desiaks
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“जरूरी तो नहीं कि देवराज चौहान और मोना चौधरी, पोतेबाबा की बात माने।"
“जरूरी तो नहीं, परंतु मजबूरी हो सकती है।"
"कैसी मजबूरी?”
“पूर्वजन्म की जमीन पर पहुंचने के बाद, वापसी के लिए दरवाजे तभी खुलेंगे, जब पूर्वजन्म का कोई बिगड़ा काम संवार दिया जाए। ऐसे में देवराज चौहान और मोना चौधरी को कोई काम तो ठीक करना ही होगा। अगर वो जथुरा को आजाद नहीं कराते तो, कोई और बिगड़ा काम तलाशना होगा।” । __
“इसका मतलब वे जथूरा को आजाद कराने पर मान भी सकते हैं।” सोहनलाल ने कहा।
जगमोहन ने 'हां' में सिर हिलाया। सोबरा ने गिलास उठाकर खाली किया और वापस रख दिया। जगमोहन ने सोबरा से कहा।
“जथूरा ने तुम्हारा हक मारा और तुमने उसे कैद में पहुंचा दिया। तुम दोनों ही एक जैसे हो। न तो तुम कम हो, न ही जथूरा
कम है। उसने गलत किया तो तुमने भी गलत किया।”
सोबरा मुस्कराया।
“कब से कैद में है जथूरा?” सोहनलाल ने पूछा।
“पचास सालों से।” सोबरा बोला—“जथूरा और मुझमें ये फर्क है कि उसने मुझे मजबूर किया कि मैं ऐसा कुछ करूं। अगर वो मुझे मेरा हक दे देता तो मैं ऐसा क्यों करता।” ___
“ये तुम भाइयों का मामला है। इससे हमारा कोई मतलब नहीं।"
सोहनलाल बोला।
“मतलब तो अनजाने में पैदा हो गया है।"
“वो कैसे?"
"देवा-मिन्नो, जथूरा को आजाद कराने के लिए कल उस तिलिस्मी पहाड़ी की तरफ रवाना होंगे।" ___
“तुम्हें कैसे पता?"
"मेरे खबरी जथूरा के महल में मौजूद हैं। वो मुझे खबर देते हैं वहां की।”
"ओह।"
"कोई भी कम नहीं है।” जगमोहन ने मुंह बनाया।
“तुम दोनों को देवा और मिन्नो की चिंता करनी चाहिए।” सोबरा ने दोनों को देखा।
"क्यों?"
"क्योंकि महाकाली ऐसा जाल बिछा रही है कि देवा-मिन्नो जथूरा तक पहुंचने से पहले ही जान गंवा बैठें।"
जगमोहन के होंठ भिंच गए।
“तुम महाकाली को ऐसा करने से रोको।” सोहनलाल ने कहा।
“मैंने पहले ही कहा है कि महाकाली पर किसी का बस नहीं। वो सिर्फ अपना काम करती है। किसी की सुनती नहीं। महाकाली को किसी भी हालत में रोका नहीं जा सकता। इस वक्त भी वो उसी तिलिस्मी पहाड़ी पर मौजूद, देवा और मिन्नो की मौत का जाल बुन रही है। उनके साथ जो भी होगा, उसका भी यही हाल होगा।" सोबरा ने कहा।
"तुम महाकाली को रोको सोबरा।" जगमोहन गुर्रा उठा।
“ये अब सम्भव नहीं, परंतु तुम्हें सलाह दे सकता हूं।” सोबरा शांत स्वर में बोला।
"कैसी सलाह?" जगमोहन के दांत भिंच चुके थे। __
“तुम देवा और मिन्नो को रोक सकते हो।" सोबरा का स्वर शांत था।
जगमोहन के माथे पर बल पड़े। सोहनलाल ने जगमोहन को देखा। फिर बोला। “सना।"
“समझ भी रहा हूं।" जगमोहन का स्वर तीखा हो गया—
“ये वजह है कि इसने हमें अपने पास बुलाया।"
सोबरा मुस्करा पड़ा।
“ये महाकाली को नहीं रोकेगा, परंतु हमें कह रहा है कि हम देवराज चौहान और मोना चौधरी को रोकें।"
"मुझे तो ये दोनों भाई ही कुछ ज्यादा समझदार लगते हैं।" सोहनलाल ने कहा।
“जरूरी तो नहीं, परंतु मजबूरी हो सकती है।"
"कैसी मजबूरी?”
“पूर्वजन्म की जमीन पर पहुंचने के बाद, वापसी के लिए दरवाजे तभी खुलेंगे, जब पूर्वजन्म का कोई बिगड़ा काम संवार दिया जाए। ऐसे में देवराज चौहान और मोना चौधरी को कोई काम तो ठीक करना ही होगा। अगर वो जथुरा को आजाद नहीं कराते तो, कोई और बिगड़ा काम तलाशना होगा।” । __
“इसका मतलब वे जथूरा को आजाद कराने पर मान भी सकते हैं।” सोहनलाल ने कहा।
जगमोहन ने 'हां' में सिर हिलाया। सोबरा ने गिलास उठाकर खाली किया और वापस रख दिया। जगमोहन ने सोबरा से कहा।
“जथूरा ने तुम्हारा हक मारा और तुमने उसे कैद में पहुंचा दिया। तुम दोनों ही एक जैसे हो। न तो तुम कम हो, न ही जथूरा
कम है। उसने गलत किया तो तुमने भी गलत किया।”
सोबरा मुस्कराया।
“कब से कैद में है जथूरा?” सोहनलाल ने पूछा।
“पचास सालों से।” सोबरा बोला—“जथूरा और मुझमें ये फर्क है कि उसने मुझे मजबूर किया कि मैं ऐसा कुछ करूं। अगर वो मुझे मेरा हक दे देता तो मैं ऐसा क्यों करता।” ___
“ये तुम भाइयों का मामला है। इससे हमारा कोई मतलब नहीं।"
सोहनलाल बोला।
“मतलब तो अनजाने में पैदा हो गया है।"
“वो कैसे?"
"देवा-मिन्नो, जथूरा को आजाद कराने के लिए कल उस तिलिस्मी पहाड़ी की तरफ रवाना होंगे।" ___
“तुम्हें कैसे पता?"
"मेरे खबरी जथूरा के महल में मौजूद हैं। वो मुझे खबर देते हैं वहां की।”
"ओह।"
"कोई भी कम नहीं है।” जगमोहन ने मुंह बनाया।
“तुम दोनों को देवा और मिन्नो की चिंता करनी चाहिए।” सोबरा ने दोनों को देखा।
"क्यों?"
"क्योंकि महाकाली ऐसा जाल बिछा रही है कि देवा-मिन्नो जथूरा तक पहुंचने से पहले ही जान गंवा बैठें।"
जगमोहन के होंठ भिंच गए।
“तुम महाकाली को ऐसा करने से रोको।” सोहनलाल ने कहा।
“मैंने पहले ही कहा है कि महाकाली पर किसी का बस नहीं। वो सिर्फ अपना काम करती है। किसी की सुनती नहीं। महाकाली को किसी भी हालत में रोका नहीं जा सकता। इस वक्त भी वो उसी तिलिस्मी पहाड़ी पर मौजूद, देवा और मिन्नो की मौत का जाल बुन रही है। उनके साथ जो भी होगा, उसका भी यही हाल होगा।" सोबरा ने कहा।
"तुम महाकाली को रोको सोबरा।" जगमोहन गुर्रा उठा।
“ये अब सम्भव नहीं, परंतु तुम्हें सलाह दे सकता हूं।” सोबरा शांत स्वर में बोला।
"कैसी सलाह?" जगमोहन के दांत भिंच चुके थे। __
“तुम देवा और मिन्नो को रोक सकते हो।" सोबरा का स्वर शांत था।
जगमोहन के माथे पर बल पड़े। सोहनलाल ने जगमोहन को देखा। फिर बोला। “सना।"
“समझ भी रहा हूं।" जगमोहन का स्वर तीखा हो गया—
“ये वजह है कि इसने हमें अपने पास बुलाया।"
सोबरा मुस्करा पड़ा।
“ये महाकाली को नहीं रोकेगा, परंतु हमें कह रहा है कि हम देवराज चौहान और मोना चौधरी को रोकें।"
"मुझे तो ये दोनों भाई ही कुछ ज्यादा समझदार लगते हैं।" सोहनलाल ने कहा।