hotaks444
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दोनों हँसने लगे और उसको इशारा किए कि आओ और बीच में लेट जाओ। वो मुस्कुरा कर उनके बीच में आकर लेट गयी और अब दोनों उसकी ओर करवट लेकर उसके एक एक गाल को चूमने लगे। राजीव अब उसके होंठ चूसने लगा और शिवा उसके कंधे और गाल चूमे जा रहा था। दोनों के एक एक हाथ उसकी एक एक चूचि पर आ गए और वो उसे मसलने लगे। मालिनी आऽऽऽहहह कर उठी। फिर दोनों एक एक चूची चूसने लगे। मालिनी उनके बालों पर हाथ फेरते हुए उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़कर उठी। करीब दस मिनट तक चूसने के बाद शिवा नीचे जाकर उसकी जाँघों को चूमा और उनको फैलाकर उसकी बुर चाटने लगा। मालिनी अब उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कर उठी। अब राजीव एक चूचि दबा रहा था और दूसरी चूस रहा था। मालिनी आऽऽऽऽऽहहहह चिल्ला उठी। अब राजीव उठ कर बैठ गया और बोला: आ शिवा मेरे बग़ल में बैठ जा । मालिनी हम दोनों का लंड चूसेगी।
शिवा सोचने लगा कि उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऐसे ही मेरी माँ दो दो मर्दों का मोटा लौड़ा चूसती थी और कितना मज़ा लेती थीं ।
शिवा उसकी बुर से मुँह हटाकर अपने पापा के बग़ल में बैठ गया। अब चड्डी में दोनों के लंड साफ़ साफ़ अकड़े और गीले हो रहे थे। वो उठकर उनकी चड्डी एक एक करके निकाली और फिर जीभ से उनके प्रीकम को बरी बारी से चाटी और फिर उनको बारी बारी से चूसने लगी। वो भी उसकी एक एक चूचि दबाने लगे। थोड़ी देर बाद राजीव मालिनी को करवट से लिटाया और शिवा को बोला: तुमने सुबह गाँड़ मारी थी ना अभी मैं मार लूँ?
शिवा: जी पापा आप मार लो। अब शिवा उसके सामने लेटा और राजीव उसके पीछे आकर करवट से लेट गया। शिवा ने उसकी एक टाँग उठायी और अपनालंड उसकी बुर में डालने लगा। मालिनी आऽऽऽऽहहह कर उठी। राजीव लूब लेकर आया और अपने लंड पर मला और फिर मालिनी की गाँड़ में भी लूब को दो उँगलियों से डाला। अब वो भी अपना लंड उसकी गाँड़ में उतारने लगा। अब मालिनी हाऽऽऽऽऽऽययय पाआऽऽऽऽऽऽपा धीरे से आऽऽऽऽऽहहह दुखता है नाआऽऽऽऽऽऽऽ।
अब जल्दी से दोनों ने चुदाई शुरू की। मालिनी की एक टाँग हवा में उठी हुई थी और सामने से शिवा उसकी बुर और पीछे से राजीव उसकी गाँड़ मार रहा था। अब मालिनी : आऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहा है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ शिइइइइइइइइइइइवा और जोओओओओओर से चोओओओओओओओओदो नाआऽऽऽऽ । आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽपा मेरी गाँड़ फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दो नाआऽऽऽऽऽऽऽऽ। उइइइइइइइइ उन्न्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न्न मैं गयीइइइइइइइइइइइ । वो अपनी गाँड़ हिलाकर और अपनी जाँघ दबाकर झड़ने लगी। शिवा भी ह्म्म्म्म कहकर झड़ गया। अब राजीव ने उसे पेट के बल किया और उसकी गाँड़ उठाकर उसकी गाँड़ मारनी शुरू की। कमरा थप्प थप्प की आवाज़ से गूँजने लगा। अब वो मालिनी के चूतरों को थप्पड़ मारकर लाल करता हुआ धक्का मारने लगा और ह्म्म्म्म्म्म कहकर झंडने लगा। मालिनी अब पेट के बल गिर गयी और राजीव उसके ऊपर से उठकर बग़ल में लेट गया। मालिनी की जाँघों के बीच शिवा और उसका ख़ुद का रस भरा हुआ था । उसकी गाँड़ से भी राजीव का रस निकल कर उसकी बुर की तरफ़ जा रहा था।
राजीव उठा और उसकी बुर की तरफ़ देखकर बोला: बेटी तुम्हारी जाँघों के बीच पूरा रस भरा हुआ है। चलो बाथरूम में में ।साफ़ कर देता हूँ।
मालिनी उठकर बोली: पापा मैं साफ़ कर लूँगी। आप परेशान मत होइए ।
शिवा: पापा ठीक कह रहे हैं चलो हम दोनों साफ़ करने में तुम्हारी मदद कर देते हैं।
अब तीनों बाथरूम में पहुँचे और शिवा अपना लंड पकड़कर मूतने लगा। राजीव और मालिनी भी अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे। अब राजीव ने भी मूता और फिर मालिनी भी बैठ कर मूतने लगी। अब सब शॉवर के नीचे खड़े नंगे थे। राजीव ने हैंड शॉवर से मालिनी की बुर में पानी डाला और साबुन लेकर उसकी बुर और जाँघ साफ़ करने लगा।
शिवा भी हैंड शॉवर को लेकर उसके पीछे गया और उसकी गाँड़ में पानी डाला और फिर गाँड़ की दरार में हाथ से साबुन डालकर सफ़ाई करने लगा। उसकी गाँड़ के छेद को साबुन से साफ़ करते हुए वो बोला: पापा ये आपने बढ़िया काम किया जो इसकी गाँड़ खोल दी। मस्त चुदवा लेती है अब पीछे से भी। फिर मालिनी ने भी उन दोनों के लंड बारी बारी से साफ़ किए। बाद में तौलिए से सुखाकर वो दोनों के लंड को एक एक चुम्मी दी और राजीव और शिवा ने भी उसकी चूचि चुमी।
अब सब बिस्तर पर आकर लेट गए। मालिनी अभी भी पेट के बल लेटी हुई थी। दोनों मर्द उसकी ओर करवट लेकर उसको देख रहे थे। वो भी मज़े से इसका मज़ा ले रही थी।
राजीव: बेटी अभी की चुदाई कैसी रही?
मालिनी: पापा बहुत मस्त रही। सच में पापा बहुत मज़ा आया।
शिवा ने उसकी बुर सहलाकर कहा: मालिनी आज का दिन मेरे जीवन का सबसे बढ़िया दिन है इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया। थैंक्स डार्लिंग ।
राजीव: सच में बेटी तुम्हारी हाँ ने हमारे जीवन में बहार ला दी। उफफफ क्या मज़ा आया आज । वो उसकी चूची सहला कर बोला।
मालिनी ने भी अपने एक एक हाथ से उनके नरम हो चुके लंडों को सहलाना शुरू किया। कमरे में सेक्स की गरमी भरी हुई थी। रात और मादक हुए जा रही थी। सांसें फिर से गरम होने लगी थीं।
उस रात शिवा और राजीव ने एक बार और मालिनी की चुदाई की। सुबह सबसे पहले मालिनी उठी और जाकर नायटी पहनी और चाय बनाई।
उस दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ। शिवा दुकान चला गया और शाम को जल्दी आ गया। फिर प्रोग्राम के मुताबिक़ वो और मालिनी बाहर चले गए। वो दोनों एक रेस्तराँ में खाना खा कर राजीव के फ़ोन का इंतज़ार करने लगे।
उधर सरला का फ़ोन आया: समधी जी, मैं दस मिनट में बस स्टैंड पहुँच जाऊँगी। आप कहाँ हो?
राजीव : बस जानू दस मिनट में वहीं मिलूँगा।
जब राजीव बस स्टैंड पहुँचा तो बस अभी आयी नहीं थी। क़रीब दस मिनट के बाद बस आयी और वह बस के पास पहुँचा । सरला बाहर आयी और राजीव की आँखें फैल गयीं। उफफक क्या माल लग रही थी। उसने काली साड़ी पहनी थी जो कि उसके गोरे रंग पर बहुत फब रही थी । स्लीव्लेस ब्लाउस से उसकी गोरी बाहें जैसे बिजली गिरा रही थी। क्योंकि साड़ी काफ़ी नीचे बांधी थी सो गहरी नाभि बहुत ही मादक दिख रही थी। राजीव उसके पास आया और वो हाथ जोड़कर नमस्ते की। वो झुककर अपना बैग उठाई और उसकी गहरी क्लीवेज़ देखकर राजीव के लंड ने पैंट में झटका मारा। वो बोला: सरला बहुत मस्त दिख रही हो। क्या फब रहा है काला रंग तुम्हारे गोरे बदन पर।
सरला हँसकर चल पड़ी और राजीव पीछे चलता हुआ उसकी गाँड़ के उभार और उनका मटकना देखकर मस्त होने लगा। कार में बैठकर वो बोला: सरला तुम तो और जवान हो गयी हो मुझे ऐसा लग रहा है। उफफफ क्या मस्त हो गया है तुम्हारा बदन । लगता है श्याम तुमको अब कस कर चोद रहा है।
सरला सोची कि ये तो मेरे प्यारे बेटे राकेश की चुदाई का कमाल है वरना श्याम तो अब उसको हाथ भी नहीं लगाते । पर यह बात वो राजीव को नहीं बताना चाहती थी। सो सामने से बोली: आप भी हर बात को चुदाई से जोड़ लेते हो। आप सुनाओ आजकल किससे मस्ती कर रहे हो? अब किसको माँ बना रहे हो?
राजीव मन में सोचा कि मेरा प्लान तो तेरी बेटी को ही माँ बनाने का है। पर सामने से बोला: अरे यार आजकल सूखा चल रहा है। इसलिए तो तुमको बुलाया है।
सरला: मालिनी और शिवा चले गए क्या रिज़ॉर्ट ?
राजीव मन ही मन हँसा: हाँ चले गए हैं। अब मैं और तुम मस्त चुदाई करेंगे । उफ़्फ़ कितना समय हो गया तुमसे मज़े किए हुए। वो उसकी जाँघ सहलाकर बोला।
सरला भी अपना हाथ उसकी जाँघ पर रखी और दबाते हुए बोली: हाँ सच में , मैं भी आपको और ख़ास कर इसको बहुत मिस करती हूँ। वह पैंट के ऊपर से उसके आधे खड़े लंड को दबाकर बोली: मुझे इस मोटे खीरे को चूसना है। आऽऽऽहहहहहह ।
राजीव भी मस्ती से भरकर उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर को दबाकर बोला : आऽऽऽह जानू मुझे भी तुम्हारी ये कचौरी बहुत याद आती है। इसको खाने में कितना मज़ा आता है।
इस पर दोनों हँसने लगे।
उधर शिवा और मालिनी एक रेस्तराँ में बैठकर खाना खा रहे थे और शिवा ने अपने मोबाइल में घर के कैम की लाइव रिकॉर्डिंग लगा रखी थी। घर में कोई नहीं दिख रहा था। तभी उसके देखा कि पापा और उसकी सास अंदर आए। वो मालिनी को बोला: जानू पापा और तुम्हारी मम्मी आ गए है घर पर।
अब मालिनी और शिवा ध्यान से देखने लगे-----
घर पहुँचकर राजीव ने दरवाज़ा खोला और दोनों अंदर आए। राजीव अंदर आते ही सरला को बाँहों में भरकर उसके गाल और होंठ चूसने लगा। सरला भी बराबरी से उसका साथ देने लगी। दोनों ऐसे चिपके हुए थे मानो बरसों बाद मिलें हों।
( मालिनी: शिवा ऐसा लगता है ना जैसे दोनों में कितना प्यार है।
शिवा: हाँ देखो कैसे लिपट कर एक दूसरे को चूम रहे हैं।)
वो देखे जा रहे थे------
जब सरला को उसने छोड़ा तो वो बोली: चाय बना दूँ?
राजीव: हाँ बना दो। मैं भी मदद कर देता हूँ।
चाय बनाते हुए दोनों एक दूसरे को छूते रहे और चाय पीकर सरला बोली: मैं फ़्रेश होकर आती हूँ।
राजीव: फ़्रेश होने जाने के पहले कपड़े तो उतार दो।
सरला: अभी ? पहले फ़्रेश होकर आती हूँ।
राजीव: नहीं यही ड्रॉइंग रूम में साड़ी और ब्लाउस उतारो।
(शिवा: आऽऽह पापा अब अपनी औक़ात पर आ गए।
मालिनी: हाऽऽऽय मम्मी भी कम बेशर्म नहीं है। देखो कैसे मज़े से नंगी हुई जा रही हैं। )
सरला हँसकर: अच्छा जी लो। यह कहकर वो अपनी साड़ी का पल्ला गिरा दी। ब्लाउस ने कसे उसके बड़े बड़े उरोज ग़ज़ब ढा रहे थे। मालिनी से काफ़ी बड़ी थी उसकी गोलायियाँ ।अब वो साड़ी उतारी और फिर ब्लाउस भी उतार दी। क्या माल दिख रही थी वो ब्रा और पेटीकोट में।
राजीव: जानू पेटिकोट भी उतार दो ना।
सरला: वो बेडरूम में उतारूँगी। पैंटी जो नहीं पहनी है।
राजीव अपना लौड़ा दबाकर सोचा कि मैंने माँ बेटी दोनों की पैंटी तो उतरवा ही दी है। सरला बाथरूम में घुस गयी।
राजीव को याद आया कि शिवा और मालिनी कैम देख रहे होंगे। वो कैम की तरफ़ इशारा करके बोला: बच्चों १५ मिनट में आ जाओ। चुदाई शुरू कर दूँगा थोड़ी देर में। तभी फ़ोन पर मेसिज आया शिवा का: हम २० मिनट में आते हैं। बाई। अब राजीव अपने कमरे में गया और सब चादर और तौलिए वग़ैरह हटा कर आलमारी में रख दिया। अब बिस्तर पर बिछी चादर के अलावा वहाँ कोई दूसरा कपड़ा नहीं था। वह अब बाहर आया।
थोड़ी देर बाद सरला बाहर आयी और बोली: मैं अपने कपड़े गेस्टरूम में रख देती हूँ।
राजीव: अरे मेरे बेडरूम में रख दो ना। अब कपड़े पहनने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी।
सरला हँसकर : ठीक है वैसे बच्चे वापस कब तक आएँगे?
राजीव: प्लान के हिसाब से परसों सुबह । मैं तो चाहता हूँ कि तुम परसों ही वापस जाओ।
सरला: पर मैं तो एक रात का ही बोलकर आयी हूँ। चलो बाद में देखते हैं।
अब वो दोनों राजीव के बेडरूम में आए । राजीव ने सरला के सारे कपड़े आलमारी में रख दिए। फिर राजीव ने अपनी क़मीज़ और बनियान उतारी और पैंट भी निकाल दिया। अब वो सिर्फ़ चड्डी में आकर बिस्तर पर बैठ गया था । सरला ने देखा कि चड्डी में उसका आधा खड़ा लंड बहुत फूला हुआ दिखाई पड़ रहा था। उसकी बुर में चिटियाँ चलने लगी। वो जानती थी कि आज की रात मस्ती की रात होगी। उसे राजीव की चुदाई में बहुत आनंद आता था। अब वो भी बिस्तर पर आके राजीव के लौड़े पर अपनी गाँड़ रखकर बैठ गयी। राजीव की छाती पर उसकी पीठ थी।