XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें - Page 20 - SexBaba
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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें

भाभी बोली- नहीं सतीश, मैंने तो यूँ ही तुमको अपने पास रहने के लिए बुला लिया यह समझ कर कि बड़ा नादान छोकरा है और मेरे पति देव को भी तुम पर पूरा भरोसा था तो उन्होंने ही यह फैसला किया कि सतीश को रात अपने यहाँ सुला लेते हैं क्यूंकि तुम बड़े भोले लगे उनको!मैं बोला- मैं बड़ा भोला ही था ना भाभी, नहीं तो मैं भैया के जाते ही शुरू न हो जाता? आपकी कामुकता, आँखों की प्यास तो मैंने पढ़ ली थी जब आप मेरे घर में आई थी.
फिर मैंने उठ कर कमरे की लाइट ओन कर दी और उस लाइट में भाभी का शरीर देखा जो निहायत ही खूबसूरत था, उनके मुखड़े से लेकर शुरू करने पर यही लगा कि साँचे में ढला हुआ है शरीर का हर अंग!चेहरे और शरीर का खिलता हुआ गोरा रंग और गोल सॉलिड मुम्मों जो अभी भी अपनी पूरी सख्ती में थे और उनका एकदम स्पॉट पेट और नीचे काले बालों से ढका हुआ योनि द्वार और उस के पीछे गोल और उभरे हुए सॉलिड नितम्ब! बहुत खूब!
मैंने कहा- भाभी जी, आपको तो कई चोदू मिल जाते अगर आप कोशिश करती तो… लेकिन आपके पति भी काफी हैंडसम हैं फिर किस चीज़ की कमी है आपको जो आप अभी भी प्यासी घूम रहीं हैं?
भाभी एक ठंडी आह भरते हुए बोली- मेरा भाग्य मेरे साथ धोखा कर गया, मेरे पति जो सबको हैंडसम लगते हैं, वो अंदर से खोखले हैं और पूरे लौंडेबाज हैं, और किसी औरत के काम के नहीं है.मैं हैरान होकर बोला- सच कह रही हैं भाभी? वाह री किस्मत… आपका यह सुन्दर शरीर और पति लड़कों के चक्कर में!
अब मैंने भाभी को गले लगा लिया और उनके लबों पर एक गर्म चुम्मी जड़ दी.मैं फिर से भाभी को गर्म करने लगा, उनकी चूत में ऊँगली से उनकी भग को मसला और मुम्मों को चूसने लगा और जब मुझको लगा कि वो पुनः जोश में आ रही है तो मैंने पूछा- क्यों भाभी, कैसे चुदना पसंद करोगी? मेरे ऊपर से या फिर घोड़ी बन कर या फिर बैठ कर या फिर लेट कर?भाभी बोली- यह सब तरीके आते हैं तुमको सतीश यार? तुम तो लगता है, चुदाई के मास्टर हो! क्यूँ? मैं तो बहुत ही कम तरीके जानती हूँ क्योंकि मुझको सिवाए मेरे पति के और किसी ने अभी तक नहीं चोदा. पति जब शराब पी लेते है तो वो मुझको थोड़ा बहुत चोद लेते हैं, वैसे कभी नहीं. और तब भी पता ही नहीं चलता कि कब शुरू किया और कब ख़त्म हो गए वो! बहुत जल्दी झड़ जाते हैं.
मैं बोला- बहुत ही दुःख हुआ कि इतना सुंदर सोने की तरह का आपका शरीर और अभी तक पति ने ठीक से नहीं भोगा है इस बेचारे को! फिर भी बताइये ना भाभी, कौन सा आसन पसंद है ज़्यादा आपको?भाभी थोड़ी शर्माते हुए बोली- मुझको तो इनका कोई ख़ास ज्ञान नहीं, जो तुम ठीक समझो वही कर दो!
मैं बोला- वैसे भाभी, आपका नाम क्या है?भाभी बोली- मेरा नाम इन्दू है सतीश, और तुम्हारा पूरा नाम क्या है?मैंने कहा- मेरा नाम सोमेश्वर है. तो शुरू करें?इन्दू भाभी बोली- कर सकोगे दुबारा इतनी जल्दी?
मैं खड़ा हो गया और अपने खड़े लंड के दर्शन इन्दू भाभी को करवाये और कहा- आप जब हुक्म करेंगी यह ससुर खड़ा हो जाएगा और आपके हुस्न को सलामी देगा.इन्दू भाभी बोली- सही कह रहे हो या फिर मेरी टांग खींच रहे हो?मैं बोला- हाथ कंगन को आरसी क्या उर्दू पढ़े को फ़ारसी क्या… तो फिर आ जाओ मैदान में इन्दू जी!
इन्दू भाभी बोली- मैं तो मैदान में ही हूँ मेरी तो खुली है जब चाहो डाल दो!मैं बोला- क्या खुली है? और क्या डाल दूँ?इन्दू बोली- वही जो मेरी है और वो ही जो तुम्हारा है?मैं हंस पड़ा- नहीं इन्दू भाभी, नाम लेकर कहो कि किस में क्या डाल दूँ?इन्दू बोली- मुझको भाभी ना कहो सतीश!
मैं बोला- अच्छा जी चलो नहीं कहते, फिर भी बोलिए ना क्या नाम है इनका?इन्दू थोड़ा शरमाती हुई बोली- चूत बोलते हैं मेरी वाली को और लंड तुम्हारे वाले को… क्यों ठीक है ना?मैं बोला- बिलकुल ठीक, और याद रखना इन्दू भाभी इन दोनों के नाम क्यूंकि यही दोनों आपका उद्धार करेंगे.
और यह कह कर मैं इन्दू को फिर से तैयार करने में लग गया, उनको लिटा कर मैंने पहले उनके मुम्मों को चूसा और फिर स्पाट पेट से होता हुआ इन्दू की चूत पर आ गया और उसमें मुंह डाल कर उसको भरपूर चूसा और बार बार उसके भग को मुंह में लेकर उसको गोल गोल घुमा दिया.
मैंने इन्दू की तरफ देखा, उनकी कमर एकदम उठ कर मेरे मुंह से जुड़ी हुई थी और वो आनन्द के मारे भाव विभोर हो कर अपनी टाँगों में मेरे मुंह को जकड़ रही थी.इन्दू का कम से कम दो बार मेरे मुंह में ही छूट चुका था, अब मैंने उनको घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया और मैंने इतने ज़ोर से धक्के मारे कि वो फिर एक बार झड़ गई और उसके बाद बोली- सतीश यार, अब और नहीं, तुमने मेरी महीनों की गर्मी निकाल दी.यह कह कर हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में ही सो गए.
सवेरे जब हम उठे तो मैं इन्दू की ख़ूबसूरती देख कर फिर से उनको चोदने के लिए उन पर चढ़ गया और आलखन से हल्के हल्के धक्कों में ही मैंने इन्दू को एक बार फिर छूटने पर मजबूर कर दिया.
अपने घर जाने से पहले मैंने इन्दू से पूछा कि क्या उनको बच्चे की बहुत तीव्र इच्छा है?इन्दू बोली- ईश्वर की सौगंध, मैं अपने बच्चे के लिए तड़प रही हूँ और मैं उसके लिए कुछ भी कर सकती हूँ!मैं बोला- तो फिर ठीक है, तुम आज हमारी मेड नैना से मिल लेना, वह एक ट्रेंड दाई और नर्स भी है. शायद वो तुम्हारी कोई मदद कर सके. मैं उसको बोल दूंगा कि तुम उससे मिलने आओगी लेकिन तुमको उस पर पूरा भरोसा रखना होगा! मंज़ूर है क्या?इन्दू बोली- ठीक है, मैं वैसा ही करूंगी जैसा वो कहेगी!
इस बात के बाद मैं अपनी कोठी में आ गया और नैना मेरे लिए चाय ले आई और चाय पीते हुए मैंने उसको रात की सारी कहानी बता दी और यह भी कहा- इन्दू आज तुमसे मिलने आयेगी और हो सके तो उनकी हेल्प कर देना.नैना बोली- तो रात को आपको एक शाही दावत मिली चूत की! वो तो मैं कल ही समझ गई थी कि इन्दू भाभी लंड की प्यासी है लेकिन यह नहीं सोचा था कि इस सुन्दर स्त्री का पति लौण्डेबाज़ होगा. अच्छा आज आपके लिए मुझको स्पेशल नाश्ता बनाना पड़ेगा.नैना के हाथ का बनाया स्पेशल नाश्ता खाकर मैं कॉलेज चला गया.

कहानी जारी रहेगी.

 
मैं बोला- अब कभी मिलना तो हाल ज़रूर पूछ लेना भैया लाल जी का? वैसे कब मिल रही हो तुम उनको?तीनों बोली- मिलना मिलाना तो तुम्हारे हाथ में है या फिर उनके हाथ में है.तीनो हंसती हुई क्लास से चली गई.
छुट्टी के बाद मैं मेन गेट पर इंतज़ार करने लगा.थोड़ी देर में उषा मैडम की कार गेट पर आकर रुकी और मैडम ने मुझको इशारा किया कि अंदर आ जाऊँ.आगे की सीट पर मैडम के साथ कॉलेज की एक लड़की बैठी हुई थी तो मैं पिछली सीट का दरवाज़ा खोल कर कार में बैठ गया.दस मिन्ट में हम मैडम के घर पहुँच गए और उसके साथ हम तीनों अंदर चले गए.
काफी अच्छा सा मकान था और एक नई बनी साफ सुथरी कॉलोनी में था.मैडम ने बैठक में हमें बिठा दिया और खुद ही रसोई से शर्बत ले आई.
फिर उषा मैडम ने कहा- इनसे मिलो, यह अपने ही कॉलेज में बी. ए. की छात्रा है, इनका नाम सुधा है और सुधा, ये सतीश हैं.इन्टर फर्स्ट ईयर के छात्र हैं.हम दोनों ने एक दूसरे को नमस्ते की.उषा मैडम बोली- सुधा भी शौक़ीन लड़की है और मेरे साथ ही रहती है इसी मकान में, जब तुम्हारे साथ प्रोग्राम बना तो सुधा ने इच्छा जताई कि यह भी सतीश से मिलना चाहती है और सारे कार्यक्रम में हिस्सा लेना चाहती है अगर सतीश को कोई ऐतराज़ ना हो तो!मैं बोला- मैडम, जब आपको कोई ऐतराज़ नहीं तो मुझको भला क्या ऐतराज़ हो सकता है. और फिर मैं तो इस कहावत में विश्वास करता हूँ… मोर एंड मेरिएर!उषा मैडम बोली- शाबाश सतीश, मुझे तुमसे यही उम्मीद थी, चलो पहले खाना खा लें.
तब हम सब खाने वाले टेबल पर बैठ गए और सुधा और मैडम ने मिल कर जल्दी ही खाना टेबल पर सजा दिया.खाना बहुत ही अच्छा बना था और जब मैंने खाने की तारीफ की तो मैडम बोली- यह सब सुधा ने बनाया है और मैंने इसकी थोड़ी बहुत हेल्प की है.मैं सच्चे मन से खाने की तारीफ करने लगा और मैंने देखा कि सुधा के चेहरे पर ख़ुशी की एक झलक आई थी और फिर वो नॉर्मल हो गई.
खाना समाप्त करके मैडम मुझको लेकर अपने बेडरूम में आ गई और फिर वो थोड़ी देर के लिए दूसरे कमरे में चली गई.कुछ समय बाद दोनों उसी कमरे में से अपनी नाइटी पहन कर आई और मेरे दोनों तरफ आकर खड़ी हो गई.मैडम बोली- सतीश, क्या हम दोनों तुम्हारे कपड़े उतारने में मदद करें?मैं बोला- कर दीजिये. वैसे मैं अपने कपड़े सिवाय बाथरूम में, अपने आप कभी नहीं उतारता. पर उससे पहले आप दोनों सुंदरियाँ भी अपने नाइटी उतारे दें तो मुझ को बहुत आनन्द आएगा.
मैं कुर्सी पर बैठ गया और यह सेक्सी नज़ारा देखने लगा.दोनों ने एक साथ ही अपनी नाइटी उतार दी और वो दोनों ही एक साथ हलफ नंगी हो गई.
दोनों ही शारीरिक रूप से काफी सुंदर थी, सुधा का शरीर छोटी उम्र के कारण ज़्यादा भरा हुआ नहीं था लेकिन उसकी चूत बालों से भरी थी, छोटे मुम्मे और छोटे ही गोल चूतड़ों से वो एकदम कमसिन लड़की लग रही थी..उधर उषा मैडम का जिस्म भरा हुआ और काफी गठा हुआ था जैसा कि मैं पहले भी देख चुका था और चूत एकदम सफाचट थी.
अब सुधा आगे बढ़ी और मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए, जब मेरे शरीर पर मेरा अंडरवियर ही रह गया तो मैंने तब उषा मैडम को घूर कर देखा और वो समझ गई और शर्माते हुए मुस्कराने लगी.जैसे ही सुधा ने नीचे बैठ कर मेरा अंडरवियर को उतारा तो मेरा खड़ा लंड एकदम आज़ाद होकर उछल कर उसके मुंह पर जाकर लगा और डर के मारे चिल्ला पड़ी और जमीन पर गिर गई.
उषा मैडम ज़ोर से हंस पड़ी लेकिन मैं संयत रहा और हाथ पकड़ कर मैंने सुधा को ऊपर उठाया और खींच कर उसको अपने सीने से लगा लिया और उसके लबों पर एक मधुर चुम्बन किया.फिर मैं बोला- सुधा जी, कहीं लगी तो नहीं आपको? मैंने इस साले को कई बार मना किया है कि ऐसे मत उछला कर लेकिन यह ससुर मानता ही नहीं. वैसे यह इसकी प्यार की थपकी है.
अब सुधा भी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी- वाह सतीश राजा, मारा भी तो अपने लंड से, बहुत खूब!
मैंने भी एक भेद भरी नज़र उषा मैडम पर डाली और बोला- सुधा, तुम अकेली ही नहीं हो, इसके शिकार कई और भी बन चुके हैं इस के थप्पड़ों के और इकी प्यार की थपकी के.उषा मैडम ने अपनी नज़र नीचे झुका ली लेकिन उनके लबों पर भी एक हलकी सी मुस्कान थी.

 
मैंने उषा मैडम के सामने झुक कर कहा- ऐ बेगमाते ऐ हिन्द, इस नाचीज़ खादिम के लिए क्या हुक्म है?उषा मैडम भी उसी लहजे में बोली- ऐ ग़ुलाम, तुम आज मेरी और इस लौंडिया की हर तरह से मुराद पूरी करो!मैं भी झुक कर बोला- जो हुक्म मेरी आका!
तब मैडम ने मुझको अपने नज़दीक आने का इशारा किया और मैं सुधा को साथ लेकर मैडम के पास चला गया.मैंने जाते ही सबसे पहले मैडम के लाल होटों को अपने लबों में ले लिया और उनको चूसने लगा.
फिर मैडम को बिस्तर पर लिटा दिया और सुधा को इशारा किया कि वो मैडम के मुम्मों को चूसे और मैंने मैडम की सफाचट चूत पर अपना ध्यान केंद्रित किया और नीचे झुक कर अपने मुंह को उनकी चूत के अंदर डाल दिया और जीभ से चूत के अंदर गोल गोल घुमाने लगा और फिर जीभ से उनकी भग को छेड़ने लगा.ऐसा करते ही मैडम की चूत अपने आप ऊपर उठ कर मेरे मुंह से चिपक गई और सुधा भी मैडम के मुम्मों को चूसने में पूरी मुस्तैदी से लगी रही और जब मैडम का एक बार मुंह से छूट गया तो वो मेरे सर के बालों को पकड़ कर ऊपर आने के लिए प्रेरित करने लगी.
मैंने मैडम की चूत के रस से भीगे अपने मुंह को मैडम के मुंह पर रख दिया और जीभ को मैडम की जीभ से भिड़ाने लगा.सुधा अब मेरे चूतड़ों के साथ खेलने लगी लेकिन मैंने अपना लंड मैडम की चूत के मुंह पर रख दिया और सुधा ने मेरे चूतड़ों को एक धक्का ज़ोर का मारा और लंड लाल पूरा का पूरा अंदर चला गया.
अब मैं बहुत ही धीरे धीरे धक्के मारने लगा और बीच बीच में मैडम के लबों को भी चूसता रहा और सुधा भी जो मेरा अंग उसको खाली लगता वो उसको चूमने और चाटने में लग जाती और इस मदद से मैडम को अपनी चरम सीमा की ओर हम दोनों मिल कर ले जा रहे थे.
जब देखा कि मैडम को काफी आनन्द आ रहा है तो मैंने उसकी टांगों को उठा कर अपने कंधों के ऊपर रख दिया और उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख दिए और अब धक्कों की स्पीड एक दम तेज़ कर दी और इस स्पीड को जारी रखते हुए मैं अपनी पूरी ताकत से मैडम को चोदने लगा.सुधा की तरफ देखा तो वो हैरान हुई यह सारा तमाशा देख रही थी और यह भी देख रही थी कि कैसे मैडम तड़फते हुए इधर उधर अपना सर फैंक रही थी.
मैंने महसूस किया कि मैडम का शरीर अकड़ने की स्टेज पर आ गया है, मैंने अपने धक्कों को स्लो और फ़ास्ट में तब्दील कर दिया और ऐसा करते ही मैडम का शरीर ज़ोर से कांपा और उन्होंने अपनी टांगों को मेरे दोनों और फैला कर मुझको उनमें जकड़ लिया और बहुत ही अजीब आवाज़ करते हुए वो झड़ गई.
मैंने अपना लंड जो मैडम की चूत के रस से पूरी तरह गीला हो चुका था, उसको मैडम की चूत से फट की आवाज़ करते हुए निकाला और सुधा को अपने हाथों में उठा कर बेड की दूसरी तरफ ले जाकर उसको अपने खड़े लौड़े पर बिठा दिया और मेरा गीला लंड एकदम आलखन से सुधा की टाइट चूत में चला गया.
सुधा की चूत बेहद गीली और कामातुर हो रही थी, वो मेरे लंड पर बैठते ही पूरा का पूरा लंड अंदर ले गई और मेरे को एक टाइट जफ्फी मार कर मेरे लबों पर अपने जलते हुए होटों को रख दिया.मैं नीचे से उसको धक्के मार रहा था और उसको इशारा किया कि वो ऊपर से शुरू हो जाए.जल्दी ही हम दोनों एक व्यवस्थित ढंग से एक दूसरे को धक्के मार रहे थे.
मैंने उसके छोटे लेकिन सॉलिड मुम्मों को चूसना शुरू किया और अपने धक्कों की स्पीड बहुत ही धीरे रखी ताकि सुधा को भी पूरा मज़ा आने लगे और वो मेरे गले में बाँहों डाले मेरी आँखों में आँखें डाल कर रोमांटिक ढंग से अपनी चूत चुदवा रही थी.क्यूंकि शायद उसको अभी तक कोई ढंग का साथी नहीं मिला था तो वो काफी सेक्स की प्यासी लगी, और मैं भी उसकी अन्तर्वासना को समझते हुए उसको वैसे ही चोदने लगा.
जब वो पूरी तरह से कामातुर हो गई तो उसकी अपनी स्पीड ही तेज़ होने लगी और मैं रुक गया और उसको अपनी मर्ज़ी करने दी.वो अब जल्दी जल्दी मेरे सामने से आगे पीछे होने लगी और उसकी बाहें मेरे गले में फैली थी और वो उनके सहारे वो मेरे लंड पर झूला झूल रही थी और मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर टिके थे जिनकी मदद से वो झूला झूल रही थी.

 
थोड़ी देर में उसका शरीर थोड़ा अकड़ा और वो एकदम से मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर छूट गई.मैडम अब तक आँखें बंद किये लेटी थी और जब सुधा का छूट गया तो उसकी चूत से बहुत ही पानी निकला और सुधा जल्दी से उठ कर एक छोटा तौलिया ले आई जिससे उसने अपनी चूत का पानी पौंछा जो काफी मात्रा में मेरी जांघों पर लगा था.
मैं भी मैडम की दाईं तरफ लेट गया और सुधा भी साफ़ सफाई करके आकर मेरे दूसरी तरफ लेट गई.वो दोनों तो ऐसी थक कर लेटी थी जैसे वो मीलों चल कर आई हों.
मैंने कोशिश की उषा मैडम को जगाने की, लेकिन ऐसा लगता था कि वो गहरी नींद सो गई थी, लेकिन सुधा अभी भी जाग रही थी और मेरे लौड़े से खेल रही थी.मैंने उससे पूछा- क्या और चुदना है तुमको?उसने भी इंकार में सर हिला दिया लेकिन मैंने कहा- सुधा, एक बार से क्या होगा तुम्हारा, चलो उठो मैं तुमको असली चुदाई का मज़ा देना चाहता हूँ एक गिफ्ट के तौर पर!
और मैंने उसको उठ कर पलंग के किनारे पकड़ कर खड़े होने के लिए कहा. जब उसने वो पोजीशन ले ली तो मैं भी उसके पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत में पीछे से अपने खड़े लंड को अंदर डाल दिया.शुरू में धीरे और हल्के धक्के मारने से जब वो चुदाई का ढंग समझ गई तो मैंने आहिस्ता से धक्कों की स्पीड बढ़ाने लगा और मेरे दोनों हाथ सुधा के मम्मों और उसके गोल छोटे चूतड़ों से खेल रहे थे और कभी कभी उसकी गांड में भी ऊँगली डाल कर उस को और उत्तेजित कर रहे थे.
सुधा अब चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी और उसका सर बार बार उधर घूम रहा था और वो अपने चूतड़ों को स्वयं आगे पीछे करने लगी थी.मैं उसकी चोटी अपने हाथ में लेकर उसके सर को हल्के झटके मारने लगा और वो और भी आनन्द से अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और फिर उसकी चूत में एक अजीब सा उबाल आया और वो हाय हाय करती हुई झड़ गई और उसने अपना सारा शरीर पहले जरा अकड़ा और फिर वो एकदम ढीली पड़ कर पलंग पर लुढ़क गई.
तब तक मैडम भी जाग गई थी, वो भी मेरे पीछे खड़े होकर मुझको जफ्फी डाल रही थी.मैंने उनको सीधा किया और उनके मुंह पर ताबड़तोड़ चुम्मियाँ दे डाली और फिर उनको लेकर मैं बेड पर आ गया और घोड़ी बनने के लिए कहा, उनके गोल और उभरे हुए चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी उभरी चूत के पीछे बैठ कर मैंने अपने अभी भी गीले लंड को उषा मैडम की चूत में घुसेड़ दिया.
मैडम ‘उई…’ कह कर अपनी गांड को इधर उधर करने लगी और जब उनको यकीन हो गया कि मैंने चूत में लौड़े को डाला है तो वो रुक कर उसका आनन्द लेने लगी.घोड़ी की पोजीशन में मर्द का लंड पूरा चूत की आखिरी हिस्से तक जाता है और इस पोजीशन में वीर्य के छूटने से गर्भ की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है.मैडम की चूत पुनः गीली हो चुकी थी, मैं भी जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा और पूरा अंदर बाहर करते हुए मैडम की भग को भी मसलने लगा.
मैडम भी हाय हाय करती रही और बार बार यही कह रही थी- मार डालो मुझको, फाड़ दो मेरी चूत को… साली हलखनज़ादी है.मैंने सुधा की तरफ देखा, वो भी हंस रही थी और हाथ से अपनी चूत में अपने दाने को मसल रही थी.मैंने अब बड़े तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए ताकि मैडम जल्दी ही किनारे लग जाए और फिर मैंने उसकी गांड में अपनी मध्य ऊँगली भी डाल दी.ऐसा करते ही वो एकदम से चिल्लाई और उनका सारा जिस्म अकड़ा और वो फिर ढीली पड़ गई.मैडम की चूत काफी ज़ोर से मेरे लौड़े को पकड़ और छोड़ रही थी जो दूध दोहने की क्रिया के समान होता है जिससे मुझको बड़ा आनन्द आया.अब मैं मैडम के ऊपर से उतरा और सुधा ने मेरे लौड़े को तौलिये से साफ़ किया और मैं उठ कर कपडे पहनने लगा और सुधा ने भी कपड़े पहन लिए और वो मुझको मैडम के कहने पर बाहर तक छोड़ने आई.मैंने नंगी लेटी मैडम को बाय बाय कहा.
मैंने जाने से पहले उसके मुम्मों को हल्के से दबा दिया और चूतड़ों पर चिकोटी भी काट ली. और बाहर निकल गया.सुधा ख़ुशी से हंस पड़ी और बोली- कल मिलना कॉलेज में ज़रूर सतीश यार, मैं तुम्हारा ढंग से शुक्रिया भी नहीं कर सकी.मैं बोला- ज़रूर मिलेंगे.यह कह कर मैं उन के घर से बाहर आ गया और रिक्शा पकड़ कर अपने घर वापस आ गया.

कहानी जारी रहेगी.

 
इन्दू भाभी का गर्भाधान

मैं नहा धोकर कॉलेज चला गया.कॉलेज से वापस आने पर खाना खाते हुए नैना ने बताया- इन्दू भाभी आई थी, उसने अपनी सारी प्रोब्लम बताई हैं और मैंने फिर उसका सारा चेकअप किया, इन्दू भाभी तो बिल्कुल ठीक है और उसको गर्भवती होने में कोई मुश्किल नहीं आयेगी लेकिन जो उसने अपने पति के बारे में बताया है, उससे तो लगता है कि उसका गर्भ धारण करना मुश्किल है.
मैं बोला- फिर उसने क्या तय किया है?नैना बोली- वो तो तुमसे गर्भ धारण करना चाहती है और आजकल उसके लिए गर्भ धारण का उत्तम समय भी है. अब आप बताओ छोटे मालिक, क्या कहते हो?मैं बोला- तुम्हारी क्या सलाह है इस मामले में?नैना बोली- आप कर दो उसका गर्भाधान, अगर आपको कोई ऐतराज़ ना हो तो?मैं बोला- मुझको तो कोई ऐतराज़ नहीं है, कब करना होगा उसका गर्भाधान?नैना बोली- आज दोपहर को कर दो उसका काम छोटे मालिक और फिर वैसे भी आपने रात को उसके घर में रहना ही है.
मैंने पूछा- तुमने इन्दू भाभी से इस बारे में बात पक्की कर ली है क्या?नैना बोली- नहीं, आपसे पूछे बगैर मैं कैसे हाँ कर देती?
मैं बोला- यह काम कहाँ करने का इरादा है?नैना बोली- इन्दू भाभी कह रही थी कि उसके घर में ही कर दो तो अच्छा है!मैं बोला- ठीक है, तुम उससे वहाँ आने की बात पक्की कर लो और फिर थोड़ा रेस्ट करके चलते हैं भाभी के घर में!नैना ने हामी भर दी और थोड़ी देर बाद उसने बताया कि वो हमारा इंतज़ार कर रही है.
मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया और आधे घंटे बाद हम दोनों भाभी के मकान में पहुँच गए जहाँ भाभी हमारा इंतज़ार बेसब्री से कर रही थी.जैसे ही उन्होंने मुझको देखा तो जल्दी से आगे आई और मुझको कस के जफ्फी मारी और मेरे लबों को भी चूमने लगी.

यह देख कर नैना मुस्करा पड़ी और फिर हम सब भाभी की बैठक में आ गए और भाभी वहाँ भी मेरी गोद में ही आकर बैठ गई.मैं भी थोड़ा मदमस्त हो गया था तो निडरता से बोला- क्यों इन्दू भाभी, रात की चुदाई से दिल नहीं भरा क्या?इन्दू भाभी बोली- बहुत भरा, लेकिन अब होने वाली के बारे में सोच कर मन में काफी उथल पुथल हो रही है. सतीश तुम पहले ही बता देते कि यह तुम्हारी नैना तो जादूगर है, इसने मेरी सारी फिकर और परेशानियों को दूर करने के उपाय बता दिए हैं.
नैना बोली- तो फिर शुरू हो जाओ तुम दोनों, कहाँ करना है यह सब?भाभी बोली- उसी कमरे में जिसमें रात सतीश सोया था. चलो, सब वहीं चलते हैं.
हम भाभी के पीछे चलते हुए रात वाले मेरे कमरे में आ गए और तब नैना ने भाभी को घेर लिया और उनके कपड़े एक एक करके उतारने लगी.पहले साड़ी, फिर ब्लाउज और ब्रा और आखिर में उसका पेटीकोट जब उतर गया तो नैना ने उसको धर दबोचा और उसके मम्मों को चूसने लगी और भाभी की बालों भरी चूत में ऊँगली डाल कर उसको तैयार करने में जुट गई और भाभी ने भी एक एक करके नैना के कपड़े उतार दिए.
उन दो नंगी हसीन औरतों को आपस में करते देख कर मेरा लौड़ा भी हिलौरें मारने लगा लेकिन अभी भी वो मेरे कपड़ों में ही कैद था. और जब भाभी की नज़र मेरे पैंट में बने टेंट पर गई तो वो भाग कर आई और उन दोनों ने मिल कर मेरे तन के सारे कपड़े भी उतार दिए और हम ‘एक हमाम में सब नंगे’ वाली कहावत को चरितार्थ करने लगे.
नैना ने भाभी को मेरा लौड़ा चूसने के लिए प्रेरित किया और खुद भी मुझ को लबों पर चुम्मियाँ देने लगी और मेरे भी हाथ नैना के जाने पहचाने चूतड़ों के ऊपर फिसलने लगे.दोनों को देख कर लग रहा था कि भाभी चाहे नैना से साल दो साल बड़ी रही होगी लेकिन शरीर उसका ही बहुत अधिक सुन्दर और सुगठित था और फिर उसका गोरा रंग सोने पर सुहागा का काम कर रहा था.
नैना अब भाभी की चूत को ऊपर कर के उसको चूस रही थी और उसके चूत के लब और भग को जीभ से गोल गोल घुमा रही थी. भाभी अब अपने कंट्रोल में नहीं थी तो उनको मैंने अपने हाथों में उठा कर पलंग पर लिटा दिया और खुद उसकी गोरी जांघों के बीच बैठ कर अपना लंड उसकी चूत के बाहर उसकी भग पर ही रगड़ रहा था, भाभी बार बार अपनी कमर को उठा कर लौड़े को अंदर डालने की कोशिश कर रही थी.

 
लेकिन मैं भी पक्का घाघ था, हर बार लौड़े को उसकी चूत के ऊपर कर देता जिससे वो उनकी चूत के अंदर नहीं जा रहा था.
थोड़ी देर इस तरह की कश्मकश को नैना हँसते हुए देखती रही फिर बोली- छोटे मालिक, देर मत करो भट्टी तप रही है अपना परौंठा सेक लो जल्दी से, नहीं तो कहीं भट्टी ठंडी न पड़ जाए!इन्दू भाभी भी अपनी कमर बार बार लंड के स्वागत के लिए ऊपर कर रही थी, उनको और ना तरसाते हुए मैंने लंड को चूत के मुंह पर रख कर एक करारा धक्का मारा और लंडम जी पूरे अंदर समा गए.अब धीरे धीरे बाहर निकाल कर फिर ज़ोर से अंदर डाला और ऐसा मैंने कम से कम दस बारह बार किया.
दस मिन्ट की तीव्र चूत चुदाई के बाद भाभी का ढेर सारा पानी छूटा और वो मुझसे अपनी पूरी ताकत से चिपक गई और तभी मैंने भी अपने फव्वारे को छोड़ दिया.नैना ने झट से भाभी के चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये लगा दिए और जब उसने इशारा किया तब मैं उसके ऊपर से उतरा और लहलाते हुए खड़े लंड को लेकर नैना के पीछे खड़ा हो गया और जैसे ही उसने अपने चूतड़ों को मेरी तरफ किया मैंने झट से लंड को उसकी चूत में पीछे से घुसेड़ दिया.
नैना की चूत भी वाह वाह गीली हो रही थी, मैं ने भी अपनी धक्काशाही शुरू कर दी और उसकी कमर को अपने लंड से जोड़ कर हल्के और तेज़ धक्कों की स्पीड जारी रखी और थोड़े ही समय में वो अपनी टांगें सिकोड़ते हुए झड़ गई.
अब नैना ने भाभी को आलखन नहीं करने दिया और उनको फिर तैयार करने में जुट गई और थोड़ी देर में वो तैयार हो गई.और नैना ने उसको इस बार घोड़ी बना दिया था और मुझको कहा- महाराज, आपकी सवारी तैयार है, चढ़ जाइये.मैंने भी अपने गीले लंड को तान कर भाभी की घोड़ी वाली गीली चूत में डाल दिया और पहले हल्के धक्कों से शुरू करके फुल स्पीड पकड़ कर भाभी को चोदने लगा और साथ ही उसके गोल उभरे हुए चूतड़ों पर हल्की थाप भी देने लगा.
भाभी अब काफ़ी मस्त हो कर चुदवा रही थी क्यूंकि उनको चुदाई का पूरा आनन्द आने लगा था और उनको पूरा यकीन था कि मैं उनको साथ लिए बगैर और बीच मँझदार में नहीं छोड़ जाऊंगा जैसे कि उसका पति अक्सर करता था.
भारत में बहुत ही कम ही मर्द चुदाई का असली तरीका समझते है और उसका पूरा अनुसरण करते हैं.इसका मुख्य कारण सेक्स के ऊपर लिखी जाने वाली अच्छी सही ज्ञान देने वाली पुस्तकों का अभाव और ज़्यादातर पुरुषों का अनपढ़ होना ही है.
भाभी काफी हिल हिल कर चुदवा रही थी और उसके चूतड़ बहुत ही स्पीड से आगे पीछे हो रहे थे, जिसका मतलब था कि भाभी फिर छूटने की कगार पर थी, अब मैंने धक्कों की स्पीड इतनी तीव्र कर दी कि भाभी को अपने हिलते चूतड़ों को रोकना पड़ा और मेरे तेज़ धक्कों की मार को चुपचाप सहन करना पड़ा.
और जब शीघ्र ही भाभी का छूट गया तो नैना ने मुझको इशारा किया और मैंने अपने फव्वारे को भाभी के गर्भाशय के मुंह पर ही छोड़ा, भाभी इस गर्म पानी की गर्मी को महसूस करती हुए नीचे की तरफ जाने लगी लेकिन मैंने झट से उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया और तब नैना ने जल्दी से उसकी चूत पर रूमाल रख के नीचे तकिया रख दिया और उसको वैसे ही लेटे रहने के लिए कहा.
थोड़ी देर भाभी वैसे ही लेटी रही और नैना मुझको चिड़ाने के लिए भाभी के गोल उभरे हुए नितम्बों पर हाथ फेर रही थी और मुझ को दिखा कर बड़े प्यार से उन पर बार बार चूम कर मुझ और भी चिड़ा रही थी.मैं भी अपना लौड़ा अपने हाथ में लेकर उसको दिखा दिखा कर भाभी के शरीर से रगड़ रहा था.
थोड़ी देर बाद नैना ने भाभी को सीधा किया और उ्नकी चूत पर रखा रुमाल भी हटा दिया जो एकदम से भाभी चूत से निकले पानी और मेरे वीर्य से भरा हुआ था, उसने मुझको वो रुमाल दे दिया सूंघने के लिए और फिर उसने भाभी को कपड़े पहना दिए और सीधा लिटा दिया.हम दोनों भी कपड़े पहन कर अपने घर आ गए.
रास्ते में मैंने नैना से पूछा- यहाँ इससे पहले जो 3 गर्भाधान हुए थे, उनका क्या हुआ?नैना बोली- तीनों ही ठीक चल रहे हैं और तीनों ही मेरे पास आती हैं, मुझको बाकायदा दिखा कर जाती हैं.
मैंने पूछा- और वो तुम्हारी सहेली चंचल का क्या हुआ?नैना बोली- वाह छोटे मालिक, आपको तो सब याद है, चंचल भी गर्भवती हो गई थी आपसे और वो भी ठीक चल रही है. और वो भाभी भैया आये थे न, वो भाभी भी गर्भवती होकर गई थी यहाँ से और बिल्कुल ठीक चल रही हैं.
मैंने पूछा- वो गाँव वालियों का क्या हुआ?नैना बोली- वहाँ 6 को गर्भवती किया था आपने, उनमें से 4 के तो लड़के पैदा हो गए हैं और वो ठीक है और वो दो के भी दिन पूरे हो चुके हैं, किसी दिन भी उनके बच्चा हो जाएगा.
मैं अब घबरा के बोला- उफ़ मेरी माँ!!! इस छोटी उम्र में ही मैं कम से कम 10-12 बच्चों का बाप बन जाऊँगा. मेरा क्या होगा? शुक्र है कि मैं यहाँ किसी भी लड़की के अंदर नहीं छुटाता, वर्ना मेरे तो बच्चों की तादाद बेहिसाब बढ़ जाती?
नैना हंस पड़ी- अब छोटे मालिक, यही आपकी तकदीर में लिखा है शायद, वो भगवान की इच्छा है तो पूरा तो करना पड़ेगा.
मैं अपने कमरे में गया तो नैना भी मेरे पीछे ही आ गई तब मैं ने उसको पकड़ कर एक टाइट जफ्फी डाली और उसके मुम्मों के साथ छेड़छाड़ की और फिर कहा- सच नैना डार्लिंग, तुम न होती तो मेरा तो बंटाधार हो जाता और मैं कई मुसीबतों में फंस जाता. अगर तुम मुझको अपने आप पर कंट्रोल करना नहीं सिखाती तो अभी तक मैं जेल चला गया होता.
नैना मेरी परेशानी समझ रही थी, उसने मुझको तसल्ली देने के लिए मुझको अपनी बाहों में भर लिया और कहा- छोटे मालिक, आप फ़िक्र ना करो, मैं हूँ ना आप के साथ, मैं सब संभाल लूंगी.मैं बोला- वो निर्मला मैडम नहीं आई थी क्या आज?
नैना बोली- उन्होंने कल आना है चेकअप के लिए और वो भी पक्की प्रेग्नेंट हैं.
रात का खाना खाकर मैं फिर इन्दू भाभी के घर चला गया और फिर सारी रात उनको चोदता रहा और सुबह जब उसने तौबा की तो मैंने उसको छोड़ा.आने से पहले वो बोली- सतीश यार, तुम कभी कभी दिन के वक्त यहाँ आ जाया करो और मुझको चोद दिया करो.मैं बोला- ऐसे नहीं भाभी जी, जब आपको बहुत खुजली सताए, आप नैना से बात करके मेरे घर आ जाया करो, मैं आपकी इच्छा पूरी कर दिया करूँगा, कोई प्रॉब्लम नहीं होगी.
और मैं अपने घर आ गया और नहाने धोने में लग गया.

कहानी जारी रहेगी.

 
कॉलेज गर्ल्ज़ जेनी और जस्सी

सुबह उठते ही मम्मी का फ़ोन आया- दशहरे के त्यौहार की छुटियाँ कब हो रही हैं कॉलेज में?मैंने बताया कि शायद अगले हफ्ते होंगी 15 दिनों की छुटियाँ.तब मम्मी बोली- ये छुट्टियाँ तुझको गाँव में बितानी हैं, अभी से कोठी बंद करके आने की
तैयारी करनी शुरू कर लेना.उन्होंने यह भी कहा कि नैना को साथ ले कर आऊँ और पारो को 15 दिन की छुट्टी दे दूँ और इन दिनों की तनख्वाह देकर उसके गाँव भेज दूँ और यह भी कह दूं कि वो छुट्टी खत्म होते ही वापस आ जाए.
मैंने नैना को बुलाया और मम्मी जी की सारी बातें बताई और कहा- अगले हफ्ते गाँव जाने की तैयारी शुरू कर दो.
कॉलेज में सब लड़के लड़कियाँ अपने घरों को जाने की तैयारी में जुट गए थे और कॉलेज में इसी कारण से अच्छी चहल पहल हो रही थी.दिल्ली आगरा ट्रिप की लड़कियाँ जो हमारे ग्रुप में थी लंच ब्रेक में मेरे पास आईं और बोली- सतीश यार, सुना है तुम 15 दिनों के लिए गाँव जा रहे हो तो तुम्हारे पीछे हमारा क्या होगा? हम किसके सहारे रहेंगी?

इन सबमें से आगे जस्सी और जेनी थी.जस्सी कहने लगी कि मेरे पेरेंट्स तो हल्द्वानी के पास एक गाँव में रहते हैं और जेनी बोली कि मेरे पेरेंट्स तो अल्मोड़ा में रहते हैं, हम दोनों का गाँव जाना मुश्किल होगा.मैं बोला- तो फिर आप दोनों क्या चाहती हैं?
दोनों एक दूसरे का मुख देखने लगी और अब मैं उनकी दुविधा समझ गया, शायद वो चाहती थी मेरे साथ मेरे गाँव जाना… लेकिन मेरी प्रॉब्लम यह थी कि मैं उन दोनों के साथ प्रेमालाप कर चुका था और मैं नहीं चाहता था कि गाँव में जाकर मेरे माता पिता को हमारे बारे में कोई शक पड़ जाए या फिर हमसे कोई गलती हो जाए जिससे सारा भेद खुल जाए!
मैंने उन दोनों को कहा- मैं आप दोनों की प्रोब्लम को समझता हूँ लेकिन मैं आज फ़ोन पर अपनी मम्मी से बात करता हूँ, अगर उनको कोई ऐतराज़ नहीं हुआ तो तुम दोनों भी हमारे साथ चल पड़ना. क्यों ठीक है?सब लड़कियाँ ख़ुशी खुशी चली गई.
कॉलेज से लौटने के बाद मैंने सारी बात नैना को बताई और उससे पूछा कि क्या करना चाहिए मुझको?नैना कुछ देर सोचती रही और फिर बोली- इन दोनों को ले जाने में तो कोई दिक्क्त नहीं है लेकिन थोड़ा खतरा है कि कहीं इन लकड़ियों के मुख से कोई ऐसी बात ना निकल जाए जिससे हम सबकी पोजीशन खराब हो जाए. मैं सोचती हूँ अगर हम इन दोनों को सारी बात खोल कर समझा देंगे तो शायद कोई ऐसी गलती होने की सम्भावना कम हो जायेगी.मैं बोला- ठीक कह रही हो तुम, मैं कल इन दोनों को यहाँ खाने और चोदने के लिए बुला लेता हूँ तब सारी बात कर लेंगे इन दोनों से!
यह कह कर मैंने नैना से कहा कि वो खाना खाकर आ जाए तो आगे की सारी बात भी कर लेंगे.जब खाना खत्म करके नैना आई तो मैं बोला- तो तुम समझती हो कि इन दोनों के साथ चलने से और वहाँ 15 दिन रहने से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी ना?नैना बोली- कल आने दो दोनों को, फिर सोचेंगे और मम्मी जी से भी तभी बात करेंगे… क्यों ठीक है?
मैंने नैना के शरीर से खेलते हुए कहा- तुम कभी गलत हो ही नहीं सकती जानम, तभी तो तुम्हारी लेता हूँ, उठते बैठते लेता हूँ, जब चाहे ले लेता हूँ और तुम भी दे देती हो कभी मांगने पर और कभी बिना मांगे अपनी… …नेक सलाह!
रात को फिर मैंने अपने हरम में रहती दोनों रानियों को मस्त मलंग बन कर चोदा कभी उल्टा और कभी सीधा चोदा.
अगले दिन कॉलेज में जेनी और जस्सी को कैंटीन में लंच ब्रेक मैं बुला कर खुल कर बात की और पूछा कि आगे की बात करने के लिए क्या वो दोनों मेरे घर आने के लिए तैयार हैं छुट्टी के बाद.दोनों तैयार हो गई और पूछने लगी कि वहाँ सिर्फ बातचीत ही होगी या फिर कुछ और भी होगा?मैं बोला- कुछ और होना तो तुम दोनों के हाथ में है अगर तुम दोनों का हाथ चाहे तो कुछ क्या, बहुत कुछ हो सकता है!
दोनों हंसने लगी तो मैं संजीदा हो गया और उनके कान के पास मुंह ले जाकर कहा- अब सब तुम्हारे हाथ की मर्ज़ी है वो चाहे तो कुछ भी हो सकता है और वो और चाहे तो बहुत कुछ भी हो सकता है.
दोपहर में छुट्टी के बाद हम तीनों रिक्शा पकड़ कर मेरी कोठी में आ गए. पहले हम तीनों ने जम कर खाना खाया और फिर हम सब मेरे कमरे में चले गए, जहाँ नैना ने बात शुरू की और उनको समझाया कि गाँव जाने में कोई प्रॉब्लम नहीं है सिवाए इसके कि अगर हम सब अपना मुंह बंद रखेंगे तो हम सबकी भलाई है वरना हम सब मुसीबत में पड़ सकते हैं.

 
तब जस्सी बोली- नैना आंटी, हम सब आपकी बात समझते हैं और यह भी जानते हैं कि ज़रा सी गलती भी अगर हमसे हो जाती है तो बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं. इस लिए हम दोनों आपको विश्वास दिलाती है कि हम वहाँ चुप ही रहेंगी और कोई ऐसी हरकत या बात नहीं होने देंगी. आप यकीन रखिये.
बात खत्म हो गई और नैना को भी तसल्ली हो गई तब मैंने नैना से कहा- ये लड़कियाँ अपना कुछ करवाना चाहती हैं अगर तुम्हारी आज्ञा हो तो हम कुछ या बहुत कुछ करें या फिर नहीं?नैना हँसते हुए बोली- कुछ तो आप कर सकते हो लेकिन बहुत कुछ करने से पहले सोच लेना.मैं बोला- अब कहो, आप दोनों की क्या मर्ज़ी है? थोड़ा या फिर बहुत?दोनों ही बोली- बहुत और बहुत ही ज़्यादा होना चाहिए.मैं भी खुश हो कर बोला- तो फिर चलो ‘गुरु हो जा शुरू…’
मैंने दोनों लड़कियों को कस कर आलिंगन में ले लिया और उनके लबों पर गरमा गरम चुम्बन दे दिए.और फिर मैंने एक हाथ जस्सी की चूत में और दूसरा जेनी की चूत में उनकी सलवार के ऊपर से ही डाल दिया. उन दोनों की चूत के बाल ऊँगली में महसूस हो रहे थे और फिर थोड़ा चूत का गीलापन भी उंगलियों में लगने लगा.मैंने उन दोनों को साइड बाई साइड खड़ा करके दोनों के कपडे उतारने शुरू कर दिए.
पहले जेनी और फिर जस्सी के कपड़े एक एक कर के उतरने लगे और उनके खूबसूरत जिस्म सामने आने लगे.
दोनों का ही जिस्म का रंग सफेदी लिए हुए था और दोनों की चूत पर छाये काले घने बाल चाँद में लगे दाग के समान थे, यह देख कर मेरा खड़ा लौड़ा हिलौरें मारने लगा था और बिगड़े घोड़े की तरह भाग कर उन दोनों की चूत में एंट्री मारना चाहता था.
अब मैं लेट गया और जस्सी को कहा कि वो अपनी चूत को लेकर मेरे मुंह पर बैठ जाए और जेनी को कहा वो मेरे लौड़े को मुंह में ले कर चूसे और अपनी चूत वाली साइड मेरी तरफ कर दे ताकि मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर उसकी भग को मसल सकूँ और इस तरह हम तीनों एकदम एक दूसरे में बिजी हो गए.
सबसे पहले जस्सी, जिसकी चूत को मैं चूस रहा था, वो अपने पर कंट्रोल नहीं कर सकी और मेरे मुंह में ही झड़ गई और उसके बाद जल्दी ही जेनी जिसकी चूत में मेरी ऊँगली थी और जिसके मुंह में मेरा लंड था वो झड़ गई.फिर हम तीनों थोड़ी देर के लिए विश्राम करने लगे.
अब मैंने जेनी से पूछा- कैसे चुदवाना पसंद करोगी तुम?उसने जवाब में कहा- मैं खड़ी हो जाती हूँ और आप पीछे से मेरी चूत में लंड डाल कर मेरी चुदाई करो, यह पोज़ मुझको सबसे अधिक पसंद है.मैंने जस्सी से पूछा- तुमको कौन सा पोज़ बहुत पसंद है यार?वो बोली- घोड़ी बन कर चुदवाना मुझको बहुत ही अच्छा लगता है.
मैं बोला- जेनी अभी तुम भी घोड़ी बन कर चुदवा लो तो दोनों को साथ साथ ही चोद दूंगा और बाद में मैं तुमको खड़े पोज़ में भी चोद दूंगा. क्यों ठीक है ना?
मैंने दोनों को घोड़ी बनाया और पहले जेनी के पीछे बैठ कर अपना लंड उसकी गीली चूत में डाला और थोड़ी देर धक्के मारने के बाद उसकी चूत से लंड को निकाल कर मैंने उसको जस्सी की तड़फ रही चूत में डाल दिया और कुछ देर लंड के धक्के मारने के बाद वापस जेनी की चूत में लंड को डाला और उसको भी दोबारा बहुत देर तक धक्के मारने के बाद लंड को तभी निकाला जब वो छूट गई और फिर मैंने इत्मीनान से जस्सी को पीछे से चोदा, कभी धीरे और कभी तेज़ और साथ ही उसकी भग को भी मसला तो जस्सी भी हाय हाय करती हुई छूट गई.
मैं उन दोनों के बीच लेट गया और दोनों के सर अपनी बाजुओं के ऊपर रख कर मस्ती से आलखन फरमाने लगा.दोनों ही मेरे लौड़े को हाथ में लेकर उसके साथ खेल रही थी.
फिर मैंने अपने हाथ उनके सरों के नीचे से निकाले और दोनों को कहा- कौन मुझको ऊपर से बैठ कर चोदना चाहता है?दोनों ने अपना हाथ खड़ा कर दिया तो मैंने कहा- पहले मेरे दाईं तरफ वाली पार्टी मुझको ऊपर से चोदेगी और दूसरी पार्टी कि जैसे मर्ज़ी वैसे कर लेंगे. क्यों ठीक है न?दोनों बोली- ठीक है मेरे मालिक!
सबसे पहले जेनी ने मुझको मेरे ऊपर बैठ कर चोदा और जब वो जल्दी ही थक गई और साथ ही छूट गई तो मुझको जस्सी ने भी ऊपर बैठ कर चोदा.दोनों अब चुदाई में काफी माहिर हो गई थी और मेरे और नैना के सिखाये हुए तरीकों को समझ चुकी थी तो उनको मेरे साथ चुदाई का आनन्द ज़्यादा आता था.

 
जेनी के मोटे नितम्बों को देख कर मैं बार बार जोश में आ जाता था और अपने खड़े लंड की प्यास बुझाने की कोशिश करता था और उधर जस्सी के नितम्ब सामन्य और गोल थे लेकिन उसके मुम्मों का कोई जवाब ही नहीं था. वो ना सिर्फ मोटे और गोल थे लेकिन काफी बड़े भी थे जैसे कि शादीशुदा और बच्चों वाली औरतों के होते हैं.
उसके मम्मों के बीच सर रख कर सोने में बहुत मज़ा आएगा, यह मैं जानता था लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्यूंकि जस्सी किसी लड़की के साथ एक कमरा शेयर करती थी और जेनी भी किसी के साथ शेयर करती थी.मैंने दोनों को कहा- तुम दोनों कि दो दो चीज़ें बहुत ही सुंदर बन पड़ी हैं, मैं चाहता हूँ कि इनका नाप ले लिया जाए अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो?दोनों ने कहा कि उनको कोई ऐतराज़ नहीं है और तब मैं नैना को बुला लाया जो साथ वाले कमरे में ही लेटी हुई थी.उसने नाप वाले फीते के साथ दोनों के पहले मम्मे नापे और फिर उनके चूतड़ों को भी नापा.नाप के मुताबक जेनी के मुम्मे और नितम्बों का नाप यूँ था:- 34-25-36 और जस्सी के नाप यूँ था- 36-26-34.
अभी तक नाप की कॉपी में यह नाप सबसे बड़ा था और दोनों ही प्राइज की हकदार थी तो नैना ने दोनों को छोटे छोटे टॉयज दिए जो उन दोनों को बहुत पसंद आये.तब जस्सी बोली- सतीश के लंड का भी नाप लो न नैना आंटी? देखें तो सही यह कितना बड़ा है?
तब नैना ने मेरे खड़े लौड़े का नाप लिया जो निकला 7.5 इंच और तब उन लड़कियों को मेरे पिछले नाप भी दिखाए गए जिसमें वो ख़ास दवाई खाने के बाद का नाप भी था जो 8 इंच का था जो अभी तक सबसे बड़ा था.
तब दोनों लड़कियों ने कपड़े पहनने लगी तो मैंने जेनी को रोक दिया और कहा- जेनी डार्लिंग तुमको अभी पीछे से खड़ा कर के चोदना तो रह गया न… चलो तुम्हें तुम्हारे फेवरिट पोज़ में भी चोद देते हैं अभी!जेनी बोली- नहीं सतीश राजा, अब मैं बहुत चुद चुकी हूँ और चुदवाने की इच्छा नहीं है, फिर कभी सही!
दोनों ने कपड़े पहन लिए लेकिन मैंने उससे पहले ही दोनों के मुम्मों और चूतड़ों को थोड़ी देर चूमा चाटा था, मेरी इच्छा भी पूरी हो चुकी थी.जाने से पहले जस्सी बोली- मेरी एक सहेली है जो अभी तक कुंवारी है और उसकी बड़ी इच्छा है कि उसकी सील कोई जानकार और भरोसेमंद लड़का ही तोड़े. मैं चाहती हूँ कि सतीश जी महाराज तुम उसकी सील तोड़ो.
मैं कुछ जवाब देता उससे पहले ही जेनी भी बोल पड़ी- मेरी भी जो रूममेट है न, वो भी कुंवारी है और उसकी भी इच्छा थी कि उस की भी सील तोड़े कोई उसकी पसंद का लड़का! क्या कहते हो सतीश राजा?मैंने कहा- यह सब बातें तुम नैना आंटी से ही कर लो पहले और फिर जैसे वो कहेगी उसके मुताबिक़ ही कर देना तुम दोनों.
यह कह कर मैं बाथरूम में चल गया और जब निकला तो नैना बोली- यही तय हुआ है कि दोनों अपनी सहेलियों को यहाँ लाएँगी और हम सब बात भी कर लेंगे और एक दूसरे को देख भी लेंगे. क्यों ठीक हैं न?मैं बोला- नैना रानी, बिलकुल ठीक है. चलो मैं तुम दोनों कुंवारी लड़कियों को छोड़ आऊँ अपने अपने घर!दोनों बोली- नहीं सतीश, हम चली जाएँगी, तुम रेस्ट करो!उनके इंकार करने के बावजूद मैं उनको उनके घरों तक छोड़ कर आ गया.

कहानी जारी रहेगी.

 
लूसी और रेनू की सील तुड़वाई की तैयारी

अगले दिन जस्सी और जेनी मुझको कॉलेज की कैंटीन में मिल गई, उनके साथ दो वेल ड्रेस्ड लड़कियाँ थी जिनकी आयु शायद 18-19 वर्ष लग रही थी.जेनी ने अपनी रूममेट से मिलवाया जिसका नाम लूसी था और दिखने में काफी सुंदर और स्मार्ट थी.फिर जस्सी ने अपनी सहेली से मिलवाया जिसका नाम रेनू था वो भी काफी सुंदर और स्मार्ट थी.दोनों का शरीर काफी भरा हुआ था और खिलता हुआ रंग रूप था.
मैंने कहा- तुमने दोनों को समझा दिया है कि क्या करना होता है और उन दोनों का पक्का इरादा है यह काम करवाने का? आप दोनों अच्छी तरह से सोच समझ लें क्योंकि एक बार तीर निकल गया तो वापस आना सम्भव नहीं है.दोनों ने शर्माते हुए हाँ में सर हिला दिया.मैंने सबके लिए कोक मंगवाया और कोक पीते हुए मैंने नोट किया कि दोनों ही मुझको चोर आँखों से देख रही थी जैसे कि नई नवेली दुल्हन अक्सर अपने होने वाले पति को देखती है.
क्यूंकि लंच ब्रेक के बाद मेरा कोई पीरियड नहीं था और जेनी और जस्सी की भी कोई क्लास नहीं थी सो हमने तय किया कि हम सब घर के लिए चल पड़ते हैं, वहीं बैठ कर नैना के सामने सब बातें होंगी.हम सब दो रिक्शा में चल पड़े और दस मिन्ट में मेरी कोठी पहुँच गए.

चौकीदार लखन लाल ने हम सबका स्वागत किया और हम सब अंदर बैठक में जा कर बैठ गए.जल्दी ही नैना भी आ गई, बड़े प्यार से सब लड़कियों से मिली खासतौर से नई लड़कियों से!
नैना के साथ मैं रसोई घर में गया और पारो से पूछा कि इन दो नए मेहमानों के लिए खाना पूरा हो जायेगा?पारो ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और बड़े प्यार से कहा- छोटे मालिक आप चिंता ना किया कीजिये, मैंने काफी खाना बनाया हुआ है, आपकी पसंदीदा कलमी कवाब भी है और पनीर मसाला भी है, आप फ़िक्र न करें.मैं भी चलते चलते उसके मोटे और उभरे हुए चूतड़ों पर हाथ फेरना नहीं भूला.
बैठक में नैना रानी अपने काम में जुटी हुई थी, वो उन लकड़ियों से सब कुछ जानने की चेष्टा कर रही थी.फिर वो उन दोनों लड़कियों को लेकर मेरे कमरे में चली गई और मैं और जस्सी और जेनी वहीं बैठ कर उन दोनों की वापसी का इंतज़ार करने लगे.
सबसे पहले जस्सी उठ कर आई और मेरी गोद में बैठ गई और जेनी भी उसकी देखा देखी आई और अपने मम्मे मेरे बाज़ू से रगड़ने लगी और जस्सी मेरे लौड़े को पैंट के अंदर ही पकड़ने की कोशिश करने लगी.
मेरा भी एक हाथ जस्सी की गर्दन में था और उसके लबों को चूमने की कोशिश कर रहा था और दूसरे से मैं जेनी के मोटे और उभरे हुए चूतड़ों को मसल रहा था.मेरा लौड़ा भी पैंट से आज़ादी मांग रहा था लेकिन मजबूरी थी अभी समय नही आया था कि लंड लाल को आज़ाद किया जाए.
इन दोनों जवान और खूबसूरत छोकरियों को मैं अब काफी चाहने लगा था, उसका कारण था उन दोनों के शरीर की सुंदर बनावट जिस में आकर्षण था उनके सख्त और मोटे मुम्मे और और गोल उभरे हुए नितम्ब.
इतने में नैना दोनों नई लड़कियों को लेकर बैठक में आ गई और कहने लगी- दोनों ही अभी कुंवारी हैं और दोनों की सील ज़्यादा सख्त नहीं है. मैंने इनको पूरी बात समझा दी और बता दिया कि पहले छोटे मालिक उनके सामने जेनी और जस्सी के साथ करके दिखायेंगे उसके बाद वो फैसल लें कि यह काम उनको करवाना है या नहीं.चारों लड़कियों ने हाँ में सर हिला दिया.
नैना बोली- छोटे मालिक पहले जेनी के साथ बिस्तर पर लेट कर पूरा शो इनको दिखायेंगे और फिर जस्सी के साथ घोड़ी बन कर प्रदर्शन करेंगे. तो फिर चलें बैडरूम में?
आगे चलते हुए नैना ने मुझको धीरे से कहा- लूसी तो ठीक है लेकिन वो रेनू काफी दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी शायद… तो पहले आप लूसी की सील तोड़ना और फिर बाद में रेनू की. ठीक है न?मैंने मज़ाक के मूड में कहा- जैसे मालकिन कहेगी वैसे ही तो करना पड़ेगा ना!
कमरे में आकर नैना ने कहा कि सब मिल कर एक दूसरे के कपड़े उतार दें.चारो लड़कियाँ एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी, जैसे जेनी रेनू के कपड़े उतार रही थी और जस्सी लूसी के कपड़े उतार रही थी और फिर दोनों नई लड़कियों ने जस्सी और जेनी के कपड़े उतारने लगी.
अब सब लड़कियाँ निर्वस्त्र हो चुकी थी, केवल मैं और नैना ही कपड़ों में थे तो जस्सी ने पूछा- आप दोनों का क्या इरादा है?मैं बोला- पहले हेडमिस्ट्रेस के कपड़े उतारो, फिर मेरी बारी आखिर में!
जब सब लड़कियाँ कपड़े उतारने रही थी तो मैं उनके निर्वस्त्र होने का नज़ारा देख रहा था और उनकी ख़ूबसूरती में इतना मगन हो गया कि मैं यह भूल गया कि मुझको भी अपने कपड़े उतारने हैं.वो तो मेरा ध्यान उस समय भंग हुआ जब जेनी आकर मेरे कपड़े उतारने लगी. लेकिन वो काम शुरू करती, उससे पहले ही मैंने उसको एक गर्म चुम्मी उसके लबों पर की और साथ ही कस कर एक जफ्फी भी मारी और उसके मोटे मम्मों को अपनी छाती में क्रश कर दिया.
 
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