XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 7 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

गीतिका और विनीता का आगमन

इन दिनों कालेज में बड़ी गहमा गहमी थी, एक तो इलेक्शन थे दूसरे कई प्रोग्रामों की तैयारी चल रही थी. कॉलेज की ड्रामा क्लब का मैं भी सदस्य था. हालांकि मुझ को नाटकों में कोई रोल नहीं मिला था लेकिन प्रबंध के काम इतने ज्यादा होते थे कि शाम तक मैं थक जाता था.
कुछ दिनों बाद मम्मी का फ़ोन आया कि वो और पापा एक दो दिन के लिए लखनऊ आ रहे हैं और मैं उनका कमरा ठीक ठाक करवा दूँ. मैंने पारो और नैना को बता दिया और उन दोनों ने मम्मी पापा का कमरा एकदम बढ़िया बना दिया.
अगले दिन जब कालेज से वापस आया तो वो दोनों आ चुके थे. फिर हमने दोपहर का भोजन साथ साथ ही किया.बातों बातों में मम्मी ने बताया कि पापा के एक जमींदार दोस्त की दोनों बेटियाँ यहाँ गर्ल्स कॉलेज में पढ़ती हैं और वो कॉलेज के हॉस्टल में रहती हैं. उनको हॉस्टल का खाना अच्छा नहीं लग रहा है तो पापा ने फैसला किया है कि वो दोनों भी हमारी कोठी में ही रहेंगी अगर मुझको कोई ऐतराज़ न हो तो?

पहले तो मैं घबरा गया कि मेरी चुदाई की आज़ादी में विघ्न पड़ेगा उन दोनों के आ जाने से?लेकिन फिर सोचा कि अगर इंकार कर दिया तो पापा बुरा मान जाएंगे और उनको शक भी हो जायेगा कि यहाँ कुछ गड़बड़ तो नहीं.
मैं बोला- ठीक है मम्मी, अगर आपकी और पापा की इच्छा है तो वो यहाँ रह सकती हैं. आप उनके लिए कमरा निश्चत कर दो ताकि नैना और पारो उसको साफ़ करवा दें.
यह सुन कर मम्मी बहुत खुश हुई और नैना के साथ जाकर उनके लिए कमरा सेलेक्ट किया और उसमें सब कुछ साफ़ और नया सामान डलवा दिया.
चाय के समय पापा और एक अंकल जिनको मैं नहीं जानता था, आये, मैंने दोनों को चरण वंदना की.
मम्मी बोली- ठीक है भैया जी, आप दोनों लड़कियों को ले आइए ताकि वो अपना कमरा इत्यादि देख लें और आज ही उनका सामान भी शिफ्ट करवा दीजिए ताकि वो आपके होते हुए यहाँ सेट हो जाएँ.
अंकल बोले- ठीक है भाभी जी.
फिर हमने साथ बैठ कर चाय और नाश्ता किया और एक घंटे बाद वो अपनी दोनों बेटियों को हमारी कार में बिठा कर ले आये.दोनों के साथ हमारा परिचय करवाया गया, बड़ी का नाम गीतिका था और छोटी का नाम वनिता था, दोनों ही दिखने में आम लड़कियों की तरह थी.वनिता जो अपनी बड़ी बहन से एक साल छोटी थी, काफी दिलचिस्प लगी और बड़ी थोड़ी गंभीर थी. रंग-रूप में दोनों गंदमी रंग वाली और शारीरिक तौर पे वनिता थोड़ी भरे हुए जिस्म वाली थी और बड़ी थोड़ी लम्बी और स्लिम थी, दोनों की आँखें बड़ी सुंदर थी.
पारो और नैना ने खाना बहुत स्वादिष्ट बनाया था और सबने खाने की बहुत तारीफ की. फिर रात में हम सब अपने कमरों में सो गए.आज बहुत अरसे के बाद मैं अकेला ही कमरे में सोया.
जाने से पहले मम्मी नैना को समझा गई- सतीश को रात में अकेला नहीं छोड़ना, तुम ज़रूर उसके साथ सोना, कोई चाहे कुछ भी कहे. ठीक है! अगर कोई ऐतराज़ करे तो मुझ को खबर करना. समझ गई ना?नैना बोली- जैसा आपका हुक्म मालकिन.‘और देखो नैना, तुम और पारो मिल कर बढ़िया खाना रोज़ बनाना ताकि ये लड़कियाँ खुश रहें. अगर कोई समस्या होगी तो मुझको फ़ोन करना, ओके?’नैना ने हाँ में सर हिला दिया.
मम्मी मुझ को कमरे में ले गई और बोली- ये दस हज़ार रूपए तुम रख लो. सारा खर्च इसी में से करना, कम हो जाएँ तो मांग लेना. ओके?
मैं बोला- मम्मी, तुम फ़िक्र न करो, मैं सब सम्हाल लूँगा. आज कल घर में नौकरानी कौन है?
वो बोली- वही निर्मला है जो यहाँ भी रह कर गई है. तुम जब चाहो उसको फ़ोन कर दिया करो और सबका हाल बता दिया करो.नाश्ते के बाद वो सब चले गए और हम तीनों कालेज चले गए.
कुछ दिन तो सब कुछ ठीक चला लेकिन एक रात में विनी ने मुझको और नैना को चोदते हुए पकड़ लिया.उस रात हम दोनों से कमरे का दरवाज़ा ठीक से बंद नहीं किया गया और वो जैसे की मौका ही ढूंढ रही थी, अंदर आ गई जब मैं नैना को घोड़ी बना कर चोद रहा था.
वो बड़े धीमी आवाज़ में बोली- यह क्या हो रहा है सतीश?मैं क्या बोलता… मेरी तो बोलती ही बंद हो गई.
वो बोली- हमें भी हिस्सा चाहिए इस खेल में! बोलो हाँ, नहीं तो मैं दीदी को बुला लेती हूँ?
नैना बोली- छोटे मालिक, बताओ क्या करेंगे अब?
मैं बोला- कैसा हिस्सा मांग रही हो तुम?वो बिना किसी झिझक बोली- इस मीठी चुदाई के खेल में… मुझको खेल में शामिल कर लो वरना?
मैं बोला- देखो विनी, तुम अभी उम्र की छोटी हो, तुमने यह खेल पहले नहीं खेला है, ज़रा बड़ी हो जाओ तो तुमको भी शामिल कर लेंगे इस खेल में.
मैंने उसको समझाने की कोशिश की लेकिन उसकी नज़र तो मेरे खड़े लौड़े पर ही टिकी थी.

 
वो बोली- सतीश, तुमको बता दें कि हमने यह खेल कई बार खेला है अपने गाँव के दोस्तों के साथ… हमको इस खेल के सारे रूल्स और कायदे मालूम हैं. तुम मुझको शामिल करते हो या नहीं वरना मैं अभी चिल्ला दूंगी.मैंने नैना की तरफ देखा और उसने हल्के से आँख मार दी.
मैं बोला- ठीक है.
इतना सुनना था कि विनी ने झट मेरा लंड पकड़ लिया, बोली- अरे यह तो वास्तव में खड़ा है. मैंने सोचा था कि यह सिर्फ एक नाटक है!और यह कह कर वो लंड को मुट्ठी में लेकर ऊपर नीचे करने लगी और नैना ने पीछे से उसके मम्मों को पकड़ लिया और निप्पल के संग खेलने लगी.
तब विनी मेरे लंड को छोड़ कर अपने कपड़े उतारने लगी, उसने सिल्क की चोगानुमा ड्रेस पहनी हुई थी, उसको उतारते ही वो बिल्कुल नंगी हो गई.उसका शरीर किशोर लड़कियों के समान था हालांकि वो पूरी वयस्क हो चुकी थी. नैना उसके चूतड़ों को ज़ोर ज़ोर से भींच रही थी. मैं ने गौर से देखा, उसकी चूत पर बालों का पूरा जंगल छाया था.
उसने मेरा लंड छोड़ कर नैना की तरफ मुंह किया और सीधा मुंह उसके मोटे मम्मों पर टिका दिया और उसकी चूचियों को एक एक कर के चूसने लगी.मैं भी विनी के पीछे खड़ा होकर उसकी गांड और चूत पर हाथ फेरने लगा. उसकी चूत अभी पूरी तरह गीली नहीं हुई थी तो मैंने उसकी भग को मसलना शुरू कर दिया.मेरा खड़ा लंड उसकी गांड में छेद की तलाश कर रहा था.
विनी हम दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थी और खूब आनन्द ले रही थी जैसा उसके मुख से झलक रहा था, उसके मम्मे छोटे और गोल ज़रूर थे लेकिन एकदम सॉलिड थे.विनी भी नैना की बालों भरी चूत में हाथ डाले हुई थी.
फिर नैना उसको धीरे से मेरे पलंग पर ले आई और उसको वहाँ लिटा दिया, नैना बोली- क्यों विनी तुम पहले क्या पसंद करोगी? लंड की चुदाई या फिर मेरे मुंह की चुदाई?विनी झट से बोली- लंड की चुदाई पहले और दूसरी बाद में!मैं बोला- अगर तुम्हारी बहन गीतिका जाग गई तो क्या होगा?इतने में पीछे से आवाज़ आई- मैं तो जगी हुई हूँ और सारा तमाशा देख रही हूँ कब से!यह गीतिका थी.मेरा तो सर चकरा गया. वो जल्दी से हमारे पास आई और अपने सिल्क के चोगे को उतारने लगी. पहले तो नैना भी हैरान हो गई कि यह कहाँ छुपी हुई थी और कब कमरे के अंदर आई.नाईट ड्रेस उतारते ही वो भी आकर मुझसे चिपक गई, आगे विनी थी और पीछे गीतिका और नैना हैरान हुई कभी मुझको और कभी दोनों लड़कियों को देख रही थी.
गीति ने भी मेरा लंड अपने अधिकार में ले लिया और हाथ से उसके और अंडकोष के साथ खेलने लगी. अब हालत यह थी कि दोनों बहने एक दूसरे को धक्का मार रही थी और मेरे लंड को अपने कब्ज़े में करने की कोशिश कर रही थी.मैंने घबरा कर नैना की तरफ देखा और उसने हाथ के इशारे से मुझको बताया कि वो इन दोनों को सम्हाल लेगी.
फिर नैना ने अपनी आवाज़ ज़रा ऊँची करके कहा- लड़कियो, अपने पर काबू करो, नहीं तो छोटे मालिक किसी के साथ भी नहीं करेंगे कुछ!यह सुन कर दोनों सम्भल गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
नैना ने कहा- ऐसा करते हैं, पहले आप दोनों यह बताएं कि तुम दोनों ने कितनी बार लंड चूत का खेल खेला है और किसके साथ?बड़ी बोली- मैंने तो कई बार अपने घरेलू नौकर को चोदा है और फिर गाँव के कई लड़कों के साथ भी यह खेल खेला है खेत खलियान में!विनी बोली- मैंने 4-5 बार चुदवाया है अपने कार के ड्राइवर से और चौकीदार के लड़के से!नैना बोली- मुझको लगता है कि तुम दोनों यह सब झूट बोल रही हो. तुम दोनों लेट जाओ पलंग पर, मैं तुम्हारा चेक अप करूंगी. मैं एक ट्रेंड नर्स रह चुकी हूँ, मुझसे कुछ नहीं छुपा सकोगी तुम दोनों. ठीक है?
दोनों एक साथ बोली- नहीं नहीं, हम सच कह रही हैं. तुमको हम को चेक करने की कोई ज़रूरत नहीं.मैं गंभीरता से बोला- देखो जैसा नैना कह रही है, वैसा ही करो, वरना मुझको माफ करो. मैं आप दोनों के साथ कुछ नहीं करूंगा. बोलो क्या मंज़ूर है?
पहले दोनों कुछ देर सोचती रही और फिर गीति बोली- अच्छा नैना आंटी, हमारा चेकअप कर सकती है लेकिन हमारी शर्त है कि नैना आंटी और तुम दोनों वायदा करो कि यह बात किसी को नहीं बताओगे?

 
मैंने नैना को देखा, उसने हल्के से हाँ में सर हिला दिया.तब मैं बोला- हम वायदा तब करेंगे जब तुम भी वायदा करो कि जो कुछ भी यहाँ हम सब करेंगे, वो किसी को नहीं बताओगी. अगर हाँ तो रखो मेरे और नैना के हाथ पर हाथ तुम दोनों भी.दोनों ने झट से हमारे हाथ पर अपने हाथ रख दिए.
अब नैना बोली- मैं तुम दोनों की चूत का अच्छी तरह चेक अप करूंगी, अगर मुझको लगा कि तुम दोनों की चूत में कुछ गड़बड़ है तो मैं तुम दोनों को डॉक्टर से चेकअप करवाऊँगी, ठीक है?दोनों ने हामी में सर हिला दिया, दोनों पलंग पर नंगी ही लेट गई.तब नैना ने पहले बड़ी की चूत को देखना शुरू किया. उसने उसकी चूत को चौड़ा किया और फिर उसमें पूरी ऊँगली डाल कर चेक किया, फ़िर उसने अपनी ऊँगली को सूंघा और फिर उसने गीति के मम्मों को हाथ से गोल गोल चेकअप किया.फिर उसने गीति को उल्टा लिटा दिया और उसकी गांड में ऊँगली डाल कर चेक करने लगी.
इसी तरह उसने छोटी विनी का भी चेक अप किया. चेक अप करने के बाद नैना ने उन दोनों को खड़ी कर दिया और फिर वो गीति के मम्मों को चेक करने लगी और फिर उसके मुंह को खुलवाया और ध्यान से उसके अंदर चेक करने लगी.
यह सब करने के बाद वो मेरे पास आई और बोली- छोटे मालिक, गीति की चूत में से बदबू आ रही है, लगता है उसके अंदर इन्फेक्शन हो गई है. जब तक उसकी इन्फेक्शन ठीक न हो जाए, उसको चोदना आपके लिए खतरनाक हो सकता है.
नैना ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- विनी की चूत भी ठीक हालत में नहीं है, लगता है उसने भी चूत में गाजर मूली या फिर बैंगन का उपयोग किया है कई बार, जिससे उसमें भी इन्फेक्शन हो गई है.
मैंने यह सब सुन कर गंभीर मुंह बना लिया और दोनों से बोला- बताओ, क्या नैना सच कह रही है? तुम दोनों ने आदमी से कभी नहीं चुदवाया है और सिर्फ गाजर मूली से अपनी तसल्ली करती रही हो?मैंने देखा कि दोनों का मुंह एकदम पीला पड़ गया और दोनों ही नज़रें नीचे कर देख रही थी, जिससे साफ़ हो गया कि नैना का तीर निशाने पर बैठा था.
मैंने नैना से पूछा- अब ये दोनों क्या करें?नैना बोली- अगर ये मान जाएंगी तो कल मैं इनको अपनी जानने वाली लेडी डॉक्टर के पास ले जाती हूं और उससे दवाई इत्यादि ले देती हूँ इनको, ताकि जल्दी ही आलखन आ जाए इनकी चूतों को! क्यों क्या मर्ज़ी है आप दोनों की?
दोनों ही चुप रही और फिर एक दूसरे को देखने लगी.
फिर गीति बोली- नैना आंटी, ठीक कह रहीं हैं. हम कल ही इनके साथ डॉक्टर के पास जाएंगी और अपना पूरा चेक करवाएंगी.मैं बोला- शाबाश लड़कियो, जब तुम दोनों ठीक हो जाओगी तो मैं हूँ न तुम्हारी सेवा करने के लिए.दोनों दौड़ कर आई और मुझको गले लगा लिया.मैंने देखा कि नैना मुस्करा रही थी.
नैना ने दोनों को उनके सिल्क के चोगे पहनाये और साथ लेकर उनके कमरे तक छोड़ आई और यह भी बोल आई कि रात को अकेले कमरे से मत निकला करो क्यूंकि यहाँ सांप बिच्छू का डर रहता है.जब वो वापस आई तो मेरा लौड़ा फिर खड़ा था और उस रात मैंने नैना को बड़े प्यार से काफी देर चोदा और जब वो 3-4 बार छूट गई तभी मैंने उसको छोड़ा.उस रात मैं और नैना घोड़े बेच कर एक दूसरे की बाहों में सोये थे.

कहानी जारी रहेगी.

 
गीतिका और विनीता की सहेलियाँ

उस रात मैं और नैना घोड़े बेच कर एक दूसरे की बाहों में सोये थे इसलिए सुबह थोड़ी देर से उठे.मुख्यद्वार जब नैना ने खोला तो सामने पारो खड़ी थी, वो और नैना मुस्कराते हुए मेरी चाय के साथ मेरे कमरे में आईं.फिर मेरे सामने ही नैना ने पारो को रात की सारी कहानी सुनाई और दोनों बहुत देर तक हंसती रहीं.
तब पारो बोली- मैं भी माहवारी से फ़ारिग़ हो गई हूँ, छोटे मालिक रात को मैं भी आऊँगी आपके पास!
मैंने चाय का कप रखा और उठ कर पारो को गले लगा लिया और उसके होटों को चूम लिया, फिर एक हाथ मैंने नैना की कमर में और दूसरा पारो की कमर में डाल कर दोनों के साथ छोटा सा नाच किया, दोनों बहुत खुश हुईं.फिर मैंने अलमारी से अपना बटुआ निकाल कर दोनों को 100-100 रूपए दिए कि वे अपनी पसंद की अच्छी सी साड़ी खरीद लें और साथ ही दो तीन अंगिया भी खरीद लें.

दोनों ख़ुशी के मारे मुझसे फिर लिपट गई और मेरे मुंह पर ताबड़तोड़ चुम्मियों की बौछार लगा दी.मेरा लौड़ा तो खड़ा होने लगा था लेकिन नैना ने जल्दी से पारो का हाथ पकड़ा और कमरे के बाहर चली गई.
दोपहर जब मैं कॉलेज से लौटा तो नैना मुझको दरवाज़े पर मिली, उसके चेहरे पर बड़ी प्यारी सी मुस्कान थी.मैंने पूछा- बड़ी खुश लग रही हो, क्या कोई ख़ास बात है?उसने झट से मिठाई का डिब्बा मेरी ओर कर दिया और बोली- बधाई हो छोटे मालिक, आप बाप बन गए!मैं एकदम हैरान हो गया और बोला- ठीक से बताओ, काहे की बधाई और यह मिठाई कैसी है?मैं अपने कमरे में जाते हुए बोला.
नैना भी मेरे पीछे आते हुए बोली- आप समझे नहीं क्या? अरे छाया के लड़का हुआ है.मैं बोला- छाया के लड़का हुआ है तो मुझको काहे की बधाई? वो तो उसके पति का है ना!नैना बोली- हाँ है तो उसके पति का लेकिन छोटे मालिक मेहनत तो आपने की थी और निर्मला कह रही थी कि लड़का बहुत ही सुन्दर है और एकदम हृष्ट पुष्ट.
मैं बोला- चलो अच्छा हुआ, बेचारी बहुत दिनों से आस लगाये बैठी थी.नैना बोली- हाँ वो तो है! अब रह गई फुलवा, उसका भी कुछ समाचार जल्दी ही आएगा.
मैं बोला- और सुनाओ, क्या दोनों को डॉक्टर के पास ले गई थी?नैना बोली- हाँ, वही निकला जो मैंने सोचा था. दोनों को इन्फेक्शन है और अगर लग कर इलाज नहीं कराया तो अंजाम खराब हो सकता है, डॉक्टर ने कहा है.मैंने पूछा- दवाइयाँ ले आई हो ना उनकी?नैना ने हाँ में सर हिला दिया और वो मेरा खाना लाने के लिए चली गई.खाना खा कर मैं गहरी नींद में सो गया.
शाम को दोनों बहनें आकर बैठक में मेरे पास बैठ गई.मैंने उपचारिक तौर से पूछा- दवाई खाई क्या?दोनों ने हाँ में सर हिला दिया.
उनको हमारे साथ रहते हुए करीब एक हफ्ता होने लगा था. सो वो दोनों मेरे साथ थोड़ी खुल चुकी थीं. कुछ सोचते हुए बड़ी गीति बोली- सतीश, हम शाम को बोर हो जाती हैं, अगर तुम इजाज़त दो तो हम कुछ अपनी सहेलियों को यहाँ बुला लें? हमारे साथ कुछ गपशप हो जायेगी तो हमारा दिल भी बहल जाएगा.मैंने कहा- हाँ हाँ, ज़रूर बुला लिया करो और उनके आने से पहले पारो आंटी को बता दिया करो ताकि वो कुछ नाश्ता इत्यादि बना दिया करे उन लोगों के लिए!
गीति बोली- मैं अभी उनसे फ़ोन पर बात करती हूँ अगर वो आना चाहें तो आ सकती हैं.
थोड़ी देर बाद दो लड़कियां आईं. गीति जो बाहर उनका इंतज़ार कर रही थी, उनको लेकर बैठक में आई और मुझसे मिलवाया.दोनों ही बड़ी चुलबली लगी.वो चारों बातें करने लगी तो मैं उठ कर अपने कमरे में आ गया और एक किताब पढ़ने लगा.
उस रात कमरे का दरवाज़ा अच्छी तरह से बंद किया और पहले पारो को चोदा और फिर नैना को.मैंने नैना से पूछा- मैं कई बार तुम दोनों के अंदर छूटा रहा हूँ कहीं तुम को गर्भ का खतरा तो नहीं हो जाएगा?नैना हँसते हुए बोली- नहीं छोटे मालिक, पहले वाली गलती को दोहराने नहीं दूंगी इसलिए मैं और पारो, एक ख़ास दवा आती है, उसका इस्तेमाल कर रहीं हैं, आप निश्चिंत रहो.सुन कर मुझको बड़ी तसल्ली हुई.
अगले दिन कालेज से लौटने पर गीति और विनी दोनों मेरे पास आई और कहने लगी- सतीश, एक नई पिक्चर सिनेमा हाल में लगी है, हम वो देखना चाहती हैं, तुम चलो हमारे साथ.कुछ देर सोचने के बाद मैंने हाँ कर दी, हम तीनों रिक्शा पर बैठ कर सिनेमा हाल पहुँच गए.टिकट लेने के बाद अंदर बालकॉनी की तरफ जा ही रहे थे कि गीति की दो सहेलियाँ मिल गई और वो भी हमारे संग हो लीं.सिनेमा हाल की बालकॉनी थोड़ी सी भरी थी और बाकी खाली थी.
गीति और उसकी एक सहेली इकट्ठी बैठ गई और फिर विनी बैठ गई और मेरे साथ वाली सीट पर एक गोरे रंग वाली लड़की बैठ गई.
उस लड़की को मैंने ध्यान से देखा, काफी सुन्दर थी और सुडौल जिस्म वाली थी. परिचय हुआ तो उसका नाम परिणीता था प्यार का नाम परी बताया उसने और हमारी कोठी के पास वाली कोठी में रहती थी.

 
इतने में हाल में अँधेरा हो गया, कोई 10 मिन्ट पिक्चर चली होगी कि मैंने महसूस किया कि किसी का हाथ मेरी जाँघ पर चल रहा है. मैंने कोई खास ध्यान नहीं दिया क्यूंकि पिक्चर काफी रोमांटिक थी और मैं काफी तल्लीनता से पिक्चर देख रहा था.
थोड़ी देर बाद ऐसा लगा कि वही हाथ मेरी पैंट पर ठीक लंड के ऊपर चल रहा है.मैं समझ गया कि यह हाथ परी का ही है, वो हाथ बाहर से मेरी पैंट पर लंड को सहला रहा था.मैं भी आनन्द लेने लगा और धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया. परी का हाथ अब सिर्फ मेरे लंड के ऊपर ही था. जैसे ही हाल में थोड़ी रोशनी हुई तो परिणीता ने अपना हाथ हटा लिया.
मुझको शरारत सूझी और मैंने अपना लंड पैंट में से निकाला और खड़े लंड को पैंट के बाहर ही रख दिया और ऊपर हाथ रख दिया.थोड़ी देर में फिर अँधेरा जब गहरा हुआ तो सूरी का हाथ ढूंढता हुआ मेरे लौड़े पर आ गया.
जैसे उसने खड़े लंड को हाथ लगाया और महसूस किया कि वो पैंट के बाहर है तो उसको एक झटका लगा और उसने अपना हाथ झट से खींच लिया.मैं वैसे ही बैठा रहा. कुछ मिन्ट के बाद वो हाथ फिर से मेरे लंड को टटोलता हुआ लंड के ऊपर आ कर टिक गया. उसके हाथ ने लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया और उसको हल्के हल्के सहलाने लगा.
तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसको अपनी जांघ के ऊपर रख दिया.मैंने भी देर किये बगैर उसकी जांघ पर हाथ फेरना शुरू कर दिया क्यूंकि वो साड़ी पहने थी तो मैंने अंदाज़े से हाथ को उसकी चूत पर रख दिया और उसको हल्के हल्के साड़ी के बाहर से ही सहलाने लगा, फिर हिम्मत करके मैंने हाथ उसके नंगे पेट पर फेरने लगा और कुछ देर बाद उसके मम्मों की टोह लेने लगा.
यह सारा काण्ड इतने चुपके से हो रहा था कि साथ में बैठी हुए विनी को कोई खबर नहीं लग रही थी.अब मैं उसके गोल और सॉलिड मम्मों को पूरी तरह से हाथ में ले कर हल्के से मसलने लगा..
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि उसकी साड़ी उसके घुटने के ऊपर आ चुकी थी. मैंने मम्मे को छोड़ कर हाथ उसके घुटने पर रख दिया और धीरे से हाथ उसकी साड़ी के अंदर डालने लगा.परी का हाथ लगातार मेरे खड़े लौड़े के साथ खेल रहा था. मेरे हाथ को साड़ी के अंदर जाते महसूस कर उसने अपनी झांगें और चौड़ी कर दी.
मेरा दायां हाथ अब उसकी चूत के बहुत निकट पहुँच चुका था, तभी विनी को हल्की सी खांसी आने लगी, हम दोनों ने अपने हाथ खींच लिए.जब विनी सामान्य हुई तो हम दोनों के हाथ फिर अपने सफर पर चल पड़े. अब जल्दी से मैंने अपने हाथ को उसकी साड़ी के अंदर दुबारा डाल कर खुली हुई जांघों को पार कर उसकी झांटों से भरे किले के पास पहुँच गया, वहाँ उसकी चूत से टपक रहे रस को महसूस करने लगा और परी का भी हाथ अब मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगा.
मेरा लंड इस वक्त बहुत ही सख्त खड़ा था और वो बिदके हुए घोड़े की तरह हिनहिनाने लगा और परी के मुलायम हाथ में उछालें मारने लगा.इधर मैं भी उसके भग को हल्के हल्के सहलाने लगा और परी की टांगें कभी बंद और कभी खुल रही थी जिससे ज़ाहिर था कि उसको बड़ा ही आनन्द आ रहा था.फिर मैंने अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली को उसकी खुली चूत के अंदर डाल दी और हल्के से रगड़ने लगा.
थोड़ी देर में एक ज़ोरदार हुंकार भर कर परी ने अपनी जांघों को भींच लिया और मेरे हाथ को जांघों के बीच जकड़ लिया और एक छोटे से कम्पन के बाद वो एकदम ढीली पड़ गई.मैंने उसकी चूत से रिसते हुए रस को अपने हाथों में ले लिया और फिर अपना हाथ खींच लिया.मेरा हाथ एकदम परी की चूत से निकल रहे रस में डूब गया.तब उसने धीरे से मेरा हाथ अपनी साड़ी से निकाल दिया, अपना हाथ भी मेरे खड़े लौड़े के ऊपर से हटा लिया और अपनी साड़ी भी ठीक कर के सामान्य रूप में बैठ गई.
थोड़ी देर बाद पिक्चर का इंटरवल हो गया और हम सब उठ कर बाहर आ गए.मैंने लड़कियों से पूछा- क्या पियेंगी या खायेंगी?सब बोली- हम तो नई वाली कोका कोला की बोतल पियेंगी.और मैं सबके लिए कोका कोला लेने चला गया और मेरे साथ परी भी चल दी कि शायद मदद की ज़रूरत पड़ेगी.
रास्ते में अपनी ऊँगली को बार बार सूंघ रहा था जिसको देख कर परी बहुत शर्मा रही थी, वो कहने लगी- सतीश, तुम्हें इस ऊँगली से बहुत खुशबू आ रही है क्या?मैंने झट उसी ऊँगली को परी की नाक के नीचे रख दिया जो कुछ मिन्ट पहले उसकी चूत में डाली थी.
वो थोड़ी शर्माते हुए बोली- वाह सतीश, बड़ी खुश्बू आ रही है इस ऊँगली से. कहाँ डाला था इसको?मैं बोला- बड़ी प्यारी जगह थी वो! यही सोचता हूँ क्या वहाँ अपना सब कुछ डालने का सौभाग्य दोबारा मिल सकेगा या नहीं?परी ज़ोर से हंस दी और बोली- अगर कोई दिल से चाहे तो सुना है वह चीज़ अवश्य मिल जाती है.
फिर हम कोका कोला की बोतलें लेकर वापस आ गए और सबको एक एक दे दी. बर्फ में लगी ठंडी बोतल पी कर सब लड़कियाँ खुश हो गई.फिर इंटरवल खत्म हो गया और हम सब अपनी सीटों पर आकर बैठ गए.
लेकिन मेरे साथ वाली सीट पर अब कोई और लड़की बैठी थी, उसने अपना परिचय खुद ही दिया- मैं जसबीर हूँ और हम सब लड़कियाँ एक ही कॉलेज में एक ही क्लास में पढ़ती हैं. वैसे मेरा घर का प्यारा नाम जस्सी है.मैं बोला- बड़ी ख़ुशी हुई आप से मिल कर, वो परी कहाँ गई?जस्सी बोली- वो तो दूपरी सीट पर बैठी है, आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं न?मैं बोला- नहीं तो.
सिनेमा हॉल की लाइट बंद होने से पहले मैंने ध्यान से जस्सी को देखा वो भी काफी गोल मोल थी लेकिन रंग थोड़ा सांवला था और उसने सलवार कमीज पहन रखी थी.वो शायद पंजाबी थी.उसके मम्मे काफी बड़े और गोल मोल थे और उसकी गांड भी मोटी और उभरी हुई थी, काफी सेक्सी लग रही थी.जब पिक्चर इंटरवल के बाद शुरू हुई तो वही कहानी दोबारा दोहराई जाने लगी. यानी जस्सी ने भी परी की तरह मेरे लंड को पकड़ लिया.उसने खुद मेरी पैंट के बटन खोल कर लंड को बाहर निकाला और उसके साथ मस्त खेलने लगी. मैंने भी फ़ौरन हाथ उसकी सलवार में छुपी उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसको हल्के से रगड़ने लगा.
तब उसने सलवार का नाड़ा हल्के से खोला और इतना खुला कर दिया कि मेरा हाथ सलवार के अंदर जा सके.मैंने भी अपना दायां हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और सीधा उसकी बालों से भरी चूत पर हाथ रख दिया. वो भी मेरे लंड की मुठी मारने लगी और मैं भी अपनी मध्यम ऊँगली उसकी चूत में डाल कर रगड़ने लगा.
थोड़ी देर यह खेल चलता रहा, फिर उसने अपना मुंह मेरे मुंह के पास लाकर मेरे गाल को चूम लिया और मैंने भी ऐसा ही किया.अब वो जल्दी जल्दी मुट्ठी मारने लगी लेकिन मेरा लौड़ा तो मुट्ठी से डरने वाला नहीं था, वो सर उठाये जमा रह अपनी जगह!
मैंने भी उसकी भग को रगड़ने की गति तेज़ कर दी और 5 मिन्ट में ही वो पानी छोड़ बैठी. थोड़ा सा पानी मेरी ऊँगली में लगा जिसको सूंघा तो वैसी ही खुश्बू थी.मैंने हाथ खींच लिया और उसने भी हाथ को हटा लिया.
जब पिक्चर खत्म हुई तो सारी लड़कियाँ मेरे साथ चलने की होड़ में लगी रही लेकिन मैंने अपने लिए अपना साथी तय कर लिया था और वो थी परी.मैं उसके साथ चलने लगा और उसको अपना फ़ोन नंबर बता दिया और कहा- जब तुम चाहो मेरी कोठी में आ सकती हो.फिर हम तीनों तो अलग रिक्शा पकड़ कर घर आ गए और वो दोनों लड़कियाँ अलग से अपने घर चली गई.
मैंने सारी कहानी नैना को बताई और कहा- मुझको परी की चूत ज़रूर लेनी है, जैसे भी हो.मैं तो पिक्चर मैं काफी गरम हो चुका था, मैंने पारो और नैना की चूत पर सारी गर्मी उतारी.दोनों हैरान थी कि मुझको क्या हो गया है, मैं उन दोनों को छोड़ ही नहीं रहा था, एक के बाद एक को चोद रहा था.
अगले दिन नैना ने बताया कि कल रात मैं कैसे पागल हो गया था उनकी चूतों के पीछे और दोनों को कम से कम 7-8 बार चोदा था मैंने.सुबह वो दोनों बहुत ही थक गई थी और मैं भी काफी थका हुआ था.

कहानी जारी रहेगी.

 
परी की चूत चुदाई का कार्यक्रम

अगले दिन नैना ने बताया कि कल रात मैं कैसे पागल हो गया था उनकी चूतों के पीछे और दोनों को कम से कम 7-8 बार चोदा था मैंने.सुबह वो दोनों बहुत ही थक गई थी और मैं भी काफी थका हुआ था, हम बिस्तर पर ही लेटे रहे क्योंकि वो दिन इतवार का दिन था, कहीं जाना आना नहीं था.
पारो गई और रसोई से तीनों के लिए चाय बना लाई.गरम गरम चाय पी कर बड़ा ही आनन्द आ रहा था.
वे दोनों अपने घर के कामों में लग गई लेकिन मैं तो परी की याद में इस कदर डूबा हुआ था कि मुझको कोई होश ही नहीं था. मैं बैठक में आकर बैठ गया जहाँ वो दोनों बहनें भी आ गई और गपशप मारने लगी.मैंने कहा- तुम्हारी सहेली परी और जस्सी मुझे अच्छी लगी.गीति बोली- तुम कहो तो बुलवा लेते हैं परी को, वो तो पास ही रहती है.
मैं बोला- नहीं नहीं, ऐसे बुलाना ठीक नहीं. तुम उसको दोपहर के लंच के लिए बुला लो. कुछ ख़ास बनवा लेंगे हम और मिल जुल कर खाना खाएंगे. बोलो ठीक है?दोनों ने सर हिला दिया और गीति ने कहा- यह ठीक रहेगा, उसको खाने पर बुलवा लेते है. मैं अभी उसको फ़ोन करती हूँ.

गीति ने परी को फ़ोन किया और परी ने आने के लिए हामी भर दी.
मैंने पारो और नैना को बुलाया और कहा- गीति और विनी की सहेली आज दोपहर का लंच यहीं करेगी, कुछ अच्छा बना लेना.पारो बोली- क्या वो मीट और चिकन खाती है?गीति बोली- हाँ हाँ, वो सब खाती है.मैं बोला- पारो, तुम चिकन बना लो और साथ में कुछ नान बाहर से मंगवा लो. आइसक्रीम अगर घर में नहीं तो वो भी मंगवा लो. लखन लाल को भेज कर सब चीज़ें मंगवा लो, और हाँ, उसको कहना एक दर्जन कोका कोला की बोतलें भी ले आएगा.मेरे मुंह पर झलकती ख़ुशी को सिर्फ नैना ही भांप सकी और जाते जाते मुझको आँख मार गई.
जब मैं अपने कमरे में आया तो नैना भी पीछे पीछे आ गई. मैंने उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी जड़ दी. फिर मैंने उसको पास बिठा कर कहा- नैना रानी, आज परी की चूत दिलवा दो किसी तरह. वो पूरी तरह से तैयार है लेकिन सिर्फ जगह की कमी है. वो तुम सोचो कि कहाँ और कैसे होगा मेरा और परी का चुदाई का खेल?
नैना बोली- आप निश्चिंत रहें, मैं कुछ न कुछ इंतज़ाम करती हूँ.और मुस्कराती हुई वो चली गई.
ठीक 12 बजे दोपहर परी हमारी कोठी में आ गई. मैंने और लड़कियों ने उसका स्वागत किया और फिर हम सबने कोक पिया.
फिर नैना से मिलवाया परी को और नैना ने कहा- अभी खाना खाने में तो समय है, क्यों न आप कुछ खेल खेल लो, जैसे लूडो है ताश है.सबने कहा- ताश खेलते हैं.नैना ताश ले आई और हमने कहा- रमी गेम खेलते हैं.नैना ने कहा- ठीक है, आप दो दो की टीम बना लो. एक टीम में परी और छोटे मालिक होंगे और दूसरी में गीति और विनी होंगी. हालाँकि यह गीति को पसंद नहीं आया लेकिन वो कुछ बोल नहीं सकी.
ताश का गेम शुरू हुआ और शुरू से ही मैं और परी जीतने लगे. यह देख कर गीति बोली- यह गेम ठीक नहीं, कुछ और खेलते हैं.परी बोली- अगर आप सब मानो तो झूठ मूठ का तीन पत्ती खेल खेलते हैं जो एक किस्म का जुआ होता है. एक एक पत्ता ताश का बांटेंगे सबको, जिसका पत्ता सबसे बड़ा होगा वो जीतेगा और सबसे कम वाला हारा हुआ माना जाएगा. फिर उससे जो हम कहेंगे उसको वो करना पड़ेगा.
मैं बोला- उस हारे हुए से क्या करवाएंगे?परी बोली- वो सबको किस करेगा या फिर जो हम चाहेंगे, उसको वो करना पड़ेगा.सब बोले- ठीक है.
पत्ते बांटे गए और फिर उनको एक एक कर के सीधा किया तो सबसे छोटा पत्ता मेरा ही निकला.सब लड़कियाँ ताली बजाने लगी, मैंने नैना की तरफ देखा, उस ने मुझ को आँख मारी, नैना बोली- चलो छोटे मालिक, अब आप तैयार हो जाओ. बोलो लड़कियो, आपकी क्या मर्ज़ी है?
परी बोली- सतीश मुझको किस करे लिप्स पर और फिर गीति को किस करे और फिर वो विनी को किस करेगा. चलो शुरू हो जाओ.मैं बोला- ठीक है, लेकिन किस यहाँ नहीं करूंगा बल्कि अपने बेडरूम में करूंगा. मंज़ूर है तुम सबको?सब एक आवाज़ में बोली- ठीक है.
नैना बोली- मैं एक एक लड़की को ले जाऊँगी बैडरूम में और सिर्फ 5 मिन्ट दिए जाएंगे हर एक को!मैं अपने बैडरूम में चला गया और मेरे पीछे ही परी भी आ गई. आते ही उसने मुझको कस कर अपनी बाँहों में भींच लिया और ताबड़तोड़ मुझको चूमने लगी.
जब वो मुझको चूम रही थी तो मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर दौड़ रहे थे और कभी उसके मम्मों को टोह रहे थे. परी का एक हाथ मेरे लंड पर था जो अब तक पूरा खड़ा हो चुका था और दूसरा मेरी गर्दन में लिपटा था.
मैंने किसिंग के बीच उससे पूछा कि वो कब मेरे घर आ सकती है जब ये बहनें न हों?परी ने पूछा- क्यों?मैंने कहा- आगे कार्यक्रम नहीं करना क्या?वो बोली- तुम कर पाओगे क्या?मैं बोला- तुमको कोई शक है क्या?परी ने कहा- अच्छा देखेंगे.

 
मैं समझ गया कि वो झिझक रही है आगे के काम के लिए. तो मैं भी ज़रा पीछे हट गया और बोला- हमारा 5 मिन्ट का समय ख़त्म हो गया, चलो वापस!उसने बेदिली से मुझको छोड़ा लेकिन मैं जल्दी बैठक में गया और गीति को साथ ले आया.उसको किस करने के बाद विनी को भी किस करना पड़ा.
फिर हम हाल में इकट्ठे हुए और तब तक नैना ने कहा- खाना तैयार है, सब डाइनिंग रूम में चलो.खाने के बाद मैं लड़कियों से इजाज़त लेकर अपने कमरे में आ गया. मेरा मन उदास हो गया था कि परी कोई ज्यादा आगे नहीं बढ़ रही थी.
जब सब चली गई तो नैना ने कहा- अच्छा हुआ छोटे मालिक, परी तैयार नहीं हुई, वरना आप बदनाम हो जाते.मैंने कहा- तो सिनेमा हाल में इतना आगे बढ़ना गलत था उसका?नैना बोली- हाँ, वो तो ठीक नहीं किया उसने अगर आगे बढ़ने में हिचक थी. खैर छोड़ो आप आलखन करो, उन लड़कियों को बातें करने दो आपस में.
मैं अपने कमरे में आकर लेट गया और जल्दी ही नींद लग गई.कुछ देर बाद महसूस किया कि कोई मेरे लंड के साथ खेल रहा है. आँख खोली तो देखा तो परी मेरे पलंग पर बैठी थी और लंड को पैंट से निकाल कर मुठी मार रही थी.मुझको यह अच्छा नहीं लगा, मैं बोला- यह क्या कर रही हो तुम?
वो बोली- चुप सतीश, नैना तुमको सब बताएगी.फिर नैना ने बताया कि खाने के बाद परी को मैं गेट के बाहर छोड़ने आई थी लेकिन तभी इसने मुझसे कहा- वो दोनों बहनें तो अंदर चली गई हैं, तुम मुझको सतीश के कमरे में ले चलो. इसलिए मैं इसको तुम्हारे पास लेकर आई हूँ. यह आगे कार्यक्रम के लिए तैयार है.
पहले तो मैं खुश हुआ लेकिन फिर मन में ख्याल आया कि यह कहीं कुंवारी तो नहीं है?मैंने नैना से यह सवाल पूछा तो वो बोली- यह पहले चुद चुकी है एक दो लड़कों से!
मैं उठा और परी को अपनी बाहों में भर लिया. नैना को देख कर परी थोड़ी शरमाई लेकिन नैना ने कहा- मैं यहाँ इसलिए हूँ कि आप दोनों का मिलन ठीक से हो जाए और कोई डिस्टर्ब न करे और फिर आपको हेल्प भी करूंगी ना.मैंने कहा- नैना ठीक कह रही है, उसके होते कोई शक नहीं करेगा कि अंदर क्या हो रहा है.परी बोली- ठीक है नैना आंटी.
झटसे मैंने अपने कपड़े उतार दिए और परी के कपड़े उतारने में नैना मदद करने लगी. जब हम दोनों नंगे हो गए तो परी ने मेरे खड़े लौड़े को देखा और हैरानगी से कहा- इतना बड़ा है यह तो, कल तो नहीं लगा था कि यह इतने बड़े साइज का है. मैं इसको झेल पाऊँगी क्या?
नैना और मैं एकदम हैरान हो गए, यह बात पक्की हो गई कि परी ने पहले कभी लंड देखा ही नहीं था.अगर ऐसा ही है तो परी तो कुंवारी चूत थी.मैंने अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए.यह देख कर परी बोली- यह क्या कर रहे हो सतीश तुम?
मैं बोला- परी, तुमने नैना से झूठ बोला कि तुम पहले चुदी हुई हो. तुम तो कुंवारी चूत हो. नैना ज़रा चेक करना तो इसको?
नैना ने परी को पलंग पर लिटा दिया और उसकी चूत में ऊँगली डाली और बोली- आप ठीक कह रहे हैं छोटे मालिक. यह तो कुंवारी है अभी तक!परी रोने लगी और रोते हुए उसने कहा- सतीश, तुम मुझको अच्छे लगे तो मैं चाहती थी कि तुम्ही मेरी कुंवारी चूत को पहली बार चोदो. नैना आंटी कहो न सतीश से कि ये ही है मेरे सपनों का राजा.
नैना बोली- छोटे मालिक, आप कपड़े पहन कर बैठक में बैठो, मैं परी से कुछ बातें अकेले में करना चाहती हूँ.मैं कपड़े पहन कर बैठक में आ गया और पंखे को फुल स्पीड पर चला दिया.
थोड़ी देर बाद नैना बैठक में आई और मुझको लेकर फिर बैडरूम में गई.फिर उसने बताया- परी आप से चुदवाना चाहती है और वो यह लिख कर देने को तैयार है.मैंने कहा- उसकी ज़रूरत नहीं!उधर परी को देखा वो अपना पेटीकोट पहन कर बैठी थी, उसके गोल मम्मे सफ़ेद संगमरमर की तरह लग रहे थे और उसका पेट भी एकदम सफ़ेद रंग का तराशा हुआ संगमरमर लग रहा था.
मेरा लौड़ा जो तकरीबन बैठ चुका था, अब फिर से तन रहा था.मैंने झट से कपड़े उतार दिए और परी के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और जब वो पूरी तरह से नंगी हो गई तो उसको फिर ध्यान से देखा, उसकी काले बालों से ढकी चूत सफ़ेद पेट और जांघों के बीच चमक रही थी.
नैना ने परी को लाकर मेरे पास खड़ा कर दिया और मैं इस कुंवारी चूत को बड़ी हसरत भरी नज़र से देख रहा था.

कहानी जारी रहेगी.

 
परी की कुंवारी सुरीली चूत

परी को देखा वो अपना पेटीकोट पहन कर बैठी थी, उसके गोल मम्मे सफ़ेद संगमरमर की तरह लग रहे थे और उसका पेट भी एकदम सफ़ेद रंग का तराशा हुआ संगमरमर लग रहा था.
मेरा लौड़ा जो तकरीबन बैठ चुका था, अब फिर से तन रहा था.मैंने झट से कपड़े उतार दिए और परी के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और जब वो पूरी तरह से नंगी हो गई तो उसको फिर ध्यान से देखा, उसकी काले बालों से ढकी चूत सफ़ेद पेट और जांघों के बीच चमक रही थी.
नैना ने परी को लाकर मेरे पास खड़ा कर दिया और मैं इस कुंवारी चूत को बड़ी हसरत भरी नज़र से देख रहा था. मैंने अपना मुंह उसकी चूत के काले बालों में डाल दिया और उसकी चूत की खुश्बू सूंघने लगा. उस दिन से पहले मैंने कभी कुंवारी चूत नहीं देखी थी तो मैं परी को पलंग पर लिटा कर उसकी चूत को अच्छी तरह देखने लगा.
फटी हुई चूत से कुंवारी चूत काफी भिन्न होती है यह मैंने उस दिन देखा. चूत में कोई भी खरोंच या दाग नहीं दिखा और पूरा खोलने पर उसका रंग एकदम गुलाबी दिखा जबकि फटी चूत थोड़ी लाली लिए होती है.
परी का एक हाथ मेरे लंड के साथ खेल रहा था और दूसरे से वो मेरी छाती के निप्पल को मसल रही थी. लंड की सख्ती और भी बड़ रही थी और वो परी के हाथ में उछाल भर रहा था, वास्तव में वो जल्दी ही गृहप्रवेश करना चाहता था लेकिन मैंने उसको अभी तक काबू रखा था.

उधर नैना भी अपने कपड़े उतार चुकी थी और वो परी के मम्मों को चूसने में लगी थी. फिर उसने एक मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया और कहा- इसको खूब चूसो.मैं भी जैसे छोटा बच्चा दूध के लिए चूसता है वैसे ही परी के एक मम्मे को चूस रहा था. फिर मैं उसके दूसरे सफ़ेद मम्मे पर आ गया और उसको भी पहले की तरह खूब चूसा.
नैना परी की चूत को तैयार कर रही थी बड़े हमले के लिए… उसकी जीभ उसकी भग को चूस रही थी और परी की कमर एकदम ऊपर उठी हुई थी और हाथ नैना के मुंह और बालों के साथ लगे हुए थे और उसको चूत में डालने की कोशिश कर रही थी.
परी के मुख से हल्की से सिसकारी निकल रही थी और उसके चूत से पानी की अविरल धारा बह रही थी.तब नैना ने मुझको इशारा किया कि अपनी तोप का मुंह परी के चूत वाले किले के मुंह पर रख दूँ. मैंने ऐसा ही किया और एक हल्का सा धक्का लंड को मारा और उसको मुंह चूत के अंदर थोड़ा सा चल गया और धक्का मारा तो अंदर कुछ रुकावट लगी.
लंड को फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक हल्का धक्का मारा वो फिर वही रुकावट वाली जगह पर जा कर रुक गया. तब नैना उठी और पोंड्स क्रीम ले आई और उसको मेरे लंड और चूत पर बहुत सारा मल दिया और बोली- धक्का मारो ज़ोर का, छोटे मालिक.
मैंने उसके कहे मुताबिक़ एक काफी ज़ोर का धक्का मारा लंड का और कुछ फटने की आवाज़ के साथ ही मेरा लंड पूरा परी की चूत में चला गया.उधर नैना ने परी के मुंह में एक रुमाल डाल रखा था ताकि उसके मुंह से आवाज़ बाहर न जाए.मैं अपने लंड को परी की चूत में डाल कर थोड़ी देर आलखन करने लगा. फिर मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और परी की चूत के गीलेपन के कारण लंड महाशय पूरी आज़ादी से अंदर बाहर होने लगे.
अब मैंने अपना मुंह परी के होटों से चिपका दिया और उसको बड़ी गहरी चूमाचाटी करने लगा, अपनी जीभ उसके मुंह में डाल कर गोल गोल घुमाने लगा, वो भी मेरे को पूरी गहराई से चूम रही थी.ऐसा लगा कि वो अपने चूत के दर्द को भूल कर अब चूत चुदाई का आनन्द ले रही थी. उधर नैना परी के मुंह को तौलिये से पौंछ रही थी क्यूंकि उस पर पसीने की बूँदें आ गई थी.
अब मैंने लंड की स्पीड तेज़ कर दी और काफी जल्दी से अंदर बाहर होने लगा और परी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी.नैना ने मेरे चूतड़ों पर थपकी मारनी शुर कर दी और मैंने लंड की स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी. तभी मुझको लगा कि परी का पानी छूटने वाला है और फिर मेरे धक्के गहरे और तेज़ हो गए और मैं फुल स्पीड पर जब आया तो परी का पानी छूट गया और मेरा भी फव्वारा चल पड़ा.

 
अब परी ने मुझको कस कर अपने से चिपका लिया, उसकी सांसें बड़ी तेज़ी से चल रही थी और उसका शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था. मैंने भी उसको पूरी ताकत से भींच रखा था.जब वो थोड़ी सी संयत हुई तो मैंने उसको छोड़ दिया, उसकी आँखें बंद थी और उसके चेहरे पर एक बहुत प्यारी से मुस्कान थी जो यह जता रही थी कि वो पूरी तरह से आन्नदित हो गई थी.
नैना बहुत व्यस्त थी, वो परी के मुंह और शरीर को गीले तौलिये से ठंडा करने की कोशिश कर रही थी.जब मैं परी के ऊपर से उठा और पलंग पर लेटा तो वो आ गई और मेरे शरीर को और लंड को तौलिये से साफ़ कर रही थी, मेरे लौड़े पर अभी भी परी की चूत के खून के दाग लगे थे..
फिर मैं और परी कुछ देर के लिए सो गए.जब आधे घंटे बाद उठे तो नैना हमारे लिए स्पेशल दूध के गिलास लेकर खड़ी थी. दूध का पहला घूँट ही पिया तो एकदम आनन्द आ गया.
मैंने पूछा- क्या डाला है इसमें? बहुत ही स्वादिष्ट है और एकदम ठंडा है.
नैना बोली- तुम दोनों ने बहुत ही मेहनत की थी तो थकान कम करने के लिए है.
परी बोली- वाह नैना आंटी, आप तो कमाल की चीज़ हो. आपने मेरी बड़ी मदद की वरना बड़ा मुश्किल होता मेरे लिए!
नैना ने पूछा- तुमको आनन्द आया या नहीं?
परी बोली- बहुत मज़ा आया नैना आंटी.यह कह कर परी ने मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया और उसके साथ खेलने लगी, नैना ने परी से पूछा- क्या एक बार और चुदवाने की इच्छा है तुम्हारी?
परी ने फ़ौरन हाँ में सर हिला दिया और वो मेरी तरफ देखने लगी. मैंने भी उसकी चूत पर हाथ रखा और उंगली डाल कर चेक किया कि वो गीली हुई या नहीं.उस वक्त वो फिर से काफी गीली हो चुकी थी, नैना ने क्रीम की शीशी से क्रीम लेकर उसकी चूत पर लगानी शुरू कर दी और थोड़ी सी मेरे लंड पर भी लगा दी.
फिर उसने परी को मेरे लंड पर बैठने के लिए कहा और अपने हाथ से मेरा लंड उसकी चूत के मुंह पर रख कर कहा कि वो ऊपर से ज़ोर लगाये.परी ने ऐसा ही किया और लंड एक ही झटके में चूत के अंदर हो गया, तब वो धीरे धीरे लंड के ऊपर नीचे होने लगी.
मैं उसके गोल और सॉलिड मम्मों के साथ खेलता रहा और उसकी चूचियों को गोल गोल घुमाता रहा. परी ऊपर से मुझको चोद रही थी और मैं नीचे लेटे हुए आनन्द ले रहा था.उसकी गोल गोल जांघों जो एकदम सफ़ेद संगमरमर की तरह थी, बहुत ही आकर्षक लग रही थी.परी को चुदाई का बहुत आनन्द आ रहा था और वो कभी धीरे से या फिर तेज़ी पकड़ कर चुदाई का आनन्द ले रही थी.
एक बार फिर परी का चुदाई के दौरान पानी छूटा और वो कांपते शरीर के साथ मेरे ऊपर ही पसर गई. मेरा लंड अभी भी परी की चूत में ही था.यह चुदाई का कार्यक्रम काफी देर चलता रहा. नैना ने मुझको इशारा किया कि बस अब और नहीं.तब मैंने परी को हिलाया और वो उठी और अपने कपड़े पहनने लगी.
नैना उसको बाथरूम में ले गई और वो मुंह हाथ धो कर जब लौटी तो आते ही उसने मेरे लबों पर किसिंग करना शुरू कर दिया और फिर एक ज़ोरदार प्यार की जप्फी मुझ को मारी और मेरा थैंक्स करके घर जाने के लिए चलने लगी.मैंने नैना को कहा कि वो उसको उसकी कोठी तक छोड़ आये.परी ने कहा कि वो दोबारा आना चाहती है तो मैंने कहा कि फ़ोन कर लेना और नैना से या मुझसे प्रोग्राम तय कर लेना.
उन दोनों के जाने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया. थोड़ी देर बाद नैना लौट आई और सीधे मेरे पास ही आ गई, आते ही पूछा उसने- कैसी लगी परी आपको?
मैंने कहा- बहुत अच्छी… लेकिन आप दोनों के साथ मज़ा ही कुछ और है, खासतौर पर तुम्हारे सामने कोई भी लड़की या औरत नहीं टिक सकती. तुम्हारा सेक्स का स्टाइल और चुदाई के दौरान और बाद में अपने पार्टनर का ख्याल रखना शायद दूसरे औरतों या लड़कियों के बस में नहीं.
नैना बोली- छोटे मालिक, कल कोई और भी लड़की थी आप लोगों के साथ?
मैं बोला- हाँ थी तो सही, शायद उसका नाम जस्सी है, क्यों पूछ रही हो?
नैना बोली- वो शायद परी की खास सहेली है क्यूंकि उसने दो बार कहा लो जस्सी का भी सतीश कल्याण कर दे तो उसको बड़ा मज़ा आएगा.
मैं बोला- उसने भी वही किया था जो परी ने किया था सिनेमा हाल में!
नैना बोली- दोनों ही काफी गरम स्वाभाव की हैं शायद. परी ने इशारा फेंका है कि अगर सतीश चाहे तो जस्सी को भी चोद सकता है, वो भी परी की तरह अभी कुंवारी है.
मैं बोला- तुम क्या कहती हो नैना?
नैना बोली- मेरा सोचना यह है कि अभी तो ये दोनों बहनें बीमार चल रहीं हैं तो कोई आये या जाये इनको फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब ये ठीक हो गई तो काफी मुश्किल कर देंगी दूसरी लड़कियों का आपके पास आना!
मैं बोला- ठीक कह रही हो नैना, तो तुम जस्सी के लिए मेरी तरफ से हाँ कर देती न!नैना बोली- मैंने कह तो दिया है कि छोटे मालिक तैयार हो जाएंगे अगर आप कहें तो उससे पक्का कर लें.
मैं बोला- लेकिन हाँ करने से पहले यह भी तो सोचना पड़ेगा कि वो कब आ सकती है? मैं नहीं चाहता इन दो बहनों के सामने वो आये! ऐसा करो तुम परी को कहो कि कल वो कालेज के समय घर से निकले और जस्सी को लेकर सीधी हमारी कोठी में आ जाए. तब तक ये बहनें भी कालेज जा चुकी होंगी. क्यों यह प्लान कैसा रहेगा?
नैना बोली- तब तो आपको भी कालेज से छुट्टी लेनी पड़ेगी.
मैं बोला- नहीं, कल हमारे कालेज में इलेक्शन हैं, मैं बाद में चला जाऊंगा.
नैना बोली- ठीक है, मैं उस से अभी बात करती हूँ और कहूँगी कि दोनों साथ ही आयें.
मैं फिर अपने पलंग पर लेट गया और सोचने लगा कि एक और कुंवारी चूत के साथ मिलन होने जा रहा है.
थोड़ी देर बाद नैना आई और बोली- छोटे मालिक वो दोनों कल 10 बजे यहाँ पहुँच जाएंगी.मैंने नैना को इशारा किया कि वो मेरे पास आये और जैसे ही वो आई मैंने उसको कस कर अपने सीने से लगा लिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसके होटों पर, जल्दी से अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाला और उसकी गीली चूत पर हाथ फेरा और चूत के बाल हल्के से खींचे.उसने भी मुझको चूमा और फिर वो चली गई.

कहानी जारी रहेगी.

 
जस्सी अपनी कुंवारी चूत चुदवाने आई

मैं फिर अपने पलंग पर लेट गया और सोचने लगा कि एक और कुंवारी चूत के साथ मिलन होने जा रहा है.
थोड़ी देर बाद नैना आई और बोली- छोटे मालिक वो दोनों कल 10 बजे यहाँ पहुँच जाएंगी.मैंने नैना को इशारा किया कि वो मेरे पास आये और जैसे ही वो आई मैंने उसको कस कर अपने सीने से लगा लिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसके होटों पर, जल्दी से अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाला और उसकी गीली चूत पर हाथ फेरा और चूत के बाल हल्के से खींचे.उसने भी मुझको चूमा और फिर वो चली गई.
मैं भी बड़े ही प्रसन्न चित से बैठक में आकर बैठ गया और बार बार परी की कुंवारी चूत की चुदाई को याद करके आनन्द लेने लगा.परी बड़ी सुंदर लड़की थी जो मेरे पास ख़ास तौर पर चुदवाने के लिए आई थी. शायद यह सिनेमा में हुई हमारी मुलाकात का नतीजा था जहाँ परी ने देखा कि उसकी कोशिश करने के बाद भी मेरा लौड़ा बैठा नहीं अपनी अकड़ पर डटा रहा था. शायद यही कारण था की परी इतनी जल्दी मुझसे चुदवाने के लिए तयार हो गई थी.
नैना का भी यही मानना था कि जब उसने और उसकी सहेलियों ने मेरे खड़े लंड को देखा तो उनको विश्वास नहीं हुआ था कि मेरा लंड इतनी देर खड़ा रह सकता है और उनकी चूत को हरा सकता है बार बार.कभी कभी मैं साफ़ महसूस करता था कि मेरे संपर्क में आई सारी स्त्रियाँ मेरे करामाती लंड का विश्वास नहीं करती थी इसीलिए वो बार बार मुझसे चुदवाती थी कि शायद अबकी बार सतीश का लंड खड़ा नहीं हो पायेगा इतनी जल्दी और वो इस प्यारी लड़ाई में जीत जाएंगी.लेकिन हर बार उनको हार का मुंह देखना पड़ता था.

अगले दिन दोनों बहनें अपने समय पर कालेज चली गई थी. जैसे ही वो रिक्शा में बैठी तभी नैना ने परी को फ़ोन कर दिया कि बहनें चली गई हैं.जल्दी ही मैंने देखा कि नैना परी और जस्सी को साथ लेकर आ रही थी.उन दोनों को पहले बैठक में ही बिठाया, नैना फिर मेरे पास आई यह बताने कि वो दोनों आ गई हैं.
मैंने उस समय पैंट कमीज पहन रखी थी, मैं बैठक में आ गया.दोनों के साथ हेलो हुआ और फिर नैना हम सबके लिए कोकाकोला ग्लासों में डाल कर ले आई.
औपचारिक बातचीत के बाद मैं ही उनको आज के असली मुद्दे पर ले आया, मैंने परी से पूछा- अब कैसी हो तुम परी? सब ठीक है न?परी बोली- हाँ सतीश, सब ठीक है, ऊपर नीचे सब ठीक है.उसने शरारत के लहजे में बोला.
मैंने भी वैसे ही जवाब दिया- चलो अच्छा है जल्दी सब ठीक हो गया है. और सुनाओ, जस्सी को भी मिल कर बड़ी ख़ुशी हुई. कैसी हो जस्सी जी?जस्सी थोड़ा शर्माते हुए बोली- मैं ठीक हूँ सतीश.मैं बोला- जस्सी तुम्हारे नाम और पहनावे से लगता है कि तुम पंजाबी हो?जस्सी बोली- हाँ जी, मैं सिखनी हूँ और आपकी कोठी से थोड़ी दूर हमारा मकान है.मैं बोला- वेरी गुड… फिर क्या प्रोग्राम है?
परी बोली- वही जो कल वाला प्रोग्राम था, जस्सी उसके लिए तैयार होकर आई है.नैना बोली- जस्सी, तुम मेरे साथ छोटे मालिक के कमरे में आओ.
वो दोनों चले गए तो परी ने पूछा- कहाँ गई हैं दोनों?मैं बोला- वो कुछ नहीं, ज़रा जस्सी से कुछ बातें कर रही है.थोड़ी देर में दोनों वापस आ गई और नैना बोली- सब ठीक है छोटे मालिक, आओ हम छोटे मालिक के कमरे में चलते हैं.यह कह कर हम तीनो नैना के पीछे मेरे बैडरूम में चले गए.
वहाँ पर और जस्सी को बिठा कर नैना बाहर चली गई और कह गई- मैं अभी आती हूँ.
तब परी ने आगे बढ़ कर मुझ को लबों पर चूम लिया और मैंने भी उसको एक बहुत ही गहरी चुम्मी दी.फिर मैंने एक हाथ परी के चूतड़ पर रख दिया और उसको हल्के हल्के मसलने लगा.
परी बड़े ही प्यारे रंग की सिल्क की साड़ी पहने हुए थी और मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर नहीं टिक रहे थे. जस्सी यह सब बड़े ध्यान से देख रही थी.
अब मैं परी के मम्मों के साथ खेल रहा था और उसका हाथ मेरे अंडकोष पर था. फिर मैंने परी के मम्मों को उसके ब्लाउज के ऊपर से चूमना शुरू कर दिया.यह देख कर परी अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी. मैं अपने लंड को उसकी चूत को साड़ी के ऊपर से रगड़ रहा था.
यह देख कर जस्सी का एक हाथ अपने आप ही अपनी चूत के ऊपर चला गया.तब परी ने कहा- सतीश, क्यों न जस्सी को भी साथ ले लें, वो बेचारी यूँ ही गर्म हो रही है.मैंने कहा- हाँ हाँ, आ जाओ जस्सी, तुम भी शामिल हो जाओ इस खेल में.

 
Back
Top