desiaks
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पड़ोस वाली आंटी और नौकरानी
रात को नैना से सोने से पहले मैंने बात की, मैंने उसको बताया कि यह हमारी कोठी में औरतों का बहुत आना जाना हमारे लिए शायद ठीक नहीं होगा आगे चल कर के… इसका कुछ उपाय सोचना चाहिये.नैना बोली- आप ठीक कह रहे हो छोटे मालिक, आप बताओ क्या करें?
मैं बोला- पहला काम तो यह करो कि जो औरत तुमसे मिलने आये उसको समझा दो कि तुम कोई पैसा लेकर यह दाई वाला काम नहीं कर रही हो, तुम यह ज़रूर कहो कि तुम कुछ औरतों की तकलीफ दूर करने और उनकी भलाई करने की कोशिश कर रही हो. तुम जिस भी औरत की हेल्प करना चाहती हो, पहले उसको अपनी एक खाली कोठरी में बुला लो! क्यों ठीक है न?नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, ठीक कह रहे हैं आप!
मैं बोला- उस कोठरी को थोड़ा ठीक-ठाक कर लो जैसे चारपाई जिस पर अच्छी सी चादर, तकिए और कुर्सी टेबल स्टोर से ले कर वहाँ लगा लो, जिस भी औरत को बुलाओ, उसकी हैसियत देख लो, अगर वो सेठानी या ऊँचे घर की लगती है तो उसको अंदर बैठक में बुला लो बाकी को उस कोठरी में, क्यों ठीक है?नैना बोली- बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप!
मैं बोला- और फिर अपने चौकीदार लखन लाल को भी अपने साथ मिला कर रखो, उसको यदा कदा खाना वगैरह भेज दिया और अगर घर में मीट या चिकन इत्यादि बनता है तो उसको भी थोड़ा सा भिजवा दिया ताकि उसका परिवार भी खुश रहे, पैसे की मदद तो मैं करता ही रहूंगा ही.नैना बोली- यह बिल्कुल ठीक है, इससे उसका मुंह भी बंद रहेगा.
मैं बोला- वो पड़ोसी आंटी का क्या नाम बताया था तुम ने?नैना बोली- सुमित्रा जी, क्यों?मैं बोला- तुम देख लो, अगर वो फ्री हों तो आज दोपहर में ही बुला लो.नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक, मैं फ़ोन पर उससे पूछ लूंगी लेकिन एक दिक्कत है.मैं बोला- वो क्या?
नैना बोली- वो कह रही थी कि उनकी नौकरानी भी साथ आयेगी. परसों मैंने उसकी नौकरानी से भी बात की, दिखने में जवान और सुन्दर है, अच्छा जिस्म है, और वो नौकरानी लगती ही नहीं!मैं बोला- तुमने आंटी से पूछ लिया था क्या? उसको सारी बातें मालूम है क्या? और वो अगर कमरे में रहेगी तो क्या वो चुदाई के लिए तैयार होगी?नैना हंस दी और बोली- अरे छोटे मालिक, वो तो आपकी पक्की आशिक हुई पड़ी है! और किसी भी कीमत पर आपसे चुदवाना चाहती है, उसका नाम शान्ति है, उसकी उम्र 19 की है और ब्याहता है लेकिन पति मुंबई में काम करता है, साल में एक हफ्ते के लिए आता है और उसकी चुदाई करता है, बाकी सारा साल ऊँगली के सहारे रहती है.
मैं बोला- यह सब काम तुम्हारा है तुम अपनी पक्की तसल्ली कर लो, सब ठीक हो तभी बुलाना दोनों को, ठीक है?नैना बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, मैं पूरा ध्यान रखूंगी.
मैं कालेज के लिए निकल पड़ा और जाते जाते लखन लाल को 10 रूपए देता गया.
दोपहर को कॉलेज से आया तो नैना झट से ठंडा शर्बत ले आई और बोली- सब ठीक है, आप फ़िक्र न करें, दोनों से बात हो गई है और पड़ोसन कह रही थी शांति की वो ज़िम्मेदारी लेती है और वो उसके हर राज़ में शामिल है.मैं बोला- तुमने आंटी को कह दिया है न कि कमरे में तुम भी रहोगी और तुम्हारे सामने ही सब कुछ होगा?नैना बोली- हाँ हाँ, यह बात साफ़ है, आप थोड़ा सा आलखन कर लो, वे 3 बजे के आस पास आएँगी.
मैं खाना खाकर थोड़ा लेट गया, न जाने कब मेरी आँख लग गई और फिर नैना ने मुझको जगाया और बताया कि आंटी आ गई हैं,
मैं उठा और मुँह हाथ धोए और थोड़ी खुशबू भी लगाई और फिर मैं बैठक में आ गया. आंटी को नमस्ते की और उसके साथ आई शांति को भी देखा, देखने में अच्छी खासी लड़की थी लेकिन आँखों में चंचलता ज़रूर झलक रही थी.
फिर नैना ने दोनों को ठंडा कोकाकोला पिलाया और उसके बाद हम सब मेरे कमरे में आ गए थे.
नैना ने आज वहाँ रेशमी चादर बिछा रखी थी और थोड़ा हट कर एक तख्तपोश डलवा दिया था जिस पर मोटा गद्दा और सुन्दर चादर डाल रखी थी.
मैंने कहा- आंटी जी, आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं अगर नैना यहाँ रहे, वो काफी मदद कर देती है.आंटी बोली- सतीश, तुम मुझको आंटी मत बुलाओ, मेरा नाम सुमित्रा है लेकिन तुम मुझको सुमी बुला सकते हो.मैं बोला- ठीक सुमी जी, हम दोनों का घर का नाम एक दूसरे से बहुत मिल रहा है जैसे सोमु और सुमी… वाह क्या बात है!
रात को नैना से सोने से पहले मैंने बात की, मैंने उसको बताया कि यह हमारी कोठी में औरतों का बहुत आना जाना हमारे लिए शायद ठीक नहीं होगा आगे चल कर के… इसका कुछ उपाय सोचना चाहिये.नैना बोली- आप ठीक कह रहे हो छोटे मालिक, आप बताओ क्या करें?
मैं बोला- पहला काम तो यह करो कि जो औरत तुमसे मिलने आये उसको समझा दो कि तुम कोई पैसा लेकर यह दाई वाला काम नहीं कर रही हो, तुम यह ज़रूर कहो कि तुम कुछ औरतों की तकलीफ दूर करने और उनकी भलाई करने की कोशिश कर रही हो. तुम जिस भी औरत की हेल्प करना चाहती हो, पहले उसको अपनी एक खाली कोठरी में बुला लो! क्यों ठीक है न?नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, ठीक कह रहे हैं आप!
मैं बोला- उस कोठरी को थोड़ा ठीक-ठाक कर लो जैसे चारपाई जिस पर अच्छी सी चादर, तकिए और कुर्सी टेबल स्टोर से ले कर वहाँ लगा लो, जिस भी औरत को बुलाओ, उसकी हैसियत देख लो, अगर वो सेठानी या ऊँचे घर की लगती है तो उसको अंदर बैठक में बुला लो बाकी को उस कोठरी में, क्यों ठीक है?नैना बोली- बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप!
मैं बोला- और फिर अपने चौकीदार लखन लाल को भी अपने साथ मिला कर रखो, उसको यदा कदा खाना वगैरह भेज दिया और अगर घर में मीट या चिकन इत्यादि बनता है तो उसको भी थोड़ा सा भिजवा दिया ताकि उसका परिवार भी खुश रहे, पैसे की मदद तो मैं करता ही रहूंगा ही.नैना बोली- यह बिल्कुल ठीक है, इससे उसका मुंह भी बंद रहेगा.
मैं बोला- वो पड़ोसी आंटी का क्या नाम बताया था तुम ने?नैना बोली- सुमित्रा जी, क्यों?मैं बोला- तुम देख लो, अगर वो फ्री हों तो आज दोपहर में ही बुला लो.नैना बोली- ठीक है छोटे मालिक, मैं फ़ोन पर उससे पूछ लूंगी लेकिन एक दिक्कत है.मैं बोला- वो क्या?
नैना बोली- वो कह रही थी कि उनकी नौकरानी भी साथ आयेगी. परसों मैंने उसकी नौकरानी से भी बात की, दिखने में जवान और सुन्दर है, अच्छा जिस्म है, और वो नौकरानी लगती ही नहीं!मैं बोला- तुमने आंटी से पूछ लिया था क्या? उसको सारी बातें मालूम है क्या? और वो अगर कमरे में रहेगी तो क्या वो चुदाई के लिए तैयार होगी?नैना हंस दी और बोली- अरे छोटे मालिक, वो तो आपकी पक्की आशिक हुई पड़ी है! और किसी भी कीमत पर आपसे चुदवाना चाहती है, उसका नाम शान्ति है, उसकी उम्र 19 की है और ब्याहता है लेकिन पति मुंबई में काम करता है, साल में एक हफ्ते के लिए आता है और उसकी चुदाई करता है, बाकी सारा साल ऊँगली के सहारे रहती है.
मैं बोला- यह सब काम तुम्हारा है तुम अपनी पक्की तसल्ली कर लो, सब ठीक हो तभी बुलाना दोनों को, ठीक है?नैना बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, मैं पूरा ध्यान रखूंगी.
मैं कालेज के लिए निकल पड़ा और जाते जाते लखन लाल को 10 रूपए देता गया.
दोपहर को कॉलेज से आया तो नैना झट से ठंडा शर्बत ले आई और बोली- सब ठीक है, आप फ़िक्र न करें, दोनों से बात हो गई है और पड़ोसन कह रही थी शांति की वो ज़िम्मेदारी लेती है और वो उसके हर राज़ में शामिल है.मैं बोला- तुमने आंटी को कह दिया है न कि कमरे में तुम भी रहोगी और तुम्हारे सामने ही सब कुछ होगा?नैना बोली- हाँ हाँ, यह बात साफ़ है, आप थोड़ा सा आलखन कर लो, वे 3 बजे के आस पास आएँगी.
मैं खाना खाकर थोड़ा लेट गया, न जाने कब मेरी आँख लग गई और फिर नैना ने मुझको जगाया और बताया कि आंटी आ गई हैं,
मैं उठा और मुँह हाथ धोए और थोड़ी खुशबू भी लगाई और फिर मैं बैठक में आ गया. आंटी को नमस्ते की और उसके साथ आई शांति को भी देखा, देखने में अच्छी खासी लड़की थी लेकिन आँखों में चंचलता ज़रूर झलक रही थी.
फिर नैना ने दोनों को ठंडा कोकाकोला पिलाया और उसके बाद हम सब मेरे कमरे में आ गए थे.
नैना ने आज वहाँ रेशमी चादर बिछा रखी थी और थोड़ा हट कर एक तख्तपोश डलवा दिया था जिस पर मोटा गद्दा और सुन्दर चादर डाल रखी थी.
मैंने कहा- आंटी जी, आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं अगर नैना यहाँ रहे, वो काफी मदद कर देती है.आंटी बोली- सतीश, तुम मुझको आंटी मत बुलाओ, मेरा नाम सुमित्रा है लेकिन तुम मुझको सुमी बुला सकते हो.मैं बोला- ठीक सुमी जी, हम दोनों का घर का नाम एक दूसरे से बहुत मिल रहा है जैसे सोमु और सुमी… वाह क्या बात है!