desiaks
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कॉलेज की लेडी प्रोफेसर
सब लड़कियों के जाने के बाद मैं और नैना बैठक में बैठे थे और सोच रहे थे कि हमारा जीवन किस दिशा की ओर जा रहा है.कॉलेज ग्रुप सेक्स तो एक बुरा एक्सपेरीमेंट था क्योंकि मैं समझता हूँ सबसे कमज़ोर कड़ी वो लड़के थे जिनको इस ग्रुप में शामिल किया गया था.हिना ने बगैर उनकी कार्य कुशलता जाने ही उनको इस काम के लिए चुन कर बहुत बड़ी गलती की.
जब मैंने नैना से पूछा तो वो भी इसी विचार की थी.फिर मैंने उससे पूछा कि उसका जो अपना क्लिनिक खुलने वाला था उसका क्या हुआ?उसका जवाब था कि कोई खास पूछताछ नहीं हुई है हालाँकि उसने एक दो दाइयों को कहा भी था.
मैंने नैना से पूछा- वो सेठानियों का फ़ोन या वो खुद नहीं आई क्या?नैना मुस्कराते हुए बोली- अगले अफ्ते उनका चेकअप होना है, देखो तब कुछ बात हो सके, क्या आपको उनकी चाहिये?मैं बोला- देखो नैना, तुम्हारे अलावा अगर कोई खूबसूरत औरत या लड़की मेरे जीवन में आई है तो वो हैं रानी और प्रेमा, उनके जैसा शरीर न मैंने अभी तक देखा है और ना देखने की कोई उम्मीद है.नैना बोली- ठीक है आज हम दोनों आपको चोदेंगी और आपका सारा रस निकाल कर ले जाएंगी. वैसे छोटे मालिक, आज शाम को मैं आपकी नज़र भी उतार दूंगी.
अगले दिन मैं टाइम पर कॉलेज चला गया. लंच इंटरवल में मुझको हिना मिल गई और मुझको लेकर कॉलेज के गार्डन में घूमने लगी.घूमते हुए उसने कहा कि आज छुट्टी के बाद मैं उसके साथ उसके घर में चलूँ, एक ज़रूरी काम है.मैंने पूछा- वही काम है क्या?हिना हँसते हुए बोली- नहीं सतीश यार, तुमको किसी ख़ास बन्दे से मिलवाना है.मैं बोला- बन्दा या बंदी?हिना बोली- वहीं देख लेना न कि वो बंदा है या बंदी?मैं बोला- ठीक है, मैं नैना को फ़ोन पर बता देता हूँ कि शाम हो जायेगी मुझको घर आते हुए.
कॉलेज की छुट्टी के बाद मुझको अपनी कार में लेकर हिना अपने बंगले में पहुँच गई.उस वक्त बंगले में उसकी एक मेड थी और एक कुक थी और बाकी परिवार के सदस्य शहर के बाहर गए हुए थे.उसकी नौकरानी शरबत ले आई और हम पीने लगे.
तभी कोठी में एक और कार आ कर रुकी और एक स्मार्ट लेडी उस में से निकल कर बैठक मैं आई.हिना ने उठ कर उनका स्वागत किया.मैं फ़ौरन पहचान गया कि वो तो हमारे कॉलेज की प्रोफेसर थी, मैंने भी उठ कर उनको नमस्कार किया.
हिना ने कहा- मैडम, यह सतीश है अपने ही कॉलेज में प्रथम साल का आर्ट्स का छात्र है. और सतीश, तुम तो मैडम को तो जानते ही होगे.मैंने कहा- मैडम को कौन नहीं जानता.मैडम बोली- अरे यार, तुम तो फॉर्मल हो गए हो, हम तो अभी कॉलेज से बाहर हैं न, मेरा नाम निर्मला है, उससे ही पुकारो तुम दोनों.मैं बोला- जैसा आप कहें निर्मला मैडम!तब तक मेड कोल्डड्रिंक ले आई थी.
हिना बोली- सतीश, निर्मला मैडम यहाँ एक ख़ास मकसद से आईं हैं. वो मैं खाना खाने के बाद बताऊँगी, चलिए खाना लग गया है.
हम सब उठ कर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए और काफी स्वादिष्ट खाना खाने लगे लेकिन मैं इस खाने का पारो के बनाये खाने से मिलान करता रहा और पाया कि पारो के हाथ का खाना ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है.खाने से फ़ारिग़ होकर हम फिर बैठक में आकर बैठ गए.
तब हिना बोली- निर्मला मैडम बेचारी बड़ी मुसीबत में हैं, उनके पति उनकी इच्छा को पूरा नहीं कर पाते क्यूंकि वो ज़्यादा समय अपने कारोबार में बिजी रहते हैं.यह कह कर हिना मेरी तरफ देखने लगी लेकिन मैं मुंह झुका कर चुप बैठा रहा.हिना फिर बोली- उनकी प्रॉब्लम को समझ रहे हो सतीश?मैं बोला- समझ तो रहा हूँ लेकिन मैं उनकी क्या मदद कर सकता हूँ इस मामले में?हिना बोली- वही जो तुम अक्सर सबकी करते हो?मैं बोला- क्या मदद चाहिए और कब चाहिए यह निर्मला मैडम को कहने दो हिना प्लीज!
निर्मला मैडम सर झुका कर बैठी रही लेकिन उसके चेहरे के हाव भाव से लग रहा था कि वे काफी दुखी हैं.मेरा मन तो किया कह दूँ कि मैं मदद के लिए तैयार हूँ लेकिन फिर नैना के शब्द मन में गूँज रहे थे कि जब तक कोई भी औरत स्वयं यौन संबंध के लिए नहीं कहे, मुझको आगे नहीं बढ़ना चाहिए.मैंने कहा- निर्मला मैडम जी, मैं हर प्रकार से आप की सहायता करने के लिए तैयार हूँ लेकिन आप कुछ बताएँ तो सही?
निर्मला मैडम मेरी तरफ देखते हुए बोली- मैं सेक्स की प्यासी हूँ. मेरे पति मेरा बिल्कुल ध्यान नहीं देते और आज 10 साल से मेरे घर बच्चा नहीं हुआ क्योंकि मेरे पति को सेक्स के प्रति कोई लगाव ही नहीं, न उनमें इसकी कोई इच्छा है लेकिन मैं उनसे तलाक भी नहीं ले सकती.यह कहते हुए निर्मला मैडम फूट फूट कर रोने लगी.
सब लड़कियों के जाने के बाद मैं और नैना बैठक में बैठे थे और सोच रहे थे कि हमारा जीवन किस दिशा की ओर जा रहा है.कॉलेज ग्रुप सेक्स तो एक बुरा एक्सपेरीमेंट था क्योंकि मैं समझता हूँ सबसे कमज़ोर कड़ी वो लड़के थे जिनको इस ग्रुप में शामिल किया गया था.हिना ने बगैर उनकी कार्य कुशलता जाने ही उनको इस काम के लिए चुन कर बहुत बड़ी गलती की.
जब मैंने नैना से पूछा तो वो भी इसी विचार की थी.फिर मैंने उससे पूछा कि उसका जो अपना क्लिनिक खुलने वाला था उसका क्या हुआ?उसका जवाब था कि कोई खास पूछताछ नहीं हुई है हालाँकि उसने एक दो दाइयों को कहा भी था.
मैंने नैना से पूछा- वो सेठानियों का फ़ोन या वो खुद नहीं आई क्या?नैना मुस्कराते हुए बोली- अगले अफ्ते उनका चेकअप होना है, देखो तब कुछ बात हो सके, क्या आपको उनकी चाहिये?मैं बोला- देखो नैना, तुम्हारे अलावा अगर कोई खूबसूरत औरत या लड़की मेरे जीवन में आई है तो वो हैं रानी और प्रेमा, उनके जैसा शरीर न मैंने अभी तक देखा है और ना देखने की कोई उम्मीद है.नैना बोली- ठीक है आज हम दोनों आपको चोदेंगी और आपका सारा रस निकाल कर ले जाएंगी. वैसे छोटे मालिक, आज शाम को मैं आपकी नज़र भी उतार दूंगी.
अगले दिन मैं टाइम पर कॉलेज चला गया. लंच इंटरवल में मुझको हिना मिल गई और मुझको लेकर कॉलेज के गार्डन में घूमने लगी.घूमते हुए उसने कहा कि आज छुट्टी के बाद मैं उसके साथ उसके घर में चलूँ, एक ज़रूरी काम है.मैंने पूछा- वही काम है क्या?हिना हँसते हुए बोली- नहीं सतीश यार, तुमको किसी ख़ास बन्दे से मिलवाना है.मैं बोला- बन्दा या बंदी?हिना बोली- वहीं देख लेना न कि वो बंदा है या बंदी?मैं बोला- ठीक है, मैं नैना को फ़ोन पर बता देता हूँ कि शाम हो जायेगी मुझको घर आते हुए.
कॉलेज की छुट्टी के बाद मुझको अपनी कार में लेकर हिना अपने बंगले में पहुँच गई.उस वक्त बंगले में उसकी एक मेड थी और एक कुक थी और बाकी परिवार के सदस्य शहर के बाहर गए हुए थे.उसकी नौकरानी शरबत ले आई और हम पीने लगे.
तभी कोठी में एक और कार आ कर रुकी और एक स्मार्ट लेडी उस में से निकल कर बैठक मैं आई.हिना ने उठ कर उनका स्वागत किया.मैं फ़ौरन पहचान गया कि वो तो हमारे कॉलेज की प्रोफेसर थी, मैंने भी उठ कर उनको नमस्कार किया.
हिना ने कहा- मैडम, यह सतीश है अपने ही कॉलेज में प्रथम साल का आर्ट्स का छात्र है. और सतीश, तुम तो मैडम को तो जानते ही होगे.मैंने कहा- मैडम को कौन नहीं जानता.मैडम बोली- अरे यार, तुम तो फॉर्मल हो गए हो, हम तो अभी कॉलेज से बाहर हैं न, मेरा नाम निर्मला है, उससे ही पुकारो तुम दोनों.मैं बोला- जैसा आप कहें निर्मला मैडम!तब तक मेड कोल्डड्रिंक ले आई थी.
हिना बोली- सतीश, निर्मला मैडम यहाँ एक ख़ास मकसद से आईं हैं. वो मैं खाना खाने के बाद बताऊँगी, चलिए खाना लग गया है.
हम सब उठ कर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए और काफी स्वादिष्ट खाना खाने लगे लेकिन मैं इस खाने का पारो के बनाये खाने से मिलान करता रहा और पाया कि पारो के हाथ का खाना ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है.खाने से फ़ारिग़ होकर हम फिर बैठक में आकर बैठ गए.
तब हिना बोली- निर्मला मैडम बेचारी बड़ी मुसीबत में हैं, उनके पति उनकी इच्छा को पूरा नहीं कर पाते क्यूंकि वो ज़्यादा समय अपने कारोबार में बिजी रहते हैं.यह कह कर हिना मेरी तरफ देखने लगी लेकिन मैं मुंह झुका कर चुप बैठा रहा.हिना फिर बोली- उनकी प्रॉब्लम को समझ रहे हो सतीश?मैं बोला- समझ तो रहा हूँ लेकिन मैं उनकी क्या मदद कर सकता हूँ इस मामले में?हिना बोली- वही जो तुम अक्सर सबकी करते हो?मैं बोला- क्या मदद चाहिए और कब चाहिए यह निर्मला मैडम को कहने दो हिना प्लीज!
निर्मला मैडम सर झुका कर बैठी रही लेकिन उसके चेहरे के हाव भाव से लग रहा था कि वे काफी दुखी हैं.मेरा मन तो किया कह दूँ कि मैं मदद के लिए तैयार हूँ लेकिन फिर नैना के शब्द मन में गूँज रहे थे कि जब तक कोई भी औरत स्वयं यौन संबंध के लिए नहीं कहे, मुझको आगे नहीं बढ़ना चाहिए.मैंने कहा- निर्मला मैडम जी, मैं हर प्रकार से आप की सहायता करने के लिए तैयार हूँ लेकिन आप कुछ बताएँ तो सही?
निर्मला मैडम मेरी तरफ देखते हुए बोली- मैं सेक्स की प्यासी हूँ. मेरे पति मेरा बिल्कुल ध्यान नहीं देते और आज 10 साल से मेरे घर बच्चा नहीं हुआ क्योंकि मेरे पति को सेक्स के प्रति कोई लगाव ही नहीं, न उनमें इसकी कोई इच्छा है लेकिन मैं उनसे तलाक भी नहीं ले सकती.यह कहते हुए निर्मला मैडम फूट फूट कर रोने लगी.