desiaks
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जगमोहन ने लम्बी-गहरी सांस ली और सिर से हाथ हटाकर आंखें खोलीं।
देवराज चौहान की एकटक निगाह उस पर ही थीं।
क्या हुआ अब?” देवराज चौहान ने पूछा।
मैंने मौना चौधरी को वहां बेहोश देखा। नगीना भाभी और महाजन के पास ।” जगमोहन कह उठा।
“ओह, तो मोना चौधरी भी कालचक्र के फंदे में जा फंसी।”
हां ।”
“लेकिन तुम्हें इस बात का पूर्वाभास क्यों कराया जा रहा है। कि कौन-कौन कालचक्र में फंस चुका है।” देवराज चौहान ने कहा।
“इसलिए कि इनमें से कोई हमारे सामने आए तो हम समझ जाए कि वो कोई बहरूपिया है।”
“शायद यही बात होगी। तुम्हें ये बात पारसनाथ को बता देनी चाहिए।” ।
जरूर ।” जगमोहन ने पारसनाथ को पुनः फोन किया। बात हो गई।
बुरी खबर है तुम्हारे लिए।” जगमोहन बोला“मोना चौधरी भी कालचक्र में जा फंसी है।”
तुम्हें कैसे...”
“मुझे अभी-अभी पूर्वाभास हुआ है। मैंने मोना चौधरी को नगीना भाभी और महाजन के पास बेहोश देखा।”
ओह।”
अब तुम्हें कोई मोना चौधरी दिखे तो उसे बहरूप समझना उसका।”
“मैं समझ गया।” पारसनाथ की आवाज कानों में पड़ी।
जगमोहन रिसीवर रखकर, देवराज चौहान से बोला। “मैं सोहनलाल के पास जा रहा हूं।”
उसे यहीं ले आना।” देवराज चौहान ने कहा। जगमोहन ने सिर हिलाया और बाहर की तरफ बढ़ता चला गया।
देवराज चौहान के बंगले के बाहर, एक कार में मखानी और कमला रानी बैठे थे। उनकी नजरें बंगले के गेट की तरफ थीं। कमला रानी कह उठी।
जगमोहन कभी भी बाहर आ सकता है।
” तुझे कैसे पता?”
भौरी ने बताया।”
“उसे कैसे पता चला कि जगमोहन...।”
भौरी कह रही थी कि कुछ देर पहले जगमोहन ने सोहनलाल को फोन किया। परंतु सोहनलाल से बात नहीं हो सकी। जानता है मखानी क्यों?” कमला रानी मुस्करा पड़ी।
“क्यों?" ।
“भौरी ने कालचक्र का पिचाश, पहले ही सोहनलाल के पास भेज दिया था। जब जुगमोहन ने फोन किया तो पिशाच ने अपनी ताकतों के दम पर सोहनलाल के फोन की आवाज बंद कर दी। सोहनलाल को फोन आने का पता ही नहीं लगा।”
“तो भौरी इस तरह जगमोहन को बाहर निकालना चाहती है। कि वो सोहनलाल के पास जाए।”
“हां। भौरी कहती है कि जगमोहन सोहनलाल के पास जाने के लिए, बाहर आने ही वाला है।”
कमला रानी।” मखानी ने प्यार से कहा।
हम कितनी बढ़िया जिंदगी जी रहे हैं। हम इन इंसानों से बढ़कर हो गए हैं। हमारे साथ जथूरा की ताकतें हैं।”
ठीक कहा तुमने ।” कमला रानी हंसी-“मैं तो लाठी लेकर चला करती थी और सोचती थी कि जल्दी ही मर जाऊंगी।”
“लेकिन हम फिर जवान हो गए। अब दोबारा जिंदगी के मजे ले रहे हैं।” मखानी ने उसका हाथ थाम लिया।
“हाथ छोड़।”
“क्यों-मैं तो...।”
“तू जल्दी गर्म हो जाता है। इस वक्त इस काम पर...वो देख–बंगले से एक कार...।” ।
“उसे जगमोहन ही चला रहा है।” मखानी कार स्टार्ट करता कह उठा।
“पहचान लिया, तेरी नजरें बहुत तेज हैं।” कमला रानी बोली।
“लेकिन किसी के कपड़ों के भीतर नहीं देख सकतीं ।” मखानी ने कार आगे बढ़ाई और वे जगमोहन के पीछे चल दिए।
“जथूरा की मेहरबानी रही तो ये भी हो जाएगा।” कमला रानी ने शरारती स्वर में कहा।।
“तू बड़ी हरामी है, सच में।”
जगमोहन ने दो-तीन बार कॉलबेल बजाई तो सोहनलाल ने दरवाजा खोला।
“अभी तक सो रहा है।” जगमोहन कह उठा।
सब ठीक है?” सोहनलाल शंका-भरे स्वर में कह उठा।
“ठीक ही है।” जगमोहन भीतर प्रवेश करता कह उटा–“मोना चौधरी भी कालचक्र की कैद में पहुंच गई है। रात महाजन भी...।”
“ओह, ये तो बुरी खबर है।” सोहनलाल ने दरवाजा बंद करते हुए कहा। *
“हम कुछ नहीं कर सकते। रात मोना चौधरी लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा के साथ हमारे पास बंगले पर आई। परंतु एक मोना चौधरी और मैं दिल्ली में थे।”
क्या?”
मेरे बहरूप वाले व्यक्ति ने ही महाजन को उठाया...।”
“ये सब बातें हमें पागल कर देंगी।” सोहनलाल ने गम्भीर स्वर में कहा और बैठ गया।
देवराज चौहान की एकटक निगाह उस पर ही थीं।
क्या हुआ अब?” देवराज चौहान ने पूछा।
मैंने मौना चौधरी को वहां बेहोश देखा। नगीना भाभी और महाजन के पास ।” जगमोहन कह उठा।
“ओह, तो मोना चौधरी भी कालचक्र के फंदे में जा फंसी।”
हां ।”
“लेकिन तुम्हें इस बात का पूर्वाभास क्यों कराया जा रहा है। कि कौन-कौन कालचक्र में फंस चुका है।” देवराज चौहान ने कहा।
“इसलिए कि इनमें से कोई हमारे सामने आए तो हम समझ जाए कि वो कोई बहरूपिया है।”
“शायद यही बात होगी। तुम्हें ये बात पारसनाथ को बता देनी चाहिए।” ।
जरूर ।” जगमोहन ने पारसनाथ को पुनः फोन किया। बात हो गई।
बुरी खबर है तुम्हारे लिए।” जगमोहन बोला“मोना चौधरी भी कालचक्र में जा फंसी है।”
तुम्हें कैसे...”
“मुझे अभी-अभी पूर्वाभास हुआ है। मैंने मोना चौधरी को नगीना भाभी और महाजन के पास बेहोश देखा।”
ओह।”
अब तुम्हें कोई मोना चौधरी दिखे तो उसे बहरूप समझना उसका।”
“मैं समझ गया।” पारसनाथ की आवाज कानों में पड़ी।
जगमोहन रिसीवर रखकर, देवराज चौहान से बोला। “मैं सोहनलाल के पास जा रहा हूं।”
उसे यहीं ले आना।” देवराज चौहान ने कहा। जगमोहन ने सिर हिलाया और बाहर की तरफ बढ़ता चला गया।
देवराज चौहान के बंगले के बाहर, एक कार में मखानी और कमला रानी बैठे थे। उनकी नजरें बंगले के गेट की तरफ थीं। कमला रानी कह उठी।
जगमोहन कभी भी बाहर आ सकता है।
” तुझे कैसे पता?”
भौरी ने बताया।”
“उसे कैसे पता चला कि जगमोहन...।”
भौरी कह रही थी कि कुछ देर पहले जगमोहन ने सोहनलाल को फोन किया। परंतु सोहनलाल से बात नहीं हो सकी। जानता है मखानी क्यों?” कमला रानी मुस्करा पड़ी।
“क्यों?" ।
“भौरी ने कालचक्र का पिचाश, पहले ही सोहनलाल के पास भेज दिया था। जब जुगमोहन ने फोन किया तो पिशाच ने अपनी ताकतों के दम पर सोहनलाल के फोन की आवाज बंद कर दी। सोहनलाल को फोन आने का पता ही नहीं लगा।”
“तो भौरी इस तरह जगमोहन को बाहर निकालना चाहती है। कि वो सोहनलाल के पास जाए।”
“हां। भौरी कहती है कि जगमोहन सोहनलाल के पास जाने के लिए, बाहर आने ही वाला है।”
कमला रानी।” मखानी ने प्यार से कहा।
हम कितनी बढ़िया जिंदगी जी रहे हैं। हम इन इंसानों से बढ़कर हो गए हैं। हमारे साथ जथूरा की ताकतें हैं।”
ठीक कहा तुमने ।” कमला रानी हंसी-“मैं तो लाठी लेकर चला करती थी और सोचती थी कि जल्दी ही मर जाऊंगी।”
“लेकिन हम फिर जवान हो गए। अब दोबारा जिंदगी के मजे ले रहे हैं।” मखानी ने उसका हाथ थाम लिया।
“हाथ छोड़।”
“क्यों-मैं तो...।”
“तू जल्दी गर्म हो जाता है। इस वक्त इस काम पर...वो देख–बंगले से एक कार...।” ।
“उसे जगमोहन ही चला रहा है।” मखानी कार स्टार्ट करता कह उठा।
“पहचान लिया, तेरी नजरें बहुत तेज हैं।” कमला रानी बोली।
“लेकिन किसी के कपड़ों के भीतर नहीं देख सकतीं ।” मखानी ने कार आगे बढ़ाई और वे जगमोहन के पीछे चल दिए।
“जथूरा की मेहरबानी रही तो ये भी हो जाएगा।” कमला रानी ने शरारती स्वर में कहा।।
“तू बड़ी हरामी है, सच में।”
जगमोहन ने दो-तीन बार कॉलबेल बजाई तो सोहनलाल ने दरवाजा खोला।
“अभी तक सो रहा है।” जगमोहन कह उठा।
सब ठीक है?” सोहनलाल शंका-भरे स्वर में कह उठा।
“ठीक ही है।” जगमोहन भीतर प्रवेश करता कह उटा–“मोना चौधरी भी कालचक्र की कैद में पहुंच गई है। रात महाजन भी...।”
“ओह, ये तो बुरी खबर है।” सोहनलाल ने दरवाजा बंद करते हुए कहा। *
“हम कुछ नहीं कर सकते। रात मोना चौधरी लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा के साथ हमारे पास बंगले पर आई। परंतु एक मोना चौधरी और मैं दिल्ली में थे।”
क्या?”
मेरे बहरूप वाले व्यक्ति ने ही महाजन को उठाया...।”
“ये सब बातें हमें पागल कर देंगी।” सोहनलाल ने गम्भीर स्वर में कहा और बैठ गया।