desiaks
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“हां। तिलिस्म को देवा और मिन्नों ही तोड़ सकते हैं। ये दोनों ही सिर्फ वहां तक पहुंच सकते हैं। वहां फैली महाकाली की जादुई ताकतें सिर्फ देवा और मिन्नो को ही जथूरा तक पहुंचने की इजाजत देंगी।”
इस कारण तुम हमें चालाकियों से यहां तक लाए?”
पोतेबाबा ने सहमति से सिर हिलाकर कहा। “मजबूरी थी। ऐसा करना पड़ा मुझे। इसके अलावा मेरे पास कोई और रास्ता भी तो नहीं था। सीधे-सीधे तुमसे कहता कि पूर्वजन्म मैं तुम्हारी जरूरत है तो कोई भी आने को तैयार नहीं होता।”
“तुम चाहते हो कि अब हम जथूरा को कैद से आजाद कराएं।” मोना चौधरी बोली। ।
“हां। यही चाहता हूं मैं। मेरी सारी कोशिशें अब इसी बात पर आकर रुकती हैं।”
“तुमने कैसे सोच लिया कि हम तुम्हारी बात मानकर ये काम करेंगे।”
मेरा दिल कहता है कि तुम दोनों इनकार नहीं करोगे।”
खतरे वाले काम में हम हाथ क्यों डालेंगे तुम्हारे लिए?” पोतेबाबा मोना चौधरी को देखता रहा।
तुम्हें ये बात हमें पहले ही स्पष्ट तौर पर बता देनी चाहिए थीं।”
पोतेबाबा खामोश रहा।
तिलिस्म को तोड़ना खेल नहीं होता।” मोना चौधरी ने गम्भीर स्वर में कहा—“पूर्वजन्म में मैं भी नगरी की मालकिन रह चुकी हूं और तिलिस्म विद्या में माहिर थी। ये एक भारी खतरे वाला काम है। आसान नहीं है ये सब करना।” ।
तो मत करो।” तवेरा कह उठी।।
सबकी निगाह तवेरा की तरफ उठ गई। गरुड़ की खोज-भरी निगाह तवेरा के चेहरे पर फिरने लगी।
मखानी बोरियत-भरे अंदाज में चेहरा लटकाए कब से बैठा, रह-रहकर कमला रानी को देख रहा था। लम्बी तपस्या के बाद अब जाकर कमला रानी से नजरें मिली तो मखानी ने आंख के इशारे से उसे चलने को कहा।
कमला रानी ने इनकार में सिर हिलाया।।
मखानी ने झुंझलाकर, पुनः यहां से चुपके-से उठने का इशारा किया।
कमला रानी ने मुंह फेर लिया। | ‘औरत में यही खराबी है कि जब जरूरत पड़ती है तो नखरे दिखाने लगती हैं। ये कमला रानी तो औरतों की मां है। पहले तो मेरे कान में बोल दिया कि चुपके से कहीं जाकर प्यार कर लेंगे। मेरी तबीयत हरी है प्यार करने को तो, खुद उठने का नाम नहीं ले रहीं। मखानी बड़बड़ा उठा–‘साली एक बार हाथ पर चढ़ जाए तो हालत बिगाड़ दूंगा।'
“अगर तुम मेरे पिता को आजाद नहीं कराना चाहते तो न सही।” तवेरा लापरवाही से पुनः बोली।
ये तू क्या कह रही है मेरी बच्ची ।” पोतेबाबा के होंठों से निकला।
“गलत क्या कह दिया।”
देवा और मिन्नो जथूरा को आजाद करा सकते...।” ।
पोतेबाबा।” तवेरा गम्भीर स्वर में कह उठी “पिता की आजादी का मतलब है, मेरी आजादी खत्म। जब से वो कैद हैं तब से मेरा जीवन बदल गया है। मैं कहीं भी आ-जा सकती हूं। उनकी आजादी के बाद,..।”
वो तेरे पिता हैं।”
“मैं परवाह नहीं करती।” तवेरा ने कहा और पलटकर बाहर की तरफ बढ़ गई।
“मेरी बच्ची तुझे क्या हो गया है।” पीछे से पोतेबाबा ने कहा। परंतु तवेरा बाहर निकल गई थी।
“शायद बच्ची की तबीयत ठीक नहीं।” पोतेबाबा ने चिंतित स्वर में कहा और गरुड़ से बोला–“तुम उसे समझाओ गरुड़।”
जी। मैं अभी जाता हूं।” कहने के साथ ही गरुड़ पलटा और बाहर निकलता चला गया।
पास की कुर्सी पर बैठा रातुला धीमे स्वर में पोतेबाबा से कह उठा।।
“ये तुमने क्या किया पोतेबाबा। गरुड़ को तवेरा के पास भेज दिया।”
पोतेबाबा शांत भाव में मुस्कराकर बोला।
गरुड़ के बारे में मैं तवेरा को सब कुछ बता चुका हूं।”
ओह।” ।
तवेरा का ये सब कहना, उसकी किसी चाल का ही हिस्सा है। तुम इस बारे में निश्चिंत रहो रातुला।”
समझ गया।”
फिर पोतेबाबा ऊंचे स्वर में सबसे कह उठा।
तवेरा की बात का बुरा मत मानना। वो अपने पिता की कैद की वजह से बहुत परेशान है।” ।
“म्हारे को तो दूसरों ही स्टोरी लागे।” बांकेलाल राठौर ने सोच-भरे स्वर में कहा—“थारे को का लागे छोरे?”
“ये बात बाद में देखेला बाप ।”
ठीको ।”
इस कारण तुम हमें चालाकियों से यहां तक लाए?”
पोतेबाबा ने सहमति से सिर हिलाकर कहा। “मजबूरी थी। ऐसा करना पड़ा मुझे। इसके अलावा मेरे पास कोई और रास्ता भी तो नहीं था। सीधे-सीधे तुमसे कहता कि पूर्वजन्म मैं तुम्हारी जरूरत है तो कोई भी आने को तैयार नहीं होता।”
“तुम चाहते हो कि अब हम जथूरा को कैद से आजाद कराएं।” मोना चौधरी बोली। ।
“हां। यही चाहता हूं मैं। मेरी सारी कोशिशें अब इसी बात पर आकर रुकती हैं।”
“तुमने कैसे सोच लिया कि हम तुम्हारी बात मानकर ये काम करेंगे।”
मेरा दिल कहता है कि तुम दोनों इनकार नहीं करोगे।”
खतरे वाले काम में हम हाथ क्यों डालेंगे तुम्हारे लिए?” पोतेबाबा मोना चौधरी को देखता रहा।
तुम्हें ये बात हमें पहले ही स्पष्ट तौर पर बता देनी चाहिए थीं।”
पोतेबाबा खामोश रहा।
तिलिस्म को तोड़ना खेल नहीं होता।” मोना चौधरी ने गम्भीर स्वर में कहा—“पूर्वजन्म में मैं भी नगरी की मालकिन रह चुकी हूं और तिलिस्म विद्या में माहिर थी। ये एक भारी खतरे वाला काम है। आसान नहीं है ये सब करना।” ।
तो मत करो।” तवेरा कह उठी।।
सबकी निगाह तवेरा की तरफ उठ गई। गरुड़ की खोज-भरी निगाह तवेरा के चेहरे पर फिरने लगी।
मखानी बोरियत-भरे अंदाज में चेहरा लटकाए कब से बैठा, रह-रहकर कमला रानी को देख रहा था। लम्बी तपस्या के बाद अब जाकर कमला रानी से नजरें मिली तो मखानी ने आंख के इशारे से उसे चलने को कहा।
कमला रानी ने इनकार में सिर हिलाया।।
मखानी ने झुंझलाकर, पुनः यहां से चुपके-से उठने का इशारा किया।
कमला रानी ने मुंह फेर लिया। | ‘औरत में यही खराबी है कि जब जरूरत पड़ती है तो नखरे दिखाने लगती हैं। ये कमला रानी तो औरतों की मां है। पहले तो मेरे कान में बोल दिया कि चुपके से कहीं जाकर प्यार कर लेंगे। मेरी तबीयत हरी है प्यार करने को तो, खुद उठने का नाम नहीं ले रहीं। मखानी बड़बड़ा उठा–‘साली एक बार हाथ पर चढ़ जाए तो हालत बिगाड़ दूंगा।'
“अगर तुम मेरे पिता को आजाद नहीं कराना चाहते तो न सही।” तवेरा लापरवाही से पुनः बोली।
ये तू क्या कह रही है मेरी बच्ची ।” पोतेबाबा के होंठों से निकला।
“गलत क्या कह दिया।”
देवा और मिन्नो जथूरा को आजाद करा सकते...।” ।
पोतेबाबा।” तवेरा गम्भीर स्वर में कह उठी “पिता की आजादी का मतलब है, मेरी आजादी खत्म। जब से वो कैद हैं तब से मेरा जीवन बदल गया है। मैं कहीं भी आ-जा सकती हूं। उनकी आजादी के बाद,..।”
वो तेरे पिता हैं।”
“मैं परवाह नहीं करती।” तवेरा ने कहा और पलटकर बाहर की तरफ बढ़ गई।
“मेरी बच्ची तुझे क्या हो गया है।” पीछे से पोतेबाबा ने कहा। परंतु तवेरा बाहर निकल गई थी।
“शायद बच्ची की तबीयत ठीक नहीं।” पोतेबाबा ने चिंतित स्वर में कहा और गरुड़ से बोला–“तुम उसे समझाओ गरुड़।”
जी। मैं अभी जाता हूं।” कहने के साथ ही गरुड़ पलटा और बाहर निकलता चला गया।
पास की कुर्सी पर बैठा रातुला धीमे स्वर में पोतेबाबा से कह उठा।।
“ये तुमने क्या किया पोतेबाबा। गरुड़ को तवेरा के पास भेज दिया।”
पोतेबाबा शांत भाव में मुस्कराकर बोला।
गरुड़ के बारे में मैं तवेरा को सब कुछ बता चुका हूं।”
ओह।” ।
तवेरा का ये सब कहना, उसकी किसी चाल का ही हिस्सा है। तुम इस बारे में निश्चिंत रहो रातुला।”
समझ गया।”
फिर पोतेबाबा ऊंचे स्वर में सबसे कह उठा।
तवेरा की बात का बुरा मत मानना। वो अपने पिता की कैद की वजह से बहुत परेशान है।” ।
“म्हारे को तो दूसरों ही स्टोरी लागे।” बांकेलाल राठौर ने सोच-भरे स्वर में कहा—“थारे को का लागे छोरे?”
“ये बात बाद में देखेला बाप ।”
ठीको ।”