले थे!
एक धक्के में ही पूरा का पूरा लौड़ा उसकी कसी चूत में घप्प करके घुस गया और उसके मुख से हल्की सिसकारी निकल गई. मैं कुछ क्षण बिना हिले उसके ऊपर लेटा रहा और तभी मैंने महसूस किया कि छाया के चूतड़ हल्के से नीचे से थाप दे रहे हैं.और मेरे लौड़े को पहली बार इतनी रसीली चूत मिली, वो तो चिकने पानी से लबालब भरी हुई थी.
मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा लंड चूत के मुंह तक बाहर लाकर फिर ज़ोर से अंदर डाल देता था. कोई 10-15 धक्कों के बाद मैंने महसूस किया छाया कि चूत अंदर से खुल रही और बंद हो रही थी और जल्दी ही छाया ने मुझको ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और अपनी जाँघों से मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया.
इससे पहले कि उसके मुख से कोई आवाज़ निकले, मैंने अपने होंट उसके होंटों पर रख दिए और कुछ देर तक उसका शरीर ज़ोर ज़ोर से कांपता रहा और फिर वो झड़ जाने के बाद एकदम ढीली पड़ गई.लेकिन मैंने अब उसको फिर धीरे से चोदना शुरू किया. धीरे धीरे उसको फिर स्खलन की ओर ले गया और उसका दूसरी बार भी बहुत तीव्र स्खलन हो गया.
अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया.कुछ समय बाद मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया, उसके उन्नत उरोजों और चुचूक चूसने लगा, एक ऊँगली उसकी चूत में डाल उसकी भगनासा को हल्के से मसलने लगा.ऐसा करते ही छाया फिर से तैयार हो गई और अब उसने मुझ को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और नीचे से चूत को लंड के साथ चिपकाने की कोशिश करने लगी.
मैंने फिर ऊपर से लंड से धक्के मारने शुरू कर दिए और इस बार मैं इतनी ज़ोर से धक्के मारने लगा कि छाया हांफ़ने लगी और करीब 10 मिन्ट के ज़ोरदार धक्कों से छाया फिर छूट गई और वह निढाल होकर टांगों को सीधा करने लगी लेकिन मैंने अपनी जांघों से उसको रोक दिया और धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि कुछ ही मिनटों में ही मेरा फव्वारा लंड से छूट गया और छाया की चूत की गहराइयों में पहुँच गया.
अब मैं छाया के ऊपर से उतर कर बिस्तर पर आ गया, मैंने छाया का हाथ अपने लंड पर रख दिया और वो एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सतीश, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?मैं बोला- छाया रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा.‘ऐसा है क्या?’ वो बोली.‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा.‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी.’यह कह कर छाया चली गई.
उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया.

कहानी जारी रहेगी.

 
*छाया के साथ पहली रात*

छाया एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सतीश, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?मैं बोला- छाया रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा.‘ऐसा है क्या?’ वो बोली.‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा.‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी.’यह कह कर छाया चली गई.उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया.
छाया के साथ गुज़ारी पहली रात ज़िन्दगी भर याद रहेगी, दिन भर मैं छाया पर छाया था, रात में छाया छा गई, छाया ने अपने गुज़रे जीवन के ख़ास क्षण उस रात मुझको बताये.छाया को अपने पति के साथ बिताये दिन याद आने लगे. कैसे सुहागरात वाले समय उसके पति ने उसको बड़ी बेरहमी से चोदा था, उसके दिल में संजोय सारे अरमानों को रौंदता हुआ उसका ज़ालिम लंड उसकी चूत को बर्बाद कर गया था.
साले ने एक बार भी उसको उस रात चूमा या प्यार से नहीं देखा. उसका ध्यान सिर्फ चूत पर लगा था और मोटे लम्बे लंड से वह चूत को फाड़ता हुआ अपनी जीत के झंडे गाड़ता हुआ मूंछों को ताव देता रहा.छाया बेचारी मासूम और कमसिन अपने पति का यह यौन अत्याचार सहती रही. उस समय वो किशोरावस्था में थी और काम क्रीड़ा के बारे में कुछ नहीं जानती थी.
ये सब बताते हुए उसकी आँखें भर आई. आगे उसने बताया कि पति के साथ बिताये शादीशुदा जीवन में वो एक बार भी यौन सुख को अनुभव नहीं कर सकी, उसका पति केवल एक सांड के माफिक था जो सिर्फ गाय को हरा करना जानता था, उसको काम सुख देना नहीं आता था.यह कह कर वो चुप हो गई.
मैंने पूछा- फिर तुम कैसे अपने को कामसुख देती थी?वो शर्मा गई और मुंह फेर लिया.मैंने भी कोई ज़ोर नहीं डाला, उसको काम क्रीड़ा के लिए मूड में लाने के लिए मैं ने उसको चूमना शुरु किया, पहले उसके गालों को चूमा और फिर उसके कानों के पास थोड़ा होंटों से गर्मी दी और फिर एक बहुत ही गहरी चुम्मी उसके पतले होंटों पर दी. चूमते हुए मैंने उसके कपड़े भी उतारने शुरू कर दिए, पहले ब्लाउज उतारा और फिर उसकी धोती उतार दी और फिर उसके पतले पेटीकोट को उतार दिया.

बल्ब की रोशनी में उसका शरीर एकदम सोने के माफिक चमक रहा था, सिर्फ चुचूकों का काला रंग और चूत के बालों की काली घटा के सिवाए उसका बदन काफी चमक रहा था, गंदमी रंग बहुत सेक्सी लग रहा था.
मैं पलंग पर उसके साथ बैठ गया और उसके शरीर के एक एक हिस्से को बड़े ध्यान से देखने लगा. उसके सख्त उरोज जिनको अब मैंने चूमना शुरू कर दिया, चुचूकों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाना बड़ा अच्छा लगा.और तभी मैंने देखा कि छाया भी मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर ध्यान से देख रही थी. लंड के आगे वाले भाग से उस पर छाई हुई चमड़ी को आगे पीछे करने लगी, कभी वो मेरे टाइट अंडकोष से खेलती और कभी पूरे लंड को मुट्ठी में लेकर ऊपर नीचे करती थी.
मेरी भी एक ऊँगली उसकी भगनासा को धीरे से सहला रही थी. नैना ने बताया था कि स्त्री का सबसे गरम शारीरिक हिस्सा केवल क्लिट या भगनासा ही होता है, दो तीन बार ऐसा करने पर छाया के चूतड़ अपने आप ऊपर को उठ रहे थे.अब छाया की चूत बिलकुल पनिया गई थी और उसने मेरे लंड को खींच कर इशारा दिया कि वो चूत की जंग के लिए तैयार है.
मैं भी झट उसकी टांगों के बीच आ गया और अपना लंड को निशाने पर रख कर एक हल्का धक्का दिया और लंड एकदम पूरा चूत के अंदर हो गया. लंड को अंदर डाल कर ऐसा लगा कि वो किसी तपती हुई भट्टी में चला गया हो.
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए और छाया भी अपने चूतड़ उठा कर बराबर का साथ दे रही थी, मेरा मुंह छाया के मोटे स्तनों के चुचूकों को चूस रहा था.एक को छोड़ा दूसरे को चूसा, धक्के और चुसाई साथ साथ चल रही थी और छाया के मुंह से दबी हुई सिसकारी निकल रही थी, उसके दोनों हाथ मेरी गर्दन में थे.
 
और तब मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रख दिए जिससे उसको लंड चूत की पूरी गहराई तक महसूस हुआ और तभी उसका शरीर एकदम अकड़ गया, थोड़ा कम्पकम्पाया और उसने ज़ोर से मुझ को भींच लिया और उसके मुंह से केवल हाय शब्द निकला और वो ढीली पड़ गई.मैंने चुदाई जारी रखी लेकिन धक्के रोक दिए ताकि उसकी सांस में सांस आये और उसको फिर से आनन्द आने लगे.
छाया एकटक मुझ को देख रही थी और फिर कहने लगी- सतीश, तुम तो बहुत अच्छी चुदाई करते हो जी, कहाँ से सीखा यह सब?मैं हंस दिया और बिना जवाब दिए चुदाई में फिर से जुट गया.
जब छाया का तीसरी बार छूटा तो उसने हाथ खड़े कर दिए और कहने लगी- अब और नहीं.तब मैंने बिना छुटाये ही लंड चूत से निकाल लिया और छाया के साथ लेट गया. छाया तो ऐसे लेटी थी जैसे मीलों दौड़ कर आई हो.मैंने उसका हाथ उठा कर अपने लंड पर रख दिया, मेरा लौड़ा अभी भी सर उठाये खड़ा था और फन फन फुफकार रहा था.मेरा हाथ छाया के गदराये पेट पर था और वहीं से खिसकता हुआ वो उसकी चूत के ऊपर बैठ गया. उसकी चूत से अभी भी रसदार पानी निकल रहा था और वो ऐसे निढाल पड़ी थी जैसे बहुत ही मेहनत कर के आई हो.उसके चेहरे पर एक पूर्ण तृप्ति की मुस्कान थी.
मैं बोला- लगता है बहुत थक गई हो?वो मुस्कराई और फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली- सतीश, तुम तो कमाल के चोदू हो, इतनी उम्र में तुम तो बहुत बड़े खिलाड़ी निकले. किसने सिखाया है यह सब?मैं भी हँसते हुए बोला- अंदाजा लगाओ तुम कौन हो सकता है यह सिखाने वाला?‘नैना है क्या? मुझको पक्का यकीन है कि यह काम नैना के अलावा दूसरा कोई और हो ही नहीं सकता!’‘तुम इतने यकीन से कैसे कह सकती हो?’‘वही तो थी तुम्हारे काम को देखने वाली… वही आती जाती थी तुम्हारे पास!’बातें करते हुए उसका हाथ मेरी लंड से खेल रहा था जो अब भी बराबर एकदम अकड़ा था. मेरा भी हाथ उसकी चूत के घने बालों के साथ खेल रहा था, मैंने चूत में ऊँगली डाली तो वो फिर से गीली होना शुरू हो गई थी.मैंने हल्के हल्के उसके भगनासा को रगड़ना शुरू किया. मेरा ऐसा करने पर वो तुरंत अपना चूतड़ उठा कर ऊँगली का ज़ोर बढ़ा देती थी और अब मैं तेज़ी से ऊँगली करने लगा.
उसकी आँखें मुंदी हुई थी और मुंह अधखुला था. फिर उसने हाथ से मेरे लंड को ऊपर आने की दावत दी और मैं झट उसकी खुली टांगों के बीच आ गया और निशाना साध कर अपना अकड़ा लंड उसकी चूत में डाल दिया और धीरे धक्के से शुरू कर बहुत तेज़ धक्कों पर पहुँच गया.
मैंने देखा छाया का मुख एकदम खुला हुआ था और उसकी साँसें तेज़ी से चल रहीं थी, उसका एक हाथ उसकी छाती के चुचूकों को रगड़ रहा था और दूसरा मेरे गले में था.इस बार चुदाई का अंत मैं अपना छूटने के बाद तक करना चाहता था इसलिए सर फ़ेंक कर अपने काम में जुट गया, कभी बहुत तेज़ धक्के और कभी सिर्फ चूत के ज़रा अंदर तक जाकर वापसी वाले धक्के मारने लगा.
छाया के मुंह से हल्की सिसकारी निकल रही थी और वो आँखें बंद कर चुदाई का आनन्द ले रही थी. इस बीच उसका पानी 3 बार छूटा ऐसा मैं ने मसहूस किया और अंतिम पड़ाव पर पहुँच कर मैंने इतनी स्पीड से धक्के मारे कि मैं खुद हैरान था कि मैं ऐसा कर सकता हूँ.और फिर ज़ोर का धक्का मार कर पूरा लंड छाया की चूत में डाल कर मेरा वीर्य छूट गया और ज़ोरदार पिचकारियाँ उसकी चूत को हरा करने लगी.छाया ने भी अपने चूतड़ उठा कर मेरे ही लंड के साथ चिपका दिए और छूट रहे वीर्य को पूरा अंदर ले लिया.
 
मैं हैरान था कि इस को शायद गर्भवती होने का डर नहीं लग रहा था, मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया- छाया मैंने तेरे अंदर छुटाया, तुझे गर्भ ठहरने का डर नहीं लग रहा?वो हैरानी से मेरा मुंह देखने लगी और फिर बोली- अच्छा सतीश भैया को यह भी पता है कि गर्भ कैसे ठहरता है?वो शरारत से मुस्कराई.मैं बोला- यही सुन रखा है कि आदमी का अंदर छूटने पर ही गर्भ होता है! क्या ऐसा नहीं है?छाया मुस्कराई और बोली- मेरे घर वाले ने 2 साल बुरी तरह से मुझ को चोदा था फिर भी कुछ नहीं हुआ मुझको, शायद मेरे अंदर ही कोई खराबी है.
‘चलो छोड़ो, आज मैंने तुमको 3 गोल से हराया!’‘वह कैसे?’‘तुम्हारा कम से कम 4 बार छूटा और मेरा सिर्फ एक बार, इस तरह तुम 3 गोल से हारी हो.’‘नहीं तो, मैं तो 7 बार छूटी थी और तुम्हारा एक बार… तो हुई न 6 गोल से तुम्हारी जीत!’‘अच्छा, मुझको तो 4 बार छूटना महसूस हुआ था?’
‘इतने सालों के बाद मुझको किसी लंड ने ऐसे अच्छी तरह चोदा है, मेरा तो जीवन सफल हो गया, अब मैं तुमको नहीं छोडूंगी जीवन भर, रोज़ रात मुझ को इसी तरह चोदना होगा!’‘ठीक है मेरी रानी, चोदूंगा जितना चुदवाओगी तुम!’और फिर हम दोनों एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए.
आधी रात को मेरी नींद खुली तो नंगी छाया को देख कर मेरा दिल फिर मचल गया और मैंने उसको चूत पर हाथ फेर कर सोये हुए ही तैयार कर लिया और फिर मैंने उसको फिर हल्के हल्के चोदा कहीं उसकी नींद न खुल जाए.वो तब भी एक बार छूट गई और मैं बिन छूटे ही सो गया और लंड तब भी खड़ा था.
फिर सुबह होने से पहले ही मेरी नींद खुली तो देखा कि छाया की चूत पनिया रही है और मैं फिर उस पर चढ़ गया और तकरीबन सुबह होने तक उसको चोदता रहा.
जब उसकी आँख खुली तो मैं उसको बड़े प्यार से धीरे धीरे चोद रहा था. एक हॉट चुम्मी उसके होटों पर की और आखिरी धक्का मारा और मेरा फव्वारा छूट गया और छाया की चूत पूरी तरह से मेरे वीर्य से लबालब भर गई और तभी उसने झट मुझ को कस कर अपने
बाँहों में समेटे लिया और कहा- जियो मेरा राजा, रोज़ ऐसे ही चोदना मेरी जान!यह कह कर वो अपने कपड़े पहनने लगी और फिर जल्दी से कमरे से बाहर चली गई.और मैं फिर से सो गया गहरी नींद में!

कहानी जारी रहेगी.
 
जब उसकी आँख खुली तो मैं उसको बड़े प्यार से धीरे धीरे चोद रहा था. एक हॉट चुम्मी उसके होटों पर की और आखिरी धक्का मारा और मेरा फव्वारा छूट गया और छाया की चूत पूरी तरह से मेरे वीर्य से लबालब भर गई और तभी उसने झट मुझ को कस कर अपने बाँहों में समेटे लिया और कहा- जियो मेरा राजा, रोज़ ऐसे ही चोदना मेरी जान!
यह कह कर वो अपने कपड़े पहनने लगी और फिर जल्दी से कमरे से बाहर चली गई.और मैं फिर से सो गया गहरी नींद में!
तभी छाया मेरी चाय लाई और चाय पीने के बाद में एकदम फ्रेश हो गया और जल्दी से स्कूल की तैयारी शुरू कर दी.स्कूल में ज्यादा दिल नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी पूरा समय बिताना पड़ा. स्कूल के बाद मैं जल्दी ही घर वापस आ गया छाया मेरी रहा देख रही थी, वो मेरा खाना ले आई और मैं खाना खाने के बाद सो गया.
जब आँख खुली तो देखा कि छाया नीचे दरी बिछा कर सो रही थी, पंखे की ठंडी हवा में उसके बाल लहरा रहे थे और उसका पल्लू सीने से नीचे गिरा हुआ था, उसके उन्नत उरोज मस्त दिख रहे थे.
मैं भी कमरे का दरवाज़ा बंद कर के नीचे ही लेट गया और उसकी लाल धोती को उल्टा दिया और खड़े लंड को उसकी सूखी चूत में डाल दिया.लंड को चूत में ऐसे ही पड़े रहने दिया.लंड की गर्मी जब चूत के अंदर फैली तो छाया थोड़ी हिली, मैंने कस के एक धका मारा तो छाया की आँख खुल गई और मुझको अपने ऊपर देखकर उसने टांगें फैला दी और तब मैंने उसको फिर जम के चोदा.2-3 बार छूटने के बाद वो बोली- बस करो सतीश, अभी रात भी तो है न.मैं फिर बिन छुटाये उसके ऊपर से उतर गया.

आने वाली रात के बारे में सोचते हुए मेरी शाम कट गई और खाने में तंदूरी मुर्गा दबा के खाया और एक प्लेट में डलवा कर छाया के लिए भी ले आया क्यूंकि मैं जानता था कि नौकरों का खाना अलग बनता था और उसमें सिर्फ दाल रोटी और चावल ही होते थे.
रात जब मैं अपने कमरे में आया तो काफी गर्मी लग रही थी, मैंने जल्दी एक पतला कच्छा और बनयान पहन ली और पंखा फुल स्पीड पर कर दिया.थोड़ी इंतज़ार के बाद छाया आ गई, वो बिलकुल तरोताज़ा लग रही थी.
मैंने उसके सामने तंदूरी मुर्गे की प्लेट रख दी और कहा- खाओ छाया, जी भर के… क्यूंकि आज रात को तुम को सोने नहीं दूंगा.और कोल्ड बॉक्स से बंटे वाली बोतल निकाल कर गिलास में डाल दी और गिलास छाया को दे दिया.वो मुर्गा और बोतल पीकर बहुत खुश हुई, फिर हम दोनों मेरे नरम बेड पर लेट गए और कमरे की हल्की लाइट जला दी और और इसी हल्की लाइट में हम दोनों एक दूसरे को निर्वस्त्र करने लगे, उसका धोती और ब्लाउज और पेटीकोट झट से उतार दिया.
तब छाया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- कहीं मम्मी या कोई और आ गया तो? पूरे कपड़े न उतारो सतीश!
मैं बोला- डरो मत छाया रानी, मेरे और मम्मी का हुक्म है कि रात में कोई मुझको नहीं तंग करेगा और न ही कोई मेरे कमरे में आएगा. पापा मम्मी भी नहीं आते कभी, तुम बेफिक्र रहो!
फिर हमारा खेल शुरू हुआ और आज मुर्गा खाकर छाया में कामुकता बहुत ज्यादा बढ़ गई थी, वो प्यार की जंग में बढ़ बढ़ कर हिस्सा ले रही थी.

अब उसने मेरे सारे जिस्म को चूमना शुरु किया, मेरी ऊँगली भी उसकी चूत पर ही उसकी भगनासा को हल्के हल्के मसल रही थी.फिर वो मेरे ऊपर लेट गई और मेरे लौड़े को अपनी चूत पर बिठा कर ऊपर से धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी आग समान तप्ती हुई चूत में जड़ तक चला गया.
वो बोली- सतीश, अब तुम हिलना नहीं, सारा काम मैं ऊपर से करूंगी.छाया तब पैरों बल बैठ गई और ऊपर से चूत के धक्के मारने लगी. इस पोजीशन में मैंने आज तक किसी को नहीं चोदा था, मुझको सच में बहुत मज़ा आने लगा और मैं नीचे से धक्के मारने लगा जिसके कारण मेरा पूरा 7 इंच का लंड छाया की चूत में समां गया.और बार बार ऐसा होने लगा.
तब छाया के चूतड़ एकदम रुक गए और वो एक ज़ोरदार कम्कम्पी के बाद मेरे ऊपर निढाल होकर पसर गई, छाया का बड़ा तीव्र स्खलन हुआ और वो बहुत ही आनन्दित हुई.मेरा खड़ा लंड अभी भी उसकी चूत में समाया हुआ था.
मैंने थोड़ी देर उसको आलखन करने दिया और फिर उसको सीधा करके उस पर चढ़ने की तैयारी करने लगा और तभी छाया बोली- कभी घोड़ी बना कर चोदा है किसी को?मैंने कहा- नहीं तो, क्या यह तरीका तुम को आता है?छाया बोली- मेरा मूर्ख पति कई रंडियों के पास जाता था, यह सब वो वहाँ से ही सीखा था और मेरे साथ ज़बरदस्ती करता था. सच में कभी भी अपने पति के साथ नहीं छूटी क्यूंकि मैं उसको मन में एक दरिंदा ही समझती थी.
छाया झट घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे घुटने बल बैठ गया और जैसा उसने बताया अपना लंड छाया की गांड और चूत बीच वाले हिस्से में टिका दिया और फिर धीरे से उसको चूत के मुख ऊपर रख कर धीरे से अंदर धकेल दिया और गीली चूत में लंड फिच कर के अंदर जा घुसा और बड़ा ही अजीब महसूस होने लगा क्यूंकि चूत की पकड़ लंड पर काफी सख्त हो गई.
चूत अपने आप ही बहुत टाइट लगने लगी, हल्के धक्कों से शुरू करके आखिर बहुत तेज़ी से धक्के मारने लगा और कमसे कम छाया 3 बार इस पोजीशन में छूटी और मैं भी एक ज़ोरदार फव्वारे के साथ छूट गया.
उस रात हम दोनों ने कई नए पोज़ सीखे और आज़माये. और इस गहमा गहमी में हम पूरी तरह से थक कर चूर हो गए और एक दूसरे की बाँहों में सो गए.
सुबह जब आँख खुली तो छाया जा चुकी थी और काफी दिन निकल आया था.फिर यह सिलसिला बराबर जारी रहने लगा.

कहानी जारी रहेगी.

 
*छाया संग फ़ुलवा*

छाया के साथ गुज़ारी गई कई रातों की कहानी सिर्फ इतनी है कि हर बार कुछ नया ही सीखने को मिलता था. उसके साथ यौन सम्बन्ध अब प्राय: एक निश्चित और सुचारू ढंग से होने लगा, वो दोपहर को केवल पंखे की ठंडी हवा के लिए आती थी और हम दोनों एक दूसरे से दूर ही रहते थे और यह अच्छा ही हुआ क्यूंकि -2 बार ऐसा हुआ कि मम्मी मुझ को आवाज़ लगाती हुई मेरे कमरे तक आ गई और हम को सोया देख कर वापस चली जाती थी.
यह देख कर हम दोनों अब सावधान हो गए थे और रात में भी हम दोनों थोड़ी देर के लिए कपड़े पूरे उतार कर चुदाई कर लेते थे. छाया भी अब पूरी तरह से काम का आनन्द ले चुकी थी और उसकी काम भूख अब काफी हद तक शांत हो चुकी थी. वो हर रात 3-4 बार छूट जाती थी और उसके बाद वो शांत हो कर सो जाती थी और मैं भी 1 बार शुरू रात में छूटा लेता था फिर सुबह की पहली चुदाई में फिर छाया को चोदते हुए उसका 2 बार और मेरा 1 बार ज़रूर छूट जाता था.
लेकिन गज़ब की बात यह थी कि छाया की चूत को ऊँगली लगाओ तो वह पूरी तरह गीली ही मिलती थी.छाया से पूछा तो वो बोली- मेरे पति के साथ सोते हुए मेरी चूत कभी गीली नहीं होती थी और हमेशा ही वो सूखी चूत में लंड डाल कर धक्के मार लेता और जल्दी ही छूट जाता. कभी उसने मेरे कपड़े नहीं खोले, सिर्फ धोती ऊंची करता और लंड अंदर डाल कर जल्दी जल्दी धक्के मार कर छूटा लेता और फिर जल्दी ही सो जाता… और मुझ को गर्मी चढ़ी होती थी जिसको मैं नहाते हुए शांत कर लेती थी.

मैंने पूछा- अच्छा तो बताओ, कैसे शांत करती थी तुम अपनी गर्मी?वो कुछ नहीं बोली और थोड़ी देर बाद कहने लगी- छोड़ो सतीश, तुम क्या करोगे जान कर, यह हम औरतों का गोपनीय राज़ है जो हम मर्दों को नहीं बताती.
‘अच्छा! मैं भी यह राज़ जान कर ही रहूँगा.’‘नहीं न… यह औरतों की बातों को जानने की कोशिश न करो मेरे सतीश.’
उस वक्त मैं चुप कर गया और ठीक मौके का इंतज़ार करने लगा. अगले दिन मैं स्कूल के सबसे बड़े लड़के को पकड़ा जो शादीशुदा था, मैं उसको बहला कर स्कूल की कैंटीन में ले गया और उसको बंटे वाली बोतल पिलाई और फिर उसकी तारीफ की जैसे वो बहुत ही सुन्दर और स्मार्ट लड़का है.वो जब खुश हो गया तो उससे पूछा- यार एक बात बतायेगा?उसने कहा- पूछो छोटे सरकार!
‘यार, आज तक यह नहीं समझ आया कि औरतें जब बहुत गरम हो जाती हैं और लंड की प्यासी होती हैं और उनका पति उनके पास नहीं होता तो वे कैसे अपनी गर्मी शांत करती हैं?’वो मुस्करा दिया और बोला- क्या बात है छोटे सरकार, यह सवाल क्यों पूछ रहे हो? आप का किसी से चक्कर तो नहीं चल रहा?‘अरे नहीं यार, वो क्या है घर में नौकरानियों आपस में बातें कर रहीं थी कि पति बाहर गया है सो गर्मी चढ़ती है तो शांत कर लेती हूँ! कैसे शांत करती हैं ये औरतें चढ़ी हुई गर्मी?
‘अरे यार सिंपल है, अपनी ऊँगली से चूत के ऊपर दाने को रग़ड़ लेती है और जैसे हम लड़कों का मुठ मारने से छूट जाता है वैसे ही वो सिर्फ ऊँगली से छूटा लेती हैं.’‘अच्छा? सच कह रहे हो?’‘हाँ भई हाँ, मैंने अपनी पत्नी का कई बार छुटाया जब मेरा जल्दी छूट जाता है तो मैं उसको ऊँगली से छूटा देता हूँ और वो खुश होकर सो जाती है या फिर उसका मुंह से छूटा देता हूँ.’‘वो कैसे यार? बता न? अच्छा कुछ खायेगा क्या? एक समोसा ले ले यार!’
समोसा खाते हुए वो बोला- किसी को बताना नहीं यार, यह मुंह का तरीका बहुत कम लोगों को मालूम है.‘घबरा नहीं यार, मैं तेरा राज़ अपने तक ही रखूँगा. अब बता, यह मुंह का तरीका क्या है?’
और फिर उसने मुझको मुखमैथुन करना सिखाया और कहने लगा- अगर किसी स्त्री का नहीं छूट रहा हो लंडबाज़ी के बाद भी तो यह तरीका एकदम मस्त है और आज़माया हुआ है और कितनी भी सख्त औरत क्यों न हो, काबू में आ जाती है और बार बार देती है चूत!
मैं यह सुन कर एकदम खुश हो गया और सोचा यह तरीका आज ही आज़माऊँगा. किसी तरह स्कूल खत्म हुआ और मैं बहुत बेसब्री से रात का इंतज़ार करने लगा. मुश्किल से टाइम काट कर रात के खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और छाया का इंतज़ार करने लगा.
काफी देर बाद वो आई और आ कर अपना दरी वाला बिस्तर बिछा और वहीं लेट गई.यह देख कर मैं बोला- क्या बात है छाया? मेरे बिस्तर पर नहीं आ रही क्या?छाया बोली- नहीं सतीश, मेरा महीना शुरु हो गया है तो कुछ नहीं कर सकते अगले चार दिन!
यह सुन कर मेरा मुंह लटक गया और मैं एकदम उदास हो गया, फिर सोचा यह 4 दिन भी बीत जाएंगे. यह सोच कर मैं सोने की कोशिश करने लगा. तभी लगा कि छाया उठी और बाहर चली गई और थोड़ी देर बाद वो किसी लड़की के साथ वापस आ गई.ध्यान से देखा तो वो रसोई में हमारी बावर्चन के साथ काम करती थी, देखने में कोई ख़ास नहीं थी, थोड़ी मोटी थी लेकिन उसके उरोज और नितम्ब काफी बड़े लग रहे थे.
 
मुझको समझ नहीं आया कि छाया उसको मेरे कमरे में क्यों लाई थी. मैं उठ कर बैठ गया और छाया से पूछा- यह कौन है छाया?‘छोटे मालिक, यह तो फुलवा है, यह आज मेरे पास सोयेगी अगर आप को ऐतराज़ न हो?’‘पर क्यों?’ मैं बोला.‘बस यों ही!’वो मंद मंद मुस्कराने लगी और फिर छाया उठी, कमरे का दरवाज़ा बंद कर आई, मेरे बिस्तर पर बैठ गई और उसने इशारे से फुलवा को भी पास बुला लिया.
छाया बोली- छोटे मालिक, फुलवा मेरे बचपन की सहेली है और हमारी शादी भी साथ साथ हुई थी. हमारे पति भी एक साथ विदेश नौकरी करने गए थे और हम दोनों तब से ही लंड की प्यासी हैं. जब आपने मुझको पहली बार चोदा था तो फुलवा मेरे चेहरे को देख कर जान गई थी कि मेरी लंड की प्यासी थोड़ी शांत हुई है. और तभी उसके चेहरे की मायूसी देख कर मैंने मन ही मन फैसला किया कि छोटे मालिक को मनवा लूंगी और फुलवा को चुदवा दूंगी. बोलिए, क्या आप फुलवा को भी चोदेंगे? मैं हाथ जोड़ कर आप से विनती कर रही हूँ छोटे मालिक आप फुलवा को भी लंड का सुख दे दो जी!
मैं गहरी सोच में डूब गया कि फुलवा को चोदना ठीक होगा क्या?
मेरे को हिचकते देख कर छाया बोली- सतीश मान जाओ ना?मैं बोला- क्या तुम यहाँ रहोगी? तुम्हारे बिना मैं नहीं करूँगा कुछ भी?‘हाँ हाँ, रहूंगी… तुम दोनों की पूरी मदद करूँगी, बोलो ठीक है न?’मैंने हामी में सर हिला दिया.
छाया ने फुलवा को बाँहों भर लिया और उसके गालों को चूम लिया और मुझको भी होटों पर चूम लिया.उसका इतना करना था कि मेरा लंड टन से खड़ा हो गया.
छाया ने फुलवा के कपड़े उतारने शुरू कर दिये, पहले उसकी धोती को उतारा और फिर उसका ब्लाउज उतार दिया. फुलवा का ब्लाउज जब उतरा तो उसके मोटे स्तन उछाल कर बाहर आ गए, बहुत बड़े और सॉलिड थे.उसकी चूचियाँ भी एकदम कड़ी थीं और ख़ास तौर अपनी ओर आकर्षत कर रही थीं और छाया ने धीरे से उसका पेटीकोट भी उतार दिया.
फुलवा का सारा जिस्म गोल मोल था, उसका पेट गोल और उभरा हुआ था लेकिन हिप्स और जांघें एकदम सॉलिड थे. उसकी चूत काले बालों से ढकी हुई थी, उसका मुंह झुका हुआ था और शायद सोच रही होगी ‘क्या मैं उसको पसंद करूंगा या नहीं?’
उसका भ्रम दूर करने के लिए मैंने भी अपनी कमीज और कच्छा उतार दिया और मेरा खड़ा लंड यह बताने के लिए काफी था कि मैं उसको पसंद करता हूँ, या यूँ कहो कि मेरा लंड बहुत पसंद करता है.
छाया खड़े लंड को देख कर ताली बजाने लगी और जल्दी से उसने मुझ को एक किस कर दी और और मुझको और फुलवा को अपनी दोनों बाहों में भर लिया और फिर फुलवा को लेकर बिस्तर पर आ गई, फुलवा को बीच में और मुझको एक साइड पर और आप दूसरे साइड में लेट गई.फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर फुलवा के स्तनों पर रख दिया दोनों उरोजों को मेरे हाथ द्वारा मसलने लगी.फिर उसके इशारे पर मैं खुद ही यह काम करने लगा और फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर फुलवा की बालों भरी चूत पर रख दिया.
मैंने ऊँगली डाली तो वो पूरी तरह से पनिया रही थी. उसके भगनासा को हल्के से रगड़ा तो फुलवा ने अपनी कमर एकदम ऊपर उठा दी. अब मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरु कर दिया और दूसरे हाथ उसके चूत पर फेरना जारी रखा.
तब छाया ने फुलवा का हाथ मेरे लौड़े पर रख दिया और उसको मुठी में ऊपर नीचे करने को कहा.फिर छाया ने मुझको इशारा किया कि मैं फुलवा पर चढ़ जाऊ और मैं झट उसकी टांगों के बीच आकर लंड को उसकी चूत पर रख दिया, कुछ देर लंड को हल्के से चूत पर रगड़ा और फिर चूत के मुंह पर रख कर एक धक्का मारा और घप से लंड चूत की गहराई में खो गया.ऐसा लगा कि वो एक गर्म भट्टी में चला गया हो. मुझको नैना और छाया के साथ पहली चुदाई की याद आ गई क्यूंकि तब भी दोनों की चूतें भट्टी की तरह गर्म थीं..

 
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