hotaks444
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उधर शाम की चाय मालिनी और राजीव भी पी रहे थे।
राजीव: और बताओ क्या क्या किया मम्मी के यहाँ?
मालिनी: पापा बताया था ना बहनों के साथ शॉपिंग की और फ़िल्म देखी। शिवा नहीं जा पाए थे। उनका सर दर्द हो रहा था।
राजीव अनजान बन कर : तो उसे घर में अकेला छोड़ गए थे। सरला भी तो तुम्हारे साथ गयी होगी ना ?
मालिनी: नहीं, मम्मी नहीं गयी थीं ।
राजीव : ओह तो तुम शिवा को सरला के पास अकेले छोड़ गयी थी? ये क्या किया बेटा तुमने? तुम अपनी मम्मी को जानती हो ना कि वो कितनी चुदासी है? वो ज़रूर शिवा से चुदवा ली होगी।
मालिनी का मुँह हैरानी से खुला ही रह गया। वो बोली: छी पापा आप कितनी गंदी बात कहते हैं। शिवा ऐसे नहीं है और ना ही मम्मी कभी उनसे चुदवाएँगी। ये सब आपकी कोरी गंदी कल्पना है।
राजीव: अरे बेटा मैंने शिवा को उस दिन पार्टी में सरला की चूचियों को घूरते हुए देखा था। अगर मौक़ा मिला तो वो उसे चोदे बिना नहीं रहा होगा।
मालिनी: पापा आप भी कुछ भी बोले जा रहे हो। मैं नहीं मान सकती। वह ग़ुस्से से पैर पटक कर चली गयी।
राजीव मन ही मन मुस्कुराया और सोचा कि तीर निशाने पर लगा है। जल्दी ही बात आगे बढ़ाऊँगा।
रात को शिवा के साथ दोनों ने खाना खाया। शिवा और मालिनी अपने कमरे में आ गए।
जल्दी ही दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे और फिर चूमने सहलाने के बाद शिवा उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। जब दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे तभी मालिनी उसके कान को काट कर बोली: आऽऽहहह क्या मस्त चोओओओओओद रहे हो हाऽऽययय जाऽऽऽऽऽऽऽन । अच्छा ये तो बताओ कि क्या आप मम्मी के साथ भी ये सब किए थे जब हम फ़िल्म देख रहे थे।
शिवा तो जैसे आसमान से गिरा। वो हड़बड़ाकर बोला: क्या फ़ालतू बात कर रही हो।
तभी मालिनी ने महसूस किया कि उसका लण्ड नरम पड़ गया है। वो सोची कि इसकी क्या वजह हो सकती है। क्या सच में वह मम्मी को चोदा है। इस लिए घबरा गया है। या मैंने इतनी ग़लत बात कह दी है कि वो अपसेट होकर अपनी उत्तेजना गँवा बैठा है। पता नहीं क्या सच है और क्या झूठ?
शिवा अब उसके ऊपर से उतरकर बग़ल में लेटकर बोला: क्या पूरा चुदाई का मूड ख़राब कर दिया। आख़िर ये बात तुमको सूझी कैसे? वो मन ही मन डर भी रहा था कि इसको शक कैसे हो गया?
मालिनी: अरे मैं तो मस्ती कर रही थी और आप इतना सीरीयस हो गए? वो सोची कि इसे ये तो नहीं बता सकती कि ये सब पापा के दिमाग़ की ख़ुराफ़ात है।
मालिनी अब उठ कर सॉरी बोली और उसका लण्ड सहलायी और फिर चूसने लगी। जल्दी ही वो फिर से मूड में आ गया और उसका मस्त खड़ा हो गया। वो अब फिर से उसके ऊपर आकर मालिनी की ज़बरदस्त चुदाई में लग गया। फिर दोनों झड़कर सुस्ताने लगे।
शिवा: जान ये मम्मी वाली बात तुम्हारे दिमाग़ में आयी कैसे?
मालिनी बात बना कर बोली: उस दिन पार्टी में आप मम्मी की चूचियों को घूर रहे थे। तो मैंने सोचा कि कहीं मौक़ा मिलते ही आपने उनका मज़ा तो नहीं ले लिया ?
शिवा: मेरा छोड़ो तुमको अपनी मम्मी पर विश्वाश नहीं है क्या?
मालिनी थोड़ी सी गम्भीर होकर: देखो आज आपको एक बात बताऊँगी किसी को कहिएगा नहीं।
शिवा: क्या बात?
मालिनी: मम्मी पापा के जाने के बाद ताऊजी से सम्बंध बना चुकी थीं । घर में सबको पता है पर सब ऐसा दिखाते हैं जैसे किसी को भी पता नहीं है।
शिवा बनते हुए : ओह ऐसा क्या? वो सोचा कि ये तो उसको पता ही है।
मालिनी: हाँ मैंने दोनों को कई बार चुदाई करते देखा है। इसीलिए मैं सोची कि कहीं वो आपसे भी तो नहीं चुदवा ली?
शिवा हँसकर: अच्छा अगर वो सच में मुझसे भी चुदवा लेती तो तुम क्या करती?
मालिनी हँसकर : तो मैं आपसे बदला ले लेती।
शिवा: वो कैसे ?
मालिनी: आप मेरी मम्मी को चोदे तो मैं किससे चुदवाऊँगी बदला लेने के लिए? बताइये ।
शिवा सोचकर: ओह भगवान । तो क्या तुम वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा हूँ।
मालिनी: मुझे क्या पता आप क्या सोच रहे हो?
शिवा: यही कि बदला तो तभी पूरा होगा जब तुम मतलब- याने कि - ओह मैं कैसे कहूँ?
मालिनी: मैं बोल देती हूँ जब मैं पापा से चूदूँ । यही ना।
शिवा सन्न रह गया और हैरानी से मालिनी को देखने लगा।
फिर वो बोला : हाँ बदला तो यही हो सकता है। पर- क्या - तुम--
मालिनी: आप बर्दाश्त कर पाओगे? मैं आपके पापा से चुदवाऊँ?
शिवा चुप होकर उसको ध्यान से देखने लगा। दोनों अभी भी चुदाई के बाद नंगे ही थे। अचानक उसने देखा कि मालिनी के निपल्ज़ अब पूरे तन गए थे। उधर मालिनी ने भी देखा कि शिवा का लण्ड अब फिर से फ़नफ़ना रहा था।
दोनों सोचने लगे कि मालिनी का पापा से चुदवाने का ख़याल भी दोनों को ही उत्तेजित कर रहा है। इसका मतलब?
शिवा मालिनी को लुढ़काया और वो पेट के बल हो गयी। वो उसके पीछे जाकर उसको कमर से पकड़कर घोड़ी बनाया। अब उसके उसकी बुर में ऊँगली डाली और वो स्तब्ध रह गया क्योंकि वहाँ तो जैसे रस की धार निकल रही थी। इसका क्या मतलब है वो सोचा। क्या पापा से चुदवाने के ख़याल से ही वो उत्तेजित हो उठी है। वो ख़ुद बहुत उत्तेजित होने लगा। उसका लण्ड बहुत कड़ा हो गया था और दर्द कर रहा था। उसने अपना लंड उसकी बुर में एक झटके में डाला। बुर गीली थी गपाक से उसको निगल ली। अब वो जैसे पागल हो गया हो वैसे उसकी ज़बरदस्त धक्कों के साथ चुदाई करने लगा। मालिनी की चीख़ें निकलने लगीं: आऽऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओर सेएएएएए चोओओओओओदो।
शिवा भी बिना रुके धक्के मारे जा रहा था। मालिनी को भी लगा कि शायद इतनी भयानक चुदाई शिवा ने आजतक नहीं की है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ा आ रहा था। क्या मस्त चुदक्कड हो गया है शिवा। आज तो लगता है मेरी बुर सुज़ा कर ही मानेगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। फिर दोनों लस्त होकर पड़ गए। और नींद की आग़ोश में समा गए।
उधर सरला के घर में रात का खाना सबने खाया। मगर राकेश नहीं आया। श्याम ने भी पूछा: राकेश नहीं दिख रहा?
सरला: वो अभी आराम कर रहा है। मैं उसे खिला दूँगी बाद में। वो श्याम को क्या बताती कि उसका बेटा ज़िद में अड़ा है कि वो खाना तभी खाएगा जब वो अपने बेटे से चुदने के लिए राज़ी होगी। कोई सुनेगा तो क्या कहेगा।
सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए। श्याम ने सरला को इशारे से बताया कि आज चुदाई का मूड है। सरला मुस्कुरा कर हाँ कर दी।
अब सरला ने एक थाली में खाना सजाया और राकेश के कमरे में गयी। वो अभी भी लेटा हुआ था। उसका चेहरा बुरी तरह से कमज़ोर दिख रहा था। माँ का दिल कचोट गया। वो बिस्तर पर बैठ कर उसका सर सहला कर बोली: चल अब पागलपन छोड़ और खाना खा ले।
राकेश : नहीं मम्मी मैं नहीं खाऊँगा।
सरला: मैं तेरे ताऊ जी को बुलाऊँ? वो ही तुझे ठीक करेंगे।
राकेश: मम्मी आप उनको कहोगी क्या ये तो सोच लो।
सरला ग़ुस्सा दिखाकर: मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। चल उठ और खाना खा।
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राजीव: और बताओ क्या क्या किया मम्मी के यहाँ?
मालिनी: पापा बताया था ना बहनों के साथ शॉपिंग की और फ़िल्म देखी। शिवा नहीं जा पाए थे। उनका सर दर्द हो रहा था।
राजीव अनजान बन कर : तो उसे घर में अकेला छोड़ गए थे। सरला भी तो तुम्हारे साथ गयी होगी ना ?
मालिनी: नहीं, मम्मी नहीं गयी थीं ।
राजीव : ओह तो तुम शिवा को सरला के पास अकेले छोड़ गयी थी? ये क्या किया बेटा तुमने? तुम अपनी मम्मी को जानती हो ना कि वो कितनी चुदासी है? वो ज़रूर शिवा से चुदवा ली होगी।
मालिनी का मुँह हैरानी से खुला ही रह गया। वो बोली: छी पापा आप कितनी गंदी बात कहते हैं। शिवा ऐसे नहीं है और ना ही मम्मी कभी उनसे चुदवाएँगी। ये सब आपकी कोरी गंदी कल्पना है।
राजीव: अरे बेटा मैंने शिवा को उस दिन पार्टी में सरला की चूचियों को घूरते हुए देखा था। अगर मौक़ा मिला तो वो उसे चोदे बिना नहीं रहा होगा।
मालिनी: पापा आप भी कुछ भी बोले जा रहे हो। मैं नहीं मान सकती। वह ग़ुस्से से पैर पटक कर चली गयी।
राजीव मन ही मन मुस्कुराया और सोचा कि तीर निशाने पर लगा है। जल्दी ही बात आगे बढ़ाऊँगा।
रात को शिवा के साथ दोनों ने खाना खाया। शिवा और मालिनी अपने कमरे में आ गए।
जल्दी ही दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे और फिर चूमने सहलाने के बाद शिवा उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा। जब दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे तभी मालिनी उसके कान को काट कर बोली: आऽऽहहह क्या मस्त चोओओओओओद रहे हो हाऽऽययय जाऽऽऽऽऽऽऽन । अच्छा ये तो बताओ कि क्या आप मम्मी के साथ भी ये सब किए थे जब हम फ़िल्म देख रहे थे।
शिवा तो जैसे आसमान से गिरा। वो हड़बड़ाकर बोला: क्या फ़ालतू बात कर रही हो।
तभी मालिनी ने महसूस किया कि उसका लण्ड नरम पड़ गया है। वो सोची कि इसकी क्या वजह हो सकती है। क्या सच में वह मम्मी को चोदा है। इस लिए घबरा गया है। या मैंने इतनी ग़लत बात कह दी है कि वो अपसेट होकर अपनी उत्तेजना गँवा बैठा है। पता नहीं क्या सच है और क्या झूठ?
शिवा अब उसके ऊपर से उतरकर बग़ल में लेटकर बोला: क्या पूरा चुदाई का मूड ख़राब कर दिया। आख़िर ये बात तुमको सूझी कैसे? वो मन ही मन डर भी रहा था कि इसको शक कैसे हो गया?
मालिनी: अरे मैं तो मस्ती कर रही थी और आप इतना सीरीयस हो गए? वो सोची कि इसे ये तो नहीं बता सकती कि ये सब पापा के दिमाग़ की ख़ुराफ़ात है।
मालिनी अब उठ कर सॉरी बोली और उसका लण्ड सहलायी और फिर चूसने लगी। जल्दी ही वो फिर से मूड में आ गया और उसका मस्त खड़ा हो गया। वो अब फिर से उसके ऊपर आकर मालिनी की ज़बरदस्त चुदाई में लग गया। फिर दोनों झड़कर सुस्ताने लगे।
शिवा: जान ये मम्मी वाली बात तुम्हारे दिमाग़ में आयी कैसे?
मालिनी बात बना कर बोली: उस दिन पार्टी में आप मम्मी की चूचियों को घूर रहे थे। तो मैंने सोचा कि कहीं मौक़ा मिलते ही आपने उनका मज़ा तो नहीं ले लिया ?
शिवा: मेरा छोड़ो तुमको अपनी मम्मी पर विश्वाश नहीं है क्या?
मालिनी थोड़ी सी गम्भीर होकर: देखो आज आपको एक बात बताऊँगी किसी को कहिएगा नहीं।
शिवा: क्या बात?
मालिनी: मम्मी पापा के जाने के बाद ताऊजी से सम्बंध बना चुकी थीं । घर में सबको पता है पर सब ऐसा दिखाते हैं जैसे किसी को भी पता नहीं है।
शिवा बनते हुए : ओह ऐसा क्या? वो सोचा कि ये तो उसको पता ही है।
मालिनी: हाँ मैंने दोनों को कई बार चुदाई करते देखा है। इसीलिए मैं सोची कि कहीं वो आपसे भी तो नहीं चुदवा ली?
शिवा हँसकर: अच्छा अगर वो सच में मुझसे भी चुदवा लेती तो तुम क्या करती?
मालिनी हँसकर : तो मैं आपसे बदला ले लेती।
शिवा: वो कैसे ?
मालिनी: आप मेरी मम्मी को चोदे तो मैं किससे चुदवाऊँगी बदला लेने के लिए? बताइये ।
शिवा सोचकर: ओह भगवान । तो क्या तुम वही सोच रही हो जो मैं सोच रहा हूँ।
मालिनी: मुझे क्या पता आप क्या सोच रहे हो?
शिवा: यही कि बदला तो तभी पूरा होगा जब तुम मतलब- याने कि - ओह मैं कैसे कहूँ?
मालिनी: मैं बोल देती हूँ जब मैं पापा से चूदूँ । यही ना।
शिवा सन्न रह गया और हैरानी से मालिनी को देखने लगा।
फिर वो बोला : हाँ बदला तो यही हो सकता है। पर- क्या - तुम--
मालिनी: आप बर्दाश्त कर पाओगे? मैं आपके पापा से चुदवाऊँ?
शिवा चुप होकर उसको ध्यान से देखने लगा। दोनों अभी भी चुदाई के बाद नंगे ही थे। अचानक उसने देखा कि मालिनी के निपल्ज़ अब पूरे तन गए थे। उधर मालिनी ने भी देखा कि शिवा का लण्ड अब फिर से फ़नफ़ना रहा था।
दोनों सोचने लगे कि मालिनी का पापा से चुदवाने का ख़याल भी दोनों को ही उत्तेजित कर रहा है। इसका मतलब?
शिवा मालिनी को लुढ़काया और वो पेट के बल हो गयी। वो उसके पीछे जाकर उसको कमर से पकड़कर घोड़ी बनाया। अब उसके उसकी बुर में ऊँगली डाली और वो स्तब्ध रह गया क्योंकि वहाँ तो जैसे रस की धार निकल रही थी। इसका क्या मतलब है वो सोचा। क्या पापा से चुदवाने के ख़याल से ही वो उत्तेजित हो उठी है। वो ख़ुद बहुत उत्तेजित होने लगा। उसका लण्ड बहुत कड़ा हो गया था और दर्द कर रहा था। उसने अपना लंड उसकी बुर में एक झटके में डाला। बुर गीली थी गपाक से उसको निगल ली। अब वो जैसे पागल हो गया हो वैसे उसकी ज़बरदस्त धक्कों के साथ चुदाई करने लगा। मालिनी की चीख़ें निकलने लगीं: आऽऽऽऽऽऽहहह और जोओओओओओओओर सेएएएएए चोओओओओओदो।
शिवा भी बिना रुके धक्के मारे जा रहा था। मालिनी को भी लगा कि शायद इतनी भयानक चुदाई शिवा ने आजतक नहीं की है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मज़ा आ रहा था। क्या मस्त चुदक्कड हो गया है शिवा। आज तो लगता है मेरी बुर सुज़ा कर ही मानेगा। जल्दी ही दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। फिर दोनों लस्त होकर पड़ गए। और नींद की आग़ोश में समा गए।
उधर सरला के घर में रात का खाना सबने खाया। मगर राकेश नहीं आया। श्याम ने भी पूछा: राकेश नहीं दिख रहा?
सरला: वो अभी आराम कर रहा है। मैं उसे खिला दूँगी बाद में। वो श्याम को क्या बताती कि उसका बेटा ज़िद में अड़ा है कि वो खाना तभी खाएगा जब वो अपने बेटे से चुदने के लिए राज़ी होगी। कोई सुनेगा तो क्या कहेगा।
सब खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए। श्याम ने सरला को इशारे से बताया कि आज चुदाई का मूड है। सरला मुस्कुरा कर हाँ कर दी।
अब सरला ने एक थाली में खाना सजाया और राकेश के कमरे में गयी। वो अभी भी लेटा हुआ था। उसका चेहरा बुरी तरह से कमज़ोर दिख रहा था। माँ का दिल कचोट गया। वो बिस्तर पर बैठ कर उसका सर सहला कर बोली: चल अब पागलपन छोड़ और खाना खा ले।
राकेश : नहीं मम्मी मैं नहीं खाऊँगा।
सरला: मैं तेरे ताऊ जी को बुलाऊँ? वो ही तुझे ठीक करेंगे।
राकेश: मम्मी आप उनको कहोगी क्या ये तो सोच लो।
सरला ग़ुस्सा दिखाकर: मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। चल उठ और खाना खा।
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