hotaks444
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अनल्पाई.नेट के नियमित पाठको को मेरी तरफ़ से सलाम और पाठिकाओं की चूतो को मेरा रस भरा किस. दोस्तों मैंने बहुत सारी कहानिया यहाँ पर पढ़ी तो लगा कि ये तो सब के साथ होता है और इसे सबके साथ बाटने में कोई बुराई नही है, सो मै भी अपनी कॉलेज लाइफ की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ.
मै ऍम बी ए का स्टुडेंट हूँ. मै जिस कॉलेज में हूँ, वो इस शहर का सबसे मशहूर कॉलेज है। हमारे कॉलेज के बगल में ही हमारे कॉलेज ग्रुप का ही इंजीनियरिंग का भी कॉलेज है। मैंने आपको अपना नाम नही बताया मेरा नाम है राज। इंजीनियरिंग की एक मैडम है जिनका नाम निशा है, जो कि बहुत ही खूबसूरत है। जब से मैंने यहाँ प्रवेश लिया है और उनको देखा है हमेशा उनको कहीं न कहीं देखता रहता हूँ, कभी कभी वो भी देखती है तो मेरी आँखे उनसे टकराती हैं तो वो मुस्कुरा देती हैं, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ जाती है। उनका फिगर ३६-२८-३४ है जो कि बहुत ही सेक्सी है.वो गोरी तो है ही.
मैं हमेशा उनके लंच टाइम पर कैंटीन पहुच जाता और उनको देखने लगता। मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो भी मुझे समझ रही है कि मैं उन्हें पसंद करने लगा हूँ, उनकी उम्र भी तो मेरे बराबर ही थी, वो अभी २४ की है, बी.इ ख़त्म करके ही पढाना शुरू कर दिया है. हमेशा वो बहुत कसा हुवा ड्रेस पहनती है जिससे उनके पूरे उभार दीखते हैं। जिन्हें देख कर कैंटीन में ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। अब मै हमेशा उनके पास जाने की सोचने लगा, मुझे जल्दी ही उनके पास जाने का मौका मिल गया।
एक दिन कॉलेज छूटने के बाद मै अपनी बस में बैठ गया। आज बहुत भीड़ थी बस में। मैं डबल सीट पे बैठा था, मेरे साथ मेरा एक जूनियर बैठा था। तभी मुझे निशा मैडम दिखी वो आकर खड़ी हो गई। जगह नही थी तो मैंने अपने जूनियर को उठाया और बोला - मैडम यहाँ बैठ जाइये, तो वो तुंरत आकर बैठ गई और बोली--थैंक यू ! मैं सिर्फ़ मुस्कुरा दिया।
हम लोग बीच में थे और चारो तरफ़ स्टुडेंट खड़े भी थे, सो हम लोग दिखाई नही दे रहे थे। पर वो बाहर साइड थी तो उन प्रॉब्लम हो रही थी। बार बार उन्हें किसी से धक्का लगता तो उन्होंने बोला--प्लीज़ आप बाहर साइड आ जाइये मुझे प्रॉब्लम हो रही है, तो मैंने बोला--ठीक है आप अन्दर आ जाइये। फिर वो अन्दर होके बैठ गई। बस जब भी मुडती तो मै उनके ऊपर या वो मेरे उपर आती और हम लोग सॉरी बोलते।
अब मैंने अपना एक हाथ ऐसे कर लिया कि जब भी बस मुड़ती तो मेरी २-४ उंगलियां उनकी चुचियों से टकरा जाती तो मैं उनको देखता वो मुस्कुरा देती। मैं समझ गया लाइन साफ़ है, बस मौका ढूंढो और चोदो। अब मैंने अपना एक हाथ उनकी जांघों पर रखा और थोड़ा सहलाया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के दबा दिया और मुझे रोक लिया, तभी बस रुकी उनका स्टाप आ गया तो उन्होंने बोला - उठो मुझे जाना है, मैंने बोला - मुझे भी तो उतरना है, फिर दोनों उतर गए, तो वो मुझसे बोली - तुम क्यो उतरे? वैसे तुम्हारा नाम क्या है, मैंने बोला - मेरा नाम राज है और मुझे आज तो आपसे कुछ लेना है सो मै भी उतर गया, तो वो गहरी मुस्कराहट से हुए बोली--क्या लेना है?
मैंने बोला-आपका नम्बर चाहिए, मुझे आपसे बात करनी है, बहुत जरुरी है, अब तो रहा ही नही जाता।
वो बोली--तो बोलो क्या बात है,अभी बोल दो।
मैं बोला - नहीं आप नम्बर दीजिये मै आपको फ़ोन करूँगा।
तो उन्होंने अपना नम्बर दे दिया। मैंने उसी रात उन्हें कॉल किया और रात के ११ से लेकर १ बजे तक बात करता रहा। उस रात मैंने उन्हें प्रोपोज़ भी कर दिया और दोस्तों मेरी तो किस्मत चमक गई उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।
अब तो मै रात दिन सिर्फ़ उन्हें चोदने के बारे में सोचने लगा। वैसे बस में अब डेली मैं उन्हें कहीं न कहीं जरुर हाथ लगाता तो वो भी बुरा नहीं मानती, जिससे मेरी हिम्मत बढती। एक दिन तो मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया जिससे वो झन्ना गई और तेज़ी से सास लेने लगी पर कुछ बोली नहीं, इसी तरह दिन निकलते रहे। मैं मौका ही तलाशता रहा।
किस्मत ने भी जल्दी ही मेरा साथ दिया और वो एक दिन मुझे स्टाप पर खड़ी हुई मिल गई उस टाइम बहुत तेज़ बरसात हो रही थी और वो कॉलेज से आई थी। वो पूरी तरह से भीग चुकी थी। मैंने उनसे बोला - मेरा रूम पास में ही है, चलिए, आप यहाँ कब तक खड़ी रहेंगी, पानी भी बंद नही होने वाला, पहले तो वो मना करती रही फिर मान गई। मैंने उन्हें अपनी बाईक पे बैठाया और चल दिया। फिर मेरे रूम पहुंचे।
मेरा एक सिंगल रूम है और मै अकेला ही रहता हूँ, ये उनको भी मालूम था, मैंने उन्हें बैठाया और बोला-आप कपडे चेंज कर लीजिये। जब तक मै नीचे से आता हूँ। फिर मैं उन्हें एक तौलिया देकर चला गया। मैंने दूध लिया फिर अचानक मै मेडिकल में गया और वहां से ४-५ पैकेट कंडोम ले लिया सोचा-आज तो मौका नही जाने दूंगा चोद के ही रहूँगा।
मैं रूम में पंहुचा तो देखा कि वो अपने बालों को पौंछ रही है, क्या सेक्सी लग रही है। मैं उन्हें पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके चाय बनने लगा और वो मुझे ही देख रही थी। मैं चाय बनाकर लाया और पलंग पर बैठ गया। पलंग ज्यादा बड़ा नही है सो अच्छे से नही बैठ सकते थे। उन्हें अच्छे से बैठना था तो मैंने बोला--आप आराम से पैरों को फैला कर बैठ जाइए, तो वो बैठ गई, चाय पीने लगे, मैं उनकी आँखों में देखने लगा तो वो बोली-क्या देख रहे हो?
मैं बोला - देख रहा हूँ आप कितनी खूबसूरत हैं और आज कितनी सेक्सी लग रही है, प्लीज़ आज मुझे कुछ करने दीजिये
निशा बोली--तुम्हारा मतलब क्या है?
मैं बोला - वही जो आप समझ रही हैं, मैं कब से ऐसे मौके की तलाश में था जब आप मेरे साथ अकेली हो और फिर मै आपको अच्छे से प्यार कर सकूं, आप भी आज मुझे प्यार करिए.
इतना बोलकर मै उनके गालो को सहलाने लगा तो उन्होंने मुझे रोका तो नही पर बोली-नही ये ठीक नही है।
मैंने बोला-जिसमे आपको और मुझे मजा आए वही ठीक है।
फिर मैं अपने होंठ उनके होंठो के पास ले गया और पास और फिर मेरे और उनके होंठ जो चिपके की चिपकते गए,बहुत ही जोरदार किस्सिंग चालू हो गई, जबान से जबान टकराने लगी, मै उनकी पूरी जीभ को चबा जाना चाहता था। वो भी मेरी पूरी हेल्प कर रही थी, मैंने उन्हें किस करते करते ऊपर से नंगा कर दिया,चूँकि उन्होंने मेरा रात का सूट पहन लिया था सो ब्रा तो थी नही्। सो चुचिया तुंरत नंगी हो गई, जिन्हें देखकर मैं पगला गया और पागलों की तरह चुचियों को मसलने लगा, जिससे वो भी जल्दी ही उत्तेजित होने लगी।फिर मैं रुका और उनसे बोला--आज पूरा दिन मैं और आप मिलकर चुदम-चुदाई का खेल खेलते है.
मै ऍम बी ए का स्टुडेंट हूँ. मै जिस कॉलेज में हूँ, वो इस शहर का सबसे मशहूर कॉलेज है। हमारे कॉलेज के बगल में ही हमारे कॉलेज ग्रुप का ही इंजीनियरिंग का भी कॉलेज है। मैंने आपको अपना नाम नही बताया मेरा नाम है राज। इंजीनियरिंग की एक मैडम है जिनका नाम निशा है, जो कि बहुत ही खूबसूरत है। जब से मैंने यहाँ प्रवेश लिया है और उनको देखा है हमेशा उनको कहीं न कहीं देखता रहता हूँ, कभी कभी वो भी देखती है तो मेरी आँखे उनसे टकराती हैं तो वो मुस्कुरा देती हैं, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ जाती है। उनका फिगर ३६-२८-३४ है जो कि बहुत ही सेक्सी है.वो गोरी तो है ही.
मैं हमेशा उनके लंच टाइम पर कैंटीन पहुच जाता और उनको देखने लगता। मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो भी मुझे समझ रही है कि मैं उन्हें पसंद करने लगा हूँ, उनकी उम्र भी तो मेरे बराबर ही थी, वो अभी २४ की है, बी.इ ख़त्म करके ही पढाना शुरू कर दिया है. हमेशा वो बहुत कसा हुवा ड्रेस पहनती है जिससे उनके पूरे उभार दीखते हैं। जिन्हें देख कर कैंटीन में ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। अब मै हमेशा उनके पास जाने की सोचने लगा, मुझे जल्दी ही उनके पास जाने का मौका मिल गया।
एक दिन कॉलेज छूटने के बाद मै अपनी बस में बैठ गया। आज बहुत भीड़ थी बस में। मैं डबल सीट पे बैठा था, मेरे साथ मेरा एक जूनियर बैठा था। तभी मुझे निशा मैडम दिखी वो आकर खड़ी हो गई। जगह नही थी तो मैंने अपने जूनियर को उठाया और बोला - मैडम यहाँ बैठ जाइये, तो वो तुंरत आकर बैठ गई और बोली--थैंक यू ! मैं सिर्फ़ मुस्कुरा दिया।
हम लोग बीच में थे और चारो तरफ़ स्टुडेंट खड़े भी थे, सो हम लोग दिखाई नही दे रहे थे। पर वो बाहर साइड थी तो उन प्रॉब्लम हो रही थी। बार बार उन्हें किसी से धक्का लगता तो उन्होंने बोला--प्लीज़ आप बाहर साइड आ जाइये मुझे प्रॉब्लम हो रही है, तो मैंने बोला--ठीक है आप अन्दर आ जाइये। फिर वो अन्दर होके बैठ गई। बस जब भी मुडती तो मै उनके ऊपर या वो मेरे उपर आती और हम लोग सॉरी बोलते।
अब मैंने अपना एक हाथ ऐसे कर लिया कि जब भी बस मुड़ती तो मेरी २-४ उंगलियां उनकी चुचियों से टकरा जाती तो मैं उनको देखता वो मुस्कुरा देती। मैं समझ गया लाइन साफ़ है, बस मौका ढूंढो और चोदो। अब मैंने अपना एक हाथ उनकी जांघों पर रखा और थोड़ा सहलाया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के दबा दिया और मुझे रोक लिया, तभी बस रुकी उनका स्टाप आ गया तो उन्होंने बोला - उठो मुझे जाना है, मैंने बोला - मुझे भी तो उतरना है, फिर दोनों उतर गए, तो वो मुझसे बोली - तुम क्यो उतरे? वैसे तुम्हारा नाम क्या है, मैंने बोला - मेरा नाम राज है और मुझे आज तो आपसे कुछ लेना है सो मै भी उतर गया, तो वो गहरी मुस्कराहट से हुए बोली--क्या लेना है?
मैंने बोला-आपका नम्बर चाहिए, मुझे आपसे बात करनी है, बहुत जरुरी है, अब तो रहा ही नही जाता।
वो बोली--तो बोलो क्या बात है,अभी बोल दो।
मैं बोला - नहीं आप नम्बर दीजिये मै आपको फ़ोन करूँगा।
तो उन्होंने अपना नम्बर दे दिया। मैंने उसी रात उन्हें कॉल किया और रात के ११ से लेकर १ बजे तक बात करता रहा। उस रात मैंने उन्हें प्रोपोज़ भी कर दिया और दोस्तों मेरी तो किस्मत चमक गई उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।
अब तो मै रात दिन सिर्फ़ उन्हें चोदने के बारे में सोचने लगा। वैसे बस में अब डेली मैं उन्हें कहीं न कहीं जरुर हाथ लगाता तो वो भी बुरा नहीं मानती, जिससे मेरी हिम्मत बढती। एक दिन तो मैंने अपना हाथ उनकी चूत पर रख दिया जिससे वो झन्ना गई और तेज़ी से सास लेने लगी पर कुछ बोली नहीं, इसी तरह दिन निकलते रहे। मैं मौका ही तलाशता रहा।
किस्मत ने भी जल्दी ही मेरा साथ दिया और वो एक दिन मुझे स्टाप पर खड़ी हुई मिल गई उस टाइम बहुत तेज़ बरसात हो रही थी और वो कॉलेज से आई थी। वो पूरी तरह से भीग चुकी थी। मैंने उनसे बोला - मेरा रूम पास में ही है, चलिए, आप यहाँ कब तक खड़ी रहेंगी, पानी भी बंद नही होने वाला, पहले तो वो मना करती रही फिर मान गई। मैंने उन्हें अपनी बाईक पे बैठाया और चल दिया। फिर मेरे रूम पहुंचे।
मेरा एक सिंगल रूम है और मै अकेला ही रहता हूँ, ये उनको भी मालूम था, मैंने उन्हें बैठाया और बोला-आप कपडे चेंज कर लीजिये। जब तक मै नीचे से आता हूँ। फिर मैं उन्हें एक तौलिया देकर चला गया। मैंने दूध लिया फिर अचानक मै मेडिकल में गया और वहां से ४-५ पैकेट कंडोम ले लिया सोचा-आज तो मौका नही जाने दूंगा चोद के ही रहूँगा।
मैं रूम में पंहुचा तो देखा कि वो अपने बालों को पौंछ रही है, क्या सेक्सी लग रही है। मैं उन्हें पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके चाय बनने लगा और वो मुझे ही देख रही थी। मैं चाय बनाकर लाया और पलंग पर बैठ गया। पलंग ज्यादा बड़ा नही है सो अच्छे से नही बैठ सकते थे। उन्हें अच्छे से बैठना था तो मैंने बोला--आप आराम से पैरों को फैला कर बैठ जाइए, तो वो बैठ गई, चाय पीने लगे, मैं उनकी आँखों में देखने लगा तो वो बोली-क्या देख रहे हो?
मैं बोला - देख रहा हूँ आप कितनी खूबसूरत हैं और आज कितनी सेक्सी लग रही है, प्लीज़ आज मुझे कुछ करने दीजिये
निशा बोली--तुम्हारा मतलब क्या है?
मैं बोला - वही जो आप समझ रही हैं, मैं कब से ऐसे मौके की तलाश में था जब आप मेरे साथ अकेली हो और फिर मै आपको अच्छे से प्यार कर सकूं, आप भी आज मुझे प्यार करिए.
इतना बोलकर मै उनके गालो को सहलाने लगा तो उन्होंने मुझे रोका तो नही पर बोली-नही ये ठीक नही है।
मैंने बोला-जिसमे आपको और मुझे मजा आए वही ठीक है।
फिर मैं अपने होंठ उनके होंठो के पास ले गया और पास और फिर मेरे और उनके होंठ जो चिपके की चिपकते गए,बहुत ही जोरदार किस्सिंग चालू हो गई, जबान से जबान टकराने लगी, मै उनकी पूरी जीभ को चबा जाना चाहता था। वो भी मेरी पूरी हेल्प कर रही थी, मैंने उन्हें किस करते करते ऊपर से नंगा कर दिया,चूँकि उन्होंने मेरा रात का सूट पहन लिया था सो ब्रा तो थी नही्। सो चुचिया तुंरत नंगी हो गई, जिन्हें देखकर मैं पगला गया और पागलों की तरह चुचियों को मसलने लगा, जिससे वो भी जल्दी ही उत्तेजित होने लगी।फिर मैं रुका और उनसे बोला--आज पूरा दिन मैं और आप मिलकर चुदम-चुदाई का खेल खेलते है.