hotaks444
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आयशा बोले जा रही थी-------
वो मुझे गोदी में बिठाकर प्यार करते हुए मेरे गाल चूमने लगे। उनके हाथ मेरे बदन में घूमने लगे थे। वो मेरे कमर को सहलाकर मेरे कंधे और होंठ चूमने लगे। शराब ने मुझे भी बेशर्म कर दिया था । मैं भी उनका पूरा साथ देने लगी। वो मेरा होंठ चूसते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरे को गरम करने लगे। मैं भी मस्ती से उनकी जीभ चूसने लगी। उनका हाथ अब मेरी चूचियों पर आ गया था और वो मुझे बोले: बेटा चलो बिस्तर पर चलते हैं।
मैं उठी और उन्होंने मेरी गाँड़ को दोनों पंजों में दबोच लिया और मस्ती से दबाकर बोले: बेटा बहुत मस्त माल हो गयी हो। आज तो मज़ा ही आ जाएगा।
कमरे में वो मेरा कुर्ता और सलवार उतारे और मुझे ब्रा और पैंटी में देखकर बोले: सालों के बाद ऐसी मस्त जवानी का दीदार कर रहा हूँ। वो मेरे बदन को आगे और पीछे से देखकर मस्ती से भर गए और अपनी बनियान उतार दिए। बहुत घने बाल थे उनकी छाती पर। मस्त मर्दाना बदन था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी। अब पापा ने मेरी ब्रा खोली और खड़े खड़े ही मेरी चूचियाँ देखकर बोले: उफफफ क्या मस्त दूध हैं तेरे । लगता है असलम ने ख़ूब दबाकर चूसा है। अब वो ख़ुद उनको दबाने लगे और उन पर चुंबनों की बारिश करने लगे। मैं भी गरम होकर उनकी लूँगी खींचकर उतार दी। उनकी चड्डी में से उनका लौड़ा बाहर आकर एक जाँघ पर सीधा लेटा हुआ था। मैंने चड्डी में हाथ डाला और उनके गरम मोटे लौड़े का अहसास करने लगी। उफफफफ क्या मस्त लौड़ा था। अब्बा से भी बड़ा था उनका। अब वो मुझे बिस्तर पर लिटा दिए और मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगे। बार बार वो मुझे बोल रहे थे: आऽऽह क्या मस्त जवानी है तुम्हारी । जी करता है खा जाऊँ। बेटी चूचि पिलाओ ना। मैं भी मस्ती में आकर एक चूचि को हाथ में ली और उनके मुँह में दे दी। वो उसे चूसने लगे। मैंने हाथ हटा लिया तो बोले: बेटा अपने हाथ से ही पिलाओ।
मैं भी अब मस्त हो चुकी थी। मैंने अपना एक हाथ अपनी चूचि पर रखे रहा और उनको पिलाती रही। अब वो बोले: बेटी अब दूसरी पिलाओ। तो मैंने अब दूसरी चूचि भी अपने हाथ से पकड़कर उनके मुँह में दे दी। वो क़रीब २० मिनट मेरी चूचियाँ चूस चूस कर उनको लाल कर दिए। अब तक मैं बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने ही उनका लौड़ा मसलना शुरू का दिया। वो पागल हो चुके थे मज़े से । अब वो नीचे आकर मेरे पेट को चुमें और मेरी नाभि में भी जीभ फिराने लगे। फिर नीचे आकर मेरी जाँघें सहलाए और उनको भी चूमा। मैंने जोश में ख़ुद ही अपनी जाँघें फैला दी और अपनी बुर उनको दिखाने लगी। वो भी मस्ती से बुर पर हाथ फेरे और बोले: आह क्या मस्त चिकनी बुर है। क्या मस्त फूली हुई है। फिर वो उसे चूमने लगे और जल्द ही जीभ घुसेड़कर मुझे सिसकियाँ लेने पर मज़बूर कर दिए।
अब मैं अपनी गाँड़ उठाकर उनकी जीभ का मज़ा ले रही थी। तभी वो बोले: बेटी मुझे चुदाई के समय गंदी बात करना अच्छा लगता है। तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना?
मैं: आऽऽह पापा बस अब डाल दो । बातें बाद में कर लेना। अच्छी बात करो या गंदी बात बस मुझे अभी चोद दो।
पापा : आऽऽह बेटी सच कह रही हो। अब वो अपना लौड़ा मेरी बुर में रखे और हल्के से दबाकर अपना मोटा सुपाड़ा मेरी बुर के अंदर डाल दिए । मेरी आऽऽह निकल गयी और वो बोले: बेटी रुकूँ या डालूँ?
मैं : आऽऽऽऽऽह डालो पापा डालो। पूरा अंदर डाल दो। आपका तो बहुत मस्त है।
अब वो पूरा अंदर डाले और फिर मेरी चुदाई में लग गए । वो मेरे होंठ चूसते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहे थे और मस्त धक्के मार रहे थे। अब वो बोले: बेटी गंदी बात करूँ।
मैं अब नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर बोली: हाऽऽऽय जो करना है करो। बस ऐसे ही चोदते रहो।
पापा: आऽऽह बेटी बहुत मज़ा आ रहा है। आह कैसा लग रहा है बेटी। मज़ा आ रहा है?
मैं: हाँ पापा बहुत मज़ा आ रहा है। वो अब बहुत अंदर तक लंड डालकर पूरा दबाते थे। मेरी बुर बहुत बुरी तरह से खुल चुकी थी।
वो: असलम भी ऐसा ही चोदता है क्या? आह्ह्ह्ह्ह।
मैं: आऽऽह पापा वो तो अभी सिख रहे हैं। आप तो पक्के खिलाड़ी हो।
वो: ह्म्म्म्म्म ऐसा लग रहा है जैसी मेरी बहु रँडी है। मादरचोद कैसे गाँड़ उठाकर चुदवा रही है। ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्म्म साली छिनाल कितनो से फडवा चुकी है रँडी साली।
मैं एक मिनट के लिए हक्की बक्की रह गयी कि पापा को ये अचानक क्या हो गया है। फिर मैं बोली: आऽऽऽऽह पापा आप बहुत पक्के चुदक्कड हो जो अपनी बहु को भी नहीं छोड़ा । आऽऽहाह और ज़ोर से करो पाआऽऽऽऽऽपा।
वो: साली माँ और बेटी दोनों रंडियां हैं। आऽऽऽऽह क्या चुदवाती हैं दोनों?
मैंने नाटक करते हुए कहा: आऽऽऽह आपने अम्मी को भी किया है। हाऽऽऽऽऽऽऽय ।
वो: अरे वो तो पक्की रँडी है। साली मज़े से चुदवाती है। आऽऽऽहहह ।
अब मैं रुक नहीं पा रही थी सो चिल्लाई: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽपा मैं तो गयीइइइइइइइ।
पापा भी जल्दी ही हम्म कह कर झड़ गए।
अब पापा ने बड़े प्यार से मेरी बुर को कपड़े से पोंछा और बोले: बेटी मैं तुझे गालियाँ दे रहा था, सॉरी । मैं असल में जब बहुत गरम हो जाता हूँ ना तो ऐसे ही गालियाँ बकने लगता हूँ।
मैं : कोई बात नहीं पापा। मुझे बुरा नहीं लगा।
उसके बाद थोड़ी देर आराम करके अब्बा ने मुझसे लौड़ा चूसवाया और फिर उलटा लिटा के मेरे पिछवाड़े को उठाकर वहाँ मस्ती से दबाए और गाँड़ के छेद को भी जीभ से कुरेदे। मैं उफफफफ कर उठी। फिर वो मेरी बुर भी चाटे और उसकी अवस्था में पीछे से अपना लौड़ा मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई में लग गए। इस बार मैं दो बार झड़ी और वो एक बार झड़े।
अगले दिन वो मेरी गाँड़ मारे और मैं एक दिन पूरा ठीक से चल भी नहीं सकी। वो मेरी गाँड़ के दीवाने हो गए थे। अब वो रोज़ मेरी आगे और पीछे से चुदाई करते। ये सिलसिला तब तक चला जब तक मेरी सास और देवर वापस नहीं आ गए।
मेरी सास और मैं जब अकेले थे किचन में तो सास बोली: तो पापा से मज़ा ले लिया ना?
मैं शर्मा कर बोली: जी अम्मी । अब तक मैं भी समझ गयी थी कि यहाँ कोई छिपाकर कुछ नहीं होता।
वो हँसी: तो कौन ज़्यादा मज़ा देता है असलम या पापा?
मैं: दोनों । पर असलम तो पता नहीं कब आएँगे?
अम्मी: तो ठीक है ना पापा का लेती रह। क्या समस्या है?
मैं: और अम्मी आपका क्या?
अम्मी हँसकर: अरे वो हम दोनों को संभाल लेंगे। तू क्यों फ़िक्र करती है। तभी पापा अंदर आए और बोले: क्या बातें कर रहीं हैं सास बहु।
अम्मी हँसकर: आपकी तारीफ़ कर रहीं हैं, बुराई नहीं कर रही हैं। बहु आपकी चुदाई की दीवानी हो गयी है ,ऐसा बोल रही है।
मैं शर्माते हुए बोली: हाय अम्मी आप कुछ भी बोल रहीं हैं। इस पर पापा और अम्मी हँसने लगे।
पापा ने हाथ बढ़ाकर अम्मी को पीछे से कसकर पकड़कर कहा: बड़े दिनों बाद आइ हो। बहुत याद आती थी तुम्हारी। ये कहते हुए मेरे सामने ही उनकी दोनों चूचियाँ दबाकर अपना लौड़ा उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी गाँड़ में दबाने लगे। मैं शर्माकर बाहर जाने लगी तो मेरा हाथ पकड़कर बोले: अरे बहु कहाँ जा रही हो? अब वो मेरी भी एक चूचि दबाने लगे और बोले: आज सास बहु को एक साथ चोदूँगा, ठीक है ना?
अम्मी हँसकर: ठीक है चोद लीजिएगा। मगर अभी तो खाना बनाने दीजिए ना।
वो हँसे और हम दोनों के चूतर दबाकर बाहर चले गए। अब हम दोनों भी हँसने लगे। उस रात पापा ने मेरी और अम्मी की एक ही बिस्तर पर ली। क्या मज़ा आया था उस रात। पहले उन्होंने अम्मी की ज़बरदस्त चुदाई की। फिर मेरे ऊपर आके मुझे भी चोदे। असलम के वापस आने का समय हुआ तो मैं पापा से बहुत मज़े ले चुकी थी।
जिस दिन असलम वापस आने वाले थे पापा ने उसके एक रात पहले मुझे दो बार चोदा। सुबह वो बोले: बेटा अब असलम के साथ पूरा मज़ा करना। उसे भी तो बहुत प्यास लगी होगी तुम्हें चोदने की। ख़ूब मस्त करना उसको। ठीक है ना? वैसे उसे पता चल ही जाएगा कि तुम चुदवा रही हो क्योंकि तुम्हारी बुर अब काफ़ी खुल गयी है। पहले बहुत टाइट होती थी ना। और ये भी तो अब बड़े हो गए हैं वह मेरी चूचि दबा कर बोले।
मैं मस्ती से उनके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा मैं इसे भी ख़ुश कर दिया कर दिया करूँगी जब असलम घर से बाहर जाया करेंगे।
पापा मुझे अपनी बाहों में भरकर बोले : क्यों नहीं बेटा । फिर वो मेरे होंठ चूस कर मस्त हो गए।
आयशा देखी कि मालिनी अब मस्त होकर अपनी बुर खुजाए जा रही थी तो वो उसकी जाँघ के ऊपर हाथ रख कर बोली: बहुत खुजा रही है ? चलो आओ मस्ती करते हैं। वो उसका हाथ पकड़कर उठायी और बेडरूम में ले गयी। जाते जाते वो टेलेफ़ोन उठा ली और उसे बेड के साथ वाले टेबल पर रखा ताकि शिवा उनके सेक्स का भी मज़ा ले ले।
( उधर शिवा आयशा की सेक्सी कहानी सुनकर एक बार झड़ चुका था। पर वो अभी भी अपना कड़ा लौड़ा दाबकर मूठ्ठ मारे जा रहा था। )
अब आयशा ने मालिनी के होंठ पर अपने होंठ रखे और वो दोनों एक दूसरे के चुम्बन में डूब गए उसके हाथ मालिनी की साड़ी खोलने लगे। अब वो ब्लाउस भी खोली और पेटिकोट का नाड़ा खोली और अब मालिनी ब्रा और पैंटी में थी। वो ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाके उनको चूमने लगी। उसने अपने कपड़े भी उतारे और अब वो मालिनी को लिटाकर उसके ऊपर आ गयी और उसको चूमने लगी। मालिनी के हाथ भी उसकी पीठ पर दौड़ रहे थे। आयशा ने उसकी ब्रा खोली और और उसकी चूचियाँ दबाने लगी और मुँह में लेकर चूसने भी लगी। अब मालिनी उइइओइइइइइ कहकर उत्तेजित होकर उसका सिर अपनी चूचियों पर दबाने लगी। अब उसने भी आयशा की ब्रा के हुक खोले और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को सहलाने लगी। उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ कैसा अजीब अनुभव है ये तो – वो सोची। अब आयशा उठी और अपने दूध हाथ में पकड़कर उसके मुँह में दे दिया। वो अब मस्ती से सिसकियाँ भरने लगी। फिर वो अपने दूध मालिनी के मुँह में देकर उससे मस्ती से चूसवायी। अब वो नीचे होकर उसके पेट और नाभि को चुमी और अब पैंटी में मुँह डालकर बोली: उफफफ क्या मस्त गीली हो गयी है तुम्हारी पैंटी । और वो पैंटी को चाटने लगी। अब वो उसकी पैंटी उतारी और अपना मुँह उसकी बुर में डालकर बोली: उफफफ क्या मस्त गंध है ह्म्म्म्म्म्म्म। अब वो उसकी बुर में दो ऊँगली डाली और अंदर बाहर करने लगी। मालिनी बुरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽहहह करने लगी। थोड़ी देर में वो उसकी बुर चाटने लगी। अब मालिनी उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उछालकर मस्ती से मज़े लेने लगी।
( शिवा को मालिनी को आहें सुनाई दे रही थीं , वो पागल सा हो रहा था और ज़ोर से मूठ्ठ मारने लगा।)
जल्दी ही आयशा उठी और अपनी पैंटी निकाली और घूमकर मालिनी के ऊपर ६९ की पोज़ीशन में आ गयी। मालिनी की आँखों के सामने आयशा की खुली हुई बुर थी। उसने पहली बार किसी की बुर इतने पास से देखी थी। वो भी उसको गंध से मस्त होकर उसे सहलाने लगी। अब उसने भी २ उँगलियाँ अंदर डालीं और पूरी गीली बुर में उसे अंदर बाहर करने लगी। फिर उसने भी अपना मुँह उसकी गुफ़ा में डाल दिया और उसको चूसने लगी। उसके सामने उसकी फूली हुई बुर थी और वो अब जैसे आयशा उसकी क्लिट के साथ जीभ से खेल रही थी वह भी वैसा ही करने लगी। अब आयशा अपनी गाँड़ नीचे करके अपनी बुर उसके मुँह में दबा रही थी और ख़ुद भी उसकी बुर में मानो घुसे जा रही थी। जल्दी ही दोनों सिसकियाँ लेते हुए झड़ने लगीं।
थोड़ी देर शान्त रहने के बाद आयशा: मज़ा आया जानू?
मालिनी: झूठ नहीं बोलूँगी, मुझे नहीं पता था कि एक औरत दूसरी औरत को इतना सुख दे सकती है। वैसे तुम शिवा से भी ज़्यादा अच्छा चूसती हो?
आयशा हसंकर : और तुम्हारे ससुर से ?
मालिनी: आऽऽऽह वह भी इतना ही मज़ा देते हैं जैसे तुमने अभी दिया। वो भी प्यार से चूसते हैं मेरी बुर।
( शिवा का लौड़ा दूसरी बार पानी छोड़ दिया। )
अब मालिनी बोली: अच्छा चलती हूँ। तुम्हारी बाक़ी की कहानी कल सुनूँगी। ठीक है ना?
आयशा: ठीक है। कल असलम को भी रोक लूँ क्या? तुम्हें मज़ा दे देगा।
( शिवा के कान खड़े हो गए कि मालिनी क्या बोलेगी?)
मालिनी: नहीं अभी उनको बीच में मत लाओ। अगर शिवा बोलेगा कि अदला बदली करनी है तब की तब देखेंगे।
आयशा उसके होंठ चूमकर: ठीक है डॉर्लिंग जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा।
मालिनी शाम को ६ बजे अपने घर पहुँची तो ससुर चाय बना रहे थे। वो: ओह पापा सॉरी बहुत देर हो गयी।
राजीव ने उसको अपनी बाँह में भरा और प्यार करते हुए बोला: कोई बात नहीं बेटा चाय पीओ। रोज़ तुम बनाती हो तो आज मैं सही। उसमें क्या है?
फिर चाय पीते हुए वो उसकी जाँघ सहलाकर बोला: बेटा आयशा का सामान देख लिया?
मालिनी क्या बोलती? उसने उसका सब सामान देखा और चूसा भी। वो बोली: जी पापा उसके पास अच्छे प्रॉडक्ट्स हैं।
राजीव चाय पीकर उसको गोद में बिठाकर बोला: बेटा आज तुम्हारी गाँड़ में सबसे बड़े साइज़ का नक़ली लंड डालना है। उसके बाद तुम गाँड़ आराम से मरवा लोगी।
मालिनी: ठीक है पापा जैसा आप कहें मैं तय्यार हूँ।
अब राजीव उसे अपने कमरे ने लजाकर उसके कपड़े खोलकर उसको नंगी किया और पेट के बल लिटाया और उसके कमर के नीचे एक तकिया रखा जिससे उसकी गाँड़ ऊपर को उठ गयी। वो अपना डिब्बा लाया और उसमें से सबसे छोटा लंड निकाला और जेली के साथ उसकी गाँड़ में अंदर किया। मालिनी आऽऽहहह पापा कर उठी। इसके बाद वो उसे अंदर बाहर किया ५ मिनट तक। राजीव: बेटा अब ये छोटे वाले से तो दर्द नहीं होता है ना?
मालिनी: नहीं पापा।
इस तरह से वो हर ५ मिनट के बाद साइज़ बड़ा करता गया।
अब वो : बेटा अब सबसे बड़ा डाल रहा हूँ। बताना कैसा लगा?
अब वो धीरे से जेल लगा हुआ ८ इंचि मोटा नक़ली लौड़ा अंदर डाल और मालिनी उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कर उठी। वो: आऽऽऽऽह पापा दुखता है।
राजीव: बस बेटा अभी मज़ा आएगा ।अब वो और जेल लगाकर इसको गाँड़ मारने लगा,नक़ली लौड़े से । अब मालिनी उइइइइइइइ आह्ह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी।
राजीव ने उसको और ऊपर उठाया कमर से पकड़कर और अपना लौड़ा उसकी बुर में डाल दिया। नक़ली लौड़ा अभी भी उसकी गाँड़ में फंसा पड़ा था। वो उसकी चूचियाँ मसलकर उसे चोदने लगा। मालिनी: आऽऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा और ज़ोर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ चोओओओओओओओदो आऽऽऽहहह कहकर वो अपनी कमर दबाकर झड़ने लगी। अब राजीव भी उसकी बुर में अपना रस डालकर झड़ गया। बाद में राजीव ने उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड बाहर निकाला और एक शीशा लेकर उसकी गाँड़ का छेद उसकी टाँगे उठाकर उसे दिखाकर बोला: बेटा अब तुम्हारी गाँड़ देखो पूरी खुल गयी है। देखो छेद कितना बड़ा दिख रहा है।
मालिनी ख़ुद अपनी गाँड़ के छेद को आइने में देखकर हक्की बक्की रह गयी। कितना बड़ा सा खुला मुँह दिख रहा था छेद का।
वो बोली: ओह पापा ये तो बहुत खुला दिख रहा है। अब तो आपका मोटा वाला भी चले जाएगा इसमें ।
राजीव: वही तो बेटा कल मैं इसका उद्घाटन करूँगा और इसकी सील तोड़ूँगा।
मालिनी: ठीक है पापा, जैसा आप चाहो। वह उससे चिपट गयी और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।
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वो मुझे गोदी में बिठाकर प्यार करते हुए मेरे गाल चूमने लगे। उनके हाथ मेरे बदन में घूमने लगे थे। वो मेरे कमर को सहलाकर मेरे कंधे और होंठ चूमने लगे। शराब ने मुझे भी बेशर्म कर दिया था । मैं भी उनका पूरा साथ देने लगी। वो मेरा होंठ चूसते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ डालकर मेरे को गरम करने लगे। मैं भी मस्ती से उनकी जीभ चूसने लगी। उनका हाथ अब मेरी चूचियों पर आ गया था और वो मुझे बोले: बेटा चलो बिस्तर पर चलते हैं।
मैं उठी और उन्होंने मेरी गाँड़ को दोनों पंजों में दबोच लिया और मस्ती से दबाकर बोले: बेटा बहुत मस्त माल हो गयी हो। आज तो मज़ा ही आ जाएगा।
कमरे में वो मेरा कुर्ता और सलवार उतारे और मुझे ब्रा और पैंटी में देखकर बोले: सालों के बाद ऐसी मस्त जवानी का दीदार कर रहा हूँ। वो मेरे बदन को आगे और पीछे से देखकर मस्ती से भर गए और अपनी बनियान उतार दिए। बहुत घने बाल थे उनकी छाती पर। मस्त मर्दाना बदन था। मेरी बुर पानी छोड़ने लगी। अब पापा ने मेरी ब्रा खोली और खड़े खड़े ही मेरी चूचियाँ देखकर बोले: उफफफ क्या मस्त दूध हैं तेरे । लगता है असलम ने ख़ूब दबाकर चूसा है। अब वो ख़ुद उनको दबाने लगे और उन पर चुंबनों की बारिश करने लगे। मैं भी गरम होकर उनकी लूँगी खींचकर उतार दी। उनकी चड्डी में से उनका लौड़ा बाहर आकर एक जाँघ पर सीधा लेटा हुआ था। मैंने चड्डी में हाथ डाला और उनके गरम मोटे लौड़े का अहसास करने लगी। उफफफफ क्या मस्त लौड़ा था। अब्बा से भी बड़ा था उनका। अब वो मुझे बिस्तर पर लिटा दिए और मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगे। बार बार वो मुझे बोल रहे थे: आऽऽह क्या मस्त जवानी है तुम्हारी । जी करता है खा जाऊँ। बेटी चूचि पिलाओ ना। मैं भी मस्ती में आकर एक चूचि को हाथ में ली और उनके मुँह में दे दी। वो उसे चूसने लगे। मैंने हाथ हटा लिया तो बोले: बेटा अपने हाथ से ही पिलाओ।
मैं भी अब मस्त हो चुकी थी। मैंने अपना एक हाथ अपनी चूचि पर रखे रहा और उनको पिलाती रही। अब वो बोले: बेटी अब दूसरी पिलाओ। तो मैंने अब दूसरी चूचि भी अपने हाथ से पकड़कर उनके मुँह में दे दी। वो क़रीब २० मिनट मेरी चूचियाँ चूस चूस कर उनको लाल कर दिए। अब तक मैं बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने ही उनका लौड़ा मसलना शुरू का दिया। वो पागल हो चुके थे मज़े से । अब वो नीचे आकर मेरे पेट को चुमें और मेरी नाभि में भी जीभ फिराने लगे। फिर नीचे आकर मेरी जाँघें सहलाए और उनको भी चूमा। मैंने जोश में ख़ुद ही अपनी जाँघें फैला दी और अपनी बुर उनको दिखाने लगी। वो भी मस्ती से बुर पर हाथ फेरे और बोले: आह क्या मस्त चिकनी बुर है। क्या मस्त फूली हुई है। फिर वो उसे चूमने लगे और जल्द ही जीभ घुसेड़कर मुझे सिसकियाँ लेने पर मज़बूर कर दिए।
अब मैं अपनी गाँड़ उठाकर उनकी जीभ का मज़ा ले रही थी। तभी वो बोले: बेटी मुझे चुदाई के समय गंदी बात करना अच्छा लगता है। तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना?
मैं: आऽऽह पापा बस अब डाल दो । बातें बाद में कर लेना। अच्छी बात करो या गंदी बात बस मुझे अभी चोद दो।
पापा : आऽऽह बेटी सच कह रही हो। अब वो अपना लौड़ा मेरी बुर में रखे और हल्के से दबाकर अपना मोटा सुपाड़ा मेरी बुर के अंदर डाल दिए । मेरी आऽऽह निकल गयी और वो बोले: बेटी रुकूँ या डालूँ?
मैं : आऽऽऽऽऽह डालो पापा डालो। पूरा अंदर डाल दो। आपका तो बहुत मस्त है।
अब वो पूरा अंदर डाले और फिर मेरी चुदाई में लग गए । वो मेरे होंठ चूसते हुए मेरी चूचियाँ मसल रहे थे और मस्त धक्के मार रहे थे। अब वो बोले: बेटी गंदी बात करूँ।
मैं अब नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर बोली: हाऽऽऽय जो करना है करो। बस ऐसे ही चोदते रहो।
पापा: आऽऽह बेटी बहुत मज़ा आ रहा है। आह कैसा लग रहा है बेटी। मज़ा आ रहा है?
मैं: हाँ पापा बहुत मज़ा आ रहा है। वो अब बहुत अंदर तक लंड डालकर पूरा दबाते थे। मेरी बुर बहुत बुरी तरह से खुल चुकी थी।
वो: असलम भी ऐसा ही चोदता है क्या? आह्ह्ह्ह्ह।
मैं: आऽऽह पापा वो तो अभी सिख रहे हैं। आप तो पक्के खिलाड़ी हो।
वो: ह्म्म्म्म्म ऐसा लग रहा है जैसी मेरी बहु रँडी है। मादरचोद कैसे गाँड़ उठाकर चुदवा रही है। ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्म्म साली छिनाल कितनो से फडवा चुकी है रँडी साली।
मैं एक मिनट के लिए हक्की बक्की रह गयी कि पापा को ये अचानक क्या हो गया है। फिर मैं बोली: आऽऽऽऽह पापा आप बहुत पक्के चुदक्कड हो जो अपनी बहु को भी नहीं छोड़ा । आऽऽहाह और ज़ोर से करो पाआऽऽऽऽऽपा।
वो: साली माँ और बेटी दोनों रंडियां हैं। आऽऽऽऽह क्या चुदवाती हैं दोनों?
मैंने नाटक करते हुए कहा: आऽऽऽह आपने अम्मी को भी किया है। हाऽऽऽऽऽऽऽय ।
वो: अरे वो तो पक्की रँडी है। साली मज़े से चुदवाती है। आऽऽऽहहह ।
अब मैं रुक नहीं पा रही थी सो चिल्लाई: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽपा मैं तो गयीइइइइइइइ।
पापा भी जल्दी ही हम्म कह कर झड़ गए।
अब पापा ने बड़े प्यार से मेरी बुर को कपड़े से पोंछा और बोले: बेटी मैं तुझे गालियाँ दे रहा था, सॉरी । मैं असल में जब बहुत गरम हो जाता हूँ ना तो ऐसे ही गालियाँ बकने लगता हूँ।
मैं : कोई बात नहीं पापा। मुझे बुरा नहीं लगा।
उसके बाद थोड़ी देर आराम करके अब्बा ने मुझसे लौड़ा चूसवाया और फिर उलटा लिटा के मेरे पिछवाड़े को उठाकर वहाँ मस्ती से दबाए और गाँड़ के छेद को भी जीभ से कुरेदे। मैं उफफफफ कर उठी। फिर वो मेरी बुर भी चाटे और उसकी अवस्था में पीछे से अपना लौड़ा मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई में लग गए। इस बार मैं दो बार झड़ी और वो एक बार झड़े।
अगले दिन वो मेरी गाँड़ मारे और मैं एक दिन पूरा ठीक से चल भी नहीं सकी। वो मेरी गाँड़ के दीवाने हो गए थे। अब वो रोज़ मेरी आगे और पीछे से चुदाई करते। ये सिलसिला तब तक चला जब तक मेरी सास और देवर वापस नहीं आ गए।
मेरी सास और मैं जब अकेले थे किचन में तो सास बोली: तो पापा से मज़ा ले लिया ना?
मैं शर्मा कर बोली: जी अम्मी । अब तक मैं भी समझ गयी थी कि यहाँ कोई छिपाकर कुछ नहीं होता।
वो हँसी: तो कौन ज़्यादा मज़ा देता है असलम या पापा?
मैं: दोनों । पर असलम तो पता नहीं कब आएँगे?
अम्मी: तो ठीक है ना पापा का लेती रह। क्या समस्या है?
मैं: और अम्मी आपका क्या?
अम्मी हँसकर: अरे वो हम दोनों को संभाल लेंगे। तू क्यों फ़िक्र करती है। तभी पापा अंदर आए और बोले: क्या बातें कर रहीं हैं सास बहु।
अम्मी हँसकर: आपकी तारीफ़ कर रहीं हैं, बुराई नहीं कर रही हैं। बहु आपकी चुदाई की दीवानी हो गयी है ,ऐसा बोल रही है।
मैं शर्माते हुए बोली: हाय अम्मी आप कुछ भी बोल रहीं हैं। इस पर पापा और अम्मी हँसने लगे।
पापा ने हाथ बढ़ाकर अम्मी को पीछे से कसकर पकड़कर कहा: बड़े दिनों बाद आइ हो। बहुत याद आती थी तुम्हारी। ये कहते हुए मेरे सामने ही उनकी दोनों चूचियाँ दबाकर अपना लौड़ा उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी गाँड़ में दबाने लगे। मैं शर्माकर बाहर जाने लगी तो मेरा हाथ पकड़कर बोले: अरे बहु कहाँ जा रही हो? अब वो मेरी भी एक चूचि दबाने लगे और बोले: आज सास बहु को एक साथ चोदूँगा, ठीक है ना?
अम्मी हँसकर: ठीक है चोद लीजिएगा। मगर अभी तो खाना बनाने दीजिए ना।
वो हँसे और हम दोनों के चूतर दबाकर बाहर चले गए। अब हम दोनों भी हँसने लगे। उस रात पापा ने मेरी और अम्मी की एक ही बिस्तर पर ली। क्या मज़ा आया था उस रात। पहले उन्होंने अम्मी की ज़बरदस्त चुदाई की। फिर मेरे ऊपर आके मुझे भी चोदे। असलम के वापस आने का समय हुआ तो मैं पापा से बहुत मज़े ले चुकी थी।
जिस दिन असलम वापस आने वाले थे पापा ने उसके एक रात पहले मुझे दो बार चोदा। सुबह वो बोले: बेटा अब असलम के साथ पूरा मज़ा करना। उसे भी तो बहुत प्यास लगी होगी तुम्हें चोदने की। ख़ूब मस्त करना उसको। ठीक है ना? वैसे उसे पता चल ही जाएगा कि तुम चुदवा रही हो क्योंकि तुम्हारी बुर अब काफ़ी खुल गयी है। पहले बहुत टाइट होती थी ना। और ये भी तो अब बड़े हो गए हैं वह मेरी चूचि दबा कर बोले।
मैं मस्ती से उनके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा मैं इसे भी ख़ुश कर दिया कर दिया करूँगी जब असलम घर से बाहर जाया करेंगे।
पापा मुझे अपनी बाहों में भरकर बोले : क्यों नहीं बेटा । फिर वो मेरे होंठ चूस कर मस्त हो गए।
आयशा देखी कि मालिनी अब मस्त होकर अपनी बुर खुजाए जा रही थी तो वो उसकी जाँघ के ऊपर हाथ रख कर बोली: बहुत खुजा रही है ? चलो आओ मस्ती करते हैं। वो उसका हाथ पकड़कर उठायी और बेडरूम में ले गयी। जाते जाते वो टेलेफ़ोन उठा ली और उसे बेड के साथ वाले टेबल पर रखा ताकि शिवा उनके सेक्स का भी मज़ा ले ले।
( उधर शिवा आयशा की सेक्सी कहानी सुनकर एक बार झड़ चुका था। पर वो अभी भी अपना कड़ा लौड़ा दाबकर मूठ्ठ मारे जा रहा था। )
अब आयशा ने मालिनी के होंठ पर अपने होंठ रखे और वो दोनों एक दूसरे के चुम्बन में डूब गए उसके हाथ मालिनी की साड़ी खोलने लगे। अब वो ब्लाउस भी खोली और पेटिकोट का नाड़ा खोली और अब मालिनी ब्रा और पैंटी में थी। वो ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाके उनको चूमने लगी। उसने अपने कपड़े भी उतारे और अब वो मालिनी को लिटाकर उसके ऊपर आ गयी और उसको चूमने लगी। मालिनी के हाथ भी उसकी पीठ पर दौड़ रहे थे। आयशा ने उसकी ब्रा खोली और और उसकी चूचियाँ दबाने लगी और मुँह में लेकर चूसने भी लगी। अब मालिनी उइइओइइइइइ कहकर उत्तेजित होकर उसका सिर अपनी चूचियों पर दबाने लगी। अब उसने भी आयशा की ब्रा के हुक खोले और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को सहलाने लगी। उग्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ कैसा अजीब अनुभव है ये तो – वो सोची। अब आयशा उठी और अपने दूध हाथ में पकड़कर उसके मुँह में दे दिया। वो अब मस्ती से सिसकियाँ भरने लगी। फिर वो अपने दूध मालिनी के मुँह में देकर उससे मस्ती से चूसवायी। अब वो नीचे होकर उसके पेट और नाभि को चुमी और अब पैंटी में मुँह डालकर बोली: उफफफ क्या मस्त गीली हो गयी है तुम्हारी पैंटी । और वो पैंटी को चाटने लगी। अब वो उसकी पैंटी उतारी और अपना मुँह उसकी बुर में डालकर बोली: उफफफ क्या मस्त गंध है ह्म्म्म्म्म्म्म। अब वो उसकी बुर में दो ऊँगली डाली और अंदर बाहर करने लगी। मालिनी बुरी तरह उत्तेजित होकर आऽऽऽहहह करने लगी। थोड़ी देर में वो उसकी बुर चाटने लगी। अब मालिनी उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ उछालकर मस्ती से मज़े लेने लगी।
( शिवा को मालिनी को आहें सुनाई दे रही थीं , वो पागल सा हो रहा था और ज़ोर से मूठ्ठ मारने लगा।)
जल्दी ही आयशा उठी और अपनी पैंटी निकाली और घूमकर मालिनी के ऊपर ६९ की पोज़ीशन में आ गयी। मालिनी की आँखों के सामने आयशा की खुली हुई बुर थी। उसने पहली बार किसी की बुर इतने पास से देखी थी। वो भी उसको गंध से मस्त होकर उसे सहलाने लगी। अब उसने भी २ उँगलियाँ अंदर डालीं और पूरी गीली बुर में उसे अंदर बाहर करने लगी। फिर उसने भी अपना मुँह उसकी गुफ़ा में डाल दिया और उसको चूसने लगी। उसके सामने उसकी फूली हुई बुर थी और वो अब जैसे आयशा उसकी क्लिट के साथ जीभ से खेल रही थी वह भी वैसा ही करने लगी। अब आयशा अपनी गाँड़ नीचे करके अपनी बुर उसके मुँह में दबा रही थी और ख़ुद भी उसकी बुर में मानो घुसे जा रही थी। जल्दी ही दोनों सिसकियाँ लेते हुए झड़ने लगीं।
थोड़ी देर शान्त रहने के बाद आयशा: मज़ा आया जानू?
मालिनी: झूठ नहीं बोलूँगी, मुझे नहीं पता था कि एक औरत दूसरी औरत को इतना सुख दे सकती है। वैसे तुम शिवा से भी ज़्यादा अच्छा चूसती हो?
आयशा हसंकर : और तुम्हारे ससुर से ?
मालिनी: आऽऽऽह वह भी इतना ही मज़ा देते हैं जैसे तुमने अभी दिया। वो भी प्यार से चूसते हैं मेरी बुर।
( शिवा का लौड़ा दूसरी बार पानी छोड़ दिया। )
अब मालिनी बोली: अच्छा चलती हूँ। तुम्हारी बाक़ी की कहानी कल सुनूँगी। ठीक है ना?
आयशा: ठीक है। कल असलम को भी रोक लूँ क्या? तुम्हें मज़ा दे देगा।
( शिवा के कान खड़े हो गए कि मालिनी क्या बोलेगी?)
मालिनी: नहीं अभी उनको बीच में मत लाओ। अगर शिवा बोलेगा कि अदला बदली करनी है तब की तब देखेंगे।
आयशा उसके होंठ चूमकर: ठीक है डॉर्लिंग जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा।
मालिनी शाम को ६ बजे अपने घर पहुँची तो ससुर चाय बना रहे थे। वो: ओह पापा सॉरी बहुत देर हो गयी।
राजीव ने उसको अपनी बाँह में भरा और प्यार करते हुए बोला: कोई बात नहीं बेटा चाय पीओ। रोज़ तुम बनाती हो तो आज मैं सही। उसमें क्या है?
फिर चाय पीते हुए वो उसकी जाँघ सहलाकर बोला: बेटा आयशा का सामान देख लिया?
मालिनी क्या बोलती? उसने उसका सब सामान देखा और चूसा भी। वो बोली: जी पापा उसके पास अच्छे प्रॉडक्ट्स हैं।
राजीव चाय पीकर उसको गोद में बिठाकर बोला: बेटा आज तुम्हारी गाँड़ में सबसे बड़े साइज़ का नक़ली लंड डालना है। उसके बाद तुम गाँड़ आराम से मरवा लोगी।
मालिनी: ठीक है पापा जैसा आप कहें मैं तय्यार हूँ।
अब राजीव उसे अपने कमरे ने लजाकर उसके कपड़े खोलकर उसको नंगी किया और पेट के बल लिटाया और उसके कमर के नीचे एक तकिया रखा जिससे उसकी गाँड़ ऊपर को उठ गयी। वो अपना डिब्बा लाया और उसमें से सबसे छोटा लंड निकाला और जेली के साथ उसकी गाँड़ में अंदर किया। मालिनी आऽऽहहह पापा कर उठी। इसके बाद वो उसे अंदर बाहर किया ५ मिनट तक। राजीव: बेटा अब ये छोटे वाले से तो दर्द नहीं होता है ना?
मालिनी: नहीं पापा।
इस तरह से वो हर ५ मिनट के बाद साइज़ बड़ा करता गया।
अब वो : बेटा अब सबसे बड़ा डाल रहा हूँ। बताना कैसा लगा?
अब वो धीरे से जेल लगा हुआ ८ इंचि मोटा नक़ली लौड़ा अंदर डाल और मालिनी उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कर उठी। वो: आऽऽऽऽह पापा दुखता है।
राजीव: बस बेटा अभी मज़ा आएगा ।अब वो और जेल लगाकर इसको गाँड़ मारने लगा,नक़ली लौड़े से । अब मालिनी उइइइइइइइ आह्ह्ह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी।
राजीव ने उसको और ऊपर उठाया कमर से पकड़कर और अपना लौड़ा उसकी बुर में डाल दिया। नक़ली लौड़ा अभी भी उसकी गाँड़ में फंसा पड़ा था। वो उसकी चूचियाँ मसलकर उसे चोदने लगा। मालिनी: आऽऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा और ज़ोर से उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ चोओओओओओओओदो आऽऽऽहहह कहकर वो अपनी कमर दबाकर झड़ने लगी। अब राजीव भी उसकी बुर में अपना रस डालकर झड़ गया। बाद में राजीव ने उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड बाहर निकाला और एक शीशा लेकर उसकी गाँड़ का छेद उसकी टाँगे उठाकर उसे दिखाकर बोला: बेटा अब तुम्हारी गाँड़ देखो पूरी खुल गयी है। देखो छेद कितना बड़ा दिख रहा है।
मालिनी ख़ुद अपनी गाँड़ के छेद को आइने में देखकर हक्की बक्की रह गयी। कितना बड़ा सा खुला मुँह दिख रहा था छेद का।
वो बोली: ओह पापा ये तो बहुत खुला दिख रहा है। अब तो आपका मोटा वाला भी चले जाएगा इसमें ।
राजीव: वही तो बेटा कल मैं इसका उद्घाटन करूँगा और इसकी सील तोड़ूँगा।
मालिनी: ठीक है पापा, जैसा आप चाहो। वह उससे चिपट गयी और दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।
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