XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़ - Page 16 - SexBaba
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XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़

जगमोहन ने लम्बी-गहरी सांस ली और सिर से हाथ हटाकर आंखें खोलीं।

देवराज चौहान की एकटक निगाह उस पर ही थीं।
क्या हुआ अब?” देवराज चौहान ने पूछा।

मैंने मौना चौधरी को वहां बेहोश देखा। नगीना भाभी और महाजन के पास ।” जगमोहन कह उठा।

“ओह, तो मोना चौधरी भी कालचक्र के फंदे में जा फंसी।”

हां ।”

“लेकिन तुम्हें इस बात का पूर्वाभास क्यों कराया जा रहा है। कि कौन-कौन कालचक्र में फंस चुका है।” देवराज चौहान ने कहा।

“इसलिए कि इनमें से कोई हमारे सामने आए तो हम समझ जाए कि वो कोई बहरूपिया है।”

“शायद यही बात होगी। तुम्हें ये बात पारसनाथ को बता देनी चाहिए।” ।

जरूर ।” जगमोहन ने पारसनाथ को पुनः फोन किया। बात हो गई।

बुरी खबर है तुम्हारे लिए।” जगमोहन बोला“मोना चौधरी भी कालचक्र में जा फंसी है।”

तुम्हें कैसे...”

“मुझे अभी-अभी पूर्वाभास हुआ है। मैंने मोना चौधरी को नगीना भाभी और महाजन के पास बेहोश देखा।”

ओह।”

अब तुम्हें कोई मोना चौधरी दिखे तो उसे बहरूप समझना उसका।”

“मैं समझ गया।” पारसनाथ की आवाज कानों में पड़ी।

जगमोहन रिसीवर रखकर, देवराज चौहान से बोला। “मैं सोहनलाल के पास जा रहा हूं।”

उसे यहीं ले आना।” देवराज चौहान ने कहा। जगमोहन ने सिर हिलाया और बाहर की तरफ बढ़ता चला गया।

देवराज चौहान के बंगले के बाहर, एक कार में मखानी और कमला रानी बैठे थे। उनकी नजरें बंगले के गेट की तरफ थीं। कमला रानी कह उठी।

जगमोहन कभी भी बाहर आ सकता है।

” तुझे कैसे पता?”

भौरी ने बताया।”

“उसे कैसे पता चला कि जगमोहन...।”

भौरी कह रही थी कि कुछ देर पहले जगमोहन ने सोहनलाल को फोन किया। परंतु सोहनलाल से बात नहीं हो सकी। जानता है मखानी क्यों?” कमला रानी मुस्करा पड़ी।

“क्यों?" ।

“भौरी ने कालचक्र का पिचाश, पहले ही सोहनलाल के पास भेज दिया था। जब जुगमोहन ने फोन किया तो पिशाच ने अपनी ताकतों के दम पर सोहनलाल के फोन की आवाज बंद कर दी। सोहनलाल को फोन आने का पता ही नहीं लगा।”
“तो भौरी इस तरह जगमोहन को बाहर निकालना चाहती है। कि वो सोहनलाल के पास जाए।”

“हां। भौरी कहती है कि जगमोहन सोहनलाल के पास जाने के लिए, बाहर आने ही वाला है।”

कमला रानी।” मखानी ने प्यार से कहा।

हम कितनी बढ़िया जिंदगी जी रहे हैं। हम इन इंसानों से बढ़कर हो गए हैं। हमारे साथ जथूरा की ताकतें हैं।”

ठीक कहा तुमने ।” कमला रानी हंसी-“मैं तो लाठी लेकर चला करती थी और सोचती थी कि जल्दी ही मर जाऊंगी।”
“लेकिन हम फिर जवान हो गए। अब दोबारा जिंदगी के मजे ले रहे हैं।” मखानी ने उसका हाथ थाम लिया।

“हाथ छोड़।”

“क्यों-मैं तो...।”

“तू जल्दी गर्म हो जाता है। इस वक्त इस काम पर...वो देख–बंगले से एक कार...।” ।

“उसे जगमोहन ही चला रहा है।” मखानी कार स्टार्ट करता कह उठा।

“पहचान लिया, तेरी नजरें बहुत तेज हैं।” कमला रानी बोली।

“लेकिन किसी के कपड़ों के भीतर नहीं देख सकतीं ।” मखानी ने कार आगे बढ़ाई और वे जगमोहन के पीछे चल दिए।

“जथूरा की मेहरबानी रही तो ये भी हो जाएगा।” कमला रानी ने शरारती स्वर में कहा।।

“तू बड़ी हरामी है, सच में।”

जगमोहन ने दो-तीन बार कॉलबेल बजाई तो सोहनलाल ने दरवाजा खोला।

“अभी तक सो रहा है।” जगमोहन कह उठा।

सब ठीक है?” सोहनलाल शंका-भरे स्वर में कह उठा।

“ठीक ही है।” जगमोहन भीतर प्रवेश करता कह उटा–“मोना चौधरी भी कालचक्र की कैद में पहुंच गई है। रात महाजन भी...।”

“ओह, ये तो बुरी खबर है।” सोहनलाल ने दरवाजा बंद करते हुए कहा। *

“हम कुछ नहीं कर सकते। रात मोना चौधरी लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा के साथ हमारे पास बंगले पर आई। परंतु एक मोना चौधरी और मैं दिल्ली में थे।”
क्या?”

मेरे बहरूप वाले व्यक्ति ने ही महाजन को उठाया...।”

“ये सब बातें हमें पागल कर देंगी।” सोहनलाल ने गम्भीर स्वर में कहा और बैठ गया।
 
मैंने तेरे को फोन किया, परंतु तूने...।” ।

“मेरा फोन नहीं बजा। बजा होता तो मेरी आंख खुल जाती।” ककर सोहनलाल ने अपना फोन उठाया।

स्क्रीन पर मिस्ड कॉल आया देखा।
बजा होगा। परंतु मैंने नहीं सुना शायद ।” सोहनलाल के होंठों से निकला।

चल मेरे साथ। हालात ऐसे हैं कि हमें एक साथ रहना चाहिए।” जगमोहन गम्भीर स्वर में बोला।

बांके और रुस्तम भी वहीं हैं?"

“हां ।” इन सब बातों से हमें कैसे छुटकारा मिलेगा?”

मैं नहीं जानता कि इन सब बातों का अंत कहां और कब होगा।” जगमोहन के होंठ भिंच गए।

पूर्वजन्म की यात्रा तो नहीं करनी...।”

“जथूरा हमें रोक रहा है कि हम पूर्वजन्म की यात्रा न करें ।”

जगमोहन ने कठोर स्वर में कहा-“हमारे पूर्वजन्म में जाने में जथूरा को भारी नुकसान है, तभी तो वो ऐसी कोशिश कर रहा है। इसलिए हमें पूर्वजन्म में जाने पर एतराज नहीं होना चाहिए।”

वहां खतरे हैं।”

अवश्य, वो तो हर बार होते हैं।”

लेकिन तुम्हारा पूर्वाभास, तुम्हें इस बात का एहसास दिला रहा है कि कालचक्र सबको एक ही जगह पर इकट्ठे कर रहा है। वो ऐसा क्यों कर रहा है, उसकी मंशा क्या है?”

“हममें झगड़ा करवाने की । ताकि जब वहां सब होश में आए तो एक-दूसरे पर टूट पड़े। लेकिन ऐसा नहीं होगा। हम सब हालातों से वाकिफ हो चुके हैं। हम झगड़ेंगे नहीं। तुम तैयार हो जाओ, बंगले पर चलने को।”

आधे घंटे में चलते हैं।” कहने के साथ ही सोहनलाल उठ खड़ा हुआ।

एक घंटे बाद जगमोहन और सोहनलाल बाहर निकले।

सोहनलाल ने फ्लैट का दरवाजा लॉक किया। दोनों सामने खड़ी कार की तरफ बढ़ गए।

वे कार में बैठे कि जगमोहन का फोन बजा। बात हुई।

हैलो।”

देवराज चौहान था दूसरी तरफ–“सोहनलाल मिला?”

“हां, हम आ रहे हैं।”

“ठीक है।” उधर से देवराज चौहान ने फोन बंद कर दिया।

जगमोहन ने फोन रखा और कार स्टार्ट की। तभी वो बुरी तरह चौंका।

सामने से मोना चौधरी जा रही थी। जगमोहन हैरानी से उसे देखने लगा।

जगमोहन। मोना चौधरी...।” सोहनलाल के होंठों से निकला।

ये मोना चौधरी नहीं है।” जगमोहन ने भिंचे स्वर में कहा।

क्या कह रहा है।”

ये उसकी बहरूप है। असली मोना चौधरी को कालचक्र ने कहीं पर बेहोश कर रखा है।”

ओह।” । तभी दोनों ने मोना चौधरी को एक कार में बैठते देखा।

ये यहां क्या कर रही है?" सोहनलाल बोला। “इसने हमें नहीं देखा।”

नहीं देखा। मैं इस बात को नोट कर रहा था।”

“हम इसके पीछे चलेंगे, देखते हैं कि ये क्या करती है।” जगमोहन ने दृढ़ स्वर में कहा।

मोना चौधरी की कार आगे बढ़ती देखी तो जगमोहन ने अपनी कार पीछे लगा दी।

वो मोना चौधरी नहीं, कमला रानी थी। कालचक्र अपना खेल खेल रहा था।

जगमोहन और सोहनलाल नहीं जान सके कि कालचक्र का जाल उन पर पड़ चुका है।

“कमला रानी।” भौरी का स्वर उसके कानों में पड़ा-“जग्गू और गुलचंद तेरे पीछे आ रहे हैं।”

“ये ही तो हम चाहते थे।” मोना चौधरी के बहरूप में कमला रानी मुस्करा पड़ी।

आगे तेरे को क्या करना है, तुझे सब याद है?”

“हां, मैं भूलती नहीं ।”

जहां जरूरत पड़े, मेरे से बात कर लेना, मैं तेरे पास ही हूं।” भौरी की आवाज उसे सुनाई दी।

ठीक है भौरी, लेकिन मखानी कहां है?”

वो अपना काम करेगा।”

मेरे को मखानी पसंद आया। उसे, मुझे दे दे भौरी ।”

ठीक है तू ले लेना। शौहरी से बात करूंगी। लेकिन जब तक काम पड़े हैं, तब तक मखानी को सोच भी नहीं।”

काम के बाद ।” ।

शौहरी से बात करके बताऊंगी।” ।

कमला रानी ने बैक मिरर में पीछे आती कार को देखा फिर बोली।
“मैंने अपनी जिंदगी में कभी कार नहीं चलाई थी।” कमला रानी बोली।

“हमने तेरे में ताकतें डाली हैं। जरूरत के हिसाब से ही हम सामने वाले में ताकतें डालते हैं। जब तक तू हमारे साथ है, तू खुश रहेगी।”

“तू बहुत अच्छी है भौरी ।”

“तू चाहे तो तेरे को पूर्वजन्म की उस दुनिया में ले जाऊंगी।”

“मखानी मेरे साथ हो तो मैं कहीं भी चलने को तैयार हूं।”

तो बात कर लेना मखानी से।”

वो मेरी बात जरूर मान जाएगा। पूर्वजन्म की दुनिया में क्या होता है?”

“वो अपने तरह की दुनिया है, ये अपनी तरह की । वहां तेरे को मेरी सेविका बनकर रहना होगा।”

और मखानी?"

वो शौहरी के काम करेगा।”

फिर मैं और मखानी मिलेंगे कब?”

“मिलते रहोगे। सप्ताह में एक बार तो मिल ही लिया करोगे।”

“ओह भौरी। तू सच में अच्छी है। मैं तेरे को देखना चाहती हूं।” कमला रानी ने कहा। "

“अभी तो मैं कालचक्र के काम कर रही हूं। मेरा शरीर उस दुनिया में पड़ा है। जब तू मेरे साथ वहां चलेगी, तभी देख पाएगी मुझे। अब बातें न बना, काम की तरफ ध्यान दे। जग्गू और गुलचंद तेरे पीछे हैं।”
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मखानी जगमोहन के बहरूप में दूर खड़ा था, जब उसने कमला रानी को कार पर जाते देखा तो उदास हो गया।

तेरा चेहरा क्यों लटक गया?” कानों में शौहरी की फुसफुसाहट पड़ी।

कमला रानी चली गई!” मखानी ने बिगड़कर कहा।

“हमेशा के लिए थोड़े ना गई है। आ जाएगी।”

कब?”
जग्गू और गुलचंद को भटकाकर। तब तक तू भी अपने काम पूरे कर ।”

मखानी का चेहरा लटका ही रहा।

नखरे मत दिखा, काम कर। नहीं तो मैं तेरे को छोड़कर चला जाऊंगा।”

नहीं, मत जाना। नहीं तो मैं मर जाऊंगा।” मखानी जल्दी-से बोला।

तो काम के लिए तैयार हो न?”

“मैंने कब मना किया है। अब मैं जगमोहन बनकर देवा के पास जाऊं?" ।

“हां। सब बताया है तेरे को। अब तेरे लिए वो देवा नहीं देवराज चौहान होगा। पूर्वजन्म का कोई नाम उसके सामने मत लेना।”
समझ गया।”
अब उधर जा, दीवार की ओट में।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी।

“वहां क्या करूंगा?”

तेरे को दूसरे कपड़े पहनाने हैं, जो जग्गू ने पहने थे।” मखानी सिर हिलाता, दीवार की तरफ बढ़ गया।

दो मिनट में ही वापस आ गया। अब उसके शरीर पर वैसे ही कपड़े थे, जैसे जगमोहन पहनकर बंगले से आया था।

“जगमोहन के पास मोबाइल भी होगा।”

तेरे पास भी है। जेब देख। वो ही फोन और वो ही नम्बर । जग्गू का फोन हमने खराब कर दिया है। देवा तुझे फोन करेगा या कोई भी करेगा तो तेरा ही फोन बजेगा। तब तूने जगमोहन बनकर बात करनी है।” ।

“समझ गया।”

जग्गू के सारे हालात मैंने तेरे दिमाग में डाल दिए हैं। तेरे को कोई परेशानी नहीं आएगी।”

“जगमोहन कार पर बंगले से बाहर निकला था।” मखानी बोला। ।

“देवा जानता है कि जग्गू-गुलचंद के साथ, बंगले पर आ रहा है, तु वहां जाकर देवा से कहना कि गुलचंद कार ले गया है, कुछ देर में आ जाएगा। ये सुनकर देवराज चौहान फिर कुछ नहीं पूछेगा।”

लेकिन सोहनलाल तो आएगा नहीं, वो...।”

“न आए। तू क्यों चिंता करता है। देवराज चौहान पूछे ये बात तो तू भी उसे थोड़ा परेशान होकर दिखा देना।”

समझ गया।” ।
“तू बहुत समझदार है। सब काम तू बढ़िया ढंग से करेगा।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी–“भंवर सिंह और त्रिवेणी देवा के पास ही हैं, तूने बढ़िया मौका देखकर उन्हें बेहोश करना है कि पिशाच उन्हें ले जा सके।” |

“वो मैं कर दूंगा।” मखानी ने सिर हिलाया—“परंतु देवराज चौहान भी तो है वहां ।”

“उसको बाद में देखेंगे। पहले वो ही काम कर, जो तेरे को कहा है। चल टैक्सी पकड़ ।”

। “कमला रानी...।”

चुप ।” शौहरी गुस्से से बोला—“तू बार-बार मुझसे कमला रानी की बात क्यों करता है?”

“तू नाराज क्यों होता है शौहरी। बात ही तो कर रहा हूं। इससे मेरा दिल बहल जाता है।”

इस वक्त सिर्फ काम की तरफ ध्यान दे। ये जथूरा का फेंका कालचक्र है। मौत का खेल है ये। होशियार रह हर वक्त। तेरी एक भूल तेरे साथ-साथ मुझे भी हमेशा-हमेशा के लिए नर्क में धकेल देगी। तूने नर्क देखा है?”

न...न...हीं ।” ।

बहुत तड़पन होती है वहां। घोर यातना मिलती है। हर तरफ गहरा होता है। कोई बात नहीं करता। हर वक्त वो भयानक पिशाच गला घोंटते रहते हैं। वहां सब कुछ बहुत भयानक है। तू अनजाने में जथूरा के कालचक्र का हिस्सा बन चुका है। अगर तूने कोई गलती की तो तेरे को वो ही नर्क मिलेगा, जो हमें मिलता है। हम दोनों का भाग्य जुड़ चुका है।

जगमोहन यानी कि मखानी बंगले पर पहुंचा।

वे सोच भी नहीं सकते थे कि कालचक्र की छाया उनके बंगले में प्रवेश कर आई है।

| देवराज चौहान ड्राइंग रूम में बैठा मिला। बांकेलाल राठौर नहाया-धोया वहीं था। रुस्तम राव नहाने गया था।

“जगमोनो।” बांकेलाल राठौर उसे देखते ही मूंछों पर उंगली फेरता कह उठा–“तंम म्हारे साथ सौतेलो व्यवहार करो हो ।”

“क्यों?” जगमोहन मुस्कराकर पास ही आ बैठा।

“तंम देवराज चौहानो वास्ते नाश्ता बनायो। अपने वास्ते बनायो। पर म्हारे वास्ते न बनायो ।”

तुम और रुस्तम नींद में थे।”

“तो का हो गयो, उठनो तो था।”

“अब बना दें?”

ईब का बनायो। अंम खुद ही नाश्तो बना लायो। खा-पी के हजम भी कर लयो ईब तको ।” बांकेलाल राठौर बोला–“छोरो तो नाश्तो के बादो ही नहानो गयो हो ।”
“सोहनलाल कहां है?” देवराज चौहान ने पूछा।

कह रहा था कोई काम है। मेरे को बाहर उतारकर कार ले गया। कुछ देर में आ जाएगा।” जगमोहन ने कहा।

“उसने फोन पर क्यों नहीं बात की, जब तुमने फोन किया था?” देवराज चौहान कह उठा।

उसे फोन बजना सुनाई नहीं दिया।”

म्हारे को यो न समझ आयो कि अंम सबों यां पे बैठे का करत हो?”

हमारे पास करने को कुछ भी नहीं है बांके ।”

“क्या करें, तुम ही कहो।।

जथूरो को ‘वड' देतो है।” बांकेलाल राठौर का हाथ मूंछ पर पहुंच गया।

“ठीक है, चलो।” देवराज चौहान मुस्करा पड़ा।

“किधरो?”

जथूरा के पास ।”

वो किधर हौवे?”

यही तो समस्या है कि हम नहीं जानते वो कहां है। वो पूर्वजन्म की दुनिया में बैठा, यहां पर अपनी शक्तियों के सहारे हमारे साथ खेल खेल रहा है और हम कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं हैं। उसकी ताकतें हमें नजर नहीं आतीं। वो जो कर रहा है, उसका मतलब हमारी समझ में नहीं आ रहा।” देवराज चौहान गम्भीर हो उठा।।

उसो को कोई ठिकाणो भी न हौवे ।”

“एक तरह से हम हवा में सिर मार रहे हैं।” जगमोहन कह उठा।
“हां ।” देवराज चौहान ने गर्दन हिलाई–“जथूरा हम सब लोगों के बहरूप से, हमें गुस्सा दिलाने की चेष्टा कर रहा है। परंतु हम उसका खेल समझ चुके हैं, इसलिए वो अपनी कोशिशों में सफल नहीं हो सकता।”

“क्या पता उसका असली मकसद क्या है।” जगमोहन बोला—“हो सकता है, हम उसकी चालों को अभी तक समझे ही न हों।” |

देवराज चौहान गम्भीर निगाहों से जगमोहन को देखने लगा।
 
“हम जो भी जानते हैं, वो सब कुछ पोतेबाबा की कही उन बातों के आधार पर है, जो उसने मुझसे कही। परंतु ये कौन जानता है कि पोतेबाबा ने मुझे सच कहा। वो जथूरा का सेवक है। जो कहेगा, जो करेगा, जथुरा के भले के लिए ही होगा।” ।

“मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं।” “जगमोनो। ईबी तको कौणो-कौणो बेहोश पड़ो हो?”

“नगीना भाभी, मोना चौधरी और महाजन ।”

वो कालचक्रो म्हारे को भी वहां ले जाने की ट्राई करो हो ।”

पक्का ।” देवराज चौहान ने कहा-“तभी तो हम एक साथ मौजूद हैं कि जथूरा ऐसी किसी कोशिश में सफल न हो सके।”

“बाप ।” रुस्तम राव पास आता कह उठा–“कालचक्र बोत फदेबाज है, चांस नेई उससे बचने का ।” ।

छोरे, अंम कालचक्र को ‘वड' दयो ।”

“नेई बाप । फालतू बात नेई बोलने का। हम लोग उसका मुकाबला नेई कर सकेला ।”

बांकेलाल राठौर ने पहलू बदला।

गलत बोला बाप ।

” “तू ठीको कहो हो।” जथूरो के पास शक्तियों हौवो हो।”

“वो आपुन लोगों के साथ कोई चाल खेएला। बोत खतरनाक होएला वो।”

हमें हर वक्त सतर्क रहना होगा।” देवराज चौहान ने कहा-“इसके अलावा हम कुछ नहीं कर सकते ।”

| जगमोहन ने आंखें बंद कर रखी थीं। बांके उससे कह उठा।।

जगमोनो। तंम पारसनाथो को फोनो करो। पूछो, कोई नेई बात हौवो का?”

जगमोहन ने आंखें खोलकर उसे देखा। “क्या फायदा फोन करने का?”

वो भी खतरे में है।” देवराज चौहान बोला“मोना चौधरी और महाजन के बाद वो भी गायब हो सकता है।”
बात करता हूं उससे।” जगमोहन ने फोन निकाला और पारसनाथ का नम्बर मिलाने लगा।

“उसे कहना कि अकेले रहना ठीक नहीं । बेहतर होगा कि इन हालातों में वो हमारे पास आ जाए।”

नम्बर लग गया। बात भी हो गई।

कुछ नया हुआ पारसनाथ?” पूछा जगमोहन ने।।

मैं मोना चौधरी के फ्लैट पर गया था। फ्लैट खुला पड़ा था। वो वहां नहीं थी ।” पारसनाथ की आवाज आई।

“मैंने तुमसे कहा तो था कि मुझे पूर्वाभास हुआ है कि मोना चौधरी, महाजन भी नगीना भाभी के पास ही बेहोश पड़े

“मुझे उन दोनों की चिंता हो रही है।”

“मैं नहीं जानता कि वो कहां पर हैं, पता होता तो कब का उन्हें ले आते ।”

ये सब कुछ कहां पहुंचकर रुकेगा?”

कुछ पता नहीं, लेकिन तुम्हें ज्यादा खतरा है। क्योंकि तुम अकेले रह गए हो।”

जानता हूं।”

“तुम हमारे पास आ जाओ। इधर हम सब एक साथ हैं।”

“इधर सितारा और राधा हैं, उन्हें अकेला छोड़ना ठीक नहीं। मैं दिल्ली में ही रहूंगा।”

“ठीक है। इतना याद रखना कि हमें आपस में झगड़ना नहीं है। जथूरा यही तो चाहता है कि हम झगड़े और...।”

समझता हूं सब ।” । जगमोहन ने फोन बंद करके, देवराज चौहान से कहा। पारसनाथ, वहीं रहना चाहता है।” ।

देवराज चौहान ने सिगरेट सुलगा ली।

“इन हालातों ने हमें कितना बेबस कर दिया है।” जगमोहन कह उठा।।

म्हारा तो खून खौलो हो ।”

जगमोहन उठता हुआ बोला।
“मैं भीतर कमरे में जा रहा हूं। सोहनलाल आए तो बता देना।” कहकर वो भीतर की तरफ बढ़ गया।

कमरे में पहुंचकर बेड पर जा लेटा। “मखानी।” कानों में शौहरी की फुसफुसाहट पड़ी।

हां ।” मौका देख और त्रिवेणी, भंवर सिंह को बेहोश कर ।

” मौका तो मिलने दे।” ।

“मौका तुमने तलाशना है, इन लोगों के साथ बैठने में तेरे को कोई परेशानी तो नहीं हुई न?" ।

नहीं ।” ।

“मैंने नहीं होने दी। जगमोहन के दिमाग के सारे हालात, तेरे भीतर मैंने पहले ही डाल दिए थे।” मखानी ने कुछ नहीं कहा।

एक बात और, तेरे को पूर्वाभास का दिखावा करना है।

” वो क्यों?" ।

कमला रानी तेरे पास आएगी अपना काम निबटाकर, वो देवराज चौहान की पत्नी नगीना के रूप में होगी ।” ।

“ओह।” मखानी खुश हो उठा–“कमला रानी यहां आ रही है?”

“अभी नहीं । वो उधर का अपना काम निबटाने के बाद आएगी, जब तू त्रिवेणी-भंवरसिंह को बेहोश करके पिशाचों के हवाले कर देगा। तूने पूर्वाभास का ये दिखावा करना है कि तूने नगीना को इस बंगले में देखा है।”

समझ गया। ताकि नगीना के आने पर देवराज चौहान शक न करे कि वो बहरूप हो सकती है।” मखानी बोला।

“अब तू बहुत समझदार हो गया है मखानी।”

मैं अभी करता हूं ये दिखावा।”

जल्दी-जल्दी काम पूरे कर। कमला रानी भी तो तेरे से मिलने को बहुत बेचैन है।” शौहरी की फुसफुसाहट कानों में पड़ी।
“सच में?” । । “हां, भौरी ने मुझे बताया कि कमला रानी तेरे को पसंद करने लगी है।”

“तू भौरी से कब मिला?”

मेरी और भौरी की तारें मिली हुई हैं। हममें सीधी बात हो जाती है।”

एक बात तो बता ।

” “पूछ।”

क्या मेरी किस्मत में कमला रानी ही है। स्वाद बदलने के लिए कभी-कभी दूसरी नहीं मिल सकती?”

“क्यों नहीं मिल सकती । तू किसी को भी प्यार कर सकता है।”

“ये बात कमला रानी को मत बताना।”

“तू बहुत चालाक है मखानी।” कानों में शौहरी की हंसी पड़ी—“आखिर है तो मर्द ही।” ।

“मैंने तो यूं ही पूछा था कि कहीं मैं कमला रानी के साथ बंध तो नहीं गया।”

“प्यार करने के मामले में तू आजाद है, कमला रानी भी आजाद है। जहां चाहो वहीं दिल लगाओ।”

कमला रानी भी आजाद है।” मखानी ने मुंह बनाया।

“हां, हमारी दुनिया में औरत और मर्द को बराबरी का दर्जा हासिल है। तुम्हारी दुनिया की तरह नहीं कि औरत को दो कदम नीचे दबा के रखो। हमारी दुनिया में जो हक मर्दो को है, वो ही औरतें को। अब तू वो काम कर, जो कहा है।”

जगमोहन ने तेजी से ड्राइंग रूम में प्रवेश किया। देवराज चौहान, बांके और रुस्तम राव ने उसे देखा।

“मुझे अभी-अभी पूर्वाभास हुआ है।” जगमोहन तेज स्वर में बोला-“मैंने नगीना भाभी को इस बंगले में आते देखा।”

“क्या?” एकाएक देवराज चौहान ने चौंककर जगमोहन की तरफ देखा।

शायद भाभी को होश आ गया होगा, वो वहां से कैद से निकल आई होगी।”

फिर तो बाप, मोना चौधरी और महाजन का पता चलेगा।”

कब आएगी नगीना यहां?” ।

ये तो पता नहीं, परंतु पूर्वाभास में मैंने नगीना भाभी को उस दरवाजे से भीतर प्रवेश करते देखा।” ।

देवराज चौहान, थारी तो लाटरो लगो हो। भाभी जल्दी ही वापस आयो हो ।”

ये अच्छा संकेत मिला है हमें।” जगमोहन ने कहा। देवराज चौहान के चेहरे पर सोच के भाव थे।

“इस तरह नगीना का वापस आना, हैरान करने वाली बात है।” देवराज चौहान बोला।

क्यों?” “जथूरा उसे इस तरह नहीं आने दे सकता। उसकी जादुई कैद से निकल पाना आसान नहीं ।”

“परंतु मैंने भाभी को, पूर्वाभास में, यहां इस बंगले में आते देखा

“ये जथूरा की कोई चाल हो सकती है।” देवराज चौहान ने होंठ भींचकर कहा।

“चाल?”

आपुन को भी बहना का वापस लौटना हजम नेई होईला बाप ।” रुस्तम राव गम्भीर स्वर में बोला।

जगमोहन सब पर नजर मारता बोला। । “नगीना भाभी जब आएगी, तभी पता चलेगा कि क्या हो रहा है ये सब ।”

“ठीक कहते हो।” देवराज चौहान बोला–“नगीना के आने पर ही, सोच सकेंगे हम कि वो असली है या नकली?” ।

“पूर्वाभास मुझे असली लोगों को लेकर ही होता है।” जगमोहन ने कहा।

देवराज चौहान ने सिर हिला दिया।
 
जगमोहन वापस कमरे में आ गया और धीमे स्वर में बोला।

देवराज चौहान नगीना के वापस आने पर शक कर रहा है। शौहरी ।”
“तू क्यों फिक्र करता है।” शौहरी की फुसफुसाहट कानों में पड़ी—“वो कालचक्र के खेल से बच नहीं सकता।”

रुस्तम और बांके भी कुछ शक में हैं।”

कालचक्र के सामने उसकी हस्ती मिट्टी है। तू अपने काम किए जा ।”

रुस्तम और बांके को बेहोश करूं?”

कर। लेकिन सावधान, देवा को शक न हो तुझ पर। कालचक्र को अड़चन पसंद नहीं ।”

कालचक्र है कौन?” ।

“ये जथूरा के भाई सोबरा की शक्तियों का समुद्र है, जो कभी सोबरा ने जथूरा को खत्म करने के लिए, जथूरा पर छोड़ा था। परंतु तब जथूरा को पहले ही खबर मिल गई कि सोबरा ने कालचक्र छोड़ दिया है तो जथूरा ने कालचक्र पर अपना मायाजाल फैला दिया। मायाजाल ने कालचक्र को धोखे से अपने आगोश में कैद कर लिया
और फिर जथूरा कालचक्र का मालिक बन बैठा। कालचक्र को अपने काबू में कर लिया और सोबरा को बुरी मात मिली, कालचक्र हाथ से निकल जाने से। अब वक्त आने पर जथूरा ने इन सब पर उसी कालचक्र का इस्तेमाल किया है। कालचक्र के भीतर मौजूद हम सब पहले सोबरा के सेवक थे, अब जथूरा का हुक्म मानते हैं, लेकिन काम कालचक्र के ही कर सकते हैं। क्योंकि हम कालचक्र से बंधे पड़े हैं।”

तुम्हारी बातें उलझन से भरी हैं शौहरी ।”

“तू फालतू बातें पूछता ही क्यों है, अपने काम से मतलब रख।” ।

तभी रुस्तम राव ने भीतर प्रवेश किया और जगमोहन के पास ही बेड पर बैठता कह उठा।
बाप ये पूर्वाभास तेरे को कौन कराईला है?”

“मुझे क्या पता?” जगमोहन मुस्करा पड़ा।

वो तेरे से बात नेई करेला?”

मुझे सिर्फ पूर्वाभास ही होता है।” जगमोहन बोला—“पोतेबाबा ने कहा था जथूरा की कोई दुश्मन शक्ति, पूर्वाभास कराकर मुझे खबरें दे रही है। परंतु वो मेरे से बात नहीं कर रही ।”

“वो तेरे को पूर्वाभास काये को कराईला?”

वो जो भी है, ये चाहती है कि हम पूर्वजन्म में प्रवेश कर जाएं। वहां का सफर करें ।” जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा।

क्यूं बाप?”

“अभी तक जो बातें सामने आई हैं, उससे ये स्पष्ट है कि अगर हम पूर्वजन्म में प्रवेश कर गए तो, हमारा टकराव जथूरा से होगा
और वो टकराव जथूरा के लिए नुकसानदेह हो सकता है, इसलिए जथूरा हमें रोकने की चेष्टा कर रहा है। देवराज चौहान और मोना चौधरी के पूर्वजन्म में प्रवेश करने पर, दोनों के ग्रह मिलकर एक बड़ी ताकत बन जाते हैं, जो कि जथूरा पर भारी पड़ेंगे। इसलिए जथूरा देवराज चौहान और मोना चौधरी में झगड़ा कराकर, जड़ को खत्म करा देना चाहता है, ताकि जथूरा के लिए हमेशा के लिए खतरा टल जाए।”
 
“आपुन लोग जथूरा की चाल में नेई फंसेला बाप ।”

कोशिश तो यही है ।” जगमोहन मुस्कराकर बेड से उतरा और दरवाजे के पास पहुंचकर बाहर झांका–“लेकिन जथूरा भी कम नहीं है।” जगमोहन पलटा–“खासतौर से उसका कालचक्र । जथूरा अपनी चालें चल रहा है।” कहते हुए जगमोहन आगे बढ़ा और बेड के पास पड़ा छोड़ा साइड टेबल उठा लिया और हम हैं। कि जथूरा को कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं।”

कम्भी तो जथूरा फंसेला बाप ।”

जगमोहन साइड टेबल थामे, बेड पर बैठे, रुस्तम राव की तरफ बढ़ता बोला।
“ये टेबल देखो, इसके नीचे क्या है।” कहकर जगमोहन ने टेबल आगे किया।

रुस्तम राव ने टेबल थामने के लिए हाथ बढ़ाया।

उसी पल फुर्ती से जगमोहन ने वो छोटा टेबल ऊंचा किया और रुस्तम राव के सिर पर दे मारा।। | रुस्तम के होंठों से तीव्र कराह निकली और वो बेहोश होकर बेड पर ही लुढ़क गया।

“तूने तो कमाल कर दिया मखानी।” शौहरी की फुसफुसाहट कानों में पड़ी।

“जल्दी से पिशाचों को बुला कि इसे ले जाएं।” जगमोहन ने कहा-“कोई आ गया तो गड़बड़ हो जाएगी।”

बुलावा भेज दिया है पिशाचों को, वो आते ही होंगे।”

“तू पहले क्यों नहीं बुला के रखता।”

पिशाचों को बहुत काम होते हैं। वो इंतजार नहीं करते। उन्हें जल्दी जाना होता है।”

“तुम तो...।”

जगमोहन के शब्द मुंह में रह गए। | किसी के कदमों की आहट सुनी, जो इस तरफ आ रही थी।

कोई आ रहा है मखानी ।” शौहरी की फुसफुसाहट कानों में पड़ी।
मखानी ने फुर्ती से बेड पर उकडू पड़े रुस्तम राव को सीधा किया कि देखने पर लगे कि वो नींद में है। फिर वो साइड टेबल उठाकर बेड के पास वापस रखा, जैसा पहले पड़ा था। उसी पल बांकेलाल राठौर ने भीतर प्रवेश किया।

“मैं हाल में आ ही रहा था।” जगमोहन बोला।
यो म्हारो छोकरो लौटन लागो हो?”

“कह रहा था घंटा भर नींद लूंगा।” जगमोहन ने बांकेलाल को देखा–“एक घंटे बाद उठा देना।”

“ईबी तो घनी नींद मार के उठो हो। ईबी फिर नींद मारो हो। लगो म्हारो छोकरो जवान हो गयो हो ।” ।

जगमोहन कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ा। बांकेलाल राठौर भी उसके साथ ही बाहर आता कह उठा।

लंच का, का प्रोग्राम हौवो हो। नाश्तो से तो म्हारी भूखो ही न मिटो हो। बढ़ियो रेस्टोरेंट से मुर्गे मंगायो, म्हारे वास्तो।”
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मोमो जिन्न की इच्छाएं बढ़ती ही जा रही थीं।

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा उसकी मांगों से परेशान होने लगे थे।

| इस वक्त मोमो जिन्न के शरीर पर सपन चड्ढा का कीमती सूट था। टाई लगा रखी थी। चूंकि जूते सपन चड्ढा के पूरे नहीं आए थे, इसलिए पांवों में स्लीपर पहन रखे थे। यूं उसे समझाने को दोनों ने बहुत चेष्टा की कि ये गर्मियों का मौसम है और इस मौसम में सूट नहीं पहना जाता। परंतु मोमो जिन्न सूट पहनकर ही रहा। सुबह उसने जलेबी-रबड़ी खाई। सुबह-सुबह नौकर कार पर गया और जाने कहां से ढूंढकर लाया। उसके बाद मोमो जिन्न के मन में सूट पहनने की इच्छा जागी तो वो भी पहन लिया। सूट पहनकर वो अजीब-सा लगने लगा था। कानों में कुंडल, चोंचदार नाक। बड़े-बड़े कान और कद चार फीट और ढीला सूट। एक बारगी तो ऐसा लगता था कि जैसे उसने कोई मोटा कम्बल लपेट रखा हो।

फिर उसने तेज मसालेदार चिकन और कबाब खाने को कहा। नौकर भेजकर वो भी मंगवाया।

सारे का सारा वो खा गया, जबकि वो चार लोगों के लिए खाने का सामान था।

उसके बाद उसने सूट उतारना शुरू कर दिया। अंत में वो सपन चड्ढा के वीआईपी के अण्डरवियर में दिखने लगा। उसके चेहरे पर नाराजगी के भाव आ गए थे।

“तुम्हारा सूट अच्छा नहीं है।” मोमो जिन्न ने कहा।

मैंने तो तुम्हें पहले ही कहा था।” सपन चड्ढा ने तुरंत सिर हिलाया।

“मुझे ये दो, जो तुमने पहना है।”

ये?" सपन चड्ढा ने अपने शरीर पर पड़े कुर्ते-पायजामे को देखा।

“हां, मैं ये पहनूंगा। ये मुझे अच्छा लगेगा।”

“तुम तो कुर्ता पहनकर ही छिप जाओगे, पायजामा कहां पहनोगे।” सपन चड्ढा सकपकाकर बोला।

इसका दिमाग खराब हो गया है?” लक्ष्मण चड्ढा ने मुंह बनाया।

मोमो जिन्न ने अपने को सिर से पांव तक देखा, फिर सपन चड्ढा के पहने कुर्ते को।। । “तुम ठीक कहते हो। मेरा शरीर कुर्ते में ही छिप जाएगा।”
मोमो जिन्न बोला।

“तुम कुछ और लम्बे क्यों नहीं हो जाते?” सपन चड्ढा ने
कहा।।

“नहीं, अपने शरीर से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं होगा, अब ।”

क्यों?”

मेरी इच्छाएं जाग चुकी हैं। अभी ये बात जथूरा के पहरेदार नहीं जानते। मुझे यही आदेश है कि मैं तीन इंच का बनू या फिर चार फीट का। मैं चार फीट से बड़ा हुआ तो वो फौरन मशीनों से जांच करेंगे कि मैंने अपने को बड़ा क्यों बनाया। क्या जरूरत पड़ गई। जांच में उन्हें पता चलेगा कि मुझे कोई जरूरत नहीं थी अपने शरीर को बड़ा करने की। तब वो मेरे से सम्पर्क करके पूछेगे कि मैं बड़ा क्यों बना, तो मैं क्या जवाब दूंगा उन्हें ।”

“ये तुम्हारी समस्या है।”

“अगर तब ठीक जवाब न दिया तो वो शक में आकर, मेरे शरीर को चैक करेंगे तो उन्हें पता चल जाएगा कि मेरी इच्छाएं जाग चुकी हैं। वो उसी पल मेरे को खत्म कर देंगे।”

“तुम्हारी बात, तुम जानो।” लक्ष्मण चड्ढा ने मुंह बनाया।
 
ये तुम लोगों की भी बात है।” क्यों?”

मेरी इच्छा को खत्म पाकर उन्होंने मुझे मारा तो तुम दोनों फिर फंस जाओगे। वो फिर तुम्हारे पास किसी दूसरे जिन्न को भेज देंगे, जो तुम लोगों पर, जथूरा पर, जथूरा के आदेश के मुताबिक हकूमत करेगा। ये मत भूलो कि मुझमें इच्छाएं आ जाने के कारण तुम दोनों भी मजे कर रहे हो। वरना अब तक डरे-सहमे से एक तरफ बैठे होते।”

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं। “कहां फंस गए?” लक्ष्मण दास बोला।

तुम यहां से भाग क्यों नहीं जाते?” सपन चड्ढा बोला।

भागकर कहां जाऊंगा?” मोमो जिन्न मुस्करा पड़ा।

“कहीं भी जाओ—तुम तो...।”
वो मुझे ढूंढ लेंगे।” मोमो जिन्न गम्भीरता से बोला–“मेरे शरीर में एक ऐसा यंत्र डाला हुआ है जथूरा के पहरेदारों ने कि मैं कहीं भी चला जाऊं, वो यंत्र उन्हें बता देगा कि मैं कहां हूं और वो मुझे पकड़ लेंगे।”

“ओह।”

लेकिन सोबरा मुझे बचा सकता है। जथूरा से मुझे आजाद करवाने की ताकत उसके पास है।”

सोबरा कौन?

” जथूरा का भाई।” ।

ये कौन से इलाके में रहता है?”

“पूर्वजन्म की ही दुनिया में रहता है। अगर मैं वहां उसके पास पहुंच जाऊं तो मेरे बचने की उम्मीद हो सकती है।”

| “तो उसके पास कैसे पहुंचोगे?”

अभी नहीं जानता। तुम पहले मुझे ऐसा कुर्ता-पायजामा, मेरे साइज का सिलवा कर दो।” ।

“अभी?”

“हां, अभी ।” मोमो जिन्न ने जिद भरे स्वर में कहा।

लक्ष्मण दास ने मुस्कराकर सपन चड्ढा से कहा। *भुगत ।”
दोनों ही भुगत रहे हैं।” सपन चड्ढा ने जले-भुने स्वर में कहा।।
“तुम हमें छोड़कर क्यों नहीं जाते। अब हम तुम्हारे किस काम के हैं।”
“अभी इस बारे में मुझे अगला आदेश नहीं मिला। आदेश मिलने तक मुझे तुम लोगों के पास ही रहना होगा।”
“तो हमारे सिर पर सवार रहोगे?”
“दूर भी जा सकता हूं। लेकिन तब अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए मुझे उत्पात मचाना पड़ेगा। तब इस बात की संभावना हो सकती है कि उत्पात की खबर जथूरा के पहरेदारों को लग जाए और वो जान जाएं कि मुझमें इच्छाएं आ गई हैं। इसलिए ठीक यही है कि मुझे यहीं रहने दो और मेरी इच्छाएं पूरी करते रहो। तुम भी बचे रहोगे और मैं भी।” ।

“तुम में इच्छाएं डाली किसने हैं?” सपन चड्ढा झल्लाकर बोला।

“जथूरा के किसी दुश्मन ने। पहले भी बताया था तुम्हें । कोई जथूरा का काम बिगाड़ने के लिए, ऐसा कर रहा है। मेरे में इच्छाएं डालकर मुझे काम से भटका दिया। अब मैं अपनी इच्छाएं पूरी करने में ही व्यस्त रहता हूं, तो जथूरा का काम करने के लिए वक्त कैसे निकालूंगा। मेरी इच्छाएं ही मुझे चैन से बैठने नहीं दे रहीं।”

अजीब मामला है।” बोला सपन चड्ढा।।

मेरा कुर्ता-पायजामा लाकर दो। जो मुझे पूरा आए और मुझे विमल सूटिंग्स की कमीज-पैंट भी बनवा दो। रैड टेप के जूते भी ले आना मेरे साइज के। परफ्यूम वो हो जो...।”

“अबे मैं तेरा नौकर हूं...।” सपन चड्ढा झल्लाकर कह उठा।

मोमो जिन्न ने उसे कठोर नजरों से देखा। सपन चड्ढा फौरन संभलकर बोला। “ठीक है, अभी किसी को भेजकर, सब कुछ मंगवा देता
जलेबी और रबड़ी भी मंगवा लेना।

” अभी तो तूने चिकन और बिरयानी खाई...।”

मेरी इच्छा, मैं जो भी खाऊ ।” मोमो जिन्न ने मुस्कराकर कहा—“जिन्न की इच्छाएं भी कमाल की होती हैं। अक्सर हममें ये इच्छा भी जागती है कि हम इंसानों को खा जाएं।”

क्या?” सपन चड्ढा के चेहरे का रंग उड़ गया। रगड़ देगा ये हमें।” लक्ष्मण दास ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी।
घबराओ मत। अभी तक मेरे मन में इंसान को खाने की इच्छा नहीं जागी। जब ऐसा होता है तो हम जिन्नों के दांत लम्बे होकर होंठों से बाहर झांकने लगते हैं। नाक थोड़ी ऊपर चढ़ जाती है, आंखें कुछ फैल जाती हैं और मुंह से पानी बहता है।”

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं। दोनों के चेहरे फक्क थे।

“सुना तूने, अब ये हमें खाएगा।” लक्ष्मण चड्ढा ने घबराए स्वर में कहा।

“मैंने पहले ही कहा है कि घबराओ मत। ऐसा तब होता है। जब जिन्न की इच्छाएं पूरी न हो। तुम तो मेरी हर इच्छा पूरी कर रहे हो।”

“ह...हां ।” सपन चड्ढा जल्दी-से बोला—“तुम जो कह रहे हो, वो हम तुम्हें दे तो रहे हैं।”

| “फिर क्यों घबराते हो। मेरी इच्छाएं पूरी करो और मौज करते रहो। मेरी तरह।”

“मौज?” सपन चड्ढा ने मुंह लटकाकर कहा-“तुम्हारी इच्छाएं पूरी करते-करते मेरी जिंदगी बीत जाएगी।” ।
जिंदा तो रहोगे।” ।

लक्ष्मण दास सपन चड्ढा से बोला। इसने जो-जो मांगा है, वो जल्दी से लाकर दे इसे ।”

तू इसे अपने घर क्यों नहीं ले जाता?” ।
 
अपने...? नहीं यहीं ठीक है। हम दोनों यार हैं। तेरे-मेरे घर में फर्क ही क्या है। जल्दी कर, जो इसने मांगा है, वो लाकर दे। नौकर भेज के मंगवा। देर हुई तो गड़बड़ हो जाएगी।” ।

सपन चड्ढा जल्दी से कमरे से बाहर निकल गया। लक्ष्मण दास मोमो जिन्न के पास जाकर धीमे स्वर में बोला। “एक बात कहूं-मानेगा?”

बोल । अब तो हम दोस्त हैं।”

अगर तेरी इंसान को खाने की इच्छा करे तो पहले सपन चड्ढा को खाना, मुझे नहीं।” ।

वो तेरा दोस्त है—तू...।”

“जब जीने-मरने का सवाल आए तो दोस्त-वोस्त कुछ नहीं होता। तू पहले सपने को खाना। मुझे नहीं ।”
“ठीक है। तेरी बात मान लेता हूं।”

“तू कितना अच्छा है। ला, मैं तेरी टांगें दबाता हूं।”
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रुस्तम कहां है?" अपने कमरे की तरफ गया जगमोहन, वापस आकर देवराज चौहान और बांके से बोला।
वो तो थारो बिस्तरों पर ई नींद मारो हो।”

वहां नहीं है वो।” ।

बगलो वाले कमरो में हौवो?”

“वहां भी नहीं है। मैंने कई जगह देखा है। बंगले से बाहर जाता तो वो यहीं से निकलता।”
“बाथरूम वगैरह चैक करो।” देवराज चौहान उठते हुए बोला–“वो मिल जाएगा।” ।

उसके बाद तीनों ने रुस्तम राव को बंगले में तलाशा। परंतु रुस्तम राव नहीं मिला।

देवराज चौहान और बांकेलाल राठौर परेशान थे कि रुस्तम राव कहां चला गया। जगमोहन के बहरूप में मखानी भी चिंतित होने का भरपूर दिखावा कर रहा था। वो सोच भी नहीं सकते थे कि जगमोहन के रूप में कालचक्र उसके पास मौजूद है।
“म्हारो तो खोपड़िया खराब हो गयो हो कि छोरो कां पे चल्लो गयो।”
“सच में ये हैरानी वाली बात है।” जगमोहन परेशान-सा कह उठा।
“हमारी निगाहों में आए बिना रुस्तम बंगले से बाहर जाएगा ही क्यों?” देवराज चौहान बोला–“मेरे खयाल में कुछ हुआ है, जिसका हमें आभास नहीं हो सका। जथूरा के कालचक्र ने इस बंगले पर भी पांव फैलाने शुरू कर दिए हैं।”

“का कहत हो देवराज चौहानो।” बांकेलाल राठौर हड़बड़ाकर बोला—“कालचक्रो इधरो आयो हो?”

मुझे भी यही लगता है।” जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा।

“सोहनलाल नहीं आया अभी तक?” देवराज चौहान ने जगमोहन से पूछा।

आ जाएगा।” देवराज चौहान ने फोन निकाला और सोहनलाल के नम्बर मिलाने लगा। वो चिंता में था। | देवराज चौहान ने बार-बार नम्बर मिलाया, परंतु उधर बजने वाली बेल कानों में नहीं पड़ी।

क्या हुआ?” जगमोहन ने पूछा।

नम्बर नहीं लग रहा।” देवराज चौहान कह उठा।

नेटवर्क में समस्या होगी।” जगमोहन ने कहा-“आ जाएगा वो। मैं तो रुस्तम के बारे में चिंतित हूं।” ।

“छोरा जवानो हो गयो हो। इस तरहो इसको गायब हो जानो, ठीको न हौवो।” ।

“मैं एक बार फिर बंगला देखता हूं।” कहकर जगमोहन बंगले के भीतर वाले हिस्से की तरफ बढ़ गया।

| बांकेलाल राठौर ने देवराज चौहान को देखा।
देवराज चौहान के चेहरे पर गम्भीरता के भाव नजर आ रहे थे।

देवराज चौहानो। म्हारो छोकरो किधर जायो हो?”

“मुझे भारी खतरे का अंदेशा हो रहा है।” देवराज चौहान बोला।

भारी खतरो?”

“रुस्तम के इस तरह बंगले से गायब हो जाने के पीछे, जथूरा की शक्तियों का ही हाथ है।” ।

“यो जथूरा म्हारे को मिल्लो तो अंम उसी को ‘वड' दयो।” बांकेलाल राठौर गुर्रा उठा।

“हम कुछ नहीं कर सकते बांके ।” देवराज चौहान गम्भीर था—“हमारे पास कुछ भी करने को रास्ता नहीं है। हम नहीं जानते कि जथूरा सबका अपहरण करके उन्हें कहां रख रहा है। हम नहीं जानते कि जथूरा कहां रहता...।”

वो पूर्वोजन्मो में हौवे। चल्लो हंम उधरो चल्ले ।”

पूर्वजन्म में प्रवेश करने का रास्ता हमें नहीं मालूम ।”

वो रास्तो किधर से मिल्लो हो?” ।

“मैं नहीं जानता। लेकिन जब पूर्वजन्म में प्रवेश करने का वक्त आएगा, हम रास्ते के सामने होंगे। ये ठीक है कि जथूरा की शैतानी शक्तियों के काम करने का एहसास हमें हो रहा है, परंतु मुझे पूरा विश्वास है कि पवित्र शक्तियां भी इस काम में आ चुकी हैं। पूर्वजन्म की जब बुरी शक्ति हमारे खिलाफ हरकत में आती हैं तो, अच्छी शक्तियां भी हमारे बचाव में सामने आ जाती हैं। हमारे पूर्वजन्म में प्रवेश करने की ये शुरुआत-भर है। खेल तो अभी शुरू होना है।”

जथूरो तो चाहो कि अंम पूर्वजन्म में ना जायो।” ।

“हां, वो इसी कोशिश में लगा है कि इस बार हमें पूर्वजन्म के सफर से रोक ले। वो अपनी भरपूर कोशिशें कर रहा है, मेरे खयाल से जब पूर्वजन्म के सफर का वक्त आता है, तो हमें वहां जाना ही पड़ता है। परंतु एक बात अजीब है बांके।”

बोल्लो ।”
“हमने जब-जब पूर्वजन्म में प्रवेश किया है, उससे पहले पेशीराम (फकीर बाबा) अवश्य हमारे पास आया। हमें पहले ही आगाह कर देता था आने वाले हालातों से, परंतु इस बार, अभी तक पेशीराम हमारे पास क्यों नहीं आया?”
वो बुडूढो हौवे, मरो खपो गयो हौवे ।”

नहीं वो मर नहीं सकता।” देवराज चौहान ने इंकार में सिर हिलाया।
 
“पेशीराम ने ही पहले जन्म में मोना चौधरी को मेरे खिलाफ भड़का-भड़काकर, नगरी में झगड़ा पैदा किया था। जिसका अंत बुरा हुआ था। तब पवित्र बड़ी शक्तियों ने पेशीराम को श्राप दिया था कि जब तक वो देवा और मिन्नो में दोस्ती नहीं करा देता, तब तक उसे मोक्ष (मृत्यु) की प्राप्ति नहीं होगी।”

“यो बात थारे को कौन्नो बताये हो?"

पेशीराम ने स्वयं बताई थी।” समझो...।”

यही वजह है कि पेशीराम मेरे और मोना चौधरी की दोस्ती करवाने का यत्न करने में लगा हुआ है। श्राप से ग्रस्त वो मर नहीं सकता। वो अवश्य कहीं पर व्यस्त होगा।”

“थारे को यादो हौवे पूर्वजन्मो के कांडो की?” ।

नहीं, लेकिन पूर्वजन्म में प्रवेश करने के बाद, कभी-कभी अपने उस जीवन की याद आ जाती है। ऐसा लगता है जैसे सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ हो ।”

“भयानको हुओ सबो ।” ।

“हां, बहुत ही बुरा हुआ था।” देवराज चौहान जाने कहां गुम होता कह उठा–“मैं मिन्नो की जान नहीं लेना चाहता था । जानता था कि वो पेशीराम की भड़काई हुई है। परंतु मिन्नो को कौन समझाता। वो तो पागल थी मुझे जान से मार देने को। वो शाम कभी-कभी याद आती है मुझे । धुंधली-धुंधली सी याद। नगरी में युद्ध छिड़ा था। मिन्नो तब नगरी की मालकिन बन चुकी थी अपनी युद्ध कला के दम पर। उसके साथ नीलसिंह और परसू तथा नगरी के सैनिक थे। मेरे साथ जग्गू, गुलचंद, भंवर सिंह और त्रिवेणी के अलावा और भी बहुत लोग थे। युद्ध हो रहा था हममें कि तभी मिन्नो मेरे हाथ पड़ गई। वो घोड़े पर थी, मैं पैदल। हम दोनों के हाथ में तलवारें थीं, आंखों में खून उतरा हुआ था। मैं उसे समझाना चाहता था, लेकिन उसने तलवार मेरे पेट में भौंक दी थी। वो पागल हुई पड़ी थी। ऐसा होते ही मैंने उसके घोड़े की लगाम पकड़ ली। मिन्नो को घोड़े से नीचे गिरा दिया। इससे पहले कि वो उठ पाती, मैंने अपनी तलवार उसकी छाती में घुसेड़ दी। हम दोनों ही मर गए थे। बाकी सब भी इसी लड़ाई में मर गए थे।”

“बोत जुल्म हौयो ।”

“ये सब पेशीराम की वजह से हुआ था ।”

“बोत बुरो इंसानो हौवो पेशीराम तो?”
“तब था। अब ऐसा नहीं है। तपस्या कर-करके अब वो विद्वान बन चुका है। परंतु अभी भी श्राप में ग्रस्त है। वो जीना नहीं चाहता, लेकिन श्राप की वजह से वो जीने को मजबूर है। उसका शरीर बूढ़ा हो चुका है और उसी शरीर के साथ उसे जीना पड़ रहा है।”

बांकेलाल राठौर की निगाह देवराज चौहान पर थी।
देवराज चौहान का चेहरा बता रहा था कि वो कहीं खोया हुआ है। बांके ने पहले कभी देवराज चौहान को इस हाल में न देखा mथा। बांके उसे इन बातों से बाहर निकालने के लिए बोला।

अंम जल्दो ही जथूरा का कोई इंतजामो करो हो ।”

देवराज चौहान ने गहरी सांस लेकर उसे देखा फिर कह उठा।
ये बातें मुझे कभी याद नहीं आतीं। परंतु आज जाने कैसे ये सब कुछ मेरी सोचों में आ गया।”

“अम जगमोनो को देखो हो, किधरो हौवे ।”
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