desiaks
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कॉलबेल की आवाज फ्लैट में गूंजी।
पारसनाथ ने उसी पल आंखें खोलीं । वो कुर्सी पर बैठा हुआ था। मोना चौधरी सामने सोफे पर लेटी हुई थी, वो भी उठ बैठी। पारसनाथ से नजरें मिलीं।।
। “उठो और बाथरूम या दूसरे कमरे में चली जाओ।” पारसनाथ ने गम्भीर स्वर में कहा।।
“मोना चौधरी मैं हूं।” मोना चौधरी ने गम्भीर स्वर में कहा।
“मेरे लिए वो भी मोना चौधरी है और तुम भी।” पारसनाथ का स्वर सख्त हो गया। मोना चौधरी ने पारसनाथ को देखा फिर टेबल पर रखा अपना मोबाइल उठाते हुए दूसरे कमरे की तरफ बढ़ गई। पारसनाथ उसे तब तक देखता रहा, जब तक वो निगाहों से ओझल न हो गई। तभी बेल पुनः बजी।
पारसनाथ उठा और आगे बढ़कर दरवाजा खोला।
सामने मोना चौधरी खड़ी थी।
आओ मोना चौधरी ।” पारसनाथ ने शांत स्वर में कहा।
“तुमने दरवाजा कैसे खोल लिया ।” मोना चौधरी ने भीतर आते हुए कहा-“मैं तो बंद करके गई थी।”
पारसनाथ दरवाजा बंद करके पलटा।। मोना चौधरी कुर्सी पर बैठती कह उठी।
“बहुत थक गई।” उसने गहरी सांस ली–“परंतु हालात बहुत बिगड़ चुके हैं। हमें इस मुद्दे पर बात करानी चाहिए।” एकाएक ही वो गम्भीर होती गई—“मैं अभी देवराज चौहान, जगमोहन, बांके और रुस्तम राव से...।” ।
“हमारी तब फोन पर बात हुई थी।” पारसनाथ की निगाह मोना चौधरी पर थी। ।
“हां, हुई थी।” मोना चौधरी ने पारसनाथ को देखा–“तुम दूसरी वाली मोना चौधरी से मिले?”
“नहीं।” पारसनाथ ने झूठ कहा-“राधा और सितारा ने उसे देखा ।”
और जगमोहन को किसने देखा?”
राधा ने। महाजन ने, मोना चौधरी ने।”
“वो जगमोहन महाजन को ले गया?”
“हां ।”
परंतु वो मोना चौधरी मैं नहीं थी ।” मोना चौधरी के दांत भिंच गए–“वो जगमोहन भी नहीं था। मेरी और जगमोहन की सूरत में वे दोनों बहरुपिए थे। शायद जथूरा के भेजे बहरुपिए। हमें पागल बना देना चाहता है जथूरा।”
“वो दोनों जथूरा के भेजे थे?” पारसनाथ ने मोना चौधरी की आंखों में झांका।
तो और किसके भेजे होंगे वो तो...।”
“अगर वो दोनों जथूरा के बहरुपिए थे तो उन्होंने आपस में झगड़ा क्यों किया?” पारसनाथ बोला।
मोना चौधरी की आंखें सिकुड़ीं। वो पारसनाथ को देखने लगी फिर बोली ।
“क्या कहना चाहते हो पारसनाथ?” ।
“वो मोना चौधरी, वो जगमोहन अगर जथूरा के भेजे थे तो उन्होंने आपस में झगड़ा क्यों किया?” |
मोना चौधरी के माथे पर बल नजर आने लगे। वो पारसनाथ को ही देख रही थी।
“तुम जगमोहन से मिली, वो देवराज चौहान, बांके और रुस्तम राव के पास था।”
हां था।” मोना चौधरी ने सिर हिलाया। इसका मतलब वो असली जगमोहन था।
” सही कहा।” ।
“फिर तुम नकली मोना चौधरी होनी चाहिए।”
ये क्या कह रहे हो पारसनाथ?”
गलत क्या कह दिया मैंने। ये तो तुम भी मानती हो कि जथूरा के बनाए मोना चौधरी और जगमोहन आपस में नहीं लड़ सकते। वह लड़े तो उनमें एक तो असली होना चाहिए।” पारसनाथ शांत स्वर में कह उठा।
“तुम ठीक कहते हो पारसनाथ, परंतु मैं असली मोना चौधरी
| “ये बात तुम साबित नहीं कर सकती।”
“मैं मोना चौधरी हूं। इसमें साबित करने की क्या जरूरत है। तुम्हें क्या हो गया है पारसनाथ?”
पारसनाथ ने उसी पल आंखें खोलीं । वो कुर्सी पर बैठा हुआ था। मोना चौधरी सामने सोफे पर लेटी हुई थी, वो भी उठ बैठी। पारसनाथ से नजरें मिलीं।।
। “उठो और बाथरूम या दूसरे कमरे में चली जाओ।” पारसनाथ ने गम्भीर स्वर में कहा।।
“मोना चौधरी मैं हूं।” मोना चौधरी ने गम्भीर स्वर में कहा।
“मेरे लिए वो भी मोना चौधरी है और तुम भी।” पारसनाथ का स्वर सख्त हो गया। मोना चौधरी ने पारसनाथ को देखा फिर टेबल पर रखा अपना मोबाइल उठाते हुए दूसरे कमरे की तरफ बढ़ गई। पारसनाथ उसे तब तक देखता रहा, जब तक वो निगाहों से ओझल न हो गई। तभी बेल पुनः बजी।
पारसनाथ उठा और आगे बढ़कर दरवाजा खोला।
सामने मोना चौधरी खड़ी थी।
आओ मोना चौधरी ।” पारसनाथ ने शांत स्वर में कहा।
“तुमने दरवाजा कैसे खोल लिया ।” मोना चौधरी ने भीतर आते हुए कहा-“मैं तो बंद करके गई थी।”
पारसनाथ दरवाजा बंद करके पलटा।। मोना चौधरी कुर्सी पर बैठती कह उठी।
“बहुत थक गई।” उसने गहरी सांस ली–“परंतु हालात बहुत बिगड़ चुके हैं। हमें इस मुद्दे पर बात करानी चाहिए।” एकाएक ही वो गम्भीर होती गई—“मैं अभी देवराज चौहान, जगमोहन, बांके और रुस्तम राव से...।” ।
“हमारी तब फोन पर बात हुई थी।” पारसनाथ की निगाह मोना चौधरी पर थी। ।
“हां, हुई थी।” मोना चौधरी ने पारसनाथ को देखा–“तुम दूसरी वाली मोना चौधरी से मिले?”
“नहीं।” पारसनाथ ने झूठ कहा-“राधा और सितारा ने उसे देखा ।”
और जगमोहन को किसने देखा?”
राधा ने। महाजन ने, मोना चौधरी ने।”
“वो जगमोहन महाजन को ले गया?”
“हां ।”
परंतु वो मोना चौधरी मैं नहीं थी ।” मोना चौधरी के दांत भिंच गए–“वो जगमोहन भी नहीं था। मेरी और जगमोहन की सूरत में वे दोनों बहरुपिए थे। शायद जथूरा के भेजे बहरुपिए। हमें पागल बना देना चाहता है जथूरा।”
“वो दोनों जथूरा के भेजे थे?” पारसनाथ ने मोना चौधरी की आंखों में झांका।
तो और किसके भेजे होंगे वो तो...।”
“अगर वो दोनों जथूरा के बहरुपिए थे तो उन्होंने आपस में झगड़ा क्यों किया?” पारसनाथ बोला।
मोना चौधरी की आंखें सिकुड़ीं। वो पारसनाथ को देखने लगी फिर बोली ।
“क्या कहना चाहते हो पारसनाथ?” ।
“वो मोना चौधरी, वो जगमोहन अगर जथूरा के भेजे थे तो उन्होंने आपस में झगड़ा क्यों किया?” |
मोना चौधरी के माथे पर बल नजर आने लगे। वो पारसनाथ को ही देख रही थी।
“तुम जगमोहन से मिली, वो देवराज चौहान, बांके और रुस्तम राव के पास था।”
हां था।” मोना चौधरी ने सिर हिलाया। इसका मतलब वो असली जगमोहन था।
” सही कहा।” ।
“फिर तुम नकली मोना चौधरी होनी चाहिए।”
ये क्या कह रहे हो पारसनाथ?”
गलत क्या कह दिया मैंने। ये तो तुम भी मानती हो कि जथूरा के बनाए मोना चौधरी और जगमोहन आपस में नहीं लड़ सकते। वह लड़े तो उनमें एक तो असली होना चाहिए।” पारसनाथ शांत स्वर में कह उठा।
“तुम ठीक कहते हो पारसनाथ, परंतु मैं असली मोना चौधरी
| “ये बात तुम साबित नहीं कर सकती।”
“मैं मोना चौधरी हूं। इसमें साबित करने की क्या जरूरत है। तुम्हें क्या हो गया है पारसनाथ?”