XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 15 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

कॉलेज की लेडी प्रोफेसर

सब लड़कियों के जाने के बाद मैं और नैना बैठक में बैठे थे और सोच रहे थे कि हमारा जीवन किस दिशा की ओर जा रहा है.कॉलेज ग्रुप सेक्स तो एक बुरा एक्सपेरीमेंट था क्योंकि मैं समझता हूँ सबसे कमज़ोर कड़ी वो लड़के थे जिनको इस ग्रुप में शामिल किया गया था.हिना ने बगैर उनकी कार्य कुशलता जाने ही उनको इस काम के लिए चुन कर बहुत बड़ी गलती की.
जब मैंने नैना से पूछा तो वो भी इसी विचार की थी.फिर मैंने उससे पूछा कि उसका जो अपना क्लिनिक खुलने वाला था उसका क्या हुआ?उसका जवाब था कि कोई खास पूछताछ नहीं हुई है हालाँकि उसने एक दो दाइयों को कहा भी था.
मैंने नैना से पूछा- वो सेठानियों का फ़ोन या वो खुद नहीं आई क्या?नैना मुस्कराते हुए बोली- अगले अफ्ते उनका चेकअप होना है, देखो तब कुछ बात हो सके, क्या आपको उनकी चाहिये?मैं बोला- देखो नैना, तुम्हारे अलावा अगर कोई खूबसूरत औरत या लड़की मेरे जीवन में आई है तो वो हैं रानी और प्रेमा, उनके जैसा शरीर न मैंने अभी तक देखा है और ना देखने की कोई उम्मीद है.नैना बोली- ठीक है आज हम दोनों आपको चोदेंगी और आपका सारा रस निकाल कर ले जाएंगी. वैसे छोटे मालिक, आज शाम को मैं आपकी नज़र भी उतार दूंगी.

अगले दिन मैं टाइम पर कॉलेज चला गया. लंच इंटरवल में मुझको हिना मिल गई और मुझको लेकर कॉलेज के गार्डन में घूमने लगी.घूमते हुए उसने कहा कि आज छुट्टी के बाद मैं उसके साथ उसके घर में चलूँ, एक ज़रूरी काम है.मैंने पूछा- वही काम है क्या?हिना हँसते हुए बोली- नहीं सतीश यार, तुमको किसी ख़ास बन्दे से मिलवाना है.मैं बोला- बन्दा या बंदी?हिना बोली- वहीं देख लेना न कि वो बंदा है या बंदी?मैं बोला- ठीक है, मैं नैना को फ़ोन पर बता देता हूँ कि शाम हो जायेगी मुझको घर आते हुए.
कॉलेज की छुट्टी के बाद मुझको अपनी कार में लेकर हिना अपने बंगले में पहुँच गई.उस वक्त बंगले में उसकी एक मेड थी और एक कुक थी और बाकी परिवार के सदस्य शहर के बाहर गए हुए थे.उसकी नौकरानी शरबत ले आई और हम पीने लगे.
तभी कोठी में एक और कार आ कर रुकी और एक स्मार्ट लेडी उस में से निकल कर बैठक मैं आई.हिना ने उठ कर उनका स्वागत किया.मैं फ़ौरन पहचान गया कि वो तो हमारे कॉलेज की प्रोफेसर थी, मैंने भी उठ कर उनको नमस्कार किया.
हिना ने कहा- मैडम, यह सतीश है अपने ही कॉलेज में प्रथम साल का आर्ट्स का छात्र है. और सतीश, तुम तो मैडम को तो जानते ही होगे.मैंने कहा- मैडम को कौन नहीं जानता.मैडम बोली- अरे यार, तुम तो फॉर्मल हो गए हो, हम तो अभी कॉलेज से बाहर हैं न, मेरा नाम निर्मला है, उससे ही पुकारो तुम दोनों.मैं बोला- जैसा आप कहें निर्मला मैडम!तब तक मेड कोल्डड्रिंक ले आई थी.
हिना बोली- सतीश, निर्मला मैडम यहाँ एक ख़ास मकसद से आईं हैं. वो मैं खाना खाने के बाद बताऊँगी, चलिए खाना लग गया है.
हम सब उठ कर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए और काफी स्वादिष्ट खाना खाने लगे लेकिन मैं इस खाने का पारो के बनाये खाने से मिलान करता रहा और पाया कि पारो के हाथ का खाना ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है.खाने से फ़ारिग़ होकर हम फिर बैठक में आकर बैठ गए.
तब हिना बोली- निर्मला मैडम बेचारी बड़ी मुसीबत में हैं, उनके पति उनकी इच्छा को पूरा नहीं कर पाते क्यूंकि वो ज़्यादा समय अपने कारोबार में बिजी रहते हैं.यह कह कर हिना मेरी तरफ देखने लगी लेकिन मैं मुंह झुका कर चुप बैठा रहा.हिना फिर बोली- उनकी प्रॉब्लम को समझ रहे हो सतीश?मैं बोला- समझ तो रहा हूँ लेकिन मैं उनकी क्या मदद कर सकता हूँ इस मामले में?हिना बोली- वही जो तुम अक्सर सबकी करते हो?मैं बोला- क्या मदद चाहिए और कब चाहिए यह निर्मला मैडम को कहने दो हिना प्लीज!
निर्मला मैडम सर झुका कर बैठी रही लेकिन उसके चेहरे के हाव भाव से लग रहा था कि वे काफी दुखी हैं.मेरा मन तो किया कह दूँ कि मैं मदद के लिए तैयार हूँ लेकिन फिर नैना के शब्द मन में गूँज रहे थे कि जब तक कोई भी औरत स्वयं यौन संबंध के लिए नहीं कहे, मुझको आगे नहीं बढ़ना चाहिए.मैंने कहा- निर्मला मैडम जी, मैं हर प्रकार से आप की सहायता करने के लिए तैयार हूँ लेकिन आप कुछ बताएँ तो सही?
निर्मला मैडम मेरी तरफ देखते हुए बोली- मैं सेक्स की प्यासी हूँ. मेरे पति मेरा बिल्कुल ध्यान नहीं देते और आज 10 साल से मेरे घर बच्चा नहीं हुआ क्योंकि मेरे पति को सेक्स के प्रति कोई लगाव ही नहीं, न उनमें इसकी कोई इच्छा है लेकिन मैं उनसे तलाक भी नहीं ले सकती.यह कहते हुए निर्मला मैडम फूट फूट कर रोने लगी.

 
मैं और हिना उनके पास गये और उनको तसल्ली देने लगे.
फिर वो एकदम से उठी और मुझको कस कर आलिंगन में ले लिया और मेरे होटों को बेतहाशा चूमने लगी.मैंने भी उनको जफ़्फ़ी डाली और उनकी चूमाचाटी का वैसे ही जवाब देने लगा.
तब हिना बोली- आओ सतीश और मैडम, हम सब मेरे बैडरूम में चलते हैं.बैडरूम में पहुँचते ही निर्मला तो मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह से टूट पड़ी, चूमने चाटने के अलावा मेरे लंड को भी पैंट के बाहर से पकड़ कर मसलने लगी.
हिना ने जल्दी से मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कमीज और पैंट उतार कर मेरे अंडरवियर में हाथ डालने लगी तो मैंने उसका हाथ रोक दिया और कहा- पहले आप दोनों.यह सुन कर निर्मला मुस्कराने लगी और हिना भी हंस दी, फिर दोनों ही अपनी साड़ियाँ उतार कर और ब्लाउज उतार रही थी कि मैंने निर्मला का हाथ रोक दिया और बोला- आपको निर्वस्त्र करने का सौभाग्य मुझको दीजिये मैडम जी!
अब मैं निर्मला के ब्लाउज और पेटीकोट को बहुत धीरे धीरे से उतारने लगा और फिर उसकी ब्रा पर जब हाथ रखा तो उसके गोल और सॉलिड मम्मों को देख कर दिल एकदम से खुश हो गया.उसके पेटीकोट को उतारा तो उसकी चूत पर हल्के काले बाल थे जिनको ट्रिम किया गया था.
मैं एकदम से झुका और अपना मुंह निर्मला जी की चूत में डाल दिया और उसकी चूत के लबों पर हल्के हल्के जीभ फेरने लगा.ऐसा करते ही निर्मला एकदम से अकड़ गई और मेरा सर पकड़ कर उसने अपनी चूत में और ज़ोर से घुसेड़ दिया, अब उसकी भगनासा मेरे मुंह में थी और मैं उसको धीरे धीरे चूस रहा था.
मैंने अपना मुंह उसकी चूत से निकाल कर उसके मोटे मम्मों पर रख दिया और उसके चुचूकों को मज़ा लेकर चूसने लगा.उधर देखा तो हिना भी अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे अंडरवियर के पीछे लगी हुई थी, उसको जैसे ही उतारा तो मेरा गुसाया हुआ लंड टन से सीधा खड़ा हो गया.
मेरा लंड अब निर्मला की चूत में घुस रहा था और बाहर से घर्षण रगड़ण कर रहा था.मैंने अपने मुंह को निर्मला के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ को चूसने लगा, उसकी जीभ भी मेरे मुंह में प्रवेश कर रही थी. अब मैंने निर्मला को उसके चूतड़ों से उठाया और अपनी बाँहों में लेकर उसको पलंग पर लिटा दिया, फ़िर मैं उसकी गोल और सफ़ेद गुदाज़ झांगों में बैठ कर अपने लंड का उसकी चूत में गृह प्रवेश करवा दिया..
मैंने हिना को इशारा किया कि वो निर्मला के मम्मों को चूसे.जैसे ही लंड कुछ अंदर जा कर सारा निरीक्षण परीक्षण कर बैठा तो मैंने लंड से धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा निकाल कर सिर्फ अगली टिप अंदर रख के मैं फिर पूरा अंदर धकेल देता था, एक दो बार लंड को बाहर निकाल कर उसकी भग को थोड़ा लंड से रगड़ा और फिर पूरा घुसेड़ दिया.
इसी क्रम से मैंने निर्मला को चोदना शुरू किया और थोड़ी मेहनत के बाद पहला नतीजा सामने आया जब निर्मला कांपती हुई झड़ गई और मुझको अपने से चपटा लिया.अब मैंने उसको अपने जांघों के ऊपर बिठा लिया बगैर लंड को निकाले, उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसको आगे पीछे करने लगा और साथ ही उसके मम्मों को चूसने लगा.
हिना उसके पीछे बैठ गई और उसको आगे पीछे होने में मदद करने लगी, मैं कभी उसके लबों को चूसता और कभी उसकी जीभ के चुसके लेता, वो काफ़ी ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर से धक्के मार रही थी.मैंने उसको कस कर जफ़्फ़ी मारी हुई थी और उसके मम्मों को अपनी छाती से क्रश किया हुआ था.इस पोज़ में भी वो ज़्यादा देर नहीं टिक सकी और जल्दी ही ‘ओह्ह्ह आआह’ कह कर उसने अपना सर मेरे कंधे पर लुढ़का दिया और कम्कम्पाते हुई चूत से ढेर सारा पानी गिरा दिया.
मैंने देखा वो काफी थक चुकी थी तो मैंने उसको लेट जाने दिया.मैं उठा और हिना के पीछे पड़ गया क्यूंकि मेरा लाला लंडम बहुत ही खूंखार मूड में था. मैं हिना को लेकर बेड में आ गया, निर्मला के पास ही उसको घोड़ी बनने के लिए कहा और खुद पीछे से उस पर बड़ा तीव्र हमला बोल दिया.निर्मला भी यह खेल देख रही थी.
मैं लंड को पूरा हिना की चूत में अंदर डाल कर आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर. हिना की चूत भी पूरी तरह से पनिया रही थी तो उसको भी चोदने का अलग ही आनन्द था, दोनों की चूत का पूरा हालाते हाजरा भी मिल रहा था, निर्मला की चूत ज़्यादा खुली और लचकीली थी लेकिन हिना की चूत टाइट और रसीली थी, निर्मला काफी सालों से ब्याहता थी लेकिन हिना तो अनब्याही थी.
मेरे धीमे धक्के अब तेज़ी में बदल रहे थे और मैं घोड़ी की लगाम अब कस के रख रहा था और साथ ही उसको थोड़ी ढील भी दे रहा था, वो भी अब आगे से पीछे को धक्के मारने लगी, जिसका मतलब साफ़ था कि वो भी अब छुटाई की कगार पर पहुँच चुकी थी.मेरी चुदाई की स्पीड एकदम से बहुत तेज़ और फिर बहुत धीमी होने लगी, इस प्रकार मैंने हिना को जल्दी ही छूटा दिया.

कहानी जारी रहेगी.

 
लेडी प्रोफेसर की सन्तान की चाह

मेरा लाला लंडम बहुत ही खूंखार मूड में था. मैं हिना को लेकर बेड में आ गया, निर्मला के पास ही उसको घोड़ी बनने के लिए कहा और खुद पीछे से उस पर बड़ा तीव्र हमला बोल दिया.निर्मला भी यह खेल देख रही थी.
मैं लंड को पूरा हिना की चूत में अंदर डाल कर आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर. हिना की चूत भी पूरी तरह से पनिया रही थी तो उसको भी चोदने का अलग ही आनन्द था, दोनों की चूत का पूरा हालाते हाजरा भी मिल रहा था, निर्मला की चूत ज़्यादा खुली और लचकीली थी लेकिन हिना की चूत टाइट और रसीली थी, निर्मला काफी सालों से ब्याहता थी लेकिन हिना तो अनब्याही थी.
मेरे धीमे धक्के अब तेज़ी में बदल रहे थे और मैं घोड़ी की लगाम अब कस के रख रहा था और साथ ही उसको थोड़ी ढील भी दे रहा था, वो भी अब आगे से पीछे को धक्के मारने लगी, जिसका मतलब साफ़ था कि वो भी अब छुटाई की कगार पर पहुँच चुकी थी.मेरी चुदाई की स्पीड एकदम से बहुत तेज़ और फिर बहुत धीमी होने लगी, इस प्रकार मैंने हिना को जल्दी ही छूटा दिया.
उधर देखा तो निर्मला अब अपनी ऊँगली चूत में डाल रही थी जो हरकत मेरे लंड को पसंद नहीं आई.
मैंने लेट कर निर्मला को अपने ऊपर आने के लिए निमंत्रित किया जिसको उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया. मैं लेटा था और वो मेरे ऊपर बैठी थी और खुले आम वो मुझ गरीब को चोद रही थी.मौका देख कर मैं उसके मम्मों के साथ खेल रहा था या फिर उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसकी भग को मसल रहा था.

ऐसा करने से निर्मला का मज़ा दुगना हो रहा था लेकिन मुझको काफी आलखन मिल रहा था और मुझको ऐसा लग रहा था कि मेरी मोटरसाइकिल निर्मला के गेराज में खड़ी है और उसकी चूत उसकी सफाई कर रही हो.थोड़ी देर बाद गेराज वाली चूत पकड़ धकड़ में लग गई और फिर आखिर में उस गेराज में लगे फ़व्वारे खुल गए और मेरी मोटरसाइकिल की पूरी धुलाई हो गई.यानि निर्मला एक बार फिर झड़ गई और उतर के सीधे मेरे मुंह से अपना मुंह चिपका लिया.
हिना जो पास ही खड़ी थी वो निर्मला के हटते ही मेरे लौड़े पर झपट पड़ी और उसको मुंह में ले कर चूसने लगी जैसे मलाई वाले पान की ग्लोरी हो!जब हिना ने पूरी मलाई चाट ली तो मैंने पूछा- क्यों देवियो? बस करें या फिर अभी और मैच खेलने की इच्छा है?निर्मला मेरे मज़ाक को समझ गई और हँसते हुए बोली- बस अब और नहीं, सारे प्लेयर्स बहुत थक गए हैं.हिना ने अभी भी मेरे लौड़े को पकड़ा हुआ था तो मैंने उससे प्रार्थना की- आप कृपा कर हमारे बॉलर को तो छोड़ दें, वो बेचारा घर जाए!
कपड़े पहन कर बैठे ही थे कि हिना ने चाय मंगवा ली और हम सब गर्म गर्म चाय पीने लगे.
फिर निर्मला बोली- जैसा कि मैंने बताया था, मेरी माँ बनने की बहुत इच्छा है लेकिन कोई साधन नहीं जुट रहा है.मैं बोला- कैसा साधन जुटाने की कोशिश कर रही हैं मैडम आप?निर्मला बोली- किसी पुरुष की मदद से गर्भाधान हो सके तो अच्छा है!मैं बोला- अगर आप संजीदा हैं तो मैं इसकी राह सुझा सकता हूँ.निर्मला बोली- कैसी राह?
मैं बोला- हमारी कोठी में एक हाउसकीपर है वो काफी होशियार दाई भी है, आप चाहें तो उससे मैं आपको मिलवा सकता हूँ, आगे वो सलाह देगी कि क्या करना है.निर्मला ने खुश होते हुए कहा- बहुत अच्छा, मैं उससे अवश्य मिलना चाहूंगी.मैंने निर्मला और हिना का थैंक्स किया और घर के लिए निकलने लगा की निर्मला बोली- सतीश तुमने किस तरफ जाना है?मैंने अपनी कोठी का पता बता दिया.

 
निर्मला बोली- चलो सतीश, मैं तुमको तुम्हारी कोठी में ड्राप कर देती हूँ मेरे तो रास्ते में पड़ेगी वो!मैं इंकार करता रहा पर वो नहीं मानी और मुझको कार में बिठा लिया, हिना से बाई और थैंक्स किया और ‘फिर कल मिलते हैं’ का वायदा किया.
मेरे घर के पास आते ही वो चौंक कर बोली- अरे यह तो हमारे जानने वाले ठाकुर साहब की कोठी है, क्या तुम उनको जानते हो?मैंने कहा- मैं उनका ही बेटा हूँ.वो बड़ी गर्म जोशी से बोली- वाह सतीश यार, तुम तो अपने ख़ास निकले.मैं भी ख़ुशी से बोला- मैडम जी क्या पता था कि आप हमारी जानकार निकलेगी, अंदर आइये, मैं आपको नैना से मिलवाता हूँ.
वो नानुकर करने लगी लेकिन मैं भी ज़बरदस्ती उनको अपनी कोठी में ले आया.चोकीदार लखन लाल ने सलाम किया.
फिर मैं मैडम को लेकर बैठक में आ गया और जल्दी ही नैना भी वहाँ आ गई.मैंने उनका परिचय कराया और उनकी प्रॉब्लम भी बताई तो नैना बोली- अगर आप कल आ जाएँ तो मैं आपका पूरा चेकअप कर लूंगी और उसके बाद सोचेंगे कि क्या करना है.
अगले दिन निर्मला मैडम मेरे साथ ही मेरे घर आ गई.खाना खाने से पहले नैना उनको लेकर मेरे बेडरूम में चली गई और आधे घंटे बाद वापस आई.नैना ने आते ही कहा- मैडम तो बिल्कुल ठीक हैं, जो भी कमी है वो इनके पति में होगी.
मैं बोला- फिर क्या सोचा मैडम जी?निर्मला मैडम बोली- नैना का सुझाव है कि मैं किसी दूसरे मर्द द्वारा गर्भाधान कर लूँ. लेकिन ऐसा मर्द मुझको कहाँ से मिलेगा?नैना बोली- अगर आप बुरा ना मानें तो मेरा सुझाव है कि छोटे मालिक यह काम भली भांति कर सकते हैं.निर्मला मैडम बोली- लेकिन यहाँ छोटे मालिक कहा मिलेंगे और वो क्यों तैयार होंगे इस काम के लिए?
नैना और मैं ज़ोर से हंस दिये और मैडम हमको हैरानी से देख रही थी.निर्मला मैडम बोली- आप दोनों हंस क्यों रहे हैं? क्या मैंने कुछ गलत कह दिया?नैना हँसते हुए बोली- अरे मैडम छोटे मालिक तो आपके सामने ही खड़े हैं, और आप इन का थोड़ा सा लुत्फ़ भी ले चुकी हैं आज!मैडम हैरानी से बोली- तुम्हारा मतलब छोटे मालिक सतीश है क्या?मैं मुस्कराते हुए बोला- आपका सेवक मैडम, आपके सामने खड़ा है.
निर्मला मैडम इतनी खुश हुई कि आगे बढ़ कर मुझ को गले लगा लिया और मेरे लबों पर चुम्मियों का अम्बार लगा दिया.वो सारे घटना चक्र से घबरा गई और सोफे पर बैठ गई और नैना उसके लिए कोक ले आई.थोड़ी देर बाद वो संयत हो गई.
मैडम बोली- नैना क्या तुम जानती हो तुम क्या कह रही हो? क्या सतीश गर्भाधान कर सकेगा?नैना फिर हंसने लगी और बोली- ऐसा है मैडम जी, सबसे पहले इस छोटे मालिक ने मुझको गर्भवती किया, इसके बाद कम कम से इस सांड नुमा छोटे मालिक ने अब तक 10 औरतों को गर्भवती किया है और सब की सब ने इन से गर्भधारण केवल अपनी मर्ज़ी से किया है, इन्होंने कभी भी किसी लड़की या स्त्री को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ ना तो यौन क्रिया की है न उसको गर्भाधान किया है.
मैडम बोली- वो तो मैंने आज हिना के बंगले में देख लिया है, इसने मुझसे 3-4 बार सेक्स किया है लेकिन एक बार भी इसका नहीं छूटा था मेरे या फिर हिना के अंदर. ऐसा क्यों?नैना बोली- छोटे मालिक को मैंने सेक्स ट्रेनिंग दी है बचपन से और इनको अपने पर पूरा कंट्रोल करना सिखाया है. इसलिए जब तक इनकी मर्ज़ी ना हो यह कभी नहीं छुटाते.
मैडम अभी भी हैरान थी और हैरानगी से सर हिलाते हुए बोली- कुछ विश्वास नहीं हो रहा, लेकिन मैं तो आज सतीश का जलवा देख चुकी हूँ, अच्छा नैना, मुझको आगे क्या करना होगा?नैना मैडम को एक तरफ ले गई और कुछ पूछा जिसका जवाब मैडम ने दे दिया.
नैना बोली- मैडम, अभी समय ठीक नहीं है आप इस काम के लिए कम से कम 20 दिन इंतज़ार कर लीजिये फिर आपका काम शुरू करेंगे. ठीक है? इस बीच आप जब चाहें, सतीश के साथ यहाँ आ सकती है.

कहानी जारी रहेगी.

 
मेरी मौसेरी बहन की चूत

अभी हम यह बातें कर ही रहे थे की फ़ोन की घंटी बजी.मैंने फ़ोन सुना और वो मम्मी जी का था.
हाल चाल पूछने के बाद वो बोली- सतीश, वो कानपुर वाली मौसी जी और उनकी दो बेटियाँ वहाँ लखनऊ आ रही हैं, वो कुछ दिन वहाँ ठहरने का प्रोग्राम बना रही हैं, कह रही थी कि वे हमारी कोठी में ठहरना चाहती हैं, बेटा, मैंने हाँ कर दी है, उनका ख़ास ख्याल रखना. वो नैना अगर तेरे नज़दीक है तो उसको फ़ोन देना, मैं उसको समझा देती हूँ.मैं बोला- ठीक है मम्मी जी!यह कह कर मैंने फ़ोन नैना को दे दिया.
फ़ोन पर बात करने के बाद नैना बोली- छोटे मालिक, आपने अपनी मौसी को पहले देख रखा है क्या?मैंने कहा- हाँ देखा है कई बार, क्यों?नैना बोली- मालकिन कह रही थी कि वो थोड़ी सनकी हैं, उनकी बातों का बुरा ना मानना आप सब!मैं बोला- हाँ हैं तो थोड़ी सनकी लेकिन ऐसी डरने की को कोई बात नहीं, मैं उनको संभाल लूँगा. हाँ आज रात को तुम दोनों चुदवा लेना नहीं तो काफी दिन टाइम नहीं मिलने वाला. मैंने भी आज की चुदाई में नहीं छुटाया सो रात को तुम्हारी या फिर पारो की चूत को हरा करना है.
अगले दिन कॉलेज से वापस आया तो मौसी और उसकी बेटियाँ अभी तक नहीं आई थी. मैं खाने पर उनका इंतज़ार करने लगा.थोड़ी देर बाद ही चौकीदार लखनलाल मौसी जी और उनकी बेटियों का सामान ले कर अंदर आ गया.

मौसी जी से चरणवंदना के बाद उनकी दोनों बेटियों की तरफ देखा तो दोनों ही सुन्दर और स्मार्ट लगी, साड़ी ब्लाउज में दोनों ही काफी अछी लग रही थी.मिल कर हेलो हॉय हुई और मैंने अपना नाम बताया और उन दोनों ने भी अपने नाम बताये, बड़की का नाम मीना और छोटी का नाम टीना था.
मीना थोड़ी ठहरे हुए स्वभाव की थी और टीना काफी चंचल थी लेकिन दोनों थी बहुत ही बातूनी. मीना कानपुर में गर्ल्स कॉलेज में इंटर के फाइनल में थी और टीना मेरी तरह फर्स्ट ईयर में थी.मीना उम्र में भी मुझ से साल दो साल बड़ी थीं. ये मौसी जी मेरी मम्मी के रिश्ते में बहन थी, मेरी सगी मौसी नहीं थी.
उन्होंने आते ही अपना सनकीपन दिखाना शुरू कर दिया.वो रसोई में गई और पारो को बोली- जितने दिन हम यहाँ हैं, खाना हम से पूछ कर बनाया जायेगा और सिर्फ कुछ चुनी हुई सब्जियाँ ही बनेगी, मीट रोज़ बनेगा और वो भी सिर्फ बकरे का!मौसी ने यह भी बताया कि कल मौसा जी भी आ रहे हैं तो उनका कमरा तैयार कर दिया जाये.
नैना ने मेरे साथ वाला कमरा लड़कियों को दिया था और उनसे काफी दूर वाला कमरा मौसी के लिए तैयार किया गया था.वो मौसी को लेकर दोनों कमरे उनको दिखा आई और मौसी को दोनों ही कमरे पसंद आ गए थे.
उस रात कुछ नहीं हुआ सिवाय इसके कि हम तीनों काफी देर मेरे कमरे में बैठ कर गपशप करते रहे.मीना ने कई बार कोशिश कि वो मेरी आँखों में आँखें डाल कर बात कर सके लेकिन मैंने उसको ज़्यादा छूट नहीं दी.
अगले दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो मौसा जी भी पहुँच चुके थे, उनसे मिल कर चरण स्पर्श किया और पूछा- आपको अपना कमरा पसंद आया है न?तब मौसी ने बताया कि वो बड़की मीना की सगाई पक्की करने आये हैं, यहीं लखनऊ का लड़का है और अपना कारोबार है.मैंने ख़ुशी का इज़हार किया और फिर हम सबने मिल कर खाना खाया.
आते जाते दो बार मीना से मेरी टक्कर होते होते रह गई और हर बार वो मेरी बाँहों में आकर झूल जाती थी.मैं समझ गया कि मीना टक्कर के अलावा भी कुछ और चाहती है.अगली बार जब वो मेरे रास्ते से गुज़री तो मैं सावधानी से एक साइड हो गया लेकिन वो जानबूझ कर मेरे लौड़े को हाथ से छूते हुए निकल गई.अब जब मौका लगा तो मैं भी साइड से निकलते हुए उसके चूतड़ों को हाथ लगाता गया.
थोड़ी देर बाद वो फिर मुझको रास्ते में मिली और इस बार उसने जानबूझ कर अपना बायां मुम्मा मेरी बाज़ू से टकरा दिया.मैंने मुड़ कर उसको देखा और फिर अपने कमरे में चला गया.वो भी इधर उधर देखती हुई मेरे पीछे मेरे कमरे में घुस आई और आते ही मुझको कस के जफ़्फ़ी मार दी और लबों पर चुम्मी जड़ कर फ़ौरन भाग कर कमरे से बाहर निकल गई.
मैं कुछ हैरान था, फिर मैं सोचने लगा कि यह तो गेम खेल रही है, मैंने भी सोचा कि चलो इसके साथ गेम ही खेल लेते हैं.

 
खाने के समय भी हम दोनों डाइनिंग टेबल पर आमने सामने बैठे हुए थे, टेबल पर टेबल क्लॉथ पड़ा हुआ था, मीना उसके नीचे से मेरी जांघों में अपना पैर टिका कर बैठी हुई थी और बार बार मेरे लंड को पैर से छू रही थी.
खाना खाकर हम जब अपने कमरे में आये तो पता चला कि मौसा मौसी कहीं बाहर जा रहे थे.जैसे ही वो गेट के बाहर हुए तो मीना और टीना दोनों दौड़ कर मेरे कमरे में आ गई और मेरे कमरे का निरीक्षण करने लगी. मैं भी उनको बहुत मना कर रहा था लेकिन वो मान ही नहीं रही थी.
तब मैं मीना के पीछे अपना पैंट में से खड़े लंड को उसके साड़ी से ढके चूतड़ों में टिका कर खड़ा हो गया. वो भी मेरे लंड को महसूस कर रही थी और उसने भी धीरे धीरे अपने चूतड़ों को हिलाना शुरू कर दिया.उधर टीना हम दोनों के खेल से अनजान मेरी किताबों को देख रही थी.
मीना ज़्यादा भरे हुए शरीर वाली और उभरे चूतड़ों और मोटे सॉलिड मुम्मों वाली लड़की थी. मीना ने इस लंड चूत के घर्षण का आनन्द लेना शुरू कर दिया, अब उसने अपना बायां हाथ मेरे लंड पर रख दिया और सहलाने लगी.
मैंने उसके कान में कहा- अगर तुम चाहो तो और भी ज़्यादा आनन्द लिया जा सकता है.उसने बगैर मुड़े ही फुसफुसा दिया- कैसे और कहाँ?मैं बोला- मैं जा रहा हूँ और तुम थोड़ी दूर से मेरे पीछे आना शुरू कर दो और टीना को भी बता आना कि तुम यहीं हो.
उसने हामी में सर हिला दिया और मैं चुपके से बाहर निकल आया और चलते चलते पीछे मुड़ कर भी देखता रहा कि मीना आ रही है न!मैं चुपके से चलते हुए पीछे के एक कमरे में चला गया जिसका दरवाज़ा खुला रहता था.थोड़ी देर बाद मीना भी वहाँ आ गई और मैंने झट से उसको अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया.
अब मैंने उसको कस कर आलिंगन में ले लिया और उसके लबों पर एक बहुत ही हॉट किस करने लगा और अपने हाथों को उसके मोटे चूतड़ों पर फेरने लगा, ब्लाउज के बाहर से ही मैं उसके मुम्मों को किस करने लगा.
वो भी मेरे लौड़े पर टूट पड़ी और पैंट के बटन खोलकर मेरे खड़े लौड़े को अपने हाथ में लेकर मुठी मारने लगी.अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सका और मीना की साड़ी को ऊपर कर के उसकी चूत को सहलाने लगा, उसकी बालों से भरी चूत एकदम रंगारंग हो रही थी.
मैंने भी पैंट को नीचे सरकाया और लाल मोटे लंड को निकाल लिया और मीना को पलंग पर हाथ रखवाकर खड़ा किया और उसकी चूत को सामने कर लिया और अपने लंड का निशाना साध कर उसकी चूत में पूरी ताकत से डाल दिया.जैसे ही लंड चूत में गया, मीना का मुंह खुल गया और वो आँखें बंद कर चुदाई का मज़ा लेने लगी..
मैंने भी लंड की धक्काशाही तेज़ कर दी और अँधाधुंध लंडबाज़ी शुरू कर दी.इस धक्कमपेल में मीना दो बार छूट गई और दूसरी बार छूटने के बाद उसने खुद ही जल्दी से चूत पर पर्दा गिरा दिया यानि साड़ी नीचे कर के बाहर की तरफ भागी.
यह कमरा असल में हमारा स्पेयर गेस्ट रूम था लेकिन पूरी तरह से सामान से सुसज्जित था. इस कमरे के बारे में सिर्फ मैं और नैना ही जानते थे.जब मैं कमरे में वापस पहुँचा तो टीना वहीं बैठी हुई मेरी किताब को पढ़ रही थी.मैं पलंग पर लेट गया और सोच ही रहा था कि अच्छा हुआ मीना की चुदाई का किसी को पता नहीं चला.
तभी टीना बोली- दीदी का काम कर दिया सतीश?मैं घबरा कर बोला- दीदी का कौन सा काम?मीना बोली- वही… जिसके लिए तुम पर दीदी बार बार दाना फैंक रही थी?मैं बोला- कौन सा दाना और कैसा दाना? बताओ न प्लीज?टीना बोली- तुम मेरे सामने प्लीज वलीज़ ना करो और सीधे से बताओ कि मेरी बारी कब की है?मैं बोला- कौन सी बारी और कैसी बारी?
टीना चेयर से उठी और मेरे बेड पर आ कर बैठ गई और आते ही मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल कर उसको घूरने लगी और फिर बोली- अच्छा है मोटा भी है और लम्बा भी है, मुझको कब चखा रहे हो यह केला?मैं चुप रहा और फिर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा, हँसते हुए बोला- तुम दोनों बहनें कमाल की चीज़ हो.टीना बोली- मैं रात को आपका केला खाने आ रही हूँ.

कहानी जारी रहेगी.

 
दोनों बहनों की चूत चुदाई

टीना बोली- दीदी का काम कर दिया सतीश?मैं घबरा कर बोला- दीदी का कौन सा काम?मीना बोली- वही… जिसके लिए तुम पर दीदी बार बार दाना फैंक रही थी?मैं बोला- कौन सा दाना और कैसा दाना? बताओ न प्लीज?टीना बोली- तुम मेरे सामने प्लीज वलीज़ ना करो और सीधे से बताओ कि मेरी बारी कब की है?मैं बोला- कौन सी बारी और कैसी बारी?
टीना चेयर से उठी और मेरे बेड पर आ कर बैठ गई और आते ही मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल कर उसको घूरने लगी और फिर बोली- अच्छा है मोटा भी है और लम्बा भी है, मुझको कब चखा रहे हो यह केला?मैं चुप रहा और फिर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा, हँसते हुए बोला- तुम दोनों बहनें कमाल की चीज़ हो.टीना बोली- मैं रात को आपका केला खाने आ रही हूँ.
मैं बोला- मौसी जी और मौसा जी भी तो हैं क्या उनका डर नहीं है तुम को?टीना बोली- उनको मैं संभाल लूंगी वैसे भी दोनों रात को नींद की दवाई खा कर सोते हैं सो उनको कुछ पता नहीं चलेगा.मैं बोला- मीना को तो पता चल जाएगा न उसका क्या करोगी?टीना बोली- हम दोनों एक दूसरी से कुछ भी नहीं छुपाती.मैं बोला- इतना भरोसा है तो आ जाओ अभी कुछ नमूना पेश कर देते हैं!टीना बोली- ठहरो, मैं ज़रा देख कर आती हूँ कि मीना क्या कर रही है.
यह कह कर टीना गई और जल्दी ही वापस आ गई और बोली- मीना तो सो रही है तुमसे सेक्स करवाने के बाद शायद थक गई होगी.जल्दी से उसने भी अपनी साड़ी ऊपर उठा दी और मैं उसकी काली झांटों से भरी चूत को साफ़ देख सकता था, काफी उभरी हुई चूत थी.उसने मेरे लौड़े को पैंट से निकाला और झट से मेरे ऊपर बैठ गई, अपने आप ही उसने मेरे लंड को अपनी टाइट चूत में डाला और मेरे गले में बाहों को डाल कर ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगी.मैंने उसके छोटे गोल चूतड़ों को अपने हाथ में थामा हुआ था और वो मज़े से झूला झूल रही थी.
उसकी चूत टाइट और बहुत ही रसीली थी और अपनी बड़ी बहन से वो ज़्यादा जानकार और चुदक्कड़ लगी. 5-6 मिन्ट में वो झड़ गई और मेरे जिस्म से चिपक कर हल्के से काम्पने लगी.लेकिन अभी उसका मज़ा पूरा नहीं हुआ था, मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर पैंट और शर्ट पहने ही चढ़ गया, उसके छोटे और गोल मुम्मों को हाथ से सहलाने लगा और फिर मैंने उसको ठीक ढंग से चोदना शुरू किया.तेज़ और धीमे धक्कों से मैं उसको फिर छूटने के कगार पर ले आया, पूरा निकाल कर पूरा अंदर डालने लगा और वो चंद मिनटों में फिर से झड़ गई.मैं जल्दी से उसके ऊपर से उठा और अपने कपड़े ठीक ठाक करने लगा और वो भी साड़ी नीचे कर के कमरे के बाहर हो गई.

उसके जाने के बाद नैना कमरे में आई और मुस्कराते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, दोनों लड़कियों का काँटा खींच दिया आपने?मैंने हैरान होकर उससे पूछा- तुमको कैसे पता चला नैना डार्लिंग? तुम तो सारा टाइम बाहर थी ना!नैना हँसते हुए बोली- मुझ से कुछ नहीं छुपा रहता, मैंने इन लड़कियों को कल ही भांप लिया था कि दोनों ही चुदक्कड़ हैं और फिर लंच पर आपके साथ वो जो कुछ कर रही थी उसको मैं दबी आँखों से देख रही थी.
मैं बोला- वो दोनों रात को भी आने का प्रोग्राम बनाना चाहती हैं लेकिन मुझको डर लग रहा है मौसी से, वो बड़ी ही तेज़ है.नैना बोली- वही तो, मेरी मानो तो इनसे दूर रहो तो अच्छा है.मैं बोला- वो टीना कह रही थी कि मौसी और मौसा जी रात को सोने की दवाई खा कर सोते हैं, तो उनको कुछ पता नहीं चलता है.नैना बोली- छोटे मालिक, आप की क्या मर्ज़ी है? दोनों को चोद तो बैठे हो, क्या अभी और चोदने की इच्छा है?मैं बोला- वो तो जल्दी जल्दी की चुदाई थी, मज़ा नहीं आया ख़ास… तुम कहो तो रात को उन दोनों के साथ फिर हो जाए?
नैना मेरी मर्ज़ी जान गई थी, बोली- ठीक है मैं उन दोनों का इंतज़ाम कर दूंगी और मौसा मौसी को भी संभाल लूंगी.मैं बोला- नैना रानी, तुम वाकयी में हीरा हो मेरे दिल में बसे प्यार का ज़खीरा हो.रात को पारो ने खाना इस कदर लज़ीज़ बनाया कि सबने बड़ी तारीफ की ख़ास तौर से मौसा जी ने!
खाना खाने के बाद हम बच्चे बैठक में ही बैठ कर बातें करने लगे और वहीं नैना ने उन दोनों बहनों की मर्ज़ी जानने की कोशिश की.मीना बोली- 12 बजे तक मम्मी पापा गोली खाकर बड़ी गहरी नींद में सो जाते हैं, उस टाइम हम दोनों सतीश के कमरे में आने वाली हैं.नैना बोली- वो तो ठीक है लेकिन अगर कहीं मौसी जाग गई तो फिर क्या होगा?मीना बोली- हम अभी उनके कमरे में जाएंगी और वो खुद मेरे हाथ से रोज़ की तरह अपनी दवाई खाएंगे. तब तो कोई प्रॉब्लम नहीं नैना दीदी?

 
नैना मुस्कराते हुए बोली- क्या कानपुर में भी यही सिस्टम था?टीना हँसते हुए बोली- काफी अरसे से यही सिस्टम चल रहा है, आप मुस्करा क्यों रहीं हैं दीदी?नैना बोली- तभी शायद तुम्हारे मित्र घर में आते होंगे तुम दोनों का कल्याण करने.मीना और टीना भी यह सुन कर मुस्कराने लगी.
फिर हम थोड़ी देर यों हीं ही बातें करते रहे और फिर दोनों उठ कर अपने कमरे में चली गई और मौसी भी एक बार सारे घर का क्कर लगा आई.नैना मौसी के जाने के बाद मेरे कमरे में आ आकर बैठ गई.मैंने पूछा- नैना तुमको मालूम था कि मौसी घर का चक्कर लगाएगी?नैना बोली- मालूम तो नहीं था लेकिन ऐसा अंदाजा था कि शायद मौसी घर का चक्कर लगाएगी.
इतने में दोनों बहनें अपनी अपनी अपनी नाइटी पहन कर आ गई मेरे कमरे में और वहाँ नैना को देख कर चकरा गई.मैंने कहा- नैना दीदी से आप लोग घबराओ नहीं, वो हमारे साथ ही रहेंगी और हम सबकी मदद भी करेंगी. पहले कमरे का दरवाज़ा तो बंद कर आओ प्लीज.मीना जा कर दरवाज़ा बंद कर आई.
मैं उठा और सबसे पहले मीना और टीना को होटों पर एक एक किस की और दोनों को बारी बारी से जफ़्फ़ी भी डाली.नैना उठ कर आ गई और मीना की नाइटी उतारने लगी और उसके बाद उसने टीना की भी नाइटी उतार दी.फिर उसने मेरा पजामा और कुरता भी उतार दिया.जब हम तीनो नंगे हो गए तो वो खुद भी अपने कपड़े उतारने लगी.
अब हम सब एक दूसरे को देखने लगे. मीना का जिस्म थोड़ा मोटापा लिए हुए था और टीना का जिस्म एक कच्ची कली की तरह लग रहा था. दोनों की चूतें काले और घने बालों से ढकी हुई थी, मीना के मुम्मे काफी सुन्दर लग रहे थे, एकदम सफ़ेद और मुलायम!टीना के मुम्मे अभी काफी छोटे लेकिन सॉलिड लग रहे थे. ऐसा लगता था कि दोनों बहनों के मुम्मों की चुसाई ज़्यादा नहीं हुई थी.
टीना और मीना ने जब नैना को नग्न देखा तो उनके मुख से अपने आप ही ऊऊह्ह्ह निकल गया.दोनों नैना के पास गईं और उसके शरीर के साथ खेलने लगी, उसके मुम्मों, चूतड़ों से वो बहुत ही प्रभावित हुई थी.नैना ने भी उसके मुम्मों को हाथ लगा कर देखा कि कैसे हैं.
नैना पहले मीना को ले आई मेरे पास, उसने आते ही प्रगाढ़ आलिंगन किया मुझको और फिर मैं उसके लबों को चूसने लगा.मीना से मैंने पूछा- तुम मुझ से बहुत बड़ी हो इसलिए पूछता हूँ कि कैसे मुझसे चुदना पसंद करोगी?मीना ने मेरे लौड़े को देखा और उसको हाथ में लिया और फिर झुक कर उसको मुंह में लिया और थोड़ा सा चूसा और फिर खड़ी हो गई और बोली- लगता तो है कि यह लम्बी दौड़ का घोड़ा है, सबसे पहले मैं इस घोड़े पर खुद सवारी करूंगी.नैना ने कहा- ठीक है आ जाओ मैदान में!
मैं जा कर बेड में लेट गया, मीना आई मेरे दोनों तरफ टांगें रख कर बैठ गई और मेरा खड़ा लंड अपनी चूत में डाल लिया. मैं बड़े शांत भाव से लेटा रहा और उसको अपने घुड़सवारी के अहंकार को मिटाने के उपाय सोचता रहा.मीना ने लंड अंदर डालने की कारवाई पूरी की और अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी, उसकी चूत काफी टाइट थी और गीली भी कुछ कम थी, तो रगड़ ज्यादा रही थी.मैं उसके मुम्मों को छूने लगा और चूचियों के साथ गोलम गोलाई का खेल खलने लगा.
मीना ने धीरे से शुरू करके अब अपनी स्पीड बढ़ा दी थी और आँखें बंद कर के ऊपर नीचे हो रही थी और उसके हर धक्के का असर उसके मोटे मुम्मों पर पड़ रहा था जो उछल रहे थे बेरोकटोक!मैं और नैना उसके मुम्मों का नाटक देख रहे थे.लेकिन नैना अपने हाथ से टीना की चूत को गर्म कर रही थी और हल्के से उसकी भग को रगड़ रही थी.
मीना 5 मिन्ट ऐसे ही मुझको चोदती रही और फिर उसके मुंह से यह शब्द निकल रहे थे- मार दूंगी साले, तुझ को छोडूंगी नहीं, हर बार बीच में छोड़ जाता है भड़वे.ऐसी बातों के साथ वो पागलों की तरह चोद रही थी मुझको!मैं और नैना थोड़ी हैरानी से उसके इस अजीब रवैये को देख रहे थे..
फुल स्पीड से ऊपर नीचे होते हुए वो एक ज़ोर की चीख मार कर मेरे ऊपर पसर गई और उसका जिस्म ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगा. मैंने उसको एक कस के जफ़्फ़ी भी डाली हुई थी फिर भी वो बेहद कांप रही थी.
नैना टीना को बुला लाई और उससे कहने लगी- यह देख यह क्या हो रहा है तेरी बहन को?टीना बड़े आलखन से बोली- दीदी को ऐसे ही होता है जब इसका छूट जाता है. आप फ़िक्र ना करें, अभी ठीक हो जायेगी.मैं भी उठ कर नैना के पीछे खड़ा हो गया और मेरा मोटा खड़ा लंड नैना की गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था.यह देख कर टीना जल्दी से आई और नैना को हटा कर खुद खड़ी हो गई.मेरी नज़र तो मीना के नज़ारे पर लगी हुई थी तो मैंने ध्यान नहीं दिया.
टीना अब मेरे लौड़े को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी और उसको अपनी चूत पर भी रगड़ने लगी.मैंने नैना की तरफ देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि मैं टीना के साथ शुरू हो जाऊँ.टीना से पूछा- कैसे चुदवाना है?तो वो बोली- घोड़ी बन कर यार सतीश!

 
उधर नैना मीना को होश में लाने की कोशिश कर रही थी और उसके गले और मुंह पर पानी के छींटे मर रही थी. थोड़ी देर में वो कुछ संयत हुई.टीना अपनी बहन की बीमारी की परवाह किये बगैर चुदाई के लिए घोड़ी बन गई थी और मुझको जल्दी घोड़ी पर चढ़ने के लिए उकसा रही थी.मैं बड़ी बेदिली से टीना पर चढ़ा और बगैर कुछ सोचे समझे चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी. जितनी तेज़ी से मैं उसको चोद रहा था वो और भी तेज़ी के लिए मुझको उकसा रही थी.
मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथो में कस कर पकड़ा और अंधाधुंध चुदाई शुरू कर दी, टीना ज़ोर से चिल्लाने लगी- तेज़ और तेज़!नैना उठी और और टीना के मुंह पर हाथ रख दिया और कहा- साली सबको जगा देगी, धीरे बोल!पर उस पर कोई असर नहीं पड़ा और वो अपने चूतड़ तेज़ी से मेरे लंड की स्पीड के साथ मैच करते हुई चुदवा रही थी.मैंने अब गहरे और तेज़ धक्के शुरू किए और साथ में उसके भग को भी हाथ से मसलना शुरू किया.
भग का मसलना जैसे निशाने पर तीर लगाना था, वो कुछ ही क्षण में ‘यह जा वो जा’ हो गई और वहीं ढेर हो गई.नैना ने दोनों को कोकाकोला पिलाया और उनके कमरे में छोड़ आई.मैंने कहा- नैना रानी वो तो दोनों बेकार निकली. अब क्या होगा?
नैना मुस्कराते हुए बोली- मैं हूँ न छोटे मालिक, चलो जी भर के चोदते हैं एक दूसरे को!नैना गई और दरवाज़ा बंद कर आई और फिर शुरू हुई गुरु और शिष्य की जंग-ऐ-आज़म!
अगले दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया और बैठक में गया तो पता चला कि मौसा मौसी कल कानपुर वापस जा रहे हैं.उनसे पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.मैंने मीना से पूछा तो वो बोली- सगाई वाली बात पूरी नहीं हो सकी है तो हम वापस जा रहे हैं.
मीना ने मुझको बैठक में अकेले देखा तो मेरे पास आकर बोली- आज रात एक बार फिर से मेरी चूत चुदाई दो ना सतीश.मैं बोला- मीना, कभी नहीं, तुम को चोदना तो बहुत ही खतरनाक साबित हुआ, तुमको तो अपने ऊपर कंट्रोल ही नहीं.मीना बोली- नहीं, ऐसा है तुमने मेरे साथ बहुत अरसे के बाद सैक्स किया बल्कि किसी पुरुष ने मेरे साथ बहुत अरसे बाद सैक्स किया था तो उस कारण मैं अपना आपा खो बैठी थी.
मैं बोला- बिलकुल नहीं, तुम्हारे साथ चुदाई करना बहुत ही महंगा पड़ सकता है.मीना बोली- प्लीज सतीश, सिर्फ एक बार कर दो ना?मैं बोला- क्या कर दूँ? बोलो तो सही, क्या चाहती हो तुम मुझसे?मीना बेशरम हो कर बोली- तुम्हारा लंड चाहिए मुझको.
यह शोर सुन कर नैना भी आ गई वहाँ- क्या बात है? क्यों शोर मचा रही हो तुम?मैं बोला- इसको मेरा लंड चाहिए और आज ही!नैना बोली- चुप रहो छोटे मालिक, मैं बात कर रहीं हूँ ना, आप जाओ न यहाँ से!नैना मीना को लेकर दूसरे कमरे में चली गई.
और फिर थोड़ी देर बाद मेरे कमरे में आ कर बोली- छोटे मालिक, अब थोड़ा सब्र से काम लीजिये. मैंने उसको समझा दिया है वो रात को एक बार चुदाई के लिए आयेगी. उसकी इच्छा पूरी कर देना, नहीं तो ख्वामखाह में यह बवाल खड़ा कर देगी.
रात को जब मौसा मौसी सो गए तो नैना मीना को लाई और मैं जब गहरी नींद सोया हुआ था उसने उसको मेरे खड़े लंड से चुदवा दिया.बाद में नैना ने बताया कि मीना आई थी और 3 बार अपना छूटा कर चली गई थी.

कहानी जारी रहेगी.

 
लेडी प्रोफेसर की चूत

अगले दिन कॉलेज गया तो हिना गेट पर ही मिल गई और बोली- सतीश मैडम तुम को याद कर रही थी, लंच टाइम में उनको प्रोफेसर्स के कमरे में मिल लेना.मैंने हामी में सर हिला दिया और अपनी क्लास में चला गया.
इंटरवल में मैं निर्मला मैडम से मिलने चला गया, वो अपने कमरे में अकेली ही बैठी थी तो मुझको देख कर बोली- थैंक यू सतीश, मैंने तुमको यह पूछने के लिये बुलाया है कि क्या तुम आज शाम फ्री हो?मैं बोला- हाँ मैडम, अभी तक तो कोई प्रोग्राम नहीं बनाया है, आप बताओ क्या काम है?मैडम बोली- आज छुट्टी के बाद मेरे साथ मेरे घर चल सकते हो क्या?मैं बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं. आप कब जाने का सोच रही हैं?निर्मला मैडम बोली- यही 2 बजे के करीब, वहीं तुम खाना भी खा लेना.मैं बोला- ठीक है मैडम.
छुट्टी के वक्त मैडम मेरा कार के पास इंतज़ार कर रही थी, रास्ते में मैडम ने बताया कि उनके पति कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना आज सतीश को अपना घर दिखा दूँ.मैं समझ गया कि घर देखने का तो बहाना है असली काम तो वही चोदम चोदाई है.

मैडम बोली- क्यों सतीश, तुमको बुरा तो नहीं लगा मेरा ऐसे बुलाना?मैं बोला- नहीं मैडम, मुझको क्यों बुरा लगता? आप इतनी सुन्दर हैं कोई भी आपका दीवाना हो जाए!मैडम हंसती हुए बोली- अच्छा तुमको तारीफ करना भी आता है. क्या यह नैना ने ही ही सिखाया है?मैं भी हँसते हुए बोला- नहीं मैडम, कुछ कुछ तो सोहबत और संगत ने सिखा दिया है.जल्दी ही हम मैडम के बंगले में पहुँच गए.
बैठक में बैठे ही थे कि उनकी नौकरानी शर्बत के गिलास लेकर आई, मैंने नौकरानी की तरफ कोई ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.खाने से फारिग होकर हम बैडरूम में आ गए.इधर उधर की बातें चल ही रही थी कि वही नौकरानी भी बैडरूम में आ गई.
उसको देख कर मैडम ने कहा- सतीश तुम को ऐतराज़ तो नहीं अगर मेरी निम्मो भी कमरे में हमारी हेल्प के लिए रहे?मैं बोला- नहीं नहीं मैडम. जैसा आप चाहें वही करें!अब मैंने निम्मो को ध्यान से देखा और देख कर हैरान रह गया कि वो तो बिल्कुल नैना की कॉपी लग रही थी.
मैंने मैडम से पूछा- यह निम्मो तो हमारी नैना जैसी ही लग रही है. कौन से गाँव की है?निम्मो बोली- मेरा गाँव यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है, 3-4 घण्टे में बस से पहुँच जाते हैं.मैं बोला- गाँव का नाम क्या है?निम्मो ने गाओं का नाम बता दिया.
मैं सुन कर हैरान हो गया क्यूंकि वो तो हमारे ही गाँव का नाम ले रही थी, मैंने उससे पूछा- क्या तुम नैना को जानती हो?निम्मो बोली- हाँ वो तो मेरी चचेरी बहन है.मैं बोला- तुम को मालूम है वो आजकल कहाँ रहती है?निम्मो बोली- सुना था कि वो गाँव छोड़ कर कहीं चली गई है.
मैंने मैडम की तरफ देखा और वो समझ गई कि हमारे घर वाली नैना ही इसकी बहन है.लेकिन वो चुप रही और निम्मो से बोली- चलो शुरू हो जाओ निम्मो.
निम्मो मैडम के कपड़े उतारने लगी लेकिन मैंने उसको रोक दिया और खुद ही यह काम करने लगा.पहले मैडम की सिल्क की साड़ी उतारी धीरे धीरे और फिर उसके ब्लाउज को खोलने लगा लेकिन साथ साथ ही मैं मैडम के लबों पर गरमा गरम चुम्बन भी देने लगा.
मैडम का कद शायद 5 फ़ीट 5 इंच था लेकिन मेरे साथ वो एकदम फिट बैठ रही थी, उनका जिस्म भरा हुआ था, हर हिस्सा साँचे में ढला हुआ लग रहा था, कमर और पेट एकदम स्पाट और मुम्मे मस्त गोल और एकदम सीधे अकड़े हुए लग रहे थे जो 28-30 साल की उम्र में अक्सर कम ही होता है.
मैंने उनके मुम्मों को ब्लाउज के बाहर से चूसना चूसना शुरू किया और एक हाथ उनके गोल और मोटे चूतड़ों पर रख दिया और उन को धीरे से मसलने लगा.उधर निम्मो मेरे कपड़े उतारने लगी थी, पहले कमीज और फिर पैंट उतार कर वो मेरे अंडरवियर को उतार रही थी. उसका मुंह मेरे लंड की सीध में था और जैसे ही उसने अंडरवियर को हटाया, मेरा खड़ा लंड उसके मुंह पर ज़ोर से लगा और वो पीछे की तरफ गिर गई.
यह देख कर मैडम हंसने लगी लेकिन मैं संजीदा हो रहा था और उससे प्यार से पूछा- निम्मो जी कहीं चोट तो नहीं लगी?निम्मो पहले तो हैरान हुई और फिर ज़ोर से हंसने लगी और बोली- वाह, क्या लंड है, आँख पड़ते ही मारने लगा है यह तो?यह कह कर वो मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
मैं मैडम ब्लाउज का उतार चुका था और उसकी सिल्क की ब्रा से ढके गोल मोटे और सॉलिड मुम्मों को तारीफ की नज़रों से देख रहा था. फिर वो सिल्की ब्रा भी हटा दी और वो दोनों कबूतर की तरह बाहर उछल कर निकले, तभी मैं मैडम के मुम्मों का मैं आशिक हो गया.पेटीकोट उतारा तो मैडम की बालों से भरी हुई उभरी चूत को देख कर मैं उसका शैदाई हो गया.मैं थोड़ा सा हट कर मैडम को ध्यान से देखने लगा.

 
Back
Top